Porn Hindi Kahani मेरा चुदाई का सफ़र Sex
05-17-2018, 01:00 PM,
#10
RE: Porn Hindi Kahani मेरा चुदाई का सफ़र
मैं अनजान बनते हुए बोला- तुम मेरे कमरे में क्यों आई हो.. और ये सब क्या कर रही हो?
वो धीरे से कान में बोली- राज लेटे रहो.. तुम्हें मजा आ रहा है ना..!
मैंने कहा- बात मजे की नहीं है… किसी को पता चल गया तो?
वो बोली- अरे मैं यहाँ किसी को बताने के लिए थोड़ी आई हूँ.. बस तुम लेटे रहो और मुझे लण्ड चूसने दो।
मैंने मजे लेने के लिए कहा- पर मैं ये सब तुम्हारे साथ नहीं कर सकता। 
वो बोली- साले राज.. अब नाटक मत करो और मुझे रोको मत.. सुबह से जब से तुमने मुझे नंगी और मैंने तुम्हारा लण्ड देखा है.. तब से मैं पागल सी हो गई हूँ। अब तो मुझे तुमसे चुदना है बस.. मैं अपने पति से बहुत दिनों से नहीं चुदी हूँ.. तुमने मेरी प्यास बढ़ा दी है.. अब चोद दो मुझे.. देर ना करो।
वो लगातार मेरा लण्ड सहलाए जा रही थी।
जब वो खुद चुदना चाह रही थी.. तो मैंने भी देरी करना ठीक नहीं समझा, मैंने उसे चित्त लिटाया और उसका कुर्ता ऊपर को उठा दिया.. जिससे उसकी चूचिया नंगी हो गईं, पजामी व पैन्टी को पैरों से अलग कर दिया, अपने भी कपड़े उतारे व थोड़ी देर उसकी चूत सहलाई और जब वह बहुत गरम हो गई तो खुद ही बोल पड़ी- आह्ह.. राज अब देर मत करो.. इसस्स.. चोद डालो मुझे..
मैंने उसकी चूत व अपने लण्ड पर खूब थूक लगाया और उसके ऊपर आकर लण्ड को चूत पर दबाने लगा। जल्दी ही वह पूरा लण्ड चूत में निगल गई। 
धीरे-धीरे उसकी चुदाई शुरू हो गई.. वो भी मस्ती में हल्की-हल्की कामुक आवाजें निकाल रही थी। 
मैं भी शोर कम हो इसलिए उसकी चूत की आराम से रगड़ाई कर रहा था। टाइम ज्यादा लेने के कारण दोनों को ही खूब मजा आ रहा था। कभी मैं उसके ऊपर.. तो कभी वो मेरे ऊपर आकर चुद रही थी। 
अब मैंने उसे अपने बगल में लिटाया और पीछे से अपना लण्ड उसकी चूत में डाला। मेरे हाथ में उसकी चूचियां थीं मैं उन्हें बेदर्दी से मसलकर तेज-तेज उसकी चूत में धक्के लगाने लगा। 
इससे आवाज कम आ रही थी और स्पीड भी बढ़ गई थी। वो भी चुदने ही आई थी इसलिए खुद अपनी चूत का दबाव हर धक्के में मेरे लण्ड पर दे रही थी। जैसे ही मुझे लगा कि वो झड़ने वाली है.. मैंने भी तेजी से लण्ड पेलना शुरू किया।
थोड़ी ही देर की तेज रगड़ाई में ही उसके साथ ही मैंने भी अपना सारा माल उसकी चूत में भर दिया। वो मेरे बगल में ही लेटी रही।
वो बोली- राज मेरी एक बच्ची होने पर भी मैंने आज तक इतनी देर तक चुदाई नहीं की.. तुमने बहुत मजा दिया। सुबह जब तुमने मेरी चूत सहलाकर मुझे अपना लण्ड दिखाया था.. तब से ही मेरी चूत चू रही थी। इस निगोड़ी को.. तुम्हारी जोरदार चुदाई के बाद अब शांति मिली है.. जल्दी से एक बार और चोद दो मुझे.. कहीं बच्ची ना जाग जाए।
मैंने एक बार और उसकी चूत मारी और फिर वह अपने कमरे में चली गई। वह जितने दिन भी यहाँ रही.. उतने दिन मैंने उसे जमकर चोदा।
अगली बार जब बड़ी बहन रश्मि, जो मुझसे चुद चुकी थी, दिल्ली आई तो उसके साथ वो भी आई थी। 
रेखा कुछ ज्यादा ही शर्मीली थी, किसी से कुछ नहीं बोलती थी, यहाँ भी दिन भर घर के कामों में ही लगी रहती थी, अपने आप में ही गुमसुम रहती थी।
रात को जब उसकी बड़ी बहन अपनी चूत चुदाने के लिए मेरे कमरे में आई तो उसे चोदते हुए मैंने पूछा- तुम्हारी छोटी बहन गुमसुम सी रहती है.. कुछ परेशानी है क्या उसे?
वो बोली- हाँ.. वह बहुत परेशान है, सारा काम करना जानती है, सभी की सेवा भी करती है.. पर तीन साल होने पर भी अभी कोई बच्चा नहीं हुआ है.. तो उसकी सास उसे ताने मारती है और अपने बेटे की दूसरी शादी कराने की बात करती है।
मैंने बोला- तो इसमें क्या बड़ी बात है, बच्चा पैदा कर ले.. तो सास खुश हो जाएगी ना..
वो नीचे से चूतड़ को उछाल कर लण्ड खाने की कोशिश करते हुए बोली- वो ही तो नहीं हो रहा है ना.. ये लोग बहुत कोशिश कर रहे हैं.. पर कामयाबी नहीं मिल रही है। 
मैंने मजाक में कहा- एक बार मैं कोशिश कर लूँ.. शायद बच्चा हो जाए। उसने अपने पति के साथ तीन साल कोशिश कर ली.. अब एक बार मेरे साथ कोशिश कर ले.. शायद उसका काम बन जाए। 
वो बोली- यह क्या कह रहे हो राज तुम? वो वैसी लड़की नहीं है।
मैं बोला- तो क्या मैं वैसा लड़का हूँ। मैं तो उसका घर बसाने के लिए कह रहा था। तुम ही सोच कर देखो उसका बच्चा हो जाएगा तो उसका घर बच जाएगा.. फिर उसकी सास अपने बेटे की दूसरी शादी कराएगी क्या?
वो बोली- वो कभी नहीं मानेगी और किसी को पता चल गया तो?
मैंने कहा- मनाने का काम तो तुम्हारा है। वैसे तुम इतने महीने से मुझ से चुदवा रही हो और अभी भी चुद रही हो इसका किसी को पता नहीं चला.. तो उसका क्या चलेगा। यह बात हम तीनों के बीच ही रहेगी।
वो उचकते हुए बोली- अच्छा चलो.. मैं उससे बात करती हूँ। अब मुझे लण्ड तो खाने दो.. जोर से चोदो.. कब से तड़प रही थी तुम्हारा लण्ड लेने को.. तुमसे महीने में एक दो बार चुदे बिना तो मुझे चैन ही नहीं आता.. अब डाल भी दो न.. फाड़ डालो मेरी चूत को..
मैंने लौड़ा पेल कर उसको चोद दिया.. पर उस रात मैंने उसकी बहन को दिमाग में रखकर उसकी चुदाई की। 
अगले दिन एकान्त में उसने अपनी बहन से बात की, पहले तो वो मानी नहीं पर जब उसे बहुत मनाया तो वो मान गई।
उसने यह खुशखबरी मुझे बताई।
अब बहुत जल्दी ही उसकी छोटी बहन भी मुझसे चुदने वाली थी। 

वो सलवार सूट पहनती थी और 23 साल की ही होने के कारण बिल्कुल कुंवारी लड़की जैसी ही लगती थी। उसे चोदने का तो अलग ही मजा आने वाला था, मैंने उसे माँ जो बनाना था।

मैंने उसे बताया कि वो माहवारी आने के बाद 15 दिन के लिए यहाँ रहने के लिए आए और अपनी सास को बताए कि इलाज के लिए जा रही है।
आने से पहले एक बार अपने पति से चुदवा कर आए और यहाँ से जाने के बाद भी अपने पति से चुदवाए.. ताकि उसे शक ना हो।
फिर इस बार तो मैंने उससे घुलने-मिलने के लिए उसकी बाहर से ही चूचियाँ व चूत सहलाई.. और उसे अपने लण्ड के दर्शन कराए.. ताकि अगली बार जब वह आए तो मुझसे शरमाए नहीं।
इस बार तो मैंने उसकी दीदी की चूत से ही अपने लण्ड का काम चलाया। 
अगले दिन वो वापस चली गई व ठीक 10 दिन बाद फिर आ गई.. वह अपनी सास को दवा लेने का बताकर 15 दिन के लिए आई थी।
अब बस मुझे अपना काम करना था। मैं उसे पहली बार जरा दबा कर चोदना चाहता था.. जो मेरे कमरे में नहीं हो सकता था इसलिए मैंने अपने दोस्त के घर की चाभी ले ली।
मेरा दोस्त वह मार्केटिंग का काम करता था.. इसलिए ज्यादातर घर के बाहर ही रहता था। अगर घर आ भी जाए तो सुबह जल्दी निकल जाता था, वह अकेला ही रहता था और उसका घर जरा कोने में था.. इसलिए वहाँ कौन आ-जा रहा है.. इसका किसी को पता नहीं चलता था।
वह खुद उस कमरे में कितनी ही लड़कियों को बुला कर चोद चुका था। उस के घर से अच्छी इस चुदाई के लिए जगह हो नहीं हो सकती थी इसलिए मैंने उससे बात कर ली और उसने मुझे चाभी दे दी।
मैंने घर आकर रेखा को बता दिया कि तुम घर पर बता देना कि रोज कल से तुम मंदिर में जाकर ध्यान करोगी और तुम एक घण्टा रोज मंदिर में जाना भी ताकि कोई मंदिर में आकर पूछे भी.. तो वो भी ‘हाँ’ बोले। 
मैं जब भी तुम्हें फोन करूँ तब तुम मंदिर के बाहर आ जाना। इस तरह तुम पर किसी को शक भी नहीं होगा। घर पर कुछ करूँगा.. तो हम फंस भी सकते हैं।
उसने वैसा ही किया। 
मैंने भी 15 दिन की नाइट डयूटी लगा ली और यहाँ रेखा के बाप यानि मकान मालिक के भाई को भी बता दिया कि मैं सुबह दोस्त के घर पर ही नाश्ता करके आऊँगा। 
मैं रात को डयूटी चला गया और अगले दिन दोस्त के घर जाकर उसका इन्तजार करने लगा।
एक घंटे बाद मैंने रेखा को फोन किया और 5 मिनट में मंदिर के बाहर मिलने को बोला। 
वो बाहर ही मिल गई.. उसे मैं दोस्त के कमरे में ले गया और बता दिया कि कल से उसे रोज इसी टाइम पर यहाँ आ जाना है। 
उसके बाद मैंने उसे बैठाया और उसकी टाँगें सहलाने लगा, फिर धीरे-धीरे चूचियाँ मसलने लगा।
जब वह गरम होने लगी तो उसकी चूत सहलाने लगा। 
मैंने उसे गले लगा लिया और बोला- देखो मुझसे बिल्कुल भी मत शरमाना.. इन 15 दिनों के लिए समझना.. मैं ही तुम्हारा पति हूँ। तुम यहाँ चुदने आई हो इसलिए 15 दिन चुदाई ही और बस चुदाई ही तुम्हारे दिमाग में रहनी चाहिए। जब तुम खुल कर चुदोगी.. तभी तुम्हें चुदाई का असली मजा भी मिलेगा और साथ में एक प्यारा सा बच्चा भी मिल जाएगा। 
वो बोली- मेरा बच्चा तो हो जाएगा ना? मैं यह सब बच्चे के लिए ही कर रही हूँ। 
मैंने कहा- जरूर होगा, तुम्हारे से पहले भी एक को माँ बना चुका हूँ। जैसा मैं कहता हूँ.. बस 15 दिन तुम वैसा ही करती जाना। वैसे एक बात बताओ.. कभी तुम्हारे पति ने 15 दिन लगातार चोदा है तुम्हें?
वो बोली- नहीं.. वो तो हफ्ते में एक ही बार करते हैं.. वो भी कभी-कभी..
मैं बोला- तो अब देखो.. इन 15 दिनों में मैं तुम्हारी चूत में इतना माल भरूँगा कि तुम्हारी चूत को मजबूरन बच्चा देना ही पड़ेगा.. बस तुम मेरा साथ दो।
वो बोली- इसी लिए तो राज यहाँ आई हूँ, मुझे निराश मत करना.. मेरी इज्जत तुम्हारे ही हाथ में है।
मैं बोला- चलो फिर काम शुरू करते हैं। 
अब हम दोनों ने फटाफट अपने कपड़े उतारे और जल्द ही हम दोनों नंगे हो गए।
वो अभी भी शरमा रही थी।
मैंने उसे गरम करना शुरू किया.. अपनी बाँहों में भरकर उसे किस करने लगा और एक हाथ से उसकी चूत सहलाने लगा। 
जब वो गर्म हो गई.. तो मेरा साथ देने लगी, वो नीचे के बाल बना कर आई थी, चूत बिल्कुल साफ-सुथरी व चिकनी थी, वो पूरी तैयारी के साथ चुदने आई थी।
मेरा लण्ड उसकी चूत की दीवारों से बार-बार टकरा रहा था।
थोड़ी देर में ही उसकी चूत गीली हो गई।
जैसे ही मैंने उंगली उसकी चूत के अन्दर डाली.. उसकी सिसकारी निकल गई।
मैंने उसकी चूचियां मसलते हुए कहा- तुम्हें मजा तो आ रहा है ना..
वो बोली- हाँ.. बहुत मजा आ रहा है ऐसे ही करते रहो। 
मैंने थोड़ी देर सहलाने के बाद उसके आगे अपना लण्ड कर दिया।
मैं बोला- इसे अपने मुँह में लेकर चूसो।
वो बोली- नहीं.. मुझे यह अच्छा नहीं लगता।
मैंने कहा- अरे यही तो असली चीज है.. यह जितना खिला रहेगा.. तुम्हें उतना ही मजा देगा। इसी का तो सारा खेल है.. तुम उसे चूस कर खुश करो और ये तुम्हें चोद-चोद कर खुश करेगा। चलो.. अब जल्दी करो।
वो बोली- नहीं.. इसका स्वाद अच्छा नहीं होता है।
मैंने कहा- बस इतनी सी बात.. ये लो अभी इसका स्वाद बदल देता हूँ। 
मैंने दोस्त की रसोई से शहद लाकर लण्ड पर अच्छे से चुपड़ दिया और लण्ड उसके मुँह में ठूंस दिया।
पहले उसने लण्ड पर जीभ लगाई फिर पूरा लण्ड मुँह में ले लिया। शहद का स्वाद काम कर गया.. वह मजे से मेरे खड़े लौड़े को चूसने लगी। 
अब मुझे भी कन्ट्रोल नहीं हो रहा था तो मैंने उसे लिटा दिया और उसकी टाँगें फैलाकर चूत पर लण्ड लगाया और एक धक्का लगाया।
उसकी चूत टाइट थी इसलिए आधे में ही लण्ड फंस गया.. उसकी चीख निकल गई। 
वो बोली- आहहह.. आराम से.. मार डालोगे क्या.. बहुत दर्द हो रहा है।
मैंने कहा- तुम्हारी चूत तो बहुत टाइट है, तुम्हारा पति तुम्हें नहीं चोदता क्या?
वो बोली- उनका वो जरा छोटा है.. फिर वो जरा सा फुदक कर ही जल्दी खलास हो जाते हैं।

मैंने सोचा आज तो मजा आ जाएगा.. साली शादी के इतने साल बाद भी इतनी टाइट चूत है..
मैंने उससे कहा- कोई बात नहीं.. आज मैं तेरी पूरी चूत खोल दूँगा। 
मैंने एक बार लण्ड बाहर निकाल कर उसकी चूत व अपने लण्ड पर ढेर सारा थूक लगाया और फिर पूरी ताकत से धक्का लगाया.. साथ में उसके मुँह में हाथ भी रख दिया। 
वो चिल्लाने लगी.. उसकी आखों से आंसू निकल आए, वो बोली- आहहह मरररर गई.. बाहर निकालो इसे.. मुझे नहीं चुदवाना.. तुमने मेरी चूत ही फाड़ दी।
मैं बोला- कुछ नहीं होगा.. तुम्हारे पति वाला काम भी मुझे ही करना पड़ रहा है। अब दर्द नहीं होगा। थोड़ा सहन कर लो बस। 
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