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RE: non veg kahani एक नया संसार
"तुमने कहा था कि तुम्हारे आदमी उन्हें ढूॅढ़ने के लिए मुम्बई की खाक़ छान रहे है।" प्रतिमा मजबूत लहजे में कहती जा रही थी__"जबकि आज तक तुम्हारे आदमियों के हाॅथ में उनसे संबंधित कोई छोटा सा सुराग़ भी नहीं लग सका। इस बारे में क्या कहोगे तुम, बताओ?"
"क्या कहूॅ यार?" अजय सिंह के चेहरे पर कठोर भाव उभरे__"जाने कहाॅ गुम हो गए हैं वो सब? उन सुअर की औलादों को ये ज़मीन खा गई है या आसमान निगल गया है। एक बार....सिर्फ एक बार मेरे हाॅथ लग जाएॅ फिर देखना क्या हस्र करता हूॅ मैं उन सबका।"
"मुझे नहीं लगता अजय कि तुम उन लोगों का कुछ कर लोगे।" प्रतिमा ने अजीब भाव से कहा__"जबकि लग ये रहा है कि वो कमीना रंडी की औलाद विराज हमारा ही बेड़ा गर्क़ कर रहा है।"
अभी ये सब बातें ही कर रहे थे कि बाहर से किसी के आने की आहट सुनाई दी। कुछ ही पल में इंस्पेक्टर रितू ड्राइंग रूम में दाखिल हुई। उसके चेहरे पर थकान के भाव गर्दिश करते नज़र आ रहे थे। अजय सिंह अपनी बेटी को देखकर घबरा सा गया। उसे लगा फैक्टरी की छानबीन में रितू को उसके काले कारनामों का सारा काला चिट्ठा मिल गया है और अब वह उसे गिरफ्तार करने आई है।
"आई एम साॅरी डैड।" रितू ने आते ही अजय सिंह का हाॅथ पकड़ कर तथा खेद भरे लहजे में कहा__"मैं आपके साथ हास्पिटल नहीं जा सकी। आप तो मेरी मजबूरी समझ सकते हैं डैड, उस वक्त मैं अपनी ड्यूटी को छोंड़ कर नहीं जा सकती थी आपके साथ। उस सूरत में तो हर्गिज़ नहीं जब किसी केस की छानबीन चल रही हो। एनीवे, अब आपकी तबियत कैसी है?"
अजय सिंह को समझ नहीं आ रहा था कि रितू को देख कर अब वह कैसा रिऐक्ट करे? मनो-मस्तिष्क में हज़ारों ख़याल मानो ताण्डव सा करने लगे थे। पल भर में ढेर सारा पसीना उसके सफेद पड़ चुके चेहरे पर उभर आया था। दोनो कानों में दिल पर धम्म धम्म करके पड़ने वाली किसी भारी हथौड़े की चोंट उसकी हृदय की गति को रोंक देने के लिए काफी थी जो सुनाई दे रही थी। जबकि उसके अंदर की हालत से अनभिज्ञ रितु ने अपने पिता को खामोश देख कर पुनः कहा__"प्लीज डैड, अब माफ भी कर दीजिए न अपनी इस बेटी को। आपको पता है आपकी उस हालत से मैं कितना परेशान और दुखी हो गई थी। लेकिन घटना स्थल पर मौजूद रहना मेरी मजबूरी थी, आप तो समझ सकते हैं न डैड? लेकिन इस सबसे फुर्सत होकर मैं सीघ्र ही पुलिस स्टेशन से भागी भागी आपसे मिलने आई हूॅ।"
अजय सिंह के मन मस्तिष्क में एकाएक मानो झनाका सा हुआ। दिमाग़ की सारी बत्तियाॅ जल उठीं। दिमाग़ ने सही तरीके से काम करना शुरू कर दिया। मन में बिजली की सी तेज़ी से ये ख़याल उभरा कि 'उसकी बेटी इस तरह बिहैव क्यों कर रही है जैसे कहीं कुछ हुआ ही न हो? इसके मासूम बर्ताव से तो यही लग रहा है जैसे छानबीन करते हुए तहखाने में इसे कुछ नहीं मिला वर्ना उसके हाथ अगर कोई गैर कानूनी चीज़ लग गई होती तो ये यहाॅ अपने पीछे पुलिस फोर्स लेकर तथा अपने हाॅथ में हॅथकड़ी लेकर उसे गिरफ्तार करने आती। लेकिन ऐसा तो दूर दूर तक होता हुआ दिखाई नहीं देता। इसका क्या मतलब हो सकता है?'
अजय सिंह के दिमाग़ में एकाएक जैसे हज़ार तरह के सवाल खड़े हो गए थे लेकिन जवाब किसी का नहीं था उसके पास। मन में ये ख़याल बार बार किसी हथौड़े की भाॅति चोंट मार रहे थे कि आख़िर क्या हुआ फैक्टरी की छानबीन में? उसकी बेटी को तहकीकात में उसके खिलाफ क्या कोई गैर कानूनी चीज़ मिली?
"क्या बात है डैड?" अपने पिता को गहरे समुद्र में डूबे देख रितू ने इस बार अपने दोनों हाॅथों की मदद से झिंझोड़ते हुए कहा था__"आप कुछ बोलते क्यों नहीं है? कहाॅ खोए हुए हैं आप?"
"आॅ..हाॅ...तु..तुमने कुछ कहा क्या बेटी?" अजय सिंह बुरी तरह चौंकते हुए कहा था। एकाएक ही उसके मन में ये ख़याल उभरा कि 'ये क्या बेवकूफी कर रहा है अजय सिंह, अपने आपको सम्हाल वर्ना तेरी हालत और तेरे चेहरे की ये हालत देख कर तेरी बेटी को कहीं सचमुच कुछ पता न चल जाए।' इस ख़याल के द्वारा खुद को समझाए जाने पर अजय सिंह ने तुरंत ही अपने आपको सम्हाला। और फिर मुस्कुरा कर उसने अपनी बेटी की तरफ देखा।
"मैं ये कह रही हूॅ डैड कि आप कुछ बोल क्यों नहीं रहे थे?" रितू कह रही थी__"पता नहीं कहाॅ खोए हुए थे आप?"
"कुछ नहीं बेटा।" अजय सिंह ने एक नज़र अपनी पत्नी की तरफ डालने के बाद कहा__"तुम सुनाओ, कैसा रहा पुलिस के रूप में आज का तुम्हारा पहला दिन?"
अजय सिंह ये पूॅछने से हिचकिचाने के साथ साथ डर भी रहा कि 'आज तहकीकात में क्या हुआ?' इस लिए ये न पूछ कर कुछ और ही पूॅछ बेठा था।
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RE: non veg kahani एक नया संसार
"इसका मतलब तो यही हुआ कि गेट पर तैनात दरबान झूॅठ बोल रहा है।" प्रतिमा ने कहा__"या फिर ऐसा भी हो सकता है कि फैक्टरी का ही कोई स्टाफ मेंबर फैक्टरी के अंदर गया हो। स्टाफ के अंदर जाने पर गेट में मौजूद दरबान को कोई ऐतराज़ नहीं हो सकता था।"
"अगर कोई स्टाफ का ही आदमी फैक्टरी के अंदर गया था।" रितू ने कहा__"तो दरबान को इस बात की जानकारी पुलिस के पूछने पर देनी चाहिए थी। मगर इस संबंध में दरबान का हर बार यही कहना है कि रात कोई भी ब्यक्ति फैक्टरी के अंदर नहीं गया।"
"बड़ी हैरत की बात है ये।" प्रतिमा कह उठी__"जब फैक्टरी के अंदर कोई गया ही नहीं तो फैक्टरी के अंदर, वो भी तहखाने में टाइम बम्ब क्या कोई भूत लगा कर चला गया था???"
"यही तो सोचने वाली बात है माॅम।" रितू ने हॅस कर कहा__"खैर, पता चल ही जाएगा देर सवेर ही सही। मैं तो डैड से ये कह रही थी कि उन्होंने इस सबके बारे में जानना ज़रूरी क्यों नहीं समझा? आखिर ये जानना तो ज़रूरी ही था कि किसने ये सब किया?"
अजय सिंह के मन में सिर्फ यही सवाल चकरा रहे थे, और वो ये थे कि 'तहखाने में उसकी बेटी को और क्या मिला? क्या उसके हाॅथ कोई ऐसी चीज़ लगी जिससे उसकी असलियत रितू को पता चल सके? इस बारे में रितू ने अभी तक कोई बात नहीं की, इसका मतलब उसे कुछ भी नहीं मिला। मगर ऐसा कैसे हो सकता है???? तहखाने में तो गैर काननी वस्तुओं का अच्छा खासा स्टाक था। क्या वह सब भी आग में जल गया है??? कहीं ऐसा तो नहीं कि रितु को सब पता चल गया हो किन्तु इस वक्त वह अंजान बनी होने का नाटक कर रही हो? हे भगवान! कैसे पता चले इस सबके बारे में??? मेरे गले में तो अभी भी जैसे कोई तलवार लटक रही है।
अभी ये सब बातें ही कर रहे थे कि बाहर से किसी के आने की आहट सुनाई दी उन्हें। पलट कर देखा तो अभय और शिवा के साथ नीलम अपने हाथ में एक हैण्डबैग लिए आ रही थी।
"डैड...।" अपने पिता को देखते ही नीलम दौड़ कर आई और अजय सिंह से लिपट गई। अजय सिंह ने उसके सिर पर प्यार से हाॅथ फेर कर कहा__"कैसी है मेरी बेटी??"
"मैं बिलकुल अच्छी हूॅ डैड।" नीलम ने कहा__"आपकी याद बहुत आती थी वहाॅ।"
"ओह अच्छा जी।" अजय सिंह ने मुस्कुरा कर कहा और फिर नीलम को साइड से छुपका लिया।
अभय व शिवा भी आकर वहाॅ पर रखे सोफों पर बैठ गए। अपने डैड से अलग होने के बाद नीलम अपनी माॅ और बहन से गले मिली।
"कन्ग्रैट्स दी।" नीलम ने रितू के गले मिलते हुए कहा__"आख़िर आपकी ख़्वाहिश पूरी हो ही गई। आप अब एक पुलिस इंस्पेक्टर बन गई हैं।"
"थैंक्यू छोटी।" रितू ने मुस्कुरा कर कहा__"और बता, मुम्बई में तेरी पढ़ाई कैसी चल रही है? काॅलेज अच्छा है न? और माॅसी लोग सब कैसे हैं?"
"सब अच्छे हैं दी।" नीलम ने मुस्कुराते हुए कहा__"और काॅलेज भी अच्छा ही होगा?"
"अच्छा होगा?" रितू ने ना समझने वाले भाव से कहा__"इस बात से क्या मतलब है तेरा?"
"मतलब ये कि काॅलेज जाना अभी शुरू नहीं किया है मैने।" नीलम ने कहा__"क्योंकि काॅलेज खुलने में अभी पाॅच दिन का समय शेष है।"
"ओह।" रितू ने कहा__"चल कोई बात नहीं। तू बैठ, मैं ज़रा कपड़े चेन्ज कर लूॅ। अभी भी पुलिस की यूनीफार्म ही पहन रखी हूॅ मैं।"
"ओके दी।" नीलम ने कहा और एक बार फिर अपने पिता की तरफ पलटते हुए कहा__"डैड, ये सब कैसे हुआ?"
"बस हो गया बेटी।" अजय सिंह भला अब उसे क्या बताता__"सब नसीब की बातें हैं।"
"ऐसा क्यों कहते हैं डैड?" नीलम ने अजय सिंह का हाॅथ अपने हाॅथ में लेकर कहा__"बिना वजह के कैसे हमारी फैक्टरी में आग लग सकती है? ज़रूर कोई वजह रही होगी। आप पुलिस के द्वारा पता लगवाइए डैड।"
"पुलिस पता लगा रही है दी।" सहसा शिवा कह उठा__"और आपको पता है, रितू दीदी ही इस सबका पता लगा रही हैं? देखना सब कुछ पता लग जाएगा जल्द ही। जिसने भी ये सब किया होगा न मैं उसे छोंड़ूॅगा नहीं।"
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RE: non veg kahani एक नया संसार
"ज़्यादा सूरमा बनने की ज़रूरत नहीं है तुम्हें।" नीलम ने कहा__"अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो। और ये तो अच्छी बात है कि इस सबकी जाॅच दीदी कर रही हैं, है न डैड?" अंतिम वाक्य उसने अपने पिता की तरफ देख कर कहा था।
"ह हाॅ बेटी।" अजय सिंह चौंकते हुए बोला था__"यकीनन इस सबका पता चल ही जाएगा।"
"क्या अभी तक कुछ पता नहीं चला भइया?" अभय ने कहा__"मेरा मतलब है कि रितू ने इस बारे में अभी तक क्या कुछ नहीं बताया कि उसकी छानबीन में क्या नतीजा निकला?"
"नतीजा सिर्फ इतना ही निकला है चाचा जी कि हमारी फैक्टरी में आग किसी के द्वारा फैक्टरी के तहखाने में लगाए गए टाइम बम्ब से लगी थी।" अंदर की तरफ से आते हुए रितू ने कहा__"और आपको ये जानकर हैरानी होगी कि फैक्टरी के तहखाने में लगभग दो से तीन टाइम बम्ब लगाए गए थे।"
"क्या??????" लगभग वहाॅ मौजूद हर कोई बुरी तरह चौंका था, फिर अभय ने पूॅछा__"लेकिन फैक्टरी के अंदर तहखाना कहाॅ से आ गया और तो और उस तहखाने के अंदर जाकर किसने टाइम बम्ब लगाया हो सकता है??"
"ये सवाल तो मेरे पास भी है चाचा जी कि फैक्टरी में कोई तहखाना कैसे था?" रितू ने अभय से कहने के बाद अपने पिता की तरफ देखा__"क्या आप बताएॅगे डैड कि फैक्टरी में तहखाने का क्या काम था?"
अजय सिंह बुरी तरह घबरा गया, लेकिन तुरंत ही सहल कर बोला__"फैक्टरी के अंदर अगर कोई तहखाना था तो इसमें कौन सी बड़ी बात है बेटी? मैंने तो बस शौक के लिए बनवाया था। क्या तहखाना बनवाना भी कोई कानूनन जुर्म है?"
"जुर्म तो नहीं है डैड।" रितू ने सपाट लहजे में कहा__"लेकिन तहखाने का निर्माण आम तौर पर लोग अपनी किसी प्राइवेसी के चलते बनवाते हैं। ख़ैर, क्योंकि तहखाने में तीन तीन टाइम बम्ब लगाए गए थे और जब वो फटे तो सब कुछ जल कर खाक़ में मिल गया। हलाॅकि तहखाने में शायद कुछ नहीं था क्योंकि अगर होता तो हमारे हाॅथ कुछ न कुछ ज़रूर लगता। वहाॅ तो बस फैक्टरी के जले हुए कुछ अवशेष ही पड़े थे।"
रितू की ये बात सुन कर कि 'तहखाने में कुछ नहीं था' अजय सिंह बुरी तरह मन ही मन चौंका था। उसके दिमाग़ का फ्यूज उड़ गया। फिर जब दिमाग़ ने काम करना शुरू किया तो सबसे पहले उसके दिमाग़ में यही सवाल उभरा कि ऐसा कैसे हो सकता है? तहखाने में मौजूद उसकी गैरकानूनी चीज़ें कहाॅ गईं? क्या सब कुछ जल गया??? मगर सवाल ये है कि अगर जल गया होता तो रितू को कुछ तो उसके अवशेष सबूत के तौर पर मिलते?
अजय सिंह कुछ समझ नहीं पा रहा था कि ये सब क्या है? कहीं ऐसा तो नहीं कि उसकी बेटी इस बारे में झूॅठ बोल रही हो कि तहखाने में उसे कुछ नहीं मिला है? मगर रितू उससे झूॅठ क्यों बोलेगी? बल्कि होना तो ये चाहिए था कि अगर उसके खिलाफ कोई सबूत उसे मिल जाता तो अब तक रितू को उसे हॅथकड़ी लगा कर गिरफ्तार कर लेना चाहिए था। मगर उसने ऐसा कुछ भी नहीं किया, क्यों? आख़िर क्या चक्कर है ये? अजय सिंह जितना सोचता उतना ही उलझता जा रहा था। यहाॅ तक कि सोचते सोचते उसका दिमाग़ हैंग सा होने लगा था।
"ये तो बहुत ही गंभीर बात है रितू बेटी।" अभय ने कहा__"फैक्टरी में बम्ब लगाया किसी ने और सब कुछ जला कर खाक़ कर दिया। भला ये सब किसने किया होगा? क्या ये किसी दुश्मन का किया धरा है?"
"ये तो डैड ही बता सकते हैं।" रितू ने कहा__"डैड को ये अच्छी तरह पता होगा कि इस बिजनेस में उनका कौन दुश्मन है? जिसने इतने बड़े काम को अंजाम दिया है।"
"मैं खुद इस बात से हैरान व परेशान हूॅ बेटी।" अजय सिंह बोला__"क्योंकि मेरी समझ में मेरा ऐसा कोई भी शत्रू नहीं है जिसने ये सब किया हो। मेरे सबसे बहुत अच्छे संबंध थे और हैं बेटी। भला मैं बिना वजह और बिना सबूत के किसका नाम लूॅ कि हाॅ इसी ने मेरी फैक्टरी में आग लगाई है?"
"लेकिन बिना वजह के ये भी तो संभव नहीं है भइया कि कोई भी शख्स हमारे साथ इतना बड़ा कारनामा करे?" अभय ने कहा__"मैं समझ सकता हूॅ और जानता हूॅ कि यकीनन आपका कोई दुश्मन नहीं है लेकिन आप खुद सोचिए कि बिना किसी वजह के ये सब कोई क्यों करेगा?"
"मैं नहीं जानता छोटे।" अजय सिंह हताश भाव से बोला__"मैं नहीं जानता कि किसने ये सब करके मुझसे अपनी दुश्मनी निकाली है? अगर जानता तो क्या मैं इस तरह चुप चाप बैठा होता? बल्कि अगर जानता कि ये सब किसने किया है तो अपने हाथों से उसे गोली मार देता। ये भी न पूॅछता गोली मारने से पहले उससे कि ये सब उसने क्यों किया था?"
"आप परेशान मत होइए डैड।" रितू ने कहा__"मैं इस सबका पता लगा कर ही रहूॅगी कि किसने ये सब किया है?"
इसके साथ ही ड्राइंग रूम में सन्नाटा छा गया। कुछ देर बाद सब वहाॅ से चले गए। अजय सिंह अपने कमरे में चला गया, उसका सिर बड़ा ज़ोरों से दर्द कर रहा था। कमरे में आकर वह बेड पर आखें बंद करके लेट गया।
"क्या हुआ अजय?" कमरे के अंदर आते ही प्रतिमा ने कमरे का दरवाज़ा बंद करने के बाद कहा__"तबीयत तो ठीक है न तुम्हारी?"
"सिर में बड़ा दर्द हो रहा है प्रतिमा ज़रा कोई टेबलेट तो दो।" अजय सिंह ने कहा__"ऐसा लगता है जैसे सिर फट जाएगा।"
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RE: non veg kahani एक नया संसार
"लेकिन ये हैरत के साथ साथ अविश्वास वाली बात भी है कि बंद फैक्टरी के अंदर तथा तहखाने का भी लाॅक तोड़ कर वो शख्स अंदर पहुॅच कैसे गया?" अजय सिंह ने कहा__"और तहखाने से सारी चीज़ें गायब कैसे किया उसने? क्या वो सब चीज़ें वह अपने साथ ले गया? जबकि फैक्टरी के गेट पर तैनात दरबान के अनुसार गेट पर बाहर से ताला ही लगा था। कहने का मतलब ये कि ये सब अगर उसने ही किया है तो कैसे किया ये?"
"यकीनन अजय।" प्रतिमा ने गहरी साॅस लेते हुए कहा__"ये बड़े ही आश्चर्य की बात है। कोई बंद फैक्टरी के तहखाने में आसानी से पहुॅच गया और अपना सारा काम बड़ी आसानी से ही करके उड़नछू हो गया। किसी को इस सबकी कानों कान भनक तक न लगी। यकीन नहीं होता।"
"अगर ऐसा ही है।" अजय सिंह कह रहा था__"तो सबसे बड़ी परेशानी की बात तो अब हुई है प्रतिमा। ज़रा सोचो जिसने भी ये सब किया है वो कभी भी हमारे खिलाफ वो सब चीजें पुलिस तक पहुॅचा सकता है, या फिर उन सब चीज़ों के आधार पर वह कभी भी हमें ब्लैकमेल कर सकता है। हमारा जीना हराम कर सकता है प्रतिमा...समझ में नहीं आता कि अब क्या करूॅ मैं??"
"अब तो यही कर सकते हैं कि हम उस शख्स के ब्लैकमेल करने का इंतज़ार करें।" प्रतिमा ने कहा__"इसके सिवा दूसरा कोई रास्ता भी नहीं है।"
अजय सिंह चिंता व परेशान सा बैठा रह गया। उसे क्या पता था कि ये सब चक्कर चलाने वाला वही है जिसे वह होटल या ढाबे में कप प्लेट धोने वाला समझता है।
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"ये क्या कह रहे हो तुम?" जगदीश ने चौंकते हुए सामने सोफे पर बैठे विराज की तरफ देख कर कहा__"अजय सिंह की फैक्टरी के तहखाने से वो सारी चीज़ें तुमने गायब करवाई थी???"
"यही सच है अंकल।" विराज ने अजीब भाव से कहा__"और ये सब करने के पीछे भी मेरा एक मकसद था।"
"कैसा मकसद राज?" गौरी ने हैरानी से अपने बेटे की तरफ देखते हुए कहा।
"मैं नहीं चाहता था कि अजय सिंह अपनी ही बेटी की वजह से इतना जल्दी कानून के हाॅथ लग जाए।" विराज ने कहा__"अगर ऐसा हो जाता तो खेल का मज़ा ही ख़राब हो जाता अंकल। जेल में पहुॅच कर अजय सिंह को वो मज़ा नहीं मिल पाता जो मज़ा आने वाले समय में मेरे द्वारा उसे मिलने वाला है। उसकी जगह जेल में नहीं है अंकल बल्कि जेल के बाहर ही है। मैं उसे कभी भी कोई शिकायत का मौका नहीं देना चाहता, वर्ना जेल में बंद होने पर वो ये कहेगा कि मुझे तो अपने हाॅथ पैर चलाने का मौका ही नहीं दिया गया। अब आप ही बताइए अंकल, क्या ऐसा करना सही होगा? नहीं न......इसी लिए मैंने उसे उसकी बेटी द्वारा जेल जाने से बचा लिया।"
"वो सब तो ठीक है बेटे।" जगदीश ने कहा__"मगर मुझे ये समझ नहीं आ रहा कि तहखाने से वो सब चीज़ें तुमने कैसे और कब गायब करवाई?"
"आपके सभी सवालों का जवाब आपको दूॅगा अंकल।" विराज ने हॅस कर कहा__"लेकिन उससे पहले मैं गरमा गरम चाय पीना चाहता हूॅ। फिर तसल्ली से आपको समझा समझा कर सब कुछ बताऊॅगा।"
"ये तो चीटिंग है भइया।" निधि ने बुरा सा मुॅह बना कर कहा__"कितना अच्छा मज़ा आ रहा था मुझे और आपने इंटरवल करके सारा मज़ा ही ख़राब कर दिया मेरा। जाइए मुझे बात ही नहीं करना आपसे, हाॅ नही तो।"
"तुमने बिलकुल ठीक कहा बेटी इसने सारा मज़ा ख़राब कर दिया।" जगदीश ने हॅस कर कहा__"मैं भी अब इससे बात नहीं करूॅगा। अपने आपको बड़ा सूरमा समझने लगा है ये। है न बेटी?"
"बिलकुल।" रितू ने मुॅह फुला कर कहा__"हाॅ नहीं तो।"
"चुप कर।" सोफे से उठते हुए गौरी ने निधी को झिड़का__"हाॅ नहीं तो की बच्ची, वर्ना लगाऊॅगी एक।"
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"भइया।" निधी ने विराज की तरफ मासूमियत से देखकर कहा__"देख लीजिए आपकी जान को माॅ एक लगाने को कह रही हैं। आप ऐसे कैसे चुप बैठ सकते हैं? हाॅ नहीं तो।"
गौरी तब तक अंदर किचेन की तरफ जा चुकी थी। जबकि निधि की इस बात से विराज बोला__"मैं चुप नहीं बैठा हूॅ लेकिन माॅ को कुछ कह भी तो नहीं सकता न गुड़िया। समझा कर न।"
"हांएॅ।" निधि एक दम से विराज से दूर हटते हुए बोली__"अब तो पक्का आपसे बात नहीं करूॅगी। देख लेना, हाॅ नहीं तो।" इतना कहने के बाद वह उठी और जगदीश वाले सोफे पर जा कर जगदीश के बिलकुल पास बैठ गई मुॅह फुला कर।
"आपको पता है अंकल।" विराज ने निधि की तरफ देखते हुए कहा__"आज शाम को मैं शिप द्वारा समंदर में घूमने का मज़ा लेने की सोच रहा था गुड़िया के साथ, लेकिन कोई बात नहीं मैं माॅ को लेकर चला जाऊॅगा। ठीक रहेगा न अंकल..माॅ भी समंदर में घूमने का आनंद ले लेंगी।"
"वाॅव, समंदर में बहुत मज़ा आएगा न भइया?" निधि बिजली की स्पीड से जगदीश वाले सोफे से उठकर विराज के पास उससे चिपक कर बैठते हुए बोली__"मैं न शिप के ऊपर बैठूॅगी जैसे फिल्मों में हीरो हिरोईन बैठते हैं, हाॅ नहीं तो।"
"तू कैसे बैठ जाएगी भला?" विराज ने कहा__"तू तो मेरे साथ जाएगी ही नहीं। मैं माॅ को लेकर जाऊॅगा।"
"ऐसा नहीं हो सकता।" निधि ने अकड़ कर कहा__"मैं जाऊॅगी और आपके ही साथ जाऊगी, और अगर आप मुझे अपने साथ नहीं जाएॅगे तो ये आपके लिए अच्छा नहीं होगा। देख लेना, हाॅ नहीं तो।"
"नहीं वो माॅ कह रही थीं कि गुड़िया यहीं रह कर अपनी पढ़ाई करेगी।" विराज ने कहा__"और वो मेरे साथ शिप में घूमने जाएंगी। इस लिए तुम मेरे साथ नहीं जा पाओगी।"
"मैं कुछ नहीं जानती।" निधि ने सहसा रुआॅसे होकर कहा__"मैं आपके साथ ही जाऊॅगी। क्या आप मुझे नहीं ले चलेंगे अपने साथ.....मैं आपकी जान हूॅ ना?" कहते कहते निधि की आॅखों से आॅसू छलक गए, ये देख विराज का कलेजा हाहाकार कर उठा। उसे खुद पर बेहद गुस्सा आया कि वो अपनी गुड़िया को इस तरह भला कैसे रुला सकता है?
विराज ने उसे अपने सीने से छुपका लिया, निधि खुद भी उससे किसी फेवीकोल की तरह चिपक गई थी।
"मुझे माफ कर दे मेरी गुड़िया।" फिर विराज ने भर्राए गले से कहा__"मैं तो बस मज़ाक कर रहा था। तुझे चिढ़ा रहा था और कुछ नहीं। चल अब रोना नहीं...तू जानती है न कि मैं अपनी जान की आॅखों में आॅसू नहीं देख सकता। और हाॅ...शिप में जाने का कोई प्रोग्राम नहीं था वो तो बस ऐसे ही कह रहा था मैं लेकिन अब ज़रूर हम दोनो संडे को शिप में बैठ कर समंदर में घूमेंगे और खूब मज़ा करेंगे ठीक है न?"
"हाॅ नहीं तो।" निधि ने हल्का सा सिर उठा कर विराज की तरफ मुस्कुरा कर कहा और फिर से उसके सीने में अपना चेहरा छुपा लिया। सामने बैठा जगदीश ओबराय ये सब देख कर मुस्कुरा रहा था। उसकी आॅखों में भी आॅसू थे।
"कहाॅ घूमने जाने और मज़ा करने की बात कर रहे हो तुम दोनो?" हाॅथ में ट्रे लिए आते हुए गौरी ने कहा।
"पता है माॅ।" निधि ने विराज के सीने से सिर उठा कर तथा मारे खुशी के कहा__"संडे को मैं और भइया समुंदर में शिप में बैठ कर घूमेंगे और खूब मस्ती करेंगे। हाॅ नहीं तो।" निधि की इस बात से विराज ने अपना सिर पीट लिया जबकि......
"क्या???" गौरी ने हैरानी से निधि और विराज की तरफ देख कर कहा__"नहीं तुम लोग कहीं नहीं जाओगे। समुंदर में तो बिलकुल भी नहीं।"
गौरी ने सबको चाय दी और खुद भी एक कप लेकर वहीं सोफे पर बैठ गई। जबकि उसकी इस बात से निधि का चेहरा उतर गया। उसने कातर भाव से विराज की तरफ देखा। विराज ने इशारे से कहा कि 'तू चिन्ता मत कर हम ज़रूर चलेंगे'। विराज के इस इशारे से निधि का चेहरा फिर से खिल उठा। और अब वह मुस्कुराते हुए आराम से चाय पीने लगी। उसे यूॅ मुस्कुराता देख गौरी का माथा ठनका, बोली__"अब इस तरह मुस्कुरा क्यों रही है? चुप चाप चाय पी।"
"अब क्या मैं मुस्कुरा भी नहीं सकती माॅ?" रितू ने हॅस कर कहा__"आप भी कमाल करती हैं।" इतना कहने के बाद एकाएक ही उसने विराज की तरफ देखा और धीरे से बोली__"हाॅ नहीं तो।"
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RE: non veg kahani एक नया संसार
उसकी इस क्रिया से चाय पी रहे विराज को ज़ोर का ठस्का लग गया और वह खाॅसने लगा। खाॅसने के साथ साथ वह हॅस भी रहा था। जबकि उसके इस प्रकार एकाएक खाॅसने से निधि हड़बड़ा गई। जानती तो वह भी थी कि उसके भाई को अचानक ठस्का क्यों लगा था जिसकी वजह से उसे खाॅसी आने लगी थी इस लिए पकड़े जाने के डर से हड़बड़ा गई थी वह।
"क्या हुआ बेटा?" गौरी ने चौंकते हुए पूछा।
"ये दोनो एक नम्बर के शैतान हैं गौरी बहन।" जगदीश ठहाका लगा कर हॅसते हुए बोला था__"तुम नहीं समझ पाई कि इन दोनो ने आपस में क्या खिचड़ी पका ली है?"
"मैं सब जानती हूॅ भइया।" गौरी ने भी हॅस कर कहा__"ये दोनो सोचते हैं कि ये मुझे बेवकूफ बना लेते हैं। ये दोनो ये भूल जाते हैं कि इन्होंने मुझे नहीं बल्कि मैंने इन दोनो को पैदा किया है।"
विराज और निधि ने एक दूसरे की तरफ अजीब भाव से इस तरह देखा जैसे चोरी पकड़ी गई हो।
"ख़ैर, अब बताओ राज।" जगदीश ने कहा__"कि फैक्टरी के तहखाने से वो सब चीज़ें तुमने कब और कैसे गायब करवाई थी और ये भी कि किसके द्वारा?"
"आपको याद होगा अंकल।" विराज ने कहना शुरू किया__"मैंने आपसे कहा था कि 'अजय सिंह तो ये सोच भी नहीं सकता कि मैं अरविंद सक्सेना के द्वारा अभी और क्या खेल खलने वाला हूॅ'। जैसा कि मैने आपको बताया था कि सक्सेना की कमज़ोरी फोटोग्राफ्स के रूप में मेरे पास थी। इस लिए वह मेरे कहने पर कुछ भी करने को मजबूर था, और बदले में मैं उसे उसके परिवार सहित सुरक्षित विदेश भेजवा दूॅगा। अजय सिंह की नज़र में सक्सेना पहले ही उससे अपना हिसाब किताब करके विदेश जा चुका था जबकि सच्चाई कुछ और ही थी। सक्सेना तो उस दिन विदेश जाने वाली फ्लाइट पर बैठा था जिस रात अजय सिंह की फैक्टरी में आग लगी थी। मुझे सक्सेना के द्वारा ये पता था कि हप्ते में एक दिन व रात फैक्टरी में मजदूरों का अवकाश रहता है, यानी फैक्टरी बंद रहती है। इसी बात का ख़याल रख कर ही प्लान बनाया गया था। सक्सेना के अनुसार फैक्टरी का मेन गेट जो कि लोहे से बना हुआ है, उसकी चाभी मैनेजर या अजय सिंह के पीए के पास रहती है। सक्सेना ने उस चाभी की डुप्लीकेट चाभी पहले ही बनवा ली थी। इस लिए फैक्टरी के अंदर जाने की समस्या नहीं रह गई थी। समस्या थी तहखाने के अंदर पहुॅचने की। क्योंकि तहखाने के गेट पर पिनकोड सिस्टम वाला लाॅक था, जिसका पिनकोड सिर्फ अजय सिंह ही जानता था। इस लिए पिनकोड हासिल करने के लिए दिमाग़ का प्रयोग किया गया। सक्सेना को ये तो पता ही था कि अजय सिंह अवकाश वाले दिन या रात ही अपने गैर कानूनी धंधे वाला काम करता था। मैने सक्सेना के द्वारा पिनकोड हासिल करने के लिए उस रात तहखाने के पिनकोड लाॅक सिस्टम पर एक पाॅलिथिन नम्बरों के ऊपर इस प्रकार चिपकवा दी कि अजय सिंह ग़ौर से देखने पर भी ताड़ न पाए कि सिस्टम के ऊपर पाॅलिथिन चढ़ी हुई है। अजय सिंह जब तहखाने के अंदर जाने के लिए सिस्टम पर पिन नम्बर डालता तो वो सब पिन नंबर्स उस पाॅलिथिन में अजय सिंह के फिंगर प्रिंट्स के रूप में छप जाते। यहाॅ पर एक सवाल ये भी था कि अगर पिन का कोई नम्बर यानी संख्या एक से दो या तीन बार अजय सिंह के द्वारा डाल दी जाती तो कैसे पता चलता कि उस संख्या के कितने नंबर थे? एक्सपर्ट ने बताया था कि जो नंबर एक बार डाला जाएगा वो पाॅलिथिन पर कम दबाव के साथ छपेगा जबकि अगर कोई नंबर दो या तीन बार दबाया जाएगा वो ज्यादा दबाव के साथ छपेगा। इसके बाद उन नंबरों को चेक कर लिया जाएगा। मैं एक्सपर्ट की इस बात से मुतमईन न था क्योंकि इससे नंबर इधर उधर भी हो सकते थे। इस लिए पाॅलिथिन के साथ साथ मैने वहाॅ पर एक मिनी कैमरा इस प्रकार लगवाया कि उसमें अजय सिंह का पिन कोड डालना स्पष्ट दिखाई दे। बस फिर क्या था..अजय सिंह जब वहाॅ आया तो सब कुछ रिकार्ड हो गया। अजय सिंह कभी सोच भी नहीं सकता था कि कोई उसके लिए कितना बड़ा खेल रच रहा है। ये सब काम तब हुआ था जब सक्सेना ने पार्टनरशिप नहीं तोड़ी थी अजय सिंह से।"
"तुम्हारे कहने का मतलब है।" जगदीश ने बीच में ही विराज की बात काटते हुए कहा__"कि ये सब तुम सक्सेना से पहले ही करा चुके थे? लेकिन इस बीच अगर अजय सिंह पिनकोड बदल देता तो क्या करते तुम?"
"मेरे दिमाग़ में भी यही सवाल था अंकल।" विराज ने कहा__"इस लिए जब दूसरा अवकाश हुआ फैक्टरी में तो सक्सेना ने मेरे कहने पर फिर से वहाॅ पर मिनी कैमरा लगा दिया था, कारण यही जानना था कि अजय सिंह ने पिनकोड बदल दिया है या पहले वाला ही है। मगर बाद में पता चला कि पिनकोड पहले वाला ही था।"
"चलो ये तो ठीक है।" जगदीश ने कहा__"लेकिन इतना कुछ पता करने के बाद तुमने ये सब पहले ही क्यों नहीं कर दिया था? मेरा मतलब है कि पहले ही फैक्टरी में आग क्यों नहीं लगवाई थी, इतने दिन बाद ही क्यों किया ऐसा?"
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11-24-2019, 12:24 PM,
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RE: non veg kahani एक नया संसार
"इसमें भी एक मज़ेदार खेल छुपा था अंकल।" विराज ने मुस्कुरा कर कहा था__"मुझे पता था कि अजय सिंह की बेटी पुलिस की ट्रेनिंग कर रही है, उसकी ट्रेनिंग के बाद सीधा उसे किसी थाने में चार्ज सम्हाल लेना था। मैंने सोचा क्यों न अजय सिंह की बेटी को उसके थाना इंचार्ज बनते ही उसके बाप की फैक्टरी का केस सौंप कर उसे एक तोहफा दिया जाए। बस यही सोच कर कुछ दिन रुका रहा था मैं। आपसे कहा था कि मंत्री जी से बात करके रितू सिंह बघेल को वहीं का थाना उसकी पहली पोस्टिंग में मिले। बस सब कुछ सेट करने के बाद प्लान के अनुसार काम शुरू हो गया। फैक्टरी के बाहर गेट पर एक ही दरबान था उस रात, दूसरा दरबान नहीं था। पता चला था कि उस रात उसकी बीवी को बच्चा होने वाला था इस लिए वह छुट्टी लेकर चला गया था। उसकी जगह दूसरा कोई दरबान था ही नहीं। एक दरबान बचा था वह भी डबल ड्यूटी की वजह से उस रात आधी रात के समय कुर्सी में बैठा बार बार जम्हाई ले रहा था। उसे इस तरह जम्हाई लेता देख सक्सेना ने उसे क्लोरोफाॅम डाला हुआ रुमाल सुॅघा दिया। कुछ ही पल में बेचारा अंटा गाफिल हो गया। उसके बाद कोई समस्या ही नहीं थी। सक्सेना डुप्लीकेट चाभी की सहायता से फैक्टरी का गेट खोल कर अंदर गया उसके साथ चार आदमी और थे उसकी सहायता के लिए। सबके अंदर आते ही सक्सेना ने अंदर से गेट भी बंद कर लिया। तहखाने के पास पहुॅच कर उसने तहखाने के गेट पर लगे पिन सिस्टम पर कोड नंबर डाला और दरवाजा खोल कर तहखाने के अंदर पहुॅच गया। सभी ने तहखाने में मौजूद गैर कानूनी सामान को अपने साथ लाई हुई बोरियों में भरना शुरू कर दिया। एक घंटे बाद वो सब लोग तहखाने में रखी हर गैर कानूनी चीज़ को बोरियों में भर लिया था। उसके बाद वहाॅ तीन टाइम बम्ब लगा कर वो सब सुरक्षित बाहर आ गए। फैक्टरी का बाहर वाला गेट उसी तरह बाहर से लाॅक करके वो सब वहाॅ से लौट आए। अपने पीछे कोई सबूत नहीं छोंड़ा था उन्होने। हलाॅकि बम्ब के फटने पर कोई सबूत रह ही नहीं जाना था लेकिन बाहर गेट पर सबूत हो सकते थे इसके लिए उन लोगों ने पहले से ही अपने हाथों में दस्ताने पहन रखे थे। इतनी बड़ी बात को अंजाम दिया गया लेकिन किसी को उस रात कोई भनक तक न हुई। कारण एक तो रात का समय, दूसरे बाॅकी स्टाफ फैक्टरी से दूर बने आफिसों में था और सबसे बड़ी बात किसी को गुमान ही नहीं था कि कोई इस सबके लिए शहर से दूर यहाॅ आएगा।"
"तो आख़िर इस तरह तुमने सक्सेना और कुछ आदमियों के द्वारा ये सब करवाया था?" जगदीश ओबराय ने कहा__"सक्सेना तो उसी रात अपने परिवार के साथ बम्ब फटने के तीन घंटे पहले ही विदेश जाने के लिए फ्लाइट में बैठ चुका था, किन्तु वो आदमी कौन थे? उन सबको इस बारे में पता है, हो सकता है वो इस सबका कभी भाॅडा फोड़ दें तो क्या करोगे तुम?"
"पहली बात तो वो ये सब करेंगे नहीं क्योंकि वो यही जानते हैं कि ये सब उन्होने किसी माफिया गैंग के लिए किया है।" विराज ने कहा__"सक्सेना भी उन सबकी तरह ही उस रात अपने चेहरे पर नकाब पहना हुआ था। सक्सेना ने उनसे यही कहा था कि वो माफिया का आदमी है। इस सबका कोई डर नहीं है। दूसरी बात ये है कि मैं खुद भी ज्यादा दिनों तक इस सबको अजय सिंह से छुपा कर नहीं रखूॅगा। बल्कि डंके की चोंट पर उसके सामने जाकर उसे बताऊॅगा कि उसके साथ जो कुछ भी अब तक हुआ है वो सब मैंने किया है।"
"वो सब तो ठीक है राज।" जगदीश ने कहा__"लेकिन इंस्पेक्टर रितू तो छानबीन कर ही रही है न? संभव है कि वह किसी तरह इस सबका पता लगा ले कि ये सब तुमने किया है तो??"
"उससे कुछ भी फर्क नहीं पड़ता अंकल।" विराज ने कहा__"क्योंकि आगे चल कर मैं खुद ही ये सब उन लोगों को बताऊॅगा कि मैंने ही ये सब किया है। और यकीन मानिए अंकल उनमें से कोई भी मेरा बाल भी बाॅका नहीं कर सकेगा। रही बात उस पुलिस वाली की तो वो भी मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकती, क्योंकि सब कुछ जान लेने से या पता कर लेने से कुछ नहीं होता। बल्कि किसी भी चीज़ को साबित करने के लिए उस कानून वाली के पास सबूत और गवाह होने चाहिए, बिना सबूत के वो मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकती। और सबूत उसे इस जनम में तो क्या किसी भी जनम में नहीं मिलेंगे।"
"जुर्म चाहे जितनी सफाई से किया जाए राज।" जगदीश ने कहा__"वो अपने पीछे कोई न कोई ऐसा सबूत ज़रूर छोंड़ जाता है जिसकी वजह से वो एक दिन कानून की गिरफ्त में आ जाता है।"
"आप बताइए अंकल।" विराज ने मुस्कुराते हुए कहा__"मैंने इस सबके पीछे क्या सबूत छोड़ा है? जबकि मैंने अभी तक जो कुछ भी किया वो भी यहीं बैठे बैठे किया है। इस सबको अंजाम देने वाले तो कोई और ही थे।"
"अरविंद सक्सेना तुम्हारे लिए एक कमज़ोर प्वाइंट है बेटे।" जगदीश ने कहा__"मान लो तहकीकात में रितू को ये पता चल जाए कि इस सबमें सक्सेना का हाॅथ है तो? वह सक्सेना को शक की बिना पर धर लेगी और फिर उससे सारा सच उगलवा लेगी। सक्सेना को पुलिस के सामने ये कबूल करना ही पड़ेगा कि ये सब उसने तुम्हारे कहने पर किया था।"
"इतनी दूर तक जाने की ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी अंकल।" विराज ने कहा__"क्यों कि उससे पहले मैं ही मैदान में आ जाऊॅगा। मैं खुद उन लोगों के सामने इस सबका इकबाले जुर्म करूॅगा। और पता है अंकल, अजय सिंह को ये भी एहसास दिलाऊॅगा कि उसका गैर कानूनी सामान अभी भी मेरे पास ही है, तथा उसके खिलाफ ऐसे ऐसे सबूत भी हैं मेरे पास जिससे उसको कानून के लपेटे में आने के लिए ज़रा भी देर नहीं लगेगी। बेचारा खुद ही इस सबके डर से अपनी इंस्पेक्टर बेटी से मेरी पैरवी करने लगेगा।"
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