Parivaar Mai Chudai हमारा छोटा सा परिवार
05-18-2019, 01:03 PM,
#11
RE: Parivaar Mai Chudai हमारा छोटा सा परिवार
"धत बड़े मामा, आप तो बहुत ही गंदे ..... ऊंह आप भी ना कैसी कैसी ....," मैं शर्मा रही थी। मेरा दिल बड़े मामा की वासनामयी विचित्र इच्छायों से उत्तेजित हो कर तेज़ी से धक्-धक् कर रहा था।


"बेटा, आपका मूत्र तो अमृत की तरह मीठा और सुन्धित है। आज तो मैंने बस चखा है मैं तो दिल खोल कर अपनी बेटी का मूत्र्पान करने के दिन का इंतज़ार कर रहा हूँ।" बड़े मामा ने प्यार से मेरी चूत को फिर से चूमा उन्होंने मेरी दोनों जांघें उठा कर अपने कन्धों पर रख ली। मैं कुछ भी न समझने के कारण बड़े मामा को सिर्फ प्यार से निहारती रही।


बड़े मामा मेरी पूरी खुली जांघों की बीच मेर्रे गीली चूत के ऊपर मुंह रख कर उसे ज़ोर* से चूमने लगे। मेरे गले से ऊंची सिसकारी निकल पड़ी।

"बड़े मामा ... आह आप क्या कर रहें हैं?" मैं बड़ी मुश्किल से बोल पाई।


बड़े मामा ने मुझे नज़रंदाज़ कर मेरी कुंवारी छूट के गुलाबी अविकसित भगोष्ठों को अपनी जीभे से खोल कर मेरी चूत के संकरी दरार को जोर से अपनी जीभ से चाटने लगे।

"बड़े मामा, मेरी चूत जल रही है। ओह ... आह ... ओह .. बड़े मामा .. आ ...आ ... उन्न .. उन्न ...अं।" मेरे गले से वासना भरी सिसकारी निकलने लगीं।


बड़े मामा ने मेरी चूत को अपनी खुरदुरी जीभ से चाटना शुरू कर दिया। उनकी जीभ मेरी चूत के निचले कोने से शुरू हो कर मेरे भग-शिश्न पर रुकती थी। उन्होंने कुछ ही क्षड़ों में मेरी चूत को वासना के अग्नि से प्रज्ज्वलित कर दिया।


मेरे दोनों हाथ स्वतः ही उनके घुंघराले घने बालों में समा गए। मैंने उनके घने बालों को मुठी में कस कर पकड़ लिया और उनका* मुंह अपनी चूत में दबाने लगी।

"बड़े मामा, मेरी चूत आह ... आह ... ओह .. कितना अच्छा लग रहा है, बड़े मामा आह ..ऊंह .. ऊंह ....आन्न्ह ...आन्नंह ....और चाटिये प्लीज़।" मैं अब वासना की आग में जल रही थी और अनर्गल बोलने लगी।


बड़े मामा अपनी जीभ से अब मेरे सख्त अविकसित किशमिश के दाने के आकार के अति-संवेदनशील क्लिटोरिस को चाटने लगे। उनकी भारी खुरदुरी जीभ ने जैसे हे मेरे भग-शिश्न को जोर से चाटा मेरा रत-निष्पात शुरू हो गया।


"बड़े मामा मैं झड़ रही हूँ। आह .. आन्नंह ....ओह .. ओह ... मा ...मा ..... जी ...ई ... ई .... ऊउन्न्न्न्न्ह्ह्ह," मैं जोर से चीख कर झड़ने लगी। मेरा प्रचुर रति-रस ने मेरी चूत से झरने की तरह बह कर बड़े मामा के मुंह को भर दिया। बड़े मामा मेरे चूत के रस को प्यार से पी कर मेरी कुंवारी चूत को फिर से चाटना शुरू कर दिया।


मैं अब बिलकुल पागल हो गयी। मेरा कमसिन अविकसित शरीर इतनी तीव्र प्रचंड वासना को सम्भालने के लिए अत्यंत अपरिपक्व था। दूसरी और बड़े मामा सम्भोग के खेल में अत्यंत अनुभवी थे। मेरे शरीर को उन्होंने अपने प्रभुत्व में ले कर मेरी छूट को अपनी जीभ से एक बार फिर से गर्म कर दिया।

मेरी सीत्कारी बार बार स्नानगृह में गूँज रहीं थीं।


मैं सिसकते हुए बड़े मामा के सर को अपने जांघों के बीच में जोर से दबा रही थी। बड़े मामा ने मेरी जांघों को और ऊपर कर मेरे नितिम्बों को और खोल दिया। उनकी जीभ अचानक मेरे मलाशय के छिद्र पर पहुँच गयी। मेरी सांस बंद हो चली मुझे तो सपने में भी सोच नही आता की कोई किसी दुसरे के गुदा-छिद्र को चाटने की इच्छा कर सकता था।


बड़े मामा मेरे सामने संसर्ग के नए द्वार खोल रहे थे।


बड़े मामा ने अब अपनी जीभ की नोक से मेरी गुदा को करोदने लगे। मेरी गांड का छेद स्वतः फड़कने लगा। बड़े मामा ने थोड़ी देर ही में उसे चाट कर शिथिल कर दिया। अचानक उनकी जीभ की नोक मेरी गांड के छेड़ के अंदर प्रविष्ट हो गयी।


"बड़े मामा आप क्या कर रहें हैं? ओह .. ओह .. आन्न्ह ... मेरी गा .. आंड ... ओह ... आन्न्न्ह्ह्ह .... ऒओन्न्न्न्ह्ह्ह्ह्ह।" मेरे जलते हुए शरीर पर अब बड़े मामा का पूरा अधिकार था। मैंने अपने आप को बड़े मामा के हाथों पर छोड़ दिया।


बड़े मामा की जीभ मेरी गांड के छेद से लेकर चूत के ऊपरी कोने तक चाटने लगी। हर बार उनकी खुरदुरी जीभ मेरे संवेदनशील भग-शिश्न को जोर से रगड़ देती थी। मैं एक बार फिर से झड़ने के द्वार पर खड़ी थी। मेरी चूत में एक विचित्र से दर्द उठ चला। उस दर्द ने एक अजीब सी जलन भी थी।


"बड़े मामा मुझे झाड़ दीजिये, " मैं हलक फाड़ कर चीखी।


बड़े मामा ने तुरंत अपनी मोटी तर्जनी [इंडेक्स फिंगर] मेरी गांड में डाल केर मेरे जलते हुए भाग-शिश्न को अपने होंठों में कास कर पकड़ कर उसे झंझोंड़ने लगे। मैं चीख कर झड़ने लगी।


मेरा सारा शरीर अकड़ गया। मेरे पेट में दर्द भरी एंथन ने मेरी सांस रोक दी। मेरी चूत के बहुत भीतर एक नई दर्द भरी मरोड़ पैदा हो गयी थी।

मेरे कमसिन अपरिपक्व शरीर के अंदर उठे सारे दर्द एक जगह में मिल गए। वो जगह मेरी चूत थी।


मेरी ऊंची चीख से स्नानगृह की दीवारें गूँज उठीं। जब मेरा रत-निष्पति शुरू हुई तो मेरे सारे शरीर की मांस-पेशियाँ शिथिल पड़ गयीं। मेरा अकड़ा हुआ कमसिन शरीर बिलकुल ढीला हो कर बड़े मामा के ऊपर गिर गया। मेरे लम्बी साँसें मेरे सीने को जोर से ऊपर-नीचे कर रहीं थें।


मेरी चूत में से रस बह कर बड़े मामा के मुंह में समा गया। मुझे लगा जैसे मेरी चूत में कोई पानी की नली खुल गयी थी।


मुझे पता नहीं मैं कितनी देर तक गहरी साँसे लेती शिथिल बड़े मामा की बाँहों में पड़ी रही। जब ममुझे होश आया तो मैं मुकुर कर बड़े मामा से लिपट गयी। बड़े मामा ने मेरे मुस्कुराते हुए मुंह पैर मेरे रस से भीगा अपने मुंह को लगा दिया। मेरे होंठों ने उनके होंठो पे लगे मेरे मीठे-नमकीन*रति-रस को चखने लगे।

बड़ी देर तक बड़े मामा और मैं खुले मुंह से एक दुसरे के मुंह के अंदर का स्वाद अपनी जीभ से लेते रहे।


अंत मे बड़े मामा धीरे से मुझसे अलग हुए और खड़े हो गए। उनका सफ़ेद कुरता किसी तम्बू की तरह ऊंचा उठा हुआ था।

"बड़े मामा, आपके पजामे में कुछ है?" मैंने शर्माते हुए कहा।


बड़े मामा ने मेरा छोटा नाजुक हाथ लेकर उसे अपने पजामे के ऊपर रख दिया। मेरा हाथ थरथराते एक मोटे खम्बे के ऊपर लगा था।

"नेहा बेटा, इस लंड को छू कर देख लो। एक दिन में यह आपकी चूत के अंदर जाने वाला है," बड़े मामा ने धीरे से कहा और मुड़ कर मेरे स्नानगृह से बहर चले गए।


मैं गहरे वासनामयी सोंचों में डूबी कमोड पर बैठी रही। तब मुझे पता नहीं था की पुरुष के लंड कितने बड़े होते थे। मनु भैया का लंड जितना भी दिखा था मुझे तो बहुत मोटा लगा था। अंजू भाभी ने तो बताया था की मेरे परिवार के पुरुषों के लंड बहुत विशाल थे। मैं सोच में पड़ गयी की अंजू भाभी को सबके लंडों के बारे में कैसे पता चला?


मेरे हाथ ने बड़े मामा के पजामे में छुपे उनके लिंग को छुआ था वो तो मुझे बहुत ही भारी और मोटा लगा था।

मैं अब घबराने लगी। पर मेरी बड़े मामा के अश्लील शब्दों से जागृत वासना में कैसी भी कमी नहीं हुई। मैं अब बेचैनी से बड़े मामा के साथ संसर्ग के सपने देखने लगी।


मैंने अपने शयन-कक्ष सुइट में पहुच कर जल्दी से बैग में कुछ कपड़े, जूते, अन्त्वस्त्र डाल लिए. मैं केवल लम्बी टी शर्ट पहन कर बिस्तर में रज़ाई के अंदर घुस गयी.

मुझे सारी रात ठीक से नींद नहीं आयी. मैं बिस्तर में उलट-पलट कर सोने के कोशिश कर रही थी, घड़ी में बारह बजे थे.मेरे शयन-कक्ष के दरवाज़े खोल कर अंजू भाभी जल्दी से मेरे बिस्तर में कूद कर रज़ाई में घुस कर मेरे से लिपट गयीं. अंजू भाभी ने सिर्फ एक झीना सा रेशम का साया पहना हुआ था.
Reply


Messages In This Thread
RE: Parivaar Mai Chudai हमारा छोटा सा परिवार - by sexstories - 05-18-2019, 01:03 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Thriller Sex Kahani - मोड़... जिंदगी के sexstories 21 5,640 06-22-2024, 11:12 PM
Last Post: sexstories
  Incest Sex kahani - Masoom Larki sexstories 12 2,679 06-22-2024, 10:40 PM
Last Post: sexstories
Wink Antarvasnasex Ek Aam si Larki sexstories 29 1,972 06-22-2024, 10:33 PM
Last Post: sexstories
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,747,085 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 576,106 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,339,070 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 1,022,576 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,797,764 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,200,861 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,158,732 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 17 Guest(s)