non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्रेम कहानी )
12-27-2018, 01:46 AM,
#30
RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
इंदु.... देखिए अमोल जी, आप का इतना सुना'ना समझ मे आ रहा है, पर यदि अभी बीती बातों पर ही एक दूसरे की खिंचाई करेंगे तो इस से मॅटर सॉल्व नही होना है, यदि आप को उस बात के लिए आक्षन लेना है तो अभी ले लीजिए बाकी जो भी हुआ है सॉल्व हो जाएगा, और नही हुआ तो जो आप को करना है कर लेना, चलो डार्लिंग यहाँ से.


इंदु जान बुझ कर कूद गयी बीच मे, विक्की तो हक्का-बक्का बस उसी को देख रहा था और समझने की कोशिस कर रहा था कि ये लड़की बिना इसे जाने आख़िर इतना बोल कैसे गयी.


खैर अब तो जो होना था हो गया, विक्की उठा और इंदु के साथ चल दिया. कार के अंदर पहुँचते हे गुस्से मे विक्की ने उसका गला दबा दिया....


"कमीनी, तुझे बोला था अपना मुँह बंद रखने, फिर अपना मुँह क्यों खोली. जानती भी है कौन है वो"

इंदु.... उन्न्नह, उनह, गला तो छोड़ो. 


हाँफती साँसों को नॉर्मल करती हुई ...... आप के पास दिमाग़ की कमी है, इसलिए गुस्से से काम ले रहे हो.


विक्की.... तू मुझे समझाने वाली कौन होती है, यदि उसने कुछ आक्षन लिया अभी की बात पर, तो मैं तो निकल जाउन्गा किसी तरह, पर तुझे जान से मार दूँगा.


इंदु.... पहले अपनी जान बचा लो, इतना हे मॅटर सॉल्व करने वाले होते तो वो इश्स तरह से बातें नही करता. दूसरी बात ये, कि उसे बस अपना काम होने से मतलब है. और मैने वहाँ इसलिए ऐसा किया क्योंकि सिर आप कुछ जबाव नही दे रहे थे और उसे सुन ना था कि, उसका काम हो रहा है कि नही.


विक्की.... कहने का क्या मतलब है तेरा....


इंदु.... मतलब ये है सर, कि उसका जो भी नुकसान है या बिगड़ा काम है सॉल्व कर दो बस, उसे बस वही सुन ना था. और हां काम तो उसका आप को करना ही था, क्योंकि जो हाव-भाव थे उसके उस से यही पता चलता था कि या तो करो या तैयार हो जाओ आगे के लिए.


विक्की... यू बिच ! ये तो मैं भी जानता था, कम-अकल लड़की, पर उसके इंटेन्षन जान ना था मुझे. मैं उस से बात इसलिए नही कर रहा था ताकि वो जाते जाते मोहलत देता जाए, जब उसका गुस्सा नॉर्मल हो जाए तो मैं उस से कुछ हेल्प ले सकूँ. अब बता तेरे साथ मैं क्या करूँ, तू क्या सोचती है बिना दिमाग़ के मैं यहाँ पर हूँ. बोला था ना चुप-चाप रहना.....


इतना कह कर विक्की ने गुस्से मे एक थप्पड़ लगा दिया उसे, और कार ड्राइव करने लगा. इंदु को अपनी कुछ एक्सट्रा ऑर्डिनरी प्रेज़ेन्स ऑफ माइंड पर अब रोना आ रहा था, अच्छा ख़ासा उसका एक कॉन्टेक्ट उसकी बेवकूफी की वजह से हाथ से चला गया, वो तो सिर्फ़ एक कॉंटॅक्ट जाने का सोच रही थी, पर आगे जो होना था उस पर उसका ख्याल ही नही गया.


विक्की कार तेज़ी के साथ अपने बंग्लॉ के अंदर लाया, और इंदु के बाल पकड़ कर खींचता हुआ उसे घर मे ले गया. जोरदार एक थप्पड़ इंदु के गाल पर पड़ी..... "तुझे तो आज मैं दिखाता हूँ, बीच मे बोलने का क्या मतलब होता है, स्टार बनेगी, तुझे तो मैं पॉर्न स्टार बना दूँगा"


ज़ोर का थप्पड़ पड़ने से इंदु के होश उड़ चुके थे, आँखों से आँसू आ गये, रोती हुई वो सॉरी सॉरी कहने लगी, मगर विक्की का तो दिमाग़ खराब हो चला था इंदु की हरकत देख कर. 


विक्की, इंदु को खड़ा किया और उसके होंटो को काट'ते हुए चूम लिया, और फिर चूमते हुए ही एक धक्का दिया और इंदु फर्श पर गिरी. गिरी ही थी, कि विक्की ने इंदु का टी-शर्ट खींच कर निकाल दिया, बड़ी बेरहमी से पेश आ रहा था, टी-शर्ट खींचने के चक्कर मे इंदु के कयि जगह छिल भी गया.


किसी तरह छूट कर उस से, इंदु भागी. भागते हुए वो एक कमरे मे पहुँच गयी, गेट अंदर से लॉक कर ली, और वहाँ लगे बिस्तर पर बैठ कर अपने आँसू पोच्छने लगी.


नॉर्मल हुई भी नही होगी, कि विक्की गेट खोलता चिल्लाता अंदर घुसा.... ये मेरा घर है कमीनी, आज तुझे कोई नही बचा सकता मुझ से. यहाँ के सारे गेट मेरे इशारे से खुलते हैं.


इंदु जैसे ही विक्की को अंदर गुस्से मे आते देखी, उसके होश एक पल मे ही उड़ गये, जान बचाती फिर रही थी, किसी के मॅटर मे एक्सट्रा दिमाग़ लगाने की उसकी सज़ा मिल चुकी थी. उसे कुछ समझ मे ही नही आ रहा था क्या करे क्या नही करे.


वो वहाँ से फिर भागी और जाकर खुद को बाथरूम मे बंद कर ली. यहाँ अंदर घुसने से विक्की भी फैल हो गया. अंदर जाकर इंदु वहीं बैठ कर फुट-फुट कर रोने लगी. ज़्यादा जल्दी थी उसे उपर पहुँचने की और उसी जल्दी ने इंदु के साथ ये क्या कर दिया. 


इंदु अपना मोबाइल निकाल कर कॉंटॅक्ट चेक करने लगी ... और सोचने लगी किसे मदद के लिए बुलाए, यहाँ वो किसी को जानती भी नही. और तो और उसने अपने रूम मेट का भी नंबर नही ली थी जो हॉस्टिल खबर कर दे.


इधर बाथरूम के बाहर खड़ा विक्की ज़ोर से दरवाजा पीट'ते हुए.... बाहर आ जा तू, जितनी देर अंदर रहेगी उतना मेरा गुस्सा बढ़'ता रहेगा, हो सकता है कहीं आज ही तेरी मौत ना लिखी हो, वैसे भी देल्ही मे कांड होते रहते हैं.


बोल्ड और दोहरी जिंदगी जीने वाली इंदु, जिसे आज तक कोई डरा नही पाया था, वो डर से थर्र-थर्र कांप रही थी, उसकी हर तेज चिल्लाहट पर धड़कने थम जाती थी. मन मे अचानक ही ख़याल आया की पोलीस को फोन किया जाए और उसे सारी घटनाएँ बता दी जाए.


इंदु जल्दी से अपने मोबाइल से 100 डाइयल की और पोलीस को कॉल करने लगी, पर कॉल कंप्लीट नही हो पाई क्योंकि नंबर डाइयल कर के फोन लगा ही रही थी कि विक्की ने तेज गुर्राया, और डर से उसके हाथ से मोबाइल छूट गया, और पानी मे गिर गया.


वक़्त ने भी अजीब मंज़र दिखाया, क़ैद मे फँसी थी इंदु और छटपटा कर रह गयी थी, हर पल बीत'ता और हर बीते पल मे आहट होती उसे अपने मौत की. ये किसके चंगुल मे फँस गयी .....

गेट की तेज़ी से खट-खटाने की आवाज़, काँपता बदन, तेज़ी से धड़कता दिल, और रुकी सी साँसें. भय ने ऐसा घेरा इंदु को कि वो डर से बाथरूम मे ही चिल्लाने लगी .... 


इधर बाथरूम के गेट पर तेज-तेज धक्को की आवाज़, इंदु को ये अहसास करा रही थी कि गेट किसी भी समय खुल सकता है. डर के मारे हाथ से बाथरूम का सावर चालू हो गया. अचानक से पानी बदन पर गिरा तो साँसें चढ़ गयी, और साँसें जैसे थम सी गयी हो. 


बस क्षण भर का था ये, पर पानी पड़ने से दिमाग़ भी थोड़ा शांत हुआ इंदु का. घबराई तो बहुत थी इंदु, विक्की का गुस्सा देख कर, पर उसे क्या सूझा, खुद मे हिम्मत करती वो बाथरूम से बाहर निकली.


जैसे ही बाहर आई विक्की ने गला पकड़ कर उसे फर्श पर धक्का दे दिया. इंदु हिम्मत कर के उठी, इस से पहले विक्की कुछ करता, इंदु अपने पूरे मुँह मे विक्की के होंठ भरते हुए उसे ज़ोर-ज़ोर से चूमती हुई काटने लगी. 


तकरीबन दो मिनट तक का चला ये किस, विक्की ने कंधे से पकड़ कर इंदु को खुद से अलग किया और फिर एक थप्पड लगाते हुए कहने लगा....... तुझे आज मुझ से कोई नही बचा सकता.


पर इस बार का थप्पड़ पहले के मुक़ाबले आधे से भी कम ज़ोर का था. इंदु समझ चुकी थी आगे क्या करना है..... "बचना भी कौन चाहता है विक्की" ..... कहती हुई खड़ी हुई ....


थप्पड़ खाकर भी एक बार फिर उसके होंठ को जोरदार तरीके से चूमि, और अपने हाथ को उसके पैंट के अंदर डाल कर विक्की के लिंग को प्युरे मुट्ठी मे अपनी पूरी ताक़त के साथ दबा दी. ज़ोर लगाने के कारण विक्की के जो होंठ इंदु के दाँतों तले थे वो भी जोरदार तरीके से दाँतों के बीच मे आ गये.


इतना तेज पलटवार इंदु का था कि विक्की तो ढेर हो गया. दर्द मे चिल्लाने की बारी विक्की की थी. जैसे करेंट की चपेट मे आया बॉडी का हिस्सा तेज़ी से झटका ख़ाता है, उसी तरह दाँतों के बीच फँसे होंठ के कारण सिर, और हाथों मे दबोचे लिंग के कारण कमर ने झटका खाया और विक्की बड़ी तेज़ी से अलग हुआ.


जबावी हमले मे विक्की ने बड़ी तेज़ी के साथ इंदु के बदन से लगे ब्रा को खींच कर निकाल दिया और इंदु के बूब्स पर हमला बोलते, राइट वाले बूब को अपने मुट्ठी मे और लेफ्ट को अपने मुँह मे ले लिया ..


एक को हाथों से बड़े प्यार से धीरे-धीरे सहला रहा था, और दूसरे को मुँह मे भर कर पूरा चूस रहा था. इंदु ... इष्ह ! करती सिसकारियाँ लेने लगी, और विक्की के बाल पर हाथ फेरने लगी. आनन्द के पल थे ... और वासना की आग भड़कना शुरू हो गयी.... 


तभी विक्की का हाथ जो उसके बूब्स को सहला रहा था, सहलाते सहलाते एकदम से झटके से एक बार कस कर दबोच लिया, और ठीक उसी समय बूब्स को चूस्ते हुए झटके मे काट लिया.



तेज आहह की आवाज़ के साथ चीखी इंदु और विक्की के बाल को पूरी ताक़त के साथ खींच कर उसके सिर को उपर की. विक्की का सिर उपर होते ही दोनो की नज़रें मिली और कुछ पल दोनो एक दूसरे की आँखों मे देखे और फिर एक दूसरे का होंठ पागलों की तरह चूमने लगे. 


होंठ चूमते हुए विक्की के हाथ इंदु के बॅक को पूरा दबोचे रहे थे वहीं इंदु भी विक्की के पीठ पर हाथ फेरती उसपर नाख़ून के ज़ोर से खरॉच रही थी.


दोनो दर्द और मस्ती मे डूबे थे, और चीख और सिसकारियों का मिला जुला एक्सप्रेशन आ रहा था. विक्की नीचे हाथ ले जाकर इंदु के जीन्स के बटन को खोलते हुए उसे उसके शरीर से आज़ाद कर दिया और अपने पैंट उतार कर नीचे से नंगा हो गया. 


अब विक्की ने इंदु का गला पकड़ा और पिछे करते हुए बिस्तर पर धकेल दिया, इंदु धम्म से गिरी बिस्तर पर, और विक्की उस पर टूट पड़ा. 


होंठो को होंठ पर रखे, एक हाथ से एक बूब्स को पकड़ा और दूसरा हाथ इंदु की योनि पर, जिसमे वो अपनी तीन उंगलियाँ डाल गोल घुमाता हुआ बड़ी तेज़ी से अंदर बाहर करने लगा. ऐसा लग रहा था जैसे उंगलियों को अंदर बाहर करते नल खोल रहा हो.


इंदु तेज साँसें लेती हुई मस्ती से सिसकारियाँ ले रही थी, उसके मज़ा की कोई सीमा नही थी, खास कर जब उंगलियाँ योनि के अंदर घूमती तो इंदु मस्ती मे पागल हो जाती. और उसी बीच विक्की कभी उसके होंठ काट लेता तो बही उसके बूब्स को बरी बेरहमी से दबोच लेता.


कोई रहम नही थी आज तो. कभी दर्द से इंदु एयाया कहती .. तो कभी मस्ती मे आहह ! झटके देकर इंदु ने विक्की को नीचे किया और खुद उपर आ गयी. अपने दाँतों से विक्की के निचले होंठों को काटी, हाथों को सीने पर फिराती हुई, विक्की के निप्पल को अपने नखुनो मे फँसा कर बड़ी ज़ोर से खींच दी.


उफफफ्फ़ जान ही निकाल दी विक्की की..... "कामिनी.... आअहह ... चीखता हुआ विक्की ने एक थप्पड़ जड़ दिया फिर से. लेकिन अब विक्की के थप्पड़ मे पहले जैसी बात नही रही. जितना दर्द वो इंदु के नाज़ुक अंगों को दे रहा था कम से कम उस से तो कम ही थी. 


दोनो जैसे शिफ्ट मे खेल रहे हों. पहले विक्की फिर इंदु, फिर विक्की. विक्की उठा बिस्तर से और इंदु से पुछ्ता हुआ ... कुछ लेगी क्या...


इंदु.... हां लूँगी ना तुझे पूरा, वैसे तू दे भी क्या सकता है...... कहती हुई इंदु ने अपनी एक आँख मार दी.


विक्की..... ऐसी बात है जानेमन, फिर तो आज ज़ोर आज़माइश हो ही जाए. वाइन लेगी क्या अभी ?


इंदु.... जो भी है, आज सब ले लूँगी.


विक्की हँसता हुआ गया, एक स्कॉच की बोतल खोल कर पॅक बनाया और दोनो पीने लगे. दो पॅक के बाद इंदु ने बस कर दिया. विक्की तीसरा पॅक डालते, "अभी से सरेंडर हो गयी, अभी तो पूरी रात बाकी है. इस दो पॅक मे क्या होगा".


इंदु तीसरा पॅक पीती हुई .... नशा तो सेक्स का होना है, शराब की मदहोशी मे फिर कहाँ कुछ पता चलेगा.


विक्की मुस्कुराता हुआ बोतल बंद किया और एक ड्रॉयर से मोमबत्ती निकाला, उसे जलाया और इंदु को लेटने का इशारा किया. इंदु भी चुप चाप लेट गयी. विक्की मोबतती को जला कर आया और इंदु के पाँव को फैलाते हुए योनि के उपर जलता मोम गिराने लगा.


पतली चमड़ी के उपर जला मोम, दर्द से तो इंदु छटपटा गयी, पर इस दर्द मे भी उसे एक अलग ही मज़ा मिल रहा था. पर विक्की यहीं पर थोड़े ना रुकने वाला था, मोम को बिल्कुल योनि पर गिराकर ठीक उसके उपर से बूंदे गिराता हुया क्लीवेज़ तक पहुँचा, और हाथ वहाँ से पहले राइट फिर लेफ्ट की डाइरेक्षन मे मूड कर उसके बूब्स के उपर गिराते हुए ... बुझा दिया.


इंदु बस तेज-तेज साँसें लेकर इस जलन को झेल गयी, थोड़ी जलन हुई पर काम की मस्ती के आगे ये जलन फीकी थी. उल्टा जब मोम धीरे धीरे ठंडा हुआ तो शरीर के अंदर एक मस्ती भरी सिहरन सी पैदा होने लगी.

विक्की फिर इंदु को "लेटी रह" बोल कर गया और फ्रिड्ज से आइस क्यूब निकाल लाया. जमे हुए मोम को हाथो से खरोंच ते हुए आइस-क्यूब उसपर मल्ता हुआ उपर से नीचे आ रहा था. इंदु की साँसें काफ़ी तेज हो गयी थी. जले पर आइस क्यूब का लगाना उसे काफ़ी सुकून दे रहा था.


इंदु तो अपने काम की पूरी मस्ती मे आ गयी थी, दर्द के साथ ये एक ऐसी फीलिंग थी जो उसे दीवाना बना रही थी. नीचे आते आते अब विक्की योनि पर पहुँचा. यहाँ के लिए विक्की ने स्पेशल ट्रीटमेंट सोच रखा था.


मोम को हाथों से हटा'ते हुए आइस क्यूब को मुँह मे लेकर योनि के अंदर डाल दिया और उपर से मुँह तब तक नही हटाया जबतक वो बर्फ पानी नही हो गया. इंदु का सरीर पूरा सिहर गया. अंदर से जैसे तरंगे उठ रही हो, बदन की छटपटाहट थी ऐसी थी जैसे मानो मछली पानी के बाहर छटपटा रही हो .... और तेज चलती साँसें और इश्ह्ह्ह्ह्ह ! की आवाज़ें ये बता रही थी कि वो अब पूरी मस्ती मे थी.....


विक्कीईईईईईईईईई .... ईश्ह्ह्ह्ह्ह्ह ! हाटाआूओ, मैंन्न्न् पागलल्ल्ल हो रही हूँ...... मानो उस बर्फ ने जैसे योनि के अंदर भूचाल मचा रखी हो, वो अंदर से इतनी तेज आज तक नही मचलि. विक्की बर्फ पिघलने के बाद भी योनि को अपने मुँह से लगाए रखा और जीभ से चाट'ता रहा. 
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