RE: Porn Sex Kahani सास हो तो ऐसी
सुबह करीब छे बजे मै नींदसे जागी। मेरा पूरा बदन दर्द कर रहा था। कल का पुरा दिन मेरा अलागसा रहा था। कल सुबह मैंने रवि को नहानेके बाद नंगा क्या देखा मै उसकी दीवानी बन चुकी थी। कल दिनमे और रातमे रविने मेरे बीते दिनोकी यादोंको तरो ताज़ा कीया था। मेरी यादों ने मुझे बेहाल किया था।रातभर मै ढंगसे सोई नहीं थी। मेरे योनि के ओठ तड़प रहे थे। सुबह होनेसे मजबूरन मुझे उठना पड़ा। बदन के दर्द होते हुए भी मैंने नित्यकर्म निपटाए। चाय बनानेके बाद मैंने बेटीको आवाज दी। रोज आवाज देतेही पहले रवि उठ जाता था। मगर आज पहले बेटी उठी। हमने मिलके चाय पी। फिर मैंने रवि के बारेमे पुछा। मेरी बेटीने बताया के रवि रात में काफी देर जगा था। फिर शरमाते हुए उसने बताया की कैसे रवि उसे लंड चूतमें नहीं तो मुहमें लेनेके लिए जिद कर रहा था। मैंने जब बेटीसे पूछा क्या उसने रवि का लंड मुह में लिया? तो वो तपाक से बोली की उसे लंड मुह में लेने बिलकुल पसंद नहीं। फिर उसमे बताया की उसने अपने चुचे रवि को चूसने दिए और बेचारे रवि को उसी पर संतुष्ट होना पड़ा। मैंने बेटी को समझाया अगर उसे मुहमें लंड लेना पसंद नहीं तो कमसे कम हाथ से तो उसे सहलाना था। फिर मैंने बताया मर्दको चोदनेको नहीं मिलता है तो वो चिढ़ता है। ऐसेमें उसे अगर औरत अपने हाथसे लंड हिलाकर वीर्यपतन करा देती है तो भी कुछ समय के लिए वो चुप हो जाता है।
फिर मैंने बेटी को मालिश करके नहाने के लिए बाथरूम भेजा। मुझे पता था मेरी बेटी को नहानेके लिए एक घंटा तो आरामसे लगेगा। इसीलिए मै रविके रूममें घुस गयी।
रवि बेडपे सोया था। मैंने उसे जगानेके लिए उसके बदनसे चद्दर खिंची। अन्दर साहब नंगेही सो रहे थे। मेरे चद्दर खींचने के बाद भी वो उठा नहीं था। उसका सांवला बदन चमक रहा था। वो पेट के बल सोया था। उसकी पीठ और नितम्ब खुले थे। मुझसे रहा नहीं गया। मै बेडपर बैठ गयी। मैंने धीरे से उसके चुताडोपे अपना हाथ घुमाया। वो नींद में कसमसाया। फिर मैंने उसके जान्घोपे अपने नाख़ूनसे डिजाईन बनाने की कोशिश की। वो नींद में बडबडाया- नेहा, अब सोने दे ना। नेहा मेरी बेटी का नाम था। और वो पेट से मोड़कर बाये बदनपे सो गया। मै भी बेड के दुसरे साइड उठके गयी। और मैंने देखा तो एक साइड होने से रवि लंड खड़ा होके दे रहा था। मैंने बहोत शांति से हाथ लगाया। मुझे डर था कही रवि जाग न जाये। मैंने अब उसके लंड को हाथ में लिया। मेरे हाथ लगतेही लंड और फूलने लगा। मेरे हिसाब से रवि का लंड आठ-नौ इंच लम्बा आराम से था। निश्चिततौर से कह नहीं सकती मगर वो जादा भी हो सकता है। और जाड़ा इतना के मेरे एक हथेलीमें समां नहीं रहा था। उसकी टोपी अनोखी थी। किसी पाइप के ऊपर बड़ा टमाटर रखा हुआ लग रहा था। मुझसे रहा नहीं जा रहा था। मैंने हाथ से उसे हिलाना शुरू किया। थोड़ी देर हिलाती रही। फिर मेरे मन से डर हटाते हुए मैंने रविका लंड मुह में लिया। जवान लंड था। एकदम गरम था। मेरे मुह में समां नहीं रहा था। मैंने उसे गले तक अन्दर लिया। और अपना मुह आगे-पीछे करना शुरू किया। थोड़ी देर बाद बाहर निकाल के देखा तो उसपे दो बूंद पानी आया था। शायद वो प्री-कम था। मुझे उसकी नमकीन टेस्ट अच्छी लगी। मैंने लंड को फिर मुहमे लिया और जोर जोर से चूसने लगी। मुझे लग रहा था के शायद रवि उठा हुआ है। क्योंकि कोई मर्द औरत अगर उसका लंड चुसे तो सो नहीं सकता। मगर मै रवि खुद क्या करता है ये देखना चाहती थी। मै जोर जोरसे लंड चूस रही थी। पुरे रूम में चुसनेकी आवाज गूंज रही थी। थोडीही देर में रवि का बदन अकडने लगा। उसका लंड और भी ज्यादा तनने लगा। लंड पे एक एक नस फूलने लगी। उसका बम फूटनेका समय आया ये मैंने पहचाना और मैंने उसका लंड मुह से अलग किया। जैसेही मैंने मुह से लंड को निकलकर बेडसे उठने कोशिश की रवि ने मुझे पकड़ लिया और मुझे बाहोमे लेकर मेरेसे गिडगिडाया - सासुजी खेल आधा मत छोड़ो। सही कहो तो उसने जब मुझे पकड़ा तब मै घबरा गयी थी मगर जैसेही उसने खेल आधा ना छोदनेकी बिनती की तो मैंने पहचाना के खेल तो मेरे हाथमे में है। खेल और रवि दोनों मेरे मर्जीसे आगे चलनेवाले है। और ऐसा मौका मै मेरे हाथसे थोडेही जाने देती।
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