05-06-2019, 11:39 AM,
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RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
हांफते हुए फिर से पीछे हो कर नजीबा अपनी भितरी जाँघों की गर्म और गीली त्वचा पर अपने हाथ फिराने लगी। उसकी गाँड लैदर की सीट पर मथ रही थी और उसका पेट ऊपर-नीचे हो रहा था। उसने अपना एक हाथ चूत की मेंड़ पर रखा और उसकी अंगुलियाँ फिसल कर क्लिट को आहिस्ता से सहलाने लगी।
नजीबा ने अपने दूसरे हाथ की चार अंगुलियाँ आपस में जोड़कर लंड के आकार में । इकट्ठी कीं और धीरे से स्थिरतापूर्वक चूत में अंदर घुसा दीं। उसकी क्लिट प्रबलता से हिलकोरे मारने लगी और चूत से बहुत सारा झाग निकलने लगा। ।
नजीबा थरथराते हुए सिसकने लगी। वो एक हाथ की अंगुलियों से अपनी चूत को चोद रही थी और दूसरे हाथ से अपनी क्लिट सहला रही थी। उसकी जाँचें हिलोरे मारते हुए झटक रही थीं। वो जानती थी कि आज तृप्ति के लिए उसे एक से अधिक बार झड़ना पड़ेगा।
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उसकी पलकें बंद हो गयी और उसके हाथ तीव्रता से चलते हुए कामोन्माद के पहले मलाईदार उत्कर्ष के लिए उद्यम करने लगे। उसकी चूत जितनी गर्मी ही उसके दिमाग में भी चढ़ी हुई थी। कई कल्पनायें और तसवीरें उसके दिमाग में प्रचंड नृत्य कर रही थीं। बारबार उसके ख्यालों में गधे के विशाल लंड की तसवीर ही आ रही थी। उसे एहसास था कि अपनी चूत को अंगुलियों से चोदते हुए जानवरों के लौड़ों की कल्पना करना कितना विकृत था, किंतु ये ख्याल था कितना उत्तेजक और मादक। एक लहराती हुई तरंग उसके पेट और चूत में दौड़ गयी। हांफते हुए नजीबा ने अपनी आ चारों अंगुलियाँ पूरी की पूरी अपनी चूत में घुसा दीं। दूसरे हाथ से अपनी क्लिट को प्रचंडता से रगड़ते हुए नजीबा अपनी तरबतर चूत के अंदर चारों अंगुलियाँ घुमाने लगी।
अचनक ही वो कामोत्कर्ष पर पहुँच गयी। एक पल वो कामोन्माद के शिखर पर मंडरा रही थी उर दूसरे ही क्षण उसकी चूत ज्वालमुखी की तरह फट पड़ी।
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एक के बाद एक लहर उसके शरीर में हिलोरे मारती हुई दौड़ने लगी और एक के बाद ॥ एक ऐंठन उसकी चूत और जाँघों को झंझोड़ने लगी। नजीबा को ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे उसका पूरा शरीर पिघल रहा है और रगों में चरम आनंद की करोड़ों चिंगारियाँ फूट रही हैं और जैसे उसका दिमाग फट जायेगा और उसकी धमनियाँ काम-रस से भर गयी हैं।
नजीबा आगे झुकी और फिर कमर पीछे मोड़कर अपनी चूत को अंगुलियों से लगातार चोदते हुए उत्तेजना से अपनी चूत का रस निकालने लगी और चरम-आनंद की लहरें श्रृंखला में फूटने लगी। उसकी चूत का अमृत उसके पेट के नीचे झाग बनाने लगा और उसकी धारायें टाँगों से नीचे बहने लगी। उसकी क्लिट में भी बार-बार विस्फोट होने लगा -
और हर विस्फोट के साथ उसकी चूत की गहराइयों से चूत-रस की धार फूट पड़ती।
चूत मे कामोन्माद की एक जोरदार आखिरी लहर ने उसे झंझोड़ कर रख दिया और नजीबा हाँफती हुई कुर्सी पर पीछे फिसल कर मुस्कुराने लगी। उसकी अंगुलियाँ अभी भी उसकी चूत में चल रही थी कि कहीं रोमांच की कोई लहर अंदर ना रह जाये। उसकी उत्तेजना कुछ कम हुई पर जैसे-जैसे उसने अपनी चूत को सहलाना जारी रखा, उसकी क्लिट फिर से तनने लगी। इतनी बार झड़ने के कुछ ही क्षणों पश्चात वो चुदक्कड़ औरत फिर से उत्तेजित हो गयी थी।
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RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
छप्पर की दिशा से शाजिया को गधे के रेंकने की मंद सी आवाज़ आयी। उसे गधे के विशाल लंड के बारे में सोचने के कारण ही शाजिया की चूत का ये हाल था। शाजिया ने झुक कर अपनी चूत को निहारा। नजीबा की तरह उसने भी कई बार कोशिश की थी अपनी चूत स्वयं चाट सके पर कभी सफ़ल नहीं हो पायी थी। चूत-रस उसे बहुत स्वादिष्ट लगता था। कॉलेज के दिनों में हॉस्टल में वो दूसरी लड़कियों की चूत चाट कर उनके चूत-रस का पान करती थी और अपनी चूत दूसरी लड़कियों से चुसवाती थी। परंतु पिछले कई वर्षों से वो किसी लड़की या औरत के साथ हमबिस्तर नहीं हुई थी। शाजिया को नजीबा का ख्याल आया। दोनों ने हॉस्टल में कितनी ही बार एक दूसरे की चूत चाटी थी। नजीबा आज भी उसे काफी सैक्सी लगी थी। शाजिया ने सोचा कि नजीबा के वापिस जाने के पहले एक बार उसे को रिझा कर जरूर चुदाई करेगी। पर इस समय तो गधे के लंड का विचार उसके ख्यालों में था और अपनी चूत की ज्वाला शांत करने के लिए उसे अपने दोनों कुत्तों के लौड़ों की जरूरत थी।
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वो अपनी चूत-रस से भीगी अंदरूनी जाँचें सहलाने लगी और बीच-बीच में चूत पर भी हाथ फेरने लगी। उसकी चूत के होंठ फड़कते हुए फैल गये और उसकी क्लिट किसी बंदूक की गोली की तरह छूट कर बाहर को निकली। शाजिया की चूत में से मादक सुगंध बाहर बह कर मंद-सी ठंडी सुहानी हवा में फैलने लगी।
शाजिया की चूत की मीठी सुगंध हवा के साथ बह कर पीछे छप्पर तक पहुँची जहाँ वो गधा खड़ा था और उसका लंड अभी भी उसकी टाँगों के बीच झूल रहा था। उसके मुलायम | और गीले नथुने फड़कने लगे और चूत की खुशबू से उसका लंड हथौड़े की तरह हवा को कूटने लगा और उसके बड़े आँड उसकी पिछली टाँगों के बीच में घूमने लगे। वो लालसा स रकने लगा।
शाजिया को उसकी विलापी कराहट सुनायी दी और उसकी अंगुलियाँ चूत में धंस गयी। उसे ख्याल आया कि गधे का लंड कितना विशाल, कठोर और गरम था - और निश्चय ही इस समय भी वो इसी अवस्था में होगा। इस ख्याल ने उसके अंदर एक नयी प्रेरना फेंक दी। और वो पूरे जोश में अपनी चूत में चार अंगुलियाँ डाल कर चोदने लगी। उसकी क्लिट जोर से फड़क रही थी और उसकी अंगारे जैसी चूत से उसका अमृत-रस किसी छोटेसे दरिया कि तरह बाहर बहने लगा।
छप्पर में से फिर गधे का विलाप सुनायी पड़ा और शाजिया का हाथ एक बार फिर धीरे पड़ गया।
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अगर गधे के लंड और टट्टों की कल्पना करके अपनी चूत को अंगुलियों से चोदने में | इतना रोमाँच आ रहा था तो उसे यथार्थ में देखते हुए झड़ने में कितना मज़ा आयेगा। नशे
में चूर उसके दिमाग में नयी लालसा छा रही थी। उसने अपना सिर झटका तो गधे के लंड की तसवीर थोड़ी सी डाँवाडोल हुई पर मिटी नहीं। ऐसा लग रहा था जैसे उस मुर्ख गधे के मूसल जैसे लंड की तसवीर शाजिया के दिमाग में छप गयी थी। उसे अपनी विकृत कामना पर हल्की सी ग्लानि हुई पर ये ग्लानि क्षण भर का एक तुच्छ मनोभाव था जो काम लिप्सा और उत्तेजना की गरमी में आसानी से पिघल गया। शाजिया के होंठों पर एक मुस्कुराहट आयी और उसने फैसला कर लिया।
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वो छप्पर में जायेगी और अपनी चूत को अंगुलियों से चोदते हुए जब तक जोर से झड़ नहीं जाती तब तक गधे के लंड और टट्टों पर अपनी आँखें सेंकेगी।
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ये इतना भी विकृत नहीं था, शाजिया ने स्वयं को आश्वासित किया। लंड को देखना उसकी कल्पना करने के बराबर ही तो था -- और निस्संदेह इतना ही उसका इरादा था। हालांकि उसने गधों और घोड़ों के लंड को चूसने और चुदने की अनेक बार कल्पना की थी पर शाजिया को अपने ऊपर भरोसा था। और अगर उसके दिमाग में संदेह था भी तो आश्वासन के लिये नशे में वो जोर से चिल्लाते हुए बोली, “मैं सिर्फ उसके लंड को निहारूगी?”
फिर उसने अपनी गर्दन हिलायी जैसे कि आश्वासित हो गयी हो।
अपने विकृत इरादों से वो और भी उत्तेजित हो गयी हालांकि उसे एहसास नहीं था कि उसकी करतूत कितनी विकृत होने वाली थी। नजीबा की नामौजूदगी के आश्वासन के लिए शाजिया ने एक बार घर के दरवाजे की तरफ देखा। वो अपनी दुराचारी हरकतों में नजीबा द्वारा कोई बखेड़ा नहीं चाहती थी पर नजीबा का वहाँ कोई नामोनिशान नहीं था।
असल में, नजीबा जो खुद कुछ कम नहीं थी, घर के अंदर अपनी ही हरकतों में लिप्त थी - और जल्दी ही और भी ज्यादा व्यस्त होने वाली थी जिसका ना तो उसे और न ही शाजिया को एहसास था।
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05-06-2019, 11:40 AM,
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RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
शाजिया गधे के थुथन के सहारे हिलने-डुलने लगी। शाजिया का सुडौल बदन पूरा काँप रहा था
और वो आनंद और उत्तेजना से कराह रही थी। उसके चुत्तड़ गोल-गोल घूम रहे थे और म उसकी कमर आगे-पीछे हो रही थी। चूत को फैला कर खोलने के लिए शाजिया को अब
अपने हाथों की जरूरत नहीं थी। वो अब उस गधे का सिर पकड़ कर अपनी टाँगों के बीच में दबा रही थी। गधे को भी अब और प्रोत्साहन की जरूरत नहीं थी। वो भी पूरे । आवेश से शाजिया की चूत में चर रहा था।
गधा इतना भी मुर्ख नहीं था और जल्दी ही सीख गया। स्थिति से डरे बगैर, वो शाजिया की चूत में अपनी जीभ ऊपर-नीचे चोद रहा था। चोदने में उसकी जीभ किसी भी मानव लंड से कम नहीं थी।
"
गधे के सिर को अपने हाथों में थामे हुए शाजिया अपनी चूत उस पर रगड़ रही थी। हलांकि शाजिया हाई-हील के सैंडल पहने हुए थी, पर फिर भी वो अपने पैरों के पंजे और मोड़ कर
ऊपर उठी और फिर वापस झुक गयी। गधे का सिर भी उसके साथ ऊपर-नीचे हुआ। जब । । शाजिया की जाँघों पर उसका चूत रस बहने लगा तो गधे ने सिर झुका कर चूत-रस की धार को मुंह में सुड़क लिया, और फिर ऊपर उठा कर चूत के बाहर लगी मलाई को चाटने लगा।
शाजिया ने खुद को और आगे ढकेल दिया जैसे कि वो गधे का पूरा सिर अपनी चूत में लेने । की कोशिश कर रही हो। गधे की जीभ के किनारों से शाजिया के चूत-रस के मोतियों की लढू लटकी हुई थीं। शाजिया फिर अपने पंजे मोड़ कर ऊची उठी। गधे का थुथन उसकी चूत पर फिसला और उसकी लंबी जीभ शाजिया के चूतड़ों की दरार में लिपट गयी। शाजिया के गाँड के छिद्र से चूत तक सुड़कती हुई गधे की जीभ धीरे से वापस खिसकी।
गधे का भूरा थुथन शाजिया की चूत की मलाई से भीगा हुआ था और उसकी जीभ भी उस स्वादिष्ट द्रव्य से तरबतर थी। वो भी शाजिया की चूत में राल बहा रहा था। उसका थूक बुदबुदा कर निकलता हुआ शाजिया की चूत की मलाई में मिश्रित हो रहा था जिससे शाजिया की चूत और जाँचें दलदल में परिवर्तित हो गयी थीं।।
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शाजिया ने अपने हाथ नीचे, गधे के जबड़े के पास ले जाकर उसकी जीभ अपनी अंगुलियों | में पकड़ ली और उसकी जीभ को इस तरह अपनी क्लिट पर रगड़ने लगी जैसे कि वो वायब्रेटर से चुदाई कर रही हो परंतु किसी भी प्लास्टिक के वायब्रेटर से उसे इतना मज़ा
नहीं मिला था। वो जानती थी कि इस समय गधे के साथ जो वो कर रही है वो समाज - के लिए विकृति है पर यह एहसास ही उसकी उत्तेजना और रोमांच को बढ़ा रहा था।
शाजिया ने गधे की जीभ अपनी चूत में भर ली। शाजिया की चूत ने उस जीभ को चारों तरफ से झटक लिया और चूत की दीवारें जीभ को चूसती और अंदर खींचती हुई उस पर चिपकने लगी। गधे की जीभ भी सरकती और फिसलती हुई शाजिया की चूत के अंदर धड़कने लगी। गधे ने जीभ और अंदर ठेल दी और फिर धीरे से वापस खींच कर शाजिया की क्लिट पर सुड़कने लगा।
शाजिया ने अब झड़ना शुरू कर दिया। शाजिया को ऐसा लग रहा था जैसे कामोत्कर्ष का चरम आनंद उसकी ऐड़ियों से शुरू होकर उसकी काँपती टाँगों से ऊपर बहता हुआ चूत में अकर फूटेगा। शाजिया की क्लिट में विस्फोट हुआ और उसकी चूत पिघल उठी। शाजिया की चूत से चूत-रस की गर्म मलाई बाहर बहने लगी तो शाजिया गधे के थुथन पर जोर-जोर से झटकने और अपनी चूत पीटने लगी।
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जब शाजिया का तीखा और पिघले मोतियों जैसा गाढ़ा और गर्म चूत-रस गधे की स्वादग्रंथियों पर बहने लगा तो गधे की जीभ पागलों की तरह उसे सुड़कने लगी और गधा जोर से रेंकने लगा। शाजिया की गाँड और चूतड़ आगे-पीछे हिलने लगे और गधे की जीभ चूत के अंदर फावड़े की तरह खोदती हुई जल्दी-जल्दी चूत-रस पीने की चेष्टा करने लगी।
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शाजिया का बदन ऐंठ कर झनझनाने लगा और वो आनंद से चीखने लगी। वो झटकने, काँपने और लड़खड़ाने लगी और जोश से उसे चकर आने लगा। उसे अपनी टाँगें नरम होती महसूस हुईं और उसकी सारी शक्ति चरमानंद की गर्मी में पिघलने लगी। शाजिया अपने उत्कर्ष पर वहाँ चिपकी हुई मीठे स्वर्गसुख की खाई के ऊपर झूल रही थी। गधे की जीभ ने चाटना जारी रखा और शाजिया के अंदर आनंद की एक और तरंग छेड़ते हुए गधा चूतरस का पान कर रहा था।
झनझनाते हुए आखिरी झटके के साथ शाजिया फिर जोर से चीखी और फिर अस्थिर कदमों से पीछे हट गयी। गधे ने अपना सिर शाजिया के साथ-साथ पीछे ढकेला और आखिरी बार | सुड़कते हुए अपनी जीभ उसकी चूत पर फिरायी। शाजिया में खड़े रहने की शक्ति नहीं बची थी इसलिए वो अपने घुटने जमीन पर टिका कर बैठ गयी। अधखुली आंखों से शाजिया ने गधे पर दृष्टि डाली - उसकी जीभ से जो अदभुत रोमाँच और आनंद शाजिया को मिला था, उसके लिए कृतज्ञता भरी दृष्टि थी। शाजिया ने देखा कि गधे का जबड़ा और थुथन उसके चूत-रस से दमक रहा था।
गधे ने भी शाजिया को निहारा। गधे के भाव आशापूर्ण थे। शाजिया की चूचियाँ ऊपर-नीचे उठ रही थीं और वो अपनी साँसों पर नियंत्रण पाने की कोशिश कर रही थी। गधा भी हाँफ सा रहा था। गधे के चेहरे के भाव बदले और उसकी बड़ी आँखों पर उसकी पलकें झुक गयी और वो उदास दिखने लग। शाजिया ने ऐसे ही सोचा कि शायद गधा उसके पीछे हट जाने से उदास है। क्या उसकी अतृप्य जीभ उसकी चूत को और चाटना चाहती थी। शाजिया ने झुक कर अपनी टाँगों के बीच में देखा। उसकी चूत और जाँचें गधे के थूक से सराबोर थीं।
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