Raj sharma stories चूतो का मेला
12-29-2018, 02:52 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
हमेशा से ही मुझे उसके हाथों का बना खाना बहुत पसंद था गाँव में लालमिर्च की बाटी हुई चटनी और गर्म रोटियां मजा ही आ जाया करता था 

खाने के बाद मैं बिस्तर पे लेट गया और नीनू की कही बात पर विचार करने लगा थोड़ी देर बाद पिस्ता भी आ गयी तो मैंने उस को बताई

वो-वो भी सके है पर आज अगर अवंतिका की पोजीशन पे गौर करु तो देखो आज गाँव पे बिमला का राज़ है वो सरपंच है और बाहुबली सरपंच है और फिर अवंतिका तो बस इसलिए जीती थी की तुमने हेल्प की 

पर इस बात पे गौर करो की अपनी सरपंची में वो लोगो का दिल क्यों ना जीत पायी 

वो- क्योंकि सरपंच की ज़िम्मेदारी है गाँव का विकास करना और वो उसे बिमला ने करने ना दिया 

मैं-पर तुम भूल रही हो की परिवार के बिना बिमला थी क्या जबकि अवंतिका के पास हर तरह का सपोर्ट था 

वो- इसका मतलब ये की कोई है जिसने बिमला को फुल सपोर्ट किया 

मैं-पर कौन 

वो- इसका जवाब तो गाँव में ही मिलेगा 

मैं-तू गाँव कब जायेगी 

वो-मैं क्यों जाउंगी

मैं- घर नहीं तेरा 

वो- अब बंद पड़ा है माँ गुजर गयी भाई भाभी अपनी ड्यूटी की जगह रहते है 

मैं- हम्म्म्म, कुल मिला के गाँव जाके ही पता चले

वो-पता नहीं वो पल कब आएगा 

मैं- पिस्ता आ सोते है और नाइटी खोल दे 

उसने मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखा और बिस्तर पर आ गयी मैने उसे अपनी और खींचा और उसके बदन को सहलाने लगा धीरे धीरे वो गर्म होने लगी धीरे से मैंने उसकी ब्रा को उतार दिया 

मैंने अपने सुलगते होंठ उसकी चूची के निप्पल पे रखा तो पिस्ता ने खुद अपनी चूची मेरे मुह में डाल दी मैंने उसको चूसना शुरू किया वो मेरे बालो में हाथ फिराने लगी 
कुछ देर बाद मैं दूसरे बॉबे को चूसने लगा 

जल्दी ही वो भी फॉर्म में आ गयी अब मैं उसके पेट को चूम रहा था उसकी नाभि से अठखेलिया करते हुए अपनी जीभ् से चाट रहा था उसकी पैंटी गीली होने लगी थी

और फिर वो लम्हा भी आ गया जब उस को हटा दिया गया पर तभी पिस्ता उठ बैठी और मेरे लण्ड को सहलाने लगी उसके स्पर्श से ही मैं सिसक उठा था पिस्ता ने सुपाड़े की खाल को नीचे किया और फिर झट से उसे अपने मुह में ले लिया 


और चूसने लगी मैंने खुद को उसके हवाले कर दिया और उसके बालो को सहलाने लगा पिस्ता कभी जोर से तो कभी आहिस्ता से पूरे जोश में आके लण्ड चूस रही थी

पिस्ता के पीठ पर चलते मेरे हाथ उफ्फ्फ कितनी मुलायम खाल थी उसकी अब मैंने उसको अपनी गोद में बिठलाया और बस उसके होंठो से अपने होंठ चिपका लिए जैसे ही चुम्बन शुरू हुआ 

मेरे हाथ अपने आप उसके नितंबो पर पहुच गए पिस्ता ने मेरे लण्ड को सही जगह पर लगाया और उस पर बैठती चली गयी हम दोनों धीरे धीरे एक दूसरे के होंटो को चूस रहे थे चाट रहे थे 


चूत में लण्ड जाते ही उसके चूतड़ अपने आप हिलने लगे थे मैंने तकिये का सहारा लिया और लेट गया पिस्ता ने अपने दोनों हाथ मेरे सीने पे रखे और धमाधम कूदने लगी वोकभी कभी उसमे इतना जोश आ जाता की वो मेरे सीने को कस के दबाती

कुछ देर बाद वो नीचे थी मैं ऊपर उसकी चूत बहुत गीली हो गयी थी जिस से और मजा आ रहा था धीरे धीरे उसकी पकड़ कुछ टाइट होने लगी थी बार बार वो अपने जिस्म को अकड़ती


पिस्ता शायद झड़ने वाली थी उसके इशारे तो ये ही बता रहे थे तो मैं जोरो से उसकी चुदाई करने लगा मेरा लण्ड जैसे पिघल ही जाना था और फिर उसने मुझे कस लिया अपनी बाहों में 
और उसके झड़ ते ही मैं भी झड़ गय

सुबह जरा देर हो गयी उठने में हाथ मुह धोके नीचे आया तो देखा की नीनू आयी हुई थी वो और पिस्ता बाते कर रहे थे मुझे देख पिस्ता चाय लाने चली गयी 

मैं-कब आयी तुम

वो-मुझे तो आना ही था कोतवाली में हंगामा जो किया तुमने 

मैं-कल मेरा दिमाग खराब हो गया था 

उसने बस मुझे घूर के देखा कहा कुछ नहीं तबताक पिस्ता चाय ले आयी थी 

मैं-पिस्ता ये नीलम है कभी हम दोस्त हुआ करते थे

वो-जानती हूं 

मैं-कैसे 

वो-जब तुम गाँव में नहीं थे ये आयी थी और मुझसे मिली थी तबसे ही जानती हूं 

साला इस दुनिया में क्या हो रहा था क्या कहे ये भी आपस में दोस्त है ये तो हद हो गयी

मैं-मुझसे क्यों छुपाया 

वो-तुम थे ही कहाँ तब

नीनू-ये सब छोड़ो देखो मैंने पहले भी तुमसे कहा था कि अपनी हरकते सुधार लो जिस दिन मेरा दिमाग घूम गया ना मैं सच में सड़ा दूंगी हवालात में 

पिस्ता को हंसी आ गयी 

नीनू-इसको समझाने की जगह हंस रही हो

वो-यार तुम दोनो थोड़े टाइम के लिए कही घूम आओ काफी टाइम बाद मिले हो न तो तुम समझ नहीं पा रहे हो 

मैं- वो सब छोड़ो मुझे तुम दोनों से कुछ बात करनी है 

नीनू-किस बारे में 

मैं-सब्र करो , 

मैंने एक गहरी सांस ली और बताने लगा -मैं गाँव जा रहा हु 

नीनू-नहीं तुम नहीं जाओगे

मैं-कब तक भटकता रहूँगा 

वो-पर ये सेफ नहीं होगा वो भी जब बात आलरेडी इतनी बिगड़ी हुई है 

मैं-बिगड़ी बात को सही तो करना होगा ना

पिस्ता-पर कौन दुश्मन है कौन दोस्त अब कुछ कहाँ नहीं जा सकता और फिर तुम आरोप क्या लगाओगे सबको पता है कि परिवार असीक्सीडेंट में खत्म हुआ था और पुलिस रिपोर्ट में भी ऐसा ही आया था 

मैं-रिपोर्ट बनवाई भी जा सकती है 

नीनू ने घूर के मेरी और देखा 
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