Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
12-10-2018, 02:35 PM,
RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -60 

गतान्क से आगे... 
मैं उसी अवस्था मे कुच्छ देर तक रही. एक ने आगे बढ़कर अपनी उंगलियों से मेरी योनि की फांकों को अलग किया. अंदर की लाल सुरंग उनके सामने लपलपा रही थी. दोनो अपने अपने होंठों पर जीभ फिराते हुए उन्हे निमंत्रण देती मेरी योनि को देख रहे थे. दोनो ने एक एक कर मेरी योनि को चटा और फिर अपनी अपनी जीभ कुच्छ देर तक मेरी योनि के अंदर भी घुमा दिए. 

" अद्भुत नशीला स्वाद है तुम्हारी योनि का. इसीलिए तो आज सब नशे मे चूर हो गये हैं. अब तुम उठ जाओ देवी.” एक ने कहा. मैं लेट गयी. फिर उठ कर अपनी जगह पर बैठ गयी. दोनो एक खाट पर बैठे थे 



“ इधर आओ हमारे पास. ना ना उठो मत घुटनो के बल आगे आओ.” दूसरे ने कहा. मैं उसके कहे अनुसार अपने घुटने और हाथों के बल चलती हुई उनके पास आई. मैं उनके सामने घुटने के बल अपना सिर झुकाए हुए बैठी थी. 



“ देवी दिशा आगे आओ और हम दोनो के लिंग को अपने सिर से च्छुआ कर आशीर्वाद लो" मैं उठकर घुटने के बल बैठी थी. 



दोनो मेरे सामने तखत पर पैर लटका कर बैठे हुए थे धोती के बाहर से ही उनके लिंग के उभार नज़र आ रहे थे. मैने पहले सत्यानंद जी के लिंग को धोती से बाहर निकाला. फिर अपने सिर से उसे च्छुअया. उनका लिंग एकदम तन कर खड़ा था. उन्हों ने मेरे सिर पर अपने लिंग के सूपदे को रख कर मुझे आशीर्वाद दिया. फिर यही क्रिया मैने दूसरे के साथ भी दोहराई. 

उसके बाद दोनो ने मुझे उठा कर अपने बीच बिठा लया. दोनो मेरे एक एक स्तन को लेकर चूसने और मसल्ने लगे. मेरे दोनो हाथों मे दोनो के लिंग थे जिसे मैं सहला रही थी. दोनो मेरे निपल्स को अपनी अपनी जीभ से सहला रहे थे. 



“ गुरुदेव जब तुम्हारी कोख भरेंगे तब ये तरबूज भी रसीले हो जाएँगे. इनसे जब दूध निकलेगा तब उस पर हमारा भी हक़ होगा.” एक ने कहा. 



“ हमे अपना स्तन पान करओगि ना?” दूसरे ने पूछा. मैं क्या कहती मुस्कुरा कर चुप ही रही. तभी एक ने मेरी टाँगो को कमर से पकड़ कर उठाया और उसी हालत मे मुझे तखत पर लिटा दिया. दूसरा तब अपनी धोती को बदन से हटा रहा था. 



सत्या ने मेरी टाँगों को मोड़ कर मेरे नितंबों से लगा दिया. फिर घुटनो को पकड़ कर मेरी जांघों को अलग कर दिया. मेरी योनि खुल कर सामने आ गयी. उन्हों ने अपने होंठ मेरी योनि पर लगा दिए. मैने खुद अपनी उंगलियों से अपनी योनि की फांके अलग कर उन्हे आगे बढ़ने का रास्ता दिखाया. उनकी जीभ मेरी योनि मे घुस कर आगे पीछे हो रही थी. मैं उत्तेजना मे अपनी कमर को तखत से उपर उठा दी. मैने अपने दोनो हाथों से सत्या के सिर को पकड़ कर अपनी योनि पर दाब दिया. 



जब वो इस तरह मेरी योनि को चाट रहे थे तब राजेश मेरे सिर के पास आकर अपने खड़े लिंग को मेरे होंठों के उपर फिराने लगा. मैने नज़रें उठा कर उसको देखा तो वो मुझे अपने लिंग को मुँह मे लेने के लिए अनुरोध कर रहा था. मैने बिना किसी झिझक के अपना मुँह खोल कर उसे अपने लिंग को अंदर करने का आमंत्रण दिया. 



उसका लिंग अब मेरे मुँह के अंदर प्रवेश कर चुक्का था. उसने मेरे सिर को अपने दोनो हाथों से थाम कर बिस्तर से उपर उठा कर अपनेर लिंग पर दाब दिया. अब वो मेरे मुँह मे धक्के मारने लगा. अब एक लिंग मेरे मुँह मे धक्के मार रहा था तो दूसरे के मुँह पर मैं धक्के मार रही थी. बहुत जल्दी ही मेरे बदन से चिंगारियाँ फूटने लगी और मैं स्खलित हो गयी. 



स्खलन के वक़्त उत्तेजना मे मैने दूसरे आदमी के लिंग पर अपने दाँत गढ़ा दिए और उनके लिंग को कुच्छ इस तरह अपनी जीभ से चूसा की वो मेरे बालों मे अपनी उंगलियाँ फँसा कर अपने लिंग को मेरे मुँह मे ठूँसने लगे मगर मैने उनका आशय समझ कर अपने दिल की बजाय दिमाग़ से काम लेते हुए अपने सिर को बाहर की ओर खींचा. जैसे ही उनका लिंग मेरे गले से बाहर निकल कर मेरे मुँह मे आया उनके लिंग से एक ज़ोर दार पिचकारी के रूप मे वीर्य निकल कर मेरे मुँह मे भरने लगा. मेरे मुँह मे मैं जितना इकट्ठा कर सकती थी उतना मैने इकट्ठा कर लिया और उसके बाद उनका वीर्य मेरे होंठों के कोरों से छलक छलक कर मेरे गाल्लों से होते हुए बालों मे समाने लगा. जब उनके लंड से सारा वीर्य निकल गया तो मैने “ उम्म्म्म..उम्म्म” की आवाज़ निकाल कर उन्हे इशारा किया. वो मेरी बात समझ कर जल्दी से उस लोटे को मेरे होंठों के पास ले आए. मैने अपने मुँह मे इकट्ठा किए वीर्य को पहले मुँह खोल कर उनको दिखाया फिर सारा उस लोटे मे उलीच दिया. 



अब वो खल्लास हो कर वहीं बैठ कर हाँफने लगे. सत्या अब मेरी योनि को चूस्ता चाट्ता हुया मेर उपर लेट गया. उसने भी मेरी योनि से निकला सारा वीर्य चाट चट कर सॉफ कर दिया था. अब वो मेरे जिस्म के ऊपर लेट कर मेरी योनि को दोनो हाथों से चौड़ा कर के उसे बुरी तरह से चाट रहा था. उसका मस्त मोटा लंड मेरे चेहरे के ऊपर ठोकरे मार रहा था. 



मुझसे रहा नही गया और मैने उसके लिंग को पकड़ कर अपने मुँह मे भर लिया. मेरे जबड़े पहले मुख मैथुन से दुख रहे थे मगर मैने उसकी परवाह ना कर उनके लिंग को मुँह मे भर लिया. अब हम 69 पोज़िशन मे एक दूसरे के गुप्तांगों को चूस रहे थे. 



वो मेरे उपर लेट कर मेरे मुँह को मेरी चूत समझ कर धक्के मार रहा था तो मैं उसकी जीभ को ज़्यादा से ज़्यादा अपनी योनि मे लेने के लिए उसकी जीभ को उसका लंड मान कर नीचे से अपनी कमर को उच्छाल रही थी. उसका लंड जड़ तक मेरे मुँह मे घुस जाता तब उसकी गेंदे मेरे नाक को दबा देती. उसके लंड के चारों ओर फैले बाल मेरे नथुनो मे घुस जाते. एक बार तो मैं ज़ोर से छिन्क दी. ऐसा करते वक़्त मेरे दाँत उसके लंड पर गढ़ गये और वो “ अयीई” कर उठा. लेकिन उसकी रफ़्तार कुच्छ ही पल मे वापस पहले जैसी ही हो गयी. 



“ आआहह……….उम्म्म्मम……आब्ब्ब्ब्ब्ब्बबब….उप्प्प्प्प” जैसी आवाज़ें मेरे मुँह से निकल रही थी तो योनि की तरफ से “ स्लूर्र्ररर्प……चहात…..उम्म्म्म” जैसी आवाज़ें आ रही थीं. 



मेरी योनि से दोबारा रस बहने लगा. मगर उसके लंड मे और उसके जोश मे कोई भी ढील नही महसूस हो रही थी. वो लगा तार मेरे मुँह मे उसी रफ़्तार से धक्के मारते हुए मेरी योनि से बह रहे रास को पूरा चाट चाट कर सॉफ कर दिया. 



काफ़ी देर तक इस तरह एक दूसरे को चूसने चाटने के बाद वो मेरे उपर से उठा. तब तक राजेश जी वापस चार्ज हो चुके थे.उनका लिंग वापस तन कर खड़ा हो गया था. 



“ सत्या भाई इस तरह मज़ा नही आया. एक काम करते हैं आप दो पॅकेट वहाँ शेल्फ से निकालो.” सत्या जी उठे और शेल्फ से दो कॉंडम के पॅकेट निकाल कर ले आए. 



“ हां राजेश भाई अब हम अंदर ही डालेंगे. ठीक उत्तेजना के चरमोत्कर्ष पर बाहर निकालना नही पड़ेगा.” सत्या जी ने कह कर एक पॅकेट खोल कर उन्हे पकड़ाया. दोनो मेरे करीब अपने अपने खड़े लंड लेकर खड़े हो गये. मैने एक एक करके दोनो के लंड पर कॉंडम चढ़ाया. मैने देखा दोनो कॉंडम रिब्ब्ड थे एक्सट्रा मज़ा देने के लिए. 



इस बार राजेश जी तखत पर लेट गये और मुझे अपने ऊपर आने का इशारा किया. मैं अपनी टाँगे उसके पेट के दोनो ओर रख कर अपनी कमर को कुच्छ उठा कर अपनी योनि को उसके लंड के ऊपर सेट किया. फिर अपनी योनि के मुँह पर उसके लिंग को लगा कर मैं उसके लिंग पर बैठ गयी. उसका लंड बिना किसी परेशानी के मेरी योनि मे घुस गया था. 



उसने मेरे दोनो स्तनो पर अपने पंजे रख दिए. उन्हे वो अपनी उंगलियों से उमेथ्ने लगा. मेरे निपल्स उसकी इन हरकतों से खड़े और लंबे हो गये थे. वो उन दोनो निपल्स को अपनी उंगलियों मे सख्ती से पकड़ कर एक दूसरे की उल्टी दिशा मे मसल्ने लगे. सुबह से वैसे ही दोनो स्तनो मे लोगों के द्वारा मसले जाने से टीस बनी हुई थी. उपर से उनके उमेठे जाने से मुझे ऐसा दर्द होने लगा मानो वहाँ कोई घाव हो गया हो. मैं दर्द से बिलखने लगी. 



“ प्लीईसए इनहीए हाथ मॅट लगाऊऊ…..आआआअहह….माआआ…..माइइ दाअर्द से मार जौंगिइिईईईई.” मैं च्चटपटाते हुए उनसे अपने साथ प्यार से पेश आने की मिन्नत कर रही थी. 



“ लगता है भाइयों ने इसके बदन को बुरी तरह मसला कुचला है. हम तक आते आते औरतों मे दम ही नही बचता चुदवाने का. ठीक है चल लेट जा मेरे सीने पर.” राजेश ने कहा. 



मैं उनके कहे अनुसार उनके सीने पर लेट गयी. उनका लंड अभी भी मेरी योनि के अंदर था. उन्हों ने अपने टाँगों को फैला दिया था. सत्या जी ने एक तकिया लाकर उनकी कमर के नीचे लगा दिया. जिससे उनकी कमर कुच्छ टेढ़ी रहे और मुझे उनके पूरे लंड का मज़ा मिले. राजेश जी ने मुझे अपनी बाँहों के बंधन मे बाँध कर अपने सीने पर चिप्टा लिया. राजेश जी अब मेरे गुदा मे अपनी उग्लियों मे तेल लेकर अंदर तक लगाने लगे. आच्छि तरह मेरे गांद के छेद मे और अपने लंड पर तेल चुपाड़ने के बाद उन्हों ने मेरे नितंबों को अपनी हतलियों मे भर कर फैलाया. कॉंडम लूब्रिकेटेड होने के बावजूद उन्हों ने उसे अच्छि तरह तेल से चुपद दिया था. 



अब अपने कॉंडम चढ़े लंड को मेरी गांद की छेद पर रख कर ज़ोर लगाया. हल्के से दर्द के साथ पहले उनके लंड का मोटा टोपा अंदर घुस गया. वो इस अवस्था मे दो मिनिट रुके. नीचे से राजेश जी ने एक दो झटके दिए अपने लंड के उसके बाद सत्या जी ने पूरा ज़ोर लगा कर अगला झटका मारा और उनका लंड आधे के करीब मेरर गुदा मे धँस गया. मैं छॅट्पाटा उठी. मगर राजेश जी के मजबूत बंधन मे मैं सिर्फ़ मचल सकती थी. 



मेरे बदन मे दर्द की हिलोरें उठने लगी. राजेश जी का लंड भी अच्च्छा मोटा था इसलिए मुझे काफ़ी तकलीफ़ हो रही थी. मेरे मुँह से दबी दबी कराहें निकल रही थी. 



“ आआहह…..ऊऊऊ…म्‍म्म्माआआअ” मैं दर्द से तड़पने लगी थी मगर उन दोनो को अपने अपने मज़े से मतलब था. कुच्छ देर रुक कर सत्या जी ने अपने लिंग को कुच्छ बाहर खींचा. लिंग पर लगे कॉंडम के रिब्स से मेरे गुदा की दीवारें घिस कर जलन करने लगी. उन्हों ने अपने लंड को कुच्छ बाहर निकाल कर दोबारा पूरी ताक़त से अपने लंड को मेरे गुदा मे पूरे ज़ोर से धक्का मारा. मैं दोनो के बीच फँसी मचल उठी और उनका लंड जड़ तक मेरी गांद के अंदर घुस गया. 

क्रमशः............
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