Porn Kahani हलवाई की दो बीवियाँ और नौकर
08-23-2019, 01:34 PM,
#92
RE: Porn Kahani हलवाई की दो बीवियाँ और नौकर
जैसे ही बेला ने अपने दूसरे कपड़े पहने.. बाहर दरवाजे पर दस्तक हुई। जब बेला ने जाकर दरवाजा खोला तो बिंदिया सामने खड़ी थी। बिंदिया को देखते ही.. उसने अपने सर को झुका लिया। वो बिंदिया से नज़रें नहीं मिला पा रही थी।

अब हम सीमा के मायके का रुख़ करते हैं। यहाँ पर सीमा दीपा और सोनू के साथ अपने मायके के घर पहुँच चुकी है।
उसी शहर में सोनू के माँ-बाबा का घर भी था। जैसे ही सोनू उस शहर में पहुँचा तो वो सीमा से इजाज़त माँग कर अपने घर अपने माँ-बाबा को मिलने के लिए चला गया।

दूसरी तरफ सेठ के घर में रजनी आज रात का बेसब्री से इंतजार कर रही थी कि कब रात हो और सेठ घर पर आए और वो उसके साथ हम-बिस्तर हो।
जिससे उसके पेट में पल रहे सोनू के अंश को वो सेठ का कह कर बेरोकटोक इस दुनिया में ला सके। आज रजनी को फिर से सब कुछ अपनी मुट्ठी में आता नज़र आ रहा था।

आख़िर अब फिर से उसके वश में हो सकता था.. सेठ तो अपने घर के वारिस के लिए कहाँ-कहाँ नहीं भटका था। अगर रजनी इस बात को साबित कर देती है कि उसके पेट में सेठ का वारिस पल रहा है, तो सेठ भी उसकी मुठ्ठी में आ जाएगा।


रात ढल चुकी थी, आज रजनी कुछ ज्यादा ही सजी-संवरी थी… नीले रंग की साड़ी और मैचिंग के ब्लाउज में वो किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी और रजनी ने जब से सोनू के लण्ड का स्वाद चखा था, तब से उसका बदन और भर गया था और वो पहले से भी ज्यादा कयामत लगने लगी थी।

जब सेठ घर वापिस आया तो रजनी का ये रूप देख कर सेठ भी हिल गया।
आज कई महीनों बाद उसने अपनी पत्नी रजनी को ध्यान से देखा था और रजनी आज खुद भी सेठ को अपने मस्त अदाएं दिखाते हुए अपने मखमली बदन के दर्शन करवा रही थी। रजनी के मस्त कर देने वाली अदाओं का जादू सेठ के सर पर चढ़ कर बोलने लगा। रजनी ने सेठ के लिए खाना लगाया और सेठ खाना खाने लगा।

खाना परोसते वक़्त वो सेठ को कुछ ज्यादा ही झुक कर अपने पहले से और ज्यादा और भर चुकी चूचियों के दर्शन करवा रही थी… जिससे देख कर सेठ की धोती के अन्दर हलचल होने लगी।
सेठ- क्या बात है रजनी.. आज तो तुम कयामत ढा रही हो.. कहीं मेरा कत्ल करने का इरादा तो नहीं है..।

रजनी- क्या आप भी ना… मैं भला ऐसा कर सकती हूँ..?
सेठ ने खाना खा कर उठते हुए कहा- मुझे आज लग तो कुछ ऐसा ही रहा है..।

रजनी- तो फिर यही समझ लीजिए.. आप हाथ धो कर अपने कमरे में चलिए… आज आपका कत्ल वहीं करूँगी।

रजनी ने एक बार सेठ की तरफ मुस्कुरा कर देखा और फिर बर्तन उठा कर रसोई की तरफ जाने लगी। रजनी जानबूझ कर आज अपनी गाण्ड को कुछ ज्यादा ही मटका कर चल रही थी और रजनी के भारी चूतड़ों को देख कर सेठ की हालत खराब होती जा रही थी। सेठ ने जल्दी से हाथ धोए और अपने कमरे में चला गया।
रजनी ने घर का बाकी का काम निपटाया और सेठ के कमरे में चली गई।

जब रजनी सेठ के कमरे में पहुँची, तो उसने अपनी साड़ी उतार दी.. सेठ रजनी के बदन को सिर्फ़ ब्लाउज और पेटीकोट में देख कर पागल हो उठा। उसका लण्ड उसकी धोती में एकदम से तन गया… उसने पलंग पर से उठते हुए.. रजनी को अपनी बाँहों में भर लिया। उस रात ना चाहते हुए भी रजनी को अपनी चूत में सेठ के लण्ड को लेना पड़ा.. जिससे वो सिर्फ़ तड़फ कर रह गई.. पर अपने पेट में पल रहे सोनू के बीज को सेठ का नाम देने के लिए ये करना बहुत ज़रूरी था।

दूसरी तरफ बेला रघु से चुदाने के बाद.. अपनी नजरें रघु से नहीं मिला पा रही थी, पर रघु जैसे जवान मर्द के लण्ड का स्वाद पाकर उसकी चूत में तब से खुजली मची हुई थी। बिंदिया रघु के बगल में लेटी हुई थी और वो गहरी नींद में सो रही थी।

बेला बार-बार अपना सर उठा कर रघु की तरफ देखती… पर रघु भी आँखें बंद किए हुए लेटा हुआ था और बेला की चूत का बुरा हाल हो रहा था। आख़िर थक कर बेला भी सोने की कोशिश करने लगी। सुबह जब बेला की आँख खुली.. तो 6 बज रहे थे। गाँव में सभी लोग सुबह जल्दी उठ जाते हैं और बिंदिया पड़ोस की भाभी के साथ शौच के लिए खेतों में जा चुकी थी।

जैसे ही बेला नींद से जागी.. तो उसने कमरे में रघु को अकेला पाया। वो उठ कर बाहर गई और फिर ये सोच करके बिंदिया खेतों में चली गई है.. उसने दरवाजा बन्द किया और फिर से कमरे में आ गई। जैसे ही वो कमरे में दाखिल हुई.. तो उसने देखा रघु भी उठ गया था।
उसका लण्ड सुबह-सुबह उसकी धोती के आगे से उठा हुआ था। ये देख कर बेला ने अपनी नजरें झुका लीं और अपने बिस्तर की तरफ जाने लगी।

रघु- बिंदिया कहाँ गई…?

बेला- खेत में..

रघु बेला के बात सुन कर लपक कर खड़ा हो गया और बेला के पास जाकर बिस्तर पर बैठ गया…। बेला पर बिस्तर पर लेटी हुई.. रघु को सवालिया नज़रों से देख रही थी।

रघु अपनी धोती के ऊपर से अपने लण्ड को मसलते हुए, अपने होंठों को बेला के होंठों की तरफ बढ़ाने लगा। बदले में बेला ने अपनी आँखें बंद करके.. अपनी मूक सहमति रघु को जता दी।

रघु बेला के ऊपर झुक गया और उसकी दोनों चूचियों को उसके ब्लाउज के ऊपर से मसलते हुए.. उसके होंठों को चूसने लगा। बेला ने भी मस्त होकर अपने बाँहों को रघु के गले में डाल दिया।

रघु बेला के ऊपर आ गया, रघु के ऊपर आते ही.. बेला ने अपने पेटीकोट को पकड़ कर अपनी कमर तक उठा लिया और अपनी टाँगों को फैला कर रघु के कमर के इर्द-गिर्द कस लिया।
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