RE: Porn Kahani हलवाई की दो बीवियाँ और नौकर
रजनी के जाने के बाद सोनू उस कमरा में ऐसा महसूस हो रहा था, जैसे वो किसी क़ैद खाने में बैठा हो और अभी बाहर से कुछ लोग आयेंगे और उसकी पिटाई शुरू हो जाएगी।
एक अजीब सा सन्नाटा उस कमरा में फैला हुआ था.. तभी कमरे के बाहर से कुछ क़दमों की आहट हुई।
जिससे सुन कर सोनू के हाथ-पैर काँपने लगे.. लेकिन तभी रजनी कमरे में दाखिल हुई, उसके चेहरे से ऐसा लग रहा था.. जैसे उसको कोई फर्क ना पड़ा हो।
सोनू (हकलाते हुए)- क्या.. क्या हुआ मालकिन?
रजनी (एकदम से सीरियस होकर बिस्तर पर बैठते हुए)- सोनू अब सब तुम्हारे हाथ में है.. अगर तुम चाहो तो ये बात माँ किसी को नहीं कहेगी।
सोनू- मैं.. पर कैसे मालकिन?
रजनी- तू एक काम कर.. यहाँ पर बैठ… माँ थोड़ी देर में आ रही हैं। वो तुझ से जो भी कहें कर लेना.. मना मत करना अब सब तुम्हारे हाथ में ही है।
यह कह कर रजनी बिना सोनू से आँख मिलाए कमरे से बाहर निकल गई, एक बार फिर से वो जान निकाल देने वाला सन्नाटा कमरा में छा गया।
सोनू को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या करे।
रजनी जब सीड़ियाँ नीचे उतर रही थी, तब जया उसे सीड़ियों पर मिली।
दोनों ने एक-दूसरे की तरफ देखा और फिर दोनों के होंठों पर वासना से भरी मुस्कान फ़ैल गई।
‘ध्यान से माँ.. छोरे का लण्ड बहुत तगड़ा है।’ रजनी ने जया के पास से गुज़रते हुए कहा।
रजनी की बात सुन कर जया सीड़ियों पर खड़ी हो गई।
‘तो मैं कौन सा पहला लण्ड चूत में लेने वाली हूँ।’
रजनी ने पीछे मुड़ कर जया की तरफ देखा और एक बार फिर दोनों के होंठों पर मुस्कान फ़ैल गई, फिर रजनी नीचे की ओर चली गई।
उधर कमरे में बैठा, सोनू अपनी किस्मत को कोस रहा था कि आख़िर वो रजनी के साथ यहाँ क्यों आया।
एक बार फिर से कमरे के बाहर से आ रही क़दमों की आहट सुन कर सोनू के रोंगटे खड़े हो गए।
वो जानता था कि अन्दर कौन आने वाला है और वो बिस्तर से खड़ा हो गया।
जैसे ही जया उसके कमरा में आई तो उसने अपने सर को झुका लिया।
जया ने एक बार सर झुकाए खड़े सोनू की तरफ देखा, फिर पलट कर दरवाजे को बंद कर दिया।
जया ने अपने ऊपर शाल ओढ़ रखी थी।
दरवाजा बंद होने की आवाज़ सुन कर सोनू एकदम से चौंक गया..
उसे समझ में नहीं आया कि आख़िर जया ने दरवाजा किस लिए बंद किया है..
दरवाजा बंद करने के बाद जया ने अपनी शाल उतार कर टाँग दी और सोनू की तरफ देखते हुए, बिस्तर के पास जाकर खड़ी हो गई।
अब जया सिर्फ़ नीले रंग के ब्लाउज और पेटीकोट में थी, उसकी कमर पर चाँदी का कमरबंद बँधा हुआ था।
जया का पेट हल्का सा बाहर निकला हुआ था और उसका रंग रजनी के गेहुँआ रंग के उलट एकदम गोरा था..
उसका पेटीकोट नाभि से 3 इंच नीचे बँधा हुआ था और पेटीकोट के इजारबन्द के ऊपर वो कमर बन्द तो मानो जैसे कहर ढा रहा हो।
सोनू ने तिरछी नज़रों से जया की तरफ देखा, जो उसकी तरफ देख कर मंद-मंद मुस्करा रही थी।
अपने सामने खड़ी जया का ये रूप देख उससे यकीन नहीं हो रहा था।
उससे देखते ही, सोनू का मन मचल उठा.. पर कुछ करने या कहने के हिम्मत कहाँ बाकी थी..वो तो किसी मुजरिम की तरह उसके सामने खड़ा था।
‘ओए छोरे इधर आ..’ जया ने बिस्तर पर बैठते हुए कहा।
सोनू ने एकदम से चौंकते हुए कहा- जी क्या..?
जया- जी.. जी.. क्या लगा रखा है, इधर आकर खड़ा हो…ठीक मेरे सामने।
सोनू बिना कुछ बोले जया के सामने बिस्तर के पास जाकर खड़ा हो गया। अब भले ही वो सर झुका कर खड़ा था, पर नीले रंग के ब्लाउज में से जया की झाँकती
चूचियों का दीदार उसे साफ़ हो रहा था, क्योंकि जया उसके सामने बिस्तर पर बैठी हुई थी।
‘क्या कर रहा था..तू मेरे बेटी के साथ?’ जया ने कड़क आवाज़ में सोनू से पूछा, जिसे सुनते ही सोनू की गाण्ड फटने को आ गई.. पर वो बिना कुछ बोले खड़ा रहा।
‘सुना नहीं.. क्या पूछा मैंने?’
इस बार सोनू के लिए चुप रहना नामुनकिन था।
‘वो मैं नहीं.. मालकिन कर रही थीं..’ सोनू ने जया की तरफ देखते हुए कहा।
‘अच्छा तो तेरे मतलब सब ग़लती मेरी छोरी की है.. इधर आ..’
जया ने सोनू का हाथ पकड़ कर उसे और पास खींच लिया..
सोनू अवाक सा उसकी ओर देख रहा था..
इससे पहले कि उसे कुछ समझ आता, जया ने उसके मुरझाए हुए लण्ड को पजामे के ऊपर से पकड़ लिया और ज़ोर से मसल दिया।
‘आह दर्द हो रहा.. मालकिन ओह्ह..’
सोनू ने जया का हाथ हटाने की कोशिश करते हुए कहा।
जया ने सोनू की तरफ वासना से भरी नज़रों से देखते हुए कहा- क्यों रे, अब तो ये ऐसे मुरझा गया है…जैसे इसमें जान ही ना हो…पहले कैसे इतना कड़क खड़ा था.. साले.. मेरी जवान बेटी पर ग़लत नज़र रखता है।
ये कहते हुए जया ने उसके लण्ड को थोड़ा और ज़ोर से मसल दिया।
सोनू की तो जैसे जान ही निकल गई, उसके चेहरे से साफ़ पता चल रहा था कि वो कितने दर्द में है।
उसके चेहरे को देख कर जया को अंदाज़ा हुआ कि उसने कुछ ज्यादा ही ज़ोर से उसके लण्ड को मसल दिया।
जया ने उसके लण्ड को छोड़ दिया, फिर उसके लण्ड को हथेली से रगड़ने लगी..
सोनू को जैसे लकवा मार गया हो। वो बुत की तरह जया को देख रहा था, जो उसकी तरफ देखते हुए, एक हाथ से अपनी चूची को ब्लाउज के ऊपर से मसल रही थी और दूसरे हाथ से सोनू के लण्ड को सहला रही थी।
रजनी- क्यों रे मेरे बेटी को खूब चोदता है.. एक बार मुझे भी चोद कर देख। साली उस छिनाल से ज्यादा मज़ा दूँगी।
ये कह कर उसने एक झटके से सोनू के पजामे का नाड़ा खोल दिया।
इससे पहले कि घबराए हुए सोनू को कुछ समझ आता.. उसका पजामा उसके घुटनों तक आ चुका था और उसका अधखड़ा लण्ड जया के हाथ की मुठ्ठी में था।
‘ये… ये आप क्या रही हैं मालकिन… ओह्ह नहीं मालकिन आ आहह..’
जया ने उसके लण्ड के सुपारे पर चमड़ी पीछे सरका दी और गुलाबी सुपारे जो कि किसी छोटे सेब जितना मोटा था, उसे देख जया कर आँखों में वासना छा गई..
उसकी चूत की फांकें फड़फने लगीं और चूत ने कामरस की बूंदे बहाना शुरू कर दिया।
क्योंकि अब सोनू का लण्ड अपनी असली विकराल रूप में आना चालू हो गया था, जया ने अपने अंगूठे के नाख़ून से सोनू के लण्ड के सुपारे के चारों तरफ कुरेदा..
तो सोनू की मस्ती भरी ‘आहह’ निकल गई और अगले ही पल उसे अपने लण्ड का सुपारा किसी गरम और गीली जगह में जाता हुआ महसूस हुआ।
उससे ऐसा लगा जैसे किसी नरम और रसीली अंग ने उसके लण्ड के सुपारे को चारों तरफ से कस लिया हो..
जब सोनू ने अपनी मस्ती से भरी आँखों को खोल कर नीचे देखा।
तो जो हो रहा था, उसे अपनी आँखों पर यकीन नहीं हुआ।
जया ने एक हाथ से उसके लण्ड को मुठ्ठी में पकड़ रखा था.. उसके लण्ड का सुपारा जया के होंठों के अन्दर था और दूसरे हाथ से जया अपनी चूची को मसल रही थी।
ये नज़ारा देख सोनू एकदम से हैरान था, जया ने उसके लण्ड के सुपारे को चूसते हुए.. ऊपर सोनू की तरफ देखा.. दोनों की नज़रें आपस में जा मिलीं।
जैसे कह रही हों, ‘मेरी बेटी को जैसे चोदता है.. आज मेरी चूत की प्यास भी बुझा दे।’
सोनू का लण्ड अपनी पूरी औकात पर आ चुका था।
जिससे हाथ की मुठ्ठी में जया ने सोनू के लण्ड को भर रखा था, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि इस उम्र के छोरे का लण्ड भी इतना बड़ा हो सकता है।
|