Raj sharma stories चूतो का मेला
12-29-2018, 02:48 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
सपनो की दुनिया में खोया हुआ था मैं गहरी नींद में चूर आज पूरा दिन हाड़तोड़ मेहनत जो की थी पर शायद आज किस्मत में चैन से सोना लिखा ही नहीं था चीखने चिल्लाने से मेरी आँख खुल गयी तो देखा की 5-7 मावली लोग एक आदमी को पकडे हुए थे छीना छपटी हो रही थी


इस सहर का ये अब रोज का ही काम हो चला था आये दिन कुछ ना कुछ अपराध होता रहता था वैसे मैं इन पचड़ों में पड़ता नहीं था पर मुझे लगा की इस आदमी की मदद करनी चाहिए मैंने अपना लट्ठ उठाया और पिल पड़ा उन लोगो पे थोड़ी चोट भी लगी पर आखिर उन लोगो को भगा ही दिया 

आप ठीक तो हो ना मैंने पूछा

वो- शुक्रिया बेटे,आज तुम ना होते तो पता नहीं क्या होता

मैं- शहर का तो मालूम ही हैं आपको इतनी रात को क्या घूमना 

वो- तुमने मुझे पहचाना नहीं, मैं जगतार सिंह हु, काके दी हटी होटल का मालिक 


मैं-ओह तो आप उस मसहूर होटल के मालिक है 

वो- तुमने मेरी जान बचाई , लो ये रख लो उसने अपनी गाडी से एक रुपयो की थैली ली और मेरे हाथ में रख दी 


मैं- सेठ मैं गरीब हु पर खुदार हु मैं मेहनत की कमाई खाता हु, तुम्हारी जान इसलिए नहीं बचाई की तुम सेठ हो, रख लो अपने इन पैसो को काम आएंगे


ये कहकर मैं वापिस सोने के लिए फुटपाथ की और चला ही था की तभी सेठ ने मुझे टोका- अरे भाई रुको तो सही तुमने तो मुझे गलत समझ लिया , क्या तुम मेरे होटल में काम करोगे


मैं- सेठ इज्जत की कमाई रोटी मिलेगी तो कही भी काम करूँगा 

सेठ- ठीक है ,कल दस बजे होटल आ जाना


सेठ कबका जा चूका था पर मेरी नींद उड़ गयी थी कितने दिनों से लंबे काम की कोशिश कर रहा था और आज खुद आगे से काम मिल रहा था अगले दिन ठीक दस बजे मैं होटल पहुच गया 

सेठ ने मुझे बताया की क्या काम करना है और कितनी तनख्वाह देगा मुझे तो काम की जरुरत थी ही सो हाँ करदी और कल से काम पे आने का नक्की किया मैं चल ही रहा था की सेठ ने बोला- अरे तेरा नाम तो बता जा 

मैं-दिलवाला

सेठ-ये कैसा नाम हुआ 

मैं-बस ऐसा ही है लोग ऐसे ही पुकारते है 

सेठ हस्ते हुए-हां भाई तू है भी तो दिलवाला

अगले दिन से अपनी नयी ज़िंदगी शुरू हो गयी थी दिनभर मैं खूब मेहनत करता टेबले साफ़ करता लोगो को खाना परोसता बस अपने आप को खुश रखने की कोशिश करता मालिक भी मेरे काम से खुश रहता था और धीरे धीरे से उसका मुझ पर विश्वाश भी होने लगा था 


ज़िंदगी बस गुजर रही थी कभी कभी तन्हाई आकर घेर लिया करती थी पर ये दिलवाला अपनी झूटी मुस्कान की चादर ओढ़ लिया करता था मुझे होटल में काम करते हुए करीब6 महीने हो चुके थे रोज की ही तरह मैं अपना काम कर रहा था की सेठ ने मुझे बुलाया 


मैं-जी मालिक

सेठ-भाई दिलवाले, एक बात बता तूने पिछले 5 महीने से तनख्वाह नहीं ली है कैसे गुजारा होता है 

मैं- जी, पैसो का क्या है कही भागे थोड़ी ना जा रहे है और फिर मेरी जरूरत है भी कितनी दो जोड़ी कपडे और दो टाइम का खाना वो इधर मिल ही जाता है और क्या चाहिए अपने को 

सेठ- यार तुम भी क्या आदमी हो खैर मैंने तुम्हारा बैंक में खाता खुलवा दिया है तुम जब चाहे अपने पैसे निकलवा सकते हो 


मैं-जैसा आपको ठीक लगे सेठ जी

उस दिन मुझे कुछ काम था तो मैं जल्दी चला गया था अपना काम खत्म करके मैं बाजार की तरफ से जा रहा था तो कुछ लोग रेहड़ी वालो से मारपीट कर रहे थे काफी भीड़ जमा थी पर उनकी कोई मदद नहीं कर रहा था और मैं भी एक तमाशबीन बनके रह गया खून तो बहुत ख़ौल रहा था पर इस शहर में ये रोज का ही नजारा था

अपने दिल को दुखी करने का क्या फायदा था मैं साइड से निकल ही रहा था की वो लोग एक छोटी बच्ची को मारने लगी अचानक ही मेरे कदम रुक गये, आँखे जैसे जलने लगी 

मैंने उस बच्ची को छुड़ाया- भाई इस बच्ची को क्यों मारते हो 

तो उनमे से एक ने मेरा कॉलर पकड़ लिया और गली बकते हुए बोला- तो तू पिट ले इसकी जगह 


मैं- भाई आप बड़े लोग हो इन गरीब रेहड़ी वालो को मत सताओ

तो उसने मुझे थप्पड़ मार दिया मैंने फिर भी खुद को काबू कर लिया पर उसने फिर से उस बच्ची को थप्पड़ मार दिया तो मेरा सब्र टूट गया मैंने एक लात दी खीच के उसको तो वो सामने रेहड़ी से टकरा गया 

और उसके साथी मुझे ऐसे देखने लगे जैसे की उन्होंने आंठवा अजूबा देख लिया हो एक गुंडा जिसने जालीदार बनियान पहनी थी वो बोला-साले तू जानता नहीं किसके आदमी पे हाथ उठाया हैं

मैं-जानके मारा तो क्या मारा बे, तू होगा किसी का आदमी पर अबसे इस जगह पे अगर किसी को इतनी सी तकलीफ भी तुम्हारी वजह से हुई तो तुम्हारी हड्डिया इस चोराहे पे लटकती मिलेंगी 


वो लोग अब तैयार थे हॉकी चेन चाकू लेके पर वो नही जानते थे की ज़िन्दगी की आंच में तापा वो लोहा हु मैं जिसमे अब जंग नहीं लग सकता था क्रोध से तपते हुए मैं जो शुरू हुआ फिर कुछ नही सोचा क्या अंजाम होगा क्या आगे होगा

बस जब मैं रुका तो वो लोग जमीं पर पड़े थे लहू लुहान किसी का हाथ टूटा हुआ था तो किसी का सर फटा था तो कोई बेहोश पड़ा था 

एक बूढ़ा मेरे पास आया और बोला-बेटा तुमने किन से पंगा ले लिया ये लोग बहुत खतरनाक है पुरे शहर पर इनका राज़ है ये गाज़ी खान के आदमी थे तुम कही भाग जाओ 

मैं- बाबा आप लोग फिकर मत करो और यहाँ मुझे कौन जानता है और आप किसे बताने वाले हो मैंने मुस्कुराते हुए कहा 


मैं अपने कमरे में आया और सोने की कोशिश करने लगा पर नींद नहीं आ रही थी ये नींद भी बरसो से अपनी दुश्मन हुई पड़ी थी आज फिर से घर की याद आने लगी थी उस घर की उन गलियो की जहा मैं जवान हुआ था जहा एक दुनिया को छोड़ आया था मैं

एक दिन दोपहर को होटल लगभग खाली ही था की सेठ ने मुझे कहा दिलवाले आज शाम तुम्हे मेरे साथ मेरे घर चलना है और हाँ बाजार से जाके एक जोड़ी नए कपडे ले आओ आज तुम मेहमान हो मेरे, आज मेरे बेटे बहु की शादी की सालगिरह है 

आज पहली बार था जब मैं सेठ के घर जाने वाला था करीब 7 बजे हम लोग उनके घर पहुचे घर क्या था बंगला ही कहना चाहिए इतने बड़े लोगो के बीच मैं खुद को थोडा सा फील करने लगा था पर अब औकात ही अपनी थी इतनी तो क्या करे खैर, मैं सेठ के साथ अंदर गया मेहमान खूब आये हुए थे 



सेठ उनमे मसगूल हो गया मैं भी बड़े लोगो की रौनकें देखने लगा घर खूब सजा हुआ था मैं भी एक कुर्सी पर बैठ गया और फिर कुछ ऐसा हुआ की मेरी आँखों पर मुझे यकीन ही नहीं हुआ ये नहीं हो सकता तक़दीर यु मुझे इस मोड़ पर ऐसे उसके दीदार करवाएगी 


काली साडी में क्या खूब लग रही थी वो कितना समय बीत गया पर वो आज भी ऐसे ही लगती थी जौसे की कल ही की बात हो इठलाती हुई वो सीढ़ियों से उतरते हुए निचे आ रही थी ऐसा लग रहा था जैसे बरसो बाद दिल धड़का हो आज पता चला की तक़दीर के खेल भी निराले होते है
Reply
12-29-2018, 02:48 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
काली साडी में क्या खूब लग रही थी वो कितना समय बीत गया पर वो आज भी ऐसे ही लगती थी जौसे की कल ही की बात हो इठलाती हुई वो सीढ़ियों से उतरते हुए निचे आ रही थी ऐसा लग रहा था जैसे बरसो बाद दिल धड़का हो आज पता चला की तक़दीर के खेल भी निराले होते है 

उसे यु देख कर मेरे होंठो पर वो मुस्कान आ गयी जो बरसो पहले कही खो गयी थी आँखों के आगे वो तमाम मंजर घूमने लगे ,वो पल जो उसकी बाँहों में बिताये थे वो हर एक लम्हा जो उसके आँचल तले जिया था मैंने ,कभी सोचा नहीं था की तक़दीर यु उस से मिलवा देगी 


हँसते हुए, इठलाते हुए वो सीढ़ियों से उत्तर रही थी कुछ भी तो नहीं बदली थी वो इन बीते सालो में बस इतना जरूर था की थोड़ी और मोटी हो गयी थी जैसे ही वो नीचे आई मेहमानो ने घेर लिया उसको चारो तरफ जैसे उसका ही नूर था महफ़िल में हर तरफ से बधाईया, शुभकामनाएं बरस रही थी अपने दिल से भी एक खामोश दुआ निकली उसके लिए

जी तो बहुत किया की उसको अभी अपनी बाहों में भर लू ,उस से ढेरो शिकायते करू पर अब हालात बदल गए थे वो मालकिन थी मैं एक नोकर और फिर क्या पता वक़्त की रेत ने शायद मेरी यादो को धुंधला दिया हो फिर सोचा की कही उसकी नजरो में ना आ जाऊ तो वहां से जाने का सोचा 

पर दिल बेईमान आज यु उसको देख के मचल गया फंस गया लालच में की कुछ झलक और देख ले उस मरजानी की पता ही नहीं चला की कब आँखों से पानी की कुछ बूंदे टपक कर गालो को चूम गयी, बस चोर नजरो से निहारता रहा उसको जो कभी अपनी हुआ करती थी

जब दिल का दर्द हद से बढ़ गया तो एक जाम उठा लिया पर ये शराब भी कहा वफ़ा करती है दिल में तो आग लगी ही हुई थी कालेजा भी जला लिया दिलवाले को अपनी बेबसी की जंजीरो की कैद का आज पता चला था मेरे हाल से बेखबर वो मसगूल थी अपनी पार्टी में

केक कट चूका था महफ़िल सज गयी थी नाच गाना चल रहा था वो अपने दिलबर की बाँहों में थिरक रही थी सबकी नजरे बस उस पर ही थी और हो भी क्यों ना उसके लिए ही तो ये शानो शौकत ये पार्टी थी मैं खामखाँ ही अपनी नजरे बचा रहा था ये जरुरी तो नहीं था की वो मुझे पहचान ही ले वो तो आज भी पहले जैसी ही थी पर मैं बदल गया था 


दिल से एक आह निकली जो शायद उसके दिल से जा टकराई थी अचानक ही उसकी नजरे मुझ पर पड़ी और उसके थिरकते कदम रुक गए उसकी आँखे चमक उठी उस बेपरवाह ने पहचान लिया था मुझे पर मैं उसकी शाम ख़राब नहीं करना चाहता था तो अब यहाँ रुकना मुनासिब नहीं था मै बाहर को चल पड़ा

पर तभी सेठ आ गया और उसने मुझे कहा की थोडा मेहमानो का ध्यान रखना वाह री तक़दीर अपनी ही दिलरुबा की महफ़िल में जाम परोसने का काम दिया तूने ,दिलवाला मुस्कुराया और लग गया अपना काम करने में जिधर भी मैं जाऊ उधर ही उसकी निगाहे जैसे मेरा पीछा कर रही थी अब उसका ध्यान कहाँ था उस महफ़िल में बरसो पुराणी चिंगारी कहीं ना कहीं सुलग उठी थी

ये तेरा दीवानापन है या मोहब्बत का सुरूर

अब अमीरो की महफिले कहाँ जल्दी ख़त्म होती है अभी तो उसके आगे हमे और ज़लील होना था पर उसको देखकर कोई भी बता देता की तड़प उठी है वो पर सब नसीब की बाते है तो रात को करीब ढाई बजे पार्टी खत्म हुई मैं निकल ही लिया था लगभग पर एक आवाज ने मेरे कदमो को रोक दिया 

"जा रहे हो,बिना मिले"

मैं चुप रहा पलट कर देखने की हिम्मत ही नहीं हो रही थी

वो-जा रहे हो 

मैं-जी आपने मुझसे कुछ कहा 

वो- आप कब से हो गयी मैं तुम्हरे लिए

मैं-अब मालकिन को तो आप ही कहना पड़ेगा ना

वो- तुम्हारे लिए तो मैं कभी बदली ही नहीं , तेरा मेरा किसने बांटा हम तो जुड़े है सांसो की ड़ोर से 

मैं- मालकिन,आप क्या कह रहे है मैं कुछ नहीं समझ पा रहा 

वो-देख मुझे और जलील मत कर मैं जानती हु की तू नाराज़ है कई दिनों में जो मिली ही पर तू दो पल बैठ तो सही मेरे पास मेरी बात भी तो सुन


मैं-क्या सुनु जी,आप पता नहीं क्या बोल रही है मैं आपको जानता ही नहीं बल्कि मैंने तो देखा ही आज है आपको 


वो थोडे गुस्सा करते हुए-देख, एक तो इतने दिन बाद मिला है ऊपर से नोटंकी कर रहा है क्या हुआ है तुझे कैसी बाते कर रहा है देखा ऐसा मत कर वर्ना मैं रो पडूँगी 


उसकी आँखों में आंसू कैसे देख सकता था पर उसको सीने से भी तो नहीं लगा सकता था और मैं ये तो कतई नहीं चाहता था की मेरी वजह से उसकी जिंदगी में कोई दुःख आये तो अनजान बनना ही ठीक था,


मैं-मालकिन आपको शायद कुछ ग़लतफहमी हुई है आप मुझे कोई और समझ रही है आप मुझे जाने दो देर हो रही है कल काम पे भी जाना है 

ये कहकर मैं चल पड़ा उसकी रुलाई छुट पड़ी रोते हुए उसने मेरा नाम पुकारा बरसो बाद किसी ने मुझे पुकारा था कदम लड़खड़ाने लगे थे बहुत मुश्किल से खुद पे काबू कर सका मैं वो अपनी देहलीज पे खड़ी मेरा नाम पुकारती रही शुक्र था की मैं अँधेरे में था वरना वो मेरे आंसुओ को देख लेती

कितने दिनों से दिल में दर्द का एक गुबार जमा हुआ था जो आज आंसुओ के साथ बेह जाना था उसके घर से थोडा दूर आकर मैं फुट फुट के रोने लगा वो जिसके लिए कभी मैं हद सद गुजर जाया करता था आज उस से नजरे नहीं मिला पाया था 
Reply
12-29-2018, 02:49 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
इसलिए नहीं की गरीबी का चोला ओढ़ रखा था बल्कि इसलिए की उसके सुखी संसार में आग लग जाती मुझे यु देख कर वो सब छोड़ के मेरे पास आ जाती पर मैं इतना खुदगर्ज़ नहीं था उस पूरी रात फिर बस अतीत के पन्नें आँखों के सामने घूमते रहे 


अगले दिन सेठ होटल नहीं आया था मेरा भी मन आज उदास था पर काम करना भी जरुरी था दोपहर हो चली थी की कुछ 8-9 लड़के अंदर आये देखने से ही बद्तमीज़ टाइप लग रहे थे मैंने टेबल साफ़ की और आर्डर लिया एक दूसरे को गाली बकते हुए , उनकी वजह से और लोगो को परेशानी हो रही थी पर कोई कुछ बोल नहीं रहा था 


करीब एक घंटे तक वो उधर रहे फिर वो जाने लगे तो मैंने एक को बिल के लिए रोक लिया तो मेरे साथ वाला दौड़कर आया और बोला-भाई इस से गलती हो गयी इसको आपके बारे में पता नहीं है 

मैं-क्या पता नहीं है खाना खाया तो बिल देना ही होगा 

तो एक लड़के जो उनका नेता लग रहा था उसने मेरा कॉलर पकड़ लिया और बोला- तू तू लेगा मुझ से बिल जानता है मैं कौन हु 

मैं-भाई देख मुझे क्या लेना तुझ से तू बिल दे बात ख़त्म

तो मेरे साथ वाला बोला- भाई मैं माफ़ी मांगता हु ,ये नया है जाने दो माफ़ करो इसको 

वो-समझा दे इसको अच्छे से 


ये बोलकर उसने मुझे धक्का दिया और चले गए 

साथवाला-मरेगा क्या जानता नहीं तू इनको

मैं-कौन था 

वो-गाज़ी खान का पोता था ये ,गाज़ी खान का सिक्का चलता है पुरे शहर पे क्या नेता क्या व्यापारी हर कोई सलाम करता है और तू उसके पोते से पंगा ले रहा है 


मैं-पर बिल

वो-अरे इनके आगे तो सेठ भी नाक रगड़ता है चल तू काम कर आगे से ध्यान रखियो

जिस तरह से उसने मेरा कॉलर पकड़ा था एक बार मन तो किया की उसे वक़्त धुल में मिला दू पर सेठ का होटल था तो नजाकत समझते हुए चुप कर गया पूरा दिन बस अपना दिल फूंकता रहा शाम को मैं बाजार से जा रहा था तो ऐसे ही उस बूढ़े सब्ज़ी वाले से हाल चाल पूछ लिया 

मैं- और बाबा ठीक हो अब तो कोई परेशानी नहीं है ना 

वो- बस बेटा टाइमपास हो रहा है ,

मैं- फिर से उन गुंडों ने तंग तो नहीं किया ना 

वो- बेटा आदत हो चली है बरसो से झेल रहे है तुम्हारे जाने के बाद जोगिया पठान आया था खूब तोड़फोड़ की कई लोगो को मारा सबसे तुम्हारे बारे में ही पूछ रहा था अब हम क्या बताते कुछ जाने तो बताये ना जाने कब इन शैतानो से छुटकारा मिलेगा 


मैं-मिलेगा बाबा 

वो-कैसे 

मैं-सब मिलके मुकाबला करो उसका पुलिस से मदद मांगों

वो-बेटा तुम शहर में नए आये हो तुम्हे कुछ नहीं पता बड़े बड़े अधिकारी गाज़ी खान को सलाम करते और सर्किल ऑफिसर तो उसका पालतू है उसके आगे ही गुंडे औरतो से छेड़छाड़ करते पर पुलिस कुछ नहीं करती ,तुम इस तरफ कम ही आना जोगिया पठान बोलके गया है की तुम्हे मारके इसी चौक पे लटका देगा

मैं- बाबा, वैसे ये पठान मिलेगा कहा एक मुलाकात कर ही लू इस से 

वो- क्यों मौत को बुलावा दे रहे हो 

मैं- आप बस बताओ वो रात को कहा मिलेगा 

बाबा से बात करकर मैं वापिस आ गया कुछ ऐसा करने जा रहा था जो शायद आसान नहीं था पर इस बार ठान लिया था की जो होगा देखा जायेगा रात के करीब1 बजे मिनर्वा बार ये बार पठान का ही था नाम का ही बार था असली कारोबार तो ड्रग्स का होता था यहाँ पता सबको था पर जुबान कोई नहीं खोलता था 


पर आज के बाद पुरे शहर में बस एक ही चर्चा होनी थी सब्सिडी पहले मैंने आसपास का खूब मुआयना किया उसके बाद मैं बार में अंदर गया क्या खूब महफ़िल लगी थी हर कोई धुत्त था कोई शराब में कोई कबाब में कोई शबाब में अधनंगी नाचती लड़कियो पर लोग गड्डियां उड़ा रहे थे पर मेरी आँखे किसी खास को ही ढूंढ रही थी 

जल्दी ही मुझे पता चल गया की पठान कौन था तो मैंने उसपे अपना ध्यान लगा दिया वो दो लड़कियो के बीच बैठा दारू पी रहा था उम्र कोई40 साल होगी खूब भरा हुआ जिस्म पर लम्बाई कुछ कम थी ऐसा नहीं था की वो अकेला था अब ये उसका अड्डा था तो उसकी सुरक्षा तो होनी ही थी 


पर मैं तो सोच कर आया था की इसका नाम राशनकार्ड से कट करना ही है ,पठान तो बस एक मोहरा था असल में निशाना तो गाज़ी खान का पोता था जिस तरह से आज उसने रोब झाड़ा था सुलग रहा था मैं अपने आप में ,करीब आधे घंटे बाद पठान उठा और उन दोनों लड़कियो के साथ ऊपर जाने लगा तो नजर बचा कर मैं भी सीढिया चढ़ गया 
Reply
12-29-2018, 02:49 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
यहाँ सबसे बड़ा एडवांटेज मेरा ये था की पठान ने कभी सोचा ही नहीं होगा की कोई उसको उसके ही अड्डे में घुस के मार सकता है क्योंकि घर से सुरक्षित कोई जगह नहीं होती और यहाँ ही वो सबसे असावधान होता है बस इसी का फायदा आज मैं लेने वाला था 


पूरा बार म्यूजिक की तेज आवाज में झूम रहा था मैं दबे पाँव ऊपर चढ़ गया ऊपर सुनसान सा ही पड़ा था मैंने उस कमरे का दरवाजा देखा अंदर से बंद था तो मैंने खड़काय पर जवाब नहीं मिला फिर से दस्तक दी कोई जवाब नहीं तीसरी बार पठान ने दरवाजा खोला और गाली बकते हुए बोला क्या गांड में दर्द है 


मैंने देखा वो बिलकुल नंगा था लण्ड ताना हुआ शायद सेक्स के लिए तैयार हो रहा होगा गाली देने के साथ ही वो वापीस दरवाजा बंद कर रहा था की बिजली की रफ़्तार से मेरा पैर चला और एक लात उसके टट्टो पर आ पड़ी पठान की साँस रुक सी गयी और उसको धक्का देते हुए मैं अंदर आ गया और सिटकनी बंद कर ली 


एक घूंसा मारा उसको तो होंठ से खून आने लगा वो तो वैसे ही दर्द से बिलबिला रहा था और मैंने मारना चालू किया उसको म्यूजिक की तेज आवाज में उसकी चीखे किसी को नहीं सुन पा रही थी, वो दोनों लडकिया डर से कांपते हुए एक कोने में खड़ी थी, दे मुक्के दे लात मैंने उसकी तब तक सुताई की जब तक वो बेहोश ना हो गया 

दिल तो मेरा भी तेजी से धड़क रहा था पर अब जो ठान लिया सो ठान लिया बेड की चादर को फाड़ कर उसके हाथ पाँव बांधे चाहता तो उसको व्ही मार सकता था पर मेरा इरादा कुछ और था पर समस्या थी की उसको वहाँ तक ले जाऊ कैसे जबकि टाइम इतना था नहीं 


तो फिर उसके नंगे शारीर को एक दूसरी चादर पे लपेटा और छत की तरफ ले आया किस्मत की ही बात थी की ये सब काम बिना किसी की नजर में आये हो रहा था उन दोनों लड़कियो को कमरे में बाँध आया था क्या पता सबको बता दे तो 

छत से दूसरी छत एक दम सटी हुई थी उस हरामखोर के बेहोश शारीर को उस तरफ धकेला और फिर दूसरी बिल्डिंग से होते हुए उसको निचे ले आया और फिर बार के सामने से ही एक चुराई हुई कार में साले को पटक के ले आया उसी बाजार में जहा उसने धमकी दी थी मेरी लाश लटकाने की 


बाजार एक दम शांत था ,बस हवा का ही शोर मचा हुआ था दो चार लोग जो शायद वहीँ फूटपाथ पे सोते थे मेरी उठापटक से जाग गए थे,मैंने पानी मारा पठान के मुह पर तो दर्द से कराहते हुए उसको होश आया तो उसने खुद को चोराहे पे उल्टा लटका पाया 

मैं- हाँ तो जोगिया पठान, जीसके नाम से पूरा शहर कांपता है देख कैसे लटका हुआ है बेबसी से

वो- तू जानता नहीं है किसके गिरेबां पे हाथ डाला है 

मैं-चुप साले, कैसा डॉन है बे तू देख एक आम आदमी तुझे तेरे अड्डे स ले आया तू कुछ न कर सका ,और शहर वाले बोलते है तेरा राज़ है 

वो- अभी भी वक़्त है भाग जा वर्ना कुत्ते की मौत मरेगा 

मैं-मौत की दहलीज़ पे खड़ा है और धमकी मुझे देख आज तुझे मरना तो है ही एक काम कर चीख़ और बुला तेरे बाप गाज़ी खान को 

वो-बाबा का नाम इज्जत से ले कमीने

मैं-चूतिये ये पूछ की मैं कौन हु क्यों तुझे मारना चाहता हु क्यों 

चल मैं ही बताता हु मैं वो हु जिसने कुछ दिन पहले तुम्हारे आदमियो की रेल बनाई थी और साले क्या बोला तू मुझे लात्कायेगा यहाँ देख आज तू खुद यहाँ लटका है कल सारा शहर देखेगा की कोई तो है जो जुल्म केखिलाफ आवाज उठाएगा 


तेरे बदन से निकली हर एक चीख बिगुल है गाज़ी के खिलाफ देख मैं तुझे कैसे जिबह करता हु ,मैंने छुरी निकाली और उसके लण्ड को काट दिया पठान के गले से चीख निकलने लगी पर उसके हाथ पाँव बंधे थे सो तड़पना ही था उसको 


मैं-दर्द हुआ मुन्ना ,ना ना रो मत इसको तो काटना ही था इसी के दम पे तूने ना जाने कितनी बहन बेटियो की आबरू को नीलाम किया होगा आज शांति मिलेगी उनको 

मैंने अब उसके हाथ की कलाई पर चीरा लगाया बाजार में पठान की चीखे गूँज रही थी जो लोग जाग गए थे वो डर से कांपते हुए नजारा देख रहे थे अब मैंने उसकी पसलियों को फाड़ना शुरू किया पठान के जिस्म से उसका गन्दा खून आजाद होकर बह रहा था मेरे हर ज़ख्म के साथ वो मौत के करीब जा रहा था 

और मुझ पर जैसे एक जुनूनीयत सवार थी मैं बस छुरी से उसके एक एक अंग को काट रहा था दम तो वो कभी का तोड़ चूका था पर मैं उसको काटते ही जा रहा था ये मेरा पहला वार था इस शहर के गॉडफादर के खिलाफ 

अगली सुबह पुरे शहर में एक ख़ौफ़ सा फैला हुआ था गाज़ी खान के बेहद खास आदमी को इतनी बेदर्दी से किसी ने मार डाला था हर तरफ चर्चाये थी कयास थे और अपने को भी फुरसत नहीं थी

अगली सुबह पुरे शहर में एक ख़ौफ़ सा फैला हुआ था गाज़ी खान के बेहद खास आदमी को इतनी बेदर्दी से किसी ने मार डाला था हर तरफ चर्चाये थी कयास थे और अपने को भी फुरसत नहीं थी



पुरे शहर में हलचल सी मच गयी थी शायद ही कोई आदमी होगा जिसकी जुबान पर जोगिया पठान के कत्ल की चर्चा ना हो हर कोई बस यही सोच रहा था की कौन इतनी हिम्मत करेगा जो गाज़ी खान के खास सिपहसलार पर हाथ डालेगा 

अपना काम करके मैंने सेठ को सलाम ठोका और अपने कमरे पे आ गया कमर तो क्या था बस गुजारे लायक था सर्दी में ठण्ड नही रूकती थी बरसात में बारिश कुछ पुरानी तस्वीरों को देख के जी हल्का हो जाया करता था पर जब से उसको देखा था एक बेचैनी सी हो रही थी
Reply
12-29-2018, 02:49 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
अगले दिन मैं बाजार की तरफ गया तो उस बाबा से मिला मुझे देखते ही उसने हाथ जोड़ लिए वो तो सब जानता ही था एक दो लोग और जिन्होंने मुझे देखा था उस रात वो भी मेरे पास आ गए तो मैंने अच्छे से उनको समझया की किसी से कोई चर्चा नहीं करनी है अब ये बाजार ही था जो मेरे लिए नए रस्ते खोलने वाला था 


होटल गया तो सेठ ने कहा की दिलवाले यार एक काम कर आज से तू दिन में मेरे घर पे काम किया कर और इधर तो रात को ही ज्यादा काम रहता है तो शाम को यहाँ आ जाया करना मैं तेरी तनख्वाह भी बढ़ा कर दुगनी कर रहा हु ,वो घर पे काम करने वाला छोड़के गया अब मैं तुझपर ही तो भरोसा करता हु 


सेठ मुझे बहुत चाहता था हालाँकि मैं किसी भी सूरत में उसके घर नहीं जाना चाहता था पर सेठ को ना भी नहीं कह सकता था तो मैं उसके घर चला गया सेठ ने सबसे मेरा परिचय करवाया और बता दिया की अब मैं इधर ही काम करूँगा तक़दीर भी फूल मजे लेने पर उतारू थी


सेठ के 3 बेटे थे और 2 बेटी , तीनो बेटो की शादी कर रखी थी और बेटियां कुंवारी थी , इधर सेठ जब सबको बता रहा था की अब से मैं घर के काम किया करूँगा तो मैंने उसके चेहरे पे एक झलक देखि गुस्से की शायद वो सोच रही थी की मुझे ये सब करने की क्या जरूरत है

पर जैसे जल में रह कर मगर से बैर नहीं होता तो उस से अब एक ही छत के निचे भला कितनी देर बच पाता तो उसने मुझे रसोई में पकड़ लिया और गुस्से से बोली- क्या जरूरत है तुम्हे इन सबके काम करने की और ये क्या हाल बना रखा है तुमने अपना 

मैं-मालकिन अब नोकर लोगो का हाल तो ऐसा ही होता है आप बताये कुछ चाहिए तो 

मेरे ऐसे बोलते ही उसने एक थप्पड़ मारा मेरे गाल पे और बोली-कमीने,अब मैं तेरे लिए मालकिन हो गयी पता है तेरी एक खबर सुनने को कितना तदपी हु मैं और तू मिला तो भी अजनबियों की तरह ,

मैं चुप रहा उसकी आवाज में एक रुलाई सी थी और आँखों से पानी बस बहने को ही था तो मैंने उसे कहा बाद में बात करेंगे पर वो अभी बात करना चाहती थी जो इस भीड़ से भरे घर में कतई मुमकिन नहीं था मैं जानता था की ये वैसे भी मानने वाली नहीं है पर अब पहले जैसा कुछ भी तो नहीं था 


मैं- मैं जानता था की तुम हर पल तडपी होंगी जो दर्द मेरे बदन में था वो दर्द तुमने भी महसूस किया होगा मुझे भी तुम्हारी बहुत याद आती थी एक तुम ही तो थी जिससे मैं जुड़ा था तुम थी तो मैं था ,तेरा मेरा बंधन बस हम ही जाने 


मेरी आँखों में इतने दिनों से दबा दर्द आज बहने को था उसके आगोश में पिघलजाना चाहता था मैं उसकी गोद में सर रख के सोना चाहता था थोड़ी देर, बरसो बाद आज कोई अपना मिला था पर अब बंदिशे थी , पांवो में बेड़िया थी इस से पहले की वो मुझे अपने गले लगाले बड़ी मालकिन ने उसको पुकारा और वो चली गयी


रसोई का काम खत्म करके बस अपना पसीना पौंछ रहा था की सेठ की लडकी जिसका नाम पूजा था दिखने में एक दम हॉट कड़क माल उम्र कोई 26 के पास होगी आई और बड़ी बदतमीजी से बोली की उसके कमरे में कपडे पड़े है धो दू

मैं-पूजाजी, वो मेरा काम नहीं है 

वो-तो क्या तेरा बाप करेगा क्या 

कितनी बद्तमीज़ लड़की थी ,जी तो किया की रेहप्ता मारके इसका गाल लाल कर दू ,पर मैं अपमान के घूंट को पी गया मैं उसके कमरे में गया और कपडे लिए धोने लगा कुछ स्कर्ट थी जीन्स और कई जोड़ी ब्रा-पेंटी लगता था की कई महीनो से बंदी ने कपडे नहीं धोये थे 


काम हुआ खत्म मैं निचे आ ही रहा था की वो खड़ी थी राह में उसने एक गिलास मेरी तरफ बढ़ाया और बोली-शर्बत तुम्हारे लिए बनाया है 

मैंने गिलास लिया और कुछ घूँट भरे, पुराने दिन याद आ गए वो ही स्वाद आज भी 

मैं-चीनी आज भी ज्यादा डालती हो 

वो-मैं तो आज भी वही हु और वाही रहूंगी वादा जो किया तुझसे पर तू बेगाना हो गया तू क्या जाने की हर दिन इंतज़ार होता था की कही से कोई तो तेरी खबर बताएगा पर तू ना जाने कहा खो गया 


मैं- बस मुफलिसी के अँधेरे अब दूर ही होने को है मेरा चाँद जो दिख गया 

वो हंस पड़ी, उसकी मुस्कान से एक राहत सी मिली 

वो- बात नहीं करोगे,

मैं- कुछ नहीं कहने को 

वो- तो फिर मेरी सुन लेना 

मैं-तुम्हारी धड़कनो ने सब बता दिया



वो- मुझे बस तेरे साथ रहना है मेरे रूम में आओ 

मैं-यहाँ नहीं थोडा इंतज़ार करो 

वो-इतने दिन से इंतज़ार ही तो था 


मैं- बस थोडा और 

उसके बाद मैं होटल चला गया दिन ऐसे ही गुजरने लगे थे 
वो जितना मेरे पास आने की कोशिस करती मैं उतना ही उससे दूर रहता क्योंकि मैं जानता था की सच सुनने के बाद वो एक पल की देर नहीं करेगी मेरे पास आने में और मैं नही चाहता था की मेरी वजह से उसके संसार में कोई कलेश आये 


उस दिन मैंने सारा काम जल्दी ही खत्म कर लिया था और दोपहर में सोना चाहता था की पूजा ने मुझे अपने कमरे में बुलाया 

मैं-जी मालकिन 

वो-एक काम करो मेरा शरीर बहुत दुःख रहा है थोड़ी मालिश कर दो 


मैं-पर मैं कैसे ,

वो- डैडी ने तुमको बहुत सर चढ़ा के रखा है एक काम भी तुम करते नहीं हो, पैसे क्या फ्री में लेते हो चलो वो ट्यूब उठाओ और मालिश करो सबसे पहले पैरो की करना 


मैंने अपने हाथो में क्रीम लगायी और उसकी सुडोल चिकनी पिण्डियों पर हल्के हल्के से मसाज करने लगा धीरे धीरे मेरे हाथ उसकी जांगो पर पहुच गए पर उसको कोई आपत्ति नहीं थी बहुत देर तक उसने अपनी टांगो की मालिश करवाई फिर बोली-तुम्हारे हाथो में बहुत जान है मेरे कंधो की मालिश भी कर दो 

उसने अपने गाऊन को कंधो से उतार दिया अब ऊपर से वो बस ब्रा ब्रा में ही थी ब्रा भी बस नाम की ही थी सब कुछ तो दिख रहा था मैंने सोचा नहीं था की पूजा इतनी बोल्ड होगी 

वो-ऐसे क्या देख रहे हो कभी ऐसा सीन देखा नही क्या, अरे मैं भी क्या बोलरहि हु तुम्हारे नसीब में ऐसी हॉटनेस देखना कहा चलो अब जल्दी से कंधे दबाओ मुझे मूवी भी जाना है
Reply
12-29-2018, 02:49 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
वो-ऐसे क्या देख रहे हो कभी ऐसा सीन देखा नही क्या, अरे मैं भी क्या बोलरहि हु तुम्हारे नसीब में ऐसी हॉटनेस देखना कहा चलो अब जल्दी से कंधे दबाओ मुझे मूवी भी जाना है 

मैंने अपने हाथ उसके कंधो पर रखे और कस के दबाया 

वो-आह 

मैं धीरे धीरे उसके कंधो को सहलाने लगा उसने अपनी आँखे बंद कर ली उसकी चुचियो की गहरी घाटी मे मेरी नजरे बार बार जा रही थी मेरे हाथ अब कंधो से थोडा निचे को जा चुके थे बस थोडा सा और फिर बस हलके से ही उसकी चूची को टच किया था की उसका फ़ोन बज पड़ा 


मैं कमरे से बाहर आ गया , नींद अब उड़ गयी थी मैं होटल पंहुचा तो सेठ बहुत गहरी सोच में डूबा हुआ था साथियो से पता चला की कुछ लोग सेठ को धमका के गए है कुछ पैसो का पंगा था , मैं सेठ के पास गया और पूछा


सेठ- कोई बात नहीं है अब धंधा करना है तो हर तरह के आदमियों को देखना पड़ता है मैं एडजस्ट कर लूंगा 


मैं-सेठ एडजस्ट करने की बात ही नहीं है तुम आज इनकी मांग पूरी करोगे कल वो और मांगेगा फिर फिर दोगे वो फिर मांगेगा 

सेठ-तो क्या करू मैं पहले से ही नुक्सान में चल रहा हु अब ये मुसीबत 


मैं-सेठ,तुम टेंशन ना लो बस ये बताओ की वो लोग कहाँ पाये जाते है 

सेठ- दिलवाले तुम काम पे ध्यान दो मैं इस मामले को अपने हिसाब से देखता हु 


फिर मैंने कोई बात ना की सेठ से पर अगले दिन कुछ गुंडों की लाशे एक कूड़े के ढेर में पड़ी मिली इधर मैं अपने काम मे मस्त था उधर गाज़ी खान ये सोच कर परेशान था की आखिर कौन है जो उसके आदमियो को गाजर मूली की तरह साफ़ कर रहा था इस बीच एक बात और हुई बाजार के सब दुकानदारो ने मुझे वादा दिया की अब वो आगे से गाज़ी के किसी भी आदमी को कोई वसूली नहीं देंगे 

बाजार अब पूरी तरह मेरे काबू में था दिलवाला अब लोगो के दिल जीतने लगा था ,पर अब मेरे लिए पहचान छुपाना मुश्किल होते जा रहा था और ठीक एक दिन हमारे एरिया के सर्किल ऑफिसर जो की गाज़ी का खास कुत्ता था बस्ती की जमीन को खाली करवाने आ पहुचा तो पता चला की गाज़ी यहाँ एक मॉल बनवाना चाहता है 


पुलिस बल का उपयोग करवाके उसने लोगो से जबरदस्ती कागज़ ले लिया और खदेड़ दिया मैं बेबस पुरे माजरे को देखता रहा मेरी आँखों के सामने लोग पिट ते रहे मैं खामोश रहा , मैंने देखा की कैसे व्यवस्था इन दो कौड़ी के गुंडों की जेब में पड़ी है 


होटल का काम ख़त्म करके मैं फिर से बस्ती गया तो लोग अपना दुखड़ा रोने लगे पर मैं क्या कर सकता था लोगो को तो आदत हो चली थी हर किसी को एक मसीहां की उम्मीद थी जबकि वो खुद नहीं समझते थे की अपने हिस्से की लड़ाई खुद को लड़नी पड़ती है 


यही बात मैने उनको बोली पर इतनी बड़ी बस्ती से कोई सामने नहीं आया किसी की हिम्मत न हुई तो अपने को क्या कल मरते आज मरो, अगले दिन मैं सेठ के घर गया था बड़ी मालकिन बोली- छोटी मेमसाब को कहीं जाना है तो तू साथ चला जा 


मैं समझ गया था की उसने कोई बहाना कर लिया है ताकि वो सब जान सके खैर कभी ना कभी तो उसको ये सब बताना ही था तो उसने कार निकाली और हम चल पड़े रस्ते भर हम कुछ नहीं बोले जल्दी ही हम शहर की सड़को को पार करते हुए एक बिल्डिंग में दाखिल हुए 


वो- मेरी सहेली का फ्लैट है 

हम अंदर आये अंदर आते ही वो मेरे सीने से लग पड़ी, कसम से दिल को करार आ गया मैंने उसको अपनी बाहों में कस लिया कई देर हम ऐसे ही लिपटे रहे 


वो- यहाँ तेरे मेरे बीच कोई नहीं आने वाला ,कितना तड़प रही हु तेरी बाँहों में आने को और तुझे पता नहीं क्या हुआ है जो अपनी पिस्ता की तरफ देखता भी नहीं 

मैं- तुझे सब पता हैं ना ,अब तू पराई हो चुकी किसी और की अमानत है डर लगता है की कहीं मेरी वजह से तेरे संसार में कोई मुसीबत ना हो और कभी सोचा नहीं था की इस तरह तुमसे मुलाकात होगी


वो-तू कबसे ऐसा सोचने लगा तेरा मेरा किसने बांटा तुझ पर ऐसे हज़ार घर कुर्बान और खबरदार जो कभी मुझे खुद से अलग माना, तू बेशक बदल गया होगा पर मैं आज भी वो ही हु शादी के बाद भी मैं आई थी पर तू गाँव छोड़ गया था बहुत कोशिश की तुझे तलाशने की पर फीर मेरी तक़दीर कुछ ऐसी हुई की जयपुर से यहाँ आना पड़ा


मैं-हाँ मैं भी व्ही सोच रहा था की तू यहाँ कैसे 


वो- वो हुआ यु की मेरे ससुर के मामा के औलाद नहीं थी तो मरते मरते वो सब इनके नाम कर गया यहाँ उनका होटल था और कुछ प्रॉपर्टी थी तो पूरा परिवार यहाँ आ गया पतिदेव ने भी इधर तबादला कर लिया बस फिर इधर ही हु मेरा छोड़ तू अपनी बता 


अब मैं क्या बताता की क्या बीता था मेरे साथ पर उसको बताना भी जरुरी था मैंने अपनी टी शर्ट उतार दी , बस आगे की कहानी वो खुद समझ गयी,मेरे बदन का हर ज़ख्म अपनी कहानी कह रहा था वो गोलियों के निशाँ ,वो चाकुओ के वार पे लगे टाँके,अब और क्या कहने की जरुरत थी पिस्ता की आँखों से आंसू गिरने लगे 


रोते रोते उसने मेरे ज़ख्मो को चूमा तो लगा की आज किसी ने मलहम लगलगाया है , बहुत देर तक वो मेरे सीने से लगी रोती रही फिर वो बोली-किसने किया ये तू नाम बता अगर उसके टुकड़े ना कर दिए तो मेरा नाम पिस्ता नहीं 


मैं-और कौन होगा अपनों के सिवा सब बिमला और चाचा का ही रचा षड्यंत्र है और कुछ लोग भी मिले है 

वो- तू फ़िक्र मत कर तेरे हर दर्द का हिसाब होगा जल्दी ही हम गाँव चलेंगे 


मैं-हां गाँव तो जाना ही है पर सही समय आने पे पर पहले जरा अपनी जान से थोडा प्यार तो कर लू 


आज फिर से कोई मेरा अपना मेरी बाहों में था पिस्ता मेरे सीने से लगी हुई थी उसकी साँसे मेरे सीने से टकरा रही थी वो खुशबूदार सांसे जिनसे मेरा बदन महक उठा था मैने उसके माथे पे हलके से चूमा वो मुझसे और चिपक गयी 

मेरी जान मेरी सबसे प्यारी दोस्त एक बार फिर से मेरी बाहों में मचल रही थी, पिस्ता ने अपने होंठो पर जीभ फेर कर उनको गीला किया और उनको मेरे होंठो से रगड़ने लगी मेरे होंठ पर उसने हलके से काटा तो बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ गयी लण्ड में हरकत होने लगी 


मेरी साँसे सुलगने लगी थी मैंने उसकी साडी उतारना चालू किया उसने खुद अपना ब्लाउस और ब्रा उतार दिया वक़्त के साथ साथ पिस्ता और भी निखर आई थी उसकी चूचिया और भी मोटी, सुडोल हो गयी थी और उसके वो भूरे रंग के निप्प्ल्स जो शायद हमेशा तने हुए ही रहते थे


उसके होंठो को चूसते है मेरी उंगलिया उसके पेटीकोट के नाड़े को खोलने में लगी हुई थी,और जल्दी ही वो बस एक काली जालीदार पेंटी में खड़ी थी मैं उसके लबो को पीते हुए उसकी मोटी मदमस्त गांड को अपने हाथो से मसलने लगा पिस्ता ने धीरे से अपने होंठ खोले और अपनी जीभ को मेरे मुह में सरका दिया 


पिस्ता तो एक आग थी जिसे हर कोई नहीं झेल सकता था पर आज इस आग को मेरे आगोश में और दहकना था उसके नरम कुल्हो को मैं खूब दबा रहा था सांसे जैसे छुटने को ही थी जब हमारे होंठ अलग हुए पिस्ता बेड पर चढ़ गयी और अपनी पेंटी को उतारने लगी मैंने भी अपने कपड़ो को आजाद कर दिया 

मैं भी ऊपर आ गया और सर से पाँव तक उसको चूमने लगा आज भी उसके जिस्म का वैसा ही स्वाद था जल्दी ही वो पूरी तरह से मेरे थूक से सनी हुई थी पिस्ता ने अपने पैरो को m शेप में मोड़ लिया उसकी बिना बालो की फूली हुई योनि मेरी आँखों के सामने थी 

कॉमरस से भरी हुई उसकी योनि उस गाढ़े रस से सनी हुई थी मैंने अपने होंठो पे जीभ फेरी और अपने सर को टांगो के मध्य घुसा दिया एक भीनी भीनी सी खुशबु मेरी नाक में उतरने लगी बड़ी मासूमियत से मैंने अपने होंठ पिस्ता की चूत पर रख दिए आज भी बड़ी गर्मी थी वंहा पे

मेरे होंठो का स्पर्श पाते ही पिस्ता के बदन में सरसरहट होने लगी उसकी टाँगे अपने आप और चौड़ी होने लगी पुच की आवाज के साथ मैंने चूत पे एक चुम्बन लिया और उसके होंठो से एक कराह फुट पड़ी और मेरी जीभ चूत की दरार से टकराने लगी

पिस्ता के हाथ अपने बोबो को दबाने लगे थे और इधर् मैंने चूत को थोडा सा फैलाया और लगा चाटने तो पिस्ता के तन बदन में एक आग लगनी शुरू हो गयी मेरे मुह में वो हल्का खारा सा स्वाद भरने लगा इस रस की प्यास कभी बुझती नहीं जितना पियो उतना ही और मांगते जाओ

पिस्ता के थार्थरते चूतड़ो में कम्पन होने लगी थी उसके गले से मदमस्त आहे निकलना शुरू हो गयी थी पर वो भी जंगली खिलाड़िन थी तो वो पीछे कहा रहने वाली थी
उसने मुझे अपने ऊपर से हटाया और अब खुद 69 में होते हुए मेरे ऊपर चढ़ गयी और मेरे औज़ार से खेलने लगी 


पिस्ता की ऐसी ही कातिल आदाये तो थी जो मार जाती थी इधर हमारी शरारतें शुरू हो गयी थी पिस्ता ने धीरे से मेरे सुपाड़े की खाल को पीछे को सरकाया और अपनी मुलायम उंगलियो को उस संवेदनशील जगह पर रगड़ने लगी सम्पूर्ण बदन में जैसे एक सन्नसनाहत सी होने लगी थी अंडकोशो में एक ऊर्जा सी भरने लगी वो भारी होने लगे


और सब्र ही टूट गया जब उसने अपनी जीभ से मेरे लण्ड को छुआ 440 वाल्ट का झटका ही तो लग गया पिस्ता ने तो मार ही दिया था अपनी इस अदा से उसकी जीभ मेरे चिकने सुपाड़े पे घूमने लगी थी आज तो हमे कत्ल ही हो जाना था उसकी इन अदाओ से इधर अब जवाबी हमला भी तो करना था मैंने उसके कुल्हो को थोडा सा फैलाया 

और अपनी जीभ उस प्यारे से छेद में डालने लगा तो वो बेकाबू होने लगी उसकी चूत की फांको को मैं बीच बीच में अपने दांतो से कभी आहिस्ता तो कभी तेज काट लेता तो बस वो तड़प कर रह जाती पर वो भी तो कम नहीं थी ना

अब वो मेरे लण्ड को हिलाते हुए मेरे अन्डकोशों को अपने मुह में लिए हुए थी मस्ती चढ़ने लगी थी मेरी तरफ वो बार बार अपनी गांड को पटक रही थी उसकी चूत बार बार फैलती और सिकुड़ती मेरी जीभ का जादू उसके अंग पर इस हद तक चल रहा था पिस्ता की गर्म आहे उसकी मदहोश कर देने वाली सांसे मेरे लण्ड पर पड़ रही थी 


तन बदन में लगी आग अब दनावल बन चुकी थी पिस्ता की बेचैनी बढ़ती जा रही थी और वो अब पूरी तरह से लण्ड पर टूट चुकी थी उसके थूक से सना हुआ मेरा लण्ड बार बार उसके मुह में जाता उत्तेजना में हिलोरे लेते हुए इधर अब वो शिथिल होती जा रही थी


चूत में चिकनाई बढ़ती जा रही थी मैं तेजी से उसके छेद में जीभ चला रहा था जिस से उसकी मस्ती बढ़ती जा रही थी और फिर वो झड़ने लगी पर झडते झडते वो तेजी से लण्ड चूसते हुए मुझे भी मंमुझे भी मंजिल की और ले चल पड़ी अपने साथ सालो से जमा मेरा पानी उसके मुह में गिरने लगा आज कई दिनों बाद झड़ा था पिस्ता का पूरा मुह मेरी मलाई से भर गया था
Reply
12-29-2018, 02:49 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
अभी तो हम शुरू ही हुए थे अंजाम का किसने सोचा था पिस्ता उठकर बाथरूम में चली गयी मैं भी उसके पीछे चला गया उसने दरवाजा खुल्ला ही रखा था, मैं दरवाजे के पास खड़ा होके उसके नशीले बदन को देखने लगा जो की उस शावर के निचे भीग रहा था 

उसका वो शबनमी बदन जिसपर वो पानी की ठंडी ठंडी बूंदे उसके हुस्न को और महका रहे थे उसने इशारे से मुझे अपनी और बुलाया और मैं भी उसके साथ हो लिया पानी में आग लगने जा रही थी मैंने पास रखी साबुन ली और पिस्ता के बदन पर मलनी शुरू की

खुश्बुदार झाग उसकी सुंदरता में और चाँद लगाने लगा मैंने जब उसकी चूचियो की घुंडी को उमेठा तो वो तड़प उठी दर्द से पर उस दर्द का भी एक अलग सा मजा था अब मैंने उसे पलटा और उसकी पीठ और कुल्हो पर साबुन लगाने लगा वो और चिकनी होने लगी

बस उसके साथ का ही जादू था लण्ड फिर से उत्तेजना के शिखर पर था मैंने वैसे ही पिस्ता को अपने घुटनो पे झुकाया उसकी गांड पीछे की तरफ उभर आई मैंने अपने लण्ड को सही जगह पे लगाया और एक धक्का सा मारा तो पिस्ता आगे को सर्की पर मैंने उसकी कमर में हाथ डाल के उसको वापिस कर लिया 


एक दो झटको की और बात और फिर पूरा लण्ड पिस्ता की मक्खन सी चूत में जा चूका था 

पिस्ता- ओह आराम से यार 

मैं- अब कहाँ आराम 

वो-मार ही डालने का इरादा है क्या इतने दिनों की भड़ास एक बार में ही निकालोगे क्या 

मैं-तू चीज़ ही ऐसी है जब भी नहीं रुका जाता था आज भी नहीं रुक पा रहा हु


उसकी कमर को वापिस पीछे को खींचा उसके चूतड़ मेरी गोलियों से टकराये पिस्ता थोडा सा और झुक गयी उसकी चूत ने लण्ड को अपने अंदर कैद कर लिया था और जब उसने अपनी जांघो को आपस में चिपका लिया तो कसम से मजा ही आ गया मैंने भी अपने बदन को थोडा सा झुकाया और फिर पेलम पेल शुरू की 


बदन झटके खाने लगे कभी मैं आहिस्ता से धक्के मारता बल्कि ये कहना उचित होगा की रुक के बस उसके बदन को सहलाता जिस से वो झुंझला जाती थी और फिर कुछ देर मैं तेज तेज धक्के लगाता पिस्ता की चूत से रिसती चिकनाई की वजह से अब मेरी गोलिया भी भीगने लगी थी 

अब पिस्ता को मैंने अपनी और कर लिया और उसने तुरन्त अपनी एक टांग मेरी कमर पर लपेट दी और मुझे अपनी और खींचा मैंने फीर से लण्ड को निसाने पे लिया और पिस्ता की झूलती गोलाईयो को देखते हुए फिर से चुदाई शुरू कर दी वो मेरी गर्दन पे किस्स करने लगी

मैं उसके कुल्हो को मसलते हुए लण्ड अंदर बाहर कर रहा था पिस्ता अब मेरे होंठो तक आ चुकी थी और अपने दांतो से वहां पर काटने की कोशिश कर रही थी ऊपर से शावर का पड़ता पानी चोदने के उत्साह को दुगना कर रहा था हमारे होंठ आहिस्ता से एक दूसरे से गुफ़्तुगू कर रहे थे 


पिस्ता की चूत मेरे लण्ड की मोटाई पे एक दम कसी हुई थी सबसे मस्त तो उसकी चूत का छल्ला था जो घर्षण के साथ बाहर को खींच सा जाता था उस से चुदाई का एक अलग मजा मिलता था पर जल्दी ही उसके पाँव दुखने लगे थे तो उसने एक तौलिये से अपने बदन को साफ़ किया और बाथरूम से बाहर आ गयी 


बड़ी इठलाते हुए पिस्ता सोफे पे घोड़ी बन गयी ऐसा मस्त पिछवाड़ा बहुत कम औरतो का होता है पिस्ता ने अपने मुह में उंगलिया डाली और ढेर सारा थूक अपनी चूत पे लगाया एक दम लबालब कर लिया उसको अब मैं उसके पीछे आया और अपने लण्ड को हलके हलके चूत के द्वार पे रगड़ने लगा

पर बहुत चिकनी होने के कारन मेरा सुपाड़ा चूत में जाने लगा और रोकने का कोई फायदा भी तो नहीं था और रुकना भी नहीं चाहिए था एक बार पूरा अंदर जाते ही पिस्ता ने मुझे रोक दिया और खुद अपने चूतड़ो को आगे पीछे करने लगी वक़्त के साथ छोरी चुदाई के खेल में और पारंगत हो गयी थी

हम दोनों मस्ती में चूर हो चुके थे पर उत्तेजना बाकी थी गुजरते समय के साथ हमारे धक्के भी तेज तेज होते जा रहे थे पिस्ता के चूतड़ जैसे भूकम्प आ गया था उसकी मुठिया सोफे पर कसती जा रही थी दो मिनट पांच मिनट और फिर पिस्ता निढाल होगयी कुछ पल तक सब रुक सा गया था पिस्ता का बदन झटके खाता रहा और फिर वो पस्त हो गयी 


पुरे शारीर से पसीना टपक रहा था वो सोफे पर लेट ही गयी पर मेरा लण्ड हवा में झूल रहा था तो मैंने उसकी टांगो को फैलाया और फिर से लण्ड अंदर घुसाने लगा तो वो बोली-नहीं अब नहीं ले पाऊँगी 

मैं-क्या यार,अभी बीच राह में लटकाये गी क्या

वो- यार मास्टरजी के साथ रहके बस एक बार ही चुदने की आदत पड गयी है थोड़े दिन तेरे साथ रहूंगी तो पहले जैसी हो जाउंगी 


मैं- हां पर अभी क्या 

तो पिस्ता ने मेरे लण्ड को मुह में लिया और तेजी से चूसने लगी साथ ही अपने हाथो से मेरी गोलियों को दबाने लगी तो मजा आने लगा और थोड़ी देर बाद मैं भी झड़ गया कुछ देर बाद हमने अपने हुलिये को ठीक किया और घर की और चल पड़े मैंने गाड़ी पार्क की पिस्ता अपने कमरे में चली गयी 


मैं रसोई में गया तो बड़ी मालकिन बोली ये जूस माधुरी मैडम को दे आमाधुरी सेठ की छोटी बेटी थी मैं उसके कमरे में गया तो वो अपने बेड पे बैठी किसी सोच विचार में डूबी हुई थी चेहरे पे कुछ उदासी थी मैंने दो बार पुकारा पर जैसे उसको होश ही नहीं था


माधुरी सेठ की छोटी बेटी थी मैं उसके कमरे में गया तो वो अपने बेड पे बैठी किसी सोच विचार में डूबी हुई थी चेहरे पे कुछ उदासी थी मैंने दो बार पुकारा पर जैसे उसको होश ही नहीं था मैंने फिर से उसका नाम पुकारा तो उसकी तन्द्रा टूटी 


मैं-जूस, मेमसाब 

वो-वापिस ले जाओ मुझे नहीं पीना 

मैं- पी लीजिये मैडम ,स्पेशल आपके लिए लाया हु 

वो-दिलवाले, तुम अभी जाओ मैं सच में परेशान हु 

मैं- मेमसाब आपके चेहरे पर ये उदासी अच्छी नहीं लगती आप तो बस मुस्कुराते रहा करो 

वो- ये मुस्कान ही तो जान का जंजाल बन गयी है 

मैं- कोई समस्या है तो आप मुझे बता सकती हो वैसे भी शेयर करने से मन का बोझ भी हल्का हो जाया करता है और वैसे भी आपको तो कोई गम छु भी नहीं सकता 

वो-बाते बहुत अच्छी करते हो तुम 

मैं-तो चलो फिर जूस पीलो जल्दी से 

माधुरी ने कुछ सिप लिए जूस के और गिलास रख दिया और बोली-दिलवाले, मेरी एक सहेली है उसको ना कुछ लोग परेशान करते है तो उसी का टेंशन है 

मैं- तो आपकी सहेली अपने घरवालो को बताती क्यों नहीं पुलिस में शिकायत करनी चाहिए 

वो-नहीं जा सकती और घरवालो को भी नहीं बता सकती क्योंकि घर में सब उसको ही दोषी समझेंगे और वो गुंडे बहुत पावरफुल है और पुलिस भी उनको कुछ नहीं बोलती 

मैं- आप अपनी सहेली को मुझसे मिलने के लिए कहो मैं देखता हु की क्या हो सकता है 

वो-तुम क्या कर लोगे 

मैं-शायद कुछ रास्ता निकल आये 

वो- वो तुमसे नहीं मिल पायेगी तुम जो भी उपाय है मुझे बता दो मैं उसको बोल दूंगी 

मैं-मेमसाब आपकी सहेली नहीं मिल पायेगी क्योंकि ये समस्या उसकी नहीं आपकी है 

माधुरी के चेहरे का रंग उड़ गया आँखों से आंसू छलक आये तो मैंने उसका हाथ पकड़ा और कहा-आप बिलकुल टेंशन मत लो कल से मैं आपको कॉलेज छोड़ने और लेने जाऊंगा मैं देखता हु कौन हमारी मेमसाब को परेशान करता है 

मैंने उसको आश्वस्त किया और फिर होटल चला गया तो वहां बस्ती के कुछ लड़के मेरा इंतज़ार कर रहे थे 

मैं-हाँ भाई लोग इधर कैसे 

वो- भाई हमे आपकी बात अच्छे से समझ आ गयी है अपना घर बचाने के लिए हमे खुद संघर्ष करना होगा , आप हमारा साथ दो 

मैं- तो ठीक है फिर , बस्ती के कागज़ रजिस्ट्रार के पास है रात को मार दो धावा और चुरा लाओ उन्हें

मैंने उनको समझाया की ये काम कैसे करना है उनके जाने के बाद मैंने माधुरी पे फोकस किया और सोचने लगा बड़ी प्यारी सी लड़की थी सिम्पल सी पूजा से बिलकुल उलट जहाँ पूजा एक बददिमाग थी वाही माधुरी बहुत ही संस्कारी लड़की थी उसकी समस्या सुनके मैं सच में परेशान हो गया था 


खैर ये तो अब कॉलेज जाकर ही देखना था की कौन लोग थे जो उस मासूम को तंग कर रहे थे ,इनसब के बीच मुझे नीनू की बहुत याद आ रही थी पता नही वो कैसी होंगी कहाँ होगी क्या मैं याद होऊंगा उसको या वक़्त की रेत में मेरी याद कहीं खो गयी होगी

एक सैलाब आया जिसने मेरा सबकुछ छीन लिया था दिल में दरद सा होने लगा था ये यादे भी बड़ी अजीब होती है जरुरी भी है और तकलीफ भी देती है ,तो फिर अपना ध्यान काम पे लगाया फिर रात को बस्ती चला गया पता नहीं क्यों इनलोगो से लगाव सा हो गया था 

अगले दिन मैं सुबह ही सेठ के घर पहुँच गया था पिस्ता ने मुझे रसोई में ही पकड़ लिया और चूमा चाटी करने लगी पर अभी टाइम ठीक नहीं था फिर पूजा मैडम को चाय देने गया तो वो बेसुध होकर सोई पड़ी थी उसको जगाया तो वो झल्ला पड़ी मुझ पर


दरअसल हुआ की वो चादर के निचे बस एक पेंटी में ही थी बाकी नंगी पड़ी थी मेरे जगाने से वो हड़बड़ा गयी थी और चादर गयी हट और मैंने उसके मदमस्त कर देने वाले हुस्न को देख लिया था तो सुबह सुबह ही थोड़ी टेंशन हो गयी थी 
मैंने मन में सोचा तो था की इस घर से जाने से पहले पूजा का घमण्ड चूर जरूर करूँगा 

पर आज मुझे माधुरी के साथ जाना था माधुरी ने अपनी स्कूटी ली और हम लोग कॉलेज की तरफ चल पड़े वो थोडा घबरा रही थी पर उस दिन उसे किसी ने तंग नहीं किया इधर रजिस्ट्रार के घर से बस्ति के पेपर चोरी हो गए थे मैं बस्ती में अपने कमरे पे था बस्ती वालो के साथ बस ऐसे ही बाते हो रही थी 


की सर्किल ऑफिसर की गाडी आके रुके आते ही उसने मेरा कॉलर पकड़ लिया और बोला-कुत्ते तुझे कहा था ना औकात में रहना पर तू नहीं माना चुपचाप वो पेपर्स मेरे हवाले कर दे वरना तेरा वो हाल होगा की तेरी पुश्ते कांप उठेंगी


मैं- क्या सबूत है की पेपर्स मेरे पास है 

वो- साले हमसे मटरगश्ती डालो रे इसको गाडी में आज इसको इसकी औकात पता चल जायेगी बाबा से पंगा लेने चला है 


बस्ती के लोग पुलिस की गाडी के आगे अड़ गए पर मैंने कहा- कोई नहीं dsp साब से मुलाकात करके आता हु थाणे में लाते ही उसने मुझे लॉकअप में पटका और दिखाने लगा पुलिसिया रौब बस एक ही सवाल पेपर्स कहाँ है और मेरे पास कोई जवाब नहीं था 


दो रातो तक उसने अपना ज़ोर दिखाया मुझ पर दो रातो तक उसने अपना ज़ोर दिखाया मुझ पर जिस्म का जैसे हर हिस्सा ही तोड़ सा दिया था पर हम भी दिलवाले ज़रा दूसरी किस्म के थे , अब वो क्या दम देखता हमारा और फिर तीसरे दिन जैसे दुर्गा ही आ धमकी थाणे में शेरनी सी दहाड़ उसकी आते ही उसने dsp को आड़े हाथ लिया और उलझ गयी उस से 


मैंने अपने माथे पे हाथ मारा ये भी ना इसको क्या जरूरत थी कोई इसको देख के क्या सोचेगा पर ये भी जानता था की अब वो मेरी ढाल बन जायेगी और वैसे भी उसका रोद्र रूप आज इस थाने में कहर ढाने वाला था
मैंने अपने माथे पे हाथ मारा ये भी ना इसको क्या जरूरत थी कोई इसको देख के क्या सोचेगा पर ये भी जानता था की अब वो मेरी ढाल बन जायेगी और वैसे भी उसका रोद्र रूप आज इस थाने में कहर ढाने वाला था 

वो- तेरी हिम्मत कैसे हुई इसको बिना किसी बात के अरेस्ट करने की 

Dsp- मेरी मर्ज़ी जिसे अरेस्ट करू तू कौन होती है 


वो- तू ये सब छोड़ और दिलवाले को अभी के अभी रिहा कर वर्ना तेरे लिए ठीक नहीं होगा 

Dsp- बहुत बोल रही है तू 

वो-शुक्र कर सिर्फ बोल रही हु जी तो कर रहा है अभी तेरे हाथ पाँव तोड़ दू 

Dsp- साली इतना तड़प रही है क्या लगता है ये तेरा चल तेरी तड़प और बढ़ा देते है मारो रे साले को 

वो-खबरदार जो किसी ने भी दिलवाले को हाथ भी लगाया ,सुन dsp ये ले जमानत के कागज़ और अभी 2 मिनट में रिहा कर इसको 

Dsp- हँसते हुए जमानत के कागज़ात की ना बत्ती बनालो मोहतर्मा इधर के जज भी हम है और वकील भी हम वैसे तू बड़ी कटीली है एक ऑफर है तेरे लिए एक रात मेरे पास आजा कसम इसको रिहा कर दूंगा 

ये कहकर उसने बेशर्मी से हँसते हुए पिस्ता की चूची को मसल दिया पिस्ता तड़प उठी और उसी पल मेरे सब्र का बाँध टूट गया आँखों में जैसे लहू उबलने लगा एक हुंकार भरी मैंने और पास खड़े सिपाही को उठा के पटका वो सीधा दरवाजे से टकराया और भदभदा के दरवाजा खुल गया 

गुस्से से मेरे नथुने फूलने लगे थे पिस्ता के साथ बदसलूकी करके अपनी मौत को दावत दे डाली थी उसने अपनी आस्टीन को सम्हाते हुए मैं किसी तूफ़ान की तरह लॉकअप से बाहर आया आज इस थाने को ही आग लगा देनी थी दो चार पुलिस वाले दौड़े मेरी तरफ मैंने पास पड़ी कुर्सी उठाई और दे मारने लगा सालो के सर पे 


किसी का सर फटा तो किसी की कोहनी टूटी दर्द तो मेरे ज़ख्मो में भी था पर उसने हाथ कैसे लगाया पिस्ता को वो गुमान थी मेरा आन थी मेरी आज उस हाथ को ही उखाड़ देना था जो पिस्ता की तरफ बढ़ा था dsp की तो जैसे सिट्टी पिट्टी गुम होने लगी थी 

राह में आते हर पुलिसवाले का वास्ता एक तूफ़ान से हो रहा था मैं ये नहीं देख रहा था की किसको कहाँ पड रही है कोई टेबल पर गिर रहा था कोई फर्श पर मुझे बेकाबू देख कर उसने अपनी पिस्टल से फायर किया मुझ पर पर अब ऐसी गोली नहीं बनी थी जो इस दिलवाले को अब छु सके

इस से पहले की वो दूसरा फायर करता पिस्ता ने पास रखी कुर्सी उठा के उसके हाथ पे दे मारी गन उसके और अपनी लात उसकी टांगो के बीच मारी इस से मुझे मौका मिल गया और मैं बाकि लोगो पे पिल पड़ा अगली कुछ मिनट वहां के लोगो पे बहुत भारी पड़ी 

इधर मैं अब घबराए हुए dsp की और बढ़ रहा था पिस्ता थाने से बाहर चली गयी जो की सही भी था मैंने एक लात मारी उसके पेट में वो बकरे की तरह मिमियायया तभी मुझे पास में पड़ा डंडा दिखा तो मैंने वो उठाया और आदरणीय dsp साहिब को लगा कूटने हाय हाय मची चीख़ पुकार 

जब तक dsp के बदन का जर्रा जर्रा दर्द से ना भर गया उसको सुता मैंने बार बार वो माफ़ी मांगे पर आज उसे माफ़ी नहीं मिलनी थी अब मैंने उसकी पैंट उतारी फिर कच्छे को उतार के नंगा किया साले को 


मैं-हाँ तो तू पिस्ता को ले जायेगा एक रात के लिए उठ साले ले जाके दिखा 

वो- माफ़ करदो गलती हो गयी मेरे बाप गलती हो गयी 


मैं ना ना, तू हाथ लगा उसको फिर से दिखा अपनी मर्दानगी 


मैंने एक लात खींच के मारी उसकी गोटियो पर तो उसका सांस अटक गया पर इतनी आसानी से उसका पीछा नही छूटने वाला था ,मुझे तलाश थी किसी चीज़ की तो मैं उसको ढूँढने लगा और फिर मुझे एक कैंची मिल गयी मैंने उस से उसके लण्ड की थोड़ी सी खाल को काटा वो दर्द से चीखने लगा पोलिस ठाणे में आज हैवानियत नाच रही थी 


मैं उसकी तड़पन का आनंद लेते हुए धीरे धीरे उसकी खाल काट रहा था पर वो कैंची भी काम्याब नहीं थी तभी पिस्ता फिर से अंदर आई दोनों हाथो में दो पीपीया थी 

वो- आग लगा दे इसको जलने दे आज कर दो मुक्त आज धरती को इसके बोझ से 

उसने एक पीपी मुझे दी और दूसरी थाने में जगह जगह पेट्रोल छिड़कने लगी dsp को समझ आ गया था की उसके साथ आगे क्या होने वाला था पर वो कुछ बोल नहीं पा 11 का हाथ थामे बाहर आया , भीड़ जमा थी चारो और जैसे जैसे हम आगे बढ़ते गए लोग हटते गए राशता मिलता गया 


पिस्ता ने गाडी स्टार्ट की और हम चल पड़े वहाँ से दूर,सबसे पहले हम लोग एक डॉक्टर के पास गए कुछ ज़ख्मो की मरहम पट्टी करवाई , मैं जानता था की अब आग लगेगी इस शहर में गाज़ी से पंगा तो था ही ऊपर से अब पुलिस भी खिलाफ अब डबल दुश्मनी निभानी थी ज़िन्दगी ने कहा से कहा ला पटका था पर चलो जो है सही है 


अब शहर के बाहुबली DSP को दिन दहाड़े क़त्ल कर दिया गया था फिर मैंने पिस्ता को बहुत देर तक समझाया की चाहे कुछ भी हो जाए वो ऐसे खुलके मेरी सपोर्ट में नहीं आएगी क्योंकि मैं हर्गिज़ नही चाहता था की उसको कोई नुक्सान पहुंचे ले देके अब एक वो ही तो अपनी बची थी 



इस घटना से पूरा शहर हिल गया था जिधर देखो बस इसी बात को लेकर हवा बाज़ी हो रही थी पता सबको था पर जुबान कोई नहीं खोल रहा था इधर पुलिस मुझे पकड़ने के लिए ज़ोर लगा रही थी पर बस्ती ही क्या आधा शहर मेरे सपोर्ट में आ गया था मेरे सेठ को भी कुछ कुछ अंदेशा तो हो गया था पर उसने कुछ कहा नहीं मुझे 


बल्कि सेठ ने कहा की जितना हो सके मैं उसके घर ही रहु, उस शाम मास्टरजी के किसी दोस्त के घर पार्टी थी तो वो लोग वहां पे गए हुए थे मैंने सोचा की करने को कुछ नहीं है तो टीवी ही देख लेता हु मैं ऐसे ही चैनल चेंज करने लगा एक चैनल पर इंग्लिश फ़िल्म आ रही थी मैं वो देखने लगा बीच बीच में ऐसे ही कुछ उतेजित करने वाले दृश्य आ रहे थे 



तो मैंने अपने लण्ड को बाहर निकाल लिया और बस ऐसे ही उसपे अपना हाथ फेरने लगा उन मादक दृश्यों को देख कर मेरा मन काबू से बाहर होने लगा काश पिस्ता इस समय होती तो चोद लेता ऐसे ही सोचते हुए मैं मुठमार रहा था की किसी की आवाज आई-शाबाश,बहुत अच्छे
Reply
12-29-2018, 02:49 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
मैंने अपने लण्ड को बाहर निकाल लिया और बस ऐसे ही उसपे अपना हाथ फेरने लगा उन मादक दृश्यों को देख कर मेरा मन काबू से बाहर होने लगा काश पिस्ता इस समय होती तो चोद लेता ऐसे ही सोचते हूँए मैं मुठमार रहा था की किसी की आवाज आई-शाबाश,बहूँत अच्छे 

आवाज की दिशा में गर्दन घुमी तो मैंने देखा कृष्णा जी खड़ी थी ,पिस्ता की जेठानी मैंने जल्दबाज़ी में अपनी ज़िप बंद की तो वो हँसते हूँए बोली- ना न कोई बात नहीं, होता है पर थोडा आजु बाजु देख लिया करो 


ये बोलके वो ऊपर कमरे में जाने लगी फिर सीढ़ियों पे रुकी और एक चाय लाने को कहा दस मिनट बाद मैं उनके कमरे में गया कृष्णा जी ने साडी उतार दी थी और अब वो एक टाइट फिटिंग वाले सूट सलवार में थी जिसमे से उनका यौवन बाहर आने को मचल रहा था 

मैंने चाय टेबल पे रखी और बाहर जाने लगा तो उन्होंने मुझे बैठने को कहा और खुद भी सामने वाली कुर्सी पे बैठ गयी 

वो-शादी क्यों नहीं करते तुम 

मैं-जी करूँगा 

वो-कब

मैं-जल्दी ही 

वो-कोई देख रखी है मेरा मतलब कोई गर्लफ्रेंड है 


मैं-जी ज़िन्दगी के सफर में लोग मिलते गए बिछड़ते गए बस इतनी सी बात है 

वो-मतलब कोई है 

मैं- हाँ है मालिक है जिन्होंने घर दिया, मालिकन है जिन्होंने बेटे सामान स्नेह दिया सब अपने है और आप भी 

जैसे ही मैंने आप भी कहा कृष्णा के होंठो पे एक मुस्कान सी आ गयी एक शोखी सी आ गयी साथ ही मैंने पेंट के ऊपर से अपने लण्ड को खुजा दिया वो अपनी पैनी नजरो से जैसे मेरा निरिक्षण कर रही थी फिर उन्होंने अपनी चुन्नी उतार के पास में रख दी मेरी नजरे उनकी छातियो पे पड़ी


उस टाइट सूट की कैद में वो जैसे आज़ाद होने को मचल रही थी उनके निप्प्ल्स साफ़ दिख रहे थे मतलब अंदर ब्रा नहीं पहनी थी कृष्णा जी एक गेहुंए रंग की महिला थी पांच फुट की लंबाई, थोड़ी ज्यादा मोटी छातियाँ और बाहर को निकले हूँए नितम्ब कमर तक आते लंबे बाल और सबसे बड़ी बात जिस तरह से उन्होंने खुद को फिट रखा था कोई अंदाजा नहीं लगा सकता था उम्र का


वो कुछ कहने वाली थी की उनका फ़ोन बजा करीब पांच मिनट उन्होंने बात की फिर मुझे बोली-मौसम ख़राब है उनलोगो को आने में देर हो जायेगी शायद सुबह ही आये तो तुम्हे इधर ही रुकना होगा 

मैं-जी ठीक है मैं एक बार सब दरवाजो को चेक कर लेता हूँ 

वो- शायद बारिश होने वाली है मैं टैरेस पे हूँ कुछ कपड़े है तुम उधर ही आ जाना 

मैंने निचे जाके सब देखा और फिर ऊपर गया तो ठंडी हवा ने मेरा स्वागत किया गाँव की याद आ गयी जब ऐसे ही बरसातों में खूब नहाया करते थे और ना जाने ऐसी कितनी ही बरसातों में रात रंगीन की थी हलकी हल्की सी फुहारे पड़ने लगी थी उस ठंडी हवा को अपने फेफड़ों में महसूस करता हूँआ मैं टैरेस पे पहुंचा


कृष्णा छत पर खड़ी उन बारिश की ताजा बूंदों को अपने बदन पर महसूस कर रही थी बरसात में भीगे उसके बदन को देख कर मन में एक तरंग सी जाग गयी थी वैसे भी जबसे पिस्ता दुबारा ज़िन्दगी में आई थी अपने अरमाँ कुछ ज्यादा ही मचलने लगे थे 


कृष्णा को ऐसे गीले बदन देख कर मेरा लण्ड तन गया था वो मेरे पास आई और बोली- ऐसे क्या देख रहे हो 

मैं-आपकी सुंदरता को 

वो- सच में सुंदर लग रही हूँ क्या 

मैं- हां, आज तो आप एक खिला गुलाब लग रही हो 

वो मेरी पेंट में बने उभार की तरफ इशारा करते हूँए - हाँ, तभी तो तुम्हारा ये कुछ ज्यादा जोश में आ रहा है 

मैं समझने लगा था की इसके मन में भी चुदने की लालसा है बस थोडा गर्म करना होगा इसको 

मैं- अब आप हो ही सेक्सी इतनी तो इसका क्या कसूर 

वो-लाइन मार रहे हो 

मैं-लाइन नहीं बस जो फील किया वो बता दिया अब आपकी नजर में इसे लाइन मारना कहते है तो वो ही सही 

वो- पर ऐसा सोचना गलत होता है ना 

मैं-इस भाग दौड़ भरी ज़िन्दगी में किसे दो पल नहीं चाहिए होते सुकून के और फिर इंसान अपने लिए कुछ खास पल अपने लिए चुरा ले तो उसमे गलत क्या है 

ये कहके मैंने अपनी ज़िप खोली और अपने मचलते लण्ड को आज़ाद कर दिया कृष्णा की आँखे उस पर जैसे जम सी गयी 

वो- ये क्या किया इसको बाहर क्यों निकाला

मैं-आपको पसंद नहीं आया क्या 

वो कुछ नहीं बोली पर उसकी तेजी से ऊपर निचे होती छातिया बता रही थी की वो भी सुलगने लगी थी मैं उसकी आआँखो में देखते हूँए अपने लण्ड पर हाथ फिरा रहा था कृष्णा का गीला बदन ऊपर से बारिश की बूंदे जिस्मो में आग को हवा देने लगे थे 


मैं थोडा सा उसकी तरफ बढ़ा उसने अपने होंठ को दांतो से हलके से काटा मैंने उसके हाथ को अपने लण्ड पर रख दिया वो कुछ कहने ही वाली थी की मैंने अपनी ऊँगली उसके होंठो पे रखी और बोला-आज की रात अपनी है आप चाहो तो कुछ लम्हे आप अपने लिए जी सकते हो 

मैंने महसूस किया उसकी पकड़ मेरे लण्ड पर कुछ टाइट हो गयी थी और उसी पल मैंने अपने होंठ उसके होंठो से जोड़ दिए उसकी डार्क चॉकलेट फ्लेवर की लिपस्टिक मेरे मुह में घुलने लगी इधर हमारा किस्स चालू था और निचे वो अपनी मनपसन्द चीज़ को हिलाने लगी थी

मैंने महसूस किया उसकी पकड़ मेरे लण्ड पर कुछ टाइट हो गयी थी और उसी पल मैंने अपने होंठ उसके होंठो से जोड़ दिए उसकी डार्क चॉकलेट फ्लेवर की लिपस्टिक मेरे मुह में घुलने लगी इधर हमारा किस्स चालू था और निचे वो अपनी मनपसन्द चीज़ को हिलाने लगी थी 

कृष्णा के मीठे मीठे होंठो को कई देर तक चूमा चूसा मैंने उसको चूमते चूमते ही मैंने सलवार का नाडा खोल दिया था अब उसकी सलवार उसके पांवो में पड़ी थी इधर वो खूब जोर से मेरे लण्ड से खेल रही थी जब बारिश थोड़ी तेज हो गयी तो हम वहाँ से बालकोनी में आ गए 


मैं भाग के कमरे में गया और एक गद्दा और चादर ले आया मैंने जल्दी से अपने कपडे उतारे और फिर कृष्णा के सूट को भी उतार दिया क्या गजब सेक्सी औरत थी थोड़ी मोटी होने के बावजूद भी फिटनेस थी ऊपर से एक बेहद छोटी सी पेंटी जो बस किसी तरह से उसके अंग को ढके हूँई थी 
Reply
12-29-2018, 02:50 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
मैंने कृष्णा को अपनी गोद में बिठा लिया और उसके गालो, गर्दन और कंधो को चूमते हूँए उसके उभारो से खेलने लगा उफ्फ्फ उसकी चूचियो की वो घुन्डियाँ क्या गजब कसावट थी उसके बोबो में आह यार ये कैसा जादू सा तुम्हारे हाथो में बोली वो 


मेरा लंड उसकी मांसल गांड की दरार में एक दम फिट हूँआ पड़ा था जिस पर वो अपने नितम्बो को हिला हिला के मेरी कामवासना को भड़का रही थी ,मेरे दबाने से उसकी चूची फूलती जा रही थी करीब दस मिनट तक उसकी छातियो से खेलता रहा मैं कृष्णा की सांसे भारी हो चली थी

अब मैं एक हाथ से उसकी चूची को मसल रहा था और दूसरा हाथ निचे ले जाके उसकी कच्छी के ऊपर से उसकी फूली हूँई चूत को सहलाने लगा तो कृष्णा मदहोश होने लगी, टूटने लगी मेरी बाहों में पिघलने लगी थी मेरी जीभ उसकी गर्दन के पिछले हिस्से को चाट रही थी 


उसके तन में चींटिया रेंगने लगी थी जब उससे रहा नहीं गया वो मेरी गोद में थोडा सा ऊपर को उठी और मैंने उसके अंतिम वस्त्र को भी निचे खिसका दिया कृष्णा को अब मैंने गद्दे पे लिटाया और उसकी टांगो को फैलाया काले काले रेशमी झांटो से भरी उसकी मांसल चूत क्या मस्त लग रही थी

उसके झांट उसकी जांघ के कुछ हिस्से तक जा रहे थे जो की बड़े प्यारे लग रहे थे सच में उसकी चूत बड़ी ही सुंदर थी एक लम्बी सी बीच की लाइन और फिर निचे की तरफ खुला हूँआ छेद काली फांके और अंदर से लाल लाल हिस्सा अगर मैं विश्वामित्र भी होता तो आज तपस्या तोड़ देता


बरसात भी अपने शबाब पे थी और हूँस्न मेरी बाहों में था मैंने उसके चूतड़ो के निचे तकिया लगाया और उसकी जांघो को फैलाते हूँए अपने चेहरे को उस जन्नत के दरवाजे पे झुकाने लगा ,जैसे ही मेरे प्यासे होंठो ने उस नमकीन रस को चखा कृष्णा का बदन सिहर उठा


वो तड़प उठी और उसके होंठो से एक आह फुट पड़ी-आअह, सीईईईई ओह यार 

मैंने एक कस के चुम्बन लिया उन प्यारी पंखुड़ियों पर और कृष्ना की मीठी मीठी आहे बारिश के शोर के बीच गूंजने लगी उसके नमकीन पानी में कई बोतलों जितना नशा था मैंने उसकी जांघो पर हाथ जमाया और उसे अपनी और खींच लिया मैं अपनी जीभ उसकी चूत के अंदर और अंदर डालने लगा 

ओह यार ये क्या कर दिया ओफह आअह कम ओन दिलवाले तुम तो गजब हो मेरा तन इस अगन में जलने लगा है उफ्फ्फ्फ़ आअह थोडा आराम से तुम्हारी जलती,,,जलती जीभ क्या मजा दे रही है ओह्ह्ह्ह्ह्ह सीईईईईईइ 


कृष्णा अपने चूतड़ो को ऊपर निचे करती हूँई कोशिश कर रही थी की मैं उसकी चूत को खा ही जाऊं उसकी हथेलिया मेरे सर पर दबाव डालती हूँई जैसे कह रही थी की मैं पूरा ही उसकी चूत में घुस जाऊ, ढेर सारा कॉमरस मेरे मुह से होते हूँए गले के निचे उत्तर रहा था कृष्णा तो जैसे उन्माद में पागल ही हो गयी थी


जितना वो मचल रही थी उतना ही मैं तेजी से अपनी जीभ को उसकी चूत पे घिस रहा था उफ्फ्फ कितना मचल रही थी ये औरत अब मैंने उसके दाने को अपने मुह में भर लिया और साथ ही अपनी एक उंगली उसकी चूत में घुसा दी और अंदर बाहर करने लगा


वो ये हमला ज्यादा देर नहीं सह पायी और कुछ देर बाद अपनी गांड को पटकते हूँए झड़ने लगी मेरा आधा चेहरा उसके रस से सन् गया शांत होते ही वो निढाल हो गयी मैंने चादर से अपना मुह साफ़ किया और अपने लण्ड पर थूक लगाया और उसको कृष्ना की चूत पे रगड़ने लगा


झड़ने के बाद भी वो गर्म भट्टी की तरह तप रही थी उसकी चूत का एहसास पाते ही मेरे तड़पते लण्ड को करार आ गया और वो बस अब अंदर जाने को बेकरार हो रहा था 


वो-आह ,कितना मोटा है तुम्हारा 

मैं-अभी तो डाला भी नहीं मोटाई का पता चल गया 

वो-जिस तरह से दवाब डाल रहा है अंदाजा हो रहा है 

मैं-आज की चुदाई तुम्हे सदा याद रहेगी 

मैं धीरे धीरे अपने सुपाड़े को चूत की घाटी पे रगड़ने लगा तो कृषणा बोली-क्यों तड़पाते हो अब घुसा भी दो ना
मैं धीरे धीरे अपने सुपाड़े को चूत की घाटी पे रगड़ने लगा तो कृषणा बोली-क्यों तड़पाते हो अब घुसा भी दो ना


बस ऐसे ही कुछ पल तो थे मेरी ज़िन्दगी में जिनके सहारे जी रहे थे वर्ना तो कुछ बाकी रहा नहीं था मैंने एक बार फिर से अपने सुपाड़े को चूत से लगाया और धक्का लगाया कृष्णा की फांके एक दूसरे से विपरीत दिशाओ में फैलने लगी उसकी टांगो में तनाव सा आने लगा बदन में हलचल होने लगी 


उफ्फ्फ्फ्फ़ फाड़ ही डालोगे क्या 

मैं- क्या हूँआ, 

वो- दर्द कर दिया ऐसा लग रहा है की चीर दी हो 

मैं-क्या बात कर रही हो,इस उम्र में कहा दर्द होता है इस उम्र में तो बस मजा ही है 

वो-काश तुम डलवा पाते तो पता चलता 

मैं-कोई ना इस दर्द में भी तो मजा आता है 

वो-बाते बनाना तो कोई तुमसे सीखे 

मैं-और चुदना तुमसे

वो हस पड़ी और मैंने एक झटका लगा दिया लगभग आधा लण्ड चूत में चला गया था उसने अपने चूतड़ो के निचे तकिये को थोडा एडजस्ट किया और मैंने बाकी का काम भी पूरा कर दिया उसकी चूत अंदर से एक दम मस्त थी उसने मेरे लोडे को जैसे कैद कर लिया था 


अब उसकी टांगो को m शेप में किया और धीरे धीरे उसको चोदना शुरू किया एक तो ऐसे मस्त मौसम का सुरूर ऊपर से कृष्णा जैसी माल औरत और क्या चाहिए ज़िन्दगी में चिकनी जांघो को अपनी मुट्ठी में कैद करते हूँए मैं अपने लण्ड को अंदर बाहर करने लगा था 

कृष्णा के हाथ अपने बोबो पर पहुँच गए थे और वो उनको मसल रही थी हवा के झोंको के साथ जो कोई बारिश की बूंदे शरीर से टकरा जाती थी तो चोदने का सुख कई गुना बढ़ जाया करता था 5 मिनट तक उसको मैं ऐसे ही पेलता रहा फिर उसने अपनी टाँगे उठा के मेरे कंधो पे रख दी 


मेरे हर धक्के पे वो मन्द मन्द मुस्कुरा रही थी और फिर बोली-तुम्हारे लण्ड में सचमुच जादू है जो एक बार तुम्हारे निचे आई वो फिर कहीं और ना जायेगी ओह दिलवाले आह थोडा आराम से जान ही निकालोगे क्या आज उफ्फ्फ्फ्फ़ 


मैं-ज़िन्दगी में बस चूत मारना ही तो सीखा है मेमसाब 

वो- मेमसाब मत बोलो, मैं तो हूँई गुलाम तुम्हारी आअह आह 

कृष्णा के चेहरे पे एक नूर सा चढ़ आया था पुच पुच करते हूँए मेरा लण्ड तेजी से उसकी चुदाई कर रहा था मैंने अपना हाथ उसके पेट पर रखा और उसको प्यार से सहलाने लगा गुजरते समय के साथ उसकी उत्तेजना चरम की और जाने लगी थी अब उसने अपनी टाँगे हटा ली और मैं अब पूरी तरह से उसके ऊपर चढ़ गया 

कृष्णा ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मेरे होंठो को चूमते हूँए अपनी टांगो को ऐसे लपेट लिया जैसे कोई लॉक लगा लिया हो अब वो मेरे हर धक्के पे अपनी गांड को पटक रही थी मैं खुद उत्तेजना के सागर में लहरो पे दौड़ रहा था उसके लबो को बुरी तरह से खा रहा था मैं

और वो भी कम नहीं थे उसके नाखून जैसे मेरी पीठ में धँस ही गए थे उसकी मुझ पर पकड़ कसती जा रही थी सुलगती साँसे मचलते अरमान मैं समझ सकता था की अगर उसके होंठ मेरे मुह में ना होते तो किस हद तक माहौल उसकी आहो से गूँज रहा होता 
Reply
12-29-2018, 02:50 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
इधर वो अपने हाथो को मेरी पीठ पर रगड़ते हूँए इशारा कर रही थी तेज करने का तो मैं पुरे ज़ोर से उसको चोदने लगा वो जल बिन मछली की तरह तड़पने लगी आँखे जैसे मदहोशी से पथरा गयी थी बदन स गुलाबी पसीना छलके चुदाई में चूर बदन मौसम बेईमान अरमाँ अपने शबाब पे 


हाय रे आःह्ह्ह आज तो मैं। गयी आअह्ह आअह 

आअह आअह ऊऊऊओन्ज्ज् यार 



और तेज और तेज मैं गयी गईईईईईईऊओ आआह ओह्ह्ह्ह्ह और तेज्जज्जज्जज्जज्ज और टीज्जज्जज्जज्जज्ज आआअह यार। उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ जोर जोर से ऐसे चिल्लाते हूँए कृष्णा झड़ने लगी उसका बदन किसी सूखे पत्ते की तरह कांप रहा था 


उसकी चूत ने मुझे अपने अंदर ऐसे कस लिया की क्या कहऊ उसकी चूत से अमृत सा रस बहने लगा था जैसे एक ज्वालामुखी फट पड़ा और मैं भी गया काम से एक के बाद एक मेरे लण्ड से गर्म पानी की पिचकारियाँ उसकी चूत को पवित्र करने लगी 

मुझे भी करार आ गया अपने दम को दुरुस्त करते हूँए मैं पड गया उसके ऊपर करीब दस मिनट तक मैं उसके ऊपर ही लेटा रहा फिर मैं हटा तो वो भी उठ के बैठ गयी मैंने उसके हाथ को चूमा वो मुस्काई और उठ के छत के कोने में जाके मूतने लगी


सीईईईई की आवाज मेरे कानो में आने लगी मैं उसको मूतते हूँए देखता रहा वो थोड़ी देर बाद आई और मेरे पास ही लेट गयी 

वो- दिलवाले तुम सच में क्या गजब चोदते हो मेरा तो अंग अंग हिला दिया रे कहाँ से सीखा 

मैं अब उसको क्या सिखाता की हमे तो चूत मारनी भी दुश्मनो ने सिखाई थी दिलवाले तो बस नाम के थे बाकी दिल तो साला था ही नहीं वो अजय देवगन ने कहा था ना 

"हमे तो अपनों ने लूटा गैरो में कहाँ दम था,मेरी कश्ती थी डूबी वहाँ जहा पानी कम था"

मैं भी ये क्या सोचने लगा था हूँस्न का प्याला मेरे सामने था आज बस मुझे इस जाम को पीना था तब तक पीना था जब तक इस नशे में मैं डूब नहीं जाता

कुछ देर वो लेटी रही फिर उसने पास पड़ी चादर लपेटी और बोली-मैं पानी पिने जा रही हूँ तुम्हारे लिए कुछ लाऊँ क्या 

मैं-मुझे तो बस तुम्हारे हूँस्न का जाम पीना है 

वो- हाँ पर पहले पानी तो पी लू 

हम दोनों निचे किचन में आ गए उसने फ्रिज खोला और पानी की बोतल निकली वो पानी पिने लगी साँसे तेज थी कुछ बूंदे उसकी छातियो पे छलक आई जिन्हें मैंने चाट लिया मेरी खुरदरी जीभ उसकी निप्पल से रगड़ खाने लगी एक बार फिर से उसके लबो से कामुक आहे फूटने लगी वो फिर से मस्ताने लगी

पर्वतो की चोटियो की तरह उसके निप्प्ल्स तन चुके थे 1 इंच के लगभग उनमे तनाव आ गया था मैं बारी बारी से उन खरबूज़ों का मजा ले रहा था कृष्णा का हाथ मेरे लण्ड पे पहूँच चूका था और वो पूरी शिद्दत से उसे तैयार कर रही थी 

पर अभी उसके इरादे कुछ और ही थे उसने मुझे धक्का दिया और फ्रिज में से आइसक्रीम का बॉक्स निकाल लिया और मेरे बदन पे रगड़ने लगी पुरे चेहरे पर, चेस्ट पर और फिर लण्ड और गोलियों पे अब वो उस पिघलती आइसक्रीम को चाटने लगी पर उस से ज्यादा वो मेरे शारीर पे अपने दांतो के निशाँ छोड़ रही थी 

अब वो मेरे होंठो तक आ गयी थी और हम किस करने लगे होंठो से होंठ मिले तो मैंने अपनी और खींच लिया उसको और उसके चूतड़ो को दबाते हूँए बेरहमी से उसके होंठो का मर्दन करने लगा उसके चूतड़ कितने नरम थे मैंने सोचा जब इसकी गांड का दरवाजा खोलूंगा तो कितना सुकून मिलेगा 

दस मिनट तक हम बस चूमा चाटी करते रहे फिर वो फर्श पे बैठ गयी और मेरे लण्ड पर अपने मुह का जादू चलाने लगी आइसक्रीम से सने सुपाड़े को जब उसने अपनी लपलपाती जीभ से चाटना शुरू किया तो मेरा पूरा बदन झनझना गया लगा की कही मैं इस मस्ती में बह ना जाऊ 

मेरे पेशाब वाले छेद में उसकी वो अपनी जीभ घुसाने वाली कोशिश ने तो मेरे तन में आग ही लगा दी थी मैंने अपने हाथ उसके सर पे रखे और अपने लण्ड को उसके मुह में अंदर और अंदर देने लगा वो भी मेरी मनोदशा समझ रही थी और पूरी शिद्दत से लण्ड चूस रही थी 

पर उसके मुह में ही झड़ जाना भी तो ठीक नहीं था तो मैंने उसे हटाया और बस अब जगह बदल गयी थी अब वो खड़ी थी और मैं बैठा हूँआ था , मैंने उसे फ्रिज के दरवाजे से सता के ऐसे खड़ा किया की उसकी उभरी हूँई चौड़ी गांड मेरी तरफ थी 

मेरा तो दिल आ गया था उसकी गांड पे मैंने ढेर सारी आइसक्रीम लगाई उसकी चूत से लेके गांड के छेद तक पूरी दरार को भर दिया अब बारी थी उस को तड़पाने की कृष्णा को अब इतना गर्म करदेना था की वो ऐसे पिघले मेरी बाहों में की आज के बाद हर पल उसकी चूत बस मेरे लण्ड को ही मांगे

मैंने उसके चूतड़ो को खाना चालू किया कितने मुलायम थे वो जी चाहा की बस ऐसे ही कृष्णा को अपनी बाहों में लिए रहूँ अब मैंने अपना मुह उसकी गांड की दरार में दे दिया और उसने उसी पल अपनी गांड को पीछे की तरफ उभार लिया चूत पे लगी आइसक्रीम में चूत से रिसत्ता नमकीन पानी मिल रहा था तो उसका स्वाद और बढ़िया हो गया था 


जी भर के उसकी चूत को चूसा मैंने अब मैं उसकी गांड की तरफ बढ़ा गोरे गोरे कुल्हो के बीच वो भूरे रंग का छेद क्या खूब लग रहा था उत्तेजना से वहिभुत मैं उसको भी चाटने लगा तो कृष्णा बस तड़प उठी उसके बदन में शोले भड़कने लगे उसकी चूत चीख़ चीख के बस लण्ड को पुकारने लगी थी 


जितना मैं अपनी जीभ वहा रगड़ता उसके चूतड़ उतनी ही बुरी तरह स हिल रहे थे इधर मेरा लण्ड खुद बुरी तरह से ऐंठ रहा था अब बस जरूरत थी तो चुदाई की मैं उठा और उसके बदन से चिपक गया उसने अपनी टांगो को खोला और अपनी गांड को पीछे कर लिया मैंने अपने लण्ड को सही जगह पे लगाया 


और कृष्णा की चूत में उतरने लगा एक बार जो पूरा अंदर गया तो उसने खड़े खड़े ही अपनी टांगो को आपस में भींच लिया और मैंने उसको चोदना शुरू किया दोनों के गर्म बदन पूरी ताकत से एक दूसरे से टकरा रही थी बार बार चूत की फांके खुलती बन्द होती धाड़ धाड़ मेरा लण्ड चूत में अंदर बहार हो रहा था 


अब उसको चोदते चोदते मैं अब उसके कबूतरो को भींचने लगा कृष्णा की हालत पतली पड़ी थी बस वो सुलग रही थी मेरी बाहों में मैं उसके कंधो को चूमते हूँए उसे चोद रहा था कुछ देर बाद हम वहां से हटे , और वो मेरी गोद में चढ़ गयी वैसे तो थोड़ी भारी थी पर वो लण्ड ही क्या जो चूत का बोझ न उठा सके उसकी गांड को संभाले उसे अपने लण्ड पे कुदाने लगा मैं


मजा ही मजा बरस रहा था हम दोनों पागल हो चुके थे उसके बाल बिखर गए थे पसीने से लथपथ शरीर मस्ती में चूर वो गोदी से उतरी और डायनिंग टेबल पे लेट गयी मैं उसके ऊपर चढ़ा और अब धुआंदार चुदाई शुरु की चूत में धक्के पे धक्के लग रहे थे वो मुझे बेतहाशा चूम रही थी 

बहूँत देर तक बस हम एक दूसरे के स्टैमिना को तौलते रहे साँसे फूल गयी थी पर मंजिल पर पहुँचने की जिद थी तो लगे रहे करीब आधे घंटे तक हम दोनों चुदाई करते रहे कृष्णा के बदन का पुर्जा पुर्जा हिल गया था मैं भी अब किसी भी पल झड़ सकता था वीर्य नसों से होते हूँए अब बाहर निकलने को चल पड़ा था 


और तभी उसके हाथ पाँव ढीले पड़ गए और बस उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया हम दोनों साथ साथ झड़ने लगे बहूँत ही सुख मिला बदन जैसे महक उठा था आज इस स्खलन में बहूँत मजा आया था अब किसे होश था किसे खबर थी बस वो थी मैं था और तभी उसके हाथ पाँव ढीले पड़ गए और बस उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया हम दोनों साथ साथ झड़ने लगे बहूँत ही सुख मिला बदन जैसे महक उठा था आज इस स्खलन में बहूँत मजा आया था अब किसे होश था किसे खबर थी बस वो थी मैं था 


मैंने कृष्णा को अपनी गोद में उठाया और फिर से हम टैरेस पे आ गए थे बारिश रुकने की जगह और तेज हो गयी थी हम दोनों गद्दे पे लेट गए कृष्णा मुझसे लिपटी पड़ी थी थकन से चूर 

मेरा एक हाथ उसके नितम्बो पे था मैं उसकी गांड के छेद को सहला रहा था वैसे मैं भी थोडा थक रहा था पर दिल बेईमान कहाँ किसी की मानता है

मेरा मन कर रहा था की लगे हाथ इसकी गांड भी पेल दू वो थोडा और मेरे से चिपक गयी पर तभी मेरा फोन बजा और मैं थोडा दूर जाके वो फ़ोन सुना दिमाग में टेंशन सी हो गयी थी मैंने कृष्णा को समझाया की अर्जेंट जाना पड़ेगा

इधर मुझे जाना था पर इस घर को अकेला भी नहीं छोड़ सकता था तो मैंने एक फ़ोन और किया अपनी पूरी तसल्ली की और फिर बस्ती की तरफ चल पड़ा

वहां जाके देखा तो कलेजा मुह को आ गया भीड़ जमा थी मुझे देखते ही कुछ लोगो ने रास्ता छोड़ा तो मैं आगे को बढ़ा उस सब्ज़ी वाले बाबा की लाश पड़ी थी

आँख से आंसू निकल पड़े इस पराये शहर में वो भी अपना सा ही था और उसे किसने मारा ये भी मैं जान चूका था आज मेरे किसी अपने पे वार हूँआ था

तो मुझे दर्द होना ही था बरसात जोरो से हो रही थी अब अंतिम संस्कार तो दिन में ही होना था बाकी बचा समय मैं बस्ती में ही रहा 

बाबा का अंतिम संस्कार में थोडा टाइम लग गया और मैं दोपहर बाद ही सेठ के घर जा पाया सब लोग अपने अपने कमरे में थे

तब मुझे ध्यान आया की माधुरी को वादा किया था की उसके साथ कॉलेज जाऊंगा पर फिर सोचा कल चला जाऊंगा पर उस से पहले मुझे एक काम और करना था

मुझे इस घर के प्रत्येक सदस्य की सुरक्षा पक्की करनी थी क्योंकि पिस्ता की नजरो में नहीं गिरना चाहता था बिना घर वालो के जाने उनकी सुरक्षा का खाका खींचा 


अब तक तो मैंने ही गाज़ी पे वार किया था और उसके पहले ही वार से मैं तिलमिला गया था पर अभी सही समय नहीं आया था उस से भिड़ने का 
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 544,490 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,232,102 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 931,777 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,654,181 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,081,219 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,951,832 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,058,211 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,032,804 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 284,926 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Incest Kahani पापा की दुलारी जवान बेटियाँ sexstories 231 6,341,369 10-14-2023, 03:46 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 34 Guest(s)