Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
11-02-2018, 11:34 AM,
#46
RE: Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
मैं बेसब्री से पुष्पा का इंतज़ार कर रहा था तो करीब घंटे डेढ़ घटने बाद पुष्पा कमरे मे आई गीले बालों को देखकर मैं समझ गया था कि नहा कर आई है मैने कहा ये अच्छा किया जो नहा लिया अब तो मज़ा ही आ जाएगा तो मैने उसे अपन बेड पर खीच लिया और उसके शरीर से छेड़ खानी करने लगा मैने अपना हाथ उसकी साड़ी के अंदर घुसा दिया और उसकी केले के तने जैसी चिकनी सुडोल टाँगो पर फिराने लगा तो उसके बदन मे सुरसूराहट बढ़ने लगी


पुष्पा ने अपने ब्लाउज के बटन्स को खोल दिए और उसे उतार दिया और अपने एक बोबे को मेरे मूह मे देने लगी तो मैं उसकी चूची पर अपनी जीभ फिराने लगा उधर साड़ी के अंदर अब मेरे हाथ उसके कुल्हो पर पहुच गये थे और मैं कच्छि के उपर से ही उनको दबा रहा था बड़े बड़े गोल मटोल और रूई से भी मुलायम चूतड़ उसके पुष्पा की चूचियो के निप्पल्स अब तन ने लगे थे और उसकी आँखो मे चढ़ती हुवी खुमारी मुझे भी महशूस होने लगी थी



वासना का सागर हम दोनो के शरीर मे हिलोरे मारने लगा था मैने पुष्पा को खड़ी किया और उसकी साड़ी उतार कर उसे नंगी कर दिया और फिर से अपनी बाँहों मे ले लिया उसके सुर्ख होटो पर लगी लिपीसटिक को चाट ते हुवे मैं उसे छूने जा रहा था जबकि उसका हाथ अब मेरे कच्छे मे घुस कर मेरे लंड को थाम चुका था पुष्पा थरथराते हुवे बोली मालिक अब जल्दी से अपने इस मूसल को मेरी चूत मे घुसा दीजिए अब सहा नही जा रहा है मैने कहा ए अभी कहा अभी तो पहले जी भर कर तेरे इस हुस्न का दीदार करूँगा



तू पहले ज़रा मेरे लंड को चूम तो सही तो पुष्मा मेरी टाँगो के बीच मे बैठ गयी और मेरे लंड पर अपने होठ टिका दिए और उपर उपर से उसको चूम ने लगा फिर दो पल बाद ही उसने लंड की खाल को हटा कर सुपाडे को बाहर निकाला और उस को अपने मूह मे ले लिया नाज़ुक खाल पर उसकी गरम जीभ के असर से मेरे बदन मे एक झनझनाहट ही फैल गयी मैने अपने हाथ अपनी कमर पर रख लिए और उसे लंड चूस्ते हुवे देखने लगा मैने कहा पुष्पा अपने हाथ से गोलियो को सहला तो वो वैसा ही करने लगी और मेरा मज़ा दुगने से भी दुगना हो गया था




कई देर तक मैं ऐसे ही उसे अपना लंड चुस्वाता रहा अब मैने उसे बेड पर घोड़ी बना दिया और उसके मस्त चुतड़ों को फैलाते हुवे अपने लंड को चूत पर सटा दिया पुष्पा ने एक मीठी सी झुरजुरी ली और मैने उसकी कमर पर अपने हाथ रखते हुवे लंड को चूत मे घुसाना शुरू कर दिया लंड चूत की फांको को फैलाता हुवा पुष्पा की चूत मे जा रहा था और वो अपनी टाँगो को आपस मे चिपका रही थी उसके चौड़े चुतड़ों को सहलाते हुवे मैं अपने लंड को आगे पीछे करने लगा था पुष्पा आहें भरते हुवे बोली मालिक थोड़ा सा धीरे धीरे कीजिए ऐसे ही मज़ा आ रहा था मैने कहा ठीक है जैसे तू कहे




मैं उसकी गरदन पर चूमने लगा तो कामोत्तेजित और भी भड़कने लगी उसके जिस्म मे अब मैने उसकी कमर पर अपने दोनो हाथ डाल कर उसे कस लिया और उसकी चुदाई शुरू कर दी तो पुष्पा भी अपनी गान्ड को पीछे कर कर के मेरा पूरा साथ देने लगी थी उसका जिस्म इतना कसा हुआ था कि किसी षोड़शी कन्या का भी ना था उसकी तुलना मे पुष्पा घोड़ी बनी हुई मेरे हर एक प्रहार को अपनी चूत मे झेल रही थी उसकी पायल की खनखन सुनकर चुदाई का मज़ा और भी बढ़े जा रहा था



करीब दस मिनिट तक उसे घोड़ी बना ने के बाद मैं बेड पर लेट गया और उसे अपने उपर ले लिया मैं उसके चुतड़ों को दबाते हुवे उसके गुलाबी होटो को अपने मूह मे लेकर खाने लगा कभी कभी मैं वहाँ पर अपने दाँतों से भी काट लेता था तो वो चिहुनक जाती थी पर इस खेल मे ये छोटी मोटी चुहलबाजी तो चलती ही रहती है पुष्पा ने योनिरस मे लथपथ मेरे लंड को फिर से अपनी चूत पर रगड़ना शुरू किया और फिर वो लंड पर बैठ गयी उसकी झूलती हुई छातिया बड़ी ही मनमोहक लग रही थी , लगा कि सारी उमर बस उनको ऐसे ही देखते रहूं तो पुष्पा अब लंड पर उछल रही थी उसकी सुंदर नाभि बड़ी ही प्यारी लग रही थी मैने अपने हाथो मे उसके उभारों को थाम लिया और बड़े ही प्यार से हौले हौले उनको सहलाने लगा तो पुष्पा मंद मंद मुस्कुराने लगी चुदाई का खेल अपनी पूरी रफ़्तार से आगे बढ़ा जा रहा था दोनो के बदन मे शोले फुट रहे थे अब मैने उसको अपने नीचे ले लिया और उस पर चढ़ कर चोदने लगा



उसके निचले होठ पर अपने दाँतों के निशान बनाते हुए उसकी प्यारी चूत मारने मे बड़ा ही मज़ा आ रहा था पुष्पा की छातिया मेरे बोझ तले दबे हुई जा रही थी उसने अपनी दोनो टाँगे मेरी कमर के इर्द-गिर्द लपेट दी और हम दोनो एक दूजे मे समाए हुए उन पलों का मज़ा लूटने लगे थे, पुष्पा की चूत की फांके बार बार लंड पर जैसे चिपक सी जाती तो सच मे उसकी चूत मारने मे बहुत ही मज़ा आ रहा था पुष्पा अब मेरे कानो पर काटने लगी थी उफ़फ्फ़ ये औरत के जिस्म की गर्मी अच्छे अच्छे को पिघला कर रख दे एक पल मे ही तो हमारी चुदाई चल रही थी पुष्पा भी नीचे से अपनी कूल्हे मचका मचका कर लुफ्त ले रही थी
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