non veg story किरण की कहानी
09-07-2018, 12:58 PM,
#14
RE: non veg story किरण की कहानी
इसी तरह से एक वीक हो गया और मुझे कोई ख़ास मज़ा नही आया. बस वो अपने हिसाब से चोद्ता रहा और हर बार चोद के मुझ से पूछता “मज़ा आया किरण” तो मैं मूह नीचे कर के चुप हो जाती तो वो समझता के शाएद मैं उंसकी चुदाई को एंजाय कर रही हू. पता नही क्या प्राब्लम था उसको के उसका लंड अकड़ता तो था चुदाई से पहले लैकिन चूत की गर्मी से उसकी मलाई दूध बन के निकल जाती थी. ऐसा लगता था के लंड चूत


के अंदर सिर्फ़ मलाई छोड़ने के लिए ही जाता है हार्ड्ली 2 या 3 ही धक्को मे उसका काम तमाम हो जाता था. शुरू शुरू मे तो मैं समझी के शाएद एग्ज़ाइट्मेंट की वजह से होगा पर वक़्त के साथ ठीक हो जाएगा पर ऐसा कुछ नही हुआ. शादी के बाद टोटल 2 वीक उसके घर रह के हम सिटी मे चले आए जहा उसका बिज़्नेस था.

अशोक के घर वाले सिटी के आउटस्कर्ट्स मे रहते हैं और अशोक एक बिज़्नेसमॅन है उसका रेडी मेड गारमेंट्स का बिज़्नेस ठीक ठाक ही चलता है तो वो अपने बिज़्नेस के लिए डेली औत्स्किर्ट से सिटी मे नही आ सकता था इसी लिए उसने एक घर सिटी मे ले रखा था जिस्मै हम दोनो ही रहते हैं. कभी कभी उसके माता और पिता आजाते या कभी उसकी बहेन रेणुका आ जाती तो एक या दो दिन रह के चले जाते.

घर मे मैं अकेली ही रहती हू. वक़्त ऐसे ही गुज़रता रहा. मेरी चूत मे सारी रात आग लगता रहता और खुद सुबह सुबह उठ के चला जाता और मैं जलती चूत के साथ सारा दिन गुज़ारती रहती. करती भी तो क्या करती इसी तरह से 3 महीने गुज़र गये. बहुत बोर होती रहती थी घर मे बैठे बैठे सब नये नये लोग थे किसी से भी कोई जान पहचान नही थी. हमारे घर के करीब ही एक लेडी रहती थी उनका नाम था उषा. वो होगी कोई 36 या 37 साल की वो अक्सर हमारे घर आ जाया करती है और इधर उधर की बातें करती रहती है. मैं उन्हाई आंटी कहने लगी. वो जब आती तो 2 या 3 घंटे गुज़ार के ही जाती मेरे साथ सब्ज़ी भी बना देती और कभी खाना पकाने मे भी मदद कर देती और कभी कभी तो हम दोनो मिल के खाना भी खा लेते.

अशोक तो बिज़्नेस के सील सिले मे सिटी से बाहर जाते ही रहते हैं और जब कभी किसी दूर के शहेर को जाना होता तो वो 2 या 3 दिन के लिए जाते और मैं घर मे अकेली ही रहती हू. कई बार आंटी ने कहा के किरण तुम अकेली रहती हो अगर तुम कहो तो मैं तुम्हारे पास आ के सो जाया करू. मैं ने हस्ते हुए उनके इस इरादे को टाल दिया और अब वो मेरे साथ सोने की बात नही करती कभी कभी अगर बातें करते करते रात को देर भी हो जाती तो वो अपने घर को ही चली जाती थी. उनके पति सिटी से दूर किसी विलेज मे टीचर थे और वो विलेज मे कोई सहूलियतें नही थी इसी लिए आंटी को वाहा नही ले जाते थे और हर वीक सिटी मे आ जाते थे आंटी के पास और थके हुए होते थे तो ज़ियादा तर वक़्त उनका सोने मे ही गुज़र जाता था और वो फिर स्कूल खुलने से पहले ही वापस चले जाते और आंटी फिर से अकेली रह जाती थी. स्कूल के जब आन्यूयल वाकेशन होते तभी वो कुछ ज़ियादा दीनो के लिए घर आते थे.

एक दिन आंटी लंच के बाद आ गई मैं उस टाइम लंच कर के लेटी थी के थोड़ी देर सो जाउन्गी कियॉंके आज मोसाम बोहोत क्लाउडी था और कभी भी बारिश हो सकती थी ठंडी हवा चल रही थी आक्च्युयली मोसाम सुहाना हो रहा था पर मुझे रात के अनसेटिसफॅक्टरी सेक्स से सारा बदन टूटा जा रहा था और सोने का मन कर रहा था ठीक उसी टाइम पे आंटी आ गई तो मैं उठ के बैठ गई. आंटी ने पूछा के क्या तबीयत खराब है तो मैने कहा नही तबीयत खराब तो नही पर बदन मे थोड़ा सा दरद हो रहा है तो आंटी ने पूछा के क्या मैं तुम्हारा बदन दबा दू तो मैं ने हंस के कहा के नही आंटी ऐसे कोई बात नही. इतने देर मे एक दम से बोहोत ज़ोरों की बारिश शुरू हो गई. मेरे इस घर मे आने के बाद यह पहली बारिश थी तो मेरा जी चाह रहा था के मैं उप्पेर जा के बाल्कनी से बारिश देखु इसी लिए मैं ने आंटी से कहा के चलिए ऊपेर चल के बैठ ते है और बारिश का मज़ा लेते हैं.

हम दोनो ऊपेर आ गये. हमारी बाल्कनी के सामने सड़क थी और दोनो तरफ शॉप्स थे जहा सब्ज़ी, चिकन मीट और मिसिलेनीयियस आइटम्स मिल जाया करती थी एक छोटा मोटा सा बाज़ार था तकरीबन डेली इस्तेमाल की सभी चीज़ें मिल जाया करती थी. इतनी बारिश की वजह से सारा मार्केट सूना पड़ा हुआ था कभी कभी कोई इक्का दुक्का साइकल वाला या कोई आदमी बरसाती ओढ़े गुज़र जाता था. हम दोनो बाल्कनी मे नीचे फ्लोर पे ही बैठ गये और जाली मे से बाहर का सीन देखने लगे. कभी कभी बारिश का थोडा सा पानी हमारे ऊपेर भी गिर जाता था. मौसम ठंडा हो गया था शाम के 5 बजे ही ऐसा लग रहा था जैसे रात के 8 या 9 बज रहे हो ऐसा अंधेरा था. मैं जा के 2 कप गरम गरम चाइ बना का ले आई और हम चाइ पीते पीते बाहर का सीन देख रहे और इधर उधर की बातें करते करते बारिश के मज़े लेने लगे.

चाइ पीने से बदन मे थोड़ी सी गर्मी आ गई. वो मेरे लेफ्ट साइड मे बैठी थी और इधर उधर के बात करते करते पता नही आंटी को क्या सूझा के मुझ से मेरी सेक्स लाइफ के बारे मे पूछने लगी. मेरी समझ मे नही आ रहा था के क्या बताउ. आंटी एक्सपीरियेन्स्ड थी शाएद मेरी खामोशी को ताड़ गैइ और धीरे से पूछा रात को मज़ा नही आता ना ?? मैं ने ना मे सर हिलाया लैकिन कुछ ज़बान से बोला नही.

उन्हो ने मेरा हाथ अपने हाथ मे लिया और धीरे से दबाया और कहा के मुझे भी नही आता मैं भी ऐसे ही तड़पति रहती हू और मेरा हाथ अपने हाथ मे ले के उसका मसाज करने लगी. मैं हक्का बक्का उनकी कहानी सुन रही थी उन्हो ने अपनी सुहाग रात के

बारे मे बताया जो मेरी सुहाग रात की ही तरह हुई थी और फिर बताया के कैसे वो अपनी सेक्स की प्यास को बुझाती है और उनका भी एक दूर का कोई रिलेटिव है जो सिटी मे ही रहता है आंटी के घर से ज़ियादा दूर नही है
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