non veg kahani एक नया संसार
11-24-2019, 01:19 PM,
RE: non veg kahani एक नया संसार
"क्या मतलब??" अजय सिंह बुरी तरह चौंका___"कैसा फोन किया तुमने?"
"मेरे पास विराज का नंबर नहीं था।" प्रतिमा ने कहा___"और मेरी बेटी मेरा फोन उठाती ही नहीं थी। तब मैने सीधा पुलिस कमिश्नर को फोन किया। पुलिस कमिश्नर को इस लिए क्योंकि मौजूदा वक्त में जो कुछ भी हुआ उससे ये बात साबित हो चुकी थी कि रितू अपने पुलिस महकमें की सह पर ही वो सब कर रही थी। हलाॅकि मैं पूरी तरह श्योर नहीं थी। किन्तु फिर भी मैने एक बार कमिश्नर से बात करने का ही सोचा और फिर उन्हें फोन लगाया। फोन पर मैने कमिश्नर से साफ साफ शब्दों में बता दिया कि सिचुएशन क्या है। उसके बाद मैंने उनसे कहा कि मुझे एक बार विराज से बात करना है। उन्होंने मेरी बातों को बारीकी से सोचा समझा और फिर रितू को फोन किया और उससे विराज का नंबर लेकर मुझे दिया।"

"उस वक्त मैं और आदित्य बाहर घूमने गए थे जब मेरे फोन पर बड़ी माॅ का फोन आया था।" बड़ी माॅ की बात खत्म होते ही मैने तुरंत कहा___"इन्होंने मुझे फोन पर सारी बातें बता दी। हलाॅकि मुझे शुरू शुरू में इनकी बात पर ज़रा भी यकीन न हुआ। क्योंकि मैं सोच ही नहीं सकता था कि अभय चाचा हमारे साथ ऐसा कर सकते हैं। तब इन्होंने कहा कि ये अपनी बातों का सबूत तो नहीं दे सकती हैं मगर मैं खुद इस बात की जाॅच पड़ताल तो कर ही सकता हूॅ। दूसरी बात मुझे भी कहीं न कहीं लग रहा था कि अपनी बेटी के साथ हुए हादसे के चलते बड़ी माॅ में कुछ तो परिवर्तन आना ही चाहिए था। ख़ैर, इनकी ख़बर के बाद मैने भी वहाॅ पर रितू दीदी आदि को सब कुछ बता दिया और रात में ये सब होने का इंतज़ार करने के लिए कह दिया। वहीं मैने मुम्बई में भी पवन को फोन कर दिया था। उसे मैने समझाया था कि वो इस बारे में किसी से कुछ न कहे किन्तु अगर बड़े पापा का फोन उसके पास आए तो वो फोन का स्पीकर ऑन करके ज़रूर सबको इनकी बात सुनाए। क्योंकि उसके बाद तो उन्हें यहाॅ आना ही था। मैं भी अब खुल के इनके सामने आना चाहता था। किन्तु ये सब बहुत ही ज्यादा खतरनाक भी था। क्योंकि इससे किसी को भी कुछ भी हो सकता था। ख़ैर रितू दीदी ने कमिश्नर से बात की और उन्हें सारी बातों से अवगत कराया और पुलिस प्रोटेक्शन की माॅग भी की। कमिश्नर ने हमें बेफिक्र रहने को कहा। कल रात जब आप अपने दलबल के साथ हमारे ठिकाने पर पहुॅचे तब हम सब जाग रहे थे। आप ये समझ रहे हैं कि आप बड़ी आसानी से हम सबको बेहोश कर यहाॅ ले आए जबकि सच्चाई तो यही है कि आपका काम हमने खुद आसान किया था। वरना आप ही सोचिए कि ऐसे आलम में इतने लापरवाह हम कैसे हो जाएॅगे कि कोई आए और हम सबको बड़ी सहजता से बेहोश करके अपने साथ जहाॅ चाहे ले जाए। जबकि मैं चाहता तो उसी वक्त आप और आपके सभी आदमी मौत के घाट उतर चुके होते। मगर मैने अपने दोस्त शेखर के मौसा जी को उस रात वहाॅ पर सिक्योरिटी रखने से मना कर दिया था। उसके बाद क्या हुआ वो तो आप अच्छी तरह जानते ही हैं।"

"चलो अच्छा हुआ कि तुमने खुद ही ये सब बता दिया।" अजय सिंह ने भभकते हुए लहजे से कहने के साथ ही बड़ी माॅ की तरफ देखा___"पर तुमने ये सब करके अच्छा नहीं किया प्रतिमा और इसके लिए तुम्हें मौत से कम सज़ा तो हर्गिज़ भी नहीं मिल सकती।"

"कितनी आश्चर्य की बात है न अजय।" प्रतिमा ने फीकी सी मुस्कान के साथ कहा___"इतना कुछ होने के बाद भी तुम्हारा हृदय परिवर्तन नहीं हुआ। तुम्हें ज़रा भी एहसास नहीं हुआ कि ये जो कुछ भी तुमने किया है वो कितना ग़लत था। बल्कि अभी भी तुम वही सब करने पर आमादा हो जिसका नतीजा तुम्हारे लिए किसी भी सूरत में अच्छा नहीं हो सकता। आज तुम्हारी इस हालत को देख कर सचमुच मुझे तरस आ रहा है। आज मैं ये सोचने पर मजबूर हूॅ कि पच्चीस साल पहले मैने तुममे ऐसा क्या देखा था कि तुमसे इस क़दर प्यार कर बैठी थी? तुम किसी के नहीं हो सकते अजय, तुम अकेले ही ऐसी मौत मरोगे जिसकी लाश पर कीड़े पड़ेंगे।"

"हरामज़ादी कुतिया।" गुस्से में तिलमिलाए हुए अजय सिंह ने बड़ी तेज़ी से अपने रिवाल्वर वाले हाॅथ को ऊपर हवा में उठाया और फिर___धाॅय।

प्रतिमा के सबसे क़रीब अभय सिंह ही था। माहौल की नज़ाकत का जैसे उसे बखूबी एहसास था तभी तो उन्होंने गोली के चलते ही जम्प लगाई थी। किन्तु गोली की स्पीड ने अपना काम तमाम करने में कोई कसर न छोंड़ी थी। प्रतिमा को बचाने के चक्कर में गोली अभय सिंह के कंधे पर जा लगी थी। फिज़ा में अभय सिंह की दर्द से डूबी चीख़ निकल गई थी। अभय सिंह प्रतिमा को लिए ज़मीन पर उलटता चला गया था।

इधर इस नज़ारे को देख कर मैने भी अजय सिंह पर जम्प लगाई थी। मगर मेरे जम्प लगाने से पहले ही उसने एक और फायर कर दिया था। जिसका नतीजा ये हुआ कि इस बार गोली अभय सिंह के पेट में लगी थी। उस वक्त वो जल्दी से उठने की कोशिश कर रहा था तभी गोली आकर उसके पेट में लग गई थी। एक साथ कई चीखें फिज़ा में गूॅज गई थी। इधर तीसरा फायर करने से पहले ही मैं अजय सिंह के ऊपर आ गिरा था। इस गुत्थम गुत्था में सोनम दीदी भी लोट पोट हो गई थीं। अजय सिंह की पकड़ से छूटते ही सोनम दीदी अभय सिंह व प्रतिमा की तरफ चिल्लाते हुए दौड़ पड़ी थी।

इधर मैने अजय सिंह के उस हाॅथ में एक कराट मारी जिसमें वो रिवाल्वर लिये हुए था। कराट लगते ही अजय सिंह के हाॅथ से रिवाल्वर छूट कर गिर गया। मैने उस पर लात घूॅसों की बरसात कर दी। अजय सिंह हलाल होते बकरे की तरह चिल्लाने लगा। वह खुद भी हाॅथ पैर चला रहा था किन्तु सब ब्यर्थ। मैं उसके ऊपर से उठा और फिर उसे उठा कर पूरी ताकत से दूर फेंक दिया। हवा में लहराते हुए अजय सिंह दूर जा कर गिरा।

जहाॅ पर अजय सिंह गिरा था वहीं पर एक गन पड़ी थी। जिसे देख कर वह अपना हर दर्द भूल गया और झपट कर उसने उस गन को उठा लिया। तभी फिज़ा में पुलिस सायरन की आवाज़ गूॅजने लगी। अजय सिंह गन लेकर तुरंत पलटा और मेरी तरफ देखते हुए गन को ऊपर करने लगा। इससे पहले की वह गन का ट्रिगर दबा पाता कहीं से एक साथ दो फायर हुए। एक गोली सीधा अजय सिंह के सीने में दिल वाले स्थान पर लगी जबकि दूसरी उसके थोड़ा नीचे। पलक झपकते ही उन दोनो जगहों से खून की धार फूट पड़ी और अजय सिंह कटे हुए बृक्ष की भाॅति लहरा कर ज़मीन पर गिरा और फिर एकदम से शान्त पड़ गया।

फायर की आवाज़ से मैं बिजली की तरह पलटा था। अजय सिंह के दाहिनी तरफ कुछ ही दूरी पर शिवा रिवाल्वर लिए खड़ा था। उसके चेहरे पर अजीब से भाव थे। मैं उसे चकित भाव से देखे जा रहा था। जबकि वह अपने बाप को मारने के बाद पलटा और मेरी तरफ देखते हुए बोला____"अपने हाॅथ इस पापी के खून से मत रॅगो भाई। इसे इससे बड़ी सज़ा और क्या मिलेगी कि इसने जिसे सबसे ज्यादा प्यार किया उसी ने इसकी साॅसें छीन ली। नफ़रत के इस पुजारी को मर ही जाना चाहिए था।"

"मगर तूने..।" मेरा वाक्य अधूरा रह गया।
"कुछ मत कहिए भाई।" शिवा की आवाज़ लड़खड़ा गई, बोला___"मैं नहीं जानता कि मुझसे ये सब कैसे हो गया। मगर अंदर से कोई कह रहा है कि बहुत अच्छा किया तुमने। माॅ बाप अपने बच्चों को अच्छे संस्कार व स्वावलम्बी बनने की सीख देते हैं मगर मेरे इस बाप ने तो मुझे अपनी ही तरह बनने की सीख दी। ख़ैर छोंड़िये भाई, मुझे भी अब खुशी हो रही है कि मैने आज कोई अच्छा काम किया है। ये नियति मैने खुद चुनी है। अपने बाप के कत्ल के इल्ज़ाम में या तो मुझे फाॅसी हो जाएगी या फिर ऊम्र कैद। किसी से बेपनाह इश्क़ भी हुआ मगर सिर्फ मुझे ऊम्र भर तड़पाने के लिए। मैने अपने इस छोटे से जीवन में ही इतने ऊॅचे दर्ज़े के पाप किये हैं जिसके लिए ईश्वर मुझे कभी माफ़ नहीं करेगा।"

"ये तू कैसी बकवास कर रहा पगले?" उसकी बातें सुन मेरा गला रुॅध सा गया। जाने क्यों इस वक्त वो मुझे बहुत प्यारा सा लगा जिसके लिए मेरा दिल रोने लग गया था। हलाॅकि उसने भी अपने बाप की तरह हमें जलील करने में कोई कसर न छोंड़ी थी।

"जाइये भाई।" तभी शिवा ने कहा____"अब तो सब खेल खत्म हो गया है। पुलिस भी आ गई है और अब वो मुझे कानूनन फाॅसी के फंदे पर झुलाने के लिए यहाॅ से ले जाएगी। सबकी देख भाल करना भाई, और सबको ढेर सारी खुशियाॅ देना। एक नया संसार बनाइये और उसमें सबको खुश रखिये।"

अभी शिवा अपनी इन बातों से मुझे चकित ही किये था कि हर तरफ पुलिस के आदमी फैलते हुए आ गए। मेरी नज़र दूर से ही कमिश्नर पर पड़ी। मैने पलट कर देखा तो शिवा अपने बाप के मृत शरीर के पास ही अपने हाॅथ में रिवाल्वर लिए बैठ गया था। मतलब साफ था कि वो पुलिस को दिखाना चाहता था कि उसने खुद ही अपने बाप का खून किया है और अब पुलिस को उसे गिरफ्तार कर लेना चाहिए। बड़ी अजीब बात थी वो चाहता तो खुद को बचा भी सकता था। क्योंकि खून करते हुए पुलिस ने उसे देखा ही नहीं था और हम लोग ये बात पुलिस को बताने के बारे में सोच भी सकते थे या नहीं भी।

कमिश्नर जब शिवा के पास पहुॅचा तो शिवा उसकी तरफ देख कर बोला___"अच्छा हुआ कि आप आ गए। आज इस पापी को इसके ही पापी बेटे ने मौत के घाट उतार दिया है। लीजिए अब मुझे गिरफ्तार कर लीजिए।"
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