non veg kahani एक नया संसार
11-24-2019, 01:07 PM,
RE: non veg kahani एक नया संसार
"कोई ज़रूरत नहीं तुझे हमारे साथ जाने की।" नीलम ने सहसा तुनक मिजाज़ी से कहा___"हम दोनो खुद ही देख लेंगे। क्यों दीदी?"
"बात तो तेरी सही है।" सोनम ने कहा___"लेकिन शिवा को भी साथ ले लेंगे तो कोई दिक्कत थोड़ी न है। आख़िर भाई है वो हमारा। हमारे साथ रहेगा तो हमें भी कंफर्टेबल फील होगा। है न मौसी?"

"बिलकुल ठीक कहा तुमने बेटा।" प्रतिमा ने मुस्कुराते हुए कहा___"लेकिन अगर ये जाएगा तो नीलम और ये दोनो आपस में झगड़ा ही करेंगे। इस लिए एक काम करो बाहर खड़े हमारे सुरक्षा करने वाले आदमियों में से एक दो को साथ ले जाओ। वो क्या है न ज़माना बहुत ख़राब है। कोई ऊॅच नीच हो गई तो समस्या हो जाएगी। इस लिए तुम दोनो के साथ में दो सुरक्षा करने वाले आदमी रहेंगे तो मैं भी बेफिक्र रहूॅगी।"

"हाॅ ये ठीक रहेगा माॅम।" नीलम ने शिवा को चिढ़ाने के लिए अपनी जीभ दिखाते हुए कहा___"इस लंगूर से तो वो ही अच्छे रहेंगे। हमें भी लगेगा कि उनके रहते हम पर कोई ऑच नहीं आएगी। इसके रहते तो कोई भी हमें छेंड़ सकता है और ये बेचारा मार के डर से कुछ बोल भी नहीं पाएगा।"

"ओये क्यों मेरे भाई को ऐसा बोल रही है तू?" सोनम ने ऑखें दिखाते हुए कहा___"अच्छा भला स्मार्ट तो है हमारा भाई। तेरी ऑखें ख़राब हैं जो तुझे वो लंगूर नज़र आता है।"

"आपने सही कहा दीदी।" शिवा ने आवेश में सोनम को दीदी कह तो दिया मगर अगले ही पल उसकी आवाज़ काॅप गई। मन ही मन उसे अपनी बेबसी पर बेहद क्रोध आया मगर फिर खुद को सम्हाल कर बोला___"जो खुद ही बंदरिया जैसी हों उन्हें सामने वाला लंगूर ही दिखेगा न।"

"ओये तमीज़ से बात कर समझा।" नीलम ने घुड़की सी दी उसे___"भूल मत कि मुझसे छोटा है तू और फिर अगर मैने तुझे लंगूर कह भी दिया तो क्या हो गया? मैने तो तुझे प्यार से लंगूर कहा है।"

"वाह दीदी वाह।" शिवा कह उठा___"प्यार से कहने के लिए लंगूर शब्द ही मिला था आपको? देख लीजिए माॅम, मैं छोटा हूॅ तो सब मुझसे अपने बड़े होने का रौब झाड़ते हैं।"

शिवा ने इतनी मासूमियत से ये कहा था कि सोनम के होठों पर मुस्कान उभर आई। वो तुरंत ही शिवा के बगल पर जाकर बैठी और फिर उसे अपने साइड से छुपका कर बोली____"जाने दे न भाई। ये छिपकली तो है ही दिमाग़ से पैदल लेकिन मैने तो तुझे ऐसा वैसा कुछ नहीं कहा न? मुझे पता है तू हमारा सबसे स्वीटेस्ट भाई है। चल अब नाराज़गी छोंड़ और मुस्कुरा कर दिखा। उसके बाद हमें घूमने भी जाना है।"

सोनम की बातों का असर पलक झपकते ही शिवा पर न हो ऐसा तो अब हो ही नहीं सकता था। वैसे भी अब तो अगर वो उसे ज़हर खाने को भी बोलती तो वो खुशी से खा लेता। ख़ैर सोनम के कहने पर उसके इस तरह उसे छुपका लेने पर शिवा का चेहरा ताज़े खिले गुलाब की मानिंद खिल उठा था। इस वक्त वो इतना खुश हो गया था कि अब अगर उसे मौत भी आ जाती तो वो उसके लिए भगवान से शिकवा न करता।

उधर प्रतिमा चुप बैठी इन तीनो की बातें सुन रही थी और नीलम व सोनम दोनो के ही चेहरों को बड़े ध्यान से देखे जा रही थी। जैसे समझना चाहती हो कि दोनो के मन में घूमने जाने के सिवा कुछ और तो नहीं है। शिवा को वो इन दोनो के साथ जान बूझ कर नहीं भेज रही थी। क्योंकि उसे पता था कि शिवा इस वक्त सोनम के प्यार में पागल है। सोनम ने अगर उसे किसी बात के लिए कहीं भेज दिया तो वो बिना कुछ सोचे समझे चला जाएगा और ये दोनो उसके चले जाने पर कुछ भी करने के लिए आज़ाद हो जाएॅगी। प्रतिमा इस बात के लिए मना भी नहीं कर सकती थी कि वो दोनो घूमने न जाएॅ। इसी लिए शिवा की जगह वो उन्हें सुरक्षा गार्ड्स को साथ में जाने का कह रही थी।

"तो कब जाना है तुम दोनो को?" फिर प्रतिमा ने पूछा।
"कब जाना है क्या मतलब है माॅम?" नीलम ने कहा___"हम दोनो तो तैयार होकर आ ही गए हैं और जा ही रहे थे।"
"चलो ठीक है।" प्रतिमा ने कहने के साथ ही शिवा की तरफ देखा___"बेटा जाओ तुम गेस्ट हाउस से दो आदमियों को बोल दो। वो इन दोनो के साथ चले जाएॅगे।"

प्रतिमा के मन में अचानक ही गेस्ट हाउस में ठहरे उन आदमियों का ख़याल आया था। जिन्हें अजय सिंह के बिजनेस संबंधी दोस्त मदद के लिए भेज गए थे। नीलम व सोनम के साथ उनमे से ही किन्हीं दो आदमियों को भेजना उचित लगा था उसे। वो हर तरह से इन दोनो की सुरक्षा कर सकते थे। उसे अपने आदमियों की काबीलियत पर अब कोई भरोसा नहीं रह गया था। ख़ैर प्रतिमा के कहने पर शिवा सोफे से उठा और बाहर की तरफ चला गया।

"तो तुम दोनो कैसे जाओगी यहाॅ से?" प्रतिमा ने शिवा के जाते ही पूछा___"मेरा मतलब है कि घूमने के लिए किसी कार या जीप से जाओगी या ऐसे ही पैदल जाना है?"
"इतना ज्यादा पैदल कौन चल पाएगा माॅम?" नीलम ने कहा___"पहले सारा गाॅव घूमना फिर खेतों की तरफ जाना। नहीं माॅम, इतना ज्यादा पैदल चलना मेरे बस का तो हर्गिज़ भी नहीं है।"

"हाॅ मुझे पता था यही कहोगी तुम।" प्रतिमा ने मन ही मन खुश होते हुए कहा___"ख़ैर, बाहर जीप खड़ी है। उसमे ही बैठ कर चले जाना और हाॅ उन आदमियों के साथ ही रहना।"
"ओके माॅम।" नीलम ने कहा___"वैसे आज लंच में क्या बनेगा? वो क्या है न मुझे आज आपके हाॅथ का बना बैगन का हलवा खाना है।"

"क..क्या कहा????" सोनम उसकी बात सुन कर बुरी तरह चौंकी थी। जबकि प्रतिमा कहने के साथ ही इधर उधर देखने लगी थी।
"भागो दीदी भागो।" नीलम सोनम का हाॅथ पकड़ कर खींचते हुए बोली___"वरना माॅम मेरे साथ साथ आपकी भी पिटाई करने लगेंगी डंडे से।"

सोनम को कुछ भी समझ में न आया कि ये अचानक हुआ है क्या है? बैगन का हलवा और फिर नीलम का ये कहना कि भागो वरना माॅम डंडे से पिटाई करने लगेंगी। सोनम को कुछ समझ न आया। ये अलग बात है कि नीलम के खींचने पर वह सोफे से उठ कर बाहर की तरफ ही लड़खड़ाते हुए भाग ली थी। जबकि इधर प्रतिमा उन दोनो के जाते ही मुस्कुरा कर रह गई थी।

नीलम व सोनम जैसे ही बाहर आईं तो देखा कि शिवा के साथ दो हट्टे कट्टे आदमी जीप के पास ही खड़े थे। शिवा उन्हें कुछ बता रहा था। ये देख कर नीलम व सोनम उस तरफ बढ़ चलीं। जीप के पास पहुॅचते ही वो दोनो शिवा के पास ही खड़ी हो गईं।

"दीदी ये दोनो आप लोगों के साथ जाएॅगे।" शिवा ने नीलम की तरफ देखते हुए कहा___"बाॅकी माॅम ने तो आपको सब कुछ समझा ही दिया होगा।"
"हाॅ समझा दिया है।" नीलम ने कहा___"और हाॅ इनको बोल दे कि हमारा हर कहना भी मानेंगे।"

"अरे दीदी ये सब कहने की ज़रूरत नहीं है।" शिवा ने कहा___"ये दोनो बहुत अच्छे और समझदार ब्यक्ति हैं। आपको पता नहीं है ये दोनो ही तगड़े फाइटर हैं। इनके रहते आप दोनो को कोई छू भी नहीं सकता।"
"ओह आई सी।" नीलम ने कहा___"फिर तो अच्छी बात है। चलिये दीदी जीप में बैठते हैं।"

थोड़ी ही देर में नीलम व सोनम जीप में बैठ गईं। एक आदमी जीप की ड्राइविंग शीट पर बैठ गया जबकि दूसरा उसके बगल में। जीप की पिछली शीट पर नीलम व सोनम बैठ गई थी। जीप जैसे ही चलने लगी तो शिवा ने सोनम की तरफ प्यार भरी नज़रों से देखते हुए बस इतना ही कहा घूम फिर कर जल्दी आइयेगा। उसकी इस बात पर नीलम व सोनम दोनो ही मुस्कुरा उठीं। किन्तु इस बार उनकी इस मुस्कान में ऐसा भेद छिपा था जिसे शिवा जैसा कूढ़मगज लड़का किसी भी तरह से नहीं समझ सकता था।
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