11-24-2019, 12:14 PM,
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RE: non veg kahani एक नया संसार
अजय सिंह और प्रतिमा दोनो जानते थे कि रितू अपने कदम अब वापस नही करेगी। इस लिए चुप रह गए किन्तु अंदर से ये सोच सोच कर घबरा भी रहे थे कि अगर रितू पुलिस आफिसर के रूप में अपने दादा दादी के एक्सीडेंट वाला केस अपने हाॅथ में लेगी तो क्या होगा?????"
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अजय सिंह अपने आफिस के शानदार केबिन में रिवाल्विंग चेयर पर बैठा कुछ फाइलों को इधर उधर रख रहा था कि तभी उसके केबिन का डोर नाॅक हुआ।
"कम इन।" उसने बिना सर उठाए ही कहा।
इसके साथ ही केबिन का डोर खुला और एक ब्यक्ति अंदर दाखिल हुआ। पचास से पचपन की उमर का वो मोटा सा आदमी था, आखों पर मोटे लैंस का चश्मा लगा रखा था उसने। उसके दाहिने हाॅथ में एक फाइल थी। चेहरे पर बारह बजे हुए थे। बड़ी ही दयनीय स्थिति में अपनी जगह खड़ा था।
केबिन के अंदर पैना सन्नाटा छाया रहा। अजय सिंह को जब ध्यान आया कि अभी कोई उसके केबिन में आया है तो उसने सिर उठा कर सामने देखा। नजर केबिन में आने वाले ब्यक्ति पर पड़ी, साथ ही उसकी वस्तुस्थिति पर तो अजय सिंह चौंका।
"क्या बात है दीनदयाल?" अजय सिंह ने पूछा__"तुम्हारे चेहरे पर इतना पसीना क्यों आ रहा है? तुम्हारी तबियत तो ठीक है न?"
"स सर व वो वो।" दीनदयाल हकलाते हुए बोलना चाहा।
"क्या हुआ?" अजय सिंह बोला__"तुम इस तरह हकला क्यों रहे हो भई?"
"सर बहुत बड़ी गड़बड़ हो गई।" दीनदयाल रो देने वाले लहजे में बोला था__"हम बरबाद हो गए।"
"ये क्या बक रहे हो तुम?" अजय सिंह बुरी तरह चौंका__"तुम होश में तो हो न?"
"मैं पूरी तरह होश में हू सर।" दीनदयाल बोला__"सब कुछ बरबाद हो गया सर।"
"साफ साफ बोलो दीनदयाल।" अजय सिंह तीखे सुवर में बोला__"यू पहेलियाॅ न बुझाओ। ऐसा क्या हुआ है जिससे तुम सब कुछ बरबाद हो जाने की बात कर रहे हो?"
"सर पिछले महीने।" दीनदयाल बोला__"हमें जो करोड़ों का टेंडर मिला था वह सब महज एक फ्राड था।"
"क क्या मतलब?" अजय सिंह बुरी तरह चौंका था।
"मतलब साफ है सर।" दीनदयाल बोला__"हमें जिस फाॅरेन की पार्टी से करोड़ों का टेंडर मिला था वो सब झूठ था। हमें बरबाद करने के लिए यह किसी की सोची समझी चाल थी। हमने उस टेंडर के हिसाब से आज एक महीने से भारी मात्रा में कपड़े तैयार किये हैं जिसके लिए हमें करोड़ों की लागत का खर्च करना पड़ा किन्तु अब सब कुछ बरबाद हो गया।"
अजय सिंह ये सुनकर किसी स्टेचू की तरह बिना हिले डुले बैठा रह गया। ऐसा लग रहा था जैसे ये सब जानकर उसे साॅप सूॅघ गया था। चेहरा निस्तेज हो गया था उसका।
"हमने यकीनन बहुत बड़ा धोखा खाया है सर।" दीनदयाल हतास भाव से बोला__"हमें इस बारे में सोचना चाहिये था। अब क्या होगा सर, हम इतने बड़े नुकसान की भरपाई कैसे कर सकेंगे?"
"उसके बारे में कुछ पता किया तुमने?" अजय सिंह ने अजीब भाव से पूछा।
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RE: non veg kahani एक नया संसार
"लेकिन आप ये कैसे पता लगाएंगे कि किसने आपके साथ ये सब किया है?" प्रतिमा ने कहा__"जबकि आपके पास उसके बारे में कोई सबूत नहीं है। अगर आप ये समझते हैं कि उनके चेहरे की बिना पर उन्हें खोजेंगे तो तब भी आप उन्हें नहीं खोज पाएंगे।"
"तुम ऐसा कैसे कह सकती हो भला?" अजय सिंह चौंकते हुए बोला था।
"सीधी सी बात है।" प्रतिमा ने कहा__"वो जो भी थे आपसे या आपके पीए से हमेशा फाॅरेनर की वेशभूसा या शक्ल में ही मिले थे। मतलब साफ है कि वो लोग शुरू से ही आपसे या आपके पीए से अपनी असलियत छुपाना चाह रहे थे, ये भी कि आपको तथा आपके पीए को उनके बारे में ज़रा सा भी किसी प्रकार का शक न हो। आज ये आलम है कि वो अपने मकसद में उसी तरह कामयाब हो कर गायब हो गए जैसा उन्होंने कर गुज़रने का प्लान बनाया रहा होगा।"
अजय सिंह अपनी बीवी की इस बात को सुन कर अवाक् सा रह गया। प्रतिमा को इस तरह देखने लगा था वह जैसे प्रतिमा की गर्दन अपने धड़ से अलग हो कर हवा में कत्थक करने लगी हो।
"क्या मैंने कुछ ग़लत कहा डियर?" प्रतिमा ने मुस्कुराते हुए पूछा।
"कभी कभी तुम्हारा दिमाग़ भी किसी सफल जासूस की तरह चलता है।" अजय सिंह बोला__"यकीनन तुम्हारा ये तर्क अपनी जगह एक दम दुरुस्त है। तुम्हारी बातों में वजन है, और अगर तुम्हारी इस बात के अनुसार सोचा जाए तो अब हमारे लिए ये बेहद मुश्किल काम है उन लोगों को ढूॅढ़ पाना।"
"वकालत की पढ़ाई आपने ही नहीं बल्कि मैंने भी की है जनाब।" प्रतिमा ने हॅस कर कहा__"ये अलग बात है कि मैंने इस पढ़ाई के बाद वकील बन कर किसी कोर्ट में किसी के पक्ष में वकालत नहीं की।"
"अच्छा ही किया न।" अजय सिंह ने भी हॅस कर कहा__"वर्ना बड़े बड़े वकीलों की छुट्टी हो जाती।"
"ऐसा आप कह सकते हैं।" प्रतिमा ने अर्थपूर्ण लहजे में कहा__"क्योंकि आपको ही अपनी छुट्टी हो जाने का अंदेशा हुआ नज़र आया है।"
"तुम ऐसा सोचती हो तो चलो ऐसा ही सही।" अजय सिंह बोला__"लेकिन इस बारे में अब तुम्हारा क्या खयाल है, मेरा मतलब कि अब हम कैसे उन लोगों का पता लगाएंगे?"
"सब कुछ बहुत सोच समझ कर पहले से ही प्लान बना लिया था उन लोगों ने।" प्रतिमा ने सोचने वाले भाव से कहा__"इस लिए इस बारे में पक्के तौर पर कुछ कहा नहीं जा सकता कि वो हमारे द्वारा पता कर ही लिए जाएंगे।"
अजय सिंह का खयाल भी यही था इस लिए कुछ बोला नहीं वह।जबकि,,,,
"वैसे आपका अपने उस भतीजे के बारे में क्या खयाल है?" प्रतिमा ने कहा__"हो सकता है ये सब उसी का किया धरा हो?"
"नहीं यार।" अजय सिंह कह उठा__"उससे इस सब की उम्मीद मैं नहीं करता। क्योंकि जिस तरह से सोच समझ कर तथा प्लान बना कर हमसे धोखा किया गया है वैसा करना विराज के बस का रोग़ नहीं है। वो साला तो किसी होटल या ढाबे में अपने साथ साथ अपनी माॅ बहन को भी कप प्लेट धोने के काम में लगा दिया होगा। इतना कुछ करने के लिए दिमाग़ चाहिए और फाॅरेनर लुक पाने के लिए ढेर सारा पैसा जो उसके पास होने का कोई चान्स ही नहीं है। तुम बेवजह ही इस सबके पीछे उसको ही जिम्मेदार ठहरा रही हो प्रतिमा।"
"हमें हर पहलू पर गौर करना चाहिए डियर हस्बैण्ड।" प्रतिमा ने कहा__"एक अच्छा इन्वेस्टिगेटर वही होता है जो हर पहलू के बारे में सोच विचार करे। ज़रा सोचिए...इस तरह की घटनाएं तभी से शुरू हुईं हैं जबसे विराज अपने साथ अपनी माॅ बहन को लेकर यहाॅ से मुम्बई गया है। इसके पहले आज तक कभी भी ऐसी कोई बात नहीं हुई। उसका हमारे बेटे को बुरी तरह मार पीटकर यहाॅ से जाना, ट्रेन से अपनी माॅ बहन सहित रहस्यमय तरीके से गायब हो जाना, और अब ये.....आपका किसी के द्वारा इस तरह धोखा खा कर नुकसान हो जाना। ये तो आपको भी पता है कि कोई दूसरा आपके साथ ऐसा नहीं कर सकता फिर बचता कौन है??"
अजय सिंह के दिलो दिमाग़ में अचानक ही मानो धमाके से होने लगे। प्रतिमा द्वारा कहा गया एक एक शब्द उसके मनमस्तिष्क पर गहरी चोंट कर रहा था। जबकि....
"वर्तमान समय में अगर कोई आपके खिलाफ खड़ा हो सकता है तो वो है विराज।" प्रतिमा गंभीरता से कह रही थी__"आपसे जिसे सबसे ज्यादा तक़लीफ है तो वो है विराज। बात भी सही है डियर हस्बैण्ड...हमने उनके साथ क्या क्या बुरा नहीं किया। हर दुख दिये उन्हें, यहां तक कि हमारी वजह से आज वो अपने ही घर से बेघर हैं। ख़ैर...इन सब बातों के कहने का मतलब यही है कि मौजूदा हालात में इस सबके पीछे अगर किसी पर सबसे ज्यादा उॅगली उठती है तो सिर्फ विराज पर।"
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