Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
11-02-2018, 11:32 AM,
#33
RE: Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
अगली सुबह जब मैं उठा तो देखा कि बारिश रुक गयी थी पर पुष्पा नही थी पूछने पर पता चला कि वो घर गयी थी मैं बाहर आया तो देखा कि चंदा बरामदे मे पोछा लगा रही थी उसने साड़ी को जाँघो तक किया हुआ था तो ठोस जांघे जैसे निमंत्रण दे रही हो और फिर उसके ब्लाउज से बाहर को झाँकते आधे उभारों का तो कहना ही क्या सुबह सुबह ही मेरे लंड मे फिर से तनाव आने लगा



तो मैं उसको इग्नोर करते हुए बाथरूम मे घुस गया नहा कर आया तो वकील साहब आए थे उन्होने बताया कि ज़मीन पर क़ब्ज़ा ले लिया गया है बिना किसी परेशानी के पर वहाँ पर कई एकड़ मे अफ़ीम खड़ी है उसका क्या करना है मैने कहा या तो उसको उन्ही को दे दो या फिर जला दो मैं नही चाहता कि किसी को उसकी लत लगे फिर उसने बताया कि शहर मे भी एक मॅरेज हॉल है जो सालो से बंद पड़ा है कई पार्टी है उसको खरीदने को तैयार



और अच्छा ख़ासा पैसा भी मिल जाएगा अगर आप कहे तो मैं बात करू मैने कहा हाँ ठीक है आप देख लेना फिर कुछ हो तो मुझे बता देना बाप दादा इतना कुछ छोड़ गये थे कि मुझसे सम्भल ही नही रहा था मैं नाहरगढ़ जाना चाहता था एक बार पर राइचंद जी के दबाव की वजह से जा नही पा रहा था लंच ख़तम किया ही था कि थाने से इनस्पेक्टर साहब आ गये



मैने आने का सबब पूछा तो उन्होने बताया कि ठाकुर साहब बात दरअसल ये है कि कुछ दिनो मे बलदेव का मेला लगेगा तो दोनो गाँवो के लोग मेला देखने आएँगे मैने कहा फिर उसमे क्या है जो रीत है उसे चलने दो वो बोला आप पहले मेरी बात सुने ज़रा , बात ये है कि पुराने जमाने मे रीत चली आ रही है कि ठाकूरो की तरफ से देवता को बलि दी जाती है



बरसो से आपके पुरखे ये परंपरा निभा रहे थे फिर जब हवेली मे वो घटना हुवी तो उसके बाद से विजय स्वरूप नाहरगढ़ के ठाकूरो ने बलि देना शुरू कर दिया मैने कहा तो फिर मैं क्या करूँ वो बोला आप समझ नही रहे है अब हालत पहले जैसे नही है अब आप आ गये है तो आपका अधिकार है वो पर उधर से वो लोग भी ज़िद करेंगे तो कही शांति-व्यवस्था बिगड़ ना जाए



मैने कहा आप की ज़िमेदारी है सुरक्षा की आप अपना काम कीजिए वो बोला क्यो मज़ाक करते है ठाकुर साहब अब आप लोगो के सामने हमारी क्या चलती है बस आपसे गुज़ारिश है कि मामले को बिगड़ने ना देना मैने कहा ठीक है देखता हू क्या कर सकता हू इनस्पेक्टर के जाने के बाद मैं सोचने लगा मुझे मोका मिल गया था अपने रिश्तेदारो से आमना सामना करने का



मैने लक्ष्मी को तुरंत बुलावा भेजा और कुछ देर बाद वो मेरे साथ थी मैने कहा मेला लगने वाला है तो हमारी तरफ से देवता को कुछ भेंट चढ़ाई जाए वो सुकचाते हुवे बोली देव तो आख़िर तुम्हे पता चल ही गया पर हम ऐसा नही कर सकते अगर तुम वहाँ जाओगे तो तुम्हे दुश्मनो की चुनोती स्वीकार करनी पड़ेगी और अभी तुम पूरी तरह से ठीक नही हुए हो



मैने कहा तुम ज़ख़्मो की चिंता ना करो और वैसे भी ज़ख़्म तो क्षत्रियो का गहना होता है तुम आज शाम ही गाँव मे मुनादी करवा दो कि इस बार देवता को बलि ठाकुर देवराज सिंग चढ़ाएँगे लक्ष्मी बोली सोच लो देव ये बात मज़ाक की नही है बल्कि प्रतिष्ठा की है अगर तुम कामयाब ना हुए तो अर्जुनगढ़ का सर झुक जाएगा मैने कहा जो होगा देख लेंगे



फिर मैने गाँव से सुनार को बुलवाया और कहा कि देवता को सोने का छात्र चढ़ाएँगे इंतज़ाम करो , और हलवाई को महा प्रसाद बनाने का हुकम दिया अब मुझे इंतज़ार था बस मेले के दिन का जो अभी थोड़ा दूर था शाम को मैं नदी किनारे बैठा था तो दिल्लू आया बोला हुकुम आप इस बार बलि चढ़ाने वाले है मैने कहा हाँ तो वो बोला ये बड़ा अच्छा किया आपने वरना हर बार हमे शर्मिंदा होना पड़ता है उनके सामने मैने कहा इस बार नही होगा तू




तो वो मुस्कुराया और मेरे ही बैठ गया वो बोला आप रोज यहाँ आते है मैने कहा नही जब मैं उदास होता हू तभी इधर आता हू उस से बाते करते अंधेरा सा होने लगा था तो फिर वो बोला मैं अब चलता हू घर पर मैं उधर ही बैठा रहा सच तो था कि मुझे ये अकेला पन काट ता था कभी कभी तो मन मे आता था कि सब कुछ बेच कर मैं वापिस लंदन चला जाउ पर अब तो जीना भी यही और मरना भी यही पर



फिर मैं भी हवेली आ गया , डिन्नर मे अभी देर थी तो मैं उपर की तरफ चला गया आज मैने एक और कमरे को खोल दिया और समान को देखने लगा तो मुझे एक अलमारी मे गहनो के कई बॉक्स मिले सोने चाँदी हीरे हर तरह की ज्वेल्लरी थी उसमे मैने फिर उनको साइड मे रख दिया और वहाँ दीवारों टन्गी तलवारो को देखने लगा



कुछ अब वक़्त की रेत के असर से जंग खा गयी थी और कुछ ऐसी थी जैसे बस आज ही खरीदी गयी हो एक तो बड़ी ही सुन्दर थी चाँदी की मूठ वाली मैने उसे मेज पर रख दिया फिर एक अलमारी मे कुछ तस्वीरे निकली जो अब बस नाम की ही रह गयी थी मैं उन्हे देखने लगा पर कुछ समझ नही आया क्योंकि वो काफ़ी पुरानी थी पर थी तो मेरे अपनो की ही



फिर दरवाजे पर दस्तक हुवी तो मैने देखा कि पुष्पा थी वो बोली मालिक भोजन तैयार हो गया है आप को बुलाने आई थी मैने कहा ज़रा इधर आओ और उसको वो गहने दिखाते हुवे कहा कि जो भी तुम्हे पसंद आए रख लो कुछ लम्हो के लिए तो वो गहनों को देख कर मंत्रमुग्ध हो गयी पर फिर बॉक्स को वापिस रखते हुवे बोली नही मालिक मुझे कुछ नही चाहिए



मैने उसे बार बार कहा पर उसने नही लिए तो फिर हम नीचे आ गये डिन्नर के बाद वो बोली मालिक दूध ले लीजिए मैने कहा बैठो ज़रा और उस से बाते करने लगा मैने पुष्पा से पूछा कि मुनीम जी और उनके परिवार के बारे मे बता कुछ तो वो बोली मैं क्या बताऊ मैने कहा जैसे कि गाव के लोगो के प्रति उनका व्यवहार कैसा है , जब मैं नही था तो हवेली वो ही तो संभालते थे ना बस इसी लिए पूछ रहा हू



वो बताने लगी कि मुनीम जी तो भले मानस है पर लक्ष्मी बड़ी ही तेज औरत है , हरदम बस रोब झाड़ती रहती है और कई औरतो से उसका लड़ाई झगड़ा चलता ही रहता है तो गाँव के कम लोग ही उसके मूह लगते है कभी किसी ने मुनीम जी से सूद पर रुपया ले लिया और टाइम पर ना दे सका तो फिर बस लक्ष्मी के ड्रामे देखो ना जाने कितने ग़रीबो की ज़मीन दबा कर बैठी है



और बेटी के बारे मे तो आप जानते ही है मैने कहा हाँ तो वो बोली पर एक बात और है जो आपको नही पता मैने कहा क्या बता ओ ज़रा तो वो बोली मुनीम जी का एक बेटा भी है जो बाहर कहीं पर पढ़ाई करता है सुना है कि वकील का कोर्स कर रहा है मैने कहा यार पर उन्होने तो कभी बताया नही इस बारे मे , पुष्पा बोली मालिक लक्ष्मी बड़ी ही घाग औरत है मैं तो बस इतना ही कहूँगी कि आप उसे ज़्यादा मूह ना लगा ना जब से मुनीम जी खाट मे पड़े है लक्ष्मी के तो सुर ही बदल गये है




मैने कहा ठीक है मैं ध्यान रखूँगा पर अभी तू मेरा ध्यान रख और उसको अपनी गोद मे उठा लिया तो वो बोली मालिक वैसे तो मेरी हसियत नही है कि मैं आपको मना कर सकूँ पर मैं चाहती हू कि मेले के बाद जब आप विजयी होकर आए तो मैं आप के साथ सोऊ मैने कहा ठीक है तेरी फरमाइश है तो पूरी करनी ही पड़ेगी तो फिर वो रसोई मे चली गयी और मैं सोचने लगा कि कही मेरे मामा लोग कोई साजिश तो नही बुन रहे मेरे खिलाफ

पर जो भी था अब इंतज़ार था मेले के दिन का मैने सब कुछ उपर वाले के हाथ मे छोड़ दिया पर हक़ तो मेरा ही था ना बलि देने का मैं कुछ उलझ सा गया था अपने ही सवालो के घेरे मे पर ऐसा कोई था नही जो मुझे मेरे सवालो के जवाब दे सके तो बस यही सब सोचते सोचते मैं सो गया
Reply


Messages In This Thread
RE: Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी - by sexstories - 11-02-2018, 11:32 AM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Incest HUM 3 (Completed) sexstories 76 4,009 Yesterday, 03:21 PM
Last Post: sexstories
  बाप का माल {मेरी gf बन गयी मेरी बाप की wife.} sexstories 72 18,183 06-26-2024, 01:31 PM
Last Post: sexstories
  Incest Maa beta se pati patni (completed) sexstories 35 13,216 06-26-2024, 01:04 PM
Last Post: sexstories
  Thriller Sex Kahani - मोड़... जिंदगी के sexstories 21 21,513 06-22-2024, 11:12 PM
Last Post: sexstories
  Incest Sex kahani - Masoom Larki sexstories 12 10,208 06-22-2024, 10:40 PM
Last Post: sexstories
Wink Antarvasnasex Ek Aam si Larki sexstories 29 7,068 06-22-2024, 10:33 PM
Last Post: sexstories
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,770,397 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 579,261 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,350,151 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 1,034,121 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68



Users browsing this thread: 3 Guest(s)