Porn Sex Kahani पापी परिवार
10-03-2018, 04:00 PM,
RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
उसने अपने बीते सेक्षुयल जीवन में दर्ज़नो कुँवारी लड़कियों को कली से फूल बनाया था और उस दौरान लड़कियों की इस मार्मिक दुर्गति से भी वह भली - भाँति परिचित था .... निम्मी कोई अनोखी नही, जो उसके मोटे सुपाडे की पहली चोट पर बेहोश हो गयी .... अक्सर रोज़ चुदने वाली रंडियाँ भी उसकी हैवानियत से बुरी तरह काँप जाया करती थीं .... वह तो उसकी चोदन क्षमता और लंड की विकरालता का प्रभाव है .... जो आज भी उसके नीचे से गुज़र चुकी लौंडीयाँ उसे याद कर, हमेशा अपनी चूत में बढ़ती खुजाल का अनुभव करती होंगी.

लेकिन यहाँ बात अब उन रंडियों से संबंधित नही रही थी .... निम्मी उसकी सग़ी छोटी बेटी है और दीप इस बात को अब तक नही भूला था, हलाकी उसे लग रहा था अपनी बेटी की इस बेहोशी के फ़ायडे में वह इक - दो करारे स्ट्रोक अपनी तरफ से मार दे ताकि बात उसके सुपाडे से आगे बढ़ कर आधे लंड तक पहुच जाए और बाद में तो निम्मी को होश में आना ही है.

वह अपने कंधे पर टिका अपनी बेटी का निष्प्राण चेहरा हाथो से थाम कर अपने चेहरे के ठीक सामने ले आया .... निम्मी की साँसे ज़ारी थी परंतु आँखें पूरी तरह से बंद और उसका चेहरा उसके दर्द को सॉफ बयान कर रहा था .... दीप से रहा नही गया और उसने अपनी बेटी के निच्छले होंठ को अपने होंठो के दरमियाँ फसा लिया .... अब वह उसके लोवर लिप को चूसने लगा, एक अजीब सी गंगनाहट से उसका स्वयं का जिस्म काँपने लगा .... इन्सेस्ट रिलेशन्स में आप भले ही संसर्ग स्थापित करने में कामयाब हो जाओ परंतु होंठो का चुंबन एक ऐसी कामुक अवस्था होती है जो हर शारीरिक सुख से परे जान पड़ती है.

यही इस वक़्त दीप के साथ हुआ .... कितने सॉफ्ट होंठ हैं उसकी बेटी के, चॉक्लेट ग्लॉस का हल्का - हल्का फल्वौर भी वह स्वाद के रूप में महसूस कर पा रहा था .... अब तक जो हुआ उसमें निम्मी सचेत थी लेकिन अब दीप अपनी मर्ज़ी से उसके लिप्स चूसने लगा .... वह इस अधभूत कल्पना में खो सा गया था और अपने हाथ से उसने बेटी के मुलायम गालो पर दबाव दिया .... उसका मूँह खुलते ही दीप ने उसकी गुलाबी जिह्वा को अपने होंठो के बीच फसा लिया और अब उसे खुद होश नही रहा कि कितनी देर तक उसने निम्मी के मुख का रस्पान किया होगा.

हौले - हौले उसकी बेटी भी अपने होंठो को हिलाने लगी .... उसके अचेत जिस्म में हलचल होने लगी और ज्यों ही दीप ने यह जाना .... उसने अपने हाथो को उसकी आर्म्पाइट्स के नीचे करते हुए ताक़त से उसे ऊपर खीचा और उसे अपनी नंगी छाती से चिपका लिया .... एक सोडा की बॉटल का ढक्कन खुलने पर जिस तरह की आवाज़ करता है .... ठीक वैसा ही साउंड दीप ने भी सुना क्यों कि उसका सुपाड़ा उसकी बेटी की टाइट चूत से बाहर निकल आया था.

" म्‍म्म्ममममममम डॅडी !!! " ........ निम्मी एक बार फिर दर्द से तड़प उठी .... दीप उसे सेम पोज़िशन में पकड़े हुए सोफे से उठ कर बेड की तरफ बढ़ने लगा ........ " बस अब सब ठीक है .. तू कोई फिकर मत कर .. मैं हूँ ना तेरे पास " ........ इतना कहते हुए उसने अपनी बेटी को बिस्तर पर पीठ के बल लिटा दिया और उसकी लंबी टाँगो को विपरीत दिशा में फैला कर खुद उनके दरमियाँ पसरने लगा.

चूत से ब्लड निकलना तो कब का बंद हो चुका था लेकिन वह बहुत ज़ख़्मी थी .... उसके होंठ भी अब काफ़ी खुले हुए नज़र आ रहे थे .... दीप एक बार फिर हरक़त में आया और उसने फॉरन निम्मी के सूजे भंगूर को चूसना शुरू कर दिया .... अपने वाइल्ड नेचर का बखूबी परिचय देते हुए उसे ज़रा भी घिन महसूस नही हुई कि वह एक खून से लिप्त चूत चाट रहा है .... उसके मश्तिश्क में तो बस कैसे भी कर अपनी बेटी को वापस होश में लाना घूम रहा था और साथ ही वह चाहता था .... बीते छनो में जो भी सूखापन निम्मी की चूत के अंदर आया था वह उससे जल्द ही मुक्त हो जाए.

" आआहह डॅड !!! पेन होता है " ........ निम्मी ने उसके बालो पर अपना हाथ रखते हुए कहा परंतु उसकी आवाज़ में लेशमात्रा भी पीड़ा भाव नही था .... या शायद अपने भज्नासे को अपने पारंगत पिता के अनुभवी होंठो द्वारा चूसा जाना उसे दोबारा मदहोशी से भरने लगा था.

" पागल लड़की !!! जब कुछ पता नही था तो इतनी जल्दबाज़ी की क्या ज़रूरत थी ? " ........ जब दीप जान गया उसकी बेटी अब पूर्ण रूप से अपना खोया होश सम्हाल चुकी है, वह उसकी टाँगो की जड़ से अपना मूँह ऊपर उठाते हुए बोला .... जाने निम्मी को उस वक़्त क्या महसूस हुआ और खुद - ब - खुद उसके चूतड़ अपने पिता के चेहरे के साथ ही ऊपर खींचे चले जाए .... जैसे दीप के होंठो में कोई मॅगनेट लगा हुआ हो .... या शायद वह चाहती थी कुछ देर और दीप उसकी ज़ख़्मी चूत चाटे जिसमें से अब वापस रति - रस का अनियंतित बहाव बहना शुरू हो चुका था.

" तू अब कुँवारी लड़की नही रही .. पता है ना तुझे ? " ......... दीप ने एक आख़िरी बार अपनी बेटी की अति नाज़ुक व रस भीगी चूत का गहरा चुंबन लेते हुए उससे पूछा और इसके बाद वह उसके समानांतर अपनी पीठ के बल लेट गया .... ज्यों ही उसने अपना चेहरा निम्मी की तरफ मोड़ा .... वह उसे मुस्कुराती दिखाई पड़ी .... दीप यह देखते ही असीम आनंद में पहुच गया, अब उसकी बेटी के खूबसूरत तंन के साथ उसके अविकसित मन पर भी उसका पूरा नियंत्रण हो चला था.

" देख कितना रोई थी तू !!! चल छोड़ अब घर चलते हैं .. इससे आगे जाना ठीक नही " ........ वह अपने लंड के सुपाडे की तरफ इशारा करते हुए बोला जिस पर अपनी ही सग़ी बेटी का कुँवारापन नष्ट करने का साक्ष्य लगा हुआ था .... लेकिन निम्मी उसकी इस बात पर स्तंभ रह गयी .... उसकी चूत तो अब भी अपने पिता का विशाल लॉडा खाने को मचल रही थी और उसकी हसरत भरी निगाहें बड़ी लालसा लिए दीप के खड़े लंड पर टिकी हुई थी.

दीप ने जब देखा निम्मी उदास होने लगी है .... वह बिस्तर से फॉरन उठ कर अपनी बेटी के नंगे जिस्म के ऊपर लेट गया ....... " चल नाराज़ मत हो लेकिन यह बात हमारे बीच राज़ रहेगी .. वादा कर मुझसे " ....... अपने पापी पिता के इस कथन पर निम्मी की आँखें खुशी डॅब्डबॉ गयी और दीप ने उसे अपनी बाहों में समेट लिया.

" डॅड !!! मैं आप से बहुत प्यार करती हूँ .. प्लज़्ज़्ज़ मुझे अपना बना लो " ......... निम्मी के यह कॉन्फिडेन्स भरे शब्द सुन कर दीप को कामसुरता के आख़िरी पड़ाव को पार करने की पूर्ण मंज़ूरी मिल गयी ........ " मैं भी बेटा " ......... और यह कहते हुए उसने अपना रक्त रंजित सुपाड़ा अपनी बेटी के ज़ख़्मी चूत मुख पर सटा दिया .... जिसके पश्चात ही निम्मी ने अपने जबड़े ताक़त से भींच लिए.

" कुछ दुखन तो नही है ना ? ......... दीप ने अपनी कमर को हल्का सा झटका देते हुए पूछा.

" उफफफफफ्फ़ ..... म्‍म्म्ममममममम !!! न .. न .. नही है " ........ अपने दर्द को पिता पर ज़ाहिर ना करते हुए निम्मी सिसकी परंतु वह अंजान भी नही थी .... वह अच्छे से जानती थी उसके पिता ने यह बात पास्ट में कयि लड़कियों से पूछि होगी लेकिन यह तो अपवाद था जो वे इस तरह आमने सामने आए थे.

चूत के ल्यूब्रिकेशन से अपने सुपाडे को भिगाने के बाद दीप ने देर नही की और उसने निम्मी की जाँघो को ऊपर उठाते हुए उसकी गोल मोटी चूचियों से जोड़ दिया .... चूत उसके विकराल लंड का पहला झटका खाने के बाद अब काफ़ी खुल चुकी थी और दीप ने अपने सुपाडे को उसके ऊपर टारगेट करते हुए बड़े आराम से उसे अंदर धकेला.
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10-03-2018, 04:01 PM,
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" खचह " ........ इस साउंड के साथ ही सुपाड़ा पूरा चूत के अंदर समा गया और निम्मी ने फॉरन अपना बदन ढीला छोड़ दिया.

" अहह ......... ऊओह " ....... वह नाम मात्र को छटपटाई परंतु इस बार उसे बीती जघन्य पीड़ा से ज़्यादा अनुभव नही हुआ .... उसकी आँखें मुन्दने लगी और वह अपने जिस्म में अपने पिता का मिलाप महसूस करने लगी.

इसी बीच थोड़ा रिलॅक्स करने के पश्चात दीप ने एक और हल्का धक्का दिया और निम्मी के भिंचे जबड़े खुल गये.

" उफफफफफफफफफफफ्फ़ डॅड .. रूको थोड़ा प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़ " ......... वह फुसफुसाई और अपनी आँखें अपनी चूत की दिशा में नीचे झुकाने लगी परंतु दीप उसका आशय हाल समझ गया .. अब भी उसका आधा लंड चूत से बाहर था और वह नही चाहता था निम्मी इस बात को जाने.

" सुन !!! डॅडी को अपना दूध नही पिलाएगी ? " ......... दीप का कहना हुआ और निम्मी की आँखें बीच रास्ते से लौट कर अपने पिता के हँसते चेहरे पर पहुच गयी .... यह अनएक्सपेक्टेड था और फॉरन उसकी पीड़ा पर उसकी लज्जा हावी होने लगी .... शर्मा कर उसने अपने दोनो हाथो से अपना लाल चेहरा ढँक लिया.

" अरे जवाब तो दे !!! तू बहुत खूबसूरत है निम्मी .. मैने कभी सपने में भी नही सोचा था कि इतनी सुंदर लड़की से मुझे यूँ प्यार हो जाएगा और वह भी मेरी अपनी बेटी .. मेरा अपना खून " ........ दीप के मूँह से निकलते शब्द अब वह खुद नही बोल रहा था उसका दिल उससे बुलवा रहा था और जो अब अपनी बेटी पर पूरी तरह से मोहित हो चुका था.

काफ़ी देर तक जब निम्मी ने अपना चेहरा नही दिखाया तो दीप ने उसकी जांघे और ज़्यादा चौड़ी कर दी ताकि उसके अपने चूतड़ बेटी की चूत में गहरे धक्के लगाने के लिए सबसे बढ़िया स्थिति में आ जाएँ और फिर वह अपने विशाल लंड को धीरे धीरे आगे पीछे करते हुए स्ट्रोक लगाने लगा .... हर धक्के के साथ वह अपना लंड निम्मी की टाइट चूत में गहरा और गहरा करने भिड़ गया.

" इश्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ....... ह्म्‍म्म्ममम " ...... खुद - ब - खुद निम्मी के हाथ अपने चेहरे से हट कर अपनी चूचियों को मसल्ने लगे और वह अपने खड़े निपल गूँथने लगी.

जल्द ही उसकी नज़रें नीचे की ओर देखने लगी कि कैसे उसके पिता का विशाल लंड अत्यधिक तनाव के कारण बेहद फूल चुका है .... उस पर नसें भी उभर आई हैं और जो उसकी सांकरी चूत में तेज़ी से आगे पीछे हो रहा था .... चूत और लंड के मिलन का यह नज़ारा देखने में बड़ा ही ख़तरनाक था मगर साथ ही साथ बेहद रोमांचित कर देने वाला भी था .... इसके पश्चात ही निम्मी अपनी गान्ड हवा में उछालती हुई अपनी तड़पति चूत अपने अपने पिता के मोटे लौडे पर धकेलने लगी.

" आअहह ..... आहह ....... आहहह ..... फकक्क्क्क मी ...... आइ लाइक यू ........... लव मी " ...... अत्यधिक आनंद से सराबोर निम्मी चीखने चिल्लाने लगी और दीप ने उसकी आन्हो से और भी कठोर धक्के लगाने चालू कर दिए .... वह वाकाई में अपना लंड बेटी की सन्कीर्न, कांपति चूत में इतने बलपूर्वक ठोकने लगा कि निम्मी के जिस्म के सारे अस्थि पंजर फॉरन त्राहि त्राहि मचाने लगे.

आख़िरकार दीप अपना संपूर्ण लंड अपनी अपनी बेटी की छोटी सी चूत की गहराई तक पहुचाने में सफल हो गया .... वहीं निम्मी ने भी जाना कि वह अपने भविश्य की पूरी जिंदगी में .... खुद को कभी इतने लंबे व मोटे लंड द्वारा .... इतना भरा हुआ कभी महसूस नही कर पाएगी और उत्तेजनावश वह अपने होंठ चबाने लगी .... उसकी चूत बुरी तरह ऐंठने लगी .... अब उसके पिता का विकराल लंड उसकी बच्चेदानी के अंदर तक निर्मम चोट मार रहा था.

बेटी की चूत में अपना पूरा लंड ठोक कर दीप कुछ पलों के लिए स्थिर हो गया और अपनी कोहनियों को मोडते हुए वह निम्मी के जिस्म पर पसरने लगा .... जिससे निम्मी की मोटी चूचियाँ अपने पिता की चौड़ी छाती के नीचे दबने लगी.

" यस डॅड .. चोद डालो मुझे .. आहह फाड़ डालो " ........ वह चीखी और अनैतिक व्यभिचार की उसकी कामना और भी प्रबलता से दीप के सामने स्पष्ट हो गयी.

निम्मी ने अपनी टांगे ऊपर की और जितना उठा सकती थी उठा ली और फिर अपनी पिंदलियाँ अपने पिता की नंगी पीठ पर बाँधने लगी .... इसमें सफल होने के बाद वह पागलो की तरह अपने चूतड़ हिलाती हुई .... अपनी गीली और कसी चूत से दीप के लंड को किसी बाज़ारू रंडी की तरह चोदने लगी.

ज्यों - ज्यों दीप अपनी बेटी की कामुतेजित हरक़तों पर गौर फरमाता गया उसके बदन में खुद ब खुद ऐंठन आने लगी ........ " क्या निम्मी भी मेरी तरह वाइल्ड है ? " ......... उसका यह सोचना हुआ और इसके फॉरन बाद निम्मी के मूँह से उसके लिए एक सवाल फूटा.

" डॅड !!! अभी आप क्या कर रहे हो ? " ........ उसने अपने पिता की पीठ पर अपने तीखे व नुकीले नाख़ून गढ़ाते हुए पूछा.

" ओह .......... प्यार कर रहा हूँ अपनी बेटी से " ....... दीप ने अत्यंत पीड़ा भाव से जवाब दिया.

" ज़्यादा झूट मत बोलो डॅड .. आप अपनी बेटी को चोद रहे हो .. अभी उसकी चूत में आप का मोटा लंड है " ........ कामांध निम्मी क्या - क्या बड़बड़ा रही थी उसे कोई होश नही रहा बस वह " चोदो - चोदो " की रट लगाती हुई सिसके जा रही थी.

दीप पर तो जैसे अपनी बेटी की बात का उल्टा असर हुआ .... वह सकते में आने की बजाए और प्रचंडता से उसकी चूत में धक्के लगाने लगा था.

कुछ देर बाद वह अपना लंड चूत से बाहर निकालने लगा वह भी तब तक .... जब तक उसके लंड का गीला और फूला सुपाड़ा उसकी बेटी की चूत के होंठो के बीचो बीच ना आ जाए .... फिर पूरे ज़ोर से उसने अपने चूतड़ नीचे की ओर लाते हुए एक ज़ोरदार झटका मारा और उसका विकराल लंड निम्मी की चूत में जड़ तक समा गया .... अपनी सग़ी बेटी की चूत में लगाए गये इस पहले भयानक धक्के ने उसे ऐसा मनभावन आनंद दिया कि निम्मी के साथ खुद उसका पूरा जिस्म काँप गया.

" आईईईईईईईईईईईईईई डॅड और ज़ोर से " ...... निम्मी किसी बरसों की प्यासी, अतिकामुक लड़की की तरह अपने चूतड़ उच्छालती हुई चुदवाने लगी .... जब वह अपनी चूत अपने पिता के लंड पर मारती तो उसकी गोल मटोल चूचियाँ वाइब्रट करती हुई बुरी तरह से हिलने लगती और दीप अपनी बेटी की ताल से ताल मिलाते हुए अपना लंड उसकी मखमली चिकनी चूत में पूरी गहराई तक पेलने लगता.

" ऐसे ही ज़ोर से डॅड ..... आअहह .......... म्‍म्म्ममममममम " ....... निम्मी ने अपनी बाहें दीप के कंधों के इर्द गिर्द लपेटते हुए उसे अपने ऊपर लिटा लिया .... गहरी साँसों के साथ उसका कराहना घनघोर चीखों में बदल बदल जाता .... जब वह अपनी चूत से अपने पिता के लंड को ज़ोर से भींचने लगती .... दीप ने भी उसके कंधे पर अपना सर रखकर एक गहरी साँस ली और फिर अपने जिस्म की पूरी ताक़त लगाते हुए उसकी चुदाई करने लगा .... वह हुंकार भरते हुए अपने भाले नुमा लंड को बेटी की मलाईदार चूत में पेलता रहा और अति शीघ्रा ही निम्मी को अपने अंदर से रस उमड़ता महसूस होने लगा .... मोटे लंड से पूरी भरी पड़ी उसकी प्यारी चूत बुरी तरह संकुचित होते हुए पिता के लंड को और भी ज़्यादा कसने लगी थी.
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10-03-2018, 04:01 PM,
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" उंगघ !!! मैं गयी डॅड .. उफफफफफफफफ्फ़ मैं गयी " ....... निम्मी की चूत मन्त्रमुग्ध कर देने वाले सखलन के सुखद एहसास से फॅट पड़ी और उससे चुदायि का गाढ़ा रस बह कर बाहर आने लगा .... उसकी चूत की सांकरी गुलाबी दीवारें अपने पिता के उस भयंकर लंड को कसते हुए उसे भींचती रही .... दीप ने अंतिम बार अपना पूरा लंड अपनी बेटी की चूत में जड़ तक पेलते हुए उसे फॉरन बाहर खीचा और तभी उसके लंड से भी वीर्य की असीम फुहारें फूटने लगी.

" आहह " ...... दोनो डॅड - डॉटर अपने पापी मिलन के गवाह बन चुके थे .... दीप का गरम वीर्य निम्मी के पेट से लेकर उसकी चूचियों के हर कोने पर फैला पड़ा था और इसके बाद दीप उसके ऊपर से हटते हुए वापस उसके समानांतर ढेर हो गया.

दोनो अपनी उखड़ी साँसों पर काबू करने की कोशिश करने में व्यस्त हो गये थे .... जहाँ एक और निम्मी अपने कुंवारेपन से बिल्कुल मुक्त हुई वहीं दीप को अब किसी तरह की कोई फिकर नही रही .... अब वह जब चाहे .... जहाँ चाहे अपनी बेटी का भोग कर सकता था.

कुछ देर पश्चात दीप बिस्तर से नीचे उतर कर अपने कपड़े पहनने लगा ....... " कहाँ जा रहे हो डॅड ? " ....... निम्मी ने आश्चर्य में भरते हुए उससे पूछा.

" तू आराम कर मैं आधे घंटे मे आ रहा हूँ और बेड से नीचे मत उतरना .. सो जा थोड़ी देर " ....... यह कहता हुआ दीप कमरे से बाहर निकल गया.

उसके कमरे से निकल जाने के बाद निम्मी अपने बदन पर बिखरे पड़े अपने पिता के गाढ़े सुगंधित वीर्य को .... अपनी उंलगियों पर लपेट कर सूंघने लगी ....... " इससे ही तो मैं पैदा हुई थी " ...... यह कहती हुई वह ज़ोरों से हँसने लगी और जाने कब एक एक कर उसकी वे उंगलियाँ उसके मूँह के अंदर प्रवेश करती गयी उसे पता भी नही चला .... उसके चेहरे के खुशनुमा भाव ज़ाहिर कर रहे थे कि उसे अपने पिता के वीर्य का ज़ायका बहुत स्वादिस्त लगा है और इसके पश्चात वह अपनी आँखें मूंद कर अपने आने वाले सुनहरे भविष्य के नये नये सपने बुनने में खोती चली गयी.
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10-03-2018, 04:01 PM,
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पापी परिवार--49

ऑफीस से बाहर निकलते ही दीप ने एक बहुत बड़ा बोझ अपने मष्टिशक से कम होता पाया .... वह अब खुली हवा में साँसें जो ले पा रहा था .... हलाकी थोड़ी देर पहले गेस्ट रूम के अंदर जो कुछ भी हुआ .... उसे इस बात से कोई ग्लानि महसूस नही हो रही थी बल्कि उसने अपने खून को जम कर एंजाय किया था परंतु जैसे शराब का नशा उतरने के पश्चात हर शराबी की एक ही रट होती है ...... " अब कभी नही पियुंगा " ...... या ....... " अभी मंन नही भरा " ....... बस सेम यही हालत उसकी हो रही थी.

अपनी इसी सोच में डूबा हुआ वह एक बड़े से मेडिकल स्टोर के आगे रुक गया ...... " एक्सक्यूस मी !!! एक पेन रलिएवेर टॅबलेट का पॅक देना & एमर्जेन्सी कॉंट्रॅसेप्टिव पिल्स भी " ...... वह स्टोर कीपर से बोला.

जल्द ही उसने सारा समान समेटा और वापस अपने ऑफीस की तरफ बढ़ने लगे लेकिन जितनी तेज़ी उसके से कदम बाहर आए थे अब लौटते वक़्त उसमें लड़खड़ाहट शामिल हो गयी थी.

" क्या वह सो चुकी होगी ? " ...... दीप की सबसे बड़ी मुश्क़िल थी अपनी बेटी का दोबारा सामना करना .... वह कितना भी बड़ा चोदु इंसान क्यों ना हो लेकिन इस बार उसने दुनिया का सबसे घटिया काम किया था .... ऐसा कौन सा बाप होगा जो अपनी ही सग़ी बेटी को चोदने के बाद उसके लिए मेडिसिन ले कर जाए.

" नही मैने अपना वीर्य अंदर नही छोड़ा था पर फिर भी कोई रिस्क लेना ठीक नही " ...... शायद यही सोच कर उसने पेन किल्लर के साथ कॉंट्रॅसेप्टिव पिल्स भी खरीदी होंगी और अब वह ऑफीस का गेट पार कर अंदर आ गया.

गेस्ट रूम के बाहर कोई पाँच मिनिट्स बिताने के पश्चात उसने बिना कोई एक्सट्रा शोर किए दरवाज़ा खोला .... देखा तो निम्मी जाग रही थी और अपने पिता को देखते ही उसने स्माइल किया लेकिन यहाँ एक बात जो दीप ने कमरे के अंदर आते ही नोट कर ली, वह थी .... ना तो उसकी बेटी ने अपना नंगा बदन ढकने की कोई कोशिश की और ना ही वह शरमा रही थी.

" बिना बताए आप कहाँ चले गये थे डॅड !!! पता है मैं कितनी परेशान थी और इस पॉलितेन बॅग में क्या है ? " ...... निम्मी ने बात चीत का सिलसिला शुरू करते हुए उस पर अपने सवालो की झड़ी लगा दी.

" वो मैं तेरे लिए मेडिसिन लेने गया था " ....... फुसफुसाते हुए दीप ने जवाब दिया .... हलाकी वह थोड़ा नर्वस था सिर्फ़ इस बात से की कहीं निम्मी के माइंड में उसके लिए कुछ उल्टा - पुल्टा ना चल रहा हो .... लेकिन लाइव सीन देखने के बाद वह काफ़ी रिलॅक्स हो हुआ .... वहीं अपने पिता के चेहरे पर निम्मी को नर्वुसनेस सॉफ दिखाई पड़ी लेकिन वह ऐसा बिल्कुल नही चाहती थी .... अब वे दोनो बाप - बेटी के पवित्र रीलेशन से बहुत आगे निकल चुके हैं तो पीछे लौटना कतयि संभव नही था .... खास कर निम्मी के लिए तो बिल्कुल नही.

" मेडिसिन किस लिए डॅड !!! मैं ठीक हूँ एक दम " ...... निम्मी ने बैठने की कोशिश करते हुए कहा और फॉरन उसके चेहरे पर पीड़ा भाव उमड़ आया .... जिसे वह चाह कर भी अपने पिता से छुपा ना सकी.

" इसी लिए तो मेडिसिन लेने गया था .... उठ मत तू लेटी रह .. सब ठीक हो जाएगा " ..... भले ही चुदाई के दौरान दीप इंसान ना रह जाता हो लेकिन इस वक़्त उसकी आवाज़ में केर थी .... वह महसूस कर सकता था कि उसकी बेटी कितना दर्द झेल रही होगी.

" बिना देखे आप कैसे कह सकते हो डॅड !!! उफफफफफफ्फ़ ..... लगता है जैसे .. जैसे मेरी चूत फॅट गयी हो " ...... खिल खिलाती निम्मी यह बोलते टाइम थोड़ा हिचकिचाई मगर उसने जान बूझ कर चूत शब्द का स्पष्ट उच्चारण किया था .... जिससे वह दीप के ऊपर अपनी ओपननेस ज़ाहिर कर सके और साथ ही उसके इस ख़तन में इक इशारा भी शामिल था .... वह अपने पिता को वापस अपनी चूत दिखाना चाहती थी ताकि उसके चेहरे का सही या ग़लत रेस्पॉन्स देख सके.
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10-03-2018, 04:01 PM,
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वहीं दीप के बदन में ज़ोरदार झटका लगा .... इस वक़्त उसकी बेटी ना तो मदहोश थी और ना ही ज़रा भी उत्तेजित फिर कैसे उसने अपने पिता के सामने चूत शब्द का इतना क्लियर इतेमाल कर लिया .... सुन कर वह हैरान हुआ ...... " ले टॅबलेट खा ले .. ठीक हो जाएगी " ...... उसने पोलिबॅग में से पेन किल्लर और पिल .... दोनो एक साथ निकाल कर निम्मी की तरफ बढ़ा दी.

" टॅबलेट तो खा लूँगी डॅड पर आप देखो तो सही मेरी चूत की हालत कैसी है .. क्या अब यह हमेशा ही ऐसी रहेगी ? " ....... निम्मी के अगले अश्लील संवाद ने दीप को उसकी चूत देखने पर मजबूर कर दिया ...... " कम से कम कपड़े से सॉफ ही कर लेती " ...... निम्मी के ऑर्गॅज़म के साथ ही ब्लड का मिक्स्चर सूख कर उसे दूर से भी बेहद ज़ख़्मी शो कर रहा था और यह देख कर दीप थोड़ा सकते में आ गया.

" वाह डॅड !!! क्या मतलब निकल जाने के बाद आप हर लड़की को ऐसा ही कहते हो .. मज़े आप ने लिए हैं .. अब आप ही सॉफ करो इसे " ...... निम्मी बेशर्मी से अपनी टाँगो को विपरीत दिशा में फैलाते हुए मुस्कुराने लगी .... दीप फ्लोर पर खड़ा था और फॉरन उसके बदन में कंपन होने लगा .... बेटी के नंगे बदन ने वापस उसके लंड में तनाव लाना शुरू कर दिया था और साथ ही वह जान गया कि निम्मी उसके साथ बातों में भी खुलना चाह रही है.

" अच्छा !!! मज़े सिर्फ़ मैने ही लिए हैं क्या ? " ......... यह कहते हुए दीप सोफे की तरफ बढ़ गया .... उसे इस हिचकिचाहट में भी एक अलग आनंद का अनुभव हुआ .... ज़ाहिर है, इन्सेस्ट प्ले में इंटरकोर्स से कहीं ज़्यादा सॅटिस्फॅक्षन सेक्सी और वल्गर कॉन्वर्सेशन से आता है .... जो रिलेशन्स पहले इक पर्दे में हों, बेहद सॉफ और शुद्ध हों .... अगर अश्लीलता और लुस्ट से भर जाएँ, तो सिर्फ़ बातों से ही लोगो का पानी छूट जाना संभव हो जाया करता है.

" क्या कहा डॅड !!! आप को मज़े नही आए लेकिन मेरी फटी चूत तो कोई अलग ही कहानी बयान कर रही है " ........ बात पूरी करने से पहले निम्मी ने बड़ी बेशर्मी से अपनी इंडेक्स फिंगर को अपने मूँह में डाल कर थोड़ी देर चूसा और फिर उसे अपनी चूत की ज़रूरत से ज़्यादा खुल चुकी पंखुड़ियों के बीच रगड़ने लगी ......... " आअहह डॅडी !!! एक बात पूच्छू ? " ......... वह अपने पिता को टीज़ करते हुए बोली .... वहीं उसकी आँखों में वासना के लाल डोरे तैरते देख दीप को ए/सी में भी पसीना आने लगा.

" हां - हां पूच्छ .. क्या पूच्छना चाहती है ? " ......... दीप लालायित होकर बोला .... वह जानता था निम्मी ज़रूर कोई लज्जावीहीन सवाल ही करेगी लेकिन फिर भी वह आतुर था उसका सवाल सुनने के लिए.

" अब तक आप मेरी उमर की कितनी मासूम लड़कियों की चूत इतनी बुरी तरह से फाड़ चुके हो और हमेशा यहीं लाते हो ना कुँवारी कलियों को ? " ........ निम्मी ने अपने मोटी से दाँत बाहर निकालते हुए पूछा ..... बेड पर अपने पिता के सामने भरी जवानी में पूरी नंगी, अपनी चूत खुजाती वह किस छोर से किस छोर तक मासूम थी .... इसका जवाब तो शायद ऊपरवाला भी धरती पर आ कर नही दे सकता था.

" क्यों !!! क्या मेरी बीवी से शिक़ायत करेगी ? ....... बात कहते वक़्त दीप मुस्कुरआया .... पॅंट के अंदर उसके खड़े लंड का ज़ोर था जो अब वह भी खुल कर इन सब वाइल्ड बातों को एंजाय करने का मन बनाने लगा था.

फॉरन निम्मी बेड से नीचे उतर कर सोफे की तरफ अपने कदम बढ़ाने लगी .... उसकी लड़खड़ाती चाल, उसके गोल मटोल चूतड़ मटकाने का कार्य स्वतः ही किए जा रही थी .... चलते वक़्त वह अपने पिता की आँखों में घूर कर देख रही थी .... उसके ठोस बूब्स बिना ब्रा के बेहद कसे हुए थे, जैसे उनमें सिवाए माँस या हवा के कुछ और भरा ना ही हो .... ज्यों - ज्यों निम्मी का नंगा जिस्म उसके पिता के करीब आता गया, दीप की साँसें उसकी रूह का साथ छोड़ने लगी, आख़िर कार निम्मी उसकी सामने आ कर खड़ी हो गयी.

" मैं क्यों शिक़ायत करने लगी भला आप की बीवी से " ......... वह अपने पिता की टाँगो के बीच अपनी राइट टाँग रखते हुए आगे को झुक गयी .... भला हो उसका जो उसने अपनी टाँग सीधे दीप के तने लंड पर नही रखी वरना पक्के से दीप अकारण ही झाड़ जाता ....... " अब से मैं भी तो आप की बीवी ही हूँ डॅड " ........ निम्मी की इस बिंदास बोली पर दीप चौंक गया .... उसकी यह बात सुनते ही उससे कंट्रोल नही हो पाया और उसके लंड ने उसकी अंडरवेर में रिसना शुरू कर दिया.
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10-03-2018, 04:01 PM,
RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
" निम्मी शरम कर थोड़ी .... तू इतनी बेशरम कैसे हो गयी ? " ........ उसने अपने लफ्ज़ पूरी तरह से कह नही पाया कि उसकी बेटी ने अपनी वही उंगली .... जिससे वह कुछ देर पहले अपनी चूत की फान्खो पर रगड़ दे रही थी .... थोड़ी देर अपने पिता के खुले होंठो पर फेर कर उसके मूँह के अंदर थेल दी ......... " ष्ह्ह्ह्ह्ह डॅड !!! अब बस करो यह शरम का ढोंग, हम इससे बहुत आगे निकल आए हैं .. क्या अब भी हम एक दूसरे का लिहाज़ करें, जब कि मैं आपका लंड चूस चुकी हूँ .. आप मेरी टांगे फैला कर मेरा कुँवारापन्न लूट चुके हो .. नही डॅड अब हमे इस दीवार को मिटा कर अपनी लाइफ .. पूरी तरह से एंजाय करनी चाहिए " ......... निम्मी ने उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा.

उसका लुस्थफुल्ली संवाद सुनकर दीप के होश उड़ गये .... वह हैरान रह गया जैसे उसके सामने उसकी बेटी नही कोई अजूबा खड़ा हो .... उससे कोई जवाब देते नही बॅन पाया, हलक से आवाज़ बाहर आती भी तो कैसे .... निम्मी ने अपनी उंगली उसके मूँह में घुमानी जो शुरू कर दी थी.

" क्या सोच रहे हो डॅड !!! ओह कम ऑन .. प्लज़्ज़्ज़्ज़ मुझे बताओ ना अब तक आप कितनी लड़कियों को कली से फूल बना चुके हो ? " ....... निम्मी ने अब अपनी उंगली उसके मूँह से बाहर खीच ली और खुद उसे चूसने लगी .... ऐसा करते ही इक सनसनी उसके नंगे बदन में समाने लगी और उसकी चूत का पिघलना शुरू हो गया.

" बस कर निम्मी !!! तेरी बातों से मुझे शरम आने लगी है .. यह अचानक से इतनी निर्लज्ज कैसे हो गयी तू ? " ....... अपनी बेटी का रॅनडिपना देख कर दीप पानी पानी हुआ जा रहा था .... भले उसने अपने जीवन में हमेशा इसी खुलेपन्न वा नन्ग्पन्न की कल्पना की थी लेकिन कहाँ जानता था कि इसको अंजाम तक उसकी सग़ी बेटी ही पूछने में जुट जाएगी.

वहीं निम्मी हस्ती हुई उसकी गोद में बैठ गयी ....... " उफफफफफ्फ़ !!! आपको उस वक़्त शरम क्यों नही आई डॅड .... जब आपने अपना लंड दोबारा अपनी मर्ज़ी से मेरे मूँह में डाला था " ........ वह अपनी गान्ड पर अपने पिता के विकराल लौडे की छुअन से मदहोश हो कर उसका कान चाटने लगी.

वहीं दीप से ज़रा भी सबर नही हो पाया .... अब वह कुछ और नही सोचना चाहता था सिवाए इसके कि उसकी गोद में एक जवान नंगी लड़की बैठी है और जल्द ही वह अपनी बेटी की अन्छुइ चूचियों को अपने कठोर पंजो में जकड़ने लगा ......... " आऐईयईईईईई डॅड !!! बेटी समझ कर दबाओ .. दर्द होता है " ......... निम्मी अपनी गान्ड को उसके खड़े लंड पर रगड़ती हुई सिसकी .... दीप तो जैसे मंत्रमुग्ध था उसके बूब्स की सुंदर कसावट पर.

" निम्मी !!! मैं अब तक बहुत तडपा हूँ लेकिन तू ठीक कहती है .. हम बाप बेटी के रीलेशन से बहुत आगे निकल चुके हैं और अब हमे खुल कर एंजाय करना चाहिए " ....... दीप अपना चेहरा बेटी की मांसल चुचियों पर झुकाते हुए बोला .... उसकी मंशा अब निम्मी के बड़े बड़े उरोजो का रास्पान करने की होने लगी थी.

" डॅड !!! आइ लव यू .. अब मैं आप को कभी तड़पने नही दूँगी .. आप ने कहा था ना मैने आप को अपना दूध नही पिलाया .. सक देम डॅड .. सब आप के लिए ही है, सिर्फ़ आप के लिए " ....... निम्मी उत्तेजना के भंवर में गहरे गोते लगाती हुई बोली .... अपने बाप के ज़ालिम होंठो का स्पर्श अपने बूब्स के तने निपल पर महसूस कर वह सिरहन से काँपने लगी थी ....... " चूसो डॅड .. सक देम हार्डर " ....... अपने हाथो से अपनी चूचियाँ पकड़ कर अपने पिता के मूँह मे डालती हुई वह ज़ोरों से उन्हे मसल्ने लगी.

दीप ने किसी छोटे बच्चे की भाँति अपनी बेटी के दाँये निपल को अपने कड़क होंठो से चूसना शुरू कर दिया .... जैसे - जैसे उसकी कामोत्तजना बढ़ी वह निपल को हल्के दांतो से काटने भी लगा, बड़ा अजीब एहसास था यह .... दोनो चन्द लम्हों में जैसे पूरी तरह से पागल हो गये थे ....... " ओउउउउउउउउउउउछ्ह्ह्ह !!! डॅड नहाने चलें ? " ........ एग्ज़ाइटेड निम्मी की चूत वापस तैयार हो चुकी थी अपने पिता का मूसल अंदर लेने के लिए .... वह दीप की शर्ट के बटन ओपन करती हुई बोली.

दीप पर तो जैसे उसकी बात का कोई असर ही नही हुआ और अब वह उसके बाएँ निपल पर अपने दाँत गढ़ाने लगा था ......... " ह्म्‍म्म्म डॅड !!! चा .. चलो ना बाथरूम चलते हैं " ......... निम्मी की आँखों मे शरारत, वासना और बेशरामी की पराकाष्ठा उतर आई थी .... उसके पिता ने जिस बेरहमी और कठोरता से अपनी बेटी के विकसित उरोज चूसे और दबाए थे .... निम्मी तो बहती ही जा रही थी.

" उफफफफफ्फ़ डॅड !!! आज ही चूस लोगे क्या सारा दूध .... मुझे नहाना है, आप चलो .. अपने हाथो से नहलाना अपनी बेटी को " ......... निम्मी ने उसकी शर्ट को उसके जिस्म से उतार कर दूर फेंक दिया और किसी काम लूलोप रंडी की तरह ज़ोरदार आँहे भरने लगी .... ज़ाहिर था नीचे उसकी बहती चूत के मुहाने पर दीप के खड़े लंड की अग्रिम चोटें उसकी सहनशक्ति से बाहर हो चली थी.

" नही निम्मी !!! दूसरे राउंड के लिए तू तैयार नही है अभी .. हमे वापस घर भी जाना है " ......... दीप ने कुछ देर सोच कर जवाब दिया .... उसे डर था कहीं निम्मी की बिगड़ी चाल - ढाल घर पर चर्चा का विषय ना बन जाए .... हलाकी उसकी बेटी का कुँवारापन्न ख़तम हो जाने से अब कितने भी राउंड चुदाई की जा सकती थी लेकिन दीप ज़्यादा रिस्क नही लेना चाहता था.

" मेरी चूत में आग लगी है डॅड और मुझे आप का मोटा लंड चाहिए इसके अंदर " ......... निम्मी मचल कर बोली .... उस पर अपनी पिता की समझाहीश का कोई असर नही हुआ था बल्कि वह सोफे से उठ खड़ी हुई और दीप का पॅंट उतारने लगी.

" समझा कर निम्मी !!! मैं रात में तेरे कमरे में आउन्गा ना लेकिन अभी मान जा बेटा " ........ दीप के मूँह से निकले सारे शब्द झूठे साबित हुए जब उसने अपने कूल्हे उचका कर अपनी पॅंट उतारवाने में अपनी बेटी की मदद की .... निम्मी के हाथो की तेज़ी देखने लायक थी और जल्द ही उसने अपने पिता को अपने जैसा नंगा कर दिया.
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10-03-2018, 04:01 PM,
RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
" डॅड !!! मैं थोड़ी देर के लिए आप का लंड चूसना चाहती हूँ .. आप को यह पसंद है ना ? " ........ अपने पिता का मूड बनाने के लिए निम्मी अपनी गरम व अशील बातों से उसे उत्तेजित करने लगी और साथ ही उसके कोमल हाथो ने उसके विशाल लंड को मुठियाना शुरू कर दिया .... वहीं दीप को लगा जैसे वह अगले पल ही झाड़ जाएगा .... उसके दिमाग़ में तो बस अनाचार ही अनाचार समाया हुआ था.

" बोलो ना डॅड !!! आप चाहते हो ना आप की सग़ी बेटी आपका लंड चूसे ? " ......... निम्मी का यह संबाद दीप के लिए प्राणघातक साबित हुआ और अपने आप उसका हाथ अपनी बेटी की टाँगो की जड़ पर पहुच गया .... दोनो के नंगे जिस्म एक साथ झुलस गये और इसके फॉरन बाद दीप उसके सूजे भांगूर को अपनी इंडेक्स फिंगर और अंगूठे के दरमियाँ फसा कर उसे उमेठने लगा.

" ओह निम्मी !!! हां मैं यही चाहता हूँ बेटा .. डू इट फास्ट .. चूस कर निचोड़ दे अपने डॅडी का लंड " ........ दीप हौले से फुसफुसाया .... वह अपनी कमर हिलाने लगा, लंड पहले से ही निम्मी के हाथो की मजबूत गिरफ़्त में था और आती रोमाचवाश उसके मोटे सुपाडे से प्रेकुं का अनियंत्रित रिसाव भी होना शुरू हो गया.

अपनी घायल चूत पर अपने डॅड की अनुभवी उंगिलयों का घर्षण निम्मी से बर्दास्त नही हो पाया और चन्द लम्हो में ही वह ज़ोरदार चीख देती हुई झड़ने लगी ........ " अहह ........ आहह .. मोर डॅड .. मैं - मैं गयी " ........ अत्यधिक उन्माद में अक्सर ऐसा हो जाया करता है और यह दीप ने जान बूझ कर किया था .... वह किसी भी कीमत पर निम्मी के साथ 2न्ड राउंड खेलने को तैयार ना था .... सबर का साथ तो उसने आज तक नही छोड़ा था और अब उसकी सेक्षुयल लाइफ की स्टार्टिंग दुनिया की सबसे हॉट & सेक्सी लड़की के साथ शुरू हो चुकी थी .... भले ही वे समाज की नज़रों में हमेशा बाप - बेटी बने रहते.

" म्‍म्म्मम !!! आप पूरे जानवर हो डॅड .. अब समझ आता है मोम आप को झेल क्यों नही पाती हैं " ........ निम्मी मुस्कुराइ .... दीप ने उसका संपूर्ण ऑर्गॅज़म अपने हाथ में लपेटा हुआ था और ज्यों ही उसने अपने हाथ को अपनी लंबी जीभ से चाटना शुरू किया .... निम्मी ने ज़बरदस्ती उसके हाथ को अपने अपने हाथ में पकड़ लिया ........ " मैं भी टेस्ट करूँगी डॅड .. मेरे लोवर लिप्स का स्वाद कैसा है " ....... इतना कह कर निम्मी ने उसकी आँखों में देखते हुए एक एक कर उसकी सारी उंगलियाँ चाट ली .... तब भी उसका मन नही भरा, अपने ही रति - रस के अद्धूत स्वाद और सुगंध से वह आनंदित थी .... अब उसके वाइल्ड नेचर ने अपना सही रूप दिखाना भी शुरू कर दिया था.

" यूम्मिईिइ .. इट वाज़ अवेसम डॅड !!! आप को कैसा लगता है अपनी बेटी की चूत का पानी ? " ....... वह दोबारा अपने पिता के खड़े लौडे को सहलाती हुई बोली.

" सच कहूँ निम्मी !!! तेरे नंगे बदन की कशिश ने आज तेरे डॅड का तंन और मन जीत लिया है और अब मैं अपनी हर वह इक्षा तेरे साथ पूरी करना चाहता हूँ .. कभी जिसकी हसरत मैने तेरी मोम के साथ की थी और जिसमे में मैं हमेशा ही नाक़ाम रहा हूँ " ...... दीप ने उसके गोरे गाल को चाटते हुए कहा .... उसका यह कथन निम्मी के अंतर्मंन में चोट कर गया और वह शरम से भर उठी ....... " डॅड !!! मैं भी आप की हर हसरत को पूरा करूँगी .. आप की बीवी बन कर " ........ इतना कहते हुए उसने अपना चेहरा अपने पिता की नंगी चौड़ी छाती में छुपा लिया.

" निम्मी यह सही है या ग़लत मैं नही जानता लेकिन अब मुझे कोई फ़र्क़ नही पड़ता .. तू तेरी मोम की सौतन बन गयी है " ....... दीप ने उसकी नंगी पीठ पर अपना हाथ फेरते हुए कहा .... निम्मी की गद्देदार चूचियाँ उसकी छाती में धँसती जा रही थी और अब वह चाहता था .... जल्द ही उसके हार्ड लंड को झाड़ कर मुक्ति मिल जाए.

" निम्मी !!! " ....... दीप ने बड़े प्यार से अपनी बेटी का नाम पुकारा.

" हुन्न्ञणन् दाद !!! " ........ निम्मी ने भी सेम टोन में उसकी बात का जवाब दिया लेकिन अब तक उसने अपना चेहरा अपने पिता की छाती से अलग नही किया था .... उसकी नाक में दीप के स्वीट जिस्म की मर्दाना महक समाती जा रही थी और जाने कब वह उसकी बालो से भरी छाती को अपनी जीभ से चाटने लगी .... उसे खुद अनुमान नही हो पाया.

" मेरा लंड चूसेगी ? " ....... दीप ने सॉफ महसूस किया कि जैसे जैसे वह अपनी बेटी के साथ निक्रिस्ट वा अश्लील बातों का सहारा लेता जा रहा है .... उसके विकराल लंड में और ज़्यादा विकरालता आती जा रही है .... उसने निम्मी पर कोई ज़ोर नही डाला और अब वह उसके जवाब की प्रतीक्षा करने लगा.

निम्मी उसकी गोद से उठ कर सोफे से नीचे अपने घुटने मोड़ कर बैठ गयी परंतु अब तक उसके मूँह से अपने पिता के सवाल का कोई उत्तर नही निकला था ........ " निम्मी पहले मेरी आँखों में देख कर मेरे सवाल का जवाब दे .. फिर चूसना " ........ दीप ने मुस्कुराते हुए कहा.

निम्मी का चेहरा लज्जा से भरने लगा .... हलाकी वह इतना शर्मा नही रही थी लेकिन कुछ बंदिशें तो अब भी दोनो बाप - बेटी के दरमियाँ बाकी थी .... जिससे निम्मी चाह कर भी बाहर नही निकाल पा रही थी .... उसने बिना कोई जवाब दिए अपनी खुरदूरी जीभ अपने पिता के सूजे सुपाडे पर गोल - गोल घुमानी शुरू कर दी.

" आहह निम्मी !!! ऐसे नही .... पहले जवाब दे मेरी बात का " ........ दीप ने फॉरन अपने लंड को बेटी के हाथ से छुड़ा लिया और अपने हाथ से लंड की खाल ऊपर नीचे करते हुए उसे हौले हौले हिलाने लगा.

" नो डॅड !!! प्लज़्ज़्ज़ .. यह मुझसे नही होगा " ........ निम्मी ने उसकी सुडोल जाँघो पर अपना चेहरा रखते हुए कहा ....... " क्या नही होगा तुझसे .. अपने डॅड का लंड चूस नही पाएगी या मेरी बात का जवाब नही दे पाएगी ? " ......... दीप ने शरारत में भरते हुए उसकी चुटकी ली.

" आप बहुत नॉटी हो .. भला कोई डॅड अपनी बेटी से इस तरह के सवाल करता है .. मैं नहाने जा रही हूँ, आप को आना हो तो आ जाना " ....... यह कहते हुए निम्मी ने अपने पैरो पर खड़ा होना चाहा लेकिन दीप ने उसे कंधो को मजबूती से थाम कर वापस उसे उसके घुटनो पर बैठने पर मजबूर दिया.

" जवाब दे दे .. फिर चली जाना " ....... दीप ने दोबारा से वही राग अलापा ........ " क्या सुनना है आप को डॅड ? " ........ निम्मी ने अपना चेहरा ऊपर उठाते हुए अपनी वासना से परिपूर्न आँखें अपने पिता की आँखों से जोड़ दी.

" सवाल तुझे पता है निम्मी .. मुझे सिर्फ़ तेरा जवाब चाहिए ? " ....... दीप ने अपने खड़े लंड का सुपाड़ा अपने चूतड़ हवा में उठाते हुए .... निम्मी के बंद होंठो पर रगड़ दिया और जिससे एक लिसलिसा तार उसकी बेटी व उसके लंड की टिप के साथ अटॅच हो गया.

" हां दाद मैं आप का लंड चूसना चाहती हूँ क्यों कि अब आप की बेटी आपके इस हार्ड & लोंग डिक की दीवानी हो चुकी है " ........ निम्मी ने बड़े कॉन्फिडेन्स से यह बात कही और फिर अपने होंठो से अटॅच हुआ वह लिसलिसा तार सुड़कते हुए अपने पिता के छोटे सेब समान सुपाडे तक खींची चली आई .... लंड दोबारा उसकी मुट्ठी में समा चुका था.
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10-03-2018, 04:02 PM,
RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
" आप से अब मुझे कभी कोई इजाज़त लेने की ज़रूरत नही डॅड .... मैं जब चाहु .. जहाँ चाहु ज़बरदस्ती आप के मोटे लंड से खेल सकती हूँ .. इसे चूस सकती हूँ और इससे चुद सकती हूँ " ....... निम्मी ने इसके बाद कोई और शब्द मूँह से बाहर नही निकाले और जैसे कोई फरमान सुनाते हुए दीप को फ्यूचर की शर्तों पर अमल करने की चेतावनी दी हो .... इसके बाद उसने अपने पिता की आँखों में देखते हुए दो तीन बार अपनी भोहे उच्छाली जैसे दीप से अपनी बात का प्रण करवाना चाहती हो.

" हां मंज़ूर है .. उफफफफफफफ्फ़ निम्मी !!! तू आग है बेटा " ........ दीप ने जैसे ही अपनी रज़ामंदी दी निम्मी ने उसके सुपाडे को अपने मुलायम होंठो के कठोर ज़ोर से चूसना शुरू कर दिया .... उसके मूँह में पिता के अग्रिम वीर्य का रस घुलने लगा और वह तेज़ी से सुपाड़ा चूस्ति हुई उस रस को अपने गले के नीचे उतारने लगी.

" ओह " ....... एक दम से दीप पर झड़ने का भूत सवार हो गया और जैसे ही निम्मी की जीभ की तीखी नोक ने अपने पिता के सूजे सुपाडे पर बने अति नाज़ुक छेदो पर चोट की .... दीप कंट्रोल नही कर पाया और उसके वीर्य का विस्फोट उसकी बेटी के मूँह में फूट पड़ा.

" आहह निम्मी ....... उहह " ....... दीप के बदन की ऐंठन से रुक रुक कर निम्मी के गले में उसके वीर्य की लंबी लंबी फुहारें छूट रही थी .... वहीं निम्मी ने झट उसके सुपाडे को और ताक़त से चूसना शुरू कर दिया .... वह सॉफ महसूस कर रही थी उसके पिता का वीर्य बेहद गाढ़ा, गरम और आती स्वदिस्त है और जिसकी एक बूँद भी ज़मीन पर गिराना उसके लिए पाप समान होगा लेकिन वीर्य की अधिक मात्रा और सुपाडे के आकार ने निम्मी के छोटे से मूँह में रुकना स्वीकार नही किया और उसके गुलाबी होंठो की दोनो कीनोर छलक उठी.

अपनी बेटी के गले से बाहर आती गलल गलल की ध्वनियाँ दीप सॉफ सुन पा रहा था और लगभग आधे मिनिट तक उसका लंड वीर्य की असीम बौछारें अपनी बेटी के मूँह में छोड़ता रहा .... इसके पश्चात निम्मी ने अपने होंठो को ढीला किया और किसी एक्सपीरियेन्स्ड रांड़ की भाँति अपना मूँह खोल कर अपने पिता को उसका गाढ़ा वीर्य दिखाने लगी.

उफफफफफ्फ़ क्या उत्तेजक नज़ारा था यह ... दीप तो जैसे पागाल ही हो गया .... उसने निम्मी को कंधो से पकड़ कर सोफे पर खीचा ....... " मैं भी टेस्ट करूँगा निम्मी " ........ एक पल को वह अपनी बात कहने के लिए रुका और फिर अपने होंठो को निम्मी के होंठो से जोड़ दिया .... दोनो की जीभ आपस में रगड़ खाने लगी और अब वे पूरी तरह से इस पापी अनाचार का हिस्सा बन चुके थे .... उसे स्वीकार कर चुके थे और जिससे उनका निकट भविष्य आगे ना जाने कैसा होने वाला था.
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10-03-2018, 04:02 PM,
RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
पापी परिवार--50

निकुंज कार को बेहद स्पीड में पार्क की तरफ ले जा रहा है .... ज़ाहिर है इस वक़्त निक्की को मनाना ही उसकी अंतिम ख्वाहिश थी और इसके लिए आज वह अपनी मा को दिया जाने वाला गिफ्ट भी अपनी बहेन के हवाले करने जा रहा था.

" बेटा !!! रात में ठीक से नींद आई थी ना ? " ....... निकुंज ने बड़े प्यार से अपनी बहेन से पूछा लेकिन निक्की को लगा जैसे उसका भाई उसके जले जख़्मो पर नमक छिड़क रहा हो.

बीती रात उसे निकुंज के प्यार की सख़्त ज़रूरत थी और यदि उसका भाई उसे उत्तेजना के एग्ज़ाइट्मेंट में अकेला घिरा छोड़ कर उसके कमरे से बाहर नही जाता .... वह अवश्य ही उसे अपना जिस्म सौंप देती .... उसे तो वह आनंद दोबारा चाहिए था जो उसे अपने भाई की गोद में झाड़ते वक़्त आया था.

" हां भाई !!! मैं बहुत अच्छे से सोई थी रात को " ....... निक्की ने अपना मुरझाया चेहरा स्माइल में बदल कर जवाब दिया .... अभी उसे निकुंज से बहुत सी शिक़ायतें थी मगर वह उस पर अपनी मंशा ज़ाहिर नही होने देना चाहती थी.

" लेकिन मुझे तो रात भर नींद नही आई " ...... निकुंज ने उदास होते हुए कहा .... हुआ भी कुछ यही था, रात भर उसकी बंद आँखों में अपनी सग़ी छोटी बहेन निक्की के मोटे बूब्स और झान्टो भरी चूत घूमती रही थी .... सपनो में ही सही लेकिन बीती सारी रात वह निक्की के काल्पनिक नंगे जिस्म से खेलता रहा था .... जाने कितनी दफ़ा उसने अपनी प्यारी बहेन की कुँवारी चूत का रस पिया होगा और उसकी चूचियों को मसला होगा .... उसे खुद याद नही और शायद सुबह बेड छोड़ते वक़्त उसने जो फ़ैसला लिया ..... " निक्की चाहेगी तभी वह उसके साथ सेक्स करेगा .. वरना नही " ....... यह इसका सबूत था.

" ऐसा क्यों भाई !!! आप को नींद क्यों नही आई ? " ........ निक्की ने सिंप्ली सवाल पूछा.

" बस नही आई मतलब नही आई " ...... निकुंज ने जवाब तो दिया लेकिन उसके चेहरे पर छाई स्माइल ने निक्की को हैरान कर दिया .... उसकी क्यूरीयासिटी बढ़ गयी कि आख़िर उसके भाई को सारी रात नींद क्यों नही आई और बात कहते वक़्त वह मुस्कुरा क्यों रहा है.

" कोई ख़ास वजह तो होगी भाई .... क्यों कि अभी आप की आँखें लाल दिख रही हैं " ........ निक्की ने अपने क्वेस्चन मे हल्का सा चेंज लाते हुए कहा .... उसके चेहरे पर जिगयासा के भाव थे लेकिन कार ड्राइव करते हुए निकुंज की नज़र उसके चेहरे पर ठीक से ठहर नही पा रही थी.

" मेरी छोड़ निक्की !!! तू यह बता .. क्या अब भी नाराज़ है अपने भाई से ? " ........ निकुंज असली मुद्दे पर आते हुए बोला साथ ही उसने कार की स्पीड धीमी कर ली.

" मैं आप से नाराज़ कैसे हो सकती हूँ भाई .. नाराज़ तो कल रात आप थे मुझसे " ....... निक्की के इस दो टुक जवाब की आशा निकुंज को कतयि नही थी .... सुन कर वह थोड़ी निराशा मे आ गया .... हलाकी सुबह कमरे में भी उसकी बहेन उस पर नाराज़ थी लेकिन अब तक तो उसे नॉर्मल हो जाना था.

" वैसे भाई !!! ठीक ही किया जो आप कमरे से बाहर चले गये थे .. वरना मैं चैन से कैसे सो पाती " ........ निक्की ने उस पर व्यंग कसते हुए कहा .... एक इशारा भी उसके कथन में शामिल था, माना बीती रात वह पूरी तरह से मदहोश थी लेकिन कुछ देर के लिए उसके भाई ने भी अपना नियंत्रण खोया था और जब निकुंज ने अपनी मर्ज़ी से उसकी चूची मसली .... परिणामस्वरूप निक्की का मन हुआ, उसका भाई उसकी चूत में उठते दर्द का भी निवारण करे.

" निक्की तू सॉफ लफ़ज़ो में क्यों नही कहती .. आख़िर तुझे मुझसे दिक्कत क्या है ? " ........ काफ़ी कंट्रोल करने के बावजूद निकुंज ने झल्ला कर उससे पूछा .... कहाँ वह अपनी बहेन को मनाने आया था और बदले में निक्की उसका मज़ाक उड़ा रही थी.

" आप से दिक्कत नही है भाई .. मुझे दिक्कत अपने आप से है लेकिन आप परेशान मत हो " ........ अपने भाई का इस तरह गुस्से में बात करना निक्की को भी अच्छा नही लगा और वह अपना मूँह फेर कर चुपचाप खिड़की से बाहर देखने लगी .... बाद में निकुंज ने रिलाइज किया, उसे अपनी बहेन से इस कदर नाराज़गी में बात नही करनी चाहिए थी.

" निक्की !!! क्या इस तरह चुप हो जाना किसी दिक्कत का सल्यूशन है .... हमे बात करनी चाहिए " ......... निकुंज ने कार में ब्रेक लगाते हुए कहा और इसके बाद वह अपना चेहरा अपनी बहेन की तरफ मोड़ कर बैठ गया.

" मैने कहा ना भाई !!! आप परेशान मत हो .... मैं अपनी दिक्कत का सल्यूशन खुद ढूँढ लूँगी " ......... हलाकी निक्की ने यह बात भी बिल्कुल नॉर्मल वे में कही मगर निकुंज ने इसका कोई दूसरा ही अर्थ लगा लिया.

उसने सोचा कहीं उसकी बहेन अपनी जिस्म की प्यास बुझाने के लिए किसी बाहरी इंसान का साथ तो नही लेना चाहती और यह बात उसके दिल ओ दिमाग़ में काफ़ी अंदर तक चोट कर गयी .... अपने आप उसकी आँखों में बीती रात का सारा द्रश्य ज्यों का त्यों घूमने लगा जिसमें उसने निक्की को बेहद उत्तेजित अवस्था में देखा था .... निकुंज के मन में इस वक़्त अपनी बहेन के लिए पाप समाया हुआ था और तभी वह अपनी गिरी सोच में .... प्यार और लस्ट के दरमियाँ ज़रा भी अंतर नही कर पाया.
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10-03-2018, 04:02 PM,
RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
" फिर क्या सल्यूशन आया तेरे माइंड में ? " ....... फॉरन उसके मूँह से यह बात निकली लेकिन निक्की ने कोई जवाब नही दिया.

" फॉर गॉड सेक निक्की !!! कुछ तो बोल बेटा .. अब हम बड़े हो गये हैं .. भला ऐसी छोटी मोटी बातों पर कब तक एक दूसरे से खफा रह पाएँगे " ....... यह बात कहते हुए जल्दबाज़ी में निकुंज ने अपना हाथ निक्की की जाँघ पर रख दिया.

वैसे देखा जाए तो भाई - बहेन के बीच यह एक सिंपल टच माना जा सकता है लेकिन वर्तमान हालात काफ़ी बदल चुके थे और ज्यों ही निक्की को एहसास हुआ कि उसकी जाँघ पर उसके भाई का हाथ है .... एक सिरहन के साथ उसका पूरा जिस्म काँप उठा .... उसे लगा जैसे निकुंज ने सीधे उसकी तड़पति चूत पर अपना हाथ रख दिया हो.

वहीं निकुंज को भी महसूस हुआ उसकी बहेन की बॉडी वाइब्रट कर रही है लेकिन निक्की का चेहरा दूसरी तरफ घूमा होने से उसे इस बात का कोई क्लियर प्रूफ नही मिल पाया.

" मेरी बात का जवाब तो दे निक्की " ....... निकुंज ने उसकी जाँघ पर अपने हाथ का दबाव देते हुए कहा.

" भा .. भाई हमे पार्क चलना चाहिए " ....... निक्की हौले से फुसफुसाई .... वह रात में अपने भाई के इसी टच से रोमांचित हुई थी .... सुबह भी कुछ पल के लिए उसकी चूत से रिसाव हुआ और अब भी उसे कुछ अलग सी फीलिंग आना शुरू हो गयी थी.

" पार्क में बात नही हो पाएगी .. हमे यहीं बात करनी होगी " ...... निकुंज ने कहा और इस बार अपने हाथ को उसकी जाँघ से हटा कर उसके कंधे पर रखते हुए ज़बरदस्ती उसे अपनी तरफ टर्न करने लगा.

" भाई !!! प्लज़्ज़्ज़ घर लौट चलो " ....... निक्की सिसकी लेकिन अब तक उसने खुद तो अपने भाई की तरफ देखने से रोक रखा था .... वह डर के मारे सहमी जा रही थी कि कहीं उसके भाई को उसकी सेडक्षन भरी हालत का पता ना चल जाए और यदि ऐसा हुआ तो बेवजह ही उसे अपने भाई के सामने शर्मसार होना पड़ेगा.

" घर बाद में जाएँगे .. पहले मैं तुझसे बात करना चाहता हूँ " ........ यह कहते हुए निकुंज ने अपने हाथ का ज़ोर लगाया और ना चाहते हुए भी निक्की को उसकी तरफ मुड़ना पड़ा.

अपनी बहेन के चेहरे पर नज़र पड़ते ही निकुंज का दिमाग़ काम करना बंद कर गया .... उसने सॉफ देखा, उसकी बहेन के होंठ बुरी तरह फडक रहे हैं और उसकी साँसे इस तेज़ी से चल रही हैं जैसे वह मीलों दौड़ कर आई हो .... साथ ही उसकी पनियल आँखों की सुर्खियत भी काफ़ी हद तक उसकी खुमारी को बयान कर रही थी.

" तू ठीक तो है .. रो क्यों रही है ? " ....... टॉपिक में हल्का सा बदलाव लाते हुए निकुंज ने उससे पूछा.

" मैं कहाँ रो रही हूँ " ....... निक्की ने फॉरन अपने हाथ की उंगलियों से अपनी आँखों की पलकें चेक की और पॉज़िटिव रिज़ल्ट देख कर शॉक्ड रह गयी.

वाकयि उसकी आँखों में सिवाए उत्तेजना के कुछ शेष ना था और इसी चक्कर में निकुंज की आँखें उसके चेहरे से हट कर उसके तन चुके बूब्स पर टिक गयी .... निक्की की साँसों से ताल मिलाती उसकी चूचियों का आकार निरंतर तेज़ी से घटता व बढ़ता जा रहा था और निकुंज के हाथ का पाँजा खुद ब खुद पंप होने लगा .... आख़िर अपने इसी पंजे से उसने दो बार अपनी सग़ी बहेन की चूची दबाई थी और इतना सोचने के बाद तो किसी कीमत पर उसके लंड में कदकपन्न आना नही टाल पाया .... जो अब ढीलेपन से विकरालता में परिवर्तित होकर .... उसके छोटे से शॉर्ट्स के ऊपर बड़ा सा तंबू बनाने लगा था.

वह अपनी सोच से एक झटके में बाहर आ गया .... जब उसके कानो में उसकी कार के पिछे खड़ी कार का हॉर्न सुनाई पड़ा .... शायद उनकी कार किसी ऐसी जगह खड़ी थी जहाँ ज़्यादा देर की पार्किंग अलोड नही होगी.

" भाई घर चलो .. मुझे पार्क नही जाना " ........ अपनी बहेन की बात को अनसुना करते हुए निकुंज ने कार वहाँ से आगे बढ़ा दी .... वह कुछ देर पहले की ग़लतफहमी का शिकार था जिसमें निक्की ने अपनी दिक्कत का सल्यूशन खुद ढूँढने की बात कही थी और निकुंज के माइंड में उसकी यह बात बुरी तरह से खलबली मचा रही थी.

" तू यह बता !!! मैं तुझे कैसा लगता हूँ ? " ...... अजीब सवाल था यह लेकिन निकुंज को पूछना पड़ा और सुनते ही निक्की मे माथे में बल पड़ने लगे.

" मतलब ? " ...... निक्की ने आश्चर्य में भरते हुए कहा.

" मतलब !!! तू मुझे कितना प्यार करती है ? " ....... निकुंज के इस सवाल ने निक्की को वाकाई परेशानी में डाल दिया .... वे दोनो ही एक दूसरे से बेशुमार प्रेम करते हैं लेकिन अब उस प्रेम में वासना ने अपनी जगह बना ली थी.

" हां भाई !!! प्यार करती हूँ " ....... निक्की ने जवाब दिया परंतु वह अपनी पूरी लाइफ में आज पहली बार अपने भाई से साथ अकेले बैठने में अनकंफर्टबल महसूस कर रही थी .... हलाकी उसके असहज होने की मुख्य वहज वह खुद थी जो बीते कयि दीनो से निकुंज के संपर्क में आते ही बहकना शुरू हो जाया करती थी.

" कैसा प्यार !!! भाई - बहेन वाला या कुछ और भी इसमें शामिल है " ........ असल मुद्दे की बात पूच्छने के पश्चात निकुंज ने कार वहीं रोक दी .... वे अब बिल्कुल सुनसान रास्ते पर थे और जिसका कोई अंदाज़ा निक्की को नही हो पाया था.

अपने प्रश्न का उत्तर जानने के लिए निकुंज ने जितनी तेज़ी से अपनी बहेन के चेहरे पर नज़र डाली .... शरम्वश उतनी ही गति से निक्की का चेहरा नीचे झुकने लगा .... अत्यधिक घबराहट में वह अपने होंठो को यूँ चबा रही थी जैसे वे कोई बेजान चूयिंग गम हों .... एक अंजाना डर उसके मन में घर कर चुका 
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