Raj sharma stories चूतो का मेला
12-29-2018, 02:25 PM,
#1
Raj sharma stories चूतो का मेला
चूतो का मेला 

दोस्तो एक और नई कहानी पेशेखिदमत है आपकी वैसे तो दो कहानियाँ पहले ही रनिंग मे है पर धीरे धीरे अपडेट देता रहूँगा
और वैसे भी हमारे इस फोरम मे लोग सिर्फ़ पढ़ने के लिए आते हैं कोई भूले बिछड़े कमेंट पास कर दे वो अलग बात है

ज़िंदगी के खेल भी बड़े ही निराले होते है कभी हसती है कभी रूलाती है कुछ लोग कहते है कि खूबसूरत होती है ज़िंदगी कुछ कहते है कि बड़ी ही अच्छी होती है पर कुछ अभागे लोग भी होते है मेरी तरह के जो जीना चाहते है बड़ा ही खुल के पर जी नही पाते है हमेशा कोई ना कोई अड़चन रह रोक लेती है जब लगता है मंज़िल पा ली तभी वो हाथ से फिसल जाती है कुछ ऐसी ही कहानी इस हारे हुए इंसान की है जो उड़ना चाहता था उस खुले आसमान मे जो जीना चाहता था पर हर इंसान को कहाँ खुशिया मिला करती है कई बार वो उपरवाला अपनी आँखे इस तरह से फेर लेता है की फिर उसे याद ही नही आती किसी की

कुछ ऐसी ही कहानी है मेरी जिसे ज़िंदगी ने हर कदम पर चला हर कदम पर बस वो ठगती ही रही, दिल भर गया है उपर तक तो सोचा कि इस बोझ को आप सभी से शेयर कर दूँ क्या पता थोड़ा हल्का हो जाए

ये सब शुरू हुआ उस दिन जब दोपहर मे मे अपने कपड़े सुखाने छत पर गया कपड़े सूखा ही रहा था कि मेरी नज़र पड़ोस के आँगन मे पड़ गयी और जो कुछ मैने देखा ऐसा पहले कभी नही देखा था पड़ोसन बिम्ला दिन दुनिया से बेख़बर आँगन मे नहा रही थी उसकी पीठ मेरी तरफ थी पर नज़ारा बहुत ही अच्छा था आज से पहले मैने कभी किसी औरत को नंगा नही देखा था तो नज़र ठहर सी गयी उसका वो काला बदन धूप मे चमक सा रहा था

क़ायदे की बात तो थी कि मुझे तुरंत ही उधर से हट जाना चाहिए था पर मैं हट नही सका मुंडेर पे छिपके मैं उसको नहाती हुई देखने लगा जबकि वो बेख़बर पूरी मस्ती से नहाए जा रही थी कुछ देर बाद वो खड़ी हुई अबकी बार उसका चेहरा मेरी तरफ था उसके खुले हुवे बाल जो कमर तक आ रहे थे अच्छे लगे उसकी चूचिया ज़्यादा मोटी नही थी तो पतली भी नही थी, मीडियम से थोड़ा ज़्यादा साइज़ की गहरी नाभि और जाँघो के बीच काले बालो मे छिपी हुई वो लाल लाल सी योनि जिसकी बस एक झलक ही देख पाया था

उसने अपने एक पैर को हल्का सा उपर किया और साबुन लगाने लगी कसम से उस से ज़्यादा मजेदार नज़ारा और क्या होता जवानी की दहलीज पर खड़े मुझ को तो कुछ होश ही ना रहा जब वो अपनी गोल सुडोल चुचियो पर साबुन लगा रही थी तो लगता था कि जैसे दो गेंदो से खेल रही हो वो करीब दस मिनिट तक मैं उसको देखता रहा पर तभी उसने मेरी तरफ देखा तो मैं तुरंत ही उधर से भाग लिया क्या उसकी नज़र मुझ पर पड़ गयी थी ये सोचते ही मेरी गंद फट गयी कही वो घर पर शिकायत तो नही कर देगी कि मैं उसको देख रहा था नहाते दिमाग़ मे सैकड़ो सवाल घूमने लगे

शाम तक अपने कमरे से बाहर नही निकला मैं बार बार देखता कि कही आ तो नही गयी शिकायत लेकर पर ऐसा कुछ नही था तब जाके थोड़ी शांति मिली पर उसके नंगे बदन ने मुझे आकर्षित कर दिया दिल मे कही ना कही आ ही गया की यार अगर बिम्ला पट जाए तो चोदने मे मज़ा आएगा अब इस अमर मे हर लड़के को चूत की हसरत तो होती ही है ना और फिर क्या गोरी क्या काली क्या फरक पड़ता है बस मिल जाए बस

शाम को मैं बिम्ला के घर गया तो उसकी सास बैठ कर सब्ज़ी काट रही थी तो मैं उनसे बाते करने लगा बिम्ला पास मे ही बकरी को घास खिला रही थी जब वो झुकी तो उसके ब्लाउज से बाहर को आते हुए चूचे मेरी नज़रो मे आ गये तो मेरी जीभ लॅप लपा गयी पर उसका ध्यान नही था और फिर थोड़ा बहुत तो दिख ही जाता है कुछ देर इधर उधर की बाते करने की बाद मैं घर आने ही वाला था कि बिम्ला बोली

बिंला- सुनो क्या तुम कल मेरे लिए मेडिकल से बदन दर्द की गोली का पत्ता ला दोगे

मैं- हाँ क्यो नही ले आउन्गा
बिंला-रूको मैं पैसे लेकर आई
मैं- अरे भाभी बाद मे दे देना
घर आते ही खाना खाया और फिर कुछ देर किताबें लेकर बैठ गया पर दिल नही लग रहा था तो बिम्ला के बारे मे सोच कर लंड को हिला डाला तब जाके चैन मिला अगली सुबह घर वालो की डाँट खाकर मेरी नींद खुली जल्दी से तैयार हुआ और स्कूल चला गया गाँव का सरकारी स्कूल जहाँ पढ़ाई बस धक्के देकर ही होती थी पर सहर दूर था तो उधर ही पढ़ना पड़ता था पर मैं खुश था


अपनी ज़िंदगी भी कोई लंबी चौड़ी नही थी, कॉलेज से आते ही पढ़ना फिर शाम को जंगल मे या नहर पर घूमने चले जाना घर का काम करना भैंसो के काम मे मदद करना चारा काटना उनको नहलाना बस खेतो पर नही जाता था मैं बहुत हुआ तो साइकल उठा कर शहर का चक्कर लगा लिया जो करीब दस किलोमेटेर दूर पड़ता था उस रात बहुत गर्मी लग रही थी बिजली भी नही आ रही थी मेरे कमरे मे खिड़की भी नही थी बहुत बार बोल चुका था घरवालो को पर कभी किसी ने ध्यान नही दिया था तो अपनी दरी उठा कर मैं छत पर आ गया

पर इधर भी गरम हवा ही चल रही थी तो हाल मुश्किल हुआ मेरा रेडियो चलाया तो वो सही से स्टेशन नही पकड़ रहा था तो उसके तार को अड्जस्ट करने लगा

तभी साथ वाली छत से बिम्ला ने पुकारा- क्या बात है नींद नही आ रही है क्या
मैं- हाँ भाभी आज गर्मी बहुत है
बिम्ला- हाँ वो तो है और बिजली भी नही आ रही है उपर सोने का सोचा तो मच्छर काट रहे है

मैं- भाभी थोड़ी हवा चल जाए तो ठीक रहे

वो मेरी मुन्डेर के पास आकर खड़ी हो गयी और बाते करने लगी
मैने पूछा- भाभी भाई नही दिख रहा 
बिम्ला- उन्होने कोई नया काम लिया है तो कुछ दिन उधर ही रहेंगे

बिम्ला- और तुम बताओ क्या चल रहा है
मैं-बस भाभी कट रही है कॉलेज से घर , घर से कॉलेज यही चल रहा है अपना शाम को मैं आया था आप थे ही नही घर पर
बिम्ला- अब तुम्हारी तरह फ़ुर्सत तो होती नही है काम करने पड़ते है खेत मे गयी थी घास लाने को
मैं-भाभी बहुत काम करती हो आप कभी माजी को भी कहा करो 
तो वो बोली – तुम ही कह दो मेरा तो सुन ने से रही वो

बिम्ला- मेरी गोली का पत्ता नही लाए तुम
मैं-माफ़ करना भाभी आज ध्यान नही रहा मैं कल पक्का ला दूँगा

चाँदनी रात मे बिम्ला के ब्लाउज से झाँकते उनके बोबे मेरा हाल बुरा कर रहे थे नीचे मेरी निक्कर मे लंड परेशान करने लगा था कुछ देर बाते करने के बाद वो जाकर सो गयी और मैं भी अपने बेड पर लेट गया एक नये सवेरे की उम्मीद मे

फ़िल्मे देखते थे कोई कोई फिलम देख कर ऐसा लगता था कि गर्लफ्रेंड तो होनी ही चाहिए पर कहाँ होना था अपने लिए ऐसे हालत मे क्लास मे दो तीन लड़किया होती थी जो बड़ी ही अच्छी लगा करती थी सुंदर थी पर अपन कभी कोशिश कर नही पाते थे क्लास के एक लड़के सुमित ने एक लड़की मंजू से फ्रेंडशिप कर ली थी पूरी क्लास मे पता चल गया था तो डर भी लगा करता था दिन कट रहे थे बिना किसी बात के और मैं अपने झूठे सच्चे अरमानो के साथ जिए जा रहा था

कॉलेज से आते टाइम बिम्ला के लिए गोलियाँ ले ली थी दोपहर का समय था उसके घर देने गया तो दरवाजा खुला था पर कोई दिखा नही मैं अंदर की तरफ चला गया तो मैने पाया कि बिम्ला अपने कमरे मे सोई पड़ी थी गहरी नींद मे सोते टाइम बड़ी प्यारी सी लगी मुझे वो उसकी छातिया सांस लेने से उपर नीचे को हो रही थी पतली कमर और सुतवा पेट गहरी नाभि होतो पर लाल लिपीसटिक किसी का भी मन भटका दे उसकी धोन्कनी की तरह उपर को उठती चूचिया जैसे मुझे अपने पास बुला रही हो

थोड़ा सा उसके पास गया तो उसके बदन से आती भीनी भीनी सी खुश्बू मुझे पागल बनाने लगी तभी उसने एक करवट सी ली और अपनी टाँगो को सीधा कर लिया घाघरा उसकी टाँगो पर बुरी तरह से चिपका पड़ा था और जाँघो के जोड़ वाले हिस्से पर वी शेप बना रहा था जिस से उसकी योनि वाले हिस्से का अच्छा दीदार हो रहा था पर मैं ज़्यादा देर तक नही रुक सकता था तो मैने थोड़ी सी शरारत करने का तो सोचा और उसके बोबे को हाथ से हल्का सा दबा दिया उसने कोई रिएक्ट नही किया

तो दो तीन बार ऐसी ही करने के बाद मैने उसे जगा दिया और गोली देकर घर आ गया अपने कमरे मे पड़ा पड़ा मैं सोच रहा था की कुछ भी करके कोई भी ट्रिक लगाके बिम्ला की तो लेनी ही है पर कैसे ये नही पता , शाम को मैं बाहर जा ही रहा था कि चाची बोली आ ज़रा प्लॉट तक चल मेरे साथ घास काट दियो और थोड़ी सफाई भी करनी है
मैं- चाची, मुझे क्रिकेट खेलने जाना है आके कर दूँगा
चाची- अपनी आँखे दिखाते हुए तो साहिब अब सचिन बनेंगे रात को दूध तो गॅप गॅप पी लेता है और काम ना करवाओ इस से

कभी कभी चाची की तीखी बातों से बड़ा दुख होता था पर सह लेता था तो फिर कपड़े चेंज करके प्लॉट मे चल दिया उनके साथ मेरी चाची का नाम सुनीता था उमर होगी 30-31 की दो बच्चे थे रंग गेहुंआ सा था हाइट थोड़ी कम थी पर मोटी अच्छी ख़ासी थी वो और स्वाभाव भी कुछ तीखा सा था उनका घमंडी टाइप का जाते ही फटाफट मैने घास काटी और फिर सफाई करने लगा चाची भैंसो को नहला रही थी उन्होने अपनी साड़ी को घुटनों तक कर लिया था ताकि पानी से गीली ना हो तो उनके सुडौल पैर देख कर पता नही क्यो फिर से मेरा हाल बिगड़ने लगा




अपनी गंदी नज़र से मैं उनको भी देखने लगा मोटी थी पर लगती कमाल की थी उनके कूल्हे तो बड़े ही मस्त थे पर चाची थी तो फिर ज़्यादा नज़रे नही की उनकी तरफ काम करते करते अंधेरा हो गया था घर जा रहा था तो बिम्ला के पति ने रास्ते मे ही रोक लिया मुझे और कहा यार तुझसे थोड़ा सा काम है मैने कहा हाँ भाई बताओ क्या बात है तो उसने कहा कि मुझे एक बड़ा काम मिल गया है तो मैं एक साल के लिए बाहर देश जा रहा हूँ मैने कहा भाई ये तो बहुत ही अच्छी बात है पर इतने दिनो के लिए वो बोला भाई क्या करूँ अब पैसे अच्छे दे रहे है तो मैं टाल ना सका

तो उसने कहा कि पीछे से घर का ध्यान रख लियो भाई , कुछ छोटा मोटा काम हो तो कर दिए मैने कहा आप चिंता ना करो तो वो बोला एक काम और आज रात की ट्रेन है देल्ही के लिए तो स्टेशन तक छोड़ आइयो मैने कहा भाई अब रात को इतना दूर साइकल ना चलेगी मुझसे तो उसने कहा स्कूटर से चलेंगे फिर तू आजना मैने कहा ठीक है भाई जब चलना हो आवाज़ दे दियो मैने सोचा कि ठीक ही हुआ ये जा रहा है अब मैं बिम्ला के साथ और टाइम दूँगा और लाइन मारूँगा


जब उसको छोड़ने जा रहे थे तो बिम्ला भी साथ आ गयी भाई स्कूटर चला रहा था मैं बीच मे था और वो पीछे उपर से दो बॅग भी तो अड्जस्ट करना मुश्किल हो रहा था पर थोड़ी देर की ही तो बात थी ट्रेन टाइम पर ही थी उसको रवाना करने के बाद मैने स्कूटर स्टार्ट किया और कहा भाभी बैठो तो वो बोली ज़रा धीरे ही चलना कही गिरा ना देना मुझे मैने कहा आप चिंता ना करो रास्ता बड़ा ही उबड़-खाबड़ सा था तो भाभी का बोझ बार बार मेरे उपर आ रहा था मुझे बड़ा ही अच्छा लग रहा था फिर उसने मेरी कमर मे हाथ डाल के पकड़ लिया तो बड़ी ही मस्त फीलिंग आई मुझे

अगले दिन कॉलेज मे लगातार टेस्ट थे तो बस उनपे ही ध्यान रहा मेरा , जब छुट्टी हुई तो मुझे थोड़ा टाइम लग गया अपना समान समेटने मे तकरीबन लोग जा चुके थे बॅग को कंधे पर लटकाए अपने बालो मे हाथ फेरते हुए मैं बाहर निकला तो देखा कि मेरी ही क्लास मे पढ़ने वाली लड़की नीनु अपनी साइकल लिए गेट के पास ही खड़ी थी मैं उसे देख का रुक गया और पूछा
मैं-अरे नीनु क्या हुआ गयी नही
नीणू- देखो ना मेरी साइकल पंक्चर हो गयी है अब परेशानी हो गयी मेरे लिए
मैं अरे तो साइकल यही छोड़ जाती ना और अपने गाँव की लड़कियो के साथ चली जाती
नीणू- और कोई चुरा ले जाता तो
मैं- आजा पास मे ही एक साइकल की दुकान है उधर लगवा ले

हम बाते करते चल पड़े थोड़ी दूरी पर दुकान थी पर आज देखो वो बंद पड़ी थी
नीणू दुखी होते हुए बोली अब क्या करू घर कैसे जाउन्गी

मैं- परेशान ना हो कुछ करता हूँ चल एक काम कर मैं चलता हूँ तेरे साथ तेरे गाँव तक अब पैदल तुझसे तो साइकल घसिटी जाएगी नही
नीणू- रहने दो तुम, मैं चली जाउन्गी मैने कहा अरे क्या बात करती है तू परेशान होगी और तेरा गाँव भी थोड़ा दूर है कभी मुझे मदद पड़े तो तू कर देना उसमे क्या है नीणू ने अपनी गोल आँखो से मुझे देखा और बस मुस्कुरा पड़ी


(¨`·.·´¨) Always
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