RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
अब जग्गू एक जोरो की हँसी हँसता है,और पुनिया को देखकर उसे उठाकर पास ही बैठा देता है और खुद वो उसी जगह पर बैठ जाता है जहा पर वो पहले था,
“तू तो गांव और मुझे छोड़कर चला गया ,और मैं इस जख्मी पैरो को लेकर कहा जाता ,मैं निराश सा जंगल में आकर रहने लगा,मेरी बीवी को वो हरामी अपनी रखेल बना कर रखे थे,उसके पैसे से ही घर चल रहा था,मेरी निराशा जब ज्यादा बढ़ गयी तो मैंने अपनी जान देने की ठान ली और जंगल में चलता हुआ सोच रहा था की किसी जंगली जानवर के सामने अपनी जान दे दु ,पर इसी गुफा से एक तांत्रिक निकाला उसे देखकर मैं डर से काँपने लगा पर मुझे याद आया की मैं तो यहां पर मारने आया हु तो मैं इससे क्यो डर रहा हु ,वो वही तांत्रिक था जिसकी खोज में तू यहां आया है,उसी नरभक्षी तांत्रिक की सभी जगह पर इतनी दहसत है ,आज लोग मुझे वही समझते है पर वो मैं नही बल्कि मैं तो उसका शिष्य हु,वो तो कब के मर चुके है .,,,मेरी हालात को देख और मेरे साहस को देख उसने मुझे यहां आने का कारण पुझा मैंने उन्हें सब बताया वो बोले की अगर तू मरने मारने को तैयार है तो मैं तुझे ये विद्या सीखा दूंगा,मेरा कोई भी शिष्य नही है सब मुझसे इतना डरते है ,
मुझे तो मरना ही था मेरे भाई मैं उसकी बात मानकर ये विद्या सिख ली और देख आज तेरे भाई से दुनिया डरती है ,”
एक जोरो की हँसी माहौल में गूंज गयी ….
पुनिया के चहरे पर भी एक मुसकान आ गयी …
“मैं भी उनके अत्याचारों को नही भुला हु,और उनसे बदला लेने को तडफ रहा हु….”
उसने अपनी जेब से दो फ़ोटो निकाली ,और गज्जू को दिखाया जिसे देखकर उसके चहरे में चमक आ गयी …
“ये उनके घर की लडकिया है,ये निधि है अभी मासूम है ,ये वीर की बेटी है,और ये जिसका शायद तुझे बेसब्री से इंतजार होगा,इसका नाम खुसबू है ये गजेंद्र की बेटी है….”
गज्जू के चहरे में बदले की आग धधक उठी थी वो चिल्ला उठा …
“इनका भी वही हश्र होगा जो हमारी बीबियों और बहनों का उन्होंने किया था,चहरे तो मासूम लग रही है इनकी सील तो मैं तोडूंगा,और इन्हें शैतान से चुदवाऊंगा ….इनकी बली से शैतान मुझे और भी शक्ति देगा जब वो इन दोनो कुवारी लड़कियों को भोगेगा..हा हा हा ….हम इन्हें अपनी रंडिया बना कर रखेंगे…”
ऐसी हँसी की दिल दहल जाय,शैतानियत उनके चहरे से टपक रही थी…
“हा जग्गू ये दोनो अभी तक सील बंद है,इसे हमारे बदले के लिए ही बनाया गया है…(उन्हें नही पता था की निधि अब कुवारी नही है,अजय ने ही अपनी बहन को भोगा है,और खुसबू का कोई भरोसा नही की कब अजय उसे भी भोग ले)”
“पुनिया मेरे भाई ना जाने कितने दिन हो गए किसी लड़की को भोगे हुए इन कच्ची कलियों का तो मैं मांस ही उतार दूंगा...जल्दी से इनको मेरे पास ले के आ फिर कोई भी हमे नही रोक सकता उन्हें बर्बाद करने से …”
फिर से दोनो की हँसी से पूरी गुफा गूंज उठी …..
सभी लोग घर पहच चुके थे,किशन को कलवा ने खुशखबरी दी जिसे सुनकर वो झूम गया...सभी एक दूजे से मिलने में व्यस्त थे,कल वो समय तय किया गया था जब तिवारियो का पूरा परिवार ठाकुरो के घर आने वाला था ,सभी बहुत ही जोश से भरे हुए थे ,यहां तक की वहां काम करने वाले भी जोश से भरे थे,डॉ को भी बुलाया गया था,वो अपनी सेकेट्री मेरी के साथ आने वाले थे,इंस्पेक्टर ठाकुर ,कुछ नेता गण,सभी पार्टी के मंत्री,यहां तक की मुख्यमंत्री जी भी, धनुष और निधि की पार्टी के लोग,जिनमे अभिषेक प्रमुख था,कॉलेज की प्रिंसिपल मेडम काव्या सेठ सभी को बुलाया गया था,कुल मिलाकर एक जश्न का आयोजन किया गया था,उस क्षेत्र के सबसे शक्तिशाली दो परिवारों के मिलान का समारोह था,तैयारिया जोरो पर थी और सभी बहुत ही खुस थे,वहां के लोग भी सालो की दुश्मनी के समाप्त होने से खुश थे……..
किशन अब बस सुमन से मिलना चाहता था,वो उसके कमरे के पास ही फटक रहा था लेकिन सुमन की मा और उसका भाई अंदर थे,वो बाहर कभी आता एक नजर डालता और फिर चला जाता,वही उसकी इस हरकत को रानी ने पकड़ लिया…
“क्यो मेरे प्यारे भइया जी ,भाभी से बात किये बिना चैन नही मिल रहा है क्या “
किशन उसे देखकर चौक गया
“नही यार मैं तो बस यहां यू ही घूम रहा था,”
‘“अच्छा अब बनो मत सब जानती हु मैं,चलो मेरे साथ “
वो उसका हाथ पकड़ कर उसे सीधे सुमन के कमरे में ले जाती है वहां सुशीला ,वरुण (सुमन का छोटा भाई ),और निधि बैठे हुए थे,साथ ही सुमन भी थी सभी अपनी बातो में खोये थे वही वरुण कोई किताब निकाल कर पड़ रहा था…
“चाचीजी देखो आपका दमांद सुमन से मिलने के लिए कितना बेचैन हो रहा है,”
रानी के ऐसा बोलने से ही किशन की सांसे रुक गयी ,वही सभी हँसने लगे,घर में सभी को ये पता चल चुका था,और सभी इस रिस्ते से काफी खुश भी थे...सुशीला उठी और भरे हुए नयन से किशन को अपने गले से लगा लिया,
“भगवान इतनी खुसी एक साथ दे रहा है कही नजर ना लग जाय,”वो रोते ही अपने आंखों से काजल निकल कर किशन के माथे के पास लगाती है,किशन तो इस बात से फुला नही समा रहा था पर सुमन के चहरे पर वो खुसी नही दिख रही थी…
“चल अपनी जीजा जी को प्रणाम कर “सुशीला ने वरुण से कहा पर वो अभी भी अपनी पुस्तक में खोया था,
“ये तो ना पुस्तक मिल जाय तो इसे कुछ भी नही सूझता “
“लगता है किताबी कीड़ा है “निधि ने कहते हुए वरुण के सर पर एक हल्की सी चपत मार दी,वरुण उसे गुस्से से देखता है ,पर अगले ही पल वो फिर से किताब में घुस जाता है….
“बेटा अब बात तो तुम्हे जिंदगी भर करना है तो अब थोड़ा सबर रखो …”सुशीला ने हँसते हुए कहा जिससे किशन शर्मा गया,
“जी चाची “
“चाची नही बेटा अब मुझे मा कहकर पुकारा कर “
“जी माजी “किशन वहां से चला जाता है .
वही निधि और रानी सुमन को छेडने लगे पर वो बेचारी क्या करती चाह कर भी उसके चहरे पर वो ख़ुर्शी नही आ पा रही थी जो होनी चहिये थी….
रात हो चली सभी अपने कमरे में थे,सोनल विजय के पास चली गयी थी और रानी किशन के पास ….निधि तो अजय के साथ ही सोती थी..
आजय के कमरे में
“भइया कितना अच्छा है ना ,अब किशन भइया की शादी हो जाएगी …”निधि ने अजय के सीने में हाथ फेरते हुए कहा …
“हा बहन सचमे बहुत खुशी हुई ये जानकर “
“लेकिन भैया आप कब करोगे शादी ,नियम से तो आपकी पहले होनी चहिये ना आप तो सबसे बड़े हो “
अजय निधि को देखता है जो हल्के हल्के से मुस्कुरा रही थी,
“बहुत बड़ी हो गयी है तू बड़ी बड़ी बातें करने लगी है…”अजय उसे अपने ऊपर ले लेता है,हमेशा की ही तरह निधि ने बस एक स्कर्ट पहना था वही अजय पूरा नंगा ही था,उसके ऊपर आने से उसकी कमर अजय के लिंग को छू जाती है ,अपनी प्यारी बहन के नाज़ुकता का अहसास अजय को रोमांचित कर देता है,वो उसे अपने ऊपर भीच लेता है,कितनी प्यारी और नाजुक थी निधि जो इस तरह अजय के मर्दाने और मजबूत बांहो में सोई थी,अजय के सीने के घने बाल निधि के छातियों से रगड़ खाकर निधि और अजय दोनो को ही एक सुखद अहसास दे रहे थे…
निधि अपना सर ऊपर उठाती है और अजय की आंखों में देखती है,हमेशा की तरहः ही उसके आंखों में बस प्यार ही दिखता है ,वो चंचल की कोमल सी प्यारी सी गुड़िया अजय के होठो को अपने नरम गुलाबी पतले से होठो से मिलती है…
अजय अब उसके होठो का रस पी रहा था ,दोनो ही एक दूसरे के प्यार के अहसास में गम थे,निधि अपने स्कर्ट को निकलने के लिए अजय से अलग हुई पर अजय ने उसे फिर से अपने ऊपर खिंच लिया और उसके मजबूत लोहे जैसे शरीर में निधि के कोमल यौवन से भरे जिस्म को छुपा लिया,
अजय का लिंग अब अपने बहन की योनि की गर्मी में भीगना चाहता था,वो अपनी अकड़ दिखा रहा था,उसने अपने लिंग को निधि के कोमल योनि के पास लाया ,उसकी योनि के घने बालो से रगड़ खा कर वो और भी अकड़ गया वही निधि भी अपने भाई का प्यार पाकर गीली हो गयी थी ,वो जोरो से अपने होठो को उसके होठों के अंदर करती है और अजय नीचे से अपने लिंग को निधि की गहराइयों में उतार देता है,ये इतना सहज और प्यार भरा अहसास था जिसमे ना तो कोई छल था ना ही कोई वासना….बड़ी आसानी एक अजय का पूरा लिंग उसके अंदर समा गया ,इतने दिन में दोनो लगभग रोज ही एक दूसरे को प्यार देते थे ,और इसी प्यार के कारण निधि की अनछुई योनि आज इतनी जवान हो गयी थी की अजय जैसे मजबूत लिंग को भी आसानी से अपने अंदर ले ले ,,,,अब दर्द का नाम तक उसे नही आता था ,आता था तो बस उस गर्म अहसास का मजा जो वो जिंदगी भर लेना चाहती थी……
निधि ने हल्की मदहोश आंखों से अजय को देखा ,उस आंखों में अब ना तो कोई शर्म थी ना ही कोई भी ग्लानि ,ना कोई वासना था तो बस अपने भाई के लिए वो असीमित प्यार जिसका बयान शायद वो लफ्जो में नही कर सकती थी और ये ही एक माध्यम था जिसके द्वारा वो अपने भाई से उस प्यार का जिक्र कर पाती थी ,ये उनके एक दूजे से प्यार को बयान करने का एक साधन ही था,वो बस अपने भाई के मजबूत बदन से लिपटी हुई उसके शरीर के मजबूती से गदगद हो रही थी ,
“खुसबू दीदी आपसे बहुत प्यार करती है भइया ,मेरे खातिर आप उनसे बात कर लेना “
वो सोए हुए ही अजय से कहती है ,
“कौन “
“सोनल दीदी की सहेली ,सोनल आप उससे मिले भी हो वो पब वाली लड़की याद है,सोनल दीदी आप से ये बात कहने से डर रही थी इसलिए सबने मुझे ये बात करने को कहा …….”
अजय के चहरे पर एक मुस्कान आ जाती है,
“जिसे मेरी बहने पसन्द कर ले उसे मुझे पसंद करने में कोई भी दिक्कत नही है ,पर जान मेरे ऊपर सबकी जिम्मेदारियां है,पहले अपनी प्यारी बहनों के हाथ तो पीले कर लू फिर अपने बारे में सोचूंगा “
वो निधि के चहरे पर एक प्यार भरा चुम्मन देता है,उसका लिंग जरूर निधि की योनि में समाया था पर उन्हें वासना के हिलोरों में नही बहना था उन्हें तो बस अपना प्यार देना था वो बस ऐसे ही रहते थे ,कभी धक्के देने की कोई भी जल्दबाजी कोई नही करता ,वो बस उस अहसास के साथ रहना चाहते थे…..
“लेकिन आप मिलोगे उनसे जल्द ही ,प्रोमिश करो “
निधि ने अपना सर उठाया और अजय को देखते हुए प्यार से कहा
अजय को उसकी मासूमियत देखकर उसपर बड़ा प्यार आया और उसकी आंखों में देखने लगा
“प्रोमिश मेरी जान “
और अजय उसके होठो पर ऐसे खाने लगा जैसे वो कोई बर्फी हो ….
इधर विजय के कमरे में
विजय काम निपटाकर आता है वो आज बहुत ही थक गया था सुबह से वो काम ही कर रहा था ,लेकिन कमरे में दाखिल होते ही उसकी आंखों में चमक आ जाती है ,सोनल के जिस्म को वो ऐसे देख रहा था जैसे की कोई अजूबा देख लिया हो वो लग भी तो कमाल रही थी ….
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