09-08-2018, 01:43 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 53,138
Threads: 4,453
Joined: May 2017
|
|
RE: Post Full Story प्यार हो तो ऐसा
गतान्क से आगे...................... जब प्रेम हवेली पहुँचता है तो रुद्र प्रताप गुस्से से तिलमिला उठता है. “तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई यहा आने की” – रुद्र प्रताप ने गुस्से में पूछा “ठाकुर मेरे मन में कुछ सवाल हैं जो मुझे यहा खींच लाए हैं” – प्रेम ने कहा “कैसे सवाल और तुम्हारे सवालो से मेरा क्या लेना देना” – रुद्र ने पूछा “लेना है ठाकुर, तभी तो मैं यहा आया हूँ” – प्रेम ने गंभीरता से कहा “भैया ये क्या बकवास कर रहा है, मुझे लगता है हमें इसकी खाल खींच कर गाँव के किसी पेड़ पर टाँग देनी चाहिए ताकि लोगो को सबक मिले कि हमारे खिलाफ बोलने का अंजाम क्या होता है” – जीवन जो अब तक चुपचाप खड़ा था अचानक बोला. “अबबे ओये स्वामी जी तुम सबकी खाल खिंचवा देंगे, ज़्यादा बकवास मत करो” – धीरज ने कहा “धीरज तुम शांत रहो और मुझे बात करने दो” प्रेम ने कहा “ठीक है स्वामी जी.” “हवेली में आकर इस तरह बकवास करने की किसी की हिम्मत नही हुई, कौन है ये लंडा.” ऱुद्र ने प्रेम से पूछा. “ये सब छोड़ो ठाकुर और मेरे कुछ सवालो का जवाब दो.” प्रेम ने कहा “तुम्हारे किसी भी सवाल का जवाब देना हम ज़रूरी नही समझते, इस से पहले की हम तुम्हारी खाल खीँचवा दें दफ़ा हो जाओ यहा से.” ठाकुर के आदमी हरकत में आ जाते हैं. बलवंत बोलता है, “मालिक आप बस होकम कीजिए, इसका मैं वो हाल करूँगा की दुनिया देखेगी.” लेकिन अगले ही पल प्रेम फुर्ती से आगे बढ़ कर रुद्र प्रताप को दबोच लेता है. उसका बायां हाथ उसकी गर्देन को जाकड़ लेता है और दायें हाथ से वो एक नुकीली सुई जैसी चीज़ को उसकी गर्देन से सटा देता है. “किसी ने भी कोई बेहूदा हरकत की तो ठाकुर की खैर नही. ये छोटी सी सुई इसे पल में मौत की नींद सुला देगी.” प्रेम ने सभी को चेतावनी दी. “हां ये मामूली सुई नही है…जंगल के कुछ कबीले इसे शिकार के लिए इस्तेमाल करते हैं.” धीरज ने कहा “तुम चाहते क्या हो?” जीवन ने पूछा. “वर्षा और मदन कहा है?” प्रेम ने सवाल किया. “हमे पता होता तो अब तक मदन की लाश तुम्हारे सामने होती.” ऱुद्र ने हन्फ्ते हुवे कहा. वो प्रेम की जाकड़ में छटपटा रहा था. रुद्रा बहुत शक्ति शालि था. उसको प्रेम की जाकड़ में इस हालत में देख कर सब हैरान-परेशान थे. “रघु कहा हैं, ठाकुर?” प्रेम ने फिर पूछा “कौन रघु, हम किसी रघु को नही जानते.” ऱुद्र ने छटपटाते हुवे कहा. “अजीब बात है, खेतो में काम करता था वो तुम्हारे.” “अछा वो रघु, वो तो कब से गायब है, किसी को नही पता वो कहा गया, शायद वो ये गाँव छोड़ कर कहीं चला गया.” जीवन ने जवाब दिया. “तुम लोग झूठ बोल रहे हो.” प्रेम ने गुस्से में कहा. और रुद्र की गर्देन पर प्रेम का शीकांजा कसता चला गया. ऱुद्र की आँखे बाहर निकलने को हो गयी. “छोड़ दीजिए सवमी जी ये बेचारा मर जाएगा.” धीरज ने रुद्र की हालत देखते हुवे कहा. “मर जाने दो, वैसे भी अंग्रेज़ो के पालतू कुत्तो को जिंदा रहने का अधिकार नही है.” धीरज ने पहली बार प्रेम को इतने क्रोध में देखा था. वो समझ नही पा रहा था कि क्या कहे क्या ना कहे. “पिता जी…पिता जी.” रेणुका दौड़ते हुवे वाहा आती है. वो अब तक वाहा के द्रिश्य से अंजान थी. सभी उसकी और देखने लगते हैं. प्रेम की जाकड़, रुद्र के गले पर ढीली पड़ जाती है. “क्या हुवा चिल्ला क्यों रही हो?” जीवन ने पूछा. रेणुका रुद्र को प्रेम के शीकन्जे में देख कर हैरान रह जाती है. वो प्रेम को देख कर उसके पैरो में गिर जाती है, “स्वामी जी मेरे पति को बचा लीजिए.” “तुम इसे कैसे जानती हो” जीवन ने पूछा. “पिछले साल जब में मायके गयी थी तो ये हमारे गाँव में पधारे थे” रेणुका ने एक साँस में जवाब दिया. “क्या हुवा तुम्हारे पति को.” “वो कमरे में बंद हैं और दरवाजा नही खोल रहे. अंदर से अजीब अजीब आवाज़े आ रही हैं. हमारे घर पर किसी भूत का साया है स्वामी जी.. हमें बचा लीजिए..शायद वर्षा को भी ये भूत ही कहीं ले गये हैं…मुझे बहुत डर लग रहा है.” प्रेम एक झटके से रुद्र को एक तरफ धकेल देता है. ऱुद्र दूर ज़मीन पर जा कर गिरता है. “तुम्हारी इतनी जुर्रत..” रुद्र ने चिल्ला कर कहा. ……………………………………………..
|
|
09-08-2018, 01:44 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 53,138
Threads: 4,453
Joined: May 2017
|
|
RE: Post Full Story प्यार हो तो ऐसा
इधर जंगल में :----- किशोरे समझ चुक्का था कि इन गोरो की नियत ठीक नही है. पर वो समझ नही पा रहा था कि वो क्या करे. दूर एक पेड़ के पीछे से मदन और वर्षा भी ये सब देख रहे थे. “मदन इन गोरो ने क्या रूपा और किशोरे को बंधक बना लिया है?” – वर्षा ने पूछा “लगता तो ऐसा ही है, मुझे कुछ करना होगा” – मदन ने कहा “पर उनके पास बंदूक है” – वर्षा ने चिंता में कहा “चिंता मत करो, मुझ पर भरोसा रखो, तुम ऐसा करो यहीं रूको, यहा से हिलना मत” – मदन ने धीरे से कहा “पर तुम क्या करना चाहते हो मुझे बताओ तो सही” – वर्षा ने पूछा “समझाने का वक्त नही है, जैसा कहा है, वैसा करो वरना उन दोनो की जींदगी मुस्किल में पड़ जाएगी” – मदन ने कहा मदन चुपचाप आगे बढ़ा और एक मोटा पत्थर उठाया और रॉबर्ट के सर को निशाना बना कर फेंक दिया. पत्थर निशाने पर लगा. रॉबर्ट के सर से खून बह निकला और वो लड़खड़ा कर नीचे गिर गया. उसके गिरने की आवाज़ सभी ने सुनी और उसके सभी साथ घबरा गये कि क्या हुवा. “वॉट हॅपंड रॉबर्ट?” – टॉम आस्क्ड लेकिन रॉबर्ट अपने होश खो बैठा था. सिमोन, टॉम, जूलीया और कॅरोल, तीनो ने रॉबर्ट को घेर लिया. मोके का फ़ायडा उठा कर किशोरे और रूपा जंगल की घनी झाड़ियो में घुस्स गये और उनकी आँखो से औझल हो गये. किशोरे और रूपा उसी और भागे थे जिस तरफ मदन और वर्षा छुपे थे. मदन और वर्षा को देख कर रूपा और किशोरे खुश हुवे. “मैने तुम्हे देख लिया था जब तुमने पत्थर से उस गोरे के सर का निशाना लगा रहे थे, धन्यवाद दोस्त वरना आज ना जाने हमारा क्या होता. ” – किशोरे ने कहा “ये वक्त बाते करने का नही है, उन्हे अब तक शक हो गया होगा, चलो चुपचाप आगे बढ़ते हैं” – मदन ने कहा मदन के पत्थर का वार इतना भयानक था की रॉबर्ट मर चुक्का था. “ओह गॉड, हे इस डेड, वी मस्ट लीव दिस फोरेस्ट इमीडीयेट्ली, दिस ईज़ नोट फन एनी मोर” – कॅरोल सेड. यू आर राइट कॅरोल, आइ आम विथ यू. दोज़ टू इंडियन्स आर ऑल्सो मिस्सिंग. “ओह…माइ गॉड! वॉट ईज़ दट?” कॅरोल शाउटेड. “व्हाट?” सभी ने एक साथ कहा कॅरोल के चेहरे पर डर के भाव थे उसने काँपते हाथो से इशारा किया. सभी ने पीछे मूड़ कर देखा. सभी के होश उड़ गये. “लेट्स गेट दा हेल आउट ऑफ हियर,” टॉम सेड. लेकिन अगले ही पल उन सभी की चीन्ख वाहा गूँज रही थी. पेड़ के पीछे से चुप कर वर्षा,मदन,किशोरे और रूपा ये सब देख रहे थे. “ये क्या है मदन?” वर्षा ने पूछा. “जो भी है बहुत भयानक है. इस से पहले की इसकी नज़र हम पर पड़े हमें यहा से निकल जाना चाहिए.” मदन ने कहा. “मुझे एक गुफा का पता है…चलो जल्दी वाहा चलते हैं. वो सुरक्षित रहेगी.” “कितनी दूर है वो.” “बस थोड़ी ही दूर है…जल्दी चलो अगर उसकी नज़र हम पर पड़ गयी तो वो हमें भी नोच-नोच कर खा जाएगा.” किशोरे ने कहा. वो चारो चुपचाप वाहा से निकल पड़े और थोड़ी ही देर में गुफा के पास पहुँच गये. “चलो जल्दी अंदर” किशोरे ने कहा सभी के अंदर आ जाने पर किशोरे ने अंदर से एक बड़ा सा पत्थर गुफा के दरवाजे पर लगा दिया. “वो क्या था किशोरे…उसने उन अंग्रेज़ो को नोच-नोच कर खा लिया.” रूपा ने कहा “अछा हुवा ये गोरे इसी लायक हैं.” किशोरे ने कहा. “हां पर भगवान ऐसी मौत किसी को ना दे.” मदन ने कहा “ऐसा जानवर मैने पहले कभी नही देखा. पता नही क्या था वो…” किशोरे ने कहा “कहीं रात को खेतो में भी यही तो नही था?” रूपा ने सवाल किया “हो सकता है…क्योंकि वो साया भी इतना ही भयानक था. अगर ये वही है तो हमें तुरंत गाँव लौट कर गाँव वालो को चोक्कना करना होगा.” किशोरे ने कहा. “पर हम गाँव वापिस नही जा सकते. वो ठाकुर हमें जींदा नही छोड़ेगा.” मदन ने कहा. “और अगर हम यहा जंगल में रहे तो वैसे भी कब तक बच पाएँगे. देखा नही कैसे एक मिनिट में सब अंग्रेज़ो को चीर दिया था उस जानवर ने.” “मैं वर्षा को लेकर दूसरे गाँव जा रहा हूँ.” मदन ने कहा. “पागल मत बनो मदन…तुम्हे क्या लगता है तुम दूसरे गाँव जा कर ठाकुर से बच जाओगे. अरे हमारे गाँव में तुम दोनो का साथ देने के लिए बहुत लोग आगे आ जाएँगे. वाहा तुम्हे कौन पूछेगा.” किशोरे ने कहा. “पर हम रास्ता भी तो भटक गये हैं…हम वापिस गाँव पहुँचेंगे कैसे.” वर्षा जो कि अब तक चुपचाप बैठी थी अचानक बोली. “क्या तुम गाँव वापिस जाना चाहती हो?” मदन ने पूछा. “मदन कोई और चारा भी तो नही है...” वर्षा ने कहा. “बस इतना ही साथ निभाना था तुमने…” मदन ने कहा. “मदन देखो वर्षा ठीक कह रही है. हम घने जंगल में फँसे हैं. और मुझे पूरा यकीन है कि हम अपने गाँव के ज़्यादा नज़दीक हैं. हम बस दिशा भूल गये हैं.” रूपा ने कहा. हवेली में: “मुझे उस कमरे तक ले चलो.” प्रेम ने रेणुका से कहा. रेणुका प्रेम को उस कमरे तक ले आई जिसमे वीर बंद था. प्रेम ने ज़ोर से दरवाजा खड़काया पर किसी ने दरवाजा नही खोला. ऱुद्र और जीवन भी वाहा आ गये थे. “ठाकुर अपने आदमियों से कहो ये दरवाजा तौड दे.” प्रेम ने कहा. “क्यों तौड दे…तुम कौन होते हो ये कहने वाले.” जीवन ने कहा. “अगर वीर को जिंदा देखना चाहते हो तो जैसा कहता हूँ वैसा करो.” “बलवंत तौड दो दरवाजा” रुद्र ने कहा जैसे ही दवाजा खुलता है प्रेम कमरे में ढाकिल होता है. “मैने तुम्हे यहा से चले जाने को कहा था.” एक आवाज़ आई. “हाँ पर मैं तुम्हारी बात क्यों मानु...रघु” प्रेम ने कहा. “तुम भूले नही मुझे हां” “कैसे भूल सकता हूँ…मुझे बताओ तुम ये सब क्यों कर रहे हो.” “मैं कुछ नही कर रहा जो कुछ किया है इस कामीने वीर ने किया है.” “क्या मतलब रघु मुझे सॉफ-सॉफ बताओ और वीर कहा है.” “इस खाट के नीचे छुपा है वो…पर ज़्यादा देर तक बच नही पाएगा तडपा-तडपा कर मारूँगा इसे में.” “तुम ऐसा क्यों कर रहे हो” प्रेम ने पूछा. “वो चीन्खे सुनी तुमने खेतो में” “हां सुनी…किसकी चीन्खे हैं वो.” “मेरी जान से प्यारी राधा की.” “राधा कौन राधा?” “तुम उसे नही जानते “इस कमिने वीर की वजह से वो तड़प-तड़प कर मरी…मैं इसे भी तडपा-तडपा कर मारूँगा.” रघु ने कहा. “देखो मैं तुम्हारा दर्द समझ सकता हूँ…लेकिन इस तरह खून ख़राबे से कुछ हाँसिल नही होगा.” “तो क्या मैं इस कमिने को यू ही छोड़ दू….तुमने देखा होता ना कि क्या हुवा मेरी राधा का तो ऐसी बात ना करते.” “मैने उसे नही मारा ये झूठ बोल रहा है…मुझे बचा लो” वीर खाट के नीचे से बोला. “तुमने नही मारा तो और किसने मारा…तुम्हारी वजह से ही हम जंगल में भागे थे और उस दरिंदे ने नोच-नोच कर खा लिया मेरी राधा को…मेरी आँखो के सामने हुवा ये सब..कितना दर्द हुवा होगा मुझे ये बस मैं ही जानता हूँ” रघु ने कहा. “ह्म्म…किस दरिंदे की बात कर रहे हो तुम” प्रेम ने पूछा. “मुझे बस इतना पता है कि वो बहुत भयानक है….राधा खेतो में बार-बार चीन्ख रही है क्योंकि उसे लग रहा है कि वो दरिन्दा कही आस पास ही है. अगर इस गाँव को बचाना चाहते हो तो जाओ
|
|
09-08-2018, 01:44 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 53,138
Threads: 4,453
Joined: May 2017
|
|
RE: Post Full Story प्यार हो तो ऐसा
“तुम इतना कुछ क्यों कर रहे हो.” वर्षा ने पूछा. “तुम दोनो के प्यार की खातिर.” किशोरे ने कहा. मदन भी किसी तरह से किशोरे के घर तक पहुँच जाता है. मदन के आते ही वर्षा उस से लिपट जाती है. “कल तो मुझसे दूर भाग रही थी आज क्या हुवा?” “मुझे तुम्हारी चिंता हो रही थी.” वर्षा ने कहा. “मैं कुछ खाने का इंटेज़ाम करता हूँ तुम दोनो आराम करो” किशोरे ने पीछे से आवाज़ दी. किशोरे की आवाज़ सुनते ही वर्षा मदन से अलग हो गयी. मदन किशोरे के पास गया और बोला, “तुम हमारी बहुत मदद कर रहे हो…कैसे चुकाउंगा इस अहसान का बदला मैं.” मदन ने कहा. “ये अहसान नही है, ये मेरा दो प्यार करने वालो के प्रति फ़र्ज़ है…और वैसे भी तुमने भी तो मेरी और रूपा की जान बचाई थी उन गौरो से… तुम आराम करो मैं कुछ खाने को लाता हूँ” किशोरे ने कहा …………………….. इधर ठाकुर के आदमियों ने पूरा खेत छान मारा पर वीर का कोई पता नही चला. शाम घिर आई थी सभी हतास और निराश थे. “अब तो बात सॉफ है…वो वीर को जंगल में ही ले गया है.” प्रेम ने कहा. “अब तक तो उसने वीर की चटनी बना दी होगी….स्वामी जी रहने दीजिए..उसे उसके पापो की सज़ा मिल गयी हमें क्या लेना देना.” “तुम समझ नही रहे मेरा इरादा उसे बीच गाँव में सज़ा देने का था ताकि गाँव वालो के दिल से ठाकुर का ख़ौफ़ कम हो….वो ऐसी चुपचाप मरेगा तो क्या फ़ायडा….और उसके मरने से कुछ हाँसिल नही होगा…बात तो तब थी जब वो पूरे गाँव के आगे जलील होता और माफी माँगता वो सज़ा उसके लिए ज़्यादा अछी होती” प्रेम ने कहा. “पर भूतो का अपना क़ानून है…वो उसे जंगल में मारेगा तो हम क्या करे.” धीरज ने कहा. “स्वामी जी अब क्या होगा…कुछ तो बोलिए?” रेणुका गिड़गिडाई. “देखो स्वामी जी जो कर सकते थे उन्होने किया…..अब वो वीर को जंगल में ले गया तो हम क्या करें. इतने बड़े जंगल में उसे कहा ढूंदेंगे.” धीरज ने कहा. “धीरज तुम चुप रहो….इनकी परेशानी भी तो समझो.” प्रेम ने कहा. “देखिए अब वीर के बचने की संभावना बहुत कम है….अब तक शायद…” प्रेम ने कहा. दो आँसू रेणुका की आँखो से टपक गये. “मुझे पता था कि एक ना एक दिन भगवान उनके साथ न्याय ज़रूर करेंगे पर इस तरह से करेंगे सोचा नही था.” रेणुका ने कहा और अपने आँसू पोंछ कर वापिस हवेली की तरफ चल दी. ऱुद्र और जीवन वही खड़े रहे. “चलो स्वामी जी हम चलते हैं….इनको अपने किए की सज़ा मिल गयी.” धीरज ने कहा. ऱुद्र और जीवन ने धीरज की बात पर कोई रिक्ट नही किया. प्रेम और धीरज भी वाहा से चल दिए, साधना के घर की तरफ. ………………………………… वर्षा और मदन खाना खा कर किशोरे के घर की खिड़की पर खड़े हैं. मदन ने वर्षा को पीछे से बाहों में भरा और बोला, “क्या सोच रही हो.” “कुछ नही….घर में सब परेशान होंगे.” “हाँ मेरे घर पे भी सब परेशान होंगे…साधना तो रो रो कर पागल हो गयी होगी.” मदन ने कहा. “बहुत प्यार करते हो तुम अपनी बहन से.” “हां बिल्कुल ये भी क्या पूछने की बात है.” “मुझे शरम आ रही है.” वर्षा ने कहा. “शरम….वो क्यों.” “समझा करो हटो पीछे.” “नही हटूँगा…बड़ी मुस्किल से तो ये पल नसीब हुवे हैं…मैं नही हटूँगा.” वर्षा को अपने नितंबो पर मदन का लिंग महसूष हो रहा था इसलिए वो शर्मा रही थी. “हटो ना कुछ चुभ रहा है.” “क्या चुभ रहा है…बताओ ना.” “मुझे नही पता लेकिन कुछ है.” “इस कुछ का कोई नाम तो होगा.” “मुझे नाम नही पता…तुम हट जाओ.” “अछा…ये लो अब और ज़्यादा चुभावँगा.” मदन ने वर्षा के नितंबो पर धक्का मारा. “बदमास क्या कर रहे हो.” “वही जिसके लिए ये प्यार हुवा है.” “प्यार क्या ये सब करने की लिए किया था तुमने.” “नही…पर इसके बिना प्यार अधूरा रहेगा.” मदन ने कहा मदन ने वर्षा की गर्दन को बड़े प्यार से किस किया. “आहह…हट जाओ…तन्हाई का फ़ायडा मत उठाओ.” मदन ने वर्षा के उभारो को अपने दोनो हाथो में जाकड़ लिया और उन्हे ज़ोर से मसल्ने लगा. “आहह….नही मदन…अभी नही…शादी के बाद…” “शादी तक हम जींदा ना रहे तो.” मदन ने कहा. “नही…नही ऐसा नही होगा.” वर्षा ने कहा और दो बूंदे उष्की आँखो से टपक गयी. “जो वक्त है हमारे पास उस में एक दूसरे में डूब जाते हैं…बाकी जींदगी का कोई भरोसा नही.” “ऐसा मत कहो…मुझे डर लग रहा है.” मदन ने वर्षा को अपनी तरफ घुमाया और उसके होंटो पर अपने होन्ट टिका दिए. दो प्यार से भरे होन्ट प्यार के सागर में डूब गये. एक बार उनके होन्ट क्या मिले…मिले ही रह गये. पूरे आधा घंटा वो एक दूसरे को चूमते रहे. “बस बहुत हो गया प्यार क्या सारी रात चूस्ते रहोगे मेरे होन्ट.” “नही अभी कुछ और भी करना है?” “क्या?” मदन ने अपना लिंग कपड़ो की क़ैद से बाहर खींच लिया और बोला, “इसे भी प्यार चाहिए.” वर्षा ने अपनी नज़रे झुकाई और मदन के लिंग को देखा. कमरे में दिया जल रहा था उसकी रोशनी इतनी तो थी ही कि मदन और वर्षा नज़दीक से एक दूसरे को देख सकें. “यही है वो बदमाश जो मेरे पीछे चुभ रहा था.” “हां…लो पकड़ लो…तुम्हारा ही है ये.” मदन ने वर्षा को कहा. “ना बाबा ना मुझे शरम आती है…अंदर डालो इसे.” “अंदर भी डालेंगे पहले थोड़ा कुछ और तो कर लें.” “क्या मतलब मैने कहा जनाब इसे वापिस अंदर डालो…जहा से निकाला है…मेरा अभी कोई इरादा नही है.” “ऐसा मत कहो….ये वक्त ये रात दुबारा नही आएगी.” “ऐसी रात रोज आएगी चिंता मत करो.” “समझा करो…पाकड़ो ना.” मदन ने कहा और वर्षा का हाथ खींच कर अपने लिंग पर रख दिया. वर्षा को जैसे करंट लग गया उसने फॉरन अपना हाथ वापिस खींच लिया. “क्या हुवा…क्या मेरे लंड को प्यार नही करोगी.” “क्या कहा तुमने?” “लंड…यही नाम है इस बेचारे का.” मदन ने हंसते हुवे कहा. “लंड….ये कैसा नाम है.” वर्षा हैरान हो कर बोली. शायद उसे किसी ने ये नाम नही बताया था. “यही नाम है लो पाकड़ो अब.” “पकड़ तो लूँगी पर लंड…हे..हे..हा..हा.” “इसमें हस्ने की क्या बात है…ज़्यादा मत हँसो वरना अभी चूत में डाल दूँगा.” “हाई राम ऐसी बाते मत करो.” “अछा चूत का तुम्हे पता है और लंड का तुम्हे कुछ नही पता…सिर्फ़ अपना अपना ख्याल रखती हो हा…” मदन ने कहा. तभी अचानक दरवाजा खड़का. “अफ अब कौन आ गया.” मदन ने कहा. “बड़े अच्छे वक्त आया है कोई…हे..हे” वर्षा मुस्कुराइ. “देखता हूँ कब तक बचाओगि अपनी चूत मुझसे….आज की रात उसकी खैर नही.” मदन ने वर्षा के उभारो को दबा कर कहा. “पहले दरवाजा खोलो…देखो तो सही कौन है.” मदन ने दरवाजा खोला. "मदन गाँव में माहॉल बहुत खराब है...मैं बाहर से ताला मार देता हूँ...तुम अंदर शांति से रहना." "हम तो शांति से ही हैं...अछा ये बताओ मेरे घर का का कुछ हाल चाल पता चला" किशोरे गहरी साँस ली, "अभी तुम्हारे घर नही जा पाया...चिंता मत करो सब ठीक ही होगा." किशोरे को मदन की बहन सरिता और मा के बारे में सब पता चल गया था लेकिन उसने जानबूझ कर मदन को कुछ नही बताया. शायद वो प्यार से भरे दो दिलो को परेशान नही करना चाहता था. क्रमशः.....................
|
|
|