Raj sharma stories चूतो का मेला
12-29-2018, 02:46 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
मैं फिर से जीने की कोशिश कर रहा था सभी लोग मेरी पूरी मदद कर रहे थे की मैं मानसिक रूप से थोडा ठीक हो जाऊ अब लगभग मेरी हर शाम इंदु के साथ ही गुजरती थी पर साथ ही मुझे नीनू की याद भी बहुत आती थी काश उस से यहाँ आने से पहले एक बार बात हो जाती तो उसका कांटेक्ट नंबर ले लेता 


पर अभी क्या कर सकते थे इंदु की चुलबुलाहट मुझे अछी लगती थी पर बस ऐसे ही उस शाम हम लोग ऐसे ही छत पर बैठे थे ये सर्दियो की शुरुआत थी सूरज ढल रहा था तो उसकी लाली में इंदु का गोरा चेहरा चमक रहा था 

मैं- पता नहीं क्यों आज तुम क्यों इतनी सूंदर लग रही हो 

वो- चलो आज इतने दिन बाद तुमने ये तो जाना 

मैं-एक बात पुछु 

वो-हाँ 

मैं-तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है 

वो- स्सह्ह्ह् धीरे बोलो कोई सुन लेगा तो मेरी शामत आ जायेगी वैसे तुम्हे ये विचार कहा से आया की मेरा बॉयफ्रेंड है 

मैं- बस ऐसे ही पूछ रहा था

वो- ना ऐसा कुछ नहीं है और ना मेरा इरादा है 

पर तभी उसको नानी ने निचे बुला लिया तो बात अधूरी रह गई कुछ दिनों से मेरी कमर में दर्द हो रहा था तो मैं रात को नीचे फर्श पर बिस्तर लगा के सोता था ताकि कुछ आराम मिल सके अब सर्दी की शुरुआत थी तो सुबह बड़ी ज़ोरो की नींद आती थी मैं अपने कम्बल में लिपटा पड़ा था की इंदु कमरे में झाड़ू लगाने आई

ऊपर से उसी टाइम मैं एक सपना देख रहा था मस्त सा इधर वो मुझे उठाने लगी थोडा गुस्सा सा आया पर मैं उठ गया अब मैं बस कच्छे में ही था ऊपर से सपने की वजह से मेरा लण्ड खड़ा हुआ था अब कमरे में एक जवान लड़का और लड़की ऊपर से मेरा खड़ा लंड

इंदु की निगाह जैसे ही उधर पड़ी उसकी नजर जैसे जम गयी उसके गाल लाल हो गए पर तभी मुझे होश सा आया तो मैंने जल्दी से कम्बल को अपने शारीर पर लपेटा

मैं-क्या ऐसे ही घुस जाती हो

वो-और जो तुम ऐसे बेशर्मो की तरह 

मैं- क्या बेशर्मो की तरह

वो-कुछ नहीं अब हटाओ अपना तामझाम मुझे झाड़ू निकालनी है 

मैं अपने कपडे लेकर बाहर आ गया और कुछ देर बाद वापिस गया तो इंदु झाड़ू निकाल रही थी उसकी पीठ मेरी तरफ थी वो झुकी हुई थी उसकी कुर्ती भी थोडा साइड में हुई पड़ी थी तो चाह कर भी मैं खुद को उसकी गोल मटोल गांड को निहारने से ना रोक पाया 

टाइट सलवार में कैद उसके उन्नत नितम्बो पर जो नजर गयी लंड में सुरसुराहट सी होने लगी आज कई महीनो बाद मुझे ये अनुभूती हो रही थी तो दिमाग सा ख़राब होने लगा मैंने अपना तौलिया लिया और बाथरूम में आ गया 

पर आज कई दिनों बाद मेरा लिंग इस तरह गरम हुआ था की अब इसको शांत करना बेहद जरुरी हो गया था तो मैं उसको हिलाने लगा की मेरी नजर सामने राखी कछि पर पड़ी मैंने उसको हाथ में लिया और सूँघने लगा चूत की जनि पहचानी खुशबू मेरे नथुनो से टकराई 

मेरे लण्ड में और कसावट आ गयी मैं तेजी से उसको हिलाने लगा और थोडी देर बाद मैंने उस कच्छी पर ही अपना गाढ़ा पानी गिरा दिया उसको लापरवाही से ऐसे ही फेंक कर मैं नहा कर बाहर आ गया

फिर मैं शहर चला गया शाम को ही आया मामी ने मुझे चाय पकड़ाई जब वो चाय पकड़ा रही थी तो उनका आँचल थोडा सा सरक गया तो मेरी नजर उनके ब्लाउज़ से आधे बहार को आते उभारो पर पडी और वाही पर रुक गयी तो मामी धीरे से बोली- कहा खो गये, चाय लो 

तो मेरा ध्यान टूटा मैं चाय की चुस्किया लेने लगा पर दिमाग में मामी की चूचियो का दृश्य घूम रहा था घर के कुछ छोटे मोटे काम करके बैठ कर मैं टीवी देख रहा था तो नानी बोली इंदु को जगा ला दोपहर से सोई पड़ी है 


तो मैं ऊपर गया इंदु नींद में मगन बिस्तर पर औंधी पड़ी थी उसके फ़ुटबाल जैसे चूतड़ मेरी आँखों के सामने थे मैंने देखा उसकी सलवार का कुछ हिस्सा गांड की दरार में घुसा पड़ा था इतना उत्तेजक नजारा देख कर मेरा हाल बुरा हुआ तभी उसने करवट ली और अब सीधी हो गयी 

उसकी छातियाँ साँस लेने से ऊपर निचे हो रही थी मेरा गला सूखने लगा मैंने धीरे से अपना हाथ उसके उन्नत उभारो पर रखा और हलके से दबाया तो ऐसा लगा की मेरे हाथ में जैसे ढेर सारी मुलायम रुई मेरे हाथ में आ गयी हो पर तभी उसके बदन में सरसरहट हुई तो मैं उस से दूर हो गया और उसको जगा के निचे आ गया 

उत्तेजना के मारे मेरा बुरा हाल था तो मैं फिर से बाथरूम में गया और एक बार से वहा रखी पेंटी में से एक को अपने लंड पर लपेट कर मुठ मारके आया
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12-29-2018, 02:46 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
इधर इंदु के प्रति मेरे मन में विचार बदलने लगे थे उसकी हर बात उसकी वो बेफिक्री अच्छी लगने लगी थी पर अब ज्यादातर मेरा ध्यान। उसके शरीर पर ही रहने लगा था उसकी पर्वत सी खड़ी चूचिया और बेहद ही मस्त गांड मेरा लण्ड आजकल बहुत परेशान कर रहा था मुझे 

पर उसको डायरेक्ट बोल भी तो नहीं सकता था की दे देगी दिल में एक सैलाब उमड़ने लगा था इस बीच मैंने गौर किया की मेरी मामी आजकल अजीब सी नजरो से मुझे देखती है कई बार वो मेरे पास बैठी रहती पर चुन्नी नहीं ओढ़ती या फिर आँगन में बैठ कर अपनी एड़ी घिसती रहती उस समय उनका घाघरा थोडा ऊँचा होता जिस से मुझे गोरी पिण्डियों के पुरे दर्शन होते थे 

दिन ऐसे ही गुजर रहे थे दिल में एक बार फिर से हसरते जागने लगी थी पर किया क्या जाए इसी उडेढ़बुन में लगा था मन मेरा ,इंदु रात को लेट तक पढाई करती थी तो मैं भी उसके साथ पढता रहता था ठण्ड बढ़ने लगी थी तो उस रात ना हवा भी कुछ तेज सी थी ऊपर से लाइट भी चली गयी तो वो बोली जी मैं उसके पास आ जाऊ और पढ़ु क्योंकि उसके पलंग के किनारे लैंप था 

मैं उसके पास विपरीत दिशा में बैठ गया उसने अपने कम्बल को मेरे पैरो पर सरका दिया ताकि मुझे जाड़ा न लगे थोड़ी देर तो सब सही लगा पर अब स्तिथि कुछ ऐसी थी की मेरे पैर उसके पैरो से टकरा रहे थे तो मजा सा आने लगा एक दो बार उसने मेरी तरफ देखा पर कहा कुछ नहीं 

कुछ देर बाद उसने अपनी किताब साइड में रख दी और बोली-एक बात पुछु 

मैं-हाँ 
वो-तेरे गाँव में तेरी कोई गर्लफ्रेंड थी 

मैं- आपको क्या मतलब 

वो- बस ऐसे ही मेरे मन में आया तो पूछ लिया 

मैं-अब मुझसे कौन दोस्ती करेगा 

वो-तूने किसी को कहा था क्या 

मैं- नहीं तो पर मुझे लगता है एक गर्लफ्रेंड तो होनी ही चाहिए 
वो-अच्छा और कैसी होनी चाहिए 

मैं-बिलकुल आप जैसी 

ये सुनकर इंदु का चेहरा लैंप की रौशनी में चमक उठा उसके होंठो पर जो दो पल को एक मुस्कान सी आई थी उसको मैंने देख लिया था 

वो- मेरे जैसी, फिर तो प्रॉब्लम हो गयी, अब मैं तो अपने जैसा एक लौटा पीस हु 

मैं- तो क्या आप बनोगे

वो- मैं कैसे बन सकती हु मैं तो मौसी हु तुम्हारी 

मैं- तो क्या हुआ आप हमउम्र हो मेरी मुझे अच्छी भी लगती हो आप बन जाओ 

वो- तू अभी नासमझ है तू समझेगा नहीं 

अब उसको कौन समझाता की इस छेत्र में अपने झंडे कई जगह गडे हुए है खैर मैं उसके मन को टटोल रहा था 

मैं अब उसके थोड़े करीब गया मेरी सांसे जैसे सुलगने लगी थी 

मैं-ईन्दू क्या मुझसे फ्रेंडशिप करोगी 

वो- अब सच में ज्यादा हो रहा है 

मैं-कम ज्यादा का पता नहीं पर इतना जरूर पता है की तुम बहुत अच्छी लगती हो मुझे 

वो- मुझे जाना चाहिए 

मैं- जाती हो तो जाओ पर मैं तुम्हारे जवाब का इंतज़ार करूँगा 

वो मुझे घूरते हुए चली गयी मैंने अपने कपडे उतारे और रोज की तरह निचे गुदड़ी बिछा के सो गया सुबह किसी की पायल की झंकार की आवाज से मेरी नींद टूट गयी तो मैंने अधखुली आँखों से देखा की आज इंदु की जगह मामी झाड़ू निकाल रही थी

मुझे सोया जानकार वो बेख्याली में थी उनकी पतली कमर पर जो मेरी नजर पड़ी कसम से लंड खड़ा हो गया मुझे अब समझ आया की मामी भी कम नहीं थी पतली थी पर फिगर एक दम पटाखा थी मैं अपने लण्ड को एडजस्ट कर रहा था की मेरी टांगो से कम्बल हट गया और तभी मामी मेरी और पलट गयी मेरा नन्गा तना हुआ लौड़ा उनकी आँखों के सामने था 

इस परिस्तिथि में मैं चाह कर भी कुछ नहीं कर सकता था तो आँखों को मूँद लिया और सोने का अभिनय करने लगा मामी प्यारी अपनी आँखे फाड़े मेरे लण्ड को देख रही थी कुछ देर बाद वो मेरे पास आई और हौले से मेरे लंड पर अपना हाथ रखा कई दिनों बाद औरत के हाथ का स्पर्श पाकर लण्ड और टाइट हो गया मामी ने धीरे से मेरे सुपाड़े की खाल को निचे सरकाया 

मेरा हाल बुरा हुआ पर मैं चुपचाप पड़ा रहा कुछ देर सहलाने के बाद उन्होंने कम्बल मेरे ऊपर डाल दिया और मुझे जगाने का नाटक करने लगी मैं समझ गया था की मामी मेरे मजे लेने के मूड में है सुबह सुबह क्योंकि कम्बल के निचे मैं नंगा था तो कैसे उठता 


इधर वो हंसती हुई मुझको उठा रही तो आखिर मैंने भी कच्ची गोलिया खेली नहीं थी मैं सीधा उठ गया अब मैं बिल्कुल नंगा मामी के सामने खड़ा था मैंने ऐसा दर्शाया जैसे की अभी भी नींद में हु जबकि अब मामी चिल्लाई-हई दइया ये क्या और ऐसे करने लगी जैसे ज़िन्दगी में पहली बार लण्ड देखा हो 

तो मैंने तुरंत कम्बल लपेट लिया और माफ़ी मांगने लगा तो मामी कमरे से बाहर जाते हुए धीरे से बोली- कपडे पहन कर सोया करो अब तुम पुरे जवान हो गए हो

उनके जाने के बाद मैं ये सोचते हुए कपडे पहन ने लगा की दिन की शुरआत ऐसी हुई है तो आगे क्या होगा
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12-29-2018, 02:47 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
जल्दी ही मैं एक दम तैयार था सहर जाने के लिये बस मैं अपनी साइकिल की धुल साफ़ कर रहा था की इंदु बोली मैं भी तुम्हारे साथ चलती हु तो हम दोनों शहर की ओर चल पड़े रस्ते में मैने उसको पुछा फ्रेंडशिप के बारे में तो उसने कुछ जवाब नहीं दिया 

तो मैंने भी उसको ज्यादा फ़ोर्स नहीं किया उस शाम को मैं छत की मुंडेर पर बैठ कर नजारा ले रहा था इंदु चौबारे की चौखट पर खड़ी थी आज पीले सूट में वो गजब लग रही थी तभी उसने अपने पेट वाले हिस्से से अपनी कुर्ती को थोडा सा खिसकाया मुझे उसका फूला हुआ गोरा पेट दिखने लगा 


वो मुझे ऐसे ही देख रही थी मैं उसको देख रहा था ना जाने क्यों आज उसकी आँखे कुछ अलग सी लग रही थी मैं मुंडेर से उतरा और चौबारे की तरफ चल पड़ा 

वो चौखट पर ही रुकी रही अब हम दोनों एक दुसरे के सामने खड़े थे मैं थोडा सा उसकी तरफ बढ़ा वो बिलकुल दरवाजे से सट गयी हमारे बीच अब बहुत थोडा फासला था इतना थोडा की मेरी सांसे उसके चेहरे पर पड़ने लगी थी दो पल के लिए हमारी नजर मिली और बिना किसी हिचक के मैंने अपने होठ उसके अनछुए होंठो पर रख दिए

ईन्दू ने मेरी शर्ट को अपने हाथो से पकड़ लिया मैं उसके मलाईदार होंठो का रस चूसने लगा उसके होंठ थोडा सा खुले और तभी मैंने उसके निचले होंठ को अपने दोनों होंठो में दबा लिया और उस गुलाबी स्वाद को महसूस करने लगा 

करीब दो मिनट तक हमारा किस्स चला उसके बाद मैं उस से अलग हो गया इंदु का पूरा चेहरा हल्का गुलाबी हो गया था उसके चेहरे पर जो हया थी जो चमक थी या जो भी था समझ न सका मैं वो निचे को जाने लगी तो मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और उसको अपनी और खींच भारी भरकम इंदु मेरे सीने से आ लगी अब मेरे हाथ उसकी पीठ पर थे 

उसके बदन को सहलाते हुए एक बार फिर से हमारी किसिंग चालू हो गयी उफ्फ्फ आज कितने दिनों बाद एक सुकून सा मिल रहा था पर हमारा रिश्ता भी अजीब था उसने धक्का देकर मुझे खुद से अलग किया और निचे को भाग गयी मैं वही रह गया अपने होंठो पर उस स्वाद को महसूस करते हुए 


थोड़ी देर बाद मैं भी निचे आ गया तो पता चला की नाना के एक दोस्त के घर शादी है तो सभी को उधर जाना है शाम तो वैसे ही हो रही थी और नाना अब बता रहे थे तो फिर सब जल्दबाज़ी में तैयार हुए सिवाय मामा के क्योंकि वो काम के चलते बस शनिवार और रविवार को ही घर आते थे पर फिर भी पूरा कुनबा था तो तैयार होने में थोडा टाइम लग गया 


अब हम लोग गाड़ी में बैठे नाना और मेरा ममेरा भाई आगे थे मैं नानी और मामी बीच में और बच्चे और इंदु पीछे मैं वैसे तो जाना नहीं चाहता था पर नानी की इच्छा थी तो मैं मना नहीं कर पाया वहा पर हमे बहूत रात हो गयी थी टाइम बारह से ऊपर हो गया था ऊपर से सर्दियो के दिन


खाना वाना खाके बस चलने की तयारी ही थी की नाना को उनका एक दोस्त और मिल गया अब नाना ने उसको घर चलने के लिए कहा पुराना दोस्त था तो वो मना नहीं कर पाया तो वो उसकी पत्नी और एक लड़की और हमसे जुड़ गए अब समस्या हुई गाडी में बैठने की पर मेहमानो को जगह भी देनी थी 
थोड़ी दिक्कत तो होनी ही थी पर अब क्या किया जाये तो सब लोग जैसे तैसे एडजस्ट हो गए थे इंदु ने पीछे बैठने से साफ़ मना कर दिया क्योंकि वो आई जब उधर ही बैठ के आई थी और अब उसने खाना थोडा ज्यादा खा लिया था 

ऊपर से एक बड़ा कार्टून मिठाई का और कुछ डिब्बे और थे तो उनको पीछे रखने के बाद इतनी ही जगह बनती थी की एक आदमी ही बैठ सके पर लोग दो थे तो मामी ने कहा की आगे पीछे करके बैठ जाएंगे तो मेरे चढ़ने के बाद वो भी आ गयी पर सच में इतनी जगह नहीं थी 


मामी मेरी एक जांघ पर अपना पूरा बोझ डाले हुए थी इधर नाना ने गाडी की लाइट बंद की और अब मामी सरक कर मेरी गोद में आ गयी मैं हैरान रह गया मामी धीरे से बोली- कोई परेशानी तो नहीं है ना 

मैं बस मुस्कुरा दिया पर परेशानी तो होनी ही थी मामी की गांड को महसूस करते ही मेरे लण्ड में करंट आना शुरू हो गया ऊपर से सड़क पर हिचकोले खाती गाडी तो मामी की गांड की दरार पर मेरा लण्ड एकदम सही सेट हो गया था मुझे बहुत मजा आने लगा था 


ऊपर से हिचकोले,तो मैंने अपने दोनों हाथो को मामी की पतली कमर पर रख दिया मामी के मुह से एक आह निकल गयी धीमे से , एक मस्त औरत मेरी गोदी में बैठी थी यही सोच कर मेरे मन में तूफ़ान आ गया था मेरा खुद पर काबू छूट रहा था ऊपर से उनके बदन से जो सुगंध आ रही थी क्या कहना 


मैं अब धीरे से अपनी उंगलिया उनके पेट पर चलाने लगा मामी का बदन अँगड़ाई लेने लगा मैं उनकी नाभि से छेड़खानी करने लगा मामी हौले हौले से सिसकिया भरने लगी थोड़ी हिममत करते हुए मैंने अपने हाथो को ऊपर किया और उनकी चूचियो के निचले हिस्से को छूने लगा तो मामी का बदन हिला और वो पीछे हो गय


मामी की गर्दन अब मेरे गालो पर आ गयी थी उनकी सांसो में जो गर्मी थी वो मैं महसूस कर रहा था मेरा जी तो कर रहा था की मामी के गाल चूम लू ,,मैं इतना तो समझ रहा था की वो गरम हो रही है तो मैंने एक दम से अपने दोनों हाथो को उनकी चूचियो पर रख दिया और दबा दिए 


मामी ने बड़ी मुश्किल स अपनी आहो को रोका औरबोलि-आः आराम से 

बस ये सुनते ही मुझे ग्रीन सिग्नल मिल गया और मैं उनके बोबो से खेलने लगा अब मैं बड़े प्यार से उनकी गेंदों से खेल रहा था 

मामी धीरे से बोली- ये मुझे क्या चुभ रहा है 

मैं-खुद ही देख लो 

तो उन्होंने अपने आप को थोडा सा उठाया और अपने हाथ से मेरे लण्ड को पेंट के ऊपर से ही सहलाने लगी अब वो मेरी जांघ पर आ गयी थी उन्हीने मेरी चैन को खोल कर लण्ड को अपनी मुट्ठी में ले लिया हम दोनों बहुत चुपचाप ऐसा कर रहे थे 
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12-29-2018, 02:47 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
मामी मेरे सुपाड़े पर अपना अंगूठा रगड़ने लगी मैं उत्तेजना की परकाष्ठा से गुजरने लगा मैंने मामी की साडी को कमर तक उठाया और फिर अपनी गोद में ले लिया अब बस एक कच्छी ही थी मैंने अपना हाथ आगे से चूत पर रखा था वो हिस्सा पूरा गीला था 

मैं मामी की चूत को सहलाने लगा मामी की हालात बस पूछो ही मत पर उनको भी तड़पाना खूब आता था ,मामी ने अपनी पैंटी साइड से हटाई और मेरे लण्ड को चूत की दीवार पर रगड़ने लगी ये मैं ही जानता था की किस तरह से मैंने खुद को रोक कर रखा हुआ था 

मेरे हाथ बार बार उनकी छातियो को भींच रहे थे मैं बार बार कमर को उचका रहा था की लण्ड चूत में घुस जाए पर वो बस मुझे तड़पाने में लगी हुई थी ऐसे ही वो सफ़र कट गया हमारा और हुमलोग घर आये

घर आने के बाद इंदु सीधा सोने चली गयी मेहमानो को मेरे कमरे में शिफ्ट कर दिया गया मामी शायद रसोई में कुछ करने गयी थी तो मैंने अपने कपडे चेंज किये और बैठक में सोने की तैयारी करते हुए बिस्तर लगा रहा था की मेरे छोटे मामा बोले तू इधर मत सो क्योंकि उनका आज फ़िल्म देखने का प्रोग्राम था 

तो अब गर्मी का मौसम होता तो मैं छत पर सो जाता पर अब मैं कहा जाऊ फिर सोचा की बरामदे में सो जाता हु तो मैं उधर जा रहा था की मामी रासोई से आती दिखी 

मामी-कहा घूम रहे हो सोये नहीं अभी तक 

मैं-जी वो आज जगह नहीं मिली सोचा बरामदे में सो जाऊंगा 

मामी- पागल हो क्या इतनी ठण्ड में उधर सोवोगे सुबह तक कुल्फी जम जानी है और ये क्या रज़ाई क्यों नहीं लेते अब कम्बल से काम नहीं चलने वाला ,एक काम करो मेरे रूम में आ जाओ वहाँ सो जाना 


ये कह कर मामी रूम में चली गयी मैंने अपना बिस्तर वहीं छोड़ा और बाथरूम। में चला गया थोड़ी देर बाद मैं कमरे में गया मामी कमरे में अकेली थी 

मैं-बच्चे कहा है 

वो-वो तो इंदु के साथ सोते है 

मैं-अच्छा ,रात बहुत हुई सोते है 

मामी- इधर मेरे पास आ जाओ 

तो हम लोग बेड पर आ गए एक रजाई में सरीर में एक दम से गर्मी सी आ गयी मामी ने बस एक पतली सी नाइटी पहनी हुई थी ,इधर मामी के बदन से टच होते ही मेरे बदन में सुरसुराहट होने लगी थी गाडी में जो कुछ हुआ था उस से मैं जान गया था की मामी फुल तैयार है चुदने के लिए 


बस शुरुआत करने की ढील थी पर पता नहीं क्यों मैं झिझक रहा था 

मामी ने मेरी जांघ पर हाथ रखा और बोली- ये क्या रोज तो कच्छे में सोते हो आज पायजामा क्यों पहन रखा है 

मैं-वो आज आपके साथ हु ना इसलिए 

वो-तो क्या हुआ, उतार दो इसको जैसे रोज सोते हो वैसे ही सोवो

मैंने पायजामा उतार दिया मामी ने फिर से मेरी जांघ पर फिर से हाथ रख दिया और सहलाने लगी उनके स्पर्श मात्र से ही मेरे लंड में आग लगनी शुरू हो गयी थी ,मामी के बदन की मनमोहक खुशबु मेरी उत्तेजना को परकाष्ठा पर ले जाने लगी 

उनकी उंगलिया अब मेरे लण्ड को ऐसे छु रही थी जैसे अनजाने में हाथ लग रहा हो पर जो हो रहा था वो सब अनजाने में नहीं बल्कि राजी ख़ुशी में हो रहा था और फिर मामी ने कच्छे के ऊपर से ही मेरे लण्ड को कस कर पकड़ लिया 

अब मैं बेकाबू हो गया और मामी को अपनी बाहो में भर लिया और उनकी चूची को दबाते हुए किस्स करने लगा मामी की मदहोश आहे मेरे मुह में घुलने लगी चॉकलेट फ्लेवर की लिपस्टिक लगे होंठो के उस मदमस्त स्वाद ने मेरे तन में आग लगा दी थी 

इधर मामी के हाथ मेरे लण्ड को छोड़ ही नहीं रहे थे उन्होंने मेरे कच्छे को घुटनो तक सरका दिया था और मेरे मोटे लण्ड को अपनी मुट्ठी में भर के उसका भूगोल नाप रही थी

मामी की मैक्सी के अंदर पहुच चुके मेरे हाथो ने महसूस कर लिया था की अंदर ब्रा-पेंटी कुछ नहीं है बस मेरी उंगलिया उनकी छातियो में उत्तेजना भर रही थी हमारे होठ एक दूसरे से ऐसे चिपके हुए थे जैसे फेविकोल का जोड़ हो 

मामी का हाथ तेजी से मेरे लण्ड पर चल रहा था रजाई कब की हमारे बदन से उतर कर साइड में हो गयी थी पता ही नहीं चला था अब हमारी किस्स टूटी मैंने नाइटी को उतार दिया हम दोनों नंगे हो चुके थे मैं उनकी चिकनी टांगो को सहलाते हुए उनके गालो को खाने लगा 
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12-29-2018, 02:47 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
मामी का बदन गरम हो रहा था एक बार फिर से हम दोनों एक दूसरे का मधुरस चखने लगे थे मैं अपनी जीभ को मामी के मुह के अंदर घुमा रहा था मैंने अब अपने हाथ को उस जन्नत के दरवाजे की और ले जाना शुरू किया मामी की टाँगे अपने आप मुझे रास्ता दे रही थी

और जैसे ही मैंने मामी की बिना बालो वाली चूत को छुआ तो मामी ने अपनी जांघो को भींच लिया उफ्फ्फ्फ़ कितनी गीली हो राखी थी मामी मैं अपनी बीच वाली ऊँगली को उनके भगनसे पर रगड़ने लगा अब हमारे होठ अलग हुए चेहरे को जी भर के चूमने के बाद मैं अब मामी के पेट पर किस्स करने लगा उफ्फ्फ कितनी चीकनि औरत थी ये

मैं उनकी नाभि में अपनी जीभ को घुमा रहा था मामी की आहे अब तेज हो गयी थी मैं अपनी ठोड़ी को उनके मांसल बदन पर रगड़ते हुए योनि की तरफ बढ़ रहा था की तभी मामी ने मुझे हटाया और बेड से उतर गयी

मैं उनकी नाभि में अपनी जीभ को घुमा रहा था मामी की आहे अब तेज हो गयी थी मैं अपनी ठोड़ी को उनके मांसल बदन पर रगड़ते हुए योनि की तरफ बढ़ रहा था की तभी मामी ने मुझे हटाया और बेड से उतर गयी

मामी इस तरह खड़ी थी की उनकी पीठ मेरी तरफ थी मैं भी उतरा और मामी को पीछे से अपनी बाहों में भर लिया मेरा लण्ड उनके चूतड़ो की दरार में घुसने लगा मैं उनके दोनों उभारो को अपनी मुट्ठी में कैद किये मामी के सुडोल कंधो को चूमने लगा 


मामी-आअह हाआआआ

मामी के कुल्हो की मादक थिरकन ने मुझे हद से ज्यादा गरम कर दिया था इधर मैं उनकी गर्दन के पिछले हिस्से को चूमने लगा था हम दोनों के जिस्म इस उतेजना की आग में तपने लगे थे किसी मछली की तरह मामी अब मेरे आगोश से निकल गयी अच्छी अदा थी तड़पाने की पर मै भी कम नहीं था 


मैंने फिर से मामी को पकड़ लिया और अपनी एक ऊँगली चूत में सरका दी मामी हलके से चीखी पर अब कौन सुनने वाला था उनकी मैं तेजी से अपनी ऊँगली का जादू चलाने लगा मामी पसीना पसीना होने लगी थी 


फिर मैंने अपनी ऊँगली बाहर निकाली और मामी के होंठो पर रगड़ने लगा उन्होंने अपनी आँखों को बंद कर लिया अब मैंने उनको पटक दिया बिस्तर पर उनकी टांगो को फैलाते हुए बीच में आ गया और मामी की योनि पर अपने हथियार को रगड़ने लगा मामी अब सिसकारियाँ भरने लगी 


उनकी चूत के रिस्ते पानी में मेरा सुपाड़ा भीगने लगा पर उसकी मंजिल अभी बाकी थी मामी की टांगो को एडजस्ट करते हुए अब मैंने लण्ड को सरकाना शुरू किया तो वो मामी की चूत को फैलाता हुआ अंदर जाने लगा 

मामी-आअह आराम से दर्द करोगे क्या 


मैं-इस दर्द का ही तो मजा है 

ये कह कर मैंने एक तेज झटका लगाते हुए अपने लोडे को छूट के और अंदर धकेल दिया मामी की टाँगे अपने आप खुलती चली गई दो बच्चों की माँ होने के बाद भी चूत में कसावट थी मैं धीरे धीरे अपने लण्ड को अंदर बाहर करने लगा

मामी ने अपने दोनों हाथ मेरे सीने पर रख दिए और सहलाने लगी मुझे ऐसे लग रहा था की जैसे लण्ड पर किसी ने स्क्रू कस दिया हो बिना कुछ बोले हमारी चुदाई चालू थी

मेरा लण्ड उस रसीली चूत के एक एक बूँद से नहा रहा था धीरे धीरे करते हुए अब मैं पूरी तरह मामी पर चढ़ चूका था वो अपनी बाहे मेरी पीठ पर रगड़ रही थी मैं हुमच हिमच कर चोद रहा था मामी को 

जल्दी ही वो भी अब एक्सप्रेस हो गयी थी और निचे से धक्के लगा रही थी मैंने फिर से मामी के शहद से भरे होंठो को अपने मुह में ले लिया वो बार बार अपनी चूत को टाइट करती फिर ढीली करती फिर टाइट करती अब जहा हुस्न होता है वहा अदा तो होती ही है


अब किसे सर्दी लग रही थी दोनों के बदन जल जो रहे थे मेरे धक्को की रफ़्तार से मामी का समूचा बदन बुरी तरह से हिल रहा था खासकर उनकी चूचिया लगभग मंझधार में आ कर मैंने मामी को अब घोड़ी बना दिया 

उनकी गांड पीछे की तरफ उभर आई थी मामी के बेहद दिलकश सुडोल चूतड़ किसी का भी मन मोह ले मेरी तो बिसात ही क्या थी,मैंने बिना देर किये चूतड़ो को चूमना शुरू किया मांस से भरे चूतड़ो का काफी हिस्सा मेरे मुह में जा रहा था 


मामी की आहो में एक दम से तेजी आ गयी थी वो अपने चुतड मेरे मुह पर पटकने लगी उफ्फ्फ्फ़ ये उत्तेजना मामी ने अपनी दोनों जांघो को चिपका लिया जिस से पिछवाड़ा और उभर आया और फिर मैं अपनी जीभ से उस रस टपकती चूत को चाटने लगा तो मामी की टाँगे कांप गयी 


उन्होंने अपना मुह तकिये में छुपा लिया और गांड को हिला हिला के चूत चटवाने लगी ढेर सारा खारा पानी मेरे मुह में घुल रहा था पर मैंने ऐसा ज्यादा देर नहीं किया क्योकि अभी इस घोड़ी की सवारी जो करनी थी

मैंने एक बार से अपने औज़ार को फिट किया और मामी फिर से चुदने लगी उनकी पतली कमर को थामे हुए मैं अब पूरी रफ्तार से चुदाई करने लगा मामी भी कुल्हो को आगे पीछे कर रही थी बस सांसे सुलग रही थी शुरआत हो गयी थी अंत की आस थी 

करीब दस मिनट तक वो घोड़ी बनी रही वो मैं चोदता रहा और फिर उनके बदन ने झटका खाया और वो बिस्तर पर गिर गयी मैं भी उनके ऊपर लेटा हुआ चूत माँर रहा था मामी झड़ रही थी और साथ ही मेरा पानी भी उनकी चूत में गिरने लगा
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12-29-2018, 02:47 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
मामी और मैं कुछ देर के लिए तृप्त हो गए थे पर अरमानो की आग के कुछ शोले अभी बाकी थे जिन्हें बस एक हवा की जरुरत थी मामी मेरी बाहों में पड़ी थी उनके बदन की खुसबू बड़ी मनमोहक थी और चुदाई के बाद तो जैसे वो महक ही उठी थी


अपनी सांसो को सँभालने के बाद मैंने मामी को फिर से अपने बदन से चिपका लिया और उनके कुल्हो को सहलाने लगा एक जानी पहचानी खुमारी फिर से हम पर चढ़ने लगी और कुछ पलो बाद मामी मेरी गोद में चढ़ी हुई थी


गोद में चढ़के मामी ने अपनी टांगो को मेरी कमर पर लपेट लिया और मेरी गर्दन पर अपने हाथ रखते हुए मेरे चेहरे को चूमने लगी मेरा आधा खड़ा लण्ड उनकी गांड की दरार में रगड़ पैदा करने लगा मामी के होंठ से बहता थूक मेरे चेहरे को भिगो रहा था 


उत्तेजना से वशिभूत वो बहुत जोरो से किस्स कर रही थी अपने दोनों कुल्हो के बीच दबाये मेरे लण्ड में वो आग भर रही थी अब मामी ने अपने चेहरे को हटाया और मेरे मुह में अपनी एक चूची दे दी जोश में आके 


मैंने निप्पल पर जोर से काट लिया तो वो सिसक उठी "आह:" पर उनको भी पता था की इन हरकतों का भी अपना ही मजा था मामी की पीठ को रगड़ते हुए मैं बारी बारी उनके दोनों उभारो को निचोड़ रहा था


अपनी उत्तेजना को अरमानो के पंख दिए मामी फिर से तैयार हो रही थी वासना के आकाश में उड़ने के लिए दोनों बोबे जगह जगह से लाल हो गए थे साथ ही थोड़े फ़ूल गए थे मामी ने मेरे सीने पर किस किया और मेरी गोद से उठ गयी


मेरा लण्ड जो अब पूरी तरह से तैयार था एक बार फिर से उनकी चूत में खुदाई के लिए मामी ने उसे देख कर अपने होंठो पर जीभ फ़िराई और अपने लाल सुर्ख होंठो को मेरे लण्ड पर रख दिया मेरे सुपाड़े पर हुए इस चुम्बन से तन बदन में खलबली मच गयी


लण्ड से जो प्री कम निकल रहा था वो अपनी जीभ से उसे चाट रही थी बल्कि उनकी कोशिश थी की जीभ को उस छेद में घुसा सके लगभग आधा लण्ड उनके मुह में था और हाथ दोनों अन्डकोशों पर जिसे वो बड़े प्यार से सहला रही थी 


मैं तो पूरी तरह से मस्ती के सागर में डूब गया था अनुभवी औरतो के साथ सेक्स का यहितो सबसे बड़ा फायदा होता है की वो पल भर में ही समझ जाती है की बन्दे को क्या चाहिए अब उन्होंने पुरे लण्ड को अपने गले तक ले लिया था और मुझे मुख मैथुन का पूरा मजा दे रही थी


पर साथ ही अब मुझसे रुका नहीं जा रहा था तो वैसे भी वो कई देर से चूस ही रही थी तो अब उनके कुल्हो को थपथपाया और उनको फिर से घोड़ी बना दिया मामी की बड़ी सी गांड मेरे सामने थी मैंने अपने दोनों हाथो से कुल्हो को थाम लिया हाय कितने मुलायम थे 


मैं बारी बारी से मामी के सुडोल चूतड़ो पर किस्स करने लगा कसम से बहुत मजा आ रहा था कई बार मैंने काटा उनको तो मामी बस चिहुंक कर रह गयी चूमते चूमते मेरी नाक मामी की चूत से टकराई उफ्फ्फ्फ़ क्या गजब खुसबू आ रही थी मैंने अपने चेहरे को चूतड़ो के बीच दे दिया 


और चूत को अपने मुह में भर लिया ढेर सारा गाढ़ा खारा खट्टा पानी मेरे मुह में भर गया जिसे मैं गटकने लगा इधर मामी के बदन में खलबली सी मच गयी थी अब उनकी आहे बाहूत तेज हो गयी थी बदन झटके खाने लगा था उनके चूतड़ जैसे थिरक रहे थे मेरी जीभ अब अंदर के लाल वाले हिस्से पर रगड़ पैदा कर रही तो जिस से मामी मस्ती की लहरो पर सवारी कर रही थी



इधर मेरे लण्ड में हो रही ऐंठन परेशान कर रही थी तो मैंने लंड पर थूक लगाया और मामी की चूत पर लगा दिया मैंने अपने हाथ चूतड़ो पर रखे और मामी की चूत में लण्ड घुसाने लगा मामी आगे को सरकी पर मैंने। उन्हें फिर से पीछे कर लिया और धक्कमपेल चालू कर दी


मामी की कद काठी वास्तव में ही बहूत सेक्सी थी बेशक वो थोड़ी पतली टाइप थी पर कामुकता छलकती थी अंग अंग से और ये आज उन्होंने प्रूव भी कर दिया था की बिस्तर पर वो किसी से कम नहीं है 

चुदाई की थाप गूँज रही थी कमरे में सर्दी के मौसम में भी पसीना चल पड़ा था बदन से बहकर करीब दस मिनट तक वो घोड़ी बने चुदती रही फिर झटके से मैंने लण्ड को बाहर निकाल लिया वो हवा में झूलने लगा मामी मेरी और देखने लगी


मैंने उन्हें लिटाया और उनकी टांगो को अपने कंधे पर रखते हुए फिर से चोदना शुरू कर दिया मामी की छातियाँ बुरी तरह से हिल रही थी चिकनी चुत मे मेरा तूफानी लण्ड आतंक मचाये हुआ था मामी भी पूरी तरह मस्ती से भरी हुई थी लिहाज़ा अब उन्होंने 


मुझे पूरी तरह अपने उपर खीच लिया और अपने होंठो की शबनम मुझे पिलाते हुए चूत मरवा रही थी उन्होंने अपने चूतड़ पूरी तरह से ऊपर उठा रखे थे इधर मेरे धक्के चालू थे उधर उनके परिणाम स्वरूप अब गाड़ी मंजिल पर पहुंचने ही वाली थी


मामी का हाल तो नहीं पता पर मैं अब झड़ने ही वाला था तो मैं तेज तेज करने लगा उन्होंने कस के मुझे अपनी बाहो में जकड़। रखा था और जैसे ही मेरा वीर्य उनकी चूत को गीली करने लगा मामी भी अपने चरम पर पहुच गयी और मेरी बाहों में झूल गया

उस रात हम दोनों ने अपनी प्यास जी भर के मिटाइ सुबह कुछ हलकी हलकी सी लग रही थी मैं उठके रसोई में चाय लेने गया तो मामी ने मुझे दूध का गिलास दिया और बोली-तुम्हे इसकी जरुरत है 

मैं-पर मुझे चाय ही पीनी है 

वो- समझा करो तुम दूध पियोगे तभी तो मैं मलाई खा पाऊँगी ये बोलकर हँसते हुए उन्होंने मुझे गिलास पकड़ा दिया और फिर अपना काम करने लगी 


मैं कुछ कह ही नहीं लाया जबकि वो पूरी एडवांटेज ले रही थी दूध पीके मैं बैठक में आया तो नाना और उनके दोस्त नाश्ता कर रहे थे तो मैं इंदु के कमरे में आकर बैठ गया पर आज मैंने देखा की वो किताबो से चिपटी नहीं थी 


बल्कि आराम से बैठ कर डेक चला के गाने सुन रही थी मैने देखा उसके बालो से पानी झर रहा था शायद कुछ देर पहले ही नहा के आई थी अब इतनी जोर की सर्दी पड रही थी और ये नहाने में लगी थी 

उसने मुझे देखा और बोली-उठ गए तुम मैं जगाने आ ही रही थी मेरी एक सहेली के घर चलना है

मैं-तुम्हारी सहेली तुम जानो मेरा क्या काम 

वो- अरे चल ना जल्दी ही आ जायेंगे 


मैं- चल तो पडूंगा पर एक किस्स दो तो 

इंदु अपनी आँखे फाड़े मेरी तरफ देखने लगी 

मैं-ऐसे क्या देख रही हो अब तुम मेरी गर्लफ्रेंड हो की नहीं

वो-तो क्या हर बात के लिए ऐसे शर्ते रखोगे 

मैं- नाराज हो गयी तुम तो 

वो-तो और क्या करू 

मैं-किस्स करो मुझे और क्या करोगी 

इंदु के बदन से पानी की महक आ रही थी और वो लग भी तो रही थी कितनी ताज़ा जैसे किसी गुलाब पर पड़ी ओस की बूंदे उसकी आँखों में हां पढ़ कर मैंने अपने होंठ आगे बढ़ाये और उसके नरम होंठो को मसलने लगा जैसे गुलकन्द घुलने लगी हो मेरे मुह में 

पर उसने मुझे हटा दिया और बोली-ब्रश नहीं किया न तूने 

अब किस्स में ब्रश कहा से आ गया उसने कहा जल्दी से तैयार हो जाऊ तो मैं नहाने के लिए आ गया गरम पानी रख के बस तौलिया लेके घुस ही रहा था की मामी मेरे पास आई और बोली- आराम से नहाना पानी थोडा ज्यादा गरम है और हां अब तुम्हे मेरी पेंटी ख़राब करने की जरुरत नहीं है 


मामी ने हस्ते हुए कहा और ठुमकते हुए चली गयी मैं दो पल उनकी गांड को निहारता रहा फिर नहाने लगा तैयार होक मैं और इंदु उसकी दोस्त के घर की और चल दिया जो थोड़ी दूर था रस्ते में मेरा पूरा ध्यान इंदु की और था हल्का गुलाबी रंग उसके गोरे बदन पर खूब जन्च रहा था 


मेरे मन में बस उसकी लेने का ही विचार आ रहा था उस टाइम और वो थी भी इतनी खूबसूरत की हर कोई उसको पाना चाहे तो थोड़ी देर बाद हम पहुच गए उसकी दोस्त ने हमारा खूब सत्कार किया पर मैं उसको जानता नहीं था तो अब मैं क्या बात करता खैर वहाँ हमे कई देर लगी और दोपहर का खाना खाकर ही हैं लोग आये 

घर आने के बाद इंदु ऊपर चली गयी मैं टीवी देखने लगा कुछ देर बाद नानी ने कहा की जरा इंदु को बुला के ला तो मैं चौबारे में गया और यही गजब हो गया दरवाजे पर खड़े खड़े ही मेरा बुरा हाल हुआ दरअसल उस टाइम इंदु कपडे बदल रही थी

वो बस ब्रा और सलवार में खड़ी थी उसको उस अवस्था में देख कर मेरा सब्र टूटने लगा काली ब्रा में कैद उसके उभार जिनका बोझ वो ब्रा उठा नहीं पा रहा था वो भी मुझे देख कर चोंक गयी और जल्दी से अपनी कुर्ती को पहनने लगी पर उस से पहले ही मैंने उसको अपनी बाहों में भर लिया और उसको किस्स करने लगा 


साथ ही उसकी चूचियो को मसलने लगा सम्भवत ये उसके अंगो पर पहला पुरुष स्पर्श था मैं जितना जोर से उसके उभारो को दबाता वो उतना ही उत्तेजित हो रही थी उसके होंठ चूसते हुए मैं अब सलवार के ऊपर से ही उसकी योनि को सहलाने लगा कुछ पलो के लिए हम लोग दुनियादारी छोड़ एक दूसरे में खोने लगे थे


पर जैसे ही मैंने सलवार के अंदर हाथ डालना चाहा उसने मुझे परे धकेल दिया और अपनी कुर्ती पहन ने लगी मैंने उसे बताया की नानी बुला रही है कुछ देर बाद हम लोग निचे आ गए अब बार बार हमारी नजर टकरा रही थी इंदु को इन सब चीज़ों की आदत नहीं थी तो वो असहज महसूस कर रही थी

इधर पड़ोस में ही एक लड़का बंटी मेरा दोस्त बन गया था तो मैंने सोचा उसके घर हो आता हु तो मैं उसके घर गया पर वो नहीं मिला वहाँ बस उसकी बहन मिली वो भी इंदु की तरह एक मस्त भरी हुई लड़की थी जवानी में चूर अल्हड एक दम मुझसे बहुत हँसी ठठोली करती थी वो 



पर मैं ऐसे ही जाने देता था तो उस दिन मैं गया पर बंटी मिला नहीं 

मैं- कब तक आएगा 

वो-तू बस उस से ही मिलने आता है कभी मुझसे मिलने भी आया कर

मैं-आपसे मिलके क्या करूँगा 

वो-क्यों कुछ करने के लिए ही मिलते है क्या आजा चाय बनायीं है पिके जाना 

मैंने सोचा की कही इसको बुरा न लगे तो मैं घर के अन्दर चला गया उसकी बड़ी सी गांड को देखते हुए मैं सोचने लगा की माल तो मस्त है जल्दी ही वो चाय ले आई और मुझे पकड़ाने लगी तभी उसके हाथ से कप छूट गया और 
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12-29-2018, 02:47 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
चाय का गर्म कप मेरे ऊपर आ पड़ा मेरी पेंट ख़राब हो गयी और गर्म चाय की वजह से थोड़ी तकलीफ होने लगी वो अपनी चुन्नी से मेरी पेंट पर पड़ी चाय को साफ़ करने लगी पर ये तो उसका बहाना था उसकी उंगलिया मेरे लिंग प्रदेश पर फिसलने लगी 


वो थोड़ी सी झुकी हुई थी तो उसकी चुन्नी सरक गयी थी और सूट से उसके गोल मटोल उभार मेरी आँखों के सामने लहरा कर मुझे लालच दे रहे थे इधर उसने पेंट के ऊपर से ही मेरे लण्ड को दबाया तो मेरी आह निकल पड़ी उसने मुस्कुरा कर मेरी और देखा और मेरे हाथ को अपने सीने पर रख दिया 


ये उसका निमन्त्रण था मुझको पर शायद मैं इसके लिए तैयार नहीं था तो मैंने उसको दूर झटक दिया और अपने घर आ गया ऐसी बात नहीं थी की बंटी की बहन मुझे पसंद नहीं थी पर पता नहीं क्यों मैं उस से सम्बन्ध बनाने को तैयार नहीं हो पा रहा था 


उस रात मामी ने फिर से अपने कमरे में आने को कहा पर मैंने ध्यान नहीं दिया सुबह मैं पढ़ने के लिए चला गया इधर मेरे मन में बस नीनू का ही ख्याल था , की कैसे मैं कांटेक्ट करू उसको मैं अपने गाँव जाना चाहता था 


पर नानाजी पता नहीं क्यों चाहते थे की मैं अब उस जगह से दूर रहु,मैंने कई बार उनसे इस बारे में बात की पर हर बार उन्होंने इतना ही कहा की अब मुझे इधर ही रहना है तो मैं कुछ नहीं बोल सका 


तो उस दिन मुझे आने में देर हो गयी थी ऊपर से अँधेरा हो रहा था मैंने शॉर्टकट लिया ये थोडा सुनसान सा कच्चा रास्ता था सड़क के दोनों और काफी घने पेड़ लगे हुए थे ठंडी हवा चल रही थी सांय सांय करते हुए करीब दो किलोमीटर चलने के बाद मेरी साइकिल की चैन टूट गयी 


ये नयी मुसीबत हुई मैं पैदल पैदल ही चल रहा था पक्की सड़क कब की पीछे छूट गयी थी अँधेरा तेजी से घिरने लगा था कुछ दूर जाने के बाद मैंने देखा की 8-10 लोग सड़क किनारे आग जला के बैठे थे मैं उनके पास से गुजरा तो उनमे से एक ने मुझे रोका

वो-भाई ,इधर से फलाने गाँव का रास्ता किधर से जाएगा 


मैं उसको रास्ता बता रहा था की तभी मेरी आवाज जैसे बनद हो गयी शरीर में एक दर्द की लहर दौड़ गयी कुछ समझ पाता उस से पहले ही पीछे से किसी ने वार किया मेरी कमर के साइड में चाकू घुसा हुआ था 


लबालब खून बह रहा था ये सब क्या हुआ आँखों के आगे अँधेरा छा गया एकदम से तभी सर में एक धमाका सा हुआ उनमे से किसी ने सर पर किसी डंडे से वार किया था ये सब इतनी जल्दी जल्दी हो रहा था की मैं खुद को संभाल ही नहीं पा रहा था जिधर से देखो मार पड़ रही थी 

होश सांस छोड़ रहा था पर मैंने भी सोच लिया था की ऐसे नहीं मरना एक कोशिश तो अपनी भी बनती थी यार पर इतने लोगो के आगे मेरा क्या बस चलना था जितना मैं प्रतिकार करता उतने ही उनके वार बढते जा रहे थे



मेरी सफ़ेद शर्ट लाल हो चली थी मुह से खून निकल रहा था पर वो लोग बस मारते जा रहे थे और मेरा बस नहीं चल रहा था तभी एक की कलाई मेरी पकड़ में आई और मैंने उसको धर लिया हाथो में अब ताकत बचीं नहीं थी पर मैं कोशिश कर रहा था 


और एक बार फिर से कुछ लोहे सा मेरे पेट में घुस पड़ा और मैं जमीं पर गिर पड़ा साँस जैसे रुक सी गयी लगा की प्राण छूट गए फिर कुछ पता नहीं रहा चारो तरफ अँधेरा छाता चला गया 

पता नही कितनी देर हुई जब आँख खुली तो हर तरफ अँधेरा था आह ओह खांसते हुए मेरी आवाज उस बियाबान में गूंजने लगी मेरा सर दर्द से फ़टे जा रहा था मैंने अपनी हथेली धरती पर रखी और उठना चाहा पर उठ नहीं पाया उंगलिया पेट से टकराई तो पता चला की गहरा ज़ख्म है अपनी फ़टी शर्ट को पेट पर बाँधा 

आज ये बनी मेरे साथ इधर उधर टटोला तो एक लकड़ी मिल गयी उस का ही सहारा लेकर मैं खड़ा हुआ पर शायद पैर में भी चोट लगी थी टाँगे साथ नहीं दे रही थी पर हिम्मत नहीं हारनी थी वर्ना ज़िंदगी की जंग भी हार जानी थी 

दर्द से चीखते हुए मैं उस सड़क पर घिसटने लगा पर अँधेरे की वजह से मैं समझ नहीं पा रहा था की शहर किस और है हर गुजरते लम्हे के साथ धड़कन मंदी पड़ने लगी थी शहर भी करीब दो कोस दूर था 
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12-29-2018, 02:47 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
आँखों से बहते आंसू का नमक मेरे ज़ख्मो में मिल कर मेरे दर्द को और बढ़ा रहा था पता नहीं मैं रो रहा था या तड़प रहा था पर मुश्किल बहुत हो रही थी नब्ज़ जैसे डूब रही थी आस का दामन पल पल छूट रहा था और फिर मैं गिर पड़ा आँखे बस बुझने ही वाली थी की 

घुन्ध को चीरते हुए कुछ रौशनी सी दिखने लगी अपनी डूबती आँखों को मैंने कुछ हिम्मत दी और सारा दम लगाते हुए एक बार फिर से मैं उठ खड़ा हुआ ये एक दूध वाले की गाडी थी वो शायद भगवन का दूत था मेरी हालात देखते ही वो समझ गया कुछ तो गलत हुआ है 

मुझे फिर कुछ याद ना रहा बस मेरा बेहोश शरीर उस की बाहों में झूल गया सब शांत होते चला गया दर्द मिटता चला गया 


पता नहीं उसके बाद क्या हुआ पर जब आँख खुली तो सर चकरा रहा था मैंने अधखिली आँखों से देखा तो पता चला की मैं हॉस्पिटल में था बदन पर
पता नहीं उसके बाद क्या हुआ पर जब आँख खुली तो सर चकरा रहा था मैंने अधखिली आँखों से देखा तो पता चला की मैं हॉस्पिटल में था बदन पर जगह जगह पट्टी और प्लास्टर बंधा हुआ था हिलने की कोशिश की पर हिल नहीं पाया कुछ देर बाद डॉक्टर अंदर आया 


मुझे होश में देखकर वो खुस होते हुए बोला -तो आखिर होश आ ही गया तुम्हे 

मैं-मेरे घरवाले कहा है 

डॉ-रेलक्स यंग मेन रिलैक्स

मैं- पर 

डॉ- बरखुरदार, मैंने कहा ना रिलैक्स ,दिमाग पे ज्यादा जोर मत डालो पुरे 2 महीने बाद होश में आये हो 

मैं-2 महीने 

डॉ- हाँ, इतस अ मिरेकल जिस हाल में तुम यहाँ आये थे मैं खुद सोचता हु

मैं- मेरे घर वाले 

वो- थोडा इंतज़ार रखो कुछ टेस्ट करते है फिर मिल लेना 


करीब शाम को नाना नानी से मिलने दिया दोनों मुझे देख कर फुट फुट के रोने लगे उनकी बेटी की एकलौती निशानी इस हाल में जो थी होश में आने की इत्तिला शायद पुलिस को भी कर दी गयी थी तो वो बयान लेने लगे पर मुझे तो बस इतना ही पता था की

अचानक से हमला हुआ था तो वो लोग चले गए इधर मैं किसी को क्या कहता मैं तो खुद एक लंबी नींद से जगा था नाना मामा ने किसी प्रकार की कोताही ना की सबकी यही इच्छा थी की बस मैं जल्दी से ठीक हो जाऊ


पर मेरे दिमाग में बस यही एक सवाल घूमता रहता था की उन लोगो ने मुझ पर हमला किया तो क्यों पहले मेरे परिवार की एक्सीडेंट में मौत हो गयी और फिर मुझ पर हमला मेरा दिमाग बिमला की और जाने लगा उसने कहा भी था की वो मुझे बर्बाद कर देगी बदला लेगी तो क्या ये सब उसकी चाल थी

कुछ भी करके मुझे इन सब बातो का पता करना था हर हाल में पर उसके लिए मुझे सबसे पहले ठीक होना था अपनी बिखरी ताकत समेटनी थी

दिन हॉस्पिटल के बेड पर गुजर रहे थे ठीक होने की जद्दोजहद जारी थी हर दिन इंदु मिलने आती थी मामी कभी कभी रात को भी रुक जाया करती थी पर एक सवाल और मेरे मन में था की गाँव से चाचा या बिमला भी मिलने नहीं आये ले देकर अब वो लोग ही तो थे परिवार के नाम पे 

मामी ने बताया की उनको इत्तिला तो की थी पर कोई जवाब नहीं आया न वो आये टाइम टाइम की बात थी सब बुरा दौर था ये भी बीत ही जाना था करीब एक महीना ऐसे ही बीत गया और मैं घर आ गया तबियत में सुधार तो था पर इतना भी नहीं था 

इधर मैंने एक बात पे और गौर किया की मेरे मामा का व्यवहार मेरे प्रति बदल गया था और वो नाना या और घरवालो से भी ठीक से बात नहीं करते थे हमेशा झल्लाए से रहते थे उस दिन जब मामी मेरी मालिश करने आ रही थी तो भी उनकी कहासुनी हो रही थी 


तो मैंने मामी से कारण पुछा पर उन्होंने टाल दिया पर कोई तो बात थी ही दिन कटने लगे अब पढाई लिखाई तो छूट गयी थी पैरो में जान आने लगी थी तो हलकी फुलकी कसरत भी शुरू कर दी थी एक शाम घर पर बस मैं और मामी ही थे 

तो मामी मेरे पांवो की मालिश कर रही थी 

मैं- गाँव की क्या खबर आई कुछ 

वो- नहीं तो 

मैं-मुझे लगता है की अब मुझे अपने गाँव जाना चाहिए 

वो-ये क्या तुम्हारा घर नहीं है 

मैं-घर तो है पर मेरा इधर मन नहीं लगता है 

वो- मन क्यों नहीं लगेगा मैं हु ना तुम्हारा ख्याल रखने के लिए 
ये कहकर वो मुस्काई और मेरे लण्ड पर हाथ रख दिया 

मैं-क्या करती हो 

उन्होंने मेरे होंठो पर ऊँगली रखी और बोली-शह्हह चुप ,तुम कहा जाओगे अभी तो तुमसे ठीक से बात भी नहीं की उस रात तुमने एक आग लगा दी मेरे अंदर पर उस से ज्यादा बात ये है की तुम बहुत पसंद हो मुझे 


मैं-पर ये सब गलत है 

वो-कुछ सही गलत नहीं होता बस कुछ लम्हे होते है जो बाद में याद बन जाया करते है 

मामी ने मेरे कच्छे को निचे सरका दिया और अपने तेल से सने हाथो से मेरे सोये हुए हथियार की मालिश करने लगी तो कई दिनों बाद शरीर में एक जानी पहचानी सी सुरसुराहट होने लगी थी मामी के हाथो में जैसे जादू था लण्ड महाराज जल्दी ही तन कर फुफकार मारने लगे 

मामी की आँखों में एक गुलाबी नशा सा चढ़ने लगा था कुछ देर तक वो उसको सहलाती रही फिर उन्होंने अपने चेहरे को मेरी टांगो के मध्य झुका दिया जैसे ही उनकी गुलाबी जीभ लपलपाती हुई मेरे सुपाड़े से टकराई मेरा पूरा बदन सिहर उठा 


बदन किसी धनुष की भाँती तन सा गया था मामी ने किसी गोलगप्पे की तरह सुपाड़े को मुह में ले लिया और चूसने लगी एक अजीब सी झनझनाहट होने लगी थी मस्ती चढ़ने लगी थी मेरी आँखे बंद होने लगी थी पर ये मस्ती से नहीं था ये कमजोरी से था 


पर मामी ज़िद पे जो अडी थी वो अपनी हवस से मजबूर थी बड़ी तल्लीनता से वो चुसाई में मशगूल थी की दरवाजा पीटा किसी ने तो वो हड़बड़ा गयी अपने कपड़ो को सही किया जल्दबाजी में और गेट खोलने चली गयी ,मैंने भी कछे को ऊपर चढ़ा लिया पर मेरा हथियार तेल में सना हुआ था और ऊपर से तना हुआ भी तो मैं अब कैसे छुपाऊ उसको 

तो मैंने तकिये को गोदी में रख लिया बंटी की बहन आई थी मामी का दिमाग उसको देखते ही खराब हो गया पर ऐसे उसको जाने को बोल भी नहीं सकती थी रवि की बहन ने बताया की मामी को नानी ने उनके घर बुलाया था कोई कपडे वाला आया हुआ था 


तो मामी चली गयी वो मेरे पास आ गयी 
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12-29-2018, 02:47 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
वो-क्या हाल है 

मैं-बस जी रहे है तुम बताओ 

वो-तुम बिन तड़प रही हु 

मैं-दोस्त की बहन हो ऐसी बाते ना किया करो तुम 

वो-तुम समझते जो नहीं वो 

वो उठकर मेरे पास आई और बोली-आखिर क्या कमी है जो मेरी तरफ देखते ही नहीं एक बार मेरे पास तो आओ जन्नत का दरवाजा खोल दूंगी 

मैं-कहा ना ऐसी बाते मत किया कर 

वो-तो कैसी बाते करू 


मैं-मुझे नहीं पता

वो-दिल में आग तूने लगायी हुई है और बात कर रहा है ,सुन देख मुझे ऐसी वैसी मत जानियो वो तो दिल तुझपे आ गया है और तू नखरे कर रहा है 


मैं-चल नाराज न हो आ बैठ पास मेरे देख मैंने कब कहा की तू ख़राब है पर तेरा भाई मेरा दोस्त है तो ठीक नहीं लगता

वो-तू टेंशन ना ले उसकी 


मैं-देख ले सोच ले 

वो-सोच लिया तू बोल तो सही 


मैं-ठीक है तो फिर ये कहके मैंने उसका बोबा दबा दिया तो वो भी मुझसे छेड़छाड़ करने लगी की तभी मामा आ गए उन्होंने एक नजर मुझ पर डाली और अपने कमरे में चले गए रवीना के जाने के बाद मैं सो गया 


दो चार दिन बाद की बात है की नाना और मामा में कुछ बात हो रही थी तो मैंने अपने कान लगा दिए ,दरअसल मामा नहीं चाहते थे की मैं उनके घर पे रहु,मेरे ऊपर बहुत खर्च हो रहा था हॉस्पिटल बिल्स दवाइया तो मैंने उसी टाइम बोल दिया की मेरा बाप मेरे लिए खूब पैसा छोड़के गया है आपको जरुरत नहीं है 



पर नाना ने कहा की वो खुद कमाते है और अपनी बेटी की एक मात्र निशानी बोझ नहीं है उनपे पर मैं खुद्दार था मामा कीबाते तीर की तरह मेरे सीने में चुभ गयी थी ,मैंने उसी समय उसी हालात में घर छोड़ने का फैसला ले लिया पर मेरे नाना ने अपनी कसम देकर रोक लिया 


तो मैंने भी कह दिया की मैं कच्चे छप्पर में रहूँगा इनकी शान इनको मुबारक ,उस पूरी रात मैं सोचता रहा वक़्त ने कितना बेबस कर दिया था मुझे अपनों में ही बेगाना जो हो गया था
वक्त गुजरने लगा था पैसो की कमी तो थी नहीं मुझे पर नाना का मान रखना भी जरुरी था अपने आप से जूझते हुए शायद ऐसे ही जीना था मुझे 

पर इतना होंसला था की वक़्त के हर सितम को सेह ही लेना था और फिर क्या फरक पड़ना था था ,वहा था ही कौन जो मेरे बेजुबान आंसुओ की आवाज सुनता दिन अपनी रफ़्तार से कट रहे थे 

हालात पहले से बहुत बेहतर हो गयी थी पसीने का दाम जो चुकाया था उस शाम मैं गन्ने के खेत किनारे बैठा था की तभी रवि की बहन आ निकली

हालात पहले से बहुत बेहतर हो गयी थी पसीने का दाम जो चुकाया था उस शाम मैं गन्ने के खेत किनारे बैठा था की तभी रवि की बहन आ निकली उसने मुझे देखा और मेरे पास आके बैठ गयी 

मैं-तू इस टाइम इधर 


वो-हाँ थोडा घूमने निकली थी 

मैं-और बता 

वो-क्या बताऊ बस तड़प रही हु तेरे करीब आने को और तू है की सब जानते हुए भी नासमझ बनता है 

मैं- क्या करु अपनी भी मजबूरिया है 

वो-मुझे कुछ पता नहीं, आज रात मैं तेरे पास आउंगी और इस बार मैं खाली हाथ नहीं जाने वाली 

मैं-बड़ी आई आने वाली किसी को पता चलेगा तो 

वो-वो मेरी मुश्किल है 
मैं-मुझे क्या जो करना है कर 
वो-पगले, तुझे ही तो करना है 

कुछ देर बाद वो चली गयी मैं घर आया कपडे उतार के नहा ही रहा था की मैंने देखा मामा किसी से फ़ोन पे बात कर रहा था 

मामा-नहीं नहीं अभी जल्दी मत करो सब्र करो वैसे भी अगर किसी को शक हुआ तो फिर बड़ी दिक्कत होगी मैं अपनी और से पूरी कोशिश कर रहा हु पिताजी ना होते तो अब तक काम निपट चूका होता तुम टेंशन ना लो मैं सब संभाल लूंगा 


फिर उसने फ़ोन काट दिया पर मैंने जो भी बात सुनी थी उस से इतना तो अंदाजा हो गया था की कुछ तो गड़बड़ है पर क्या ये कैसे पता करू 

खैर खाना खाकर लेटा ही था गाँव में वैसे भी लोग जल्दी सो जाते है बस मेरे जैसो को ही नींद नहीं आती है तो किसी के आने की आहाट हुई मैंने देखा तो रवि की बहन थी 

मैं-रवीना तू यहाँ 

वो-मैंने कहा था ना की आउंगी 

मैं-पागल लड़की, किसी ने देख लिया तो गड़बड़ हो जायेगी 

वो-किसी को कुछ पता नहीं चलेगा देख आज मेरी मनचाही करदे

मैं भी कई दिनों से प्यासा ही था तो मैंने सोचा की आज इसकी खुजली मिटा ही देता हु मैंने रवीना को अंदर लिया और अपनी बाहों में भर लिया तो वो मुझसे चिपक गयी मेरे दोनों हाथ अपने आप उसके नितम्बो पे पहुच गए मैं उनको दबाते हुए उसको चूमने लगा

वो भी खुलकर मेरा साथ दे रही थी एक बार जो लड़की के जिस्म का स्पर्श मिला मैं बेकाबू होने लगा बहुत देर तक उसके होंठ चूसे मैंने बस अब मैं उसको नंगी देखना चाहता था मैंने उसकी सलवार के नाड़े में उंगलिया फंसाई और उसकी गाँठ को खोल दिया 

उसने खुद अपनी कुर्ती को उतारा उफ़ ब्रा-पेंटी में क्या गजब लग रही थी ब्रा को खोलते ही मैं उसकी चूचियो पे टूट पड़ा कई दिन हो गए थे ऐसी ठोस गेंदों से खेले हुए रवीना की छातियो को भीचते हुए मैं उसकेगोरे गालो को खाने लगा था 

रवीना को आज मैं इस हद तक उयतेजित कर देना चाहता था की फिर वो सबकुछ भूल जाए इधर उसने भी मेरे कच्छे में हाथ डाल दिया और अपनी मनपसन्द चीज़ से खेलने लगी मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसके पेट पर हाथ फिराने लगा 

वो तड़पने लगी जवानी की आग के शोले भड़कने लगे बड़े प्यार से मैंने उसके अंतिम वस्तर को भी उतार दिया पट्ठी पूरी तरह से तैयार होकर आई थी मेंन जगह पर एक बाल भी नहीं था एक दम सफाचट उसकी योनि पे जो हल्का सा गुलाबीपन था क्या मस्त लग रहा था 

मैं भी बिस्तर पर चढ़ गया और अपने लण्ड को उसकी चूत पे रगड़ने लगा तो रवीना के बदन में मस्ती चढ़ने लगी ,मेरा सुपाड़ा उसकी चूत में घुसने को बेकरार हो रहा था मैंने भी दवाब डालना शुरू किया उसकी चूत पर बोझ पड़ने लगा दरार चौड़ी होने लगी 

रवीना की टाँगे फैलने लगी उसकी आँखों में खुमारी बढ़ने लगी उसकी गीली चूत के रस से लिपटा मेरा सुपाड़ा धीरे से आगे को सरक रहा था और अबकी बार जो मैंने जोर लगाया वो चूत के छल्ले को फैलाते हुए आगे को सरक गया


रवीना की साँसे गहरी होने लगी थी पर उसके होंठो पे एक मुस्कान सी थीमैंने एक झटका और लगाया आधे से ज्यादा हिस्सा अंदर चला गया था मेरा बोझ रवीना पे पड़ने लगा था उसके चेहरे पे मिले जुले भाव आ रहे थे 

ऐसे ही अगले कुछ पलो में उसने मेरे पुरे लण्ड को अपनी चूत में घोंट लिया था मैं बस उसपे पड़ा हुआ उसके होंठो का रस चाट रहा था वो अपने हाथो से मेरे कंधो को सहला रही थी मेरे किस्स का जवाब देते हुए 


फिर उसने अपनी कोमल टांगो को मेरी कमर पर लपेट लिया और हमारी कार्यवाही शुरू हो गयी लण्ड अंदर सरकते ही मैं समझ गया था की इसने ज्यादा चुदाई नहीं करवाई है बड़ा टाइट माल थी मेरे धक्को पर नशा चढ़ता जा रहा था उसको हमारे होंठ जैसे चिपक ही गए थे


उसकी मस्ती भरी आहे मेरे मुह में ही घुल गयी रवीना भी निचे से धक्के लगा रही थी उसकी मारने में बहुत मजा आ रहा था वैसे भी कई दिनों बाद चूत का मजा मिल रहा था तो मैं इस लम्हे को अच्छे से फील करना चाह रहा था रवीना पूरी तरह से मस्ती में डूब गयी थी 
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12-29-2018, 02:48 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
मैं उसपे चढ़ा हुआ उसको जन्नत की सैर करवा रहा था मैंने अब उसकी चूची पर जीभ फिरानी शुरू की रवीना मेरे इस वार को नही झेल पायी और मुझे अपनी बाहों में कसते हुए झड़ने लगी 

उसके गर्म बदन की खुमारी अब मुझे भी मंजिल की ओर ले जा रही थी और फिर मेरा टाइम भी आ ही गया मैंने लण्ड को बाहर खींच लिया और उसके पेट पे अपना पानी छोड़ दिया


हम दोनों एक दूसरे के अगल बगल लेटे हुए थे रवीना मुझ से सट गयी उसने अपनी जांघ मेरी टांग पर रख दी और लण्ड से खेलने लगी मैंने कहा मुह में लो तो वो उसको चूसते हुए उसको जगाने लगी वो इस तरह थी की उसके चूतड़ मेरी तरफ थे मैं उन गोल मटोल मांस के टुकड़ो को सहलाने लगा 

इधर वो मजे से लण्ड चूसे जा रही थी तो मैंने उसको 69 में ले लिया उसके बदन से उठती गंध बहुत कामुक थी और उसके कामरस का स्वाद भी अच्छा था तो पिने का मजा बढ़ गया उसके नितम्बो का कम्पन बता रहा था की किस हद तक वो फिर से गर्म हो चुकी है


मैंने अब उसे अपने ऊपर से हटाया और उसको घोड़ी बनाया उसके बाहर को निकले चूतड़ गजब लग रहे थे मैंने एक बार फिर से उसकी चूत पे किस्स किया और अब अपने लण्ड को फिर से चूत पे लगा दिया रवीना ने अपनी गांड को एडजस्ट किया 


और मैंने उसको चोदना शुरू किया उसकी पतली कमर को थामे हुए मैं रसीली चूत का मजा ले रहा था कुछ समय बाद मेरे हाथ उसकी कमर से हट कर उसके बोबो पर पहुच गया मैं बहुत टाइट से दबा रहा था उनको अँधेरी रात में सुलगती सांसे अब मैं लेट गया और रवीना मेरे ऊपर आके अपना काम करने लगी


मजे में डूबे हुए हम लोग एक बार फिर से एक दूसरे को तड़पाते हुए झड़ गए उस रात मैने रवीना के अंग अंग को हिला के रख दिया सुबह चार बजे वो लड़खड़ाते हुए कदमो से अपने घर गयी और थकन से बेहाल मैं नींद के आगोश में चला गया

मजे में डूबे हुए हम लोग एक बार फिर से एक दूसरे को तड़पाते हुए झड़ गए उस रात मैने रवीना के अंग अंग को हिला के रख दिया सुबह चार बजे वो लड़खड़ाते हुए कदमो से अपने घर गयी और थकन से बेहाल मैं नींद के आगोश में चला गया


अगले दिन दोपहर को ही आँख खुली शारीर मीठा मीठा सा दुःख रहा था उठ के मैं घर में गया तो बस मामी ही थी मैंने पुछा इंदु कहा है तो पता चला की वो कालिज गयी है और नानी किसी काम से ,मामा भी अपने काम पर आज सुबह ही निकल गए थे तो मामी के लिए पूरा मौका था 


और वो ऐसे किसी भी मौके को कैसे छोड़ सकती थी मामी मुझसे चिपकने लगी पर मैंने उस टाइम मना कर दिया पर उन्होंने रात को सेवा के लिए बोल दिया मैं कुछ समय बन्टी के साथ घूमता फिर रहा ले देके एक वो ही तो दोस्त था इधर 


आज नाना समय से पहले ही बैंक से आ गए थे और आते ही उन्होंने कहा की कल इंदु को देखने लड़के वाले आ रहे है एकदम से उन्होंने कहा तो सब लोग हैरान रह गए पर ये उनका मामला था अपन क्या बोल सकते थे 

तो उस पूरा दिन बस तयारी चलती रही शाम को वो लोग आये उनका आदर सत्कार किया गया कुल मिला के मुझे लग रहा था की मामला जम ही जाएगा और ऐसा ही हुआ तो ये तय हुआ की अगले रविवार को सगाई की रस्म होगी


मैं इंदु से बात करना चाह रहा था पर मुझे मौका नहीं मिल पाया तो मैंने अपना ध्यान मामी पर लगा दिया जो अपनी नसिली जवानी के तीरो से मुझे घायल कर रही थी गुलाबी लहंगे और ब्लाउज़ में क्या गजब लग रही थी वो आज मेरा लण्ड भी कुछ खुराक मांग रहा था 

काम समेटने में ही 11 से ऊपर हो गए थे मैं और मामी बस गाहे बगाहे इंतज़ार कर रहे थे की कब घरवाले सोये और हम एक दूसरे को बाहों में भर ले जैसे ही मैंने सुनिश्चित किया की सब लोग सो गए है मैं मामी के कमरे की और बढ़ चला दरवाजा खुल्ला ही रखा था उन्होंने

मैंने किवाड़ बन्द किया और देखा तो मामी रज़ाई ओढ़े लेटी हुई थी उन्होने मुस्कुराते हुए मुझे रज़ाई में आने को कहा तो मैंने जल्दी से अपने कपडे उतारे और रज़ाई में घुस गया पर मेरे आश्चर्य की सीमा नहीं रही मामी को छूते ही मैं जान गया की वो भी नंगी है


मामी मुझसे ऐसे लिपट गयी जैसे की कोई शाख किसी तने से मामी की गुलाबी लिपस्टिक मेरे होंठो पे अपनी छाप छोडने लगी थी उनका हाथ मेरे लण्ड पर पहुच चूका था सर्दी के मौसम में आज एक गरम रात गुजरने वाली तभी मामी ने करवट ली


और अब वो मेरे ऊपर आ गयी और मेरे चेहरे को चूमने लगी उनके कोमल होंठ मेरे होंठो से रगड़ खाने लगे थे मैं अपने हाथो से मामी के सुकोमल चूतड़ो को सहलाने लगा आज तो वो कतई चिकनी हुई पड़ी थी मेरा लण्ड उनके पेट पे चुभ रहा था 


तो अब उन्होंने उसे अपनी योनि पर रगड़ना चालु किया उनके रूप का नशा मेरे अंग अंग में घुलने लगा मैं अपनी ऊँगली से गांड के छेद को सहलाने लगा तो वो और झूमने लगी मामी अब अपने भगनसे पर मेरे सुपाड़े को रगड़ रही थी मैं बस अब उनमे समा जाना चाहता था 

तो मैंने उनके चूतड़ो को थपथपा के इशारा किया और मामी अपनी जांघो को फैलाते हुए लण्ड पे बैठने लगी गप्प से पूरा अंदर घुस गया मामी मुझ पर झुकी और अपनी गांड को उचकाते हुए घस्से मारने लगी 

उनके दोनों हाथ मेरे सीने पर रेंग रहे थे और फिर वो जोर जोर से मेरे सीने को दबाने लगी तो मैं मस्त होने लगा मामी धीरे से अपने कुल्हो को ऊपर उठती फिर जोर से वापिस निचे आती सच में किसी ने सही ही कहा है की खेली खाई औरत को चोदने में जो मजा है वो कहि नहीं


कुछ ऐसा ही हाल मामी का था चूत से टपकता पानी लण्ड को पूरी तरह से भिगो चुकी थी उपर से वो कभी तेज कभी धीरे ऊपर निचे जो हो रही थी चुदाई में अरसे बाद आज मजा आ रहा था पर जल्दी ही मामी का दम फूलने लगा 

तो मैंने उनको अपनी निचे ले लिया और प्रेम की नैया को पार लगाने की तरफ बढ़ चला
मामी ने अपनी जीभ मेरे मुह में डाल रखी थी उनके मुखरस को अपने मुह में भरते हुए मैं मामी पे ऊपर निचे हो रहा था 

मेरे धक्को की थाप से मामी बिस्तर पर मचल रही थी कमरे में एक शांति छाई हुई थी बस सांसो की सरगर्मी ही थी जो अपनी कहानी कह रही थी अब मैंने प्यारी मामी को साइड में किया और उनकी टांग को उठाके पीछे से चोदना शुरू किया 

मामी की चूत मे फिर से उछलकूद शुरू हो गयी मैं दोनो हाथो से मामी के उभारो का मर्दन कर रहा था समय के साथ उत्तेजना के शोले और भड़कते जा रहे थे ऐसे ही पता नहीं कितनी देर तक मैं मामी के साथ शारीरिक सुख भोगता रहा 


उस रात मामी को खूब निचोड़ा था मैंने सुबह मामी का चेहरा एक दम खिला हुआ था जिसकी रंगत का राज़ मैं ही जानता था ऐसे ही दिन गुजर गए और इंदु की सगाई का दिन आ गया सुबह से ही तैयारियां चल रही थी एक बड़ा सा टेंट लगाया गया था काफी मेहमान आये हुए थे 


शाम को जश्न का भी इंतज़ाम था सगाई की रस्मे शुरू होने में बस कुछ ही देर की बात थी मैं तैयार तैयार होकर आया ही था की मामा मेरे पास आया और बोला की यार एक काम कर शाम को जश्न मनाना है और काम की उलझनों में दारू का इंतजाम करना भूल गया 


तू एक काम कर नेशनल हाईवे वाले ठेके से दारू का स्टॉक उठा ला मामा ने नोटों की गड्डी मेरे हाथ में रखी और बोला मेरी गाड़ी ले जाना ,मेरे दिमाग में आया की आज इतना मीठा कैसे बोल रहा है पर फिर सोचा की काम है इसलिए तो मैंने कार ली और 


चल पड़ा हाइवे की ओर जो की करीब10 किलोमीटर के लगभग था कई दिनों बाद गाड़ी चला रहा था तो मैं कुछ तेज उड़ रहा था ठेके पे जाके स्टॉक लोड किया और वापिस चल पड़ा करीब 5 मिनट बाद ही गाडी झटका खाने लगी और फीफा बन्द हो गयी मेरा दिमाग खराब होने लगा 

मुझे टाइम से पहुचना था और ये गाडी ख़राब ऊपर से अँधेरा घिरने लगा था पता नहीं क्यों मेरा दिल ज्यादा जोर से धड़कने लगा था मैं सोच रहा था की कैसे अब जाऊंगा की तभी एक काली गाडी मेरे पास आकर रुकी शीशा निचे हुआ और जो चेहरा मैंने देखा मुझे विश्वास ही नहीं हुआ

मैं कुछ समझ पत उस से पहले ही उसने गन निकली और धाँय की आवाज सन्नाटे को चीरती चली गयी मैं कुछ करता उस से पहले ही गोली मेरी जैकेट को चीरते हुए मेरी मांसपेशियों में घुस गयी ऐसा लगा की किसी ने पिघला लोहा मेरे शरीर में घुसेड़ दिया हो 

दो बार और गन गूंजी और बस फिर किसी टूटी लकड़ी की तरह मैं गिर पड़ा क्यों क्यों किया बस ये ही निकला मुह से फिर अँधेरा छाता चला गया
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