Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
12-24-2018, 01:20 AM,
#47
RE: Nangi Sex Kahani जुनून (प्यार या हवस)
“ठीक विजय ,नितिन ,धनुष,किशन,राकेश ….सभी को ख़रीद लो ,और आप यहां से चले जाइये आज की छुट्टी ले लीजिये..सभी को समझा दो की हम यहां आये ही नही थे,चाचा जी,मामा जी प्रेस को फोन लगाइए,जितने भी हमारे विस्वसनीय लोग प्रेस में है सबको काल कीजिये किसी को भी भनक नही लगनी चाहिए की वो क्या रिपोर्टिंग करने वाले है,और आज दोपहर तक ये मूर्ती इंटरनेशल न्यूज़ होनी चाहिये,हर एंगल से इसका फ़ोटो खीचकर छपवाये और हम भी यहां से निकलते है बस कुछ लोग यहां देख रेख में होंगे विजय तुम नितिन के साथ रुक जाओ ,जैसे ही न्यूज़ वाले आ जाए हम भी आ जायेगे,आसपास से भीड़ भी इकठ्ठी करनी है ,कलवा चाचा बजरंगी चाचा आप ये काम करो ,लोगो को अपनी गाड़ी में भरकर लाओ और यहां एक माहौल तैयार कर दो...एक बार इंटरनेशनल लेबल में बात पहुच गई तो बंसल का बाप भी इस मूर्ती को नष्ट नही पायेगा...ये हमारे लिए बहुत ही इम्पोटेंट है,पैसा बहा दो सबको खरीद लो ,जितना चाहे उतना दे दो ……”अजय के फैसला सुनने की देरी थी की सभी अपने काम में व्यस्त हो गए…
मलीना आंखे फाड़कर देखने लगी ,
“आप अगर ये कल ही बता देती तो शायद अभी तक ये इंटरनेशल न्यूज़ होती “
“लेकिन इससे तुम्हे क्या मिलेगा,अगर तुम राजा के वंसज साबित भी हो जाते हो तो भी ये प्रोपर्टी तो सरकार की ही होगी और यहां से तुम एक ढेला भी नही ले जा पाओगे “
“मुझे बस वो नाम चहिये आपको पता नही की बंसल इसके पीछे हाथ धो कर क्यो पड़ा है,ये इस राज्य की राजनीतिक साख की बात है …….”
मलीना बस उसके चहरे को देखते रह जाती है...

“नही मुझे कुछ नही पता “
एक जोर का डंडा फिर से अभिषेक के पेट में पड़ता है,
और उसकी चीख सुनाई देती है……..
“बस करे क्या भाई अब तो भूख भी लग गयी,”
राकेश की आवाज सुनाई देती है,
“अबे तुम अभी इस परिवार का हिस्सा बने हो हमारा तो नियम है पहले जी भर के मारो फिर जी भर के खाओ “
विजय ने हँसते हुए कहा और फिर डंडा घुमा दिया,अभिषेक के चीख के साथ ही किशन और विजय की हँसी निकल गई,
तभी गेट खुला और अजय और नितिन कमरे में आते है,वो एक गेरेज जैसा कमरा था जहा ज्यादा समान नही थे,बीचो बीच अभिषेक को उल्टा लटकाया गया था,जो की बस एक जीन्स पहने था,ऊपर वो कुछ भी नही पहने था और डंडों की चोट साफ नजर आ रही थी,
“चलो साले की किश्मत अच्छी है की भैया आ गए”
किशन की भी हँसते हुए आवाज अभिषेक को सुनाई दी और वो भी थोड़ा रिलेक्स हुआ…..
“क्या कहा इसने”
अजय का पहला सवाल यही था,
“बोलता है कुछ पता नही “
विजय ने साफ शब्दो में कहा 
“अच्छा नीचे उतार”
अजय के आदेश मिलते नही उन्होंने उसे नीचे उतार के बैठा दिया,
अजय और नितिन उसके पास ही गए थे की अभेसेक का रोना शुरू हो गया,
“भइया मैं सच कहता हु मुझहे कुछ भी नही पता,आप लोग मुझे क्यो उठाकर लाये है मुझहे समझ नही आ रहा “
“घड़ी……...याद है ना जो तूने निधि को दी थी ,उसमे एक माइक्रोफोन था ,हमारी बात सुनकर तू क्या करना चाहता था,बस इतना बता दे,तेरा बाप तुझे हर जगह ढूंढ रहा है,मैं नाही चाहता की उसके इकलौते बेटे लाश उसे मिले वो भी ऐसे की वो उसे पहचान ना पाए “
अजय ने बड़े ही सरल शब्दो में अभिषेक को समझा दिया,लेकिन नितिन के लिए ये पहली बार था ,किसी के साथ इस तरह पेश आना उसे तो इसकी भनक भी नही थी,वो थोड़ा चौका तो जरूर लेकिन उसे भी याद आया की वो भी तिवारियो के परिवार से है जंहा ये सब घटनाये रोज का काम है…
“मुझे तो ये घड़ी मिस्टर एक्स ने दी थी निधि को देने के लिए ….बस भइया मुझहे इससे ज्यादा कुछ भी नही पता “
“भाई ये जबसे हमे चुतिया बना रहा है मिस्टर एक्स बोल कर बोलो तो इसकी खाल खिंचवा दु “
इसबार विजय सचमे गुस्से में था ,लेकिन अजय ने उसे रुकने को कहा 
“कौन है ये मिस्टर एक्स “
अभिषेक पूरी कहानी बताने लगा की कैसे एक आदमी उसे मिला और निशि की तस्वीर दिखाकर उसे बहलाया ,कैसे उसने ही उसे चुनाव में खड़े होने को कहा और वो दोनो परिवारों से इतनी नफरत करता है...उसका नाम किसी को नही पता लेकिन जो भी उसे जानते है वो उसे मिस्टर एक्स के नाम से जानते है,उन्होंने ही उनकी गाड़ी पर हमला कराया था और शायद उनके पिता की हत्या के पीछे भी उसका ही हाथ है,और उस घड़ी से उसे ये भी पता चल गया की वो केशरगढ़ जा रहे है,लेकिन वो कुछ भी नही कर पाया,अब उसका प्लान उनकी बहनों को पटा कर …………..
“अभेसेक उससे आगे नही बोल पाया क्योकि उसे पता था की उससे आगे सुन पाना शायद ना तो अजय ना ही नितिन के लिए संभव था,वो बस इतना ही बोल पाया की उनकी नजर निधि और खुसबू पर है………
अजय और नितिन जो अपन बहनों से जान से भी ज्यादा प्यार करते थे,उसकी बात से आग से जलने लगे लेकिन वक़्त जलने का नही जलाने का था……….
सबसे बड़ी समस्या थी की क्या ऐसी प्रॉब्लम थी की मिस्टर एक्स उनके परिवार को बर्बाद करना चाहता है,
“छोड़ दे इसे जाने दे “
अजय ने विजय को आदेश दिया …
“लेकिन भाई ……”
“बस बोला ना जाने दे इसे ,और अगर वो जो भी हो तुझे मिलने बुलाये तो जरूर जाना लेकिन हमे बताकर ,और तू आज सुबह से यहां था ये किसी को भी पता नही चलना चाहिए ….”
“जी भइया “
अजय उसके पास जाकर उसके कंधे पर हाथ रखता है,
“देख भाई तूने मुझे भइया कहा है और निधि ने तुझे अपना दोस्त माना है,दोस्त ही नही शायद दोस्त से कुछ ज्यादा ,और मुझे कोई भी एतराज नही है,लेकिन अगर वो लोग कामियाब हो गए तो ना तुझे निधि मिलेगी और ना ही हमारा साथ,तुझे ये सोचना है की तुझे क्या चाहिए ,तू हमारे साथ रह उसके बारे में जो भी तुझे पता चले वो हमे बता ,मैं तो तुझे इस राज्य के मंत्री के रूप में देख रहा था और तू ही यू गद्दार निकला …”
विजय की आंखे लाल हो चुकी थी पर अजय ने उसे इशारे से शांत रहने को कहा वही अजय के प्यार भरे बातो से अभिषेक पिघल गया और रोने लगा,वो अजय से माफी मांगने लगा अजय उसे सहानुभूति ही दिखता रहा और उसे सही सलामत वापस भेज दिया ,.....
“इसपर नजर रखने के लिए आदमी इसके पीछे लगा दे “
अजय के कहने से ही किशन तुरंत ही उसके पीछे वहां से निकल गया…
“माना की आप निधि से बहुत प्यार करते है और हमारे घर के सबसे बड़े आप है लेकिन भाई वो मेरी भी तो बहन है….और आप उसे ये कह रहे है की आपको उससे कोई भी प्रॉब्लम नही है…”
विजय सचमे गुस्से में था…
“बात को समझ उसे अपनी ओर करना सबसे जरूरी था,
“अरे मा चुदाये आपकी ये राजनीति भरी बाते ,आपको पता था की ये हमारी बहन के लिए ये सोच रहा है लेकिन आपने उसे जाने दिया,साले की लाश भी नही मिलनी थी कही …’”
विजय गुस्से को यू पी रहा था की उसके आंखों में पानी आ गए ..
आज पहली बार था की विजय ने अजय के किसी भी फैसले पर सवाल उठा दिया था ,यू तो अजय को भी कहते हुए कुछ भी नही बना वो भी जवाब की तलाश में था…..विजय को अपनी गलती का आभास हुआ और वो कमरे से निकल गया ,अजय के आंखों में बस आंसू थे ...नितिन अपना हाथ उसके कंधे पर रखता है…
“भाई विजय दिल से सोचता है दिमाग से नही “
नितिन ने अजय को सहानुभूति देते हुए कहा ,
“वो भी निधि से उतना ही प्यार करता है जितना की मैं,बस दिखता नही है,,,सच में नितिन परिवार की जिम्मेदारी निभाते निभाते कुछ फैसले ऐसे भी लेने पड़ते है जो दिल से नही दिमाग से लेने पड़े,उसने कुछ भी गलत नही किया और मैंने भी जो किया वो हमारे परिवार की भलाई के लिए ही था…”
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