Nangi Sex Kahani नौकरी हो तो ऐसी
12-20-2018, 01:28 AM,
#11
RE: Nangi Sex Kahani नौकरी हो तो ऐसी
मैने उसके सर को पकड़ा और उस पर हाथ रखकर आगे पीछे करने लगा और मेरे लंड को उसके मूह के अंदर अंदर घुसेड़ने लगा. उसके मूह से "गुगगुगग्गगुउुगु गु उउउउउ गु गु" आवाज़े निकल रही थी और मैं मुखमैथून से आनंदित हो रहा था. अब मुझसे बर्दाश्त नही हुआ और मैने अपना पूरा वीर्य उसके मूह के अंदर तक छोड़ दिया. वो इस धक्के से अंजान थी और जब तक उसे कुछ भी समझ आए मैने आधा वीर्य उसके गले तक धकेल दिया था. और उसका मन ना होते हुए बचा आधा वीर्य उसे पीने को कहा.उसने मन ना होते हुए भी वीर्य पी लिया और मेरे गीले लंड को मूह मे अपने जीभ से सॉफ करने लगी. 

मैं अब नीचे गिर गया और वो भी मेरे उपर गिर गयी. उसकी चुचिया मेरे पेट से चिपकी हुई थी. मेरे पेट मे अजीब सी और बहुत ही ठंडक महसूस हो रही थी. थोड़ी देर तक हम ऐसे ही चिपके रहे उसके बाद मे मैने उसके चूत मे उंगली डाली परंतु मुश्किल से एक उंगली अंदर जा पा रही थी. उसमे भी उसके चेहरे पर चिंता बढ़ा दी थी. क्यू कि मैं जैसे ही थूक लगा के उंगली अंदर डालता उसे दर्द होने लगता. 

अब मैने उसे खड़ा कर दिया. और मैं उसके सामने सीधे खड़ा हो गया और मेरे लंड महाशय को उसकी चूत के उपर निशाना लगाके थूक से लंड महाशय का सूपड़ा गीला करके चूत पर लगा दिया. उसका एक हाथ मेरे छाती पर था. जैसे ही मैने लंड अंदर डालना शुरू किया. मेरे लंड का सूपड़ा उसकी चूत की टाइट होंठो से भिड़ाने लगा. अब मैने ज़रा ज़ोर्से चूत के अंदर सूपड़ा घुसाने की कोशिश की और लंड का सूपड़ा थोड़ा अंदर चला गया, जैसे की उसका एक हाथ मेरे छाती पे था. वो मुझे पीछे धकेलने लग गयी. और उसके मूह से "उईईइ माआआआअ…उई मा " की आवाज़े निकलनि शुरू हो गयी. 

जैसे कि उसकी चूत बड़ी ही टाइट और बिन चुदी थी मुझे बहुत ही प्रयास करने पड़ रहे थे, परंतु उसमे भी एक आनंद था. अब मैने उसे मेरे लंड पे थूकने को कहा और उसको मैने अपने छाती से कस्के पकड़ लिया पूरी ताक़त लगा के, अब तक तो उसे पता ही चल गया था कि अब तो उसकी खैर नही वो थोडिसी झिजक रह थी मैं एक हाथ से लंड को चूत के होल के निशाने पे लगाया, और उसे अपनी छाती से दबाते हुए, पूरी ताक़त से ज़ोर का झटका मारा, "आआआआआआआहह…..उवूऊयियैयियैयीयियी….माआआअ….मार गेयी….एयाया…उउउउउ.ईईईई" 
उसकी मूह से ज़ोर्से आवाज़ निकली और निकलती रही, उसकी चूत का हाइमेन फट गया था और खून निकलने लगा था उसे बहुत ही दर्द होना शुरू हो गया, वो मुझसे छूटने की कोशिश कर रही थी परंतु मैने कस्के पकड़ने के कारण कुछ ना कर पाई, नीचे उसकी चूत से खून की लाल रंग की बूंदे टपक रही थी और ज़ोर के धक्के के बजह से वो एकदम डर गयी थी और उसे दर्द असहनीय हो रहा था. 

अब मैने धीरे धीरे करके उसे सहलाते हुए धक्को को कंट्रोल मे लाया और आधे से उपर लंड उसकी चूत मे घुसेड़ने मे कामयाब रहा, और उसे भी अब चूत गीली होने के वजह से मज़ा आने लगा पर बहुत ही कम, वो दर्द से बिलख रही थी और उसकी आँखो के कोने से थोड़ा थोड़ा पानी आसू बन के टपक रहा था. नवेली दुल्हन अभी कुँवारी चूत की नही रही थी, अभी वो सौभाग्यवती बन गयी थी. मैने धक्को की गति बढ़ाई अभी उसे और मज़ा आने लगा और वो मेरा चुदाई मे साथ देने लगी. 

मुझे अब पूरा लंड उस मासूम कली के अंदर डालने की इच्छा हो रही थी, इसलिए मैने अब पोज़िशन बदली और उसे कुत्ती की तरह खड़ा किया और पीछेसे उसकी पीठ से चिपक के उसे अपनी बाहो मे भर के पूरे लंड को पूरा अंदर बाहर निकाल के धक्के मारने लगा, वो अभी झड़ने वाली थी, थोड़ी ही देर मे वो दो बार झाड़ गयी, उसके मूह पे अभी थोड़ी खुशी और थोड़ा दर्द महसूस हो रहा था और वो चुदाई मे अब मेरा पूरा साथ दे रही थी. 

मैने बीच मे लंड को उसके मूह मे दिया और उसने थूक डाल के चूत के रस से उसे मिक्स करके चूसने लगी, और मेरे लंड को गीला कर दिया, मेरा लंड एकदम आकर्षक और बहुत ही बड़ा और मोटा दिख रहा था, वो इतनी चुदाई होने के बाद भी आगे चुदाई की जाए इस बात के लिए मन से तैयार नही थी, मैने अभी उसे अपनी बाहो मे उठाया और अब मेरेपे जानवर सवार हो गया, जैसे कि उसका सब नियंत्रण अब मेरे हाथो मे था, मैने ज़ोर के झटके मार मार के अपना पूरा भरा, मोटा, लंबा लंड उसके चूत मे घुसेड दिया और वो दर्द से और ज़्यादा बिखलने लगी….. 10 इंच का मेरा हथोदा उसके सहन से बिल्कुल ही बाहर था….बेचारी बहुत ही नाज़ुक कली थी…अब उसका फूल बना दिया था मैने …अब मेरे मूह से ज़ोर्से आवाज़े निकलने लगी, मैने अपना वीर्य उसकी चूत मे अंदर तक डाल दिया और मुझे बहुत ही आनंद महसूस होने लगा. 

थोड़ी देर के बाद मैं अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाला तो मैने उसे उसके मूह मे थमा दिया, वो बेचारी अपने मूह से वीरयमिश्रित लंड को सॉफ कर रही थी, और वीर्य चूस भी रही थी. एक दिन मे मैने उसे इस खेल मे माहिर बना दिया था, उतने मे ही बाथरूम के दरवाजे पर क़िस्सी के हाथ की ठप पड़ी. 

मैने हल्केसे बाथरूम का दरवाजा खोला, तो बाहर चाइवाला राधे खड़ा था, मैं उसे देख के थोड़ा मुस्कुराया और 
उसे बोला "वाह राधे, तूने दिल खुश कर दिया आज तो मेरा , अब तुझे खुश मैं करूँगा!! " 
राधे बोला " मेरे लिए, क्या करोगे आप बाबूजी…. " 
मैं बोला "कुछ नही बस रात को दस बजे मेरे कॅबिन के बाहर आ जाना ….ठीक है….."
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