01-07-2018, 02:03 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Porn Kahani भोली-भाली शीला
पंडित & शीला पार्ट--23
***********
गतांक से आगे ......................
***********
पर पंडत अब कहाँ रुकने वाला था ...उसने दे दना दन धक्के मारकर उसकी चूत के परखच्चे उड़ा दिए ...और थोड़ी देर में ही रितु को भी मजा आने लगा ...वो मजा जिसके लिए वो कब से तरस रही थी ...ऐसा लग रहा था जैसे उसकी चूत को उसकी खुराक मिल गयी हो ...वो अन्दर तक खुश हो चुकी थी ...
''अह्ह्ह्ह्ह ...पंडित जी ......अह्ह्ह्ह ...सच में ....आप महान हो .....क्या मजा आ रहा है ....अह्ह्ह्ह्ह ......अह्ह्ह्ह्ह . ...उम्म्म्म ... जोर से करो .....पंडित जी ....और तेज ....जैसे आपने .....संगीता के साथ किया ......अह्ह्ह्ह्ह ...जैसे पिताजी ने माँ के साथ किया ....अह्ह्ह्ह्ह ....जैसे पिताजी ने संगीता की मारि…. ... अह्ह्ह्ह्ह .....हाँ ....ऐसे ही ....उफ्फ्फ मा ......मैं तो गयी ....पंडित जी ..."
और इतना कहकर उसने अपनी चूत की खान से निकाल कर सोने जैसा रस पंडित जी के लंड के नाम कुर्बान कर दिया ...
और पंडित जी ने भी काफी देर से दबा कर रखा हुआ ज्वालामुखी अपने अन्दर से निकाला और उसकी चूत के अन्दर अपना लावा निकाल कर वहीं ढेर हो गए ...
अब दोनों के गर्म जिस्म एक दुसरे को सहला रहे थे ...
पंडित ने सोचा की उसके दिल की बात जानी जाए इसलिए उन्होंने रितु से बात करनी शुरू की ...
पंडित : "अच्छा एक बात तो बताओ ...तुम्हे अपने पिताजी के इरादे तो शुरू से मालुम है ..वो तुम्हारे साथ घर पर भी वो छेड़ छाड़ कर ही चूका है ...और आज तो उसने तुम्हारी सहेली को भी चोद डाला ये सोचते हुए की वो तुम हो ...तुम ये सब जानने के बाद उनके बारे में क्या सोचती हो ..."
पहले तो वो चुप रही पर फिर धीरे से उसने बोलना शुरू किया ..: "मुझे पता है की ऐसा सोचना और करना गलत है ..उनकी हरकतें मुझे शुरू में बुरी लगती थी ..पर अब ...अब ...मुझे भी वो सब अच्छा लगने लगा है ...पिताजी को जब उस दिन माँ के साथ सेक्स करते हुए देखा और आज अपनी सहेली के साथ भी ...तो मुझे ऐसा लगा की उनकी जगह पर मुझे होना चाहिए था ...वो मेरा हक़ था जो वो लूट रही थी ...''
पंडित समझ गया की आगे का काम करने में उन्हें ज्यादा मुश्किल नहीं होने वाली ...उनके दिमाग में नयी - २ योजनायें बननी शुरू हो गयी ..
समय काफी हो चूका था इसलिए पंडित जी ने रितु को घर जाने को कहा ..शाम को मंदिर के कार्यों से निपट कर पंडित जी को नूरी का ख़याल आया ...वैसे तो पंडित जी में चोदने की हिम्मत नहीं बची थी ..पर फिर भी नूरी के बारे में सोचते ही उनके लंड की नसों ने फड़कना शुरू कर दिया ...
उन्होंने अपना कुरता और धोती पहना और बाहर निकल गए .
और चल दिए नूरी के घर की तरफ .
वहां पहुंचकर पंडित जी ने इरफ़ान भाई को दूकान पर बैठे देखा ..वो काफी परेशान से थे .
पंडित : "इरफ़ान भाई ..क्या हुआ ..आप इतने परेशान से क्यों लग रहे हैं .."
इरफ़ान : "अरे पंडित जी ...अच्छा हुआ आप आ गए ...मैं अभी आपके बारे में ही सोच रहा था ...दरअसल आज सुबह ही नूरी के ससुराल से फ़ोन आया था ..वो पूछ रहे थे की आगे का क्या इरादा है ..मैंने जब नूरी से पुछा तो उसने मुझसे लडाई करनी शुरू कर दी ...अब आप ही बताइए पंडित जी ..भला इस तरह कोई लड़की अपने पति का घर छोड़कर बैठ सकती है क्या ..दुनिया वाले भी बातें बनाने लगते हैं ..उसके ससुराल वालों पर भी आस पास के लोग इल्जाम लगा रहे है ..मुझे तो लगा था की आपने समझा दिया है ..और वो जल्दी ही मान कर वापिस चली जायेगी ..पर वो अपनी जिद्द लेकर बैठी है की उसकी जब मर्जी होगी तभी वापिस जायेगी .."
पंडित : "और उसकी मर्जी कब होगी वापिस जाने की ...?"
पंडित ने जैसे जानते हुए भी ये सवाल इरफ़ान भाई से पुछा ..
इरफ़ान : "अब ये तो वही जाने ...पर कह रही थी की कम से कम एक हफ्ता और उन्हें मजा चखना चाहती है वो ...अब आप ही बताइए पंडित जी ..एक हफ्ते में ऐसा क्या कर लेगी वो .."
पंडित मन ही मन मुस्कुरा दिया ..वो जानता था की एक हफ्ता और वो उनसे चुदना चाहती है ...और प्रेग्नेंट होकर ही वापिस जाना चाहती है .
पंडित जी : "आप चिंता मत करो ...मैं बात करता हु उस से ...."
इतना कहकर वो ऊपर जाने लगे तो इरफ़ान भाई ने रोक दिया : "वो ऊपर नहीं है पंडित जी ..मुझे लडाई करके अभी बाहर निकली है ..मैं तो इसके ऐसे रव्वैय्ये से परेशान हो चूका हु ..वो बाहर जो बड़ा पार्क है वहीँ गयी होगी .."
इरफ़ान भाई बडबडाने लगे ..पंडित ने एक बार तो सोचा की वापिस अपने कमरे में चला जाए पर फिर ना जाने क्या सोचकर वो पार्क की तरफ चल दिए ..शायद वो नूरी को इस तरह परेशान नहीं देख सकते थे .
रात का अँधेरा हो चूका था ..ये पार्क उनके इलाके का सबसे बड़ा पार्क था, जहाँ आस पास के लोग सुबह और शाम को सैर करने आते थे ..
पंडित जी पार्क के अन्दर आ गए, वो काफी बड़ा था और वहां काफी लोग भी थे , कुछ लोग सैर कर रहे थे, कहीं पर बच्चे फूटबाल खेल रहे थे ..और कहीं दूर अँधेरे में पेड़ ने नीचे कुछ जवान जोड़े एक दुसरे की गोद में बैठे हुए , दुनिया से बेखबर प्यार की चोंच लड़ा रहे थे ..
पर अभी पंडित जी की नजरें नूरी को ढूंढ रही थी ..
तभी उन्हें पीछे से किसी ने पुकारा : "अरे पंडित जी ...आप और यहाँ .."
उन्होंने पीछे मूढ़ कर देखा तो वहां निर्मल भाभी खड़ी थी ..वो उनके मंदिर में सुबह शाम आया करती थी और उनकी एक कीर्तन मण्डली भी थी ..जो घर-२ जाकर कीर्तन करती थी, वैसे उनकी उम्र ज्यादा नहीं थी ...लगभग 40 के आस पास थी वो ..उनके पति अक्सर बाहर रहा करते थे ..इसलिए अपना ज्यादातर समय वो भगवान के भजन गाने में निकाल देती थी ..वो शायद पार्क में घूमने आई थी .
पंडित : "अरे निर्मल भाभी ..नमस्कार ..मैं तो बस आज ऐसे ही चला आया यहाँ ...आज काफी गर्मी थी ना ..सोचा थोड़ी देर पार्क में आकर ताजा और ठंडी हवा का आनद ले लू .."
निर्मल भाभी : "हा हा .ये तो आपने अच्छा सोचा ...वर्ना हम लोगों को तो आज तक यही लगता था की आप सिर्फ मंदिर के अन्दर ही रहा करते हैं ..बाहर जाने का आपका मन ही नहीं करता ..आ जाया कीजिये रोज शाम को पार्क में ..मैं भी आती हु .."
उसने जैसे पंडित जी को लालच दिया ..
पंडित बेचारा मुस्कुरा कर रह गया ..
पंडित की निगाहें अभी भी नूरी को ढूंढ रही थी ..वैसे निर्मल भाभी उनसे थोड़ी देर तक और बातें करना चाहती थी ..पर पंडित उन्हें अनदेखा सा करता हुआ आगे चल दिया ..
और आखिर में उन्हें एक बड़े से पेड़ के नीचे बैठी हुई नूरी दिखाई दे गयी .
पंडित उसकी तरफ चल दिया ..वो दूर खेलते हुए छोटे - २ बच्चों को देख रही थी ..पंडित जी उसके सामने आकर खड़े हो गए .
नूरी : "पंडित जी ...आप ...और यहाँ ..."
पंडित : "हाँ ..मैं ..दरअसल मैं तुम्हारे घर गया था ..और तुम्हारे अब्बा ने बताया की तुम यहाँ पार्क में आई हो ..और परेशान भी हो ..इसलिए मैंने सोचा की ... "
नूरी : "यानी ..आप मेरे लिए यहाँ आये हैं ...ओह्ह पंडित जी ...आपका बहुत -२ धन्यवाद ...वैसे मैं अक्सर शाम को यहाँ आती हु ..पर आज अब्बू के साथ कुछ कहा सुनी हो गयी तो मन खराब सा हो गया इसलिए यहाँ आ गयी ..."
पंडित : "मैं समझ सकता हु ..उन्होंने मुझे सब बता दिया है ..मेरे हिसाब से तो तुम्हे उनकी बात मान लेनी चाहिए .."
नूरी : "पर पंडित जी ..अभी तो ..मैं ..प्रेग्नेंट हुई भी नहीं हु ..और वैसे भी ...मेरा मन अभी नहीं भरा है आपसे ..."
उसने बेशर्मी से अपने दिल की बात उगल दी .
पंडित भी बेशर्मी से बोला : "तभी तो मैं आया था तुम्हारे घर ...अगर इस वक़्त तुम घर पर होती तो शायद मेरे लंड से चुद रही होती .."
पंडित ने अपनी धोती की तरफ इशारा करते हुए उससे कहा ..
नूरी की आँखों में जैसे आग उतर आई हो ..पंडित के लंड की तरफ उसने भूखी नजरों से देखा और अपने होंठों पर जीभ फेराई ..
नूरी : "तो देर किस बात की है पंडित जी ..शुरू हो जाओ ..मैंने कब मना किया है आपको .."
पंडित (हेरानी से ) : "यहाँ ...इस जगह ..."
नूरी : "हाँ ..और कहाँ ...डर गए क्या ..उन्हें देखो जरा .."
उसने दूसरी तरफ इशारा किया ..जहाँ एक जवान लड़का लड़की अँधेरे वाली जगह पर पेड़ के नीचे बैठे हुए एक दुसरे को स्मूच कर रहे थे ..लड़के के हाथ लड़की की टी शर्ट के अन्दर थे और वो उसके स्तनों को बुरी तरह से मसल रहा था ..
पंडित : "ये सब उनके लिए ठीक है ...मेरा एक ओहदा है ..समाज में पहचान है ..अगर किसी ने देख लिया, पहचान लिया तो .."
पंडित ने अपनी बेचारगी उसे सुनाई .
नूरी : "उसकी चिंता आप मत करो ..हम सब कुछ छुप कर ही करेंगे उनकी तरह खुले आम नहीं ..आप बस करने वाले बनो ..जब लड़की होते हुए मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है तो आप क्यों डर रहे हैं .."
नूरी ने जैसे उनकी मर्दानगी को ललकारा ..
अब तो पंडित के सामने अजीब दुविधा खड़ी हो गयी थी ..पर नूरी की बातें सुनते हुए और उसके तेवर देखते हुए उनका भी मन करने लगा था ..
पंडित को गहरी सोच में डूबा देखकर नूरी बोली : "क्या हुआ पंडित जी ...मूड नहीं बन रहा है क्या ..."
और इतना कहते हुए उसने अपनी टी शर्ट के गले को पकड़कर नीचे खींच दिया ..और तब तक खींचती रही जब तक उसके उभार पंडित की आँखों के सामने पूरी तरह से दिखाई नहीं दिए ..पंडित उसकी इस बेशरम हरकत को देखकर हैरान रह गया ..वो तब भी नहीं रुकी ..उसने एक दो बार इधर उधर देखा और जब लगा की कोई उसकी तरफ नहीं देख रहा है तो उसने अपनी टी शर्ट को ब्रा समेत और नीचे खिसका दिया और उसकी दांयी ब्रेस्ट का खड़ा हुआ निप्पल पंडित जी को सलाम ठोकने लगा .
पंडित जी की दोनों आँखों में उसके निप्पल की परछाई जैसे छप कर रह गयी ...उनकी धोती में से उनका लंड किसी क्रेन की तरह उठ खड़ा हुआ ....उन्होंने अपने हाथ से उसे मसल कर वापिस नीचे दबा दिया ..
नूरी की इस हरकत ने पंडित का रहा सहा मूड भी पूरी तरह से बना दिया था.
नूरी (अपना निचला होंठ दांतों में दबाते हुए ) : "क्यों उसका गला दबाकर उसकी क्रांति को ख़त्म कर रहे हैं पंडित जी ...आजाद कर दो इसे और कर लेने दो उसे अपनी मनमानी ..."
नूरी अब किसी धंधे वाली की तरह व्यवहार कर रही थी ..
पंडित ने पहले आस पास का जायजा लिया ..कोई उन्हें और नूरी को देख तो नहीं रहा है ना ...और फिर वो धीरे से नूरी से बोले : "अच्छा ठीक है ...लेकिन सिर्फ ऊपर -२ से ही हो पायेगा ...''
नूरी : "आप आओ तो सही ...''
उसे भी मालुम था की वहां ज्यादा कुछ संभव नहीं है ...इतने लोगों के बीच ज्यादा से ज्यादा चुसम चुसाई ही हो पाएगी ...और कुछ नहीं ..पर अभी उनके लिए वही बहुत था ...और ऐसा नहीं था की नूरी अपने घर जाकर पंडित जी से चुदाई नहीं करवा सकती थी ...पर ऐसे खुले में कुछ करने की चाहत उसके मन में कई सालों से थी ...और अक्सर उसने पार्क में दुसरे जोड़ों को जिस तरह से मस्ती करते हुए देखा था उसका भी मन करता था की वो भी ये सब कर पाती ...पर घर की बंदिशे और फिर कम उम्र में शादी होने की वजह से उसकी ऐसी ख्वाहिशें मन में ही रह गयी थी ...और आज वो पंडित के जरिये अपने मन की हर मुराद पूरी कर लेना चाह रही थी ..और दूसरी तरफ पंडित था जो अपनी मान मर्यादा को ताक पर रखकर उसके साथ खुलेआम मस्ती करने को तैयार हो गया था ...क्योंकि खड़े लंड वालों के पास दिमाग की कमी होती है ..एक बार जब लंड खड़ा हो जाए तो ऊपर वाला दिमाग काम करना बंद कर देता है और उसके बाद जो भी होता है वो नीचे वाले खड़े लंड की मर्जी से ही होता है .
पंडित जी उसकी बगल में जाकर बैठ गए ..
उन्होंने एक बार फिर से दूसरी तरफ बैठे हुए जोड़े को देखा ..इतनी दूर से और अँधेरे की वजह से उनके चेहरे तो दिखाई नहीं दे रहे थे पर उनकी हरकतें साफ दिख रही थी .
लड़के ने अपना चेहरा अब लड़की की टी शर्ट के अन्दर डाल दिया था ...और वो उसके रसीले आमों को जोर जोर से चूस रहा था ...और लड़की उसके सर को अपनी छाती पर दबाकर जोर से साँसे ले रही थी ..
पंडित ने भी हिम्मत करके नूरी की कमर में हाथ डालकर उसे अपनी तरफ खींच लिया ...
दोनों के जिस्म आग की तरह जल रहे थे ..
दोनों के लिए इस तरह खुले में प्यार की मस्ती करने का ये पहला मौका जो था ...
पंडित ने ऐसा कभी सोचा भी नहीं था की वो किसी युगल जोड़े की तरह इस तरह पार्क में बैठकर खुले आम रास लीला करेगा ..पर हालात ही ऐसे बन गए थे की वो चाह कर भी मना नहीं कर पा रहा था ..
पंडित ने एक बार फिर से दूर बैठे हुए जोड़े की तरफ गया ..लड़की ने अब अपना सर लड़के की गोद में रख दिया था और पैर सामने की तरफ फेला दिए थे ..लड़के ने अपना सर नीचे झुकाया और लड़की के चेहरे को स्पाईडर मेन वाले स्टाईल में उलटी किस्स करी ..और लड़के के दोनों हाथ आगे की तरफ जा कर उसके मुम्मों का बुरी तरह से मर्दन कर रहे थे ..और वो भी टी शर्ट के अन्दर से ..उनके जिस्मो में लगी हुई आग की तपिश पंडित और नूरी तक पहुँच कर उन्हें भी गरम कर रही थी .
पंडित ने आखिरकार पहल करी और इधर उधर देखने के बाद एकदम से नूरी के होंठों पर एक पप्पी दे डाली ..और फिर अपनी नजरें इधर उधर करके वो देखने लगा की किसी ने देखा तो नहीं ..
नूरी उनकी इस हरकत को देखकर हंसने लगी ..और बोली : "पंडित जी ..आप भी कमाल के हैं ..इतना एक्सपेरिएंस होने के बावजूद ऐसे डर रहे हैं जैसे पहली बार कर रहे हो ...रुको मैं दिखाती हु किस तरह की किस्स पसंद है मुझे ...''
और इतना कहकर उसने पंडित की गर्दन के ऊपर हाथ रखा और उसे अपनी तरफ खींच लिया ..और खुद पीछे होती हुई घांस पर लेट गयी ..और पंडित को अपने बांये मुम्मे के ऊपर लिटा सा लिया ..और अगले ही पल उनके होंठों को अपने मुंह में दबोच कर उन्हें अपने होंठों की चाशनी से भिगोने लगी ..
'उम्म्म्म्म्म ......पंडित जी ....'
नूरी की मदहोश होती हुई नजरों ने पंडित के दिमाग पर भी पर्दा डाल दिया ..वो भूल गया की वो कौन है और कहाँ पर बैठकर ऐसे कर्म कर रहा है ..पर अब कुछ नहीं हो सकता था ..उसने अपने बांये हाथ को उसके दांये मुम्मे पर रखा और गाडी के भोंपू की तरह उसे बजाने लगा ..और नूरी के मुंह से संगीत निकलने लगा ..
अब पंडित भी जोश में आ चुका था ..उसने भी नूरी के जिस्म पर लेते हुए उसके गुलाबी होंठों को चूस चूसकर उन्हें लाल सुर्ख कर दिया .
पंडित की धोती के अस्तबल में बंधा हुआ उनका लंड रूपी घोड़ा ऐसी अवस्था में आकर बुरी तरह से हिनहिना रहा था ..
नूरी की टी शर्ट के गले को नीचे खिसका कर पंडित ने उसकी एक ब्रेस्ट को नंगा कर दिया और उसपर लगी हुई चेरी को चूसकर उसका मीठापन पीने लगा ..नूरी ने भी कोई विरोध नहीं किया ..पंडित की हरकतों को महसूस करते हुए उसकी दक्षिण दिशा में स्थित फेक्ट्री में से गर्म पानी निकल कर पार्क की घांस में सिंचाई कर रहा था ..
पंडित ने उसके दुसरे मुम्मे को भी घोंसले से बाहर निकाला और दोनों गुब्बारों के ऊपर अपने चेहरे को रगड़ कर उनकी नरमी को महसूस करने लगा… उसने नूरी के मुम्मों को अपने दोनों हाथों में दबोचा तो उसके दोनों निप्पल किसी भाले की तरह से बाहर निकल आये और फिर उन ताने हुए निप्पलों को अपने होंठों , गालों , नाक और आँखों में चुभा - २ कर उनका आनंद लेने लगा ...
पंडित की ऐसी हरकत करता देखकर वो बेचारी जमीन पर किसी मछली की तरह से तड़प रही थी ..उसकी आँखे जब खुलती तो सिंदूरी आसमान पर नींद से जाग रहे सितारों की टिमटिमाहट ही दिखाई देती ...पर पंडित जी के होंठों की पकड़ अपने स्तनों पर पाकर वो आँखे फिर से बंद हो जाती .
उसने मचलते हुए अपने हाथ से टटोल कर पंडित की धोती में प्रवेश किया ..और अपनी पतली - २ उँगलियों से उनके मोटे रेसलर को पकड़ लिया ..पंडित के दांतों ने एक जोरदार कट मार उसके बांये स्तन पर ..और वो सिहर कर धीरे से चिल्ला पड़ी ..
''अयीईई ....उफ्फ्फ पंडित जी ....काटो मत ...दर्द होता है ..प्यार से चुसो इन्हें ..सिर्फ ..चुसो ..''
पंडित ने उसकी बात मान ली और अपने होंठ और जीभ से ही उसकी ब्रेस्ट की मसाज करने लगा ..
इसी बीच नूरी की जादुई उँगलियों ने पंडित के कच्छे का नाड़ा खोल दिया और अन्दर जाकर उसपर अपनी उँगलियों की पकड़ बना दी .
आज पंडित कुछ ज्यादा ही उत्तेजित था ..उसके लंड की मोटी -२ नसें नूरी को अपने हाथ पर साफ़ महसुस हो रही थी ..वो उन नसों की थरथराहट अपने होंठों पर महसुसू करना चाहती थी ..वो उठी और पंडित के होंठों के चुंगल से अपने नन्हे निप्पलों को छुड़ाया और पंडित जी को पेड़ का सहारा लेकर बिठा दिया ...और खुद उनकी गोद में सर रखकर धीरे -२ उनकी धोती की परतों को हटाने लगी ...और फिर उनके नीचे खिसक रहे कच्छे को भी नीचे करके उनके उफान खा रहे लंड को अपनी आँखों के सामने ले आई ..
और फिर एक लम्बी सांस लेकर उनके लहराते हुए लंड को अपने होंठों की सरहद के पार ले गयी .
''उम्म्म्म्म .....पुच्च्छ्ह ...... ...अह्ह्ह्ह्ह ....... उम्म्म्म्म ......''
उसने एक मिनट के अन्दर ही उसे अपनी लार से नेहला डाला ...इतना प्यार आ रहा था उसे इस वक़्त पंडित जी के लंड पर की उसे कच्चा खा जाने का मन कर रहा था उसका ..
|
|
01-07-2018, 02:04 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Porn Kahani भोली-भाली शीला
पंडित & शीला पार्ट--25
***********
गतांक से आगे ......................
***********
जहाँ पंडित लेटा था उसे शीला के संगमरमर जैसे बदन का हर कटाव दिखाई दे रहा था ..उसकी मोटी जांघे ..उनके बीच उसकी सफाचट चूत से निकलता गाड़े शहद का झरना ...और उसके ऊपर उसकी पतली कमर और सबसे ऊपर दो विशाल पर्वत ...इतना उत्तेजना से भरपूर दृश्य देखकर पंडित से रहा नहीं गया ...उसने अपने कुर्ते को लेटे हुए ही उतार दिया ..और नीचे से अपनी धोती और कच्छे को भी निकाल फेंका ..वो भी अब नंगा हो चुका था ...
उसने ऊपर हाथ शीला की जांघे पकड़ ली और उसे नीचे खींचा ..वो नीचे आई और झुक कर अपने मोटे मुम्मे पंडित जी के मुंह के आगे अंगूरों की तरह लहरा दिए ..पंडित उसके खरबूजों के ऊपर लगे अंगूरों को अपने दांतों से पकड़ने की कोशिश करने लगा ..
इसी बीच शीला ने अपनी गांड की लेंडिंग पंडित जी के एयरपोर्ट पर करनी शुरू कर दी ...और जैसे जी उनके खड़े हुए राडार ने उसकी उड़नतश्तरी को छुआ वो बिदक सी गयी ...और एकदम घूम कर पंडित जी के पैरों की तरफ हो गयी ..और सीधा उनके लंड को पकड़ कर अपनी गांड के छेद पर लगा दिया ..और बैठ गयी .
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ...''
पंडित और शीला के मुंह से एक साथ सिस्कारियां फुट पड़ी ..
शीला शायद सोच कर आई थी की आज वो अपनी चूत और गांड दोनों मरवाकर रहेगी ...ऐसे ही तो उसके अन्दर की आग भड़क नहीं रही थी ..
पंडित ने उसकी लहराती हुई कमर को पकड़ा और उसे ऊपर नीचे करके उसकी गांड के पेंच ढीले करने लगे अपने स्क्रू ड्राईवर से ..
''अह्ह्ह ओफ़्फ़्फ़्फ़ अह्ह्ह शीला ...अह्ह्ह्ह म्मम्मम ....क्या ....टाईट छेद ....है तेरा ..अह्ह्ह्ह ... उफ्फ्फ्फ़ उम्म्म्म्म ....हा न…. .....अह्ह्ह ..जोर से ...कूद ...और जोर से ..''
और पंडित का कहना मानकर वो जोरों से कूदने लगी उनके लंड पर ...और जल्दी ही दोनों तरफ से झड़ने की ख़बरें आने लगी ..
'अह्ह्ह पंडित जी ....अह्ह्ह ...मैं तो गयी ....अह्ह्ह्ह ....'
'ओह्ह्ह शीला ....अह्ह्ह्ह .....मैं भी आया ...अह्ह्ह्ह्ह ...ले ...अह्ह्ह ..'
और दोनों एक दुसरे के ऊपर गिरकर हांफने लगे ..
और जब साफ़ सफाई करके शीला पंडित जी की बाहों में आकर लेटी तो उसने धीरे से उनके कान में कहा : "आज की पूरी रात मैं आपके पास रहूंगी ..मम्मी पापा गाँव गए हैं शादी में ...कल दोपहर तक ही आयेंगे ..''
उसकी बात सुनकर पंडित के पुरे शरीर में एक लहर सी दौड़ गयी ..
और उसके मुम्मों को अपने हाथों में दबाता हुआ वो सो गया ..
रात के नौ बजने वाले थे ..पंडित जी की नींद खुली ..उन्हें भूख भी लगी थी ..पर खाना बनाने का समय नहीं था उनके पास ..शीला अभी तक गहरी नींद में सो रही थी .
वो सोच ही रहे थे की क्या करे, तभी पिछले दरवाजे पर किसी की आहट हुई ..उन्होंने धीरे से पुछा : ''कौन है ..''
''मैं हु पंडित जी ..माधवी ..''
'इसको भी चुदवाने का शौंक चढ़ गया है लगता है' ..पंडित ने मन ही मन सोचा और दरवाजा खोल दिया ..
सामने माधवी खड़ी थी ..हाथ में एक बड़ा सा बर्तन लिए हुए ...
वो सीधा अन्दर आ गयी ..और बोली : "वो ..आज मैंने कुछ ख़ास बनाया था, सोचा आपके लिए ले आऊं ..''
इतना कहकर उसने वो बर्तन टेबल पर रख दिया ..
आज तो पंडित जी कुछ और भी मांगते तो वो इच्छा भी पूरी हो जाती इतनी भूख लगी थी उन्हें की मना करने की कोशिश भी नहीं की उन्होंने और बर्तन का ढक्कन खोल दिया ..
उसमे चावल और राजमा थे ..और साथ में हरी मिर्च और सलाद ..पूरी तरह से तैयार करके लायी थी वो पंडित जी का खाना ..
उन्होंने जल्दी से एक बड़ी सी प्लेट निकाली और नीचे चटाई पर बैठकर राजमा चावल डाल कर घपा घप खाने लगे ..
और माधवी वहीँ नीचे बैठकर उन्हें बड़े प्यार से खाता हुआ देखने लगी . जैसे वो उसका खुद का पति हो ..
पेट भर कर खाना खाने के बाद वो हाथ धोने के लिए बाथरूम में गए .
तभी बाहर से माधवी की हलकी सी चीख सुनाई दी ..
''पंडित जी .....ये… ...ये ...कौन है ..''
पंडित भागकर बाहर निकला ..माधवी आँखे फाड़े बेड पर नंगी पड़ी हुई शीला को देखे जा रही थी ..
उसपर माधवी का ध्यान अभी -२ गया था ..वो गहरी नींद में सो रही थी ..अपने पेट के बल ..इसलिए उसकी नंगी पीठ थी सिर्फ बाहर ..और चेहरा नहीं दिख रहा था ..और नीचे का हिस्सा चादर से ढका हुआ था .
पंडित जी ने धीरे से कहा : "ओह ..ये . ..ये तो शीला है ..तुम मिली थी न इनसे ..''
वो हेरानी से कभी पंडित को और कभी बेड पर लेटी हुई नंगी शीला को देख रही थी ..जैसे उसे विशवास ही नहीं हो रहा हो की पंडित जी का शीला के साथ भी सम्बन्ध हो सकता है ..पर पंडित जी ऐसे बीहेव कर रहे थे जैसे उनपर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है ..
पर पंडित जी की आँखे माधवी के बदन को चोदने में लगी हुई थी ..उसने सलवार सूट पहना हुआ था ..और हेरत की वजह से और शायद जलन के मारे उसका सीना ऊपर नीचे हो रहा था ..
पंडित जी उसके पीछे गए और उसके गले में बाहें डालकर उसे अपने बदन से लगा लिया ..
पंडित : ''खाना तो तुमने खिला दिया अब कुछ मीठा हो जाए ...''
''छोड़िये मुझे पंडित जी ...आपके पास ये मिठाई है ना ..इसे ही खाइए ..'' माधवी ने अपनी बातों से विरोध जताया पर पंडित जी की बाजुओं से छूटने की कोई कोशिश नहीं की .
पंडित : "ओहो ...तो तुम इसे यहाँ पर देखकर नाराज हो रही हो ..देखो ...समझने की कोशिश करो ..जैसे तुम्हे मजा आता है मेरे साथ, इसे भी आता है ..और देखा जाए तो तुम्हारे पास तो गिरधर है जो तुम्हे चोदकर तुम्हे मजे दे देता है, पर इस विधवा के पास कोई नहीं है ..इसलिए इसको शारीरिक सुख देकर मैं बस समाज सेवा ही कर रहा हु ..और मेरी इसी समाज सेवा के बदले ही ये रितु को फ्री में टयूशन पढ़ाती है ...तुम्हे तो इसका एहसानमंद होना चाहिए ...''
पंडित ने अपनी चाशनी जैसी जबान से उसे कान में धीरे -२ समझाया ..
और वो समझ भी गयी, उसने सोचा, पंडित जी ठीक ही तो कह रहे हैं ..और वैसे भी, वो जो कुछ भी करे, जिसके साथ मर्जी सम्बन्ध रखे, उसे क्या ..जब तक उनका लम्बा लंड उसे मजा दे रहा है, उसे इन बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए ..
ये सोचते हुए उसने अपनी मोटी गांड को पीछे की तरफ दबा कर पंडित जी की धोती में छुपे हुए सांप को जगाने की कोशिश की, पर वो तो पहले से ही जाग रहा था ..और माधवी की गोल मटोल गांड का दबाव अपने ऊपर पाकर वो और जोर से फुफकारने लगा ..पंडित जी के दोनों हाथ माधवी के स्तनों पर आ गए और वो उन्हें गुब्बारों की तरह दबाने लगे ..
माधवी के मुंह से हलकी - २ सिस्कारियां निकलने लगी ..
''अह्ह्ह्ह्ह ....उम्म्म्म ....पंडित जी .....आप जो चाहे करो ...जिसे चाहे चोदो ...मुझे क्या ...बस मेरी चूत का ध्यान रखा करो ...रोज ....अह्ह्ह्ह्ह ...''
उसने पंडित का एक हाथ पकड़ कर अपनी चूत वाले हिस्से पर रख दिया ..पंडित ने उसकी पूरी चूत और आस पास के हिस्से का मांस अपनी हथेली में भर कर जोर से दबा दिया ..वो जोर से सिसकारी मारकर उचक गयी और अपनी गांड के बीच में पंडित जी के लंड को पकड़कर जोर से दबा दिया ..
पंडित जी के मुंह से भी हलकी सी चीख निकल गयी ..
पंडित जी ने उसके सूट को नीचे से पकड़कर ऊपर उठा दिया ..और गले से निकाल कर नीचे फेंक दिया ..माधवी ने क्रीम कलर की ब्रा पहनी हुई थी ..
पंडित जी ने अपना चेहरा नीचे किया और अपने गीले होंठ उसके कंधे पर चिपका दिए ..और जोर - २ से सक करते हुए उसके बदन का नमक पीने लगे ..
''उम्म्म ...पंडित जी ....अह्ह्ह ......'' उसने अपना एक हाथ ऊपर किया और पंडित जी के सर को पकड़ कर अपने कंधे पर और जोर से दबा दिया ...
पंडित जी ने जब अपने होंठ वहां से हटाये तो देखा की उसके कंधे पर एक गहरा लाल निशान बन चुका है ..वो अपने होंठों को उसके बदन से चिपकाए हुए ही उसकी पीठ पर आये और अपनी जीभ से वहां का पसीना साफ़ करते हुए उसकी ब्रा के हुक तक पहुँच गए ..और अपनी मुंह में फंसाकर उन्होंने उसकी ब्रा को खोल दिया ..
माधवी को ऐसा लग रहा था की उसकी पीठ पर कोई गरम और गीली चीज घूम रही है ..जिसकी तपिश से वो जल कर भस्म हो जायेगी ..
ब्रा के खुलते ही उसके मोटे मुम्मे छिटक कर बाहर निकल आये ..और पंडित ने एक ही झटके में उसे अपनी तरफ घुमा कर अपने होंठों में उसका दांया निप्पल दबोच लिया और उसका दूध पीने लगे ..
माधवी के होंठ कांपने लगे ..उसके बदन पर चीटियाँ सी रेंगने लगी ..आज पंडित जी कुछ ख़ास ही मूड में थे ..
पंडित जी ने कुछ देर तक उसका दांया स्तन चूसा जिसकी वजह से माधवी का निप्पल पूरी तरह से खडा होकर चमकने लगा फिर बांये की बारी आई और उसे चूसने लगे ..और फिर उसे भी खड़ा छोड़कर वो नीचे की तरफ खिसक गए ...माधवी ने भी अपने हाथों का जोर लगाकर उन्हें नीचे जाने में मदद की ..
पंडित जी का मुंह सीधा जाकर उसकी रसीली, नशीली, गीली सी चूत पर गया और उन्होंने कपडे समेत उसे मुंह में भर कर जोर से चूस लिया ...
उसने नीचे पेंटी नहीं पहनी हुई थी ..शायद चुदने के लिए पूरी तरह से तैयार होकर आई थी वो भी ..
सिर्फ हल्का सा कॉटन का कपडा बीच में होने की वजह से माधवी की चूत का सारा रस उनके मुंह में चला गया ...उन्होंने सलवार का महीन कपड़ा चूस चूसकर वहां पर अटका हुआ सार रस पी लिया ...
फिर उन्होंने अपने दांतों का प्रयोग करते हुए उसकी सलवार का नाड़ा भी खोल दिया ..इतना हुनर पता नहीं पंडित जी ने कहाँ से सीखा था ..
नाड़ा खुलते ही उसकी सलवार सीधा नीचे गिर गयी ..और पंडित जी की आँखों के सामने अब उसका ताजमहल पूरा नंगा खडा था ..भीगा हुआ सा ..अपने ही रस में नहाया हुआ ..
पंडित ने अपने हाथ की बीच वाली ऊँगली उसकी चूत की दरार में फंसाई और एकदम से एक नयी धार निकल कर बाहर आ गयी और पंडित जी की हथेली पर आकर ठहर गयी ..पंडित जी ने वो रस अपने मुंह से लगा कर चाट लिया ..उसे चाटते ही उनके अन्दर का शैतान जैसे जाग गया ..उन्होंने उसे धक्का देकर अपने बेड पर लिटाया और उसकी दोनों टाँगे ऊपर हवा में उठाकर उसकी चूत से खीर निकाल निकाल कर खाने लगे ..
माधवी का सर सीधा शीला की कमर के ऊपर जा लगा जैसे कोई तकिया हो ..पर गहरी नींद में होने की वजह से शीला को इस बात का कोई एहसास नहीं हुआ ..
''अयीईईइ .....अह्ह्ह्ह्ह ....पंडित जी ......उम्म्म्म्म .......चूसिये ना ....और जोर से ...अह्ह्ह ....यही है ...मीठा मेरे पास ...खा लो ...सारी मिठाई आपकी है ....उम्म्म्म ...''
पंडित ने अगले दो मिनट के अन्दर ही उसका असली दूध निकल कर बाहर आने लगा जिसे पंडित ने चपर -२ करके पूरा पी लिया ..
ओर्गास्म के वक़्त माधवी के हाथ ऊपर चले गए ..और एक हाथ से शीला के बाल और दुसरे से उसकी गांड के मांस को दबाते हुए जोर से चिल्लाती रही ...और अंत में नीचे आकर वो बेहाल सी होकर गहरी साँसे लेने लगी .
शीला के बदन की चादर उतर चुकी थी ..और उसकी नंगी गांड उभर कर चाँद की तरह चमकने लगी .
उसकी ठंडी -२ गांड को मसलने में माधवी को बड़ा मजा आ रहा था ..उसकी गांड के छेद से निकल कर पंडित का रस अभी भी बह रहा था, जिसपर ऊँगली लगते ही माधवी को भी पता चल गया की वो क्या है ..उसने अपनी ऊँगली को अपने मुंह में डालकर चूसा और वो रस चाट गयी ..उसे मजा आया ..वो उठी और दूसरी तरफ जाकर उसने शीला की टांगों को फेला दिया ..और अपना मुंह नीचे करके उसकी गांड के छेद पर लगा दिया ..और वहां से डायरेक्ट पंडित जी का जूस पीने लगी ..गहरी नींद में होने के बावजूद शीला के शरीर से हलकी हलकी तरंगे उठने लगी ..
इसी बीच पंडित जी पुरे नंगे हो गए ..और माधवी के पीछे आकर उसके दिल की आकृति वाली मोटी गांड को अपने कब्जे में ले लिया ..पीछे खड़े होने की वजह से उसकी गांड और चूत दोनों के छेद उन्हें साफ़ नजर आ रहे थे
उन्होंने अपना लंड उसकी चूत में लगाकर होले से धक्का मारा ..उसकी चूत से निकल रहा ताजा और मीठा गन्ने का रस इतनी चिकनाई वाला था की एक ही झटके में उनका पहलवान माधवी के अखाड़े में पूरा पहुँच गया ..और कुश्ती करने लगा उसकी क्लिट के साथ ..कभी उसके मुंह पर घूँसा मारता और कभी उसकी कमर पर ...
इसी दौरान शीला जो अभी तक शायद सपने में थी और उसे लग रहा था की पंडित जी उसकी गांड चूस रहे हैं ..उसे माधवी के दांत जोर से अपनी गांड के छेद पर चुभ से गए ..और उसकी नींद एक ही झटके में टूट गयी ..
और जैसे ही उसने पलट कर पीछे देखा वहां का नजारा देखकर वो दंग रह गयी ..उसे सारा माजरा समझते हुए देर नहीं लगी ..
पंडित जी जमीन पर खड़े हुए माधवी को घोड़ी बनाकर उसकी चूत मार रहे थे ..और माधवी उसकी गांड के छेद से रस निकाल कर पी रही थी ..वो दृश्य इतना उत्तेजक था की उसने भी इसका विरोध नहीं किया और उनके साथ ही उनके खेल में कूद पड़ी ..
अब उसने अपना पासा पलट लिया था और वो पीठ के बल लेट गयी ...इस तरह से उसकी चूत अब माधवी के चेहरे के बिलकुल ऊपर थी ..माधवी ने अपना मुंह अब उसके आगे वाले छेद पर लगा दिया ..और वहां से निकल रहे झरने से अपनी प्यास बुझाने लगी ..
शीला की चूत के अन्दर कैद उसकी क्लिट काफी बड़ी थी ..जिसे मसलकर पंडित ने कई बार मजे लिए थे ..माधवी ने उसकी क्लिट को अपने हाथों से पकड़ कर बाहर निकाल और उसे छोटे लंड की तरह चूसने लगी ..
शीला से रहा नहीं गया और उसने माधवी को अपने ऊपर खींच लिया ..और उसके होंठों को अपने मुंह में लेकर किसी जोंक की तरह उसका मुंह चूसने लगी ..
माधवी के आगे खिसक कर शीला के ऊपर लेटने की वजह से पंडित का लंड उसकी चूत से बाहर निकल आया था ..
माधवी की चूत अब सीधा शीला की चूत के ऊपर विराजमान थी ..दोनों एक दुसरे की चूत को रगड़ कर मजे ले रही थी ..
पंडित की आँखों के सामने वो नजारा था ..उन्होंने अपना लंड अपने हाथ में पकड़ा और दोनों के बीच में धकेल दिया ..अब दोनों की चूतों के बीच में उनका लम्बा लंड था ..जिसके एक तरफ शीला की चूत थी और दूसरी तरफ माधवी की ..दोनों चूतें अपनी रगड़ देकर पंडित जी के लंड की मसाज कर रही थी .. पंडित ने थोड़ा एंगल बदला और झुक कर अपना लंड नीचे लेती हुई शीला की चूत में डाल दिया ..दूर जोरों से धक्के मारने लगे ..
शीला ने माधवी के मुम्मे पकडे और उन्हें अपने नुकीले नाखूनों से दबाते हुए जोरों से दबाने लगी ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह ....पंडित जी .....क्या मजा आ रहा है आज ...आपकी कृपा ऐसी ही बरसती रही ....अह्ह्ह ..तो मुझे परम आनद की प्राप्ति जल्दी ही मिल जायेगी ...अह्ह्ह्ह ...और तेज चोदो मुझे ...अह्ह्ह्ह ...पंडित जी ...उम्म्म्म्म ..अह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ ओ उम्म्म्म ....अह्ह्ह ..''
पर वो झड पाती इससे पहले ही पंडित जी ने अपना लंड बाहर खींच लिया और वापिस माधवी की चूत में डाल दिया और धक्के मारने लगे ...
अब चिल्लाने की बारी माधवी की थी ...
''अयीईइ ....उम्म्म्म्म ...पंडित जी ......अह्ह्ह्ह्ह ...पेलो मेरे अन्दर ....अह्ह्ह्ह्ह ....और अन्दर ....अपना मुसल ...जैसा लंड ....अह्ह्ह्ह्ह ...''
और अगले बीस मिनट तक पंडित का यही खेल चलता रहा ..कभी वो शीला की मारते और कभी माधवी कि. ..
वो दोनों तो काफी देर पहले ही झड चुकीं थी ..
और अंत में थक हारकर उनके लंड ने जवाब दे दिया ...और दोनों को अपने सामने लिटा कर उन्होंने उनके ऊपर रसीले जूस की बारिश कर दी ..
जिसमे नहाकर और एक दुसरे के जिस्मों से चाटकर दोनों ने सच में परम आनंद की प्राप्ति कर ली .
पर वो तीनों ये नहीं जानते थे की दरवाजे के बाहर एक और इंसान उन्हें छेद से देख रहा है और उनकी चुदाई देखकर और चीखे सुनकर उत्तेजित हो रहा है ..
वो था गिरधर ..
माधवी का पति .
गिरधर ने थोडा वेट करने के बाद पंडित जी कर दरवाजा खडकाया .. वो समझ गए की ये गिरधर ही है ..उसी के आने का टाईम था ये तो ..
उन्होंने दरवाजा खोल दिया ..बाहर गिरधर खड़ा था ..
उसने पंडित जी के सामने हाथ जोड़े ..और बिलकुल धीमी आवाज में कहा : ''पंडित जी ..प्लीस मेरा साथ देना ...एक बहुत अच्छा आईडिया आया है अभी ..''
पंडित जी की समझ में कुछ ना आया, पर उन्होंने सर हिला कर अपनी हामी भरी ..और इसके साथ ही गिरधर अन्दर आ गया ..
माधवी और शीला अपनी चुदाई के बाद मुर्छित सी होकर गहरी साँसे ले रही थी ...उन्हें तो दरवाजे की आहट भी नहीं सुनाई दी थी ..
गिरधर ने अन्दर आते ही चिल्ला कर माधवी से कहा : ''माधवी ....बेहया .....कमीनी ....हरामखोर ..ये क्या गुल खिल रही है तू ...''
माधवी एक दम से सकपका कर उठ बैठी ..वो अपने सामने गिरधर को देख कर एकदम से घबरा गयी ....उसने तो सोचा था की गिरधर को उसके और पंडित जी के संबंधो से कोई परेशानी नहीं है ...और खुद गिरधर ने ही उसे कुछ भी करने की छूट दे दी थी ...पर आज ये ऐसा व्यवहार क्यों कर रहा है ..जैसे उसे पंडित के साथ ये सब करना अच्छा नहीं लगा ..
उसने हकलाते हुए जवाब दिया ...: "जी ...जी ...आ. ..आप ...पर ...पर ...आपने ही ...तो ...कहा था मुझे की ...''
गिरधर ने आगे बढकर एक झन्नाटेदार थप्पड़ मार दिया माधवी के चेहरे पर : "साली कुतिया ...मैंने मजाक में कहा था वो सब ...और तूने सच मान लिया ...मुझे शक तो पहले से था तुझपर ...पर आज यकीन हो गया है ...की तू धंधे वाली है ..रंडी है तू साली ...और तेरे साथ मैं अब एक दिन भी नहीं रह सकता ...मेरे घर में रहने की कोई जरुरत नहीं है तुझे आज के बाद ..''
इतना कहकर गिरधर पैर पटकते हुए बाहर जाने लगा ..
माधवी के पैरों की तो जमीन ही निकल गयी ..उसने तो सोचा था की गिरधर भी शायद यही चाहता है ..इसलिए वो पंडित के साथ चल रहे संबंधो को इतनी लापरवाही से निभा रही थी की अगर किसी को पता चल भी जाए तो कोई बात नहीं, उसके पति की रजामंदी तो है न उसके साथ ..पर आज गिरधर का ये रूप देखकर उसे अपने आप पर शर्म आ रही थी ..कल तक जिस पति को वो गालियाँ दे रही थी की उसकी नजर अपनी खुद की बेटी पर है, आज उसी ने रंगे हाथों पकड़ लिया था उसे और पंडित को ..नंगी अवस्था में ..उसका तो अपने पति के अलावा कोई भी नहीं है ..वो कहाँ जायेगी ..क्या करेगी ...ये सोचते हुए उसकी आँखों से आंसुओं की धारा निकल पड़ी ...
उसने रोते हुए अपने पति के पैर पकड़ लिए : "सुनिए ...मुझे माफ़ कर दीजिये ...मुझे बहुत बड़ी गलती हो गयी ...मुझे माफ़ कर दो ...आज के बाद ऐसा नहीं होगा ...सुनिए ...सुनिए तो ..''
पर गिरधर अपनी हंसी पर बड़ी मुश्किल से कंट्रोल करता हुआ बाहर निकला जा रहा था .
और दूसरी तरफ पंडित और नंगी शीला आराम से उन दोनों का ये तमाशा देख रहे थे ..
पंडित तो समझ गया था की गिरधर आखिर ये किसलिए कर रहा है ..पर शीला अनजान थी इन सबसे ..पर फिर भी वो तमाशा देखने में उसे मजा आ रहा था ..
माधवी बदहवास सी होकर नग्न अवस्था में अपने पति की टांगो से लिपटी हुई थी ..
गिरधर ने गुस्से से उसकी तरफ देखा और उसके बाल पकड़ बड़ी बेदर्दी से उसे ऊपर खींचा , वो चिल्ला पड़ी ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह .......उफ्फ्फ्फ़ दर्द होता है ....छोड़ो मेरे बाल .....''
पर गिरधर के चेहरे पर शिकन का कोई भाव नहीं था ..उसने उसके बालों को पीछे खींचा और उसके स्तनों को बुरी तरह से दबा दिया ..
''आय्य्यीईईइ .......यॆऎए .........क्या ....अह्ह्ह्ह्ह .....दर्द होता है ....''
गिरधर : "भेन की लोड़ी .....साली रांड ....चुदाई करवाते हुए दर्द नहीं होता ....बोल साली ...लंड घुसवाती है जब अपनी चूत में पंडित जी का ...यहाँ ....तब दर्द नहीं होता ...''
उसने माधवी की चूत अपने हाथ की तीन उंगलियाँ डालकर उसे ऊपर उठा दिया ...दर्द के मारे बेचारी की हवा निकल गयी ...उसने अपने आपको अपने पंजो के बल पर उठा लिया ...और अपने हाथ से गिरधर के हाथों को पकड़ लिया और बड़ी मुश्किल से उसके हाथ को खींचकर बाहर निकाला ...
उसकी आँखे लाल हो चुकी थी ..उसने सोचा भी नहीं था की उसका पति इतना हिंसक भी हो सकता है ..पर गलती उसी की थी ..इसलिए शायद वो उसकी सजा दे रहा है उसे ..
माधवी की चूत से हाथ निकालने के बाद गिरधर ने देखा की उसपर पंडित जी का वीर्य लगा हुआ है ..जिसे माधवी ने अभी -२ अपनी चूत के अन्दर लिया था ..
ये देखकर गिरधर और भड़क गया ..
''साली ....बेशरम ....पंडित जी का माल अपनी चूत में डाल रखा है ...इनका बच्चा पैदा करना है क्या तुझे ...बोल हरामजादी ...''
इतना कहकर उसने वो सार वीर्य उसके मुंह में दाल कर अपनी उँगलियाँ साफ़ कर ली ...और उस बेचारी ने उसे मुंह में ही रख लिया ..कुछ न बोली वो ..
वो आगे बोला : ''मुझे तो लगता है की तेरी ये आदत शादी से पहले की है ..ना जाने कितनी बार चुदवा चुकी होगी तू ..मुझे तो लगता है की रितु भी मेरी बेटी नहीं है ...वो तेरे किसी यार की अय्याशी का नतीजा है ...है ना ...बोल कुतिया ...बोल ''
|
|
01-07-2018, 02:06 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Porn Kahani भोली-भाली शीला
पंडित & शीला पार्ट--26
***********
गतांक से आगे ......................
***********
माधवी गिडगिडा उठी : "नहीं जी ....ऐसा मत कहिये ...वो आप ही का खून है ..आपकी ही बेटी है ...मेरा कोई सम्बन्ध नहीं था किसी के साथ ...''
गिरधर : "अच्छा तो ये क्या है ...मैं अगर अभी ना आता तो मुझे कभी पता ही नहीं चलता की तू ये गुल भी खिला रही है ...भेन चोद ...मुझे रितु को हाथ लगाने भर से रोक रही थी ..और पुरे दो महीने तक हाथ नहीं लगाने दिया मुझे खुद को भी ...और खुद यहाँ रंगरेलिया मना रही है ...चूत के अन्दर पंडित जी का प्रसाद ले रही है ..रांड कहीं की ...चुद्दकड़ ...अब तू मेरे घर नहीं रहेगी ..और अब रितु पर भी तेरा कोई अधिकार नहीं है ..वो मेरे घर रहेगी ...पर मेरी बेटी बनकर नहीं ..''
उसकी बात का मतलब समझकर माधवी की आँखे फेल सी गयी ..उसके दिमाग ने जैसे काम करना बंद कर दिया ..अगर वो अपनी बेटी के साथ नहीं रहेगी तो गिरधर पता नहीं उसकी फूल सी बेटी के साथ क्या सलूक करेगा ..हे भगवान् ...ये क्या कर दिया मैंने ...''
माधवी : "नहीं ...आप ऐसा मत कहिये ...मुझे घर से मत निकालिए ..मुझे जो सजा देनी है…वो दीजिये ...आप जो कहेंगे मैं करने के लिए तैयार हु ..पर मुझे घर से मत निकालिए ..''
और इतना कहकर वो फफक-फफक कर रोने लगी ..
गिरधर भी शायद यही सुनना चाहता था ...उसके चेहरे पर एक कुटिल सी विजयी मुस्कान आ गयी ..
उसने उसके दोनों मुम्मों के निप्पल अपने हाथो में पकडे और उसे ऊपर की तरफ खींचने लगा और बोला : "ठीक है ...पर तुझे वही करना होगा जो मैं कहूँगा ..जो मैं चाहूँगा ...समझी कुतिया ...''
उसने दर्द को बर्दाश करते हुए हाँ में सर हिलाया ..
गिरधर पंडित जी के बेड पर आकर बैठ गया जहाँ शीला नंगी लेटी हुई थी ..और उसने अपने सारे कपडे उतार दिए ..और माधवी से कहा ...: ''चल यहाँ आ ..और अपने हाथों का उपयोग किये बिना मेरे पैरों को चाटती हुई मेरे लंड तक आ और उसे चूस ...''
उसने हेरानी से अपने पति की तरफ देखा, जैसे उसे विशवास ही नहीं हुआ हो अपने कानो पर ..इतनी गालियाँ और बेइज्जती करने के बाद गिरधर उसे पंडित जी और शीला के सामने और जलील करना चाहता है ..पर उसके सामने कोई और चारा नहीं था ..उसने रोते -२ अपने हाथ पीछे किये और उन्हें एक दुसरे से बाँध लिया ...और अपनी जीभ निकाल कर उसके पैरों पर रख दी और चाटने लगी ..
इस समय उसे अपनी हालत सच में एक कुतिया की तरह लग रही थी ..
वो चाटती हुई ऊपर तक आई ..उसकी जांघे चाटती हुई और ऊपर आई ..गिरधर के पुरे शरीर में झुरझुरी सी दौड़ रही थी ..उसने बड़ी मुश्किल से अपनी सिस्कारियों पर काबू किया हुआ था ...और जैसे ही माधवी की गीली जीभ ने उसके टटों को छुआ गिरधर के हाथ उसके सर के पीछे आ लगे ...और उसने एक ही झटके में अपना पूरा जंगली लंड उसके मुंह में पेल दिया ...
वो सोच रहा था की जो औरत कल तक उसके लंड को मुंह लगाने से कतराती थी वो आज उसके पैरों को भी चाट रही है ..और लंड को भी ..
माधवी के गले तक जा पहुंचा था उसके पति का लंड एक ही बार में ...उसे ऐसा लगा जैसे उसे उल्टी आ जायेगी ....वो फडफडा उठी ..पर गिरधर ने उसकी इतनी से पकड़ी हुई थी की वो कुछ ना कर पायी ...
पंडित को भी गिरधर का ये खेल पसंद आ रहा था ..वो आज काफी चुदाई कर चुके थे ..इसलिए उसके साथ इस खेल में कूदने का उनका कोई विचार नहीं था ...पर लंड कब खड़ा हो जाए ये तो वो भी नहीं जानते थे ..
और दूसरी तरफ शीला को ये सब काफी पसंद आ रहा था ..उसकी भी एक दबी हुई सी इच्छा थी की कोई उसे भी ऐसे ही डोमिनेट करे ..गालियाँ दे ...मारे ..पर हर इच्छा तो पूरी नहीं होती ना ..पर ये सब देखते हुए उसकी चूत बुरी तरह से गीली हो चुकी थी ..
वो सरक कर गिरधर के पीछे पहुंची और उसकी पीठ से अपने मोटे मुम्मे चिपका दिए ..और उसकी गर्दन पर गीली - २ पप्पियाँ करने लगी ...
गिरधर को भी उसका ये बर्ताव पसंद आया उसने अपना हाथ पीछे किया और उसके बालों से पकड़कर उसे उतनी ही बेदर्दी से आगे की तरफ खींचा जितनी बेदर्दी से उसने माधवी को पकड़ा था ..
वो दोनों के साथ एक ही तरह का बर्ताव कर रहा था ..
वो दोनों के साथ एक ही तरह का बर्ताव कर रहा था ..
''अय्यीईई ......उम्म्म्म ......गिरधर .....अह्ह्ह्ह्ह ....धीरे .....''
शीला की दर्द भरी सिसकारी सुनकर माधवी ने ऊपर की तरफ देखा ..उसका पति उसके ही सामने शीला को आगे खींचकर उसके मुम्मे दबा रहा था और उसके होंठों को जोर से चबा रहा था ..
उसने गिरधर का लंड बाहर निकाल कर कुछ कहना चाहा पर उसका एक और झन्नाटेदार थप्पड़ आ पड़ा उसके चेहरे पर ...और वो किसी कुतिया की तरह बिलबिलाती उठी और उसने फिर से उसके लंड को अपने मुंह में भरा और जोर से चूसने लगी ..
वो समझ चुकी थी की आज उसे वो सब करना होगा जो उसका पति चाहता है और वो सब सहना होगा जो वो उसके साथ कर रहा है ..वो पूरी तरह से असहाय थी ..किसी गुलाम की तरह से अपने हाथ पीछे किये हुए वो उसका लंड चूस रही थी .
जिस तरह से झुक कर माधवी अपने पति का केला खा रही थी, पंडित को उसके पिछवाड़े की रूपरेखा साफ़ दिखाई दे रही थी, उसने आज तक जब भी किसी की गांड या चूत मारी थी, इतना साफ़ और क्लीयर द्रश्य उसने आज तक नहीं देखा था ..किसी बड़े से दिल की आकृति लग रही थी उसकी गांड की, दोनों छेद एक साथ नजर आ रहे थे ..जैसे गोलकुंडा और ताजमहल अड़ोस - पड़ोस में रख दिए हो ...
उसकी पारखी नजरों ने देख लिया की ऐसे बर्ताव के बावजूद उसकी चूत का गीलापन और भी ज्यादा हो चूका था ..
गिरधर के स्वभाव में कोई कमी नहीं आ रही थी ..वो और भी हिंसक सा हो चूका था ..
अब उसका हिंसकपन शीला पर उतर रहा था ..उसने शीला को अपनी गोद में लिटा लिया और झुक कर उसकी नाभि वाले हिस्से पर अपने तेज दांत गाड़ दिए ..
''ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......माआ ..........अह्ह्ह्ह्ह्ह .........''
वो दर्द से दोहरी होकर उसके चेहरे से पूरी लिपट गयी ...शीला के पुरे शरीर ने उसके चेहरे को अपने अन्दर छिपा सा लिया .
गिरधर ने अपने दांये हाथ की चार उँगलियाँ एक साथ उसकी गीली चूत में घुसा दी ..
वो और भी बुरी तरह से छटपटाने लगी ...और नीचे फिसलकर लंड चूस रही माधवी के मुंह पर जा गिरी ..
गिरधर का लंड उसके मुंह से बाहर आ गया ..
उसने माधवी के बाल पकड़ कर उसे ऊपर उठाया और दुसरे हाथ से शीला को उठा कर दोनों को एकदूसरे के सामने घुटनों पर खड़ा कर दिया ..और बोल : "चलो ...चुसो एक दुसरे को ...''
दोनों ने एक दुसरे को देखा और फिर गिरधर को ...और फिर शीला ने पहल करते हुए अपने होंठ आगे किये और माधवी को स्मूच कर लिया ..कुछ देर में ही माधवी भी रंग में आने लगी और दोनों एक दुसरे के बालों में हाथ फिराते हुए जोर - २ से एक दुसरे को चूमने चाटने लगी ..
इसी बीच गिरधर खड़ा हुआ और अपने लंड को जोर - २ से हिलाने लगा ...और एक दम से ही उन दोनों के चेहरे के पास अपने पाईप को लाकर उसमे से तेज धार निकालकर उनके चेहरे को भिगोने लगा ..
पंडित ने ध्यान से देखा ...ये उसका वीर्य नहीं था ...बल्कि पेशाब था ..जो वो उनके चेहरे पर कर रहा था ..
पंडित के साथ -२ वो दोनों भी गिरधर की ऐसी जलील हरकत से चोंक गयी ...अपने चेहरे पर गिर रही पेशाब की धार से बचने के लिए जैसे ही माधवी पीछे होने लगी, गिरधर का एक और चांटा उसके सर के ऊपर पडा ..और वो रोती हुई अपनी आँखे बंद करके वहीँ पर बैठ गयी ...
दूसरी तरफ शीला को शायद ये भी मजेदार लग रहा था ..वो खुलकर उस धार को अपनी छाती , मुंह , आँख और चूत वाले हिस्से पर गिरवा रही थी ..और गर्म धार के साथ वो भी गर्म होती जा रही थी ..
उसने आगे बढकर गिरधर के लंड को पकड़ा और अपने मुंह में धकेल दिया ...और बाकी का बचा हुआ पानी सीधा अपने अन्दर ले लिया ..
माधवी उसकी ऐसी हरकत को देखकर हेरान रह गयी ..और पंडित भी ..
दोनों ने शायद नहीं सोचा था की शीला को ये सब चीजें भी पसंद है .
गिरधर ने उन दोनों के चेहरे के बीच अपना लंड लटका दिया ..और बोला : "चलो ...चुसो दोनों इसे मिलकर ...''
उन दोनों ने अपनी -२ तरफ वाले हिस्से पर अपने होंठ लगाए और उसे बर्फ वाली आइसक्रीम की तरह चूसने और चाटने लगी ..
बीच - २ में उन दोनों के होंठ आपस में भी टच हो रहे थे ...और गिरधर भी कभी अपना पूरा लंड माधवी और कभी शीला के मुंह में डालकर उनसे चूसवाने लगा .
पंडित के लंड की नसें भी दौड़ने लगी इतना कामुक सीन देखकर ..
वो अपने लंड पर हाथ रखकर उसे मसलने लगे .
गिरधर से भी अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था ..उसने दोनों को डोगी स्टाईल में खड़े होने को कहा ...
दोनों एक दुसरे की बगल में कुतिया बनकर खड़ी हो गयी ..गिरधर पीछे से आया ...और अपना हुंकारता हुआ सिपाही सीधा लेजाकर शीला की फुद्दी में पेल दिया ...वो घोड़ी की तरह हिनहिना उठी और अपने आगे वाले हाथों को ऊपर करके खड़ी सी हो गयी ...और उसने अपनी चूत मार रहे गिरधर के गले में अपने हाथ डाल दिए ...और पीछे मुंह करके उसे चूम लिया ...
आसन थोडा मुश्किल था इसलिए धक्के बहुत धीरे लग रहे थे ..पर मजा दोनों को बहुत आ रहा था ..
थोड़ी देर की ठुकाई के बाद गिरधर ने उसे आगे धक्का दे दिया और फिर से कुतिया वाले आसन में लाकर उसे पेलने लगा ...
''अह्ह्ह्ह्ह्ह ....ओह्ह्ह्ह ...गिरधर .....उम्म्म्म ...चोदो ....मुझे ....अह्ह्ह हाँ ..ऐसे ही ....ऐसी चुदाई चाहती थी मैं .....हाँ ....आज मेरी इच्छा पूरी हो गयी ....उम्म्म्म्म्म्म ....अह्ह्ह्ह ...''
वो झड पाती इससे पहले ही गिरधर ने उसकी चूत से लंड वापिस खींच लिया ..और ललचाई नजरों से उनकी चुदाई देख रही माधवी की चूत में पेल दिया ..
वो कसमसा उठी ...पर कुछ बोली नहीं ..उसकी चूत पहले से ही चिकनी हुई पड़ी थी ..
गिरधर ने एक जोरदार हाथ मारकर उसकी चाँद सी गांड पर अपने हाथ के पंजे का निशान छोड़ दिया ..
वो बिलबिला उठी ..
''अय्य्यीईइ .......मर्र्र गयी .......क्या कर रहे हो जी ....''
गिरधर : "भेन चोद ....तेरी करनी की सजा दे रहा हु तुझे रंडी ...एक तो तू गलती करे ऊपर से चुदाई भी मिले ...ऐसा तो हो नहीं सकता न ...ये ले ...''
इतना कहकर उसने एक और जोरदार पंजा मारकर दूसरी तरफ भी अपनी उँगलियों का टेटू बना दिया ..
फिर उसने वहां से भी अपना लंड खींच लिया और माधवी को पीठ के बल नीचे लेटने को कहा ..
और शीला को उसके मुंह पर बैठने को बोला ..अब शीला की रंगीन चूत बिलकुल माधवी के होंठो पर थी ...गिरधर के कहने पर माधवी ने उसे चूसना शुरू कर दिया .
शीला अपनी चूत चुसवाते हुए खड़ी हुई फसल की तरह लहराने लगी ..
तभी गिरधर शीला के सामने की तरफ आया और उसने शीला को पीछे की तरफ होकर अपनी पीठ पर लेटने को कहा ..वो माधवी के शरीर के ऊपर लेट गयी ..गिरधर ने अपना लंड लेजाकर शीला की चूत के दरवाजे पर रखा और अन्दर धकेल दिया ..
एक मजेदार आह की आवाज निकालकर गिरधर के लौड़े को कबूल किया अपनी चूत के अन्दर .
''उम्म्म्म्म्म ....अह्ह्ह्ह ...क्या बात है .....कितना सख्त है तुम्हारा लंड ....उम्म्म… ''
गिरधर ने अपना लंड तो शीला को भेंट कर दिया ..पर नीचे लटक रही उसकी गोटियाँ माधवी के होंठों पर नाच रही थी ..वो अपना मुंह इधर उधर करके उनसे बचने की कोशिश कर रही थी ..
पर गिरधर के दिमाग में उसे जलील करने का एक और विचार घूम रहा था ..उसने अपनी गोटियाँ पकड़कर माधवी के मुंह में डाल दी और चिल्ला कर उन्हें चूसने को कहा ..
और शीला की कमर पर हाथ रखकर उसके शरीर को आगे पीछे करने लगा ..और उसका लंड अब वहीँ खड़ा होकर उसके हिलते हुए जिस्म के नीचे चिपकी हुई चूत के मजे लेने लगा ..
शीला काफी देर से झड़ने के करीब थी ..इसलिए गिरधर के आठ-दस झटकों के बाद उसकी चूत से गर्म रस की रिसायीं होने लगी ...और वो जोर -२ से चिल्लाती हुई झड़ने लगी ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह .......उम्म्म्म्म ...मैं तो गयी .....अह्ह्ह्ह्ह्ह .......म्म्म्म्म्म्म्म ......''
गिरधर ने झटके से अपना लंड पीछे खींच लिया ...और शीला की चूत से निकल रहा सारा रस सीधा माधवी के खुले हुए मुंह के अन्दर जाने लगा ..वो बेचारी बिना किसी विरोध के उसे पी गयी ...
अपनी खाली हो चुकी चूत के साथ शीला एक तरफ लुडक गयी ...और गहरी साँसे लेकर अपने आप को नियंत्रित करने लगी ..
गिरधर अब बिस्तर पर जाकर लेट गया और माधवी के बाल पकड़कर उसे भी ऊपर ले गया ..
और उसे अपने ऊपर लाकर लिटा लिया ...और एक ही झटके में उसकी चूत के दरवाजे तोड़ता हुआ अपना शाही लंड फिर से उसके दरबार में पहुंचा दिया ..
तो तड़प उठी ..दर्द से ..जंगलीपन से ...जिल्लत से ..
पर गिरधर पर तो जैसे आज कोई भूत सवार था ..उसने पंडित जी की तरफ देखा ..वो भी तैयार हो चुके थे ..उनका स्टेमिना देखकर गिरधर को भी रश्क सा होने लगा उनसे ..
उसने पंडित जी को इशारा करके ऊपर आने को कहा ..वो समझ गए की गिरधर क्या चाहता है ...वो बेड पर चडे और नीचे झुककर अपने लंड को माधवी की गांड पर लगा दिया ..
अपने पीछे एक दुसरे लंड का एहसास होते ही माधवी का शरीर सिहर उठा ..वो कुछ कहना चाहती थी ..पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी ..पंडित जी के करारे प्रहार से उनका दूत उसकी गांड के अन्दर जाकर अपना सन्देश पड़ चुका था ...अब वो सिर्फ चिल्लाने और सिस्कारियां मारने के अलावा कुछ और नहीं कर सकती थी .
दोनों ने अगले बीस मिनट में उसकी चूत का बेन्ड बजा दिया ..पर उस बेन्ड की आवाज सुनकर दोनों पर कोई असर नहीं पड़ा ...वो तो बस उस धुन पर अपने - २ लंड को नचाते रहे ...
और लगभग आधे घंटे के बाद दोनों ने अपना-२ रस उसकी चूत और गांड में निकाल दिया ...माधवी तो जैसे बेहोश हो चुकी थी ..वो निर्जीव सी होकर नीचे फिसल गयी ..और दोनों उठकर अपने-२ कपडे पहनने लगे ...
शीला ने तो वहीँ रहना था, इसलिए वो नंगी पड़ी रही कोने में ...
माधवी ने जैसे तैसे कपडे पहने और फिर गिरधर उसे अपने साथ वापिस ले गया ..
आज जैसी चुदाई उसकी आज तक नहीं हुई थी ...डबल पेनेट्रेशन सहना हर किसी के बस की बात नहीं है ..इसलिए चलते हुए उसकी टाँगे कांप रही थी .
|
|
01-07-2018, 02:06 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Porn Kahani भोली-भाली शीला
पंडित & शीला पार्ट--26
***********
गतांक से आगे ......................
***********
माधवी गिडगिडा उठी : "नहीं जी ....ऐसा मत कहिये ...वो आप ही का खून है ..आपकी ही बेटी है ...मेरा कोई सम्बन्ध नहीं था किसी के साथ ...''
गिरधर : "अच्छा तो ये क्या है ...मैं अगर अभी ना आता तो मुझे कभी पता ही नहीं चलता की तू ये गुल भी खिला रही है ...भेन चोद ...मुझे रितु को हाथ लगाने भर से रोक रही थी ..और पुरे दो महीने तक हाथ नहीं लगाने दिया मुझे खुद को भी ...और खुद यहाँ रंगरेलिया मना रही है ...चूत के अन्दर पंडित जी का प्रसाद ले रही है ..रांड कहीं की ...चुद्दकड़ ...अब तू मेरे घर नहीं रहेगी ..और अब रितु पर भी तेरा कोई अधिकार नहीं है ..वो मेरे घर रहेगी ...पर मेरी बेटी बनकर नहीं ..''
उसकी बात का मतलब समझकर माधवी की आँखे फेल सी गयी ..उसके दिमाग ने जैसे काम करना बंद कर दिया ..अगर वो अपनी बेटी के साथ नहीं रहेगी तो गिरधर पता नहीं उसकी फूल सी बेटी के साथ क्या सलूक करेगा ..हे भगवान् ...ये क्या कर दिया मैंने ...''
माधवी : "नहीं ...आप ऐसा मत कहिये ...मुझे घर से मत निकालिए ..मुझे जो सजा देनी है…वो दीजिये ...आप जो कहेंगे मैं करने के लिए तैयार हु ..पर मुझे घर से मत निकालिए ..''
और इतना कहकर वो फफक-फफक कर रोने लगी ..
गिरधर भी शायद यही सुनना चाहता था ...उसके चेहरे पर एक कुटिल सी विजयी मुस्कान आ गयी ..
उसने उसके दोनों मुम्मों के निप्पल अपने हाथो में पकडे और उसे ऊपर की तरफ खींचने लगा और बोला : "ठीक है ...पर तुझे वही करना होगा जो मैं कहूँगा ..जो मैं चाहूँगा ...समझी कुतिया ...''
उसने दर्द को बर्दाश करते हुए हाँ में सर हिलाया ..
गिरधर पंडित जी के बेड पर आकर बैठ गया जहाँ शीला नंगी लेटी हुई थी ..और उसने अपने सारे कपडे उतार दिए ..और माधवी से कहा ...: ''चल यहाँ आ ..और अपने हाथों का उपयोग किये बिना मेरे पैरों को चाटती हुई मेरे लंड तक आ और उसे चूस ...''
उसने हेरानी से अपने पति की तरफ देखा, जैसे उसे विशवास ही नहीं हुआ हो अपने कानो पर ..इतनी गालियाँ और बेइज्जती करने के बाद गिरधर उसे पंडित जी और शीला के सामने और जलील करना चाहता है ..पर उसके सामने कोई और चारा नहीं था ..उसने रोते -२ अपने हाथ पीछे किये और उन्हें एक दुसरे से बाँध लिया ...और अपनी जीभ निकाल कर उसके पैरों पर रख दी और चाटने लगी ..
इस समय उसे अपनी हालत सच में एक कुतिया की तरह लग रही थी ..
वो चाटती हुई ऊपर तक आई ..उसकी जांघे चाटती हुई और ऊपर आई ..गिरधर के पुरे शरीर में झुरझुरी सी दौड़ रही थी ..उसने बड़ी मुश्किल से अपनी सिस्कारियों पर काबू किया हुआ था ...और जैसे ही माधवी की गीली जीभ ने उसके टटों को छुआ गिरधर के हाथ उसके सर के पीछे आ लगे ...और उसने एक ही झटके में अपना पूरा जंगली लंड उसके मुंह में पेल दिया ...
वो सोच रहा था की जो औरत कल तक उसके लंड को मुंह लगाने से कतराती थी वो आज उसके पैरों को भी चाट रही है ..और लंड को भी ..
माधवी के गले तक जा पहुंचा था उसके पति का लंड एक ही बार में ...उसे ऐसा लगा जैसे उसे उल्टी आ जायेगी ....वो फडफडा उठी ..पर गिरधर ने उसकी इतनी से पकड़ी हुई थी की वो कुछ ना कर पायी ...
पंडित को भी गिरधर का ये खेल पसंद आ रहा था ..वो आज काफी चुदाई कर चुके थे ..इसलिए उसके साथ इस खेल में कूदने का उनका कोई विचार नहीं था ...पर लंड कब खड़ा हो जाए ये तो वो भी नहीं जानते थे ..
और दूसरी तरफ शीला को ये सब काफी पसंद आ रहा था ..उसकी भी एक दबी हुई सी इच्छा थी की कोई उसे भी ऐसे ही डोमिनेट करे ..गालियाँ दे ...मारे ..पर हर इच्छा तो पूरी नहीं होती ना ..पर ये सब देखते हुए उसकी चूत बुरी तरह से गीली हो चुकी थी ..
वो सरक कर गिरधर के पीछे पहुंची और उसकी पीठ से अपने मोटे मुम्मे चिपका दिए ..और उसकी गर्दन पर गीली - २ पप्पियाँ करने लगी ...
गिरधर को भी उसका ये बर्ताव पसंद आया उसने अपना हाथ पीछे किया और उसके बालों से पकड़कर उसे उतनी ही बेदर्दी से आगे की तरफ खींचा जितनी बेदर्दी से उसने माधवी को पकड़ा था ..
वो दोनों के साथ एक ही तरह का बर्ताव कर रहा था ..
वो दोनों के साथ एक ही तरह का बर्ताव कर रहा था ..
''अय्यीईई ......उम्म्म्म ......गिरधर .....अह्ह्ह्ह्ह ....धीरे .....''
शीला की दर्द भरी सिसकारी सुनकर माधवी ने ऊपर की तरफ देखा ..उसका पति उसके ही सामने शीला को आगे खींचकर उसके मुम्मे दबा रहा था और उसके होंठों को जोर से चबा रहा था ..
उसने गिरधर का लंड बाहर निकाल कर कुछ कहना चाहा पर उसका एक और झन्नाटेदार थप्पड़ आ पड़ा उसके चेहरे पर ...और वो किसी कुतिया की तरह बिलबिलाती उठी और उसने फिर से उसके लंड को अपने मुंह में भरा और जोर से चूसने लगी ..
वो समझ चुकी थी की आज उसे वो सब करना होगा जो उसका पति चाहता है और वो सब सहना होगा जो वो उसके साथ कर रहा है ..वो पूरी तरह से असहाय थी ..किसी गुलाम की तरह से अपने हाथ पीछे किये हुए वो उसका लंड चूस रही थी .
जिस तरह से झुक कर माधवी अपने पति का केला खा रही थी, पंडित को उसके पिछवाड़े की रूपरेखा साफ़ दिखाई दे रही थी, उसने आज तक जब भी किसी की गांड या चूत मारी थी, इतना साफ़ और क्लीयर द्रश्य उसने आज तक नहीं देखा था ..किसी बड़े से दिल की आकृति लग रही थी उसकी गांड की, दोनों छेद एक साथ नजर आ रहे थे ..जैसे गोलकुंडा और ताजमहल अड़ोस - पड़ोस में रख दिए हो ...
उसकी पारखी नजरों ने देख लिया की ऐसे बर्ताव के बावजूद उसकी चूत का गीलापन और भी ज्यादा हो चूका था ..
गिरधर के स्वभाव में कोई कमी नहीं आ रही थी ..वो और भी हिंसक सा हो चूका था ..
अब उसका हिंसकपन शीला पर उतर रहा था ..उसने शीला को अपनी गोद में लिटा लिया और झुक कर उसकी नाभि वाले हिस्से पर अपने तेज दांत गाड़ दिए ..
''ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......माआ ..........अह्ह्ह्ह्ह्ह .........''
वो दर्द से दोहरी होकर उसके चेहरे से पूरी लिपट गयी ...शीला के पुरे शरीर ने उसके चेहरे को अपने अन्दर छिपा सा लिया .
गिरधर ने अपने दांये हाथ की चार उँगलियाँ एक साथ उसकी गीली चूत में घुसा दी ..
वो और भी बुरी तरह से छटपटाने लगी ...और नीचे फिसलकर लंड चूस रही माधवी के मुंह पर जा गिरी ..
गिरधर का लंड उसके मुंह से बाहर आ गया ..
उसने माधवी के बाल पकड़ कर उसे ऊपर उठाया और दुसरे हाथ से शीला को उठा कर दोनों को एकदूसरे के सामने घुटनों पर खड़ा कर दिया ..और बोल : "चलो ...चुसो एक दुसरे को ...''
दोनों ने एक दुसरे को देखा और फिर गिरधर को ...और फिर शीला ने पहल करते हुए अपने होंठ आगे किये और माधवी को स्मूच कर लिया ..कुछ देर में ही माधवी भी रंग में आने लगी और दोनों एक दुसरे के बालों में हाथ फिराते हुए जोर - २ से एक दुसरे को चूमने चाटने लगी ..
इसी बीच गिरधर खड़ा हुआ और अपने लंड को जोर - २ से हिलाने लगा ...और एक दम से ही उन दोनों के चेहरे के पास अपने पाईप को लाकर उसमे से तेज धार निकालकर उनके चेहरे को भिगोने लगा ..
पंडित ने ध्यान से देखा ...ये उसका वीर्य नहीं था ...बल्कि पेशाब था ..जो वो उनके चेहरे पर कर रहा था ..
पंडित के साथ -२ वो दोनों भी गिरधर की ऐसी जलील हरकत से चोंक गयी ...अपने चेहरे पर गिर रही पेशाब की धार से बचने के लिए जैसे ही माधवी पीछे होने लगी, गिरधर का एक और चांटा उसके सर के ऊपर पडा ..और वो रोती हुई अपनी आँखे बंद करके वहीँ पर बैठ गयी ...
दूसरी तरफ शीला को शायद ये भी मजेदार लग रहा था ..वो खुलकर उस धार को अपनी छाती , मुंह , आँख और चूत वाले हिस्से पर गिरवा रही थी ..और गर्म धार के साथ वो भी गर्म होती जा रही थी ..
उसने आगे बढकर गिरधर के लंड को पकड़ा और अपने मुंह में धकेल दिया ...और बाकी का बचा हुआ पानी सीधा अपने अन्दर ले लिया ..
माधवी उसकी ऐसी हरकत को देखकर हेरान रह गयी ..और पंडित भी ..
दोनों ने शायद नहीं सोचा था की शीला को ये सब चीजें भी पसंद है .
गिरधर ने उन दोनों के चेहरे के बीच अपना लंड लटका दिया ..और बोला : "चलो ...चुसो दोनों इसे मिलकर ...''
उन दोनों ने अपनी -२ तरफ वाले हिस्से पर अपने होंठ लगाए और उसे बर्फ वाली आइसक्रीम की तरह चूसने और चाटने लगी ..
बीच - २ में उन दोनों के होंठ आपस में भी टच हो रहे थे ...और गिरधर भी कभी अपना पूरा लंड माधवी और कभी शीला के मुंह में डालकर उनसे चूसवाने लगा .
पंडित के लंड की नसें भी दौड़ने लगी इतना कामुक सीन देखकर ..
वो अपने लंड पर हाथ रखकर उसे मसलने लगे .
गिरधर से भी अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था ..उसने दोनों को डोगी स्टाईल में खड़े होने को कहा ...
दोनों एक दुसरे की बगल में कुतिया बनकर खड़ी हो गयी ..गिरधर पीछे से आया ...और अपना हुंकारता हुआ सिपाही सीधा लेजाकर शीला की फुद्दी में पेल दिया ...वो घोड़ी की तरह हिनहिना उठी और अपने आगे वाले हाथों को ऊपर करके खड़ी सी हो गयी ...और उसने अपनी चूत मार रहे गिरधर के गले में अपने हाथ डाल दिए ...और पीछे मुंह करके उसे चूम लिया ...
आसन थोडा मुश्किल था इसलिए धक्के बहुत धीरे लग रहे थे ..पर मजा दोनों को बहुत आ रहा था ..
थोड़ी देर की ठुकाई के बाद गिरधर ने उसे आगे धक्का दे दिया और फिर से कुतिया वाले आसन में लाकर उसे पेलने लगा ...
''अह्ह्ह्ह्ह्ह ....ओह्ह्ह्ह ...गिरधर .....उम्म्म्म ...चोदो ....मुझे ....अह्ह्ह हाँ ..ऐसे ही ....ऐसी चुदाई चाहती थी मैं .....हाँ ....आज मेरी इच्छा पूरी हो गयी ....उम्म्म्म्म्म्म ....अह्ह्ह्ह ...''
वो झड पाती इससे पहले ही गिरधर ने उसकी चूत से लंड वापिस खींच लिया ..और ललचाई नजरों से उनकी चुदाई देख रही माधवी की चूत में पेल दिया ..
वो कसमसा उठी ...पर कुछ बोली नहीं ..उसकी चूत पहले से ही चिकनी हुई पड़ी थी ..
गिरधर ने एक जोरदार हाथ मारकर उसकी चाँद सी गांड पर अपने हाथ के पंजे का निशान छोड़ दिया ..
वो बिलबिला उठी ..
''अय्य्यीईइ .......मर्र्र गयी .......क्या कर रहे हो जी ....''
गिरधर : "भेन चोद ....तेरी करनी की सजा दे रहा हु तुझे रंडी ...एक तो तू गलती करे ऊपर से चुदाई भी मिले ...ऐसा तो हो नहीं सकता न ...ये ले ...''
इतना कहकर उसने एक और जोरदार पंजा मारकर दूसरी तरफ भी अपनी उँगलियों का टेटू बना दिया ..
फिर उसने वहां से भी अपना लंड खींच लिया और माधवी को पीठ के बल नीचे लेटने को कहा ..
और शीला को उसके मुंह पर बैठने को बोला ..अब शीला की रंगीन चूत बिलकुल माधवी के होंठो पर थी ...गिरधर के कहने पर माधवी ने उसे चूसना शुरू कर दिया .
शीला अपनी चूत चुसवाते हुए खड़ी हुई फसल की तरह लहराने लगी ..
तभी गिरधर शीला के सामने की तरफ आया और उसने शीला को पीछे की तरफ होकर अपनी पीठ पर लेटने को कहा ..वो माधवी के शरीर के ऊपर लेट गयी ..गिरधर ने अपना लंड लेजाकर शीला की चूत के दरवाजे पर रखा और अन्दर धकेल दिया ..
एक मजेदार आह की आवाज निकालकर गिरधर के लौड़े को कबूल किया अपनी चूत के अन्दर .
''उम्म्म्म्म्म ....अह्ह्ह्ह ...क्या बात है .....कितना सख्त है तुम्हारा लंड ....उम्म्म… ''
गिरधर ने अपना लंड तो शीला को भेंट कर दिया ..पर नीचे लटक रही उसकी गोटियाँ माधवी के होंठों पर नाच रही थी ..वो अपना मुंह इधर उधर करके उनसे बचने की कोशिश कर रही थी ..
पर गिरधर के दिमाग में उसे जलील करने का एक और विचार घूम रहा था ..उसने अपनी गोटियाँ पकड़कर माधवी के मुंह में डाल दी और चिल्ला कर उन्हें चूसने को कहा ..
और शीला की कमर पर हाथ रखकर उसके शरीर को आगे पीछे करने लगा ..और उसका लंड अब वहीँ खड़ा होकर उसके हिलते हुए जिस्म के नीचे चिपकी हुई चूत के मजे लेने लगा ..
शीला काफी देर से झड़ने के करीब थी ..इसलिए गिरधर के आठ-दस झटकों के बाद उसकी चूत से गर्म रस की रिसायीं होने लगी ...और वो जोर -२ से चिल्लाती हुई झड़ने लगी ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह .......उम्म्म्म्म ...मैं तो गयी .....अह्ह्ह्ह्ह्ह .......म्म्म्म्म्म्म्म ......''
गिरधर ने झटके से अपना लंड पीछे खींच लिया ...और शीला की चूत से निकल रहा सारा रस सीधा माधवी के खुले हुए मुंह के अन्दर जाने लगा ..वो बेचारी बिना किसी विरोध के उसे पी गयी ...
अपनी खाली हो चुकी चूत के साथ शीला एक तरफ लुडक गयी ...और गहरी साँसे लेकर अपने आप को नियंत्रित करने लगी ..
गिरधर अब बिस्तर पर जाकर लेट गया और माधवी के बाल पकड़कर उसे भी ऊपर ले गया ..
और उसे अपने ऊपर लाकर लिटा लिया ...और एक ही झटके में उसकी चूत के दरवाजे तोड़ता हुआ अपना शाही लंड फिर से उसके दरबार में पहुंचा दिया ..
तो तड़प उठी ..दर्द से ..जंगलीपन से ...जिल्लत से ..
पर गिरधर पर तो जैसे आज कोई भूत सवार था ..उसने पंडित जी की तरफ देखा ..वो भी तैयार हो चुके थे ..उनका स्टेमिना देखकर गिरधर को भी रश्क सा होने लगा उनसे ..
उसने पंडित जी को इशारा करके ऊपर आने को कहा ..वो समझ गए की गिरधर क्या चाहता है ...वो बेड पर चडे और नीचे झुककर अपने लंड को माधवी की गांड पर लगा दिया ..
अपने पीछे एक दुसरे लंड का एहसास होते ही माधवी का शरीर सिहर उठा ..वो कुछ कहना चाहती थी ..पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी ..पंडित जी के करारे प्रहार से उनका दूत उसकी गांड के अन्दर जाकर अपना सन्देश पड़ चुका था ...अब वो सिर्फ चिल्लाने और सिस्कारियां मारने के अलावा कुछ और नहीं कर सकती थी .
दोनों ने अगले बीस मिनट में उसकी चूत का बेन्ड बजा दिया ..पर उस बेन्ड की आवाज सुनकर दोनों पर कोई असर नहीं पड़ा ...वो तो बस उस धुन पर अपने - २ लंड को नचाते रहे ...
और लगभग आधे घंटे के बाद दोनों ने अपना-२ रस उसकी चूत और गांड में निकाल दिया ...माधवी तो जैसे बेहोश हो चुकी थी ..वो निर्जीव सी होकर नीचे फिसल गयी ..और दोनों उठकर अपने-२ कपडे पहनने लगे ...
शीला ने तो वहीँ रहना था, इसलिए वो नंगी पड़ी रही कोने में ...
माधवी ने जैसे तैसे कपडे पहने और फिर गिरधर उसे अपने साथ वापिस ले गया ..
आज जैसी चुदाई उसकी आज तक नहीं हुई थी ...डबल पेनेट्रेशन सहना हर किसी के बस की बात नहीं है ..इसलिए चलते हुए उसकी टाँगे कांप रही थी .
|
|
01-07-2018, 02:06 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Porn Kahani भोली-भाली शीला
पंडित & शीला पार्ट--28
***********
गतांक से आगे ......................
***********
घर पहुंचकर माधवी धम्म से बेंत वाली चेयर पर जाकर बैठ गयी ..रात भी काफी हो चुकी थी . रितु तो कब की सो चुकी थी .
गिरधर : "चल अब नहा ले ...चूत और गांड में माल भरकर लायी है आज तो ..साली रंडी ..''
कहकर गिरधर हंसने लगा ..
माधवी का मन तो किया की उसका मुंह तोड़ दे ..पर वो लाचार थी . उसने गिरधर की बात को अनदेखा किया और वैसे ही पड़ी रही ...गिरधर अन्दर चला गया और कपडे बदल कर वापिस आ गया .
वापिस आकर उसने देखा की माधवी अभी तक वैसे ही बेठी है ..और शुन्य में ताक रही है . जैसे अपने साथ हुई घटनाओ को लेकर सोच रही थी की ये मेरे साथ ही क्यों हुआ ..क्यों उसके पति ने उसे रंडी की तरह किसी और से चुदवा दिया ..
गिरधर उसके पास आया और उसका हाथ पकड़ कर उठाया और बाथरूम की तरफ ले गया ..वो बेजान सी होकर उसके साथ चल दी .
गिरधर ने उसके कपडे उतारने शुरू किये ..वो कुछ न बोली ..और जब वो पूरी नंगी हो गयी तो गिरधर ने उसे गौर से देखा ..उसका भरा हुआ शरीर उसे शुरू से ही पसंद था ..शादी के इतने सालों के बाद भी उसका हुस्न अभी तक कायम था ..और आजकल हो रही भयंकर चुदाई की वजह से उसमे चार चाँद लग गए थे ..
कहते हैं जब औरत सेक्स करती है तो उसका रूप निखर आता है ..जितना ज्यादा सेक्स, उतनि ज्यादा सुन्दरता ..इसलिए कोई भी खूबसूरत औरत देखो तो समझ जाओ की वो अपनी जवानी के पुरे मजे ले रही है ..
खेर , गिरधर जब उसे टकटकी लगा के देख रहा था तो उसकी लुंगी में उसका हथियार जंग की तेयारी करने लगा ..और धीरे -२ अंगडाई लेता हुआ पूरा खड़ा हो गया .
माधवी आज काफी चुद चुकी थी ..उसमे शायद और चुदने की हिम्मत नहीं बची थी ..पर दुसरो से चुदवाओ और पति को अंगूठा दिखाओ ये वो साबित नहीं करना चाहती थी ..
इसलिए जब गिरधर ने उसके स्तनों को पकड़ कर दबाना शुरू किया तो उसने भी आगे हाथ करके उसके लंड को अपने हाथों में पकड़ लिया ..उसका मन तो नहीं था , पर अपने पति को नाराज करके वो और मुसीबत नहीं लेना चाहती थी .
उसके मुम्मे मिटटी में सने हुए थे . गिरधर ने उन्हें दबा कर मजे लेने शुरू कर दियी ..मिटटी के कण उसकी ब्रेस्ट पर चुभ रहे थे और निशान भी बना रहे थे ..उसने बाल्टी से एक मग्गा पानी लेकर अपने स्तनों के ऊपर डाल लिया ताकि मिटटी साफ़ हो जाए ..
इसी बीच गिरधर ने अपनी लुंगी उतार डाली और नंगा हो गया ..वो माधवी के मुम्मो के ऊपर झुका और उन्हें अपने मुंह में लेकर बच्चे की तरह उसका दूध पीने लगा .
''ईइय्य्याआअ .......उम्म्म्म्म्म .....अह्ह्ह्ह्ह ''
'साली कितनी गर्म औरत है ...इतनी चुदाई होने के बाद भी झट से गर्म हो गयी ..' गिरधर ने मन ही मन सोचा ..
गिरधर उसके पीछे आया और अपने लंड को उसकी फेली हुई गांड के बीच फंसा कर हाथ आगे करके उसके मुम्मोम को पकड़ कर दबाने लगा ..
उनका बाथरूम उनके कमरों के पीछे की तरफ था ..वहीँ पर जहाँ उस दिन पंडित खड़ा होकर सारा नजारा देख रहा था ..गिरधर ने बाथरूम का दरवाजा बंद नहीं किया था , जैसे उन्हें किसी बात का डर ही नहीं था ..
गिरधर जब पीछे खड़ा होकर माधवी की गांड की सिकाई कर रहा था तो आगे खड़ी हुई माधवी की नजरें अचानक ही रितु के कमरे पर चली गयी ..वहां काफी अँधेरा था पर उसे लगा की उसने जैसे किसी को खड़े हुए देखा है वहां ..उसने ध्यान से देखने की कोशिश की तो उसका शक पक्का हो गया ..वहां रितु ही थी ..वो ना जाने कब से उन दोनों का नंगा खेल देख रही थी ..छुप कर .
उसे अपने आप पर बड़ी शरम आई ..उनकी जवान हो रही बेटी उनकी चुदाई बड़े आराम से देख रही थी ..उसने सोचा की गिरधर को बता दे पर अगले ही पल ये सोचकर डर गयी की अगर गिरधर ने सोचा की उनकी चुदाई देखकर रितु को भी मजा आ रहा है तो वो कहीं अपनी बेटी की ही चुदायी ना कर डाले ..वैसे भी उसकी बुरी नजर काफी दिनों से थी अपनी बेटी पर ..
इसलिए वो चुप हो गयी ..पर उसने पलटकर गिरधर के कान में धीरे से कहा ..''सुनिए ..अन्दर चलिए ना ..यहाँ मुझे शर्म आ रही है ..''
गिरधर : "भेन की लोड़ी ...वहां बीच चोराहे पर चुदते हुए तो तुझे शर्म ना आई ..अब यहाँ शरमा रही है तू ..साली रंडी ..यहाँ कौन सा तेरा बाप खड़ा होकर देख रहा है तुझे ..चल नीचे बैठ ..''
पर रितु को उनकी बाते सुनाई नहीं दे रही थी ..
उसने माधवी को नीचे धकेला और अपना फनफनाता हुआ लंड उसके मुंह में पेल कर उसका मुंह चोदने लगा ..
गिरधर ने ऊपर लगा हुआ पानी का फव्वारा (शावर) खोल दिया और ठंडा पानी उनके जिस्मों पर गिरने लगा .
और दूसरी तरफ रितु , जो घर का दरवाजा खुलने की आवाज सुनकर जाग गयी थी और अपनी माँ और बाप को इतनी रात में नहाते और चुदाई करते हुए देखकर सोच रही थी की कितने ठरकी हैं उसके माँ बाप जो टाईम की परवाह किये बिना ही कहीं भी शुरू हो जाते हैं , जैसे आज बाथरूम में जाकर चुदाई करने का मूड हुआ है दोनों का ..
हमेशा की तरह उसने वही लम्बी फ्रोक पहनी हुई थी रात को सोते हुए ..और जब उसने अपने माँ बाप को नंगा होकर एक साथ नहाते हुए देखा तो उसकी फ्रोक के फीते खुल गए और उसने सरका कर उसे नीचे गिरा दिया ..अन्दर उसने सिर्फ ब्रा पहनी हुई थी ..कच्छी तो उसने कभी पहनी ही नहीं थी रात को सोते हुए ..
वो अपनी माँ के मोटे मुम्मों को अपने बाप के हाथों में मसलते हुए देख रही थी ..और उसके हाथ खुद ब खुद अपने मुम्मों पर जा पहुंचे और उन्हें बेपर्दा करते हुए वो खुद ही उन्हें मसलने लगी ..दुसरे हाथ से अपनी चूत को ..और सोचने लगी की काश वो भी ऐसे बाथरूम में सेक्स कर पाती ..
और सेक्स का नाम दिमाग में आते ही उसके सामने पंडित का चेहरा आ गया ..
उसकी नजरों ने अपनी माँ की जगह खुद को और अपने बाप की जगह पंडित को देखना शुरू कर दिया ..
अब तो जैसे वो कोई मूवी देख रही थी ..जिसमे वो और पंडित जी बाथरूम में खड़े होकर सेक्स कर रहे हैं ..और वो खुद अपने हाथों का प्रयोग करके अपनी ब्रेस्ट और चूत को मसल रही थी .
उधर जैसे ही माधवी ने नीचे बैठ कर गिरधर के लंड को चूसना शुरू किया, वो मस्ती में आकर उसे गालियाँ देने लगा ..जो थोडा तेज थी ..और जिन्हें रितु भी सुन पा रही थी ..उसके लिए गालियाँ नयी नहीं थी ..उसने रास्ते में आते जाते और स्कूल में भी कई लड़कों के मुंह से एक दुसरे को गालियाँ देते सूना था ..पर अपने ही बाप के मुंह से गालियाँ सुनते देखकर वो हेरान रह गयी ..पर उसने नोट किया की उन गालियों को सुनकर माधवी और उत्तेजक तरीके से गिरधर का लंड चूस रही है ..यानी गालियाँ सुनकर उसे मजा आ रहा है ..
''चूस भेन चोद ......अह्ह्ह्ह ........साली ......भोंसड़ीकी .......चूस मेरा लंड ....अह्ह्ह्ह्ह ....खा जा ....अह्ह्ह्ह्ह ....साली ....कुतिया ...रंडी कहीं की ...चूस और तेज चूस ..''
रितु के अन्दर भी एक अजीब सी लहर उठने लगी ..उन गालियों को सुनकर ...यानी जैसा उसकी माँ को फील हो रहा था वो उसे भी होने लगा ..वो भी बुदबुदाने लगी ..और अपनी चूत की मालिश और तेजी से करने लगी ..
''अह्ह्ह ...हाँ ...मैं हु रंडी ........अह्ह्ह्ह ... मैं चुसुंगी ...आपका लंड ....अह्ह्ह्ह ....मेरे मुंह में डालो ..उम्म्म्म्म ........मैं हु आपकी कुतिया पापा .....अह्ह्ह्ह ...''
खिड़की से हलकी फुलकी सिस्कारियों की आवाज आते सुनकर गिरधर की नजरें वहां चली गयी ..और अब हेरान होने की बारी उसकी थी ...उसने देखा की उसकी बेटी रितु नंगी सी होकर खिड़की पर बैठी है ..और आँखे बंद करके बडबडा रही है ..और सिस्कारियां ले रही है ..उसके हिलते हुए हाथ देखकर उसे पता चल गया की वो अपनी चूत मसल रही है ...और उसके छोटे - २ स्तन भी उसे दिखाई दिए ..जिन्हें अपने हाथों में लेकर दबाने की उसे कब से चाह थी ..
वो जान गया की उसकी बेटी अपने माँ बाप की चुदाई को छुप कर देखते हुए उत्तेजित हो गयी है ..यानी अब उसे चोदना ज्यादा मुश्किल नहीं होगा ..पर माधवी के सामने वो ये नहीं जताना चाहता था की उसने रितु को देख लिया है ..
इसके दो घाटे थे , एक तो वो उसकी चूत नहीं मार पायेगा अभी ..और दूसरा माधवी भी अपनी बेटी को बचाना चाहेगी और गिरधर को उसके साथ कुछ नहीं करने देगी ..इसलिए उसने सोच लिया की वो रितु के बारे में बाद में सोचेगा ..अभी तो माधवी की ही मार लि जाये ..और रितु को ज्यादा से ज्यादा दिखाया जाए ताकि वो उसके लंड के लिए मचल उठे .
उसने दिवार पर लगा हुआ बटन दबाकर बाथरूम की लाइट जला दी ..बल्ब की रौशनी में दोनों के जिस्म पूरी तरह से जगमगा उठे ..
माधवी : "ये।ये क्यों जला दिया ..बंद करो इसे ... मुझसे नहीं होगा कुछ भी इतनी रौशनी में ...''
वो जानती थी की रितु उन्हें देख रही है ..और रौशनी होने की वजह से तो पूरी तरह से दिखाई देंगे दोनों ..इसलिए वो नहीं चाहती थी की रौशनी हो वहां ..पर बेचारी माधवी ये नहीं जानती थी की गिरधर भी रितु को देख चूका है ...पर दोनों अनजान बनकर एक दुसरे से इस बात को छुपाने की कोशिश कर रहे थे ..
पर गिरधर ने तो ये सब जान बूझकर किया था रितु ज्यादा रौशनी में उन दोनों की चुदाई देखे और उत्तेजित हो जाए ..वो उसे अपने हथियार के दर्शन भी करवाना चाहता था ..क्योंकि वो जानता था की लंड देखकर लड़की का पचास परसेंट मन तो बन ही जाता है ..बाकी का वो बना देगा बाद में .
उसने अपना लंड माधवी के मुंह से बाहर निकाला ..वो पूरा खड़ा हुआ था इस समय ..और उसे डंडे की तरह से पकड़कर माधवी के चेहरे को पीटने लगा ..
रितु ने जब अपने बाप का लंड पूरा तन हुआ अपनी आँखों से देखा तो उसके होंठ बड़ी तेजी से फडफडाने लगे ..और उसकी उँगलियाँ अपनी घी से डूबी हुई चूत में किसी पिस्टन की तरह अन्दर बाहर होने लगी ..
''अह्ह्ह्ह्ह ........क्या लंड है .....उम्म्म्म्म ....मेरे मुंह में डाल लो ना ..पापा ....अह्ह्ह्ह ...मुझे दो ..इसे चुसुंगी मैं ...उम्म्म्म ..''
उसने पास पड़ी हुई एक केंडल उठाई और घप्प से उसे अपनी चूत में उतार दिया ...उसने एक हाथ से खिड़की का सरिया पकड़ा और दुसरे में केंडल ..और अपनी एक टांग उठा कर खिड़की तक पहुंचा दी ..और लगी पेलने केंडल को अपने अन्दर एक लंड समझकर ...
''अह्ह्ह्ह्ह्ह ......काश ....मेरी चूत में होता पापा का लंड अह्ह्ह्ह ....उम्म्म्म ...क्या चीज है ....''
उसकी चूत में फिसल रही केंडल से इतना घर्षण हो रहा था की उसे लगा की कहीं वहां आग न लग जाए ..और केंडल जलने लगे .
दूसरी तरफ माधवी का बुरा हाल था ..वो जानती थी की रितु अब बचा खुचा सब देख पा रही होगी ..अपनी माँ को चुदते हुए देखकर वो पता नहीं क्या कर रही होगी ..
इतना सोचते ही उसके दिमाग में अपने बचपन की एक बात ताजा हो गयी ..उसने भी कई बार अपने माँ पिताजी की चुदाई देखि थी ..छुप - २ कर ..और वो भी अपनी चूत को मसलकर या मुली डालकर शांत करती थी ..और संतुष्ट हो जाती थी ..और एक बार जब उसके माँ पिताजी को शक हो गया की उनकी बेटी शायद छुप कर उनका खेल देखती है तो उन्होंने अपनी खिड़कियाँ और दरवाजे पुरे बंद करके चुदाई करनी शुरू कर दी ..ताकि उनकी बेटी यानी माधवी उन्हें ना देख पाए और वो बिगड़े नहीं ..पर उसका असर उल्टा हुआ था ..माधवी ने पड़ोस में रहने वाले एक लड़के को पटाया और उसके लंड को अपनी चूत में पिलवा डाला ..
उसे आज भी याद है, वो उत्तेजना थी ही ऐसी ..
और कहीं रितु भी तो ऐसा नहीं करेगी ..हमारी चुदाई ना देख पाने के बाद कहीं वो भी तो कोई गलत काम नहीं कर बैठेगी ..नहीं - नहीं ..हमारी बेटी ऐसा हरगिज नहीं कर सकती ..वो बाहर जाकर मुंह मारे , इस से अच्छा है की वो उनकी चुदाई देखकर ही तृप्त हो जाए ..
इतना सोचकर उसने अपने शरीर को और उत्तेजक तरीके से खिड़की के पीछे खड़ी अपनी बेटी को दिखाना शुरू कर दिया ..
वो खड़ी हुई और गिरधर का हाथ पकड़ कर थोडा और बाहर आ गयी ..ताकि उनकी राजदुलारी चुदाई को और करीब से देख सके ..
गिरधर ने भी मना नहीं किया ..वो भी अपने लंड को और करीब से रितु के सामने परोसना चाहता था ..
माधवी ने पीछे पड़े हुए फोल्डिंग पलंग की तरफ इशारा किया तो गिरधर भागकर उसे उठा लाया और बाथरूम के बाहर बिछा दिया ..माधवी जाकर उसके ऊपर लेट गयी ..और अपनी टाँगे फेला दी ..
गिरधर ने उन टांगो को अपने कंधे पर रखा और अपना लंड माधवी की चूत में पेलकर एक जोरदार शॉट मारा ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ...म्मम्मम्म ''
एक साथ दो सिस्कारियां निकली ...
एक माधवी की ..और दूसरी रितु की .
रितु को तो ऐसा लगा की जैसे वो लंड उसकी माँ की नहीं , उसकी खुद की चूत में उतर गया है ..उसने वो केंडल भी अपने बाप का लंड समझ कर अपने अन्दर पूरी डाल ली ..आज शायद उसने अपने अन्दर की नयी गहराईयों को छुआ था ..इसलिए उसकी सिस्कारियों में एक सिसक भी थी ..
''ओह्ह्ह्ह्ह ...पापा .....उम्म्म्म्म .......और अन्दर ....डालो ...उम्म्म्म्म ...''
अब चुद तो उसकी माँ रही थी पर पुरे मजे वो ले रही थी ..
पर दोनों के लिए लंड एक ही था ..
गिरधर का ..
और जल्दी ही दोनों झड़ने लगी ...एक साथ ..लंड से ..और केंडल से ..
माधवी चीखी : "अह्ह्ह्ह्ह ......ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ....और तेज ...चोदो ....मुझे ....अह्ह्ह्ह ......उम्म्म्म्म ...और तेज ....हाँ न्नन्न .........ऐसे ही ...औत जोर से ....जोर से ...''
गिरधर : "अह्ह्ह्ह ले और अन्दर ले ...साली .....उम्म्म्म ...अह्ह्ह्ह्ह ....रितु .''
ओह्ह्ह तेरी माँ की चूत ....ये क्या हो गया ..गिरधर ने अपना सर पीट लिया ..ये क्या निकल गया उसके मुंह से ..रितु का नाम ..और वो भी उसके सामने ..और वो भी माधवी को चोदते हुए .
तीनो झड चुके थे .
पर रितु और माधवी दोनों हेरान थे ..रितु इसलिए की उसने शायद सोचा भी नहीं था की गिरधर भी चोदते हुए उसके बारे में सोच रहा होगा ..पर मन ही मन वो खुश भी थी ..की उसके पिताजी भी उसके बारे में सोच रहे हैं, जैसे वो सोच रही है उनके बारे में ..
और माधवी बेचारी ये जानने की कोशिश कर रही थी की गिरधर ने ऐसा जान बूझकर बोला या गलती से ..
उसके बाद गिरधर काफी देर तक अपना लंड मसलता हुआ वहीँ घूमता रहा ...अपनी बेटी को और ज्यादा मजा देने के लिए ..
|
|
01-07-2018, 02:06 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Porn Kahani भोली-भाली शीला
पंडित & शीला पार्ट--29
***********
गतांक से आगे ......................
***********
माधवी की हालत खराब हो रही थी ..आज पहले पंडित और अब गिरधर ने मिलकर उसके अन्दर का अस्थि पिंजर तक हिला डाला था ..वो बोजिल सी आँखे लिए अन्दर चली गयी , उसे बहुत तेज नींद आ रही थी , वो नंगी ही अन्दर गयी और सो गयी ..
गिरधर ने अपनी धोती पहन ली थी और वो ऊपर से ही अपने लंड को मसल कर मजे ले रहा था ..उसका पूरा ध्यान अब रितु पर था .
रितु भी अभी तक गहरी साँसे लेती हुई खिड़की पर ही खड़ी थी ..उसका एक हाथ खिड़की के सरिये पर था और दूसरा अभी तक उसकी चूत पर ..जिसपर लगा हुआ चिपचिपा और नमकीन मक्खन वो अपनी उँगलियों से फेला - २ कर अपनी चूत का मेकअप कर रही थी .
वो जैसे ही अन्दर जाने के लिए मुड़ी, उसके हाथ के ऊपर गिरधर का हाथ आ लगा. गिरधर ने दूसरी तरफ से आकर उसके हाथ के ऊपर अपना हाथ रखकर उसे जकड लिया था .
रितु सकपका सी गयी ...वो अपनी फेली हुई आँखों से बाहर खड़े हुए गिरधर को देखकर हक्लाती हुई बोली : "पप पप पापा ...आप ...छोड़ो मेरा हाथ ...प्लीस ..''
गिरधर ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया था ..और उसके दिमाग में एक योजना भी आ चुकी थी .
गिरधर (गुर्राते हुए ) : "तू यहाँ क्या कर रही है ...''
वो और भी ज्यादा डर गयी .
गिरधर : "तूने देखा न सब ...मुझे और अपनी माँ को ..वो सब करते हुए ..''
रितु : "क क ...क्या ?"
गिरधर : "चुदाई ....भेनचोद ....चुदाई ...जो अभी मैं तेरी माँ की कर रहा था ..''
गिरधर अपने दांत पीस कर बोल रहा था .
चुदाई का नाम सुनते ही उसकी चूत में सुरसुरी सी होने लगी ..उसके सामने एक दम से पंडित जी का चेहरा घूम गया ..
गिरधर : "बोल ...कब से देख रही है ये सब ...पहले भी देखा है न तूने ..बोल जल्दी ..वरना अन्दर आकर तुझे नंगा करके पिटूँगा ..''
उसकी धमकी सुनकर वो डर गयी ..वो जानती थी की गुस्से में आकर उसका बाप वो सब कर भी सकता है ..अभी जिस तरह से गालियाँ देकर वो माधवी से बात कर रहा था अब वही तरीके से वो रितु को धमका रहा था ..
गिरधर जानता था की माधवी के घर में रहते वो रितु की चुदाई नहीं कर सकता ..वर्ना फिर से वही लडाई झगडे ..और गुस्से में आकर उसने उसे घर से निकाल दिया तो हो सकता है वो पुलिस के पास चली जाए और शायद रितु को भी पुलिस की मदद से अपने साथ ले जाए ..
वो इन सब लफड़ों में नहीं पड़ना चाहता था ..इसलिए माधवी से छुप कर ही उसे रितु पर काबू पाना होगा .
रितु की आँखों में आंसू आने लगे ..पर गिरधर पर उनका कोई प्रभाव नहीं पड़ा .उसके हाथों का दबाव रितु के हाथों पर और तेज हो गया ..और आखिर वो कसमसाकर बोल ही पड़ी : "हा न्न्न… ..... .देख रही थी मैं ...आप दोनों को छुप कर ...और .. एक बार पहले भी देखा था ..''
गिरधर : "क्यों ...तेरी चूत में खुजली हो रही थी क्या ...बोल ...''
वो कुछ ना बोली ..बस अपनी हिरन जैसी आँखों से उसे घूरती रही ..
गिरधर थोडा और करीब आ गया ..दोनों के बीच लोहे की खिड़की थी ..अन्दर घुप्प अँधेरा था जिस वजह से गिरधर शायद अभी तक देख नहीं पाया था की वो अन्दर किस हाल में खड़ी है ..पर जैसे ही वो खिड़की के करीब आया , हलकी रौशनी में उसने रितु के जिस्म को देखा ..वो ऊपर से नंगी थी ..उसकी फ्रोक कमर तक फंसी हुई थी ..जिसे उसने अपने दुसरे हाथ से पकड़ रखा था ..अगर वो भी गिर जाती तो वो पूरी नंगी खड़ी होती उसके सामने ..
गिरधर की गिद्ध जैसी आँखें उसके चुचियों पर लगे मोतियों की चमक को देखकर चुंधिया रही थी ..उसके मुंह से उसकी जीभ निकल कर ऐसे बाहर आ गयी, मानो वो रितु के निप्पलों पर फेरा रहा हो .
गिरधर ने धीमी और दबाव वाली आवाज में रितु से कहा : "इधर आ ...आगे ..''
रितु ने ना में सर हिलाकर मना कर दिया ..
गिरधर : "साली ....आती है के नहीं ...या मैं अन्दर आऊ ..''
रितु और भी डर गयी ...वो भी शायद यही चाहती थी की जैसे पंडित ने उसे मजे दियें हैं वैसे ही उसके पापा भी दें ..पर वो ये सब इतनी जल्दी और ऐसे हालात में करना नहीं चाहती थी . और उसे अपनी माँ का भी डर था ..जो अन्दर सो रही थी ..पर उनके आने का डर तो बना ही हुआ था ..फिर ये सोचकर की खिड़की से वो कर ही क्या लेंगे वो थोडा आगे खिसक आई ..
ऊपर से आ रही चाँद की रौशनी जैसे ही उसके मोतियों पर पड़ी गिरधर तो जैसे पागल ही हो गया ..उसने रितु का हाथ छोड़ दिया और अपने हाथ अन्दर लेजाकर उसके संतरों पर रख कर जोरों से दबा दिया ..
''आअह्ह्ह्ह्ह्ह ..........उम्म्म्म्म्म .....''
उसके मुंह से घुटी हुई सी आवाज निकल गयी ..और आँखें बंद सी होने लगी .
खिड़की के सरियों में सिर्फ चार इंच का फांसला था ..जिसमे हाथ डालकर गिरधर बड़ी मुश्किल से उन्हें दबा रहा था .
गिरधर ने अंगूठे और उसके साथ वाली ऊँगली से उसके दोनों निप्पलस को पकड़ा और अपनी तरफ खींच लिया ..
रितु का बाकी शरीर अपने आप निप्पलस के पीछे -२ सरियों से आ लगा ..
अब गिरधर के हाथ बाहर थे और रितु के दोनों निप्पल और उसके मुम्मों का थोडा हिस्सा सरियों से बाहर ..
गिरधर ने अपनी प्यासी जीभ को बाहर निकाला और उसे सीधा लेजाकर अपनी बेटी के चमचम जैसे निप्पल पर रख दी ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ....पापा ......उम्म्म्म्म्म्म्म ...........अह्ह्ह्ह ..उफ़ ...''
अब तक रितु अपना आपा खो चुकी थी ..उसने अपने पतले - २ हाथ बाहर निकाले और अपना दूध पी रहे गिरधर के सर के पीछे लगाकर उसे और जोर से अपनी ब्रेस्ट पर दबा दिया ..
''लो ......पापा ......अह्ह्ह्ह्ह .....और चुसो ....जोर से ....चुसो ....मुझे .....अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....आप इतना तडपे हो मेरे लिए ....आज अपनी प्यास मिटा लो ....अह्ह्ह्ह्ह्ह ....उम्म्म्म्म्म्म .....येस्सस्सस्स ...... ओह्ह्ह्ह पापा ......यूऊ .....आर .......बेस्ट ......''
अब वो गंवार क्या समझता की उसकी बेटी अंग्रेजी में उसे क्या कह रही है ...पर हिंदी में जो भी बोली वो,उसे सुनकर उसे भी पता चल गया की वो भी वही चाहती है जो वो खुद चाहता है ...चुदाई.
पर वहां घर में अभी वो पोसिबल नहीं था ..माधवी के होते हुए वो रिस्क नहीं लेना चाहता था .
रितु की फ्रोक भी अब खिसककर नीचे जा चुकी थी ..और अब वो सिर्फ अपनी पेंटी में खड़ी थी खिड़की में ..अपने बाप से अपनी ब्रेस्ट चुसवाती हुई . रितु की दांयी ब्रेस्ट चूसने के बाद गिरधर ने उसकी बांयी तरफ रुख किया ..और थोड़ी देर तक उसे चूसने के बाद उसने उसे भी छोड़ दिया ..और धीरे - 2 अपना चेहरा ऊपर किया ..रितु के हाथों का दबाव अभी भी उसके सर के पीछे था ..रितु ने अपने पापा के चेहरे को ऊपर किया और अपने चेहरे के सामने लाकर अपने होंठ आगे कर दिए और उसे फ्रेंच किस्स कर दी ..
''उम्म्म्म्म्मा .....अह्ह्ह्ह्ह ...पुचस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स sssssssssssss ........अह्ह्ह्ह .....म्मम्मम्म ....ओह्ह्ह पापा .......म्म्मूउन्न्न ..... ''
जगह छोटी थी मगर एक दुसरे के होंठों का स्वाद वो ले पा रहे थे ..
गिरधर तो जैसे पागल ही हो गया ..इतने नर्म और मीठे होंठ उसने आज तक नहीं चूसे थे ..और शायद इसलिए उसकी बुरी नजर हमेशा से रितु ने रसीले होंठों पर रहती थी ..जिनपर अपनी जीभ फेरा - २ कर वो सबसे बातें करती थी ..पर उसे क्या मालुम था की उन्ही गीले होंठों को देखकर कितने ही लोग उसके बारे में गन्दा सोचने लग गए हैं ...जैसे की उसका खुद का बाप भी .
रितु का हाथ खिसकता हुआ नीचे गया , गिरधर की धोती तक ..और उसने उसे खोल दिया . उसने अपनी किस्स तोड़ी और नीचे देखा और जैसे ही उसकी नजर अपने बाप के लंड पर पड़ी वो बावली सी होकर नीचे झुक गयी ..ठीक गिरधर के लंड के सामने , और उसे अपने हाथों से पकड़ लिया ...और उसे मसलने लगी ..आज वो पहली बार अपने पापा के लंड को छु रही थी ..जितना सुन्दर वो दूर से दिख रहा था उससे भी ज्यादा वो पास से दिखाई दे रहा था ..
रितु ने अपनी आदत के अनुसार अपने होंठों पर जीभ फेराई और उन्हें पूरी तरह से अपनी लार से गीला कर लिया ..और गिरधर के लंड को अपनी तरफ खींचकर अपने मुंह तक ले आई ..और उन्हें गीले होंठों की सरहद के पार धकेल दिया ...
अब सिस्कारियां मारने की बारी गिरधर की थी .
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ......म्मम्म ....बेटी .....अह्ह्ह्ह्ह .....रितु ...मेरी जान ...मेरी प्यारी ... बेटी ....अह्ह्ह्ह .... चूस .....अह्ह्ह्ह ...हाँ ऐसे ......ही .....अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ....उम्म्म्म ....''
रितु ने एक हाथ से गिरधर का लंड पकड़ा हुआ था और उसे चूस रही थी और दुसरे से वो उसकी बाल्स को रगड़ रही थी ..
रितु को ऐसे चूसते हुए देखकर पहले तो गिरधर थोडा हेरान हुआ की इतना बढ़िया लंड चूसना उसने आखिर सीखा कहाँ से ..पर फिर मजे लेने के लिए वो बात एक ही पल में भूल गया ..
पर वो बेचारा क्या जानता था की पंडित जी की कृपा से वो लंड चूसना तो क्या चुदाई करवाना भी सीख चुकी है .
गिरधर ने अपना पूरा शरीर खिड़की से सटा दिया था ...पर फिर भी बीच में सरिया होने की वजह से वो अपना पूरा बम्बू उसके मुंह में नहीं धकेल पा रहा था ..वो बेचारा तो किसी असहाय कैदी की तरह सलाखें पकड़ कर अपना मुंह ऊपर किये ठंडी सिसकियाँ मार रहा था .
अचानक रितु ने अपना दूसरा हाथ, जिसमे उसने अपने पापा की बाल्स को पकड़ा हुआ था, उसे नीचे से लेजाकर गिरधर की गांड के छेद पर लगा दिया ..और अपनी बीच वाली ऊँगली वहां डाल दी ..
गिरधर, जो अभी तक हवा में उड़ रहा था, गांड में ऊँगली का स्पर्श पाते ही सीधा स्वर्ग में पहुँच गया ...और उसने किसी जाल में फंसे हुए कबूतर की तरह से फड़फडाते हुए अपने लंड से गाड़ा और सफ़ेद रस निकाल कर अपनी बेटी के मुंह में दान कर दिया ..
''अग्ग्ग्घ्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......अह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म्म .....अह्ह्ह्ह्ह ......गया ....आया ...मैं तो आया ......अह्ह्ह्ह .''
वो सारा रस वो किसी कुशल रंडी की तरह से पी गयी ...कुछ उसके होंठों से छलक कर बाहर भी आया और उसके गले और ब्रेस्ट को छूता हुआ नीचे जा गिरा ..वो तब तक गिरधर के लंड को चूसती रही जब तक खुद गिरधर ने उसे धक्का देकर पीछे नहीं किया ..
उसने हाँफते हुए रितु के चेहरे को देखा ...वो किसी प्यासी चुडेल की तरह दिखाई दे रही थी ...जिसे बहुत प्यास थी ...सेक्स की ...लंड की ...वीर्य की ..
उसके बिखरे हुए बाल, गहरी और लाल आँखे , फड़कते हुए होंठ , उनपर लगा हुआ गाडा रस, देखकर गिरधर के तो जैसे होश उड़ गए ...वो सोचने लगा की लंड चुसाई में ही ये इतनी उत्तेजना के साथ उसका साथ दे रही है तो चुदाई के समय तो उसकी बेटी उसे कच्चा ही खा जायेगी ..
पर अभी तो कच्चा खाने का टाइम उसका था ..और वो भी रितु की चूत को .
उसने रितु को उठने का इशारा किया ..और खुद नीचे झुक गया ..उसकी चूत के सामने ..और अन्दर हाथ डालकर उसने रितु की पेंटी को निकाल दिया ..उसकी कच्छी इतनी गीली थी जैसे अभी पानी से निकाली हो ..उसमे फंसा हुआ रस गिरधर ने अपने लंड पर निचोड़ लिया और अपने लंड को रितु की चूत के रस से नहलाकर मसल दिया ..
रितु की चूत टप -2 कर रही थी ..जिसे रोकना बहुत जरुरी था ..गिरधर ने उसकी डबल रोटी पर हाथ रखा और उसे जोर से भींच दिया ..
वो जोर से चीख ही पड़ी ..''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....पापा .......उम्म्म्म्म ....धीरे .....अह्ह्ह्ह ...''
गिरधर को एक पल के लिए तो लगा की कहीं उसकी आवाज सुनकर माधवी जाग न जाए ..इसलिए उसने रितु की चूत को छोड़ दिया ..और दूसरी तरफ मुंह करके देखने लगा की कहीं माधवी के पैरों की आहट तो नहीं आ रही ..
और इसी बीच रितु जो किसी मछली की तरह से मचल रही थी, उसने अपने पापा का हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर फिर से दबा दिया ..और खुद ही उनके हाथ की बीच वाली ऊँगली को अपनी मानसून में भीगी चूत के अन्दर धकेल दिया ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह ......पापा ...''
आज उसके पापा का कोई अंग पहली बार उसकी चूत में गया था ..वो सोचने लगी की अगर ऊँगली के जाने से इतना मजा आ रहा है तो इनका लंड लेने में कितना मजा आएगा ..
गिरधर का भी अब पूरा ध्यान वापिस अपनी बेटी की सेवा करने पर आ गया ..वो अपनी ऊँगली से उसकी चूत की मालिश करने लगा ..और बीच में आ रही क्लिट को भी मसलने लगा ..
रितु अपना पूरा शरीर हवा में लहरा कर मजा ले रही थी ..जैसे वो कोई पतंग और उसके पापा के हाथ में उसकी डोर ..
रितु की रसीली चूत में उँगलियाँ डालते हुए गिरधर के मन में उसे चूसने का भी ख़याल आया ..उसने रितु को खिड़की पर चड़ने के लिए कहा ..वो खिड़की जमीन से तीन फुट के बाद शुरू हो रही थी और ऊपर पांच फुट की ऊँचाई तक जा रही थी ..रितु ने सरियों को पकड़ा और ऊपर चढ़ गयी, और अपना चूत वाला हिस्सा आगे करके खिड़की से सटा दिया ..अब उसकी चूत की फूली हुई गोलाई सरियों के बीचों बीच थी ..जिसपर गिरधर ने जैसे ही अपनी जीभ रखी , रितु ने ऊपर मुंह करके सियार की भाँती एक लम्बी और दूर तक गूंजने वाली सिसकारी मारी ...
''स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्मम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म ''
गिरधर ने अपनी लम्बी और खुरदुरी जीभ बाहर निकाली और रितु की चिकनी चूत को नीचे से लेकर ऊपर तक चाटने लगा ..जैसे कोई दूध वाली कुल्फी हो जिसमे से दूध बह कर नीचे न गिर जाए .
दो चार बार चूसने के बाद गिरधर ने रितु की गांड पर अपने हाथ रखे और उसे और जोर से अपने मुंह की तरफ दबा लिया ..और एक लज्जतदार झटके के साथ अपनी बिना हड्डी वाली जीभ उसकी मक्खन जैसी चूत में उतार दी ..
अब तो उत्तेजना के मारे रितु में मुंह से कुछ निकल ही नहीं रहा था ...बस खुले होंठों से गर्म साँसे और साथ में गीली लार ...जो सीधा उसके पापा के मुंह पर गिर रही थी ..
गिरधर ने रितु की चूत को अपनी जीभ से किसी लंड की तरह चोदना शुरू कर दिया ..रितु ने दोनों हाथों से सरिया पकड़ा हुआ था और अपनी चूत को हर झटके से आगे पीछे कर रही थी ..और अंत में जैसे ही उसे लगा की वो झडने वाली है, उसने अपना एक हाथ नीचे किया और अपने बाप के बाल पकड़ कर अपनी चूत पर जोरों से मारने लगी ..
और बड़बड़ाने लगी ...
''आह्ह्ह्ह्ह्ह ....और तेज .....और अन्दर .....अह्ह्ह ..हां न…। उम्म्म्म .....येस्स ....एस ..पापा .....और अन्दर घुसेड़ो ...अह्ह्ह्ह्ह ....अपनी जीभ से मुझे चोदो .....अह्ह्ह ...ओह पापा ......मेरे प्यारे पापा ..... उम्म्म्म्म्म .......... मजा आ रहा है ...यहाँ और चुसो ....हां न…. यहीं पर ....ओह्ह्ह्ह ...येस्स ...पापा ...उम्म्म्म ...अह्ह्ह्ह .....मैं तो गयी .....अह्ह्ह्ह ....आई एम् कमिंग पापा .....''
और गिरधर के मुंह पर उसने अपनी चूत के रस की पिचकारियाँ निकालनी शुरू कर दी ...और वो भी ऐसे जैसे वो मूत रही हो ...इतना तेज प्रेशर था उसके झड़ने का ..उसने अपना सारा रस तोहफे के रूप में गिरधर को दे दिया .
गिरधर तो धन्य हो गया अपनी बेटी से ऐसा उपहार पाकर ..
रितु भी बोझिल आँखों से नीचे उतरी और आगे झुककर अपने पापा के होंठों को चूम लिया और धीरे से बोली .
''हैप्पी फ़ादर्स डे पापा ''
|
|
|