Raj sharma stories चूतो का मेला
12-29-2018, 02:40 PM,
#90
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
नीनू की बात सुनकर मैं सन्न रह गया क्या चल रहा था पिताजी के मन में, मैंने और नीनू ने इस गूढ़ विषय पर लम्बी चर्चा की, बातो बातो में उसने मुझे बताया की वो अर्धवार्षिकी के पेपर देते ही देहली चली जाएगी और कोचिंग करेगी ये सुनकर मेरा तो दिमाग ख़राब हो गया 

मैं- तू चली जाएगी तो मेरा क्या होगा 

वो- पर जाना भी तो जरुरी है ना, अब हम लोग तुम्हारी तरह तो है नहीं तो नौकरी मिल जाएगी तो लाइफ ठीक से कट जाएगी 

मैं- मुझे भी तो नौकरी करनी है 

वो- तो तू भी कोचिंग लेने चल 

मैं- सोच के बताऊंगा 

वो- तेरी मर्ज़ी है मैंने तो प्रिंसिपल से बात कर ली है , पुलिस की नोकरी की इच्छा है मेरी लग जाऊ तो मजा आ जाये 

मैं- अच्छी बात है 

वो- देख, हमे अपने भविष्य के बारे में सोचना तो होगा ही ना, आज नहीं तो कल 

मैं- तेरी बात सही है

वो- चल छोड़ ये बता चाची क्या बोली

मैं- अभी तो कुछ कह नहीं सकता की क्या करेंगी वो अभी ताजा ताजा मामला है तो तू समझ ही सकती है 

वो- और बिमला का क्या ,

मैं- उसका क्या होना है यार, मेरी ताई चोबीस घंटे नजर रखती है उस पर 

वो- हम्म्म, 

मैं- पर यार बिमला मेरे को धमकी दे रही थी 

वो- वो तो देगी ही तेरी वजह से उसकी ऐसी तैसी जो हो गयी है 

मैं- नीनू तू सच में जा रही है देहली 

वो- मजाक लगा क्या 

मैं- वहा जाके मुझे भूल तो नहीं जाएगी 

वो- डेल्ही जा रही हूँ, जिंदगी से ना जा रही फिर हम अपनी अपनी क्लास में चले गये
जबसे नीनू ने देहली जाने का कहा था पता नहीं क्यों अच्छा नहीं लग रहा था , मन अजीब सा हो रहा था घर आके खाना खाया चाची खेत में थी तो मैंने सोचा की चलो चला जाये , मैं जा रहा था की मंजू मिल गयी रस्ते में 


मैं- कहा गयी थी मेरी कट्टो 

वो- गीता ताई के यहाँ तक गयी थी 

मैं- क्यों 

वो- बापू, से उसने कर्जा लिया था अब दे नहीं रही तो तकाजा करने गयी थी 

मैं- तू कब देगी 

वो- कल तो दी थी , अब कोई मौका आएगा तभी दूंगी 

मैं- कितना कर्जा है ताई पे 

वो- तू क्यों पूछ रहा है तुझे देना है क्या 

मैं- मैं क्यों दूंगा , बस ऐसे ही पूछ रहा था 

वो- 8 हज़ार है ब्याज अलग से 

मैं- कोई ना दे देगी लेट शेट होता रहता है 

वो- बापू का कहना तो करना पड़ता है 

मैं- आजा कुएँ पे चले 

वो- ना, घर जाउंगी 

मैं- चल ठीक है 

रस्ते में सोचते हुए मैं कुए की तरफ जाने लगा मेरे मन में विचार आया की अगर गीता को मैं पैसे दे दू तो क्या पता चूत मिल जाये , पर मैं गरीब आदमी मेरे पास कहा से आये पैसे, वो भी इतनी बड़ी रकम इसके लिए तो चोरी ही करनी पड़े , सोचते सोचते मैं कुए पर पहूँच गया जमीन का एक टुकड़ा खाली पड़ा था पिताजी ने कहा था की उसमे सब्जी की नयी खेप लगनी है तो जुताई कर दू, जबकि मेरा ये ख्याल् था की बाजारा बो दिया जाये , अब बाप की ना मानो तो गांड टूटने का खतरा , पर मूड नहीं था तो जाने दिया चाची नीम के नीचे बैठी थी मैं उनके पास गया और बोला- आज खेत में कैसे 

वो- बस ऐसे ही खुद को काम में लगा रही हूँ तो मन नहीं भटकेगा 

मैं- अच्छा है

मैं- एक चुम्मी मिलेगी क्या 

वो- तुम्हारी मम्मी इधर ही है, चुम्मी का तो पता नहीं पर जूते जरुर पड़ेंगे 

अपनी तो किस्मत ही गधे के लंड से लिखी गयी लगती थी, चाची पास होकर भी दूर थी तो मन को मारकर कुए पे काम निपटाया और फिर हम लोग साथ साथ ही घर पर आ गए, पिताजी भी ऑफिस से आ चुके थे करीब घंटे भर बाद वो वकील भी अपना स्कूटर लेके आ गया तो पिताजी ने पुरे कुनबे को इकठ्ठा कर लिया और बोले की- मुझे लगता है की अब वक़्त आ गया है की मैं सबको अपना अपना हिसा दे दू 

मैं- कैसा हिस्सा पिताजी 

पिताजी ने घूर कर मेरी तरफ देखा तो मैंने नजर नीची कर ली 

पिताजी- परिवार सदा ही हमारी ताकत रहा है , बाप दादा सदा एक छत के नीचे रहते आये थे हम भाइयो ने भी उसी बात का अनुसरण किया पर जमाना बदल रहा है और फिर पिछले कुछ दिनों से घर के हालात भी ठीक नहीं है तो मुझे लगता है की अब समय आ गया है की हम सब चाहे तो जिंदगी को स्वतंत्र रूप से जी सके 


सब लोग पिताजी की बात गौर से सुन रहे थे , मैं कुछ कहना चाहता था पर चुप रहने की मज़बूरी थी 
पिताजी ने वकील से कुछ पेपर्स लिए और कहा की मैंने पूरी जायदाद को तीन हिस्सों में बाट दिया है , बिमला वाला मकान और नहर वाली खेती बिमला के ससुर को दे दी , कुए वाली आधी जमीं चाचा को और आधे घर में हिस्सा 

वकील- और तीसरा हिस्सा इन्होने सुनीता जी को दे दिया है जिनमे इस घर में आधा हिस्सा और ५ एकड़ जमीं है साथ ही एक प्लाट भी 

वकील – इन्होने अपने लिए कुछ नहीं लिया बस एक कमरे में 

सभी पिताजी को देखने लगे 

ताउजी- पर भाई ये कैसा बंटवारा 

पिताजी- भाई, मैंने बहुत सोचकर ये फैसला लिया है , तुम दोनों भाइयो का तो हक़ है इस जायदाद पर रही बात सुनीता की तो मैंने उसे सदा अपनी बेटी समझा है तो एक जेठ नहीं बल्कि बाप होने के हक़ से मैं अपना हिस्सा उसे दे रहा हूँ, मेरी कोई ज्यादा जरूरते है नहीं, और जो है मेरी नौकरी से पूरा हो जाएँगी , रही बात बेटे की तो मुझे पूरा भरोसा है उस पर वो अपने लिए कुछ न कुछ कर ही लेगा 

मैं कभी नहीं चाहता था की कुनबा ऐसे टूटे पर चलो जो तक़दीर में लिखा 

चाची ने साफ़ मन कर दिया पर मम्मी ने कहा की जो फैसला लिया है वो सोच समझ कर लिया है , पिताजी बंटवारे के बाद अपने कमरे में चले गए , मैं उनके पीछे गया तो पता चला की कुण्डी बंद है अन्दर से , सच कहू तो मैं कभी पिताजी को समझ ही नहीं पाया था , एक पिता अपने परिवार को पालने के लिए क्या क्या जतन करता है, दिमाग खराब सा होने लगा था मैं छत पर आकर बैठ गया थोड़ी देर बाद मम्मी भी मेरे पास आ गयी और बोली-

मम्मी- तूने दूध नहीं पिया आज 

मैं- ध्यान नहीं रहा 

वो- बंटवारे के बारे में सोच रहा है न तू, तुझे लग रहा होगा की माँ—बाप में तेरे लिए कुछ नहीं छोड़ा 
मैं- मम्मी, आप भी कैसी बाते करने लगे हो , और फिर मुझे इन चीजों का लालच कबसे होने लगा आपने मेहनत करना सिखाया है 

मम्मी- मेरा समझदार बेटा, मैंने और तुम्हारे पिताजी ने बहुत विचार करके ये फैसला लिया है सुनीता इस समय बहुत कष्ट से गुजर रही है , जिंदगी में काफ़ी बार हालात पर कोई जोर नहीं होता तो कम से कम हम उसके लिए इतना तो कर ही सकते है ना 

मैं- आप जो चाहे 

अब बाप का फरमान था तो आज की रात भी कुए पर ही गुजरनी थी तो अपना ताम-झाम लेके मैं चल दिया कुएँ पर की मैंने देखा दूकान पर मंजू बैठी थी 

मैं- आज तू इस समय, 

वो- घर पर फूफाजी आये है तो 

मैं- मंजू एक मदद कर देगी 

वो- बोल

मैं- कुछ पैसे उधार दे दे 

वो- कितने 

मैं- दस हज़ार 

मंजू ने मेरी तरफ ऐसे देखा जैसे मैंने पता नहीं क्या मांग लिया 

वो- दिमाग ठिकाने पे है 

हज़ार पांच सो की बात हो तो करू भी रकम मांग ली 

मैं- तेरा बाप आसामी है , 

वो –बाप से मांग ले फिर वैसे तुझे इतने पैसे किस काम में चाहिए 

मैं- छोड़, गांड मारा तेरी, भोसड़ी की कभी काम नहीं आती तू

मंजू- बता तो सही 

मैं- जाने दे एक ठंडा पिला दे पैसे बाद में दे दूंगा 

वो- ठन्डे पैसे नहीं लुंगी तुझसे 

एक थम्स अप पीकर मैं खेत में आ गया बिस्तर बिछा ही रहा था की देखा मेरी दिलरुबा, मेरी जाने बहार मेरी सबसे अच्छी दोस्त पिस्ता चलते हुए मेरी तरफ आ रही थी इतराते हुए वो मेरी तरफ आ रही थी उसको देखते ही मेरे होंठो पर एक मुस्कान आ गयी 

मैं- अरे कामिनी कहा मर गयी थी तू, तेरे बिना क्या हाल मेरा 

वो- यार नानी मर गयी 

मैं- कब 

वो- चार पांच दिन हुए 

मैं- ओह! ये तो ठीक न हुआ 

वो- अच्छा हुआ चली गयी , इस उम्र तो हर कोई जाए 

मैं- कब आई तू 

वो- आज ही आये है 

मैं- आते ही इधर 

वो- अब इतने दिन हुए तुझे देखा नहीं बात करने का मूड था 

मैं- मुझे भी तेरी मदद की जरुरत थी यार 

वो- हां बता चूत छोडके क्या दू तुझे , 

मैं- चूत तो चाहिए ही 

वो- ना दे सकती 
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RE: Raj sharma stories चूतो का मेला - by sexstories - 12-29-2018, 02:40 PM

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