RE: Porn Hindi Kahani जाल
जाल पार्ट--42
गतान्क से आगे......
सोनिया क्लेवर्त पहुँच चुकी थी & वाहा पहुँचते ही उसने विजयंत मेहरा को फोन किया.
"सोनिया जान..तुम यहा क्यू आई?",वियजयंत सच मे परेशान हो उठा था.सोनिया का वो इस्तेमाल कर रहा था लेकिन वो 1 सीधी लड़की थी & वो नही चाहता था कि वो यहा के ख़तरे मे फँसे.
"मुझे बस तुमसे मिलना है,विजयंत..अभी!",सोनिया की आवाज़ ने विजयंत को खामोश कर दिया.उसकी परेशानी,उसकी उलझन सब झलक रहा था उसकी आवाज़ मे.
"तुम ठहरी कहा हो?"
"होटेल पॅरडाइस मे."
"हूँ..आज शाम 8 बजे तुम होटेल वाय्लेट आओ.रिसेप्षन पे आके बस इतना कहना कि रॉयल सूयीट मे ओनर से मिलना है.ओके.जो मैने कहा है उसे बिल्कुल वैसे ही दोहराना.कुच्छ ही देर मे तुम मेरे साथ होगी."
"ओके,विजयंत."
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"1..2..3..4..",तेज़ म्यूज़िक के साथ गाने की लाइन्स पे कामया & कबीर कॉरियोग्रफर के बताए स्टेप्स कर रहे थे.पीछे धारदार फॉल्स के झरनो का खूबसूरत नज़ारा कॅमरा में अपने कैमरे मे क़ैद कर रहा था.
"कट..!",कॉरियोग्रफर बोला & म्यूज़िक रुक गया & दोनो सितारे अपनी-2 कुर्सियो पे आ के बैठ गये.डाइरेक्टर दोनो के पास आया,"कबीर..कामया..इस गाने की शूटिंग के बाद 3-4 एमोशनल सीन्स भी यहा & आस-पास के इलाक़े मे शूट करने हैं.ये हैं वो सीन्स..",उसने 2 फाइल्स दोनो को थमायी,"..डाइलॉग्स याद कर लेना.हो सके तो कल ही कर लेंगे.ओके."
"ये भी ना!",कबीर ने फाइल अपने स्पोतबॉय को थमायी,"..साला 2-2 पेज के डाइलॉग लिखवा लेता है..शूटिंग के बाद सोचा था की तुम्हारे साथ वक़्त गुज़रुँगा लेकिन नही इसे ये बात पसंद थोड़े ही आएगी!",कामया हँसने लगी.
"कम ऑन,लव!",उसने उसकी टांग पे हाथ मारा & फिर अपना मेक-अप करवाने लगी.पीछे शूटिंग देखने वालो की भीड़ लगी थी & उनमे से कुच्छ लोग दोनो सितारो का नाम पुकार रहे थे.
अगला शॉट ऐसा था की दोनो अदाकारो को 1 क्रॅन,जैसी की बिजली कंपनी वाले बिजली के पोल्स को चेक करने के लिए इस्तेमाल करते हैं,उसपे खड़े होके गाने की लाइन्स पे होंठ हिलाने थे.मेक-अप कर & कॉरियोग्रफर से स्टेप्स समझ के दोनो क्रॅन पे चढ़ गये.अब कॅमरमन को बस उनकी कमर तक के शॉट्स लेने थे ताकि क्रॅन की ट्रॉली शॉट मे ना आए.
क्रॅन ऑपरेटर ने क्रॅन को उपर करना शुरू किया.कबीर कामया के पीछे उसके कंधो पे हाथ रखे खड़ा था.कामया मन ही मन हंस रही थी क्यूकी उसे पता था कि कबीर को ऊँचाई से डर लगता है & इस वक़्त उसकी हालत खराब थी.जब क्रॅन सही ऊँचाई पे पहुँचा गयी तो ऑपरेटर ने उसे रोक दिया.कामया कॉरियोग्रफर के मेगफोन से आक्षन की आवज़ सुनने का इंतेज़ार कर रही थी.
"क्या हुआ,पॉपी?",उसने नीचे खड़े कॉरियोग्रफर को इशारा किया तो पॉपी ने कॅमरमन की ओर इशारा किया जोकि अपने असिस्टेंट्स के साथ कमेरे मे कुच्छ कर रहा था.कामया बोर होके नीचे खड़ी भीड़ को देखने लगी की तभी उसकी निगाह भीड़ से अलग-थलग 1 पेड़ के नीचे बैठ 1 कोल्ड ड्रिंक पीती 1 लड़की पे पड़ी..सोनिया मेहरा यहा..उसने आँखे थोड़ी सिकोड के उस लड़की के चेहरे को गौर से देखने की कोशिश की..कही और कोई तो नही..
"रेडी कबीर..कामया?",पॉपी की आवाज़ पे दोनो तैय्यार हो गये & फिर अगले कुच्छ पॅलो तक शूटिंग होती रही.शूटिंग ख़त्म होते ही क्रॅन नीचे आने लगी & कामया की
निगाहें उस लड़की से छिपा गयी..हां ये सोनिया ही थी..ये यहा क्या कर रही है..& फिर उसके होंठो पे मुस्कान खेलने लगी..विजयंत मेहरा..!
"मैं अभी आई,लव.",कबीर अपने धड़कते दिल को शांत कर रहा था.कामया उसके कंधे थपथपाते हुए अपने स्पॉटबाय से अपना मोबाइल ले अपनी वॅन मे चली गयी.
"हाई!विजयंत,डार्लिंग.कैसे हो?"
"ठीक हू,कामया.तुम सूनाओ?"
"मैं ठीक हू.समीर का कुच्छ पता चला?"
"कोशिश जारी है,कामया देखो क्या होता है."
"हूँ..तुम यही हो क्लेवर्त मे?"
"हां,क्यू तुम भी यही हो क्या?"
"हां,कल शाम ही आई.आना तो दिन मे था पर कल सवेरे फॉल्स बंद थे तो शूटिंग हो नही सकती थी तो शाम को आई."
"अच्छा."
"तो मिलो ना जान.आज शाम कैसा रहेगा?"
"आज..आज नही कामया..आज कुच्छ अपायंटमेंट है."
"अरे मैं तो भूल गयी थी,तुम्हारी बहू भी है ना यहा."
"अरे नही,कामया उसकी वजह से नही.",विजयंत हंसा,"..उसे तो मैने डेवाले भेज दिया.किसी और से मिलना है."
"ओह.तो कल?"
"हां,कल पक्का डार्लिंग.मैं फोन करूँगा."
"ओके,जान.",कामया ने फोन बंद किया & मुस्कुराइ..विजयंत डार्लिंग आज किस से अपायंटमेंट है मुझे पता है..वो हँसी & वॅन से बाहर चली गयी.
सोनम का दिल बहुत ज़ोरो से धड़क रहा था.आज प्रणव 9 बजे से भी पहले दफ़्तर आ गया था & अपने लॅपटॉप पे जुटा हुआ था.सोनम से सवेरे से उसने कयि सारी फाइल्स उसके डेस्कटॉप पे सर्च कर उसे फॉर्वर्ड करने को कही थी & कुच्छ की तो हार्ड कॉपीस भी अलग-2 डिपार्ट्मेंट्स से मंगवा के देख रहा था.दोपहर 1 बजे के बाद उसने लॅपटॉप पे बैठे-2 टाइपिंग शुरू कर दी.अच्छी सेक्रेटरी होने का नाटक करते हुए सोनम ने उस से बोला कि वो ये काम कर देगी तो उसने उसे मना कर दिया & बाहर अपनी डेस्क पे बैठने को कहा.
सोनम के कान इस बात से खड़े हो गये थे & उसने तय कर लिया कि वो ज़रूर देखेगी की आख़िर प्रणव कर क्या रहा है.दोफरा लंच मे भी प्रणव कॅबिन से बाहर नही निकला.उस वक़्त सोनम ने अंदर झाँका तो देखा की प्रणव कॅबिन मे ही बने बाथरूम मे चला गया.वो झट से उठी & जाके उसके लॅपटॉप को देखा & उसकी आँखे फॅट गयी.प्रणव महादेव शाह नाम के आदमी को कंपनी मे पैसा लगाने देना चाहता था & इसके लिए वो अपने ब्रोकर्स के ज़रिए कंपनी के शेर्स बाज़ार से खरीद रहा था.तभी फ्लश की आवाज़ आई & वो झट से बाहर भागी.
उसकी समझ मे अभी भी नही आ रहा था कि वो ये बात विजयंत मेहरा या ब्रिज कोठारी को बताए या नही.ना जाने क्यू उसे बड़ी घबराहट हो रही थी.उसने 1 बार फिर इस फ़ैसले को कल पे टाल दिया.उसका मोबाइल बजा तो उसने देखा की रंभा का फोन है,"हेलो."
"हाई सोनम,कैसी है?"
"अच्छी हू,मालकिन!",शादी के बाद वो अपनी सहेली को इसी तरह चिढ़ने लगी थी.
"चुप कर वरना फोन काट दूँगी!"
"अच्छा बाबा..सॉरी!",सोनम हँसी,"..& बता समीर का कुच्छ पता चला कि नही?"
"नही यार.अच्छा सुन मुझे 1 काम था."
"हां,बोल ना."
"तुझे वो प्लेसमेंट एजेन्सी वाला बंदा विनोद याद है?"
"हां."
"बस ये पता कर दे वो आजकल कहा है & 1 आदमी है परेश नाम का..",उसने दोनो के बारे मे उसे बताया & पता करने को कहा.सोनम के दिल मे 1 बार ये ख़याल आया कि वो अपनी सहेली को ही प्रणव के बारे मे बता दे लेकिन फिर उसके घबराए दिल ने उसे रोक दिया.
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"हाई!सोनिया,वॉट ए प्लेज़ेंट सर्प्राइज़!",कामया ने होटेल वाय्लेट की लॉबी मे रिसेप्षन की ओर बढ़ती सोनिया को चौंका दिया.सोनिया के चेहरे का रंग उड़ गया.उसने सोचा भी नही था की इतनी सावधानी बरतने के बावजूद वो किसी जान-पहचान वाले से टकराएगी..लेकीब अब उसे क्या परवाह थी इन बातो की!
"हाई!कामया.कैसी हो?"
"बढ़िया.यहा किसी से मिलने आई हो?",कामया ने गहरी निगाहो से उसे मुस्कुराते हुए देखा.
"हां.",1 पल के बाद उसने जवाब दिया,"..इफ़ यू डॉन'ट माइंड."
"नोट अट ऑल.",कामया ने उसका रास्ता छ्चोड़ दिया & मुस्कुराते हुए उसे लिफ्ट की ओर जाते देखते रही.
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शाम तक रंभा को सोनम ने बता दिया था कि परेश तो अमेरिका चला गया & विनोद वही शहर मे ही है & रोज़ ही दफ़्तर आ रहा है.रंभा के दो पुराने प्रेमी शक़ के दायरे से बाहर हो गये थे.
उसने ससुर को फोन लगाके उन्हे ये बात बताई & उनसे जुदाई का दर्द बयान किया.कुच्छ देर बातें करने के बाद वो फोन रख के टीवी देखने लगी.विजयंत की सख़्त हिदायत थी कि वो होटेल के कमरे से बाहर ना निकले.पंचमहल वाय्लेट मे किसी दूसरे नाम से लॅडीस फ्लोर पे उसके नाम का कमरा बुक था.होटेल के नीचे बलबीर मोहन की सेक्यूरिटी एजेन्सी के 3-4 लोग होटेल पे नज़र रखे थे & रंभा से फोन से कॉंटॅक्ट करते रहते थे.किसी भी गड़बड़ी की सूरत मे रंभा को सबसे पहले उन्ही लोगो को फोन करना था.कल सवेरे भी वो उन्ही लोगो के साथ वापस अपने ससुर के पास जा रही थी.
ससुर के ख़याल ने उसके जिस्म मे आग लगा दी & उसने अपने कपड़े उतार दिए & बाथरूम के बात्ट्च्ब मे जा बैठी.ठंडा पानी भी उसके बदन की अगन नाहही बुझा पा रहा था.रंभा ने अपनी उंगली अपनी चूत से लगा दी & आँखे बंद कर ससुर का तस्साउर करते हुए अपने दाने को रगड़ने लगी.
“ओह..विजयंत!”,सूयीट मे दाखिल होते ही सोनिया की रुलाई छूट गयी & वो विजयंत मेहरा से लिपट गयी.
“बस..बस..!”,विजयंत ने उसे अपनी बाहो मे भर उसकी पीठ सहलाई & उसके बालो को चूमा.
“मैं अब उस आदमी के साथ नही रह सकती.”,सोनिया की आँखे लाल हो गयी थी,”..मुझे नही पता था कि वो चंद रुपयो के फ़ायदे के लिए इतना गिर जाएगा.”
“देखो,सोनिया अभी तुम बहुत जज़्बाती हो रही हो.ऐसे अहम फ़ैसले इस तरह नही लिए जाते जान.”,विजयंत ने उसके गोरे गालो से आँसुओ को पोंच्छा & चूम लिया.
“मैने बहुत सोच समझ के ये फ़ैसला लिया है,विजयंत.मुझे पता है मैं तुम्हारी बीवी कभी नही बन सकती लेकिन मुझे उस बात से कोई फ़र्क नही पड़ता.मैं तुम्हारी रखैल बन के भी रहने को तैयार हू.”
“सोनिया!”,विजयंत ने उसकी कमर मे बाहे डाल उसे खुद से चिपका लिया,”..यू खुद को बेइज़्ज़त & मुझे शर्मिंदा ना करो.”,उसने अपनी प्रेमिका के होंठ चूमे,”..लेकिन तुम्हे इतना यकीन कैसे है कि ब्रिज कोठारी ही समीर के लापता होने के पीछे है?”
“तुम्हे नही मालूम की पिच्छले 2 दिनो से वो इसी जगह के आस-पास है?”,विजयंत खामोश रहा.मीडीया को ये भनक नही लगने दी गयी थी या फिर विजयंत & पोलीस की गुज़ारिशो को मान उन्होने धारदार फॉल्स वाली खबर च्छूपा ली थी,”तुम मुझसे कुच्छ च्छूपा रहे हो क्या?”,विजयंत ने सर झुका लिया,”मुझे सब कुच्छ बताओ.”,सोनिया की आवाज़ मे कुच्छ ऐसा था की विजयंत उसे मना नही कर पाया.
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क्रमशः.......
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