Porn Sex Kahani पापी परिवार
10-01-2018, 03:44 PM,
#81
RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
जीत एक्सपीरियेन्स्ड मॅन था ..जानता था कि एक बार चूत या गांद की दमदार चुदाई हो जाने के बात औरत खुद मचलने लगी है अगली थुकायी के लिए ..फिर तनवी कैसे से बच पाती

" नही कहूँगी ..प्रॉमिस ..देखो टब कब से फुल हो गया ..और आप बेवजह मुझे खड़े रखे हुए हैं "

तनवी के कहने पर जीत का ध्यान टब पर गया जिसमे से पानी बह कर फ्लोर गीला कर रहा था

" सॉरी सॉरी ..वो तुझे बातों मे लगाने के च्चकर मे ..मैं खुद भी खो गया था "

जीत ने खड़े हो कर कहा और तनवी को सहारा दे कर तब के नज़दीक आ गया

" अब क्या विचार है ..नहलाओगे क्या मुझे ? "

सवालिया तरीके से तनवी ने पूछा

" हां नहलाउन्गा और तेरी गांद के छेद की सिकाई भी करूँगा ..ताकि पेन ख़तम हो जाए "

जीत बाथ टब मे लेट ते हुए बोला ..साथ ही तनवी भी 69 की पोज़िशन बना कर टब मे उतर गयी ....

जीत ने अपना सर टब की ऊपरी सतह पर टिका रखा था और हाथो से चूतड़ो की दरार खोल कर हल्के गरम पानी के छिंट छेद पर मारने लगा

" आईईईईईईई !!!!!! डॅड ....... दुख़्ता है "

तनवी सिसक कर बोली ..पर जीत ने उसकी बात को अनसुना कर अपनी उंगली से छेद के ऊपरी भाग की मालिश करने लगा ..भीषण चुदाई से छेद पर सूजन आ गयी थी और वो पहले से ज़्यादा खुल चुका था ..राउंड शेप मे अपनी उंगली से मसाज करते टाइम जीत तनवी की सेवा मे खो सा गया था और थोड़ी देर की घिसाई के बाद शूखा वीर्य लिसलिसे पदार्थ मे तब्दील होने लगा

" टेन्षन लेने की कोई बात नही अब सब ठीक है "

जीत ने इतना कह कर अपने मूँह मे गरम पानी भरा और एक पिचकारी सी छ्चोड़ते हुए छेद की सफाई करने मे जुट गया ..लेकिन तनवी लगातार अपने चूतड़ो को मटकाए जा रही थी जिस वजह जीत की उंगली कयि बार छेद के अंदर ठोकर देने लगती

" डॅड ..नाउ आइ'म रिलॅक्स्ड ..अब डिन्नर कर लेते हैं "

तनवी से कंट्रोल करना मुश्क़िल होने लगा तो उसने झूट बोल कर टब से बाहर निकलना चाहा लेकिन जीत ने अपने हाथो की पकड़ उसके मुलायम चूतड़ो पर कस दी और अपना चेहरा दरार मे फिट कर लिया

गंदगी निकल जाने से छेद की खूबसूरती बढ़ गयी थी ..जीत ने अपनी नाक छेद से लगा कर उसे सूँघा तो पानी के अंदर उसके लंड ने हरकत मे आना शुरू कर दिया

" एक बात कहूँ तनवी ? "

जीत ने देखा छेद वापस सिकुड़ने लगा है ..सुगंध की खुमारी मे मदहोश हो कर जीत ने अपने होंठ आगे बढ़ा कर छेद पर डीप किस लेने शुरू कर दिए

" डॅड !!!!!!!!! .......कहिए "

तरराय आवाज़ मे तनवी ने जवाब दिया ..वो अब मस्त थी

" निकुंज तुझे पसंद तो है ना ? "

बोलने के तुरंत बाद जीत फिर से छेद चूमने लगा ..तनवी के पेन ख़तम होने का पता उसकी बहती चूत देख कर चल गया

" ज ..जी पता नही "

तनवी ने अपने निपल मरोडते हुए कहा ..उसकी आवाज़ मे होता कंम्पण सूचक था कि वो अब गरम होने लगी थी

" फिर भी तूने कुछ तो सोच कर शादी का फ़ैसला किया होगा "

जीत ने चूत से टपकती बूँद को अपनी खुरदूरी जीभ से चाट ते हुए कहा ..बाद मे कयि बार नीचे से ऊपर जीभ घुमाते हुए वो पूरी दरार चाटने भिड़ गया

" इसी शहेर मे रहूंगी ..आप के पास ..और फिर दीप अंकल आप के दोस्त भी तो हैं "

तनवी ने जीत का लंड टटोल कर देखा जो पानी के काफ़ी अंदर था ..वो सकिंग तो नही कर सकती थी पर अपना हाथ पानी मे डाल कर लंड हिलाने लगी

" और कोई ख़ास वजह तो नही है ना "

अब जीत पूरी तत्परता और तेज़ी के साथ छेद पर अपनी जीब के नुकीले वार करने लगा ..चूत के दाने को अपनी उंगलियों से भीच कर वो तनवी को आह भरने पर मजबूर कर देता ..वहीं पानी के अंदर तनवी का हाथ काफ़ी स्पीड से लंड मुठिया रहा था ..कुछ ही पॅलो मे जीत तनवी के हाथो हार गया और लंड से वीर्य की पिचकारी छूटने लगी ..स्पर्म के रेशे पानी मे तैर कर ऊपर आ गये ..फिर तनवी भी ज़्यादा देर एग्ज़ाइट्मेंट सहेन नही कर पाई और जीत की जीभ चूत पर पड़ते ही उसका 3र्ड ऑर्गॅज़म हो गया ..जीत झड़ती चूत पर होंठ लगा कर रस खीचने लगा और दोनो हंपियाँ लेते हुए सुस्त पड़ गये

" नही डॅड ऐसी कोई ख़ास वजह नही "

तनवी अब रिलॅक्स हो कर पेन से बाहर आ गयी थी और टब से निकल कर दोनो ने थोड़ी देर शवर का मज़ा लिया ..फिर डिन्नर कर के एक दूसरे की बाहों मे ही सो गये....
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10-03-2018, 03:16 PM,
#82
RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
पापी परिवार--26

" चेंज मैं खुद कर लूँगी "

निक्की ने अपना चेहरा झुका कर कहा ..ऑर्गॅज़म के बाद उसकी पैंटी लोवर पूरी तरह से गीले थे और यहाँ उसे कम्मो से ख़तरा हो जाता

" पागल तू अपनी नी मोड़ नही सकती ..चेंज क्या खाक करेगी "

उस वक़्त शायद निकुंज के जहेन से ऑर्गॅज़म वाली बात चली गयी ..तभी उसे निक्की का इशारा समझ नही आया

" भाई मैं कर लूँगी आप जाओ ..लेकिन गेट बाहर से लॉक कर देना मैं तो उठ नही पाउन्गि "

निक्की ने उसे फिर से समझाया

" निक्की मैं कह रहा हूँ ना मोम से चेंज करवा लेना ..तेरे घुटने मे दर्द होगा बेटा "

थोड़ी नाराज़गी और थोड़े प्यार ने निक्की को मजबूर कर दिया कि वो असलियत से अपने भाई को रूबरू करवाए ..इस वक़्त उसका अनुमान सही बैठा कि निकुंज बीती बात भूल चुका है

" भाई मेरे यहाँ ..आप जाओ मैं कर लूँगी "

बेहद धीमी आवाज़ मे उसने शरमाते हुए उंगली का इशारा अपनी टाँगो की जड़ पर किया ..निकुंज के लिए तो ये किसी आटम बॉम्ब फटने जैसा था और उसने तुरंत अपनी नज़रे बहेन की टाँगो की जड़ से दूर कर ली

" ओके ..मैं जा रहा हूँ ..टेक केअर !!!!! "

अभी निकुंज दो कदम डोर भी नही जा पाया कि निक्की ने उसे वापस रोकने के लिए आवाज़ दी

" भाई वॉर्डरोब से मेरे नये कपड़े तो निकाल दो और एक शीट भी दे देना ..कवर करके चेंज कर लूँगी "

निक्की की बात सुन कर निकुंज ने वॉर्डरोब खोला और एक - एक कर सारे रॅक्स चेक करने लगा

" तेरे पास कोई कॅप्री नही है क्या ? "

बिना मुड़े निकुंज ने पूछा

निक्की :- " नही है ..कल दो लोवर लिए थे आप दूसरा वाला दे दो "

" कपड़ा रब होने से चोट ठीक होने मे डबल टाइम लगेगा ..तू रुक मैं अभी आया "

इतना बोल कर निकुंज दौड़ता हुआ रूम से बाहर निकल गया

बाहर आ कर उसी तेज़ी से सीढ़ियाँ चढ़ते हुए वो अपनी छोटी बहेन निम्मी के कमरे मे एंटर हुआ और उसके वॉर्डरोब से एक लाइट ब्लू फ्रोक ( अटॅच्ड टॉप ) उठा कर वापस निक्की के कमरे मे लौट आया

" ले ये ठीक रहेगा ..अब मैं चलता हूँ "

फ्रोक बेड पर फैंकते हुए निकुंज वापस जाने लगा

" भाई ये तो बहुत छोटी है ..आइ मीन मैं नही पहेन सकती इसे "

जल्दबाज़ी मे निकुंज ने फ्रोक चेक नही की थी और जैसे ही निक्की के कहने पर वो उसकी तरफ मुड़ा ..उसकी आँखें चौंधिया गयी ..फ्रोक वाकाई निम्मी के मतलब की ही थी

" म ..मैने इसकी लेंग्थ चेक नही की ..खेर तू पहेन ले ..रिलॅक्स ही तो करना है ..ओ हां !!!!! शीट भी देता हूँ "

टेबल पर रखी चादर उसने निक्की को थमा दी

" और अंदर पहेन्ने के लिए...... "

बोलते वक़्त निक्की की आधी बात उसके गले से बाहर नही निकल पाई ..उसका इशारा पैंटी से था

" कहाँ है ? "

निकुंज को तो झटके पर झटके लग रहे थे ..फिर भी उसने खुद को नॉर्मल बनाए रखते हुए पूछा

" बाथ रूम मे "

निकुंज बोझल कदमो से बाथ - रूम मे चला गया ..हॅंगर पर उसकी बहेन की 2 पॅंटीस सूख रही थी

" बस बहुत हुआ अब मैं इससे दूरियाँ बना लूँगा ..मुझे कुछ नही जानना ..क्यों कब कैसे क्या हुआ ..ये सब पाप है ..जान कर किया जाने वाला पाप "

निकुंज का मन अशांत तो था ही ..जाने क्यों अब उसके दिल मे टीस भी उठने लगी थी ..जो पिच्छले 20 - 22 सालो मे नही हुआ ..इन दो दिनो मे उसने कितना कुछ देख लिया था ..एक सीमा होती है ऐसे रिश्तो मे और उस सीमा को लाँघ कर सिर्फ़ वासना पूरी की जा सकती है वरण प्रेम के

निकुंज ने ऐसा सोच कर हॅंगर से एक सूखी पैंटी उतार ली ..इस वक़्त उसे ये भी ग्यान नही था कि पैंटी का रंग कौन सा है ..शायद पापी दिमाग़ पर उसके दिल का क़ब्ज़ा होने लगा था

" ये ले "

कोमल पैंटी को मरोड़ कर अपनी कठोर हथेली मे भीचते हुए निकुंज कमरे मे दाखिल हुआ ..झुका चेहरा ग्लानि भाव से विह्वल ..निक्की की हालत भी कुछ ठीक नही थी ..चादर से अपना ऊपरी जिस्म ढकते हुए फ्रोक उसने शीट के अंदर कर ली थी

" ये ले बेटा हल्दी वाला दूध "

अचानक से कम्मो ने कमरे मे प्रवेश किया ..जिससे दोनो भाई - बेहन और भी ज़्यादा घबरा गये ..भला हो निकुंज ने अपने हाथ मे पकड़ी पैंटी को हथेली मे काफ़ी हद्द तक छुपा रखा था वरना आज तो अच्छा ख़ास कलेश हो जाता ..वहीं निक्की की चादर से फ्रोक का अंश मात्र भी कम्मो को दिखाई नही पड़ा

" निकुंज ड्र. को फोन किया तूने ? "

कम्मो ने निक्की के सिराहने बैठते हुए पूछा ..इस वक़्त उसकी निगाहें अपनी बेटी के होश उड़े सफेद चेहरे पर जमी थी ..हलाकी कम्मो की नज़रो ( देखने ) मे उस वक़्त कोई शक़ नही था लेकिन निक्की तो जैसे मरने की हालत मे आ गयी थी

" नो मोम मैं सही हूँ ..आंटिबयाटिक यूज़ कर लूँगी ..चोट ज़्यादा नही लगी ..क्यों भाई ठीक कहा ना मैने ? "

निक्की ने बात निकुंज पर माढ़ते हुए कहा ..जिससे कम्मो का चेहरा निकुंज की तरफ मुड़ने लगा

" ह ..हां मोम ..ये सही कह रही है ..चोट ज़्यादा नही ..मैं आज ऑफीस नही जाउन्गा बस थोड़ी फाइल्स कंप्लीट करनी है ..अपने रूम मे हूँ ..कोई बात हो तो आवाज़ दे दीजिएगा "

हड़बड़ी मे निकुंज ने सारी बात कही और अपने शॉर्ट्स मे हाथ डाल कर पैंटी को पॉकेट मे छोड़ दिया

" ओके ..तेरे डॅड भी आने वाले होंगे ..ब्रेकफास्ट बना देती हूँ ..निक्की ये दूध पीले फिर निकुंज से पट्टी बँधवा लेना "

इतना कह कर कम्मो ने दूध वाला ग्लास निक्की के हाथ मे दे दिया और दोनो मा - बेटे कमरे से बाहर निकल गये ....

शिवानी को हॉस्टिल ड्रॉप करने के बाद दीप वापस अपने ऑफीस लौट आया ..रात भर से सोया नही था तो बेड पर गिरते ही उसे नींद ने अपने आगोश मे खीच लिया

लगभग 2 घंटे बाद पूरा गेस्ट रूम उसकी चीख से गूँज उठा ..शायद उसने कोई भयानक सपना देखा होगा

" नही - नही ये पासिबल नही ..मेरी दोनो बेटियाँ और मेरी बीवी इस तरह नंगी हो कर मुझे नही रिझा सकती ..आईईईईईईई ..निम्मी बाहर निकाल मेरा लंड अपने मूँह से "

सपने से बाहर निकल कर दीप अपने बाल नोचने लगा ..उसके पूरे चेहरे पर पसीना और वो बुरी तरह काँप रहा था

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10-03-2018, 03:16 PM,
#83
RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
[ सपना क्या था ये जान लेते हैं :-

एक रात दीप नशे मे घर लौटा तो घर की तीनो औरतें बड़े मादक अंदाज़ मे उसे घूर्ने लगी ..ये देख कर वो तेज़ी से अपने कमरे की तरफ दौड़ पड़ा ..जल्दी से पहने हुए कपड़े उतारे और जैसे ही न्यू बॉक्सर उठाया ..गेट खोल कर तीनो अप्सराएँ उसका ध्यान भंग करने के लिए रूम मे आ धमकी

कम्मो ट्रॅन्स्परेंट नाइटी मे ..निक्की ने बेहद शॉर्ट स्कर्ट आंड ब्लू थ्रेड ब्रा पहेन रखा था और ऐजुल निम्मी सिर्फ़ पैंटी मे आई थी

" बेटा तुम्हारे डॅड तक गये होंगे ..इनकी थकान उतारने मे मदद करो "

कम्मो का इशारा होते ही दीप की दोनो बेटियाँ बाज़ की तरह उस पर झपट पड़ी ..उसे बेड पर गिरा कर निक्की ने मजबूती से उसके हाथ को थाम लिया और निम्मी ने टाँगो का रुख़ करते हुए उसकी ब्रीफ नीचे खीच दी

" शब्बाश !!!!!!! ..ऐसे ही ..लगी रहो "

कम्मो दूर खड़ी तालियाँ बजाने लगी ..दीप ने कुछ देर तो अपने हाथ - पैर फटकारे लेकिन नशे मे डूबे होने की वहज से जल्दी ही सुस्त पड़ गया

" दी देख डॅड का लंड कितना बड़ा है ..इसे खड़ा कर दू ? "

निम्मी ने मूरजाए लंड को अपने हाथ की मुट्ठी मे दबोच कर कहा ..उसकी आँखों मे चमक थी और बड़ी नॉटी स्माइल दे कर हस रही थी ..ऐज नेचर उसने झिझकना तो कभी सीखा ही नही था

" पर ये खड़ा कैसे होगा निम्मी ? "

निक्की ने भोलेपन से अपनी छोटी बहेन निम्मी से पूछा ..यहाँ सपने मे भी दीप अपनी बड़ी बेटी का वही रूप देख रहा था जो हक़ीक़त मे है ..शरमाया ..भोला ..मासूम सा चेहरा ..अदाएँ भी बुझी - बुझी सी

" दी इसे चूस कर खड़ा करूँगी ..मोम चूस लू ना ? "

निम्मी ने अपनी आधी बात निक्की की तरफ और आधी कम्मो की तरफ देख कर कही ..जैसे अपनी मोम से लंड चूसने की इजाज़त माँग रही हो

" हां निम्मी ये आज मेरी दोनो बेटियों के लिए है ..जी भर के चूसो ..मज़े करो "

इतना कह कर कम्मो ने अपनी ट्रॅन्स्परेंट नाइटी उतार फेकि ..नाइटी के अंदर वो न्यूड थी और फिर अपने मोटे - मोटे गोल चूतड़ो को मतकाते हुए वो भी बेड पर आ कर बैठ गयी

" निक्की तू अपनी पैंटी उतार कर डॅड के मूँह पर बैठ जा और निम्मी तू इनका लंड चूसना शुरू कर ..आज मैं अपनी दोनो बेटियों को फूल से कली बनाउन्गि "

कम्मो ने निक्की को बेड पर खड़ा करते हुए कहा ..अपनी उंगलियों से पहले तो उसने वर्जिन चूत को थोड़ी देर सहलाया फिर झटके से पैंटी नीचे खीच दी

" मोम मुझे शरम आ रही है "

निक्की ने थोड़ा पीछे हट कर स्कर्ट नीचे खिसकाई और एक टक अपनी मा को देखने लगी ..इस वक़्त वो लाज से पानी - पानी थी ..खुद दीप भी निक्की के फेस पर शरमाहट के भाव देख रहा था

" अपने डॅड से कैसा शरमाना बेटी ..चल अब बैठ जा इनके मूँह पर ..चटवा दे अपनी कुँवारी चूत की फाँकें "

कम्मो निक्की का हाथ पकड़ कर उसे दीप के पास खीच लाई और उसकी दोनो टांगे अपने पति के चेहरे के आजू - बाजू से निकालते हुए निक्की को उसके मूँह पर बिठाने लगी ..डीप फटी आँखों से अपनी बड़ी बेटी के चूतड़ो को फैलते हुए देख रहा था ..धीरे - धीरे निक्की के घुटने मुड़ने लगे और उसकी कुँवारी चूत का फुलाव दीप के लिए क्लियर हो गया

" चल निम्मी डाल ले अपने डॅड का लंड मूँह मे और चूस जा इसका सारा अमृत "

कम्मो बड़ी बेसबर हो कर बोली ..यहाँ बड़ी बेटी के योवन ने दीप के कुशक होंठो को छुआ और दूसरी तरफ छोटी बेटी ने सुपाडे पर अपनी गीली खुरदूरी जीभ की रगड़ दे दी ..मस्ती मे दीप पागल सा हो गया और उसकी चीख से इस बुरे सपने का अंत ]

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" ये संभव नही ..हे भगवान मैं क्या करू ..बस दिन रात मुझे यही क्यों सूझता रहता है ..मेरी दोनो बेटी इतनी बड़ी छिनाल बनने वाली हैं ..फक !!!!!! ..कहीं ये शिवानी का श्राप तो नही"

दीप का लंड पॅंट मे फुल हिलोरे ले रहा था ..अपनी नज़र खड़े लौडे पर डाल कर दीप हैरान रह गया

" क्या सच मे ऐसा होगा ..नही - नही मैं ऐसा हरगिज़ नही होने दूँगा ..बेटीचोद का आरोप कभी नही लग सकता मुझ पर ..निम्मी के बारे मे कहना ज़रा मुश्क़िल है लेकिन निक्की ..बिल्कुल नही ..हरामजादि तनवी ..तेरी तो मैं मा चोद दूँगा ..तेरे रंग मे रंग कर ज़रूर ऐसा हो जाएगा ..पर मैं करूँ भी तो क्या ? "

बौखलाया दीप सोचने लगा कि होटेल मे कैसे तनवी और निकुंज हस - हस कर बातें कर रहे थे ..इससे ये तो तय था कि दोनो ने एक - दूसरे को पसंद कर लिया है पर दीप के दिमाग़ मे इतनी बात नही आ पा रही थी कि उस छिनाल को अपने घर मे आने से कैसे रोका जाए

" कोई और लड़की ढूँढनी पड़ेगी मुझे ..तनवी का जादू अपने बेटे के जहेन से मिटाना होगा ..लेकिन इतनी जल्दी कोई रिश्ता मिलेगा ..पता नही "

दीप ख़यालो की दुनिया मे खोने लगा ..आज तक उसने अपने बिज़्नेस के ज़रिए जीतने भी नये और स्ट्रॉंग रीलेशन'स बनाए थे ..एक एक कर हर चेहरा उसकी नज़रो के सामने आता लेकिन जिस चीज़ की उसे तलाश थी वो पूरी होना उसे असंभव सा जान पड़ा

आख़िर कार पिच्छले वक़्त से हट कर उसके जहेन मे बीती रात का ख़याल आया

" शिवानी !!!!!! "

तुरंत ही दीप ने अपना मोबाइल उठाया और बिहारी को कॉल करने लगा

" मादरचोद दल्ले फोन उठा "

2 - 3 बार फुल रिंग जाने पर जब कॉल पिक नही हुआ तो दीप के मूँह से गाली निकलना शुरू हो गयी

" एक लास्ट बार ट्राइ करता हूँ ..काश लड़की से ही उसका नंबर ले लिया होता "

उसने एक बार फिर से कॉल किया और इस बार बिहारी ने फोन उठा लिया

" हां सरकार कहिए ? "

बिहारी इस वक़्त नींद मे था और ये बात दीप के कान समझ गये

" मेरे ऑफीस आजा फटाफट ..कुछ ज़रूरी काम है "

दीप ने अपने बात ज़ारी रखते हुए कहा

" इस वक़्त !!!!! ..फोन पर ही बता दीजिए सरकार "

बिहारी ने जवाब दिया

" नही !!!!! ..काम मिलने के बाद ही पूरा होगा ..मैं तेरा इंतज़ार कर रहा हूँ ..30 मीं मे आ जा "

दीप चाहता तो फोन पर ही उससे शिवानी का नंबर. माँग लेता लेकिन थोड़ा अजीब लगता और इससे लड़की की ज़्यादा बदनामी हो सकती थी

" जी बंदा अभी हाज़िर होता है "

इतना सुन कर दीप ने कॉल कट कर दिया और बेड पर लेट कर अपने मन मे उठते तर्क - वितर्क पर विचार शुरू कर दिए

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10-03-2018, 03:16 PM,
#84
RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
" तनवी और शिवानी !!!!!! "

बड़ा अजीब संयोग कहा जाएगा की दोनो लड़कियाँ डीप के जहें मे अपनी च्चप छ्चोड़ चुकी थी ..मात्रा मॅन से नही अपितु उनके तंन से ..उनके त्रिया चरित्रा से भी

पहली मुलाक़ात मे ही डीप ने तनवी को बेहद बोल्ड या यूँ कहें ' बिना मजबूरी की वैश्या ' जाना ...किस तरह दोनो उसके बचपन के दोस्त जीत के ओपन कॅबिन मे आमने - सामने आए थे ..हलाकी शुरूवाती दौर चुंबन या ऊपरी शारीरिक च्छेद छ्छाद से स्टार्ट होना चाहिए लेकिन तनवी का ऐसा साहसिक कदम ( जो लड़कियों मे अक्सर डीप को पसंद आता है ) देख कर डीप हैरत वा सकते मे आ गया था ..पहली ही मुलाQअत मे जिस तरह तनवी ने उसे ब्लोवजोब का सुख दिया उसके एहसास से डीप के जहें मे सिर्फ़ एक ही ख़याल आया था ' वो दिन डोर नही जब ये लड़की बिस्तर पर मेरे नीचे होगी '

मॅन मे काई तरह की लालसाएँ लिए डीप तनवी को पाने के खातिर बैचाईन हो उठा और इसी पशोपेश के बीच जानम लिया निम्मी के सोचे - समझे नाटक ने

उसी दिन विचलित डीप ने घर लौट कर अपनी छोटी बेटी के दर्द का निवारण उसकी कुँवारी योनि और मांसल सिकुदे गुदा द्वार को चाट कर करना चाहा ..सग़ी बेटी के जिसम मे उसे रूह तो निम्मी की नज़र आई लेकिन बदन तनवी का ..अगर निम्मी वक़्त रहते खुद पर काबू नही करती तो उस दिन डीप आवश्या उससे यों संबंद स्थापित कर लेता

वहीं दूसरी तरफ डीप ने शिवानी के बारे मे सोचा ..तनवी की च्चव के आयेज तो ये लड़की आधी भी नही थी ..अपने खोए प्यार को पाने की लालसा के वशीभूत, एक रात की रंडी बन कर डीप के पास आई थी

अगर सच माने तो इस वक़्त डीप के अंतर्मन मे शिवानी के लिए अथाह प्रेम बरस रहा था ..ग्लानि भाव के साथ

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10-03-2018, 03:17 PM,
#85
RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
पापी परिवार--28

दीप के मन मे एक नयी लालसा ने जनम लिया ..अपनी टांगे फैलाते हुए वो कम्मो के बदन पर लेटने लगा और इसके तुरंत बाद ही उसने अपनी हथेलियो से उसकी दोनो चूचियाँ थाम ली ..उनका कॅडॅक्पन देखते ही बनता था ..नाज़ुक बलखाती कमर के ऊपर सजे भारी भरकम स्तन किसी नौपुन्सक का भी मन परिवर्तित करने को काफ़ी थे ..और जिग्यासावस उसने दोनो चूचियों को मसलना शुरू कर दिया

हल्की - हल्की मरोड़ पा कर कम्मो तलबगार होने लगी ..उसके ढीले शरीर पर नयी हलचल का संचार हुआ ..नीचे दीप का लंड अपनी मोटाई लिए चूत के संकीरान और बुरी तरह से चिपके अन्द्रुनि मार्ग पर और आगे जाने का रास्ता खोजने के प्रयास मे लगा हुआ था

" अब चाहो तो शुरू कर सकते हैं "

दीप ने देखा कम्मो अपने निचले होंठ को बेरहमी से दांतो मे भीच रही थी ..उसकी नाक के नथुये फूल कर तेज़ी से साँसे अंदर बाहर कर रहे थे ..दीप की बात का जवाब उसकी हरक़तों ने दे दिया और तभी वो प्रचंडता से उसकी योनि रोन्दने लगा

" उंह !!!! "

कम्मो की आवाज़ दब कर रह गयी ..दीप की खुरदूरी जीभ उसकी थोड़ी चाट ती हुई होंठो पर घूमने लगी ..कम्मो की हालत अब बिन पानी की मछली से ज़्यादा दूर नही बची ..तड़प महसूस कर उसने अपने हाथो से दीप का चेहरा थाम लिया और बेतहासा उसके मुख को चूमने लगी

" हां ..मैं प्यासी हूँ ..सदेव मन इस अवस्था का अभिलाषी रहा है ..मजबूरी वश हम अलग हुए ..नष्ट होना चाहती हूँ आप की मजबूत बाहों मे ..जी भर कर मेरा दुलार करो ..मैं आप के अंदर समा जाना चाहती हूँ "

कम्मो के मूँह से शब्दो का कारवाँ निकलने लगा ..निश्चित ही वो इस रोमांच को सह नही पा रही थी ..हर धक्का उसकी सांकरी योनि को चीरते हुए उसके गर्भाशय को भेदने लगा

घनी झान्टो की छिलन लंड की खाल पर होने से दीप को एक अलग तरह के आनंद का आभास हो रहा था ..बिना रुके उसने अपनी रफ़्तार शीघ्रता से बढ़ा ली ..हर झटके पर वो उसकी चूचियों को कठोरता से अपने हाथो मे कसता जाता ..जैसे किसी ऑटो का ' भोंपु ' बजा रहा हो

" ओह !!!! मैं आने मे हूँ "

अपने स्खलन के सीमाछेत्र को पार करते हुए कम्मो का बदन अकड़ने लगा ..धनुषकार होती हुई वो दीप से लिपट गयी ..अपने नुकीले निप्पलो को दीप की छाती पर इस तरह धसाया कि दीप की आह से पूरा कमरा गूँज उठा ..हलाकी इस वक़्त निम्मी के घर पर ना होने से उन्हे कोई चिंता नही थी ..लेकिन इस तरह से दोनो आपस मे कभी गुथे भी तो नही थे

" ह्म्‍म्म्ममम !!!!!!! "

मार्मिक सीत्कार भरते हुए कम्मो ने अपनी टांगे दीप के कूल्हों पर लपेट ली और इस नश्वर संसार की दोज़ख़् बाहरी ज़िंदगी से स्वर्ग के सुदूर भ्रमण पर निकल गयी ..आनंद और काम के सागर मे गहरे गोते लगाने लगी

दीप भी इस अदुतीय मिलन का साक्षी बनने वाला था ..वीर्यपात के काफ़ी नज़दीक ..हैरत भरी नज़रों से उसने अपने जहेन मे झाँका ..आज तो बरसो बाद वो इतनी जल्दी झड़ने को मजबूर हुआ था

" कैसे !!!!! "

अंतर मन ने उसे इसका उत्तर दिया ' आज से पत्नी विमुख होना छोड़ दे ..कितनी प्यासी है तेरी स्त्री ..हर सुख जो पराई औरतो को सौंपता आया है ..आज से नयी शुरूवात कर ..माफी ज़रूर मिलेगी ..पश्चाताप की अग्नि मे जलने की कोशिश तो कर '

दीप के मन मे उठी बातो का नजीता रहा ..उसके अंडकोष झुलस गये ..लावा लंड से बाहर निकलने की हठ करने लगा ..रुकना उसके बस से बाहर हो गया और अगले ही पल अपने वीर्य से बरसो बाद उसने कम्मो का गर्भाशय पूरी तरह से सींच दिया

ज़ोरदार आलिंगन लेते हुए दोनो एक दूसरे मे खुद को समाने लगे और रज से वीर्य का मिलन चूत से बह कर बिस्तर पर बिछि चादर को भिगोने लगा ....

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.जब कम्मो और दीप के कमरे मे तूफान आना शुरू हुआ तभी निक्की ने अपने गंदे कपड़े बदलने की शुरूवात की

हलाकी अभी वो कमरे मे अकेली है ..दरवाज़ा भी पूरा खुला हुआ पर निकुंज अपने कमरे मे जा चुका था ..ये जान कर उसने एक नज़र निम्मी की फ्रोक पर डाली

" पता नही भाई क्या सोच कर इसे लाए हैं ..कैसे पहनु ..कुछ समझ नही आ रहा "

इतनी शॉर्ट लेंग्थ ड्रेस उसने आज तक नही पहनी थी ..अजीब से पशोपेश मे फस्स कर वो कुछ देर यही सोचती हुई लेटी रही

रह - रह कर उसे वो वक़्त याद आता जब निकुंज की गोद मे उसका ऑर्गॅज़म हुआ था ..कितना सुखद पल था ..इतनी खुमारी की कल्पना तो उसने बीती पूरी लाइफ मे नही की थी और ना ही खुद कभी ऐसी छेड़ - छाड़ को अंजाम दिया था ( मास्टरबेट )

" सच मे कितना अजीब लग रहा था ..जब मैं झटके ले रही थी ..वो तो भाई ने बचा लिया वरना मोम के सामने मेरी बड़ी बेज़्जती होती ..भाई बहुत अच्छे हैं मेरा कितना ख़याल रखते हैं ..पर ये मुझे दो दिनो से क्या होता जा रहा है ..वहाँ दर्द भी बना रहता है ..कुछ तो गड़बड़ है "

सोचते हुए एक बार फिर से उसने फ्रोक पर नज़र डाली और मन बना लिया उसे पहेन्ने का

" गेट तो ओपन है "

निक्की ने उठने की कोशिश की ..मगर घुटने का घाव सूख जाने से उसे दर्द का एहसास हुआ और उसने लेटे रहना ही उचित समझा

" जल्दी से पहेन लेती हूँ "

शीट के अंदर हाथ डाल कर उसने अपने टॉप को उतारा ..पहली बार यूँ ओपन मे कपड़े चेंज करना उसे बेहद शर्मनाक लगा ..लेकिन उसके पास कोई दूसरा ऑप्षन भी तो नही था

टॉप साइड मे रख कर वो ब्रा उतारने लगी

" इससे शोल्डर पर दर्द हो रहा है "

हाथ स्ट्रेच करने मे उसे तक़लीफ़ तो हुई पर जल्दी ही वो इसमे कामयाब हो गयी ..ब्रा अपने जिस्म से अलग करते वक़्त उसकी नज़र वापस खुले दरवाज़े पर चली गयी ..ऐसा लगा जैसे कोई उसे कपड़े बदलते हुए देख रहा हो ..घबरा कर निक्की ने तुरंत ही अपनी उपर न्यूड बॉडी शीट से कवर कर ली

" भाई !!!!! "

जाने क्यों पहला शब्द उसकी ज़ुबान पर निकुंज के लिए आया

" नही भाई नही ..वो ऐसी हरक़त कभी नही करेंगे ..मैं बहेन हूँ उनकी कोई गर्ल फ्रेंड थोड़ी हूँ "

खुद को डाँट लगाते हुए वो फ्रोक को अपने सर से नीचे की तरफ खीचने लगी ..शॉर्ट होने के साथ ही ड्रेस बेहद टाइट भी था

" जाने कैसे निम्मी ऐसी ड्रेसस पहेन लेती है ..मैं तो शरम से ही मर जाउ "

ब्रा उसके बूब्स फ्रोक मे अपना आकार ले चुकी थी ..कपड़ा सॉफ्ट और महीन होने की वजह से निपल्स का उभार भी सॉफ दिख रहा था

जाने क्यों उसे फिर से महसूस हुआ कि दरवाज़े के पीछे कोई तो खड़ा है

" भाई !!!!! "

हलाकी निकुंज तो अपने कमरे मे ही था लेकिन डर ..संकोच और घबराहट मे निक्की को यही लगा जैसे कोई बार - बार उसके कमरे मे झाक रहा हो ..सच कहें तो उसकी सोच ही उसे ऐसा एहसास करवा रही थी

" कहीं सच मे तो भाई नही "
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10-03-2018, 03:17 PM,
#86
RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
जब इंसान पॉज़िटिव थिंकिंग के साथ नेगेटिव पहलुओ पर भी गौर फरमाता है तो उसकी सोच दोहरी हो जाती है

2 दिन से लगातार भाई और बहेन के बीच ऐसा कुछ हो रहा था जो सॉफ लफ़ज़ो मे पाप की शुरूवात थी

" सबसे पहले भाई के लंड की चोट उसकी कुँवारी योनि पर लगना ..इसके बाद माल मे पड़ी पैंटी के बारे मे सवाल जवाब और आज तो उसने अपने अंगूठे से निक्की को झड़ने पर मजबूर किया था ..उसे क्या ज़रूरत थी अपने हाथ को बहेन की चूत पर लगाने की "

" कहीं भाई जान कर तो मेरे साथ ये सब नही कर रहे "

नेगेटिव थॉट्स दिमाग़ मे आते ही निक्की शॉक्ड हो कर रह गयी

" अगर ये सच है तो वो जान बूझ कर मेरे लिए इतनी छोटी फ्रोक लाए होंगे ताकि मुझे ऐसे गेट अप मे देख सकें "

अचानक से उसकी आँखों मे नमी आने लगी ..विश्वास बना कर घात करना कितना आसान होता है ..उसे दुख हुआ अपने भाई की इस ओछि मानसिकता पर ..उसकी घ्रनित हरक़तों पर

" अभी सॉफ हो जाएगा और अगर यही सच है तो मैं उन्हे कभी माफ़ नही करूँगी "

जाने उसे क्या सूझा ..अपने भाई को परखने के लिए उसने कुछ ऐसे बोल्ड स्टेप्स लेने का मन बनाया जिससे ये पता चल जाए कि वो सच मे ऐसा कर रहा है या सिर्फ़ निक्की की ग़लत फहमी है

मोबाइल उठा कर उसने निकुंज को कॉल किया

" भाई ड्रेसिंग कर दो "

कॉल कट करते ही उसे ध्यान आया कि उसने लोवर तो उतारा ही नही

" भाई से उतर्वाउन्गि ..पता तो चले उनकी गंदी सोच का एंड पॉइंट क्या है "

चादर उसने अपनी बॉडी से अलग कर दी ..इस वक़्त फ्रोक उसके पेट तक चढ़ि हुई थी ..बाकी लोवर की स्टार्टिंग तक का पूरा हिस्सा नेकेड था

थोड़ी देर मे निकुंज उसके कमरे मे आ गया ..सुबह पहने हुए कपड़े उसने भी चेंज नही किए थे

" भाई घुटना मोड़ने मे दिक्कत हो रही है ..लोवर उतारने मे हेल्प करो ना "

निक्की फुल कॉन्फिडेन्स से बोली ..बिना किसी झिझक के उसने फ्रोक को थोड़ा और ऊपर उठा लिया ..जिससे लगभग उसका पूरा पेट ही विज़िबल हो गया था

" शरम करूँगी तो बाद मे मुझे ही हर्ट होगा "

निक्की कुछ इसी तरह का सोच कर बैठी थी ..एक अजीब तरह की बोल्ड फीलिंग आ चुकी थी उसके अंदर और शायद ये अपने भाई की तरफ से भरोसा टूटने का कारण था

" भाई जल्दी करो मुझे सूसू भी जाना है ..सुबह से नही किया "

निकुंज बिल्कुल उसके पास खड़ा था ..अपना सर झुकाए ..उससे कुछ बोलते नही बन रहा था ..निक्की के मूँह से निकला एक - एक शब्द उसके दिल पर जैसे छुरिया घोप रहा था ..लाहुलुहान कर रहा था

" भाई कहाँ खो गये ? "

उसने निकुंज की तंद्रा नष्ट की ' ज़रूर अपने मन के शैतानी घोड़े चला रहे होंगे '

" मैं मोम को बुला देता हूँ ..वो तुझे चेंज करवा देंगी "

बेहद धीमे स्वर मे निकुंज ने कहा ..हद से आगे तो दोनो बढ़ ही चुके थे ..अब वो और नीचे नही गिरना चाहता था

" भाई !!!!! मोम को क्या जवाब दूँगी ..अंदर पूरा वेट है ..मुझे सूसू भी आ रहा है ..क्या वो मुझे उठा कर बाथ - रूम ले जा पाएँगी "

एक साँस मे निक्की ने अपनी पूरी बात कह डाली ..उसे पक्का यकीन था अब निकुंज ना नही कह पाएगा ..अगर भाई के मन मे ज़रा भी खोट हुआ तो ज़रूर कोई ऐसी - वैसी हरक़त करेंगे और जिससे मुझे यक़ीन हो जाएगा कि वो ग़लत हैं

सबसे पहले निकुंज ने अपनी बहेन के चेहरे पर नज़र डाली ..निक्की के फेस एक्सप्रेशन कुछ ऐसे थे जैसे वाकाई दर्द से बिलख रही हो

चादर से उसकी बॉडी कवर करते हुए निकुंज बेड पर बैठने लगा

" भाई डोर ओपन है ..बाथ - रूम मे ले चलो मैं सूसू भी कर लूँगी "

निक्की ने शीट को वापस खुद से अलग कर दिया ..फ्रोक ज्यों की त्यों उसके मुलायम पेट से चिपकी थी ..बूब्स का उभार बाहर को तानते हुए उसने एक ज़ोरदार अंगड़ाई ली जिससे निकुंज को पसीने आ गये

कोई चारा ना देख कर उसने निक्की को अपनी गोद मे उठाया और बाथ - रूम के अंदर ले जाने लगा ..निक्की के चेहरे पर एक विजयी मुस्कान तैर गयी ..कुछ ही देर मे दूध का दूध और पानी का पानी जो होने वाला था

" जब फिनिश हो जाए तब आवाज़ दे देना "

पॉट पर बिठाने के बाद निकुंज बाथ - रूम से बाहर आ गया ..उसका अंतर्मंन जोरों से चीख रहा था ' ये ग़लत है ..मत जा उसके करीब ..तू भटक जाएगा ..पाप का भागीदार मत बन '

" बस ये लास्ट बार है ..मैं फ़ैसला कर चुका हूँ ..उससे दूरियाँ बन लूँगा "

अंतर्मंन के साथ बात करते हुए निकुंज का गला भारी हो गया ..जबकि कोई शब्द तो उसके हलक से बाहर निकले ही नही थे ..शायद बीती बातों का एक मात्र दोषी उसने खुद को करार दे दिया था

वहीं बाथ - रूम के अंदर बैठी निक्की एक बार तो चौंक गयी ..निकुंज चाहता तो अंदर रुक सकता था

" कहीं मैं खुद तो ग़लत नही ? "

पिशाब से निपट कर उसने खुद से सवाल किया

" हो सकता है वो तेरी पहल का इंतज़ार कर रहा हो ..कुछ ऐसा कर जिससे आज सारी सच्चाई खुल कर सामने आ जाए और अगर दोनो ग़लत नही हुए तो पिच्छली हर ग़लत फहमी का अंत भी तो हो जाएगा ..वैसे भी निकुंज जैसा भाई तुझे माँगे नही मिलने वाला "

अपने सवाल का खुद ही जवाब दे कर निक्की खुश हो गयी ..निकुंज जितना प्यारा तो उसकी लाइफ मे और कोई था ही नही

लोवर को पैंटी समेत अपनी थाइ तक उतारे रखे हुए उसने निकुंज को आवाज़ दी

" भाई हो गया "

अगले पल क्या होगा ..उसका विश्वास पूरी तरह से टूटेगा या वो खुद अपने भाई की नज़रों मे गिर जाएगी ..इन सब से बातों से बेख़बर वो निकुंज के अंदर आने का इंतज़ार करने लगी

कुछ देर बाद निकुंज बाथ - रूम मे एंटर हुआ और आते ही साथ निक्की ने एक नयी बात छेड़ दी

" भाई घुटना मोड़ने से दर्द हो रहा है ..बाकी का लोवर आप उतार दो "

उसने बड़े भोले पन से कहा ..कहाँ 24 घंटे शरमाने वाली लड़की ..जिसने कभी अपने दुपट्टे तक का दामन ना छोड़ा हो ..आज अपने भाई को निमंत्रण दे रही थी ..बहेन को नग्न करने के लिए

उसकी बात सुन कर निकुंज सकते मे आ गया ..पॉट पर बैठी उसकी बहेन आधी न्यूड थी ..फ्रोक को पेट पर पकड़े हुए और नीचे उसका लोवर पैंटी के साथ जाँघो तक उतरा हुआ था

" बहेन मेरा और इम्तेहान मत ले "

इतना कह कर निकुंज ने अपनी आँखें बंद कर ली और ज़मीन पर बैठ कर ज़ोरो से रोने लगा ..अपना चेहरा हाथों मे छुपा कर ..खुद को कोसते हुए वो बिलख रहा था

" मुझे कुछ नही जानना तूने क्यों किया ..क्या हुआ ..बस मेरी ग़लती के लिए मुझे माफ़ कर दे "

निकुंज ने भर्राए गले से कहा ..उसे खुद पर शरम आ रही थी

वहीं हैरानी मे निक्की का चेहरा फीका पड़ गया ..बदन मे बहते खून का पूरा संचार जैसे रुक सा गया हो ..अपलक आँखों से वो अपने भाई का रोना देखने लगी ..ऐसा इस लिए क्यों कि वो ग़लत साबित हुई थी

" मैल भाई के अंदर नही मेरे अंदर है "

आँखों मे नमी आते ही निक्की पॉट से खड़ी हो गयी ..लोवर ऊपर चढ़ाते हुए उनसे फ्रोक को नीचे गिरा दिया और लंगड़ा कर निकुंज के पास जाने को चल दी

" आईईईईई !!!!! "

जल्दबाज़ी मे वो दो कदम भी ठीक से नही चल पाई होगी और घुटना मुड़ने से उसकी चीख निकल गयी ..निकुंज ने तुरंत अपने हाथ चेहरे से हटाए और फ्लोर पर सरकते हुए अपनी बहेन को वापस गिरने से रोक लिया

" पागल हो गयी है ..एक लगाउन्गा तो सही हो जाएगी "

जाने निकुंज के मूँह से ये बात कैसे निकली और तेज़ी से खड़े हो कर उसने निक्की को अपने सीने से चिपका लिया

" भाई !!!!! "

रुआसी निक्की को जैसे ही भाई के मजबूत कंधो का सहारा मिला उसके आँसू छलक उठे और अपने हाथो के पुरज़ोर से वो निकुंज को अपने अंदर समेटने लगी

" माफी मुझे माँगनी चाहिए भाई ..आपकी कोई ग़लती नही "

फफक कर रोती निक्की के शब्दो ने निकुंज पर अगला कहेर ढाया ..लेकिन वो खुद को भूल कर उसकी पीठ को सहलाते हुए ..उसे चुप करवाने की कोशिश मे जुटा रहा

" कोई नही ..ग़लती हमारी नही ..हमारी सोच की है ..चल चुप हो जा ..तुझे पता है ना मुझसे तेरे आँसू बर्दास्त नही होते ..सब ठीक हो जाएगा "

निकुंज की समझाइश पर निक्की चुप होने लगी पर उसका सुबकना कम नही हुआ ..अभी भी उसकी बॉडी का भार उसके भाई ने झेल रखा था ..चेस्ट मे पिंच होते निपल्स निकुंज को महसूस तो हो रहे थे लेकिन इस वक़्त उसके जहेन मे सिर्फ़ अपनी बहेन के कहे शब्दो की उथल - पुथल मची थी ' बीती ग़लतियों की ज़िम्मेदार वो खुद है '
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10-03-2018, 03:17 PM,
#87
RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
" चल ज़्यादा टाइम नही है ..जल्दी से चेंज कर ले ..फिर मैं तेरी ड्रेसिंग कर देता हूँ "

निकुंज ने उसकी नम आँखों मे देख कर कहा ..इस वक़्त निक्की की सुर्ख आँखें बेहद खूबसूरत हो गयी थी ..आँसुओं की तरलता के कण आँखों मे अभी भी शेष थे

" मैं कर लूँगी आप जाओ ..वरना फिर से बात बढ़ जाएगी "

निक्की ने अपनी खुली पलकों को जोड़ कर कहा ..अपनी गंदी सोच के ग़लत साबित होने के बाद उसका मन खुद से घ्रणा करने लगा था

" अच्छा मैं चला जाउन्गा तो लोवर कैसे चेंज करेगी "

निकुंज के सवाल पर निक्की ने अपनी आँखें वापस खोल दी और अचरज भरी निगाहों से अपने भाई का चेहरा देखने लगी

" बस कर लूँगी ..आप जाओ ना "

निक्की ने जवाब दिया लेकिन अपने जावब से वो खुद भी संतुष्ट नही हो पाई

" तो पहले तू नाटक कर रही थी ना ? "

एक और सवाल करते हुए निकुंज के चेहरे पर हल्का गुस्सा आ गया ..जिसे देख कर निक्की बुरी तरह काँप उठी ..घबराहट मे उसने निकुंज के बदन से अलग होना चाहा लेकिन नाकाम रही और इसके बाद तो जैसे उसका चेहरा शरम से झुकता चला गया

" रोना मत और जवाब दे ..इसके बाद हम किसी से कुछ नही पूछेन्गे ..बात यहीं ख़तम हो जाएगी "

निकुंज ने उसके झुके चेहरे हाथी से थाम कर पूछा ..वो जानता था इस सवाल से बात बढ़नी ही है लेकिन खुद की नज़रों मे उसे वापस भी तो उठना था

" बोल बेटा मैं इसके बाद तुझसे और कोई सवाल नही करूँगा ..प्रॉमिस "

इस बार निकुंज ने थोड़ा प्यार से समझाया तो निक्की को सुकून आया ..अब जब बात का एंड हो ही रहा है तो क्यों ना अपने दिल की बात भी बोल दी जाए ..ऐसा सोच कर उसने सच बोलने का फ़ैसला कर लिया

" भाई ..इस टाइम मेरी ग़लती है क्यों कि मेरे दिमाग़ मे आप के लिए नेगेटिव थिंकिंग आ गयी थी ..लेकिन इससे पहले जो भी हुआ ..आइ स्वेर मैने कुछ नही किया ..सब नॅचुरल हुआ था "

इतना बोल कर निक्की शांत हो गयी ..निकुंज से आँख मिलाना तो दूर भय वश उसका हलक सूखता जा रहा था ..निकुंज उसे इस बात के लिए कभी माफ़ नही करेगा ये सोच कर वो मन ही मन सुबकने लगी

अगले ही पल निकुंज ने उसके दोनो हाथ पकड़ कर अपने कंधे पर रख लिए और घुटनो के बल फ्लोर पर बैठ गया

" देख ले मेरी आँखें बंद हैं ..मन मे कोई पाप नही "

इसके बाद निकुंज के हाथ बहेन की फ्रोक की अंदर चले गये ..उसकी कमर पर उंगलियाँ ले जा कर निकुंज धीरे - धीरे लोवर को नीचे खीचने लगा

" ब ..भाई !!!!! "

निक्की ने देखा उसके भाई का चेहरा ऊँचाई पर लगे बल्ब को देख रहा है लेकिन आँखें बंद थी

वहीं इस नज़ारे से निक्की शरम और ग्लानि के चलते ज़मीन मे धसती जा रही थी

" कितना प्रेम करते हैं भाई मुझसे और मैं बेशरम सिवाए नफ़रत के उन्हे कुछ नही दे पाई "

खुद को धिक्कार्ते हुए निक्की वापस रोने लगी ..लेकिन चुप - चाप ..ताकि उसके भाई का दिल अब और ना दुखे

" मेरे शोल्डर पकड़ ले ..और एक एक कर अपनी टांगे उठा "

निकुंज सेम सिचुयेशन मे बैठे हुए बोला ..उसका कहा मान कर निक्की ने लोवर को अपनी टाँगो से बाहर निकाल दिया

इसके बाद कुछ देर तक दोनो एक दूसरे से कुछ नही बोले ..पूरे बाथ - रूम मे सिवाए उनकी तेज़ धड़कनो के कोई और आवाज़ नही सुनाई दे रही थी ..लेकिन अगले ही पल निक्की को महसूस हुआ जैसे उसके भाई का हाथ वापस फ्रोक के अंदर जाने लगा हो ..सहम कर उसने अपनी टाँगो को जोड़ लिया और हड़बड़ाहट मे पीछे हटना चाहा ..लेकिन इससे पहले वो कोई कदम उठा पाती निकुंज की उंगलियों की पकड़ पैंटी की एलास्टिक पर कस चुकी थी

देर ना करते हुए निकुंज ने पैंटी को झटके से नीचे खेच दिया और निक्की के मूँह से मादक भरी सिसकारी छूट गयी

" ये ले हो गया ..अब मैं बाहर जा रहा हूँ ..थोड़ा सफाई कर ले ..बाद मे मुझे आवाज़ दे देना "

हलाकी निकुंज के कानो मे निक्की की सिसकी सुनाई पड़ी थी लेकिन जान कर उसने कोई रिक्षन नही दिया

इतना सब होने के बाद निकुंज फ्लोर से उठा और बिना उसकी तरफ देखे तेज़ कदमो से बाहर चला गया ..वहीं निक्की अपलक आँखों से ज़मीन पर पड़ी अपनी गीली पैंटी देखने मे खो गयी ....
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10-03-2018, 03:17 PM,
#88
RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
पापी परिवार--29

निकुंज के बाथ - रूम से बाहर जाते ही निक्की ..वापस पॉट पर बैठ गयी ..थोड़ी देर पहले एक भाई ने भरी जवानी मे अपनी बहेन का निच्छला धड़ नेकेड किया था ..अपने हाथो से ..लेकिन सिर्फ़ प्रेम वश ..उसमे हवस का लेश मात्र अंश नही था

" शरम आनी चाहिए निक्की तुझे ..एक तेरा भाई है जो तुझ पर अपनी जान लुटाता है और एक तू है जो उस पर इतने गंदे आरोप लगा दिए "

निक्की ने अपना सर नीचे झुका लिया ..वाकाई आज वो बेहद शर्मिंदा थी ..बिना ग़लती के भाई को बदनाम करना उसे अंदर ही अंदर खाए जा रहा था ..बस अब ग़लती सिर्फ़ एक ही तरीके के सुधारी जा सकती थी और वो तरीका निक्की ने अपने मन मे इज़ाद कर लिया

" जो हुआ सो हुआ ..अब भाई को मनाना मेरी ज़िम्मेदारी ..कैसे भी ..कुछ भी करना पड़े ..मैं उन्हे मना लूँगी "

मन मे संकल्प ले कर उसने पॉट पाइप पकड़ लिया ..वॉटर प्रेशर चेक करने के बाद फ्रोक का फ्रंट हिस्सा उठा कर जल्दी से अपनी चूत पर पानी की फूहार मारने लगी

" सब तेरी ही ग़लती है ..ना तू मज़े करती ना मैं भाई की नज़रों मे गिरती "

अपनी रस भीगी योनि को कोसते हुए निक्की ने उसे पानी से नहला दिया ..फिर अपनी उंगलियों से आस पास उगे बालो को रगड़ कर धोने लगी

कुछ ही पल बीत पाए होंगे ..ना जाने क्यों इस रगड़ान से उसे एक अलग ही आनंद की प्राप्ति हुई ..वक़्त दर वक़्त उसकी उंगलियों का घर्षण तेज़ होता गया और अपने होंठो पर जीभ फेरते हुए वो मदहोशी के आलम को महसूस करने लगी

" ह्म्‍म्म्मममम....... भाई आज से मैं आप को शिकायत का कोई मौका नही दूँगी "

निक्की ने अपनी आँखों को बुरी तरह भीच लिया ..इस समय उसके दिमाग़ मे खुमारी के साथ अपने भाई का दुखी चेहरा घूम रहा था

" ऊऊऊऊओंम्म्म !!!!! "

झाँते घिस - घिस कर उसने पूरा एरिया लाल कर लिया पर जाने क्यों संतुष्टि के भाव अब तक उसके फेस पर नही आ पाए थे ..ऐसा क्या जादू किया था उस वक़्त निकुंज ने जो उसके मज़े की सीमा ख़तम हो गयी थी ..वो अधीर हो उठी ..बेचैनी मे उसका एक हाथ अपने आप बूब्स पर पहुच गया और सब कुछ भूल कर तेज़ी से बारी - बारी उन्हे मसल्ने लगी

" भाई !!!!! आप ने क्या किया था ..करो ना मैं पागल हो जाउन्गा "

उंगली चूत की फांकों से सटा कर उसने कुछ गहरी साँसें ली और पूरी ताक़त से फिंगर को चूत की गहराई मे उतार लिया

" फ़चह !!!!! उम्म्म्मम.....हां भाई ने भी यही किया था "

छटपाटाते हुए उसके चेहरे पर दर्द और कामुकता के मिक्स भाव तैरने लगे ..तेज़ी से उंगली अंदर बाहर करते हुए उसने अपनी टाँगो को पूरी तरह से एक्सपोज़ कर लिया और ' भाई - भाई ' की रट लगाते हुए आहें भरने लगी

" आईईईईईई !!!!! "

कुंवारे भग्नासे पर बाहरी उंगलियाँ रगड़ खा जाती और इससे निक्की का बदन अकड़ जाता ..उसने तुरंत अपना दूसरा हाथ बूब्स से हटाया और दाने को खीचते हुए झड़ने के बेहद नज़दीक पहुच गयी

" उफफफफफ्फ़ !!!!! हां ..हां यहीं पर सबसे ज़्यादा दर्द होता है "

क्लिट पर दो उंगलियों की मसलन को निक्की सह नही पाई और इस बार उसकी चीख से पूरा - बाथ रूम हिल गया

बाहर खड़े निकुंज के कानो मे बहेन की चीख सुनाई दी और वो घबरा कर ..दौड़ता हुआ बाथ - रूम के अंदर आ गया
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10-03-2018, 03:17 PM,
#89
RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
अंदर के हालत देख कर उसे झटका लगा और खुद बा खुद उसके कदम अपनी बहेन से मात्र 5 फीट दूरी पर जम से गये

" भाई लव मी .. मुझे छोड़ कर मत जाओ "

अंजानी मदहोशी मे निक्की ने अपने भाई को देखा ..एक पल को भी उसे ये नही लगा कि वो कुछ ग़लत कर रही है ..वरण उसके हाथ की स्पीड दोगुनी हो गयी ..रूठे प्रेमी का दीदार वापस पा कर वो धन्य हो गयी थी ..उसकी आँखों मे तरावट आने लगी

" ब ..भाई मत रोको "

सिर्फ़ इतने शब्द उसकी थर्राइ ज़ुबान का साथ दे पाए और उसकी पीठ पीछे बनी दीवार को धक्का दे कर गिराने की ललकार देने लगी ..चेष्टा करने लगी

वहीं निकुंज की नज़रें अब बहेन के चेहरे से हट कर उसकी टाँगो की जड़ पर चिपक गयी थी ..ना चाहते हुए भी कुछ सेक. के लिए उसने अपनी आँखों को कुँवारी योनि से मिलाया ..बालो से भरी चूत की फांकों को चीर कर निक्की की उंगली लगातार अंदर - बाहर हो रही थी

" निक्की होश मे आ "

निकुंज आगे बढ़ने को हुआ ..निक्की की आँखों मे लाल शोले दाहक रहे थे ..इस वक़्त उसकी बहेन को किसी अचूक नशे ने अपने आगोश मे क़ैद कर रखा था

ना मैं अपनी गर्दन हिला कर निक्की ने एक आख़िरी बार अपने भाई के चेहरे को देखा और इसके बाद उसका सर ऊपर हवा मे उठ गया ..टाँगो मे कंपन होते ही वो पॉट से नीचे फिसलने लगी

निकुंज को अपनी जगह से तुरंत हिलना पड़ा ..बेचारा करता भी क्या ..आगे बढ़ कर उसने निक्की के सर को थामा और अपने पेट से चिपका लिया

" आइ लव युवूयूयुयूवयू !!!!! "

चिल्लाते वक़्त निक्की की जीभ बाहर निकल आई और चूत से रस की फूहार बहने लगी ..बदन मे हुई ऐंठन के साथ निक्की की गर्दन भी अकड़ गयी

निकुंज देख रहा था ..कितना प्यार है बहेन को अपने भाई से ..लेकिन ये कैसा प्यार हुआ ..वासना भरा

" नादान लड़की ..ये क्या किया तूने "

निकुंज उसे दिलासा देने लगा ..कैसी दिलासा ..ये तो अगन की वो अग्रिम चिंगारी थी जो आगे चल कर हर रिश्ते की मर्यादा को जला कर खाक कर देगी

केयी झटके ले कर निक्की बेसूध हो गयी ..दिन मे दो बार के ऑर्गॅज़म का अनियंत्रित बहाव ..थकान ..चोट

नतीजा निकुंज के सामने था ..निक्की का बदन जब तक पूरी तरह से ढीला नही पड़ गया निकुंज ने उसका सर अपने हाथो मे थामे रखा

" बेटा !!!!! "

उसने निक्की के गाल पर थपकी दी ..बंद पलकों को खोल कर निक्की नींद से बाहर आई ..ऐसी नींद जहाँ सो कर हर सुख फीका होगा

मदहोशी के एहसास को पा कर वो मस्त हो गयी थी ..तनिक भी ग्लानि नही थी उसका सगा भाई उसे अध नंगी हालत मे देख रहा है ..भाई कहाँ वो तो अब प्रेमी है ..निक्की का पहला प्यार ..अब बस इस रूठे यार को उसे मनाना है ..फिर चाहे कुछ भी करना पड़े ..ये उसने तय कर लिया था ....

क्रमशः............................................
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10-03-2018, 03:18 PM,
#90
RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
पापी परिवार--30

कुछ अन्छुये एहसास जिनसे आज तक निक्की का पाला नही पड़ा था ..मर्द के नाम पर उसने सिर्फ़ अपने भाइयों और डॅड दीप को जाना ..जिसमे निकुंज तो उसके लिए सब से बढ़ कर है और इसी वजह से अब फीलिंग्स भी बदलने लगी थी

निक्की ने अपना चेहरा ऊपर उठा कर निकुंज के फेस को देखा ..भाई के हाथो की उंगलियों का प्यार भरा स्पर्श अपने रेशमी बालों पर महसूस कर वो खुश हो गयी ..लेकिन इन सब के बीच निकुंज बेहद शांत था ..बस उसकी आँखों की पुतलियाँ अपनी बहेन के मासूम चेहरे मे खोई थी ..वही चेहरा जो अभी कुछ देर पहले काम से भरा था

" भाई मुझे माफ़ कर दोगे ना ..छोड़ के तो नही जाओगे "

निक्की ने उसे नींद से जागते हुए पूछा

" निक्की ये तूने ठीक नही किया ..बेटा ये सिर्फ़ और सिर्फ़ पाप है "

निकुंज ने उसके सवाल से हट कर जवाब दिया ..वो बिल्कुल खुश नही था

" भाई मुझे नही पता कैसा पाप ..बस इतना जानती हूँ अगर आप ने माफी नही दी ..तो मैं खुद को मिटा लूँगी ..मुझे किसी और से कोई मतलब नही "

निक्की ने विद्रोह करने जैसी बात कही

" मैं तेरा प्यार नही ..भाई हूँ ..मत कर ऐसी बातें "

निकुंज ने उसे समझाया

" भाई हो तो क्या हुआ ..क्या आज से पहले आप ने कभी मुझसे प्यार नही किया ..बस वही प्यार तो मैं दोबारा पाना चाहती हूँ "

निक्की कतयि मानने को तैयार नही थी कि जो हो रहा है वो सगे भाई - बहेन के बीच नही होना चाहिए ..उसे तो बस इतना पता था कि पुरानी ज़िंदगी से अभी की ज़िंदगी ज़्यादा अच्छी है ..शायद ये कामदेव के काम बान का अचूक आघात था ..सेक्षुयल नीड्स ..तड़प ..सेडूशन को आज पहली बार जाना था उसने ..महसूस किया था कि बहेन होने से पहले वो एक लड़की है

" चल मोम आएँ उससे पहले हमे कमरे मे वापस चले जाना चाहिए ..मुझे ऑफीस के काम से थोड़ा बाहर भी जाना है "

निकुंज उसे पॉट से उठाते हुए बोला ..एक मेच्यूर मॅन होने के नाते वो जान गया अभी निक्की को समझाना उसके बस से बाहर होगा ..जल्दबाज़ी मे उठाया हर कदम ग़लत होता है ..वक़्त लगेगा ..खुमारी ख़तम होते ही निक्की भी होश मे आ जाएगी

" तो भाई मुझे माफ़ किया ना आप ने "

निक्की उसकी मजबूत बाज़ुओ को थाम कर खड़ी हो गयी

" मैं तुझसे नाराज़ हुआ ही कब था ..तू तो मुझे सब से प्यारी है "

निकुंज ने कहा और दोनो बाथ - रूम से बाहर रूम मे आ गये

" तू रिलॅक्स कर मैं ड्रेसिंग बॉक्स ले कर आता हूँ "

निक्की को बेड पर लिटा कर निकुंज हॉल से बॉक्स ले आया ..उसकी केर से निक्की और भी ज़्यादा इंप्रेस होने लगी

निकुंज ने पहले तो लोशन से पूरा वाउंड क्लीन किया ..फिर चोट को पट्टी से वॉर्प करने लगा ..हल्का दर्द महसूस होते ही निक्की ने अपनी दूसरी टाँग मोड़ ली

" ओह भाई !!!!! थोड़ा आराम से "

टाँग मुड़ते ही निक्की की आँखें बंद हो गयी ..हलाकी ऐसा उसने जान कर नही किया था बट फ्रोक लेंग्थ छोटी होने से उसकी चूत एक बार फिर से निकुंज की आँखों के सामने एक्सपोज़ हो गयी

तुरंत निकुंज ने उसका चेहरा देखा ..उसे शक़ हुआ कहीं ये उसकी बहें ने जान - बूझ कर तो नही किया ..लेकिन निक्की का फेस एक्सप्रेशन पेन से भरा देखते ही वो ग़लत साबित हो गया

" बस 2 मिनिट और "

निकुंज ने पट्टी की नाट कसने के बाद अपना हाथ उसकी फ्रोक की तरफ बढ़ाया ..चूत ढकने की गर्ज से जैसे ही उसकी उंगलियाँ फ्रोक को नीचे खीच पाती ..निक्की ने अपनी टाँगो को वापस चिपका लिया और इससे निकुंज का हाथ उसकी टाँगो की जड़ मे फसा रह गया

" हिचह !!!!! "

निक्की उच्छल पड़ी ..हिचकी आने से उसे ठसका लगा और ज़ोरो ख़ासने लगी ..अपनी आँखें खोल कर देखा तो दंग रह गयी ..उसके भाई का हाथ सीधा उसकी चूत से चिपका था

" अच्छा !!!!! स्टार्टिंग खुद करते हो और बाद मे दोष मुझे देते हो ..अब ग़लती किस की है ..बताना ज़रा ? "

निक्की के सवाल से घबरा कर निकुंज ने अपना हाथ चूत से हटाना चाहा लेकिन ठीक इसी पल निक्की ने उसकी कलाई थाम ली

" ये सबूत है ..अब मुझे ब्लेम मत करना ..ऐसा हो गया ..वैसा हो गया "

निक्की मुस्कुराने लगी ..उसके लिए तो जैसे ये सब एक ओपन गेम हो गया था ..जो अक्सर शरीफो के घर बंद कमरो मे खेला जाता है ..यहाँ उमर का कोई दोष नही ..ना ही वो कोई बच्ची थी ..बस जो एहसास उसने आज पाए थे वो दोबारा सिर्फ़ एक प्रेमी द्वारा ही मिल सकते हैं ..ना कि सगे भाई से और यही सोच कर उसने अपने दिमाग़ से रीलेशन को दूर कर दिया ..सेक्स नही उसे प्यार चाहिए, जो निकुंज ने पहले भी उसे भरपूर किया था लेकिन अब निक्की के नज़रिए से हालात बदल गये थे

" सॉरी !!!!! वो ..वो...... "

निकुंज ने ताक़ात लगा कर अपना हाथ पीछे खीचा और तुरंत बेड से नीचे उतर कर रूम से बाहर जाने लगा

" यू नॉटी ..आइ लव यू "

निक्की के शब्द सुन कर निकुंज एक आख़िरी बार उसकी तरफ पलटा ..अभी भी वो सर झुकाए बड़े प्यार से अपनी कुँवारी योनि को देख रही थी

" सब ग़लत हो रहा है "

धीमे स्वर मे निकुंज इतना ही कह पाया और तेज़ी से रूम के बाहर निकल गया

.

.

.

.

.

अकॅडमी से निकल कर निम्मी घर लौटने लगी ..उसके दिमाग़ मे एक बहुत बड़ी बात चल रही थी ..शायद उस बात ने उसे बेहद परेशान भी कर रखा था

" आज काफ़ी इम्पोर्टेंट. डे था ..फाइनल प्रॅक्टिकल ..सब आए लेकिन शिवानी क्यों नही आई ? "

यही सोचते हुए वो अपने घर से आधी दूरी तक आ चुकी थी

" कॉल करती हूँ ..बात छोटी नही ..कोई अपने फ्यूचर से कैसे खेल सकता है ..वैसे शिवानी पढ़ने मे तो बहुत इंटेलिजेंट है ..फिर ऐसी बेवकूफी "

अक्टिवा रोक कर निम्मी ने शिवानी को कॉल किया .. 3 - 4 बार फुल रिंग जाने पर जब उसने कॉल पिक नही किया तो निम्मी ने अक्टिवा उसके हॉस्टिल की तरफ मोड़ ली

हॉस्टिल के काउंटर पर अपनी डीटेल्स देने के बाद वो सीधी शिवानी के रूम की तरफ बढ़ गयी ..हालाकी इस हॉस्टिल मे उसकी अकॅडमी की बहुत सी गर्ल्स रहती हैं पर निम्मी का आज पहली बार यहाँ आना हुआ था

रूम डोर नॉक कर वो उसके ओपन होने का इंतज़ार करने लगी ..काफ़ी टाइम बाद शिवानी ने गेट खोला

निम्मी ने देखा वो गहरी नींद से जस्ट उठ कर आई थी

" तू यहाँ ? "

शिवानी शॉक्ड हो कर बोली ..कैसे बिलीव करती आज उसकी सबसे बड़ी दुश्मन उसके रूम के बाहर खड़ी थी

" अंदर आ जाउ ? "

निम्मी ने स्माइल देते हुए कहा ..उसे भी बड़ा अचंभा हो रहा था ..जाने क्या सोच कर वो हॉस्टिल चली आई थी

" नही बुलाउन्गि तो नही आएगी क्या ? "

एक व्यंग छोड़ती हुए शिवानी पलट कर कमरे के अंदर चली गयी ..उसके पीछे निम्मी के कदम भी अंदर एंटर हो गये

" आ बैठ ..वैसे यहाँ ए/सी की ठंडक नही है ..माफ़ करना ग़रीब हूँ ना "

एक और टोन्ट कसते हुए शिवानी ने कहा

" छोड़ ठीक है ..मैं सिर्फ़ इतना जान ने आई थी ..तू आज इन्स्टिट्यूट क्यों नही आई ? "

निम्मी ने डाइरेक्ट अपने क्वेस्चन पर कॉन्सेंट्रेट किया ..यूँ झगड़ना तो दोनो की रोज़मर्रा की आदत थी

" तुझे इसमे भी दिक्कत है ..खेर मैं पढ़ाई आगे कंटिन्यू नही करना चाहती ..वापस घर चली जाउन्गि "

इतना कह कर शिवानी को बीती रात याद आने लगी ..जैसा बाप ..बेटी भी तो ठीक उसी के पद चिन्हो पर चल रही है ..मजबूर की मजबूरी का फ़ायदा उठाना

" ये कैसा मज़ाक है ..आइ मीन बाकी सब एक तरफ ..यार तेरा पूरा फ्यूचर स्पायिल हो जाएगा "

निम्मी को शिवानी के वापस जाने की वजह थोड़ी - थोड़ी पता चलने लगी थी ..लेकिन सारी बात वो उसके मूँह से सुनना चाहती थी ..जानती थी एक तरह से इसकी ज़िम्मेदार वो खुद भी है

" तूने बाकी कुछ छोड़ा है मेरे लिए ..यहाँ प्यार के हाथो हारी ..अब पता नही घरवालो को क्या जवाब दूँगी "

बोलते वक़्त शिवानी का गला भर आया ..लेकिन कल रात किए अपने फ़ैसले पर अडिग रही ..कुछ भी हो जाए पर आँसू नही निकलने देगी
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