Raj sharma stories चूतो का मेला
12-29-2018, 02:37 PM,
#72
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
मैं- उसी से तो डरता हूँ मैं

वो- तो फिर सब कुछ हालात पर छोड़ दो ना , जब चाची को पता चलेगा तो वो टूट जाएगी, कोई भी औरत पति की बेवफाई को सह नहीं पाती, उनकी गृहस्ती टूट जाएगी 

मैं- नीनू, सब पता है मुझे पर तू ही कोई रास्ता दिखा 

वो- देखो तुम चाचा से बात करो तस्सल्ली से, थोड़ी मुस्किल होगी पर बात करो और रही बात उस बिमला की उसके साथ तुम सख्ती कर सकते हो पर वो भी तुम्हारे काबू में जब आएगी जब ऐसा ही सबूत उसका भी हो 

मैं- बात तो सही है पर एक समस्या और है 

वो- क्या 

मैं- इन तस्वीरों कहा धुलवाऊंगा 

वो- तुम ना एक दम लल्लू लाल हो , डिजिटल है ये इनकी प्रिंटिंग होती है 

मैं- हां पर वो भी लैब में होगी ना बता कैसे करवाऊंगा 

नीनू- मैं क्या जानू 

मैं- तो बात वाही आ गयी घूम कर के 

वो- एक काम हो सकता है, 

मैं- क्या .....................
मैं- क्या 

वो- सुनेगा तो बताउंगी ना

मैं- जल्दी बता 

वो- देख तू शाम को काम करता है तो हर डिपार्टमेंट में जाता है ना 

मैं- हां 

वो- तो कंप्यूटर लैब में भी जाता है ना 

मैं- हां पर उस से क्या 

वो- घडेदी, तो लैब में रंगीन प्रिंटर है उधर प्रिंट ले ले ना 

मैं- पागल हुई है क्या , कितना रिस्की काम है यार, ऊपर से वो इंस्ट्रक्टर उधर ही पड़ा रहता है बता कैसे होगा 

वो- उसको हटाना पड़ेगा ना 

मैं- देख तस्वीरे बहुत है , मुझे कम से कम घंटा भर तो चाहिए गा ना 

वो- तब तो समस्या जटिल है 

मैं- वो तो मुझे भी पता है उपाय बता ना तू कोई 

वो- कुछ सोचने तो दे यार 

मेरा एक तो दिमाग ख़राब हो रहा था ऊपर से मुझे नींद आ रही थी रात को जागा जो था ,अब फोटू है तो प्रिन्ट कहा करू यार , तभी मैंने कुछ सोचा 

मैं- नीनू, मैं इंस्ट्रक्टर को किसी अहने से अगर उलझा लू तो तू ये प्रिंट निकाल लेगी 

वो- हां, जिंदगी में बस ये ही देखना बाकी रहा है मेरे लिए , शर्म ना आ रही तुझे कहते हुए 

मैं- यार कर ना मदद 

वो- देख, यु कर प्रिंटर चुरा ले , मेरे घर पे भाई का कंप्यूटर बंद पड़ा है मैं उसपे निकाल दूंगी 

मैं- थारो, दिमाग चल पड़ा है , कैसे चुराऊंगा प्रिंटर और दूसरी बात उसे कोई जेब में लेके थोड़ी न जा सकू 
वो- देख रिस्क तो लेना पड़ेगा ना , कुछ ऐसा कर की लैब खाली मिल जाए ज्यादा ना थोड़ी देर के लिए ताकि कुछ तस्वीरे तो हाथ में आये 

मैं- बात तो सही है , तो ऐसा कर तू रुक जा और दे चोकिदारी मैं करता हूँ कुछ 

वो- तू मरवाएगा मुझे एक दिन 

मैं- दोस्त का साथ न देगी तू 

वो- भाड़ में जाये तेरी दोस्ती 

मैं- तो सुन एक मस्त आईडिया आया है जिस से अपना काम हो सकता है 

वो- क्या 

मैं- अगर मैं प्रिंसिपल ऑफिस और रिकॉर्ड रूम के कंप्यूटर में कुछ गडबड कर दू दो इंस्ट्रक्टर उधर सही करने तो जायेगा उतनी देर में अपना थोडा बहुत काम कर लेंगे 

वो- एक बात बता जरा, तू कोई फ़िल्मी हीरो है रिकॉर्ड रूम में आदमी रहते और प्रिंसिपल ऑफिस भी खाली नहीं रहता बता कैसे करेगा तू 

मैं- तो फेर के करू कुछ तो बता 

वो- मुझे ना पता लैब में ही ट्राई कर ले कुछ हो सके तो , बाहर तो फोटो लेनी फुल खतरा है 


मैं- नीनुड़ी, नया प्रिंटर कितने का आएगा 

वो- महंगा ही आता होगा 

मैं- चल लैब में चलते है 

वो- ना मैं ना जाती तू ही जा 

मैं- ठीक है 

मैं वहा से चला लैब की तरफ रास्ते में ही मुझे मंजू मिल गयी मैंने उसको इशारे से अपने पास बुलाया और बोला- मंजू एक मदद चाहिए करेगी क्या 

वो- क्लास है मेरी बाद में कर दूंगी 

मैं- छोड़ ना क्लास को और मेरी बात सुन 

मैंने पूरी बात उसको बताई तो वो बोली- मैं ना कर सकू तेरी मदद कोई कुछ गड़बड़ हो गयी तो मैं तो गयी तूने क्या ठेका ले रखा है मुझे बदनाम करवाने का 

मैं- भोसड़ी की, जैसे बहुत लहर चल रही है तेरी इज्जत की चल मेरे साथ चुप चाप 

मैं उसको अपने साथ ले आया लैब में और एक कंप्यूटर पर बिठाया उसको , लैब खाली पड़ी थी उस समय 
मंजू- जल्दी ही निपटा ले अपना काम कही फास ना जाए 

मैं बस कैमरा को कंप्यूटर से जोड़ने ही वाला था की मेरी नजर लैब के कोने में पड़ी, वहा पर सामन रखा था कुछ मैं उधर गया तो देखा की लैब का सामान जैसे, की बोर्ड, डेस्कटाप, उनके पार्ट्स पड़े थे मेरी निगाह एक बॉक्स में गयी तो उधर प्रिंटिंग की कलर श्याई के कार्तिज़ थे, मेरे मन में एक विचार आया मैंने दो डिब्बे निकाले और मंजू के बैग में रख दिए 


वो- क्या कर रहा है मरवाएगा क्या 

मैं- साली चुप रह ना तू 

वो- क्या चुप रहू चोरी कर रहा है तू 

मैं- चुप रह जा और सुन किसी को कुछ पता नहीं चलने वाला 

हम बात कर ही रहे थे की इंस्ट्रक्टर आ गया तो थोड़ी देर बाद हम वहा से खिसक लिए और मिले नीनू से 
मंजू- तू तो मरवाएगा मुझे 

नीनू- इसको भी पता है क्या 

मैं- सुन, मैंने कलर, कार्त्रेज़ चुरा ली है 

नीनू- तू क्या करना चाहता है, हमे तो प्रिंटर चाहिए ना 

मंजू- पर तू प्रिंट क्या करेगा वो तो बता 

मैं- बाद में बताऊंगा तू जा क्लास में 

वो- अब कहे की क्लास अब तो मैं घर ही जाउंगी 

मैं- ठीक है 

नीनू- क्या सोच लिया 

मैं- शांति मैडम के घर मैंने कंप्यूटर देखा था प्रिंटर होगा तो काम बन जायेगा वर्ना तक़दीर अपनी 

वो- ट्राई करले 

मैं- तू चलेगी 

वो-ना तू ही जा 

तो मैंने ली अपनी साइकिल और मोड़ दी मैडम के घर की तरफ , दो तीन बार घंटी बजायी तब मैडम आई सो रही थी शायद 

वो- तुम यहाँ 

मैं- और कहा जाऊंगा 
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RE: Raj sharma stories चूतो का मेला - by sexstories - 12-29-2018, 02:37 PM

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