RE: Porn Sex Kahani सास हो तो ऐसी
रवीने हाथ में साबुन लिया और मेरे बदनपे साबुन लगाने लगा। मेरे बदन को वो मल-मलके साबुन लगा रहा था। साबुन से उसने मेरे चुचिको बहोत देर तक दबाया।फिर वो साबुन लेके मेरे गान्डको रगड़ने लगा। मेरे चुतको साबुन लगाके वो अगड़ने लगा। पहले उसने एक उंगली अन्दर डाली फिर दो उंगली से वो मेरे चुतमे अन्दर-बाहर करने लगा।मुझसे रहा नहीं जा रहा था। मैंने भी साबुन लेके उसके लंड और गोटियोको मालिश शुरू की। मेरे हाथ का स्पर्श होतेही रवि के लंड्मे फिर से जान आने लगी। वो फिरसे बढ़ने लगा। देखते-देखतेही लंड मेरे हाथ से बड़ा हो गया।मेरे एक हाथकी मुठीमें नहीं समां रहा था। मैंने फिर दोनों हाथसे उसे आगे-पीछे करना शुरू किया। पानी की बौछारे मुझे भी सुकून दे रही थी। मेरी थकावट दूर हो रही थी। रवि मेरे पीछे आया। अपने लंडको मेरे दोनों चुतडका जो गैप था उसमे दबाके मुझसे पिछेसे चिपक गया। उसने अपने हाथ आगे लिए और मेरे चूची को दोनों हाथसे दबाने लगा। कभी मेरे दाई चूची की घुंडी मरोड़ता , मै आह करती तो फिर वो छोडके मेरे बायीं चूची की घुंडी को मरोड़ने लगता। अपने जीभसे वो मेरे दोनों कानको चूमने लगा। बीच-बीचमे वो मेरे कानको हलकेसे कांटने लगा। कभी कान छोडके मेरे गलेको/मानको अपने दातोसे हलकेसे कांटने लगा।उसकी ये सब प्रयास मुझे चुदाईके लिए फिर से तैयार करने के लिए थी और वो इसमें सफलभी हो रहा था। मेरे गांड के बीच रगड़ता हुआ उसका फौलादी लंड मुझे अब गरम कर रहा था। मेरे चुतमे धीरे-धीरे आग लग रही थी। ऊपर से गिरता हुआ पानी मेरे चूत के अन्दर से आ रहे गिलेपनको रोकनेमें काफी नहीं था। मै धीरे धीरे आगे की ओर झुकने लगी। रवि के समझमे बात आ रही थी उसने मुझे बाथरूममेंही आगे झुकाया। मेरे एक पैरको नहानेके स्टूलपर रखके मेरे पैर अलग किये। नीचे झुकके एक बार मेरे चूत का रास्ता देखा और अपने लंडको हाथमें लेके उसने सही निशानेपर अपना लंड रखा और मुझसे पूछा-सही ? मैंने अपनी मुंडी हिलाकर अपनी रजामंदी जाहिर की। उसे जैसे ग्रीन सिग्नल मिला हो। उसके अपना घोडा मेरे चुतके अन्दर ऐसे डाला जैसे उसे एक मिनट के अन्दर खेल ख़तम करना हो। मैंने अपने जान्घोको थोडा दबाकर उसके लंड को अन्दर ही अन्दर थोडा दबाया। अब उसे अन्दर बाहर करने में थोड़ी कठनाई होने लगी। उसका स्पीड अपने आप कम हुआ। फिर उसने धीरे धीरे मुझे चोदना शुरू किया। उसका लंड मस्त चोद रहा था। ऊपर से शावर से पानी गिर रहा था और नीचे रवि का लंड मुझे प्यार की बारिश कर रहा था। मै पूरी तरह आनंद-विभोर हो रही थी। जैसे ही वो लंड आगे घुसाता मै भी अपने गांड को पीछे धकलती। इससे उसका स्ट्रोक डबल हो जाता था। उसकी गोटिया मेरे चुतके उपरवाले हिस्से पे आती थी। उससे भी मुझे खूब मजा आने लगा। एक तो रवि का लंड फौलादी था ऊपर से उसमे जवानीकी गर्मी थी।अजीब तेजी उसके धक्कोमे थी। उसका लंड अन्दरतक जातेही मुझे मेरा पेट भरा हुआ है ऐसा एहसास होता था।
शावर से गिरती हुई पानी की आवाज अब हमारे चुदाई की आवाज से सुनाई नहीं दे रही थी। फचक-फचाक बहोत मस्तीभरी और मादक आवाज अब बाथरूम में गूंज रही थी। ऐसा लगा रह था सालोंसे मै मेरे दामाद के साथ चुदाई का खेल खेल रही हु और आगे सालोंतक ये खेल ख़तम नहीं होगा। मै मस्त होकर चुदवा रही थी। थोड़ी देर पहलेही वीर्यपतन होनेसे रवि भी जल्दी झडनेका नाम नहीं ले रहा था। अचानक मैंने सामने देखा, सामने वाले शीशेमें रवि मुझे चोदते हुए दिख रहा था। मैंने खुदको थोडा तीरछा किया। रवि मस्त लंड मेरे गांड को घिसते हुए पिछेसे मेरे चुतमे आ-जा रहा था। मेरे दोनों वक्ष किसी नारियल की तरह हिल रहे थे। मेरे गांडपे उसकी जंघे दब जाती थी तब मेरी गांड भी दबी जा रही थी। रवि अपने हाथ मेरे गांडपे रखकर गांड ऊपर उठानेकी कोशिश कर रहा था।
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