non veg kahani दोस्त की शादीशुदा बहन
06-06-2019, 01:37 PM,
RE: non veg kahani दोस्त की शादीशुदा बहन
सहेली- कितनी बार कहना पड़ेगा जीजाजी। की मैं आपकी भाभी नहीं साली हूँ... जब तक आप हमें साली नहीं कहोगे, मैं आपसे बात नहीं करूंगी... और साली कमला की बच्ची, इधर आ कोने में... तूने ये बात हमसे क्यों छुपाई की जीजाजी का?
कमलावती- क्या हुआ? सहेली।
सहेली- इधर आ कोने में... आ तेरा कान खींचती हूँ, चूचियां बाद में दबाऊँगी... साली तूने आज तक मुझे ये बात क्यों नहीं बताई की जीजाजी का लण्ड एकदम बड़ा है।
कमलावती- छीः छीः छीः अरे यार ये सब बातें यहाँ सबके सामने?
सहेली- नहीं... वो सब नहीं सुन पा रहे हैं... पर तूने मुझसे ये बात क्यों छुपाई?
कमलावती- “अरे... मैंने कौन सा आठ दस लण्ड देख रखा है जो मुझे पता होगा की मर्द के लण्ड का साइज कितना बड़ा होने से बड़ा कहलाता है और कितना होने से छोटा कहलाता है। मैंने तो आज तक सिर्फ और सिर्फ इनका लण्ड ही देखा है...” ।
सहेली- “और मैंने कौन सा आठ दस लण्ड को अपनी फुद्दी में घुसवा रखा है जो मुझे पता चलेगा। वो तो आज बाथरूम में चुदवाई करवाते वक्त...”
कमलावती- क्या? आज बाथरूम में तुम दोनों भी चुदाई कर रहे थे?
सहेली- तुम दोनों भी... इसका मतलब है बाथरूम में तुम भी चुदा चुकी हो।
कमलावती- हाँ... बड़े चुदक्कड़ है तुमरे जीजाजी... रात को बस में हम दोनों को मौका नहीं मिला ना इसलिए आते ही बाथरुमवा में ही शुरू हो गये। पर लण्ड का साइज के बारे में तू का कह रही थी?
सहेली- अरे वो... तुमरे जीजाजी बता रहे थे की कामरू जीजाजी के लण्ड का साइज इनके लण्ड के साइज से दोगुना है और मोटाई भी ज्यादा ही है।
कमलावती- अच्छा... ऐसा है क्या?
सहेली- हाँ री... ऐसा ही है... पर तुझे बहुत मजा आता होगा ना?
कमलावती- मजा तो आता है। और संग में तकलीफ भी होती है... खास करके उस दिन जिस दिन ये मुझे दिन में एक बार चोद लेते हैं।
सहेली- क्यों भला? उसी दिन क्यों?
कमलावती- “अरे, उस दिन... दिन में इनका पानी निकल चुका होता है। रात को जल्दी निकलता नहीं है। मैं दोतीन बार झड़ जाती हैं। उसके बाद भी उनका नहीं निकलता है। मैं हाथ पैर जोड़ती हूँ, मुँह में चूसने को स्वीकार करती हूँ, मुँह में लेकर चूस के झड़ाना पड़ता है... उस रात को बहुत तकलीफ होती है। इसीलिए मैं इन्हें दिन में कभी देती ही नहीं... पर आज इन्होंने मौका देखकर चौका मार दिया है... हे भगवान्... आज रात को मेरी खैर नहीं... हे भगवान्, आज तो ये मेरी फुद्दी का कचूमर निकाल के ही मानेंगे... मेरी सहेली, क्या करूं? तू ही बता... मुझे बचा ले...”
सहेली- अरे... पर मैं कैसे?
कमलावती- तू बड़ी चालक है कोई ना कोई उपाय सोच ही लेगी तू।
सहेली- अच्छा खैर, सोचते हैं।
कमलावती- सोचते नहीं... साच, अभी का अभी सोच।
सहेली- देख, एक उपाय है... रात को अंधेरे में तू मेरे कमरे में... और मैं तेरे कमरे में।
कमलावती- छीः छीः छीः मैं जीजाजी से... नहीं.. पर हाँ रे... बहुत तकलीफ होती है दूसरी बार इनसे चुदवाने पर.. जीजाजी तो जोर से नहीं ना चोदते हैं?
सहेली- अरे नहीं रे... वैसे भी अभी-अभी चोद चुके हैं। रात को खड़ा होगा तभी ना चोदेंगे।
कमलावती- ठीक है फिर... पर तुम इनसे कैसे बचोगी... कमरे में तो लाइट होगी, पकड़ी जाएगी तो बड़ी बदनामी होगी... तुमरी भी और हमरी भी।
सहेली- अरे कोई ना कोई उपाय तो निकालना ही पड़ेगा... खैर वो सब रात को देखते हैं।
कमलावती- “देखते है नहीं, करते हैं। ऐसा ही करते हैं। आज मुझे बचा ले मेरी सहेली। वादा करती हूँ कि फिर कभी इनसे दिन में नहीं चुदवाऊँगी। ऐसा एक ही बार...”
सहेली- एक बार क्या? क्या हुआ?
कमलावती- कुछ नहीं... हमें तो उस रात का वाकया याद आते ही, उस रात के दर्द को याद करते ही मेरी फुद्दी अभी तक सिहर उठती है, और दुबारा इनसे ना चुदवाने की खाई कशम को याद दिलाती है। मैंने इनको कशम दिलाई थी उस रात की दिन में कभी नहीं चोदोगे। पर आज मुझे इनपर दया आ गई और मैं इनसे चुदवा बैठी।
सहेली- इनपे दया आ गई या तेरी फुद्दी खुद जीजाजी के मस्ताने लण्ड से चुदवाने को फड़फड़ा रही थी?
कमलावती- अरे काहे का फड़फड़ा रही थी... मेरा जी जानता है कि मैं इनसे कैसे चुदवाती हूँ।
सहेली- अच्छा तुम्हें खाली दर्द ही होता है, मजा बिल्कुल भी नहीं आता?
कमलावती- सच-सच बताऊँ?
सहेली- हाँ.. अपनी फुद्दी के ऊपर उगी उन झांटों की कशम खाकर बोल की तू जो कहेगी सच कहेगी और सच के अलावा कुछ भी नहीं कहेगी।
कमलावती- “अच्छा... अच्छा मैं कमलावती... अपनी फुद्दी के ऊपर उगी हुई घंघराली झांटों की कशम खाकर ये कहती हूँ की... की.."
सहेली- की. की... क्या लगा रखा है री... बोल?
कमलावती- अरे, क्या बताऊँ री सहेली... हमरी नई-नई शादी हुई थी।
सहेली- अच्छा... नई-नई शादी हुई थी... पर हमारी तो यार पुरानी-पुरानी शादी हुई थी।
कमलावती- बाल की खाल मत उखाड़ सुन।
सहलेई- सुना।
कमलावती- तो वाकया ये हुआ की दिन में हमरी सास पड़ोस के यहाँ गई थीं और ये किसी काम से घर आए। मौका अच्छा देखकर इन्होंने चौका लगाने की सोची। और मैंने भी मौके की नजाकत को देखते हुए अपनी झांटों से ढकी हुई फुद्दी के द्वार इनके लण्ड के लिए खोल ही दिए। और फिर जो होता है तू तो जानती ही है... इनका लण्ड और मेरी फुद्दी, और हमारा प्यारा सा पलंग... बस दे दनादन... दे दनादन लग गये। आधे घंटे के बाद ही जब अपना माल मेरी फुद्दी के अंदर छोड़ा तभी इन्होंने मुझे अपनी बाहों से आजाद किया।
Reply


Messages In This Thread
RE: non veg kahani दोस्त की शादीशुदा बहन - by sexstories - 06-06-2019, 01:37 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  बाप का माल {मेरी gf बन गयी मेरी बाप की wife.} sexstories 72 1,058 1 hour ago
Last Post: sexstories
  Incest Maa beta se pati patni (completed) sexstories 35 788 2 hours ago
Last Post: sexstories
  Thriller Sex Kahani - मोड़... जिंदगी के sexstories 21 14,953 06-22-2024, 11:12 PM
Last Post: sexstories
  Incest Sex kahani - Masoom Larki sexstories 12 7,190 06-22-2024, 10:40 PM
Last Post: sexstories
Wink Antarvasnasex Ek Aam si Larki sexstories 29 4,898 06-22-2024, 10:33 PM
Last Post: sexstories
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,758,090 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 577,652 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,344,246 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 1,028,532 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,806,053 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68



Users browsing this thread: 5 Guest(s)