RE: Nangi Sex Kahani जुली को मिल गई मूली
जुली को मिल गई मूली—5
गतान्क से आगे……………………………..
हम ने जब तक अपनी वाइन ख़तम की तब तक रात के 2 बज चुके थे. हालाँकि अब भी मेरी चूत मे हल्का हल्का दर्द था पर मैं अब अच्छा महसूस कर रही थी. चाचा ने कहा " जूली, मुझे लगता है कि कल तुम को स्कूल नही जाना चाहिए. अगर कल आराम करोगी तो दोपहर तक एक दम ठीक हो जाओगी. कल सिर दर्द का बहाना कर के अपनी मा से कह देना कि स्कूल नही जाओगी. मैं भी कल घर पर ही हूँ. क्या तुम चुदाई के बारे मे कुछ और सीखना चाहोगी?"
मैने कहा " हां, पर बहुत रात हो चुकी है."
चाचा बोले " कोई बात नही. थोड़ी सी देर लगेगी."
मैने कहा " ओके."
चाचा - " क्या तुम मेरा नरम लंड चूसना चाहोगी.??
मैं - ' हां. लेकिन मैं अभी दूसरी बार चुद्ने के लिए तय्यार नही हूँ"
चाचा - " नही, मैं और नही चोदुन्गा तुम को. मैं तो तुम को कुछ दिखाना चाहता हूँ. आओ और मेरे मुलायम लंड को अपने मुँह मे ले कर फ़र्क महसूस करो"
मैं आगे आई और चाचा का नरम और मुलायम लंड अपने मुँह मे डाला. मुझे उनका नरम लंड बहुत अच्छा लगा. नरम लंड की सबसे अच्छी बात ये थी कि मैने पूरे का पूरा लंड अपने मुँह मे ले लिया और उसको आइस क्रीम के जैसे चूसने लगी. तुरंत ही मैने महसूस किया कि चाचा का नरम लंड बड़ा होता जा रहा है जैसे उसमे हवा भरी जा रही हो. उनका लंड बड़ा और कड़क होता चला गया. जल्दी ही चाचा का लंड वैसा खड़ा हो गया जैसे लंड ने मुझे चोदा था. लंबा, बड़ा, मोटा और कड़क. जैसे जैसे उनका लंड बड़ा होता गया, मेरे मुँह से बाहर निकलता चला गया और अब मेरे मुँह मे सिर्फ़ उनके मोटे लंड का मुँह ही रह गया था जिस को मैं चूस रही थी. चाचा को मेरी लंड चुसाइ मे मज़ा आने लगा और वो मुझे और ज़ोर से चूसने को कहने लगे. मैने वैसा ही किया. फिर उन्होने मुझे लंड चूसने का सही तरीका बताया.
उन्होने अपने लंड के मुँह की चॅम्डी नीचे करके लंड के मुँह को बाहर निकाला, मेरे मुँह मे दिया और मुझे लंड को नीचे से पकड़ कर मूठ मारने को कहा. मैं उनके लंड का आगे का भाग चूस रही थी और नीचे के भाग को टाइट पकड़ कर उपर नीचे करते हुए मूठ मार रही थी. चाचा के मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी. मैं उनका लंड चूसने के साथ ही साथ मूठ भी मारती जा रही थी और मैने महसूस किया कि उनका पहले से मोटा लंड और भी मोटा और पहले से लंबा लंड और भी लंबा हो गया है.
वो बोले " ओके, जूली, क्या तुम मेरे लंड का स्वदिस्त रस पीना चाहती हो? तुम ने ज़रूर अपनी मा को पापा के लंड का रस पीते हुए देखा होगा कभी."
चाचा सही कह रहे थे. मैने कई बार अपनी मा को ऐसा करते हुए देखा था. मैने उनका लंड चूस्ते हुए और मूठ मारते हुए अपनी गर्दन "हां" मे हिलाई. मैं भी मर्द के लंड का रस चखना चाहती थी.
चाचा ने मुझे रुकने को कहा. अब उन्होने अपना लंड खुद के हाथ मे ले लिया था. वो अपना लंड पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से आगे - पीछे, उपर - नीचे करने लगे. मेरा मुँह अभी भी उनके हिलते हुए लंड के पास था. चाचा की पकड़ उनके खुद के लंड पर ज़ोर की थी और वो बहुत तेज़ी से अपने लंड को हिलाते हुए मूठ मार रहे थे जैसे कि कोई मशीन हो. वो अपनी मूठ मारने की स्पीड बढ़ाते गये, लंड को आगे-पीछे करते गये और फिर वो बोले" अपना मुँह खोलो बेबी. रस निकलने वाला है......... ओह....... आ......... ऊओह ........... ऊओह........ "
मेरा मुँह खुला हुआ था और मैं इंतेज़ार कर रही थी कि अचानक....... उनके लंड से सफेद धार निकली और मेरा मुँह भर गया. मैने अपना मुँह बंद किया और उनके लंड रस को पी गयी. मुझे वो बहुत अच्छा लगा. थोड़ा सा नमकीन सा था. उनके लंड से लगातार रस की धार निकलती जा रही थी और मेरी चुचियों पर गिरने लगी. उनका लंड रस निकालते हुए नाच रहा था. उनके लंड का कुछ रस उनके अपने हाथ पर भी लगा था. जब उन्होने अपने लंड पर से अपना हाथ हटाया तो मैने उनके हाथ को चाट कर सॉफ कर्दिया. उन्होने भी मेरी चुचियों पर लगा खुद का रस चाट कर साफ किया.
मैने अपने चाचा की आँखों मे पूरी तरह सन्तुस्ति के भाव देखे. मैं खड़ी हो कर फिर बाथरूम की तरफ बढ़ी अपने आप को सॉफ करने के लिए. मेरा दर्द अब काफ़ी कम हो गया था. मैने अपना बदन पानी से सॉफ किया और उसको पोन्छते हुए बाथरूम से बाहर आई. मैं बहुत धीरे धीरे चल रही थी क्यों कि वाइन मे डूबी कॉटन अभी भी मेरी चूत मे थी. फिर मेरे चाचा ने मुझे कपड़े पहनने से मना करते हुए बाथरूम गये और जब वापस आए तो उनके हाथ मे एक ट्यूब थी. वो मेरे पैरों के बीच मे बैठे और उनको चौड़ा किया. क्या चाचा फिर से चोद्ने जा रहें है मुझे, मैने सोचा. मैने कहा " चाचा. और नही आज. दर्द हो रहा है.
चाचा - "नही डार्लिंग, मैं चोद नही रहा हूँ. मैं कल भी नही चोदुन्गा तुझे. आज के लिए काफ़ी चुदाई हो गई तुम्हारी. अब जब तुम्हारी चूत बिल्कुल ठीक हो जाएगी तब चुदाई करेंगे. अभी तो मैं दवा लगा रहा हूँ तुम्हारी चूत मे ताकि तुम फिर से चुदाई के लिए दो तीन दिन मे तय्यार हो जाओ. फिर तुमको कोई दर्द नही होगा और सिर्फ़ मज़ा आएगा चुदाई का."
फिर उन्होने मेरी चूत से वाइन का कॉटन निकाल लिया और अपनी उंगली से धीरे धीरे मेरी चूत मे दवा लगाने लगे. उन्होने अपने हाथों से मेरी चूत पर हल्की सी मालिश की. अपनी उंगली मेरी चूत के होल मे डाल कर अंदर तक दवा लगाई. फिर उन्होने मेरी मदद की मेरे कपड़े पह्न ने मे. उन्होने अपने कपड़े भी पहने और कहा" आओ डार्लिंग. मैं तुम्हे तुम्हारे बिस्तर तक पहुँचा दूं." फिर पहले की तरह उन्होने मुझे अपनी बाहों मे उठाया और मुझे मेरे बेडरूम मे ले आए. वो मेरे कान मे बोले " स्वीट ड्रीम्स बेबी! सुबह मिलते है. कल स्कूल मत जाना" फिर उन्होने मेरा चुंबन लिया और मेरे बेडरूम का दरवाजा बंद करते हुए अपने बेडरूम मे चले गये. मेरी चूत का दर्द काफ़ी कम, ना के बराबर था अब.
फिर ये सोचते हुए ना जाने कब मेरी आँख लग गई कि आज मैने अपने चाचा से अपनी चूत की चमत्कारिक चुदाई करवा के अपनी चूत की चटनी बनवाई है. वाह मेरी चूत चोदु चाचा.
मैं अपनी नॉर्मल लाइफ एंजाय कर रही थी और साथ ही साथ अपनी सीक्रेट चुदाई की लाइफ भी एंजाय कर रही थी अपने चाचा के साथ. मेरी चुदाई चाचा के साथ बिना किसी को पता चले आराम से चल रही थी. अभी भी, जब भी मौका मिलता है, मैं अपने मा - बाप को चुदाई करते हुए ज़रूर देखती थी और चुदाई मेरे जीवन का एक ज़रूरी हिस्सा बन गयी थी.
मैने अपने चाचा से चुदाई के बारे मे बहुत कुछ या यूँ कहिए कि सब कुछ जान लिया था और मैं अपने आप को अब चुदाई की एक्सपर्ट समझती हूँ.
मेरे बदन मे अब तेज़ी से परिवर्तन होने लगे थे और मेरा बदन बहुत सुंदर हो चला था. पता नही इसके पीछे क्या कारण था, मेरी लगातार चुदाई या मेरी जवानी की तरफ बढ़ती उमर. मैं एक पूरी जवान लड़की लगने लगी थी अपनी 16/17 साल की उमर मे. मैं बहुत ही खूबसूरत हो गई थी और मेरे बदन का नाप ऐसा हो गया जो हर लड़की का सपना होता है. मैं जानती थी कि दूसरी लड़कियाँ मेरा सुंदर चेहरा और कटीला बदन देख कर मुझ से जलती थी. मेरी चुचियाँ कोई बहुत बड़ी नही थी लेकिन गोल गोल थी और कड़क थी जो किसी भी मर्द को आकर्षित कर लेती है. मेरी गोल गोल गंद बहुत अच्छे शेप मे विकसित हुई थी और जब मैं चलती हूँ तो बहुत ही सेक्सी अंदाज़ मे मटकती और हिलती है.
मैं यहाँ लिखना चाहूँगी कि मेरे चाचा और मैने चुदाई का कोई भी मौका कभी भी नही छ्चोड़ा था. जब भी मौका मिलता था हम ज़रूर चुदाई करते थे. कई बार तो हम ने फटाफट चुदाई भी की है जब दूसरा कोई आस पास हो या दूसरे कमरे मे हो. ऐसे रोमांच का मज़ा ही अलग है. कभी कभी जब मैं अचानक गरम हो जाती थी और चुदना चाहती थी तो हम एक फटाफट चुदाई कर लेते थे. कभी बाथरूम मे, कभी किचन मे, कभी सीढ़ियों मे, और कभी कभी तो कार की पिछली सीट पर, कार को किसी सुनसान रास्ते पर साइड मे पार्क करके. ऐसी फटाफट चुदाई मे हम अपने पूरे कपड़े नही उतार ते थे. मैं अपनी चड्डी उतार देती थी ताकि मौके के हिसाब से अपने पैर चौड़े कर सकूँ / फैला सकूँ ताकि चाचा मुझे आराम से चोद सके. या तो मैं अपनी नीचे पहनी हुई ड्रेस उपर कर लेती थी या नीचे सरका लेती थी. चाचा अपना लंड अपनी पॅंट की ज़िप खोल कर अपनी चड्डी के होल से बाहर निकाल लेते थे. इस तरह की फटाफट चुदाई मे दूसरे कामों मे वक़्त जाया ना करके हम सीधे सीधे चुदाई मे ही लगजाते थे. चाचा अपना लंड मेरी चूत मे घुसा कर मुझे फटाफट चोद देते थे और किसी को पता चलने के पहले ही हमारी चुदाई पूरी हो जाती थी बिल्कुल कम समय मे, फटा फट. इंग्लीश मे इसको "क्विकी" कहतें है.
मैने अपनी एचएससी की पढ़ाई पूरी करने के बाद कॉलेज मे अड्मिशन ले लिया था. अभी कॉलेज खुलने मे काफ़ी दिन थे तो मैं अपने पापा के बिज़्नेस मे उनका साथ देने लगी. मेरे पापा और चाचा का आम और काजू की खेती का बिज़्नेस है. मेरे चाचा इन चीज़ों की एक्सपोर्ट मार्केटिंग का काम देखते है. मैं भी उनका हाथ बाँटने लगी अपने फर्म प्रॉडक्ट्स की एक्सपोर्ट मार्केटिंग मे. मेरे पापा फार्म हाउस और खेती का काम देखतें है.
चाचा का जर्मनी और स्विट्ज़र्लॅंड जाने का प्रोग्राम बन रहा था काम के सिलसिले मे और उन्होने मेरे पापा से कहा कि कॉलेज खुलने मे अभी काफ़ी समय है तो ये अच्छा रहेगा अगर जूली भी उनके साथ जाए और उन लोगों से मिले जिनको हम एक्सपोर्ट करतें है. मेरे पापा ने हां करदी तो मैं अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए तय्यार होने लगी. हम ने स्विस एर की फ्लाइट से दो टिकेट ज़ूरिच (स्विट्ज़र्लॅंड) के बुक करवाए और हमारी फ़्लाइट मुंबई से थी.
हम ने गोआ से मुंबई की फ़्लाइट पकड़ी और मुंबई आ गये हमारी आगे की स्विट्ज़र्लॅंड की यात्रा के लिए. हम ने चेक इन किया और इंतेज़ार करने लगे. हमारी फ्लाइट छूटने का वक़्त रात के 1.20 का था. मैने देखा कि फ़्लाइट के लिए कोई ज़्यादा पॅसेंजर्स नही है. शायद फ्लाइट के लिए 50 से 55% पॅसेंजर्स ही थे. हम प्लेन के अंदर गये और हमारा प्लेन स्विट्ज़र्लॅंड के लिए उड़ा. वो एक लंबा सफ़र था करीब 8.5 घंटे का. स्विट्ज़र्लॅंड के टाइम के हिसाब से हम वहाँ सुबह 6.20 पर पहुँचने वाले थे. हम को 8.5 घंटे हवा मे रहना था. मैने देखा कि ज़्यादातर लोग एक या दो ड्रिंक लेने के बाद सो गये थे. हमारी सीट बीच मे 4 पॅसेंजर्स बैठने वाली जगह पर थी, पर बाकी की दो सीट खाली थी. चार की जगह पर हम दो ही, मैं और मेरे चाचा बैठे थे. मतलब हमारे पास पूरी जगह थी आराम करने की. चाचा पहली सीट पर बैठ गये और मुझे बाकी की तीन सीट्स का हॅंडेल उपर कर के सो जाने को कहा. मैने वैसा ही किया. मैं चाचा की गोद मे सिर रख कर आराम से सो गई. मेरा मुँह चाचा के पेट की तरफ था और मैने कंबल ओढ़ लिया अपनी गर्दन तक. प्लेन मे अंधेरा जैसा था क्यों कि कम रोशनी की लाइट ही जल रही थी और पूरी तरह शांति थी. चाचा का एक हाथ मेरे सिर पर था और वो प्यार से मेरे बालों मे हाथ फेरने लगे और मैने चाचा का दूसरा हाथ पकड़ कर कंबल के अंदर, मेरी चुचियों पर रखा और फिर मैं कब सो गई मुझे पता भी नही चला. मैने सपने मे देखा कि कोई कोई मेरे गालों पर बड़े प्यार से हाथ लगा रहा है. मुझे सपने मे बहुत ही अच्छा लग रहा था कि कोई मुझे प्यार कर रहा है. अचानक मेरी आँख खुल गई और मैने देखा की वो सपना नही था.
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