Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
12-10-2018, 02:16 PM,
#94
RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -52 

गतान्क से आगे... 


“ वाह क्या ग़ज़ब लग रही हो. आज तो सारे मर्दों के लंड झुकने का नाम ही नही लेंगे.” रत्ना ने मुझे निहारते हुए कहा. 

रत्ना मुझे लेकर आश्रम के बीच बने कुंड पर ले आई. जिसे सब कुंड कह रहे थे वो एक तरह से स्विम्मिंग पूल ही था. रत्ना ने कहा, 

" जाओ इसमे प्रवेश करके एक डुबकी लगाओ. इसका पानी सूद्ढ़ और अभिमंत्रित है. यहाँ के हर शिष्य शिष्या को सख़्त आदेश है कि इस कुंड से अपने बदन को सूद्ढ़ किए बिना किसी भी प्रकार के पूजा अर्चना नही शुरू करें. " 

तभी मैने देखा कि एक आश्रम का शिष्य कमर पर छ्होटी सी लंगोट बँधे उस कुंड मे प्रवेश किया. कुच्छ मंत्र पढ़ते हुए उसने दो डुबकी लगाई और बाहर आ गया. बाहर आते वक़्त उसकी छ्होटी सी लंगोट गीले बदन से चिपक गयी थी. लंगोट के अंदर से 
उसका तगड़ा लिंग जो पहले आँखों की ओट मे था अब एकदम सॉफ सॉफ दिखाई दे रहा था. 



उनका लिंग किसी बेल पर लगे मोटे खीरे की तरह लटक रहा था. उसे देख कर मेरा चेहरा शर्म से लाल हो गया. उसका लंड अभी सोया हुआ था मगर उस अवस्था मे भी उसका आकार अच्छे अच्छो के खड़े लंड के बराबर था. मैने मन ही मन सोचा की वैसा मोटा तगड़ा लंड जब खड़ा होता होगा तो कितना ख़तरनाक लगता होगा. 



मैने अपने बदन पर एक नज़र डाली पानी से बाहर आने पर मेरी हालत उससे भी बदतर होने वाली थी. काफ़ी सारे शिष्य कुंड के चारों इधर उधर आ-जा रहे थे. मैं झिझकते हुए कुंड मे प्रवेश कर गयी . मैं दो डुबकी लगा कर बाहर आई. अब मेरा बदन पूरा ही नग्न हो गया था. बदन की सारी का होना और ना होना बराबर ही था. सारी गीली होगार मेरे बदन से किसी केंचुली की तरह चिपक गयी थी. मेरे बड़े बड़े सुडोल बूब्स एक दम बेपर्दा हो गये थे. मेरे दोनो निपल्स खड़े होकर बड़ी हसरत से सामने वाले को आमंत्रित कर रहे थे. सारी गीली होकर पारदर्शी हो जाने के कारण 
मेरी योनि के उपर उगे रेशमी बाल भी साफ साफ नज़र आ रहे थे. मैं अपनी योनि के उपर से रेशमी बालों को साफ नही करती थी. वो इस वक़्त एक काले धब्बे की तरह नज़र आ रहे थे. अब मेरे लिए दूसरों की नज़रों से छिपाने के लिए कुच्छ भी नही बचा था. 



मुझे उसी हालत मे त्रिलोकनंद जी के पास ले जाया गया. रत्ना कमरे के बाहर ही रह गयी थी. त्रिलोकनंद जी ने मुझे उपर से नीचे तक देखा. फिर अपने सामने खड़ा कर के मेरी सारी को मेरे बदन से हटाने लगे. मेरे पूरे बदन से और सारी से अब भी पानी टपक रहा था. मैं उनके सामने सिर झुकाए खड़ी थी. पूरी सारी को मेरे बदन से हटा कर उन्होने मुझे पूरी तरह नंगी कर दिया. फिर मेरे नग्न बदन पर उपर से नीचे तक अपने दोनो हाथों को फिराया. उनकी उंगलियों ने मेरे जिस्म के हर शिखर और कंदराओ को च्छुआ. उनकी उंगलियों की चुअन पूरे बदन पर सैकड़ो चींटियाँ चला रही थी. मेरे सारे रोएँ ऐसे खड़े हो कर तन गये थे जैसे वो बाल ना होकर काँटे हों. ऐसा लग रहा था मानो कोई मेरे बदन पर मोर पंख फेर रहा हो. सिहरन से मेरे निपल्स खड़े होकर कठोर हो गये. उनके हाथ पूरे बदन पर फिसल रहे थे. अपने कंधे पर पड़ी चुनरी को उन्हो ने उतारा और मेरे गीले बदन को पोंच्छने लगे. 



पोंच्छने के साथ साथ जगह जगह पर सहलाते भी जा रहे थे. मेरे बदन को 
पोंच्छने के बाद उन्हों ने मुझे खींच कर अपने बदन से सटा लिया और मेरे चेहरे को अपने हाथों से थाम कर मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए. काफ़ी देर तक यूँ ही मेरे होंठों को चूमते रहे. 

उन्हों ने कमरे के एक कोने पर विराजमान देवता जी की मूर्ति के पैरों के पास से भभूत जैसी कोई चीज़ अपने हाथों मे ले कर मेरे पूरे बदन परमालने लगे. फिर एक सुराही से एक ग्लास मटमैले रंग का कोई तरल भर कर मुझे पीने को दिया. उस शरबत जैसी चीज़ बहुत तेज थी. उसका स्वाद कुच्छ कुच्छ वैसा ही था जैसा मैने कई बार उस आश्रम मे पिया था. 



जब मैं एक एक घूँट ले कर उस ग्लास को खाली कर रही थी तब वो मेरे निपल्स को अपनी जीभ से कुच्छ ऐसे चाट रहे थे जैसे कोई बच्चा सॉफ्टी के उपर लगे चर्री को चाट्ता है. 


" देवी, ये अवसर मैं बहुत कम महिलाओं को ही देता हूँ. तुम बहुत अच्छि हो और बहुत सेक्सी……मुझे तुम पसंद आई इसलिए तुम्हे भी मेरा वीर्य अपने कोख मे लेने का अवसर मिला. अब एक हफ्ते तक तुम्हे सब कुच्छ भूल कर मेरी बीवी की तरह रहना होगा. तुम्हारे बदन का मालिक मैं और सिर्फ़ मैं होऊँगा." कहते हुए उन्हों ने अपने तपते होंठ मेरे होंठों पर रख दिए, “ तुम मेरी इच्छा की विरुढ़ह कुच्छ नही कर सकती. मेरे आदेशों का पालन किसी गुलाम की तरह सिर झुका कर करना पड़ेगा. हल्का सा भी विरोध तुम्हारी पूरी मेहनत, पूरी तपस्या एक पल मे ख़त्म कर सकती है.” 



मुझे ऐसा लगा मानो मेरे ठंडे होंठों को किसी ने अंगारो से च्छुआ दिए हों. मेरा गीला बदन भी उनके शरीर से लग कर तप रहा था. मेरे हाथ अपने आप नीचे उनकी जांघों के बीच जाकर उनके तने हुए विशालकाय लिंग को थाम लिए. मेरे होंठ उत्तेजना से खुल गये और मैं अपनी जीभ निकाल कर पहले मेने उनके होंठों पर फिराया और फिर मैने उनके मुँह मे अपनी जीभ को डाल दिया. 

" आआअहह……कब से मैं तड़प रही थी इसी मौके के लिए. मैं आपकी शरण मे आइ हूँ. आपको पूरा अधिकार है मुझे जैसी इच्छा हो आपकी उसी तरह यूज़ करो. मुझे तोड़ मरोड़ कर रख दो. मुझे अपनी दासी बना कर रखो. मैं आपके साथ बीते हर पल को एंजाय करना चाहती हूँ. मुझे अपने जिस्म से लगा कर मेरी प्यास को शांत कर दो. मुझे अपने चर्नो मे जगह दे दो गुरु देव. मुझे अपना बना लो." उन्हों ने अपने होंठों को खोल कर मेरी जीभ को अंदर प्रवेश करने दिया. 



" दिशा…….मेरे लिंग को अपने अंदर लेने से पहले मेरे बीज को अपनी कोख मे लेने से पहले इस आश्रम के बाकी सारे मर्दों का आशीर्वाद लेना पड़ेगा. उन्हे खुश करके उनसे अनुमति लेनी पड़ेगी. उन्हे एक बार खुश करना पड़ेगा." मैने बिना कुच्छ कहे उनकी नज़रों मे झाँका ये कहने के लिए कि मैं उनकी हर शर्त मानने के लिए तैयार हूँ. मुझे रत्ना ने हर बात बड़ी तसल्ली से मुझे समझा दिया था. मुझे सब पता था कब किसके साथ क्या करना था. 

” देवी तुम्हे अपने करमो से साबित करना पड़ेगा की तुम भूखी हो मेरे वीर्य रस की. तुम्हे अपनी गर्मी का अहसास दिलाना पड़ेगा हर किसी को. तुम्हे इस आश्रम मे मौजूद हर व्यक्ति की उत्तेजना को शांत करना होगा तब जा कर तुम मेरे अमृत को ग्रहण करने के योग्य हो पओगि.” उन्हों ने मुझे कहा. 



वो मेरे बदन से अलग होकर पूजा के स्थान से एक छ्होटा सा पीतल का कलश ले आए. उसे मेरे हाथों मे थमाया और बोले, 

" लो इसे सम्हालो" मैने कलश को थाम लिया, " ये अमृत कुंड है. इसे तुम्हे भर कर लाना होगा." 

मैने सिर हिला कर पीछे उन्हे अपनी राजा मंदी जताई. जब मैने बाहर जाने के लिए मुड़ना चाहा तो उन्हों ने रोक दिया. 

" अरे पगली इसे पानी से भर कर थोड़े ही लाना है. इसे अंकुरित बीजों से भरना है. यहाँ इस आश्रम मे सेवकराम को मिलाकर दस शिष्य हैं. दसों मर्द तुम्हे अपने आगोश मे लेने के लिए आतुर हैं.तुम्हे इस कलश को उनके वीर्य से भर कर लाना होगा. तुम्हे उनसे प्रणय निवेदन कर अपने साथ संभोग के लिए राज़ी करना होगा." 

मेरा उनकी बातें सुन कर चौंक गयी. मेरा मुँह खुला का खुला रह गया. मेरे मुँह से कोई आवाज़ नही निकली. रत्ना मुझे सब समझाते हुए भी शायद कुच्छ बातों को छिपा गयी थी. वो बोलते जा रहे थे, 

" इसके लिए तुम्हे हर शिश्य के कमरे मे जाकर उनको उत्तेजित करना है. उन्हे अपने साथ संभोग के लिए राज़ी करवाना होगा और उनसे सेक्स करने के बाद उनका वीर्य अपनी योनि मे या इधर उधर बर्बाद करने की जगह इस छ्होटे से कलश मे इकट्ठा करना होगा. इसके लिए तुम्हे अपना रूप, अपने बदन, अपना सोन्दर्य और अपनी अदाओं का भरपूर इस्तेमाल करना होगा." 

मैं चुपचाप उनको सुन रही थी. जब वो पल भर को रुके तो मैने,” जी” कह कर उन्हे अपनी सहमति जताई. 

" अभी पाँच बज रहे हैं. तुम अभी से शुरू हो जाओ क्योंकि सुर्य अस्त होने से पहले तुम्हे ये काम निबटना पड़ेगा. जाओ तैयार हो जाओ. सबसे पहले सेवक राम के पास 
जाना. उस के लिंग के रस से ही तो आधा भर जाएगा. बहुत रस है उसके अंदर. जाओ उसे निचोड़ लो. हाहाहा…." उन्हों ने एक पहले जैसी ही सूखी सारी लाकर मुझे दी. 

" वो सारी तो अब पहनने लायक नही है. पूरी तरह गीली हो चुकी है. लो इसे अपने बदन पर लप्पेट लो" स्वामी जी ने कहा. मैने उसे अपने बदन पर लप्पेट ने लगी. स्वामी जी ने उस सारी को मुझे पहनने मे मदद की. 

मैं उनके चरण च्छू कर बाहर निकली. मुझे अगले दस-बारह घंटे मे दस मर्दों की काम वासना शांत करना था. पंद्रह बलिष्ठ मर्दों से सहवास करते हुए बदन का टूटना तो लाजिमी ही था. जाने कितनी कुटाई होनी थी शाम से पहले. एक ओर बदन उत्तेजित था पंद्रह मर्दों से सहवास के बारे मे सोच कर तो दूसरी ओर मन मे एक दार भी था की शाम तक कहीं मुझे लोगों का सहारा ना लेना पड़े खड़े होने के लिए भी. 



रत्ना को साथ मैने पूरे वक़्त मेरे साथ ही रहने को कहा. सेवकराम जी जैसे दस आदमियों को झेलते हुए मेरी जो दुर्गति होनी थी वो मैं ही जानती हूँ. हिम्मत बढ़ने के लिए काम से काम रत्ना जैसी किसी जानकार महिला का होना बहुत ज़रूरी था जिससे मैं पहले से ही घुली मिली थी. 

मैं रत्ना को साथ लेकर चलते हुए सबसे पहले सेवकराम जी के पास गयी. उन्हों ने मेरे हाथ मे थामे कलश को देख कर मुस्कुराते हुए कहा, 

"आओ अंदर आओ. रत्ना तुम बाहर ही ठहरो. इसे अभी छ्चोड़ता हूँ." सेवक राम जी ने रत्ना को बाहर ही रोक कर मेरी कमर मे अपनी बाँहें डाल कर कमरे मे ले गये. 



सेवक रामजी ने मुझे अपना वस्त्र बदन से हटाने को कहा. मैने उनके सामने बेझिझक अपनी सारी उतार कर रख दी. उनके साथ तो वैसे ही कई बार संभोग कर चुकी थी इसलिए अब कोई झिझक नही बची थी. उन्हों ने भी अपनी कमर से लिपटा एक मात्र वस्त्र को उतार कर एक ओर फेंक दिया. मैने देखा कि उनका वही चिर परिचित लंड पूरे जोश के साथ खड़ा हो कर मुझे ललकार रहा था. 



उन्हों ने मुझे सामने की दीवार का सहारा लेकर खड़ा किया. मैने दीवार की तरफ मुँह करके अपने हाथ दीवार पर रख कर उसका सहारा लिया और अपनी कमर को कुच्छ बाहर निकाला. क्रमशः............
Reply


Messages In This Thread
RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन - by sexstories - 12-10-2018, 02:16 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Thriller Sex Kahani - मोड़... जिंदगी के sexstories 21 8,498 06-22-2024, 11:12 PM
Last Post: sexstories
  Incest Sex kahani - Masoom Larki sexstories 12 4,021 06-22-2024, 10:40 PM
Last Post: sexstories
Wink Antarvasnasex Ek Aam si Larki sexstories 29 2,796 06-22-2024, 10:33 PM
Last Post: sexstories
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,749,909 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 576,466 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,340,575 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 1,024,516 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,800,082 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,202,617 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,161,957 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 5 Guest(s)