Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू
12-14-2018, 02:17 AM,
#6
RE: Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू
सुबह मेरी नींद एक गरम स्पर्श से खुली, जिसे अक्सर लोग ब्लो जॉब कहते है , मैं निशा के बिस्तर पर नंगा लेटा हुआ था और वो मेरे लंड पर अपने गरम गरम होंठ फिरा रही थी,...
"इससे अच्छी और खुशनुमा सुबह क्या होगी अरमान, जब कोई तुम्हे ब्लो जॉब देकर उठाए..."मेरे लंड को चूसना बंद करके अपने हाथ से सहलाते हुए निशा बोली...

करीब 10 मिनट. तक वो मेरे लंड को चुस्ती रही और उसके बाद मैं एक बार फिर झड गया, पिच्छली रात तीन बार झड़ने के कारण पेट मे बहुत दर्द हो रहा था, कमज़ोरी भी महसूस हो रही थी और सर भी बहुत भारी था.....

"मैं चलता हूँ..."बाथरूम से निकल कर मैने अपने कपड़े पहने...

"जाओ, आंड टेक केयर..."

मैं इस इंतज़ार मे अब भी खड़ा था कि कही शायद उसे मेरी आँखो मे कुछ ऐसा दिख जाए, जिससे वो मुझे दौड़ कर गले लगा ले, लेकिन ऐसा नही हुआ, यहाँ तक कि उसने मेरी आँखो की तरफ देखा तक नही, उसकी नज़र अब भी मेरे लंड पर थी, निशा मेरे लंड को देखकर मुस्कुरा रही थी.....

"तुम्हारा होने वाला हज़्बेंड क्या करता है...."

"तुम क्यूँ पुच्छ रहे हो..."

"जनरल नॉलेज के लिए, क्या पता ये क्वेस्चन आइएएस, आइईएस के एग्ज़ॅम मे आ जाए "

"इट'स नोट फन्नी अरमान...तुम जाओ, और आज के बाद समझ लेना कि हम एक दूसरे से मिले ही नही..."

मैने एक झूठी मुस्कान से निशा को देखा और बोला..."तन्हाई मे जीने वाले लोगो को अक्सर उनके छोटे से छोटे सहारे से इतनी मोहब्बत हो जाती है कि वो उनके लिए खुद को मिटा दे.....
यदि तुम्हे कभी किसी से प्यार हो तो मेरी बात पर गौर करना ,वरना लोग तो अपनो को पल भर मे भूल जाते है , मैं तो वैसे भी तुम्हारे लिए गैर हूँ...."

निशा के मन मे हज़ारो सवाल छोड़ कर मैं उसके घर से सीधे बाहर निकल गया, मैं अपने ही रूम की तरफ आ रहा था कि वरुण ने मुझे कॉल की...

"क्या भाई, आने का विचार है या उसी के साथ चिपके रहेगा..."मैने कॉल रिसीव की तो वरुण ताने मारता हुआ बोला...

"बस रूम पर ही आ रहा हूँ..."

"जल्दी आ, तेरे लिए सर्प्राइज़ है, और वो सर्प्राइज़ इतना बड़ा है कि , तू...."

मैं जहाँ था वही खड़ा हो गया और वरुण से बोला"क्या है वो सर्प्राइज़..."

"ह्म्म....तो पहले रूम पे ही आजा,.."और उसने कॉल डिसकनेक्ट कर दी

"फेंक रहा होगा वरुण..."यही सोचते-सोचते मैं रूम पर आया, मैने वरुण को आवाज़ दी लेकिन उसने कोई रेस्पॉन्स नही दिया और फिर जब बाथरूम के अंदर से मुझे शवर के चलने की आवाज़ आई तो मैं समझ गया कि वरुण अंदर है, मैने टाइम देखा 9:30 बज रहे थे, अब इतना टाइम नही था कि मैं आज काम करने जाता, और वैसे भी आज मेरा मूड नही था....मैने रूम की खिड़की खोली और खिड़की से बाहर देखने लगा....तभी मुझे एक आवाज़ सुनाई दी जिसने मुझे अंदर से झकझोर के रख दिया....ऐसा लगा कि दिल की धड़कने रुक गयी हो...

"क्या बात है बे, बहुत दिनो से हवेली मे नही आया..."

यदि मेरी जगह उस वक़्त कोई और होता तो शायद नज़र अंदाज़ कर देता इस आवाज़ को ,लेकिन मेरे लिए ये शब्द ,ये लाइन बहुत मायने रखती थी....मैं पीछे मुड़े बिना ही जान गया था कि मेरे पीछे कौन है , लेकिन इतने महीनो बाद वो कैसे यहाँ आया.....

अभी मैं सोच ही रहा था कि मेरे सर पर एक जोरदार मुक्का पड़ा, मारने वाले ने इतनी ज़ोर से मारा था जैसे कि जनम जनम का बदला ले रहा हो.....वो कोई और नही बल्कि मेरा खास नही मेरा सबसे खास दोस्त अरुण था, और मैं भी उसका सबसे खास दोस्त था.....

"अब साले लौंडीयों की तरह उधर ही देखते रहेगा या फिर गले भी मिलेगा...."उसकी आवाज़ मे मुझे अपने लिए वही अपनापन महसूस हुआ ,जो कॉलेज के दिनो मे हुआ करता था, मैं एक झटके मे पीछे मुड़ा और अरुण को कसर पकड़ कर गले लगा लिया.....मैं और अरुण एक दूसरे के लिए इतने खास थे कि यदि हम दोनो गे होते(जो कि नही थे) तो आज एक दूसरे से शादी कर लिए होते......

अपने गुस्से और मुझसे नाराज़गी का एक और सॅंपल देते हुए उसने मुझे कसकर एक लात मारी और बोला"साले गान्ड मरवा रहा था तू यहाँ, तेरा नंबर चेंज हो गया, घर से बिना बताए गायब है और यहाँ तक कि...यहाँ तक कि..."मुझ पर एक लात का प्यार और करते हुए बोला"यहाँ तक कि तूने मुझे भी नही बताया, कहाँ गयी तेरी वो बड़ी बड़ी बाते..."

हमारी दुनिया मे एक कहावत बहुत मश हूर है कि यदि डूबते को तिनके का सहारा मिले तो भी बहुत होता है ,लेकिन मुझे तो आज पूरा का पूरा एक जहाज़ मिल गया था अरुण के रूप मे.....

"साला , खुद को इंजिनियर बोलता है, तूने सब बक्चोद इंजिनीयर्स का नाम बाथरूम मे मिला दिया...."वो अब भी मुझ पर बहुत गुस्सा था....

"छोड़ बीती बातों को और बता यहाँ कैसे आया और वरुण कहाँ है, कहीं तूने उसका मर्डर तो नही कर दिया..."

"बिल्कुल ,सही समझा बे, उसकी डेत बॉडी बाथरूम मे पड़ी है, प्लीज़ पोलीस को इनफॉर्म करना...."


कुछ देर तक हम दोनो ने एक दूसरे को देखा और फिर ज़ोर से हंस पड़े....

"अब चल बता, तू यहाँ क्यूँ है..."अपनी हँसी रोक कर अरुण बोला, वो अब सीरीयस था....

"सब कुछ छोड़ छाड़ के आ गया मैं, घरवाले देश के बाहर है, ना तो उन्हे कोई फरक पड़ता है और ना ही मुझे..."

"तेरे भाई की शादी होने वाली थी , उस वक़्त जब तू घर छोड़ कर यहाँ आ गया था..."

"साला मेरी ग़लतियो की लिस्ट पकड़ के बैठ बया है...अब जान निकाल कर ही दम लेगा"मैने अंदर ही अंदर बहुत ज़ोर से चिल्लाया...

"वो सब तो छोड़"अरुण का चेहरा फिर लाल होने लगा," मुझे ये बता कि तूने मुझे कॉल क्यूँ नही किया, कॉलेज मे तो मेरा बेस्ट फ्रेंड बना फिरता था...."

अरुण के इस सवाल का मेरे पास कोई जवाब नही था और यदि मैं उससे कुछ कहता भी तो क्या ये कहता कि "मुझमे अब जीने की चाह नही है..."या फिर ये कहता कि"एंजल के जाने के बाद जैसे मेरे दिल ने धड़कना बंद कर दिया है..."

"कुछ बोलेगा..."वो मुझपर फिर चिल्लाया....

"रीज़न चाहिए तुझे, तो सुन....जब मैं अपनी बी.टेक की खाली डिग्री लेकर घर गया तो जानता है मेरे साथ क्या सलूक हुआ...घर पर बड़े भाई की शादी की बात चल रही थी इसलिए घर मे बहुत लोग आते जाते रहते थे, और जब कोई मेरे बारे मे पूछता तो सब यही कहते कि....हमारे खानदान मे सबसे खराब मैं हूँ, मैं ही एक अकेला शक्स हूँ, जिसने अपने खानदान का नाम डूबा दिया...ऐसा इसलिए हुआ क्यूंकी मेरे पास पैसा नही था, मेरे पास नौकरी नही थी.....यदि मुझसे कही भी थोड़ी सी भी ग़लती हो जाती तो मेरी उस ग़लती को मेरी एजुकेशन से जोड़ दिया जाता....मैं अपने ही घर मे रहकर पागल हुआ जा रहा था, और फिर जिस दिन लड़की वाले हमारे घर आए तो भाई ने एक छोटी सी बात पे सबके सामने मुझपर हाथ चला दिया....बस उसी समय मेरे दिल और दिमाग़ दोनो ने गला फाड़ -फाड़ के कहा कि बस बहुत हो गया, और मुझे सबसे बुरा तब लगा जब मुझे किसी ने नही रोका...सब यही चाहते थे कि मैं उनकी ज़िंदगी से चला जाउ, सो मैने वही किया...."इतना बोलते बोलते मैं बहुत एमोशनल हो गया था, अरुण को अपनी बीती ज़िंदगी के कुछ पल बताकर मैने अपने ज़ख़्म फिर हरे कर लिए थे....वरुण भी तब तक आ चुका था और दरवाज़े पर चुप चाप खड़ा मेरी बाते सुन रहा था......
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