Nangi Sex Kahani अय्याशी का अंजाम
02-06-2019, 05:53 PM,
#59
RE: Nangi Sex Kahani अय्याशी का अंजाम
विजय ने जब ये देखा तो रश्मि को कहा- अब यहाँ कुछ नहीं बचा.. तुम जय को लेकर घर जाओ.. मैं रंगीला के साथ बाद में आ जाऊँगा।
रश्मि को भी यही सही लगा.. वहाँ का माहौल काफ़ी गंदा हो गया था.. तो उसने जय को घर जाने के लिए मना लिया और दोनों वहाँ से निकल आए।
उनके जाते ही रंगीला और विजय अन्दर चले गए।
एक मस्त लड़की विजय के पास आई और उसके कान में कुछ कहा तो विजय उसके साथ एक कमरे में चला गया।
साजन ने जब यह देखा कि रंगीला अकेला है तो वो उसके पास आया।
साजन- वाह बॉस.. आज तो मज़ा आ गया.. साली क्या मस्त माल है.. कसम से उसको तो बस एक घंटे तक सिर्फ़ चूसता ही रहूँगा.. उसके बाद साली को घोड़ी बना कर ऐसा चोदूँगा कि वो मेरे को क्या याद करेगी।
रंगीला- साला तू भी बड़ा हरामी है.. तुझे बस उसको छू कर मज़े लेने को कहा था तूने उसकी चूत में उंगली कर दी और उसको पकड़ भी लिया।
साजन- अरे बॉस उस टाइम मेरे को कंट्रोल ही नहीं हुआ.. साली ने क्या सेक्सी ड्रेस पहना था.. एक बार तो मन किया कि यहीं पटक कर साली को चोद दूँ।
रंगीला- अच्छा ठीक है.. ठीक है.. यह बता वो दोनों आइटम उसकी जेब में डाले या नहीं तूने.. और हाँ.. कोमल को कॉल करके कल के लिया बता देना और अभी मुझे एक काम और निपटाना है.. ठीक है मैं चलता हूँ।
रंगीला वहाँ से निकल गया और साजन फिर से लड़कियों के आस-पास मंडराने लगा.. और नाचने लगा।
उधर रश्मि और जय गाड़ी में जा रहे थे.. दोनों पर नशा छाया हुआ था.. जय बातें कर रहा था.. मगर उसकी ज़ुबान लड़खड़ा रही थी। रश्मि का भी कुछ-कुछ यही हाल था।
रश्मि- भाई अपने ये क्या कर दिया.. मैं आपकी बहन हूँ.. उस साजन के इरादे मुझे अच्छे नहीं लग रहे।
जय- अरे तू डरती क्यों है.. कुछ नहीं होगा.. कल उस कुत्ते को दिखा दूँगा कि मैं क्या चीज़ हूँ।
रश्मि- भाई मुझे बहुत डर लग रहा है.. कल क्या होगा?
जय- अरे तू डरती क्यों है.. कुछ नहीं होगा।
जय आगे और कुछ कहता मगर रोड के बीच में पुलिस की गाड़ी देख कर उसने जल्दी से ब्रेक मारी।
रश्मि- आह्ह.. क्या करते हो भाई.. ऐसे गाड़ी क्यों रोक दी?
जय- अरे वो सामने देख ठुल्ले खड़े हैं लगता है चैकिंग है।
एक पुलिस वाला जो करीब 40 साल का मोटा सा था.. वो डंडा हाथ में लिए गाड़ी के पास आया।
हवलदार- आ जा भाई.. आजा नीचे आजा.. ला गाड़ी दे कागज और डीएल दिखा।
जय ने रश्मि को कहा कि वो अन्दर ही रहे और खुद नीचे उतर गया।
जय- क्या बात है हवलदार साहब.. ऐसे रास्ते में गाड़ी क्यों खड़ी कर रखी आपने?
हवलदार- अरे बावली पूंछ.. हम यहाँ साँप सीढी खेलने रुके हैं कि चैकिंग चाल री है चैकिंग.. चल गाड़ी के काग़ज फड़ और डीएल निकाल.. जल्दी से..
जय- पेपर तो समझ आया.. ये डीएल क्या बला है?
हवलदार- ओये तू दिल्ली का ना है.. कि जो डीएल ना समझता बावले ड्राइविंग लाइसेन्स को बोले हैं डीएल..
जय- ओह्ह.. अच्छा बस अभी दिखाता हूँ.. आप दो मिनट रूको।
जय ने गाड़ी में देखा तो पेपर नहीं थे.. फिर उसने अपना पर्स देखा.. वो भी उसकी जेब में नहीं था। शायद घर भूल आया होगा.. अब उसको अहसास हुआ कि आज तो फँस गया।
हवलदार- रे के हो गया.. जल्दी कर साब जी आगे नी.. तो तन्ने सीधे थाणे ले जांगे.. फेर ढूँढ़ते रहियो तू..
जय- वो क्या है ना.. मैं पेपर और लाइसेन्स घर भूल आया हूँ।
हवलदार- वाह रे छोरे.. एक तो तू दारू पिया हुआ है.. ऊपर से आधी रात को लड़की साथ में.. अब गाड़ी के काग़ज और लाइसेन्स भी नहीं.. चल्ल भाई.. अब तेरा फैसला तो साब जी ही करेंगे।
हवलदार ने जय का हाथ पकड़ा और उसको जीप की तरफ़ ले जाने लगा।
जय- हैलो क्या बदतमीज़ी है ये.. मैं कोई ऐरा-गैरा नहीं हूँ.. रणविजय खन्ना का नाम सुना है ना.. उनका बेटा जय खन्ना हूँ।
हवलदार- अरे छोरे तू मन्ने धौंस ना दिखा.. तेरा बाप कौण है.. मैं नी जानता.. अब सीधे से चलता है कि 2 डंडे लगाऊँ पिछवाड़े में?
इंस्पेक्टर- ओये रतन सिंग.. के होरा रै.. कौण है ये छोरा.. मन्ने आना पड़े कै थारे कणे..?
रतन सिंग- ऊउ साब जी या छोरा थोड़ा टेढ़ा लगे सै मन्ने..
रतन सिंग की बात सुनकर इंस्पेक्टर जीप से उतरा और उनकी तरफ़ आने लगा।
इंस्पेक्टर करीब 32 साल का हट्टा-कट्टा लंबे कद का इंसान था।
इंस्पेक्टर उनके पास आकर रुक गया और जय को ऊपर से नीचे तक घूर कर देखने लगा।
इंस्पेक्टर- म्हारो नाम पता है कै.. म्हारो नाम बदलसिंग सै.. कै होरा है रे छोरे.. कै चाहवे है तू?
ये हैं बदल सिंग.. इसका बाप राजस्थान का था.. और माँ हरियाणा की.. दोनों के प्यार का ये नतीजा निकला कि ये पैदा हुआ.. अब इसकी भाषा आधी हरयाणवी तो आधी मारवाड़ी है।
जय- वो वो.. सर मैं अपना लाइसेन्स घर भूल आया हूँ.. ये हवलदार समझने को तैयार ही नहीं हैं.. मैं कोई ऐसा वैसा लड़का नहीं हूँ।
रतन सिंग- ओ साब जी.. ना डीएल है.. ना कागज.. साथ में लौड़ा पिया हुआ भी है.. और भीतर एक छोरी भी डाल रखी है ससुरे ने..
जय- ज़ुबान संभाल के बात करिए आप.. वो मेरी बहन है।
बदल सिंग- ओये छोरे कै नाटक सै यो.. हाँ.. यो थारा..पता लगा सकै.. जो थाने जान देगो ना.. थारे कन गाड़ी के काग़ज हैं.. ना डीएल.. और बावले पीकर गाड़ी चला रा है.. यो और भी बड़ा गुनाह है.. थारे पर तो इब बेरा कोनी कौण-कौणसी धारा लगेगी क़नून की.. और तेरी भें लंगड़ी सै.. कै जो भीतर बैठी सै.. बाहर बुला भाई.. ज़रा मैं भी तो देक्खूं तरी भें न..
बदल सिंग की बात सुनकर जय को थोड़ा गुस्सा आया.. मगर वो जानता था यहाँ गुस्सा करना ठीक नहीं है.. यहाँ उसकी दाल गलने वाली नहीं।
जय- देखिए आप समझ नहीं रहे.. हम पार्टी में गए थे.. वहाँ थोड़ी दोस्तों ने जबरदस्ती पिला दी।
बदल सिंग- अब तू बुलावे है या मैं काड़ दूँ बाहर?
उनकी बात सुनकर रश्मि थोड़ी घबरा गई और बाहर आकर खड़ी हो गई।
दोनों के दोनों बस रश्मि को देखते ही रह गए.. दोनों की आँखों में उस टाइम हवस साफ नज़र आ रही थी। अगर जय ना बोलता.. तो शायद वो दोनों का ध्यान ना हट पाता।
जय- सर प्लीज़ हमें जाने दीजिए देर हो रही है।
बदल सिंग- ले भाई रतन सिंग या छोरा तो क़ानून ने अपने बाप की जागीर समझे सै.. ना काग़ज.. ना डीएल.. दारू ये पी रखा.. और साथ में लौंडिया भी और हमें उल्लू बना के जाना चावे है।
रतन सिंग- साब जी मन्ने तो झोल लगे सै.. या गाड़ी भी इसकी ना लागे.. और या छोरी तो कड़े ही ईकी भैन ना सै..
रश्मि- एक्सयूज मी.. ये मेरे भाई हैं ओके.. और हम आपको किधर से चोर लगते हैं. हम अच्छी फैमिली को बिलांग करते हैं. मेरे पापा इस शहर के नामी गिरामी इंसान हैं।
बदल सिंग- आ छोरी.. ज़्यादा चपर चपर ना कर.. थारे पास कोई सबूत है कि लगा फोन तेरे बाप ने.. इब दूध का दूध और पानी का पानी हो जागा..
जय ने जेब में देखा फोन नहीं मिला फिर उसने गाड़ी भी चैक की.. मगर फ़ोन वहाँ भी नहीं था। वो सोचने लगा आज ये क्या हो गया.. पर्स नहीं है.. फ़ोन नहीं है अब कैसे इनसे पीछा छुड़ाऊँ.. अगर पैसे पास में होते.. तो भी इनको देकर निकल जाता।
बदल सिंग- ओ छोरे कै हो गया सै.. रे भाई फ़ोन होवेगा तो मिलेगा न.. चल भाई अब या रमायन बन्द कर.. और जीप में बैठ जा.. अब थाने चलकर ही थारी पूछताछ करनी पड़ेगी।
जय- सर प्लीज़ आप बात को समझो मैं सच बोल रहा हूँ.. हम भाई-बहन ही हैं. मैं फोन और पर्स भूल आया हूँ।
बदल सिंग- रे चुप कर.. भैन का टका.. म्हारे को लल्लू समझे है कै.. कद से भैन का राग अलाप रिया सै.. मैं अच्छी तरह जानू हूँ.. तू इसके साथ रासलीला करके आया है.. या करने जा रा है.. ये कोई भैन बैन ना है थारी..
बदल सिंग का गुस्सा देख कर जय की हवा निकल गई थी।
रश्मि- सर सच्ची में हम..
बदल सिंग- चोप्प.. तू फेर बोली.. छोरी तेरे मुँह से भी शराब की बू आ री सै.. अब तू बता.. यो कैसा भाई है जो तू आधी नंगी और शराब पी रखी है.. बो भी अपने भाई के साथ.. अब बोल इको कै मतलब सै?
उसकी बात का रश्मि के पास कोई जबाव नहीं था.. वो बस वहीं पर नजरें झुकाए खड़ी रही।
रतन सिंग- साब जी अब कै करना है .. दोनों का?
बदल सिंग- रे करना कै है .. धर ले ससुरा नै थाने जाकर पूछंगे.. ईनका रिस्ता..
जय- सर प्लीज़ हमें माफ़ कर दो दोबारा ऐसी ग़लती नहीं करेंगे।
बदल सिंग- मन्ने लगे है छोरा कान कोई 2 नम्बर का माल है .. तभी यो बड़ी जल्दी में है .. रतन सिंग तलाशी ले भाई..
रतन सिंग ने जय की तलाशी शुरू कर दी.. पैन्ट में तो कुछ नहीं मिला.. मगर उसकी जैकेट की एक जेब में हनुमान चालीसा और दूसरी जेब में 2 कन्डोम और एक ड्रग्स की पुड़िया निकली.. जिसे देख कर जय की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई।
रतन सिंग- लो साब जी.. यो देखो छोरा तो बड़ा तेज निकला.. ड्रग्स की पुड़िया निकली है .. और ससुरा कन्डोम के साथ हनुमान चालीसा भी रखे है..
बदल सिंग ने ड्रग्स और कन्डोम हाथ में लेकर जय की ओर गुस्से से देख कर पूछा- ये क्या है?
जय कुछ कहता उसके पहले रतन बोला।
रतन सिंग- साब जी कन्डोम.. हिन्दी में बोले तो निरोध..
बदल सिंग- रे तू घना होसियार ना बण.. मैं जानू हूँ कन्डोम का मतलब निरोध होवे है।
ये चीजें देख कर तो रश्मि के पैर काँपने लगे कि अब क्या होगा।
जय- सर प्लीज़ यकीन करो ये मेरे नहीं है.. पता नहीं मेरी जेब में कहाँ से आए।
बदल सिंग- ले भाई जो चीज जेब में रखनी चाहिए.. बिका तो नाम निसाण ना सै.. और ये अफ़ीम और कन्डोम रखे है .. छोरा..?
जय- मैं सच कह रहा हूँ.. मुझे नहीं पता.. ये मेरे पास कहाँ से आए.. आप मेरा यकीन करो।
बदल सिंग- चुप कर ते ते कर्ण लग रा है मन्ने तू ये बता.. छोरा हनुमान चालीसा और कन्डोम का कै चक्कर सै?
रतन सिंग- साब जी आप ना जानो कै आजकल का छोरा कै बोले हैं कि भूत और चूत का कै भरोसा.. कद भी मिल जावें.. जड़ इंतजाम तो साथ में रखना पड़े सै कै ना..
बदल सिंग- चुप कर बावले.. कुछ भी बक देवे.. देखे कोनी छोरी खड़ी है पास में..
रतन सिंग- साब जी छोरी की आँखों में मन्ने चोर नज़र आवे है.. लगे है बाकी का माल छोरी के पास सै..
बदल सिंग- बदल सिंग नाम सै म्हारा.. तन्ने पता ना है.. म्हारी नजरां सै कोई ना छुप सकै.. आ छोरी चल सीधी खड़ी रह… तेरी भी तलाशी होगी.. अब तो देखूँ तो कितना माल छुपा रखा सै तन्ने।
रश्मि- मेरे पास कुछ नहीं है.. प्लीज़ आप मेरी बात का यकीन करो।
बदल सिंग- चुप कर छोरी जादा घनी स्यानी ना बण.. मैं जानू हूँ.. कीपे यकीन करना है .. कीपे नहीं..
जय- सर ये ग़लत है.. एक लड़की की तलाशी ये हवलदार कैसे ले सकता है कोई लेडी कांस्टेबल होती तो कोई बात नहीं होती।
बदल सिंग- रै बावले.. इब थारे खातिर लेडी कांस्टेबल साथ में लेके घूमू कै.. चल थाणे चल्ल.. वहाँ दे देना तलासी..
रश्मि- भाई प्लीज़ कुछ करो.. वहाँ गए तो बात और बढ़ जाएगी।
बदल सिंग- देख भाई थाणे चलेगा.. तो रात भर वहाँ की हवा भी खानी पड़ेगी तू यही तलाशि दे दे और कुछ ना निकला तो चले जाणा.. और इस हवलदार से तन्ने एतराज है.. तो मैं तलाशी ले लूँगा।
रश्मि- ओके सर आप मेरी तलाशी ले लीजिये.. मेरे पास कुछ नहीं होगा तो आप हमें जाने दोगे।
बदल सिंग- देख छोरी एक पुड़िया तो ये छोरे के पास मील गी.. अगर तेरे पास भी निकली तो बहुत लंबी लगेगी थाने और हाँ अगर ना निकली तो मैं सोचूँगा कि थारा के करणा है।
रश्मि समझ गई कि अब तलाशी के बाद भी ये नाटक करेगा.. मगर जैसे-तैसे वो उसको मना लेगी.. यही सोच कर वो तलाशी के लिए रेडी हो गई।
बदल सिंग तो खुश हो गया। उसको ऐसी हुस्न परी के जिस्म को छूने का जो मौका मिल रहा था।
बदल सिंग रश्मि के करीब आया और गले से हाथ को ले जाता हुआ उसके मम्मों पर जाकर रुक गया और धीरे-धीरे उनको दबाने लगा।
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