01-01-2019, 12:33 PM,
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RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--86
गतान्क से आगे.................
कुछ भी करने और कहने का मोका नही मिला रोहित को. पेड़ का तना झट से काट दिया साइको ने और तने के कट-ते ही खौफनाक खाई ने खींच लिया रोहित और शालिनी को. गिरते हुए रोहित चिल्लाया, "हम मर रहे हैं पर तुझे तेरे पापो की सज़ा ज़रूर मिलेगी कामीने."
"मेरा बदला पूरा हुआ. तुम दोनो को भयानक मगर सुंदर मौत दी और मेरी आर्ट का हिस्सा भी बन गये तुम दोनो हिहिहिहीही अब पद्मिनी की बारी है. उसका तो मास्टर पीस बनाउन्गा मैं. वैसे तुम दोनो की ये मौत भी मास्टर पीस से कम नही है हहेहहे."
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पद्मिनी गहरी नींद से चिल्ला कर उठी, "रोहित...."
आवाज़ बाहर जीप में बैठे राज शर्मा को भी सुनाई दी. वो दरवाजे की तरफ भागा. और उसने घर की बेल बजाई. घर में काम वाली बाई रुकी हुई थी. उसने दरवाजा खोला.
"क्या हुआ, पद्मिनी जी क्यों चिल्लाई."
"मुझे नही पता. मैं भी उनकी आवाज़ सुन कर अभी उठी."
राज शर्मा पद्मिनी के कमरे की तरफ दौड़ा. सीढ़ियाँ चढ़ कर वो उपर आया और पद्मिनी के रूम के दरवाजे को पीटने लगा, "पद्मिनी जी क्या हुआ, दरवाजा खोलिए."
पद्मिनी काँपते कदमो से उठी बिस्तर से और दरवाजा खोला. वो बहुत डरी हुई लग रही थी.
"क्या हुआ पद्मिनी जी आप क्यों चिल्लाई थी."
"मैने बहुत भयानक सपना देखा राज शर्मा, मुझे बहुत डर लग रहा है."
"ओह...सपना ही तो था. इसमे डरने की क्या बात है. वैसे क्या देखा आपने सपने में."
"मैने देखा की पोलीस स्टेशन में ही साइको ने रोहित की गर्दन....नही बोल सकती मैं..."
"कोई बात नही मैं समझ गया. आप घबराओ मत. लगता है रोहित सर आपके अच्छे दोस्त थे कॉलेज में."
"हां बहुत अच्छे दोस्त थे हम. मैं रोहित से बात करना चाहती हूँ. क्या उसका नंबर है तुम्हारे पास."
"नंबर तो है पर इस वक्त रात के 2 बजे हैं और शायद वो सो रहे होंगे."
"मुझे नंबर दो प्लीज़ मुझे अभी बात करनी है रोहित से."
"क्या आप प्यार करती हैं रोहित सर से." राज शर्मा ने दर्द भारी आवाज़ में कहा.
"ओह कम ऑन, नंबर दो प्लीज़. हम अच्छे दोस्त थे बस कितनी बार कहूँ और तुम्हे क्या हक़ है ये सवाल करने का, खुद तो 10-10 लड़कियों से संबंध रखते हो और मुझसे ऐसा सवाल करते हो."
राज शर्मा ने नंबर दे दिया पद्मिनी को. पद्मिनी ने तुरंत नंबर मिलाया.
"हेलो रोहित, थॅंक गॉड तुमने फोन उठाया."
"ओह तो ये फोन किसी रोहित का है."
"कौन हो तुम?" पद्मिनी ने पूछा.
"मुझे ये फोन सड़क किनारे पड़ा मिला. मैने उठा लिया. सोच रहा था कि सुबह पोलीस स्टेशन जमा कर दूँगा. आप अपना अड्रेस दे दो मैं फोन आपके अड्रेस पर दे दूँगा."
पद्मिनी ने फोन काट दिया.
"क्या हुआ पद्मिनी जी."
"फोन किसी आदमी के पास था. कह रहा था कि उसे वो सड़क किनारे मिला. मुझे तो रोहित की चिंता हो रही है...कही सच में तो साइको ने उसे...."
राज शर्मा ने अपने फोन से फोन मिलाया रोहित का और उस आदमी को पद्मिनी के घर का अड्रेस दे दिया.
"है तो बहुत अजीब बात. पर हो सकता है की रोहित सर का फोन ग़लती से सड़क पर गिर गया हो."
"राज शर्मा, पहले वो सपना अब ये रोहित का फोन सड़क पर मिलना, मुझे किसी अनहोनी का अंदेसा हो रहा है."
"आप घबराओ मत, सो जाओ आराम से. ये सब इत्तेफ़ाक है"
"नही मेरा दिल घबरा रहा है, कुछ ना कुछ गड़बड़ ज़रूर है."
"मैं ए एस पी साहिबा को फोन मिलाता हूँ. शायद उन्हे कुछ पता हो." राज शर्मा ने शालिनी का फोन मिलाया.
"हेलो मेडम मैं राज शर्मा बोल रहा हूँ."
"हिहिहिहीही बोलते रहो बेटा वो तो मेरी आर्ट का हिस्सा बन चुकी है हाहहहाहा अब पद्मिनी की बारी है. तू घर पर है ना उसके. उसे समझा कि आँखो में ख़ौफ़ भर ले अब उसका नंबर आ गया है. बहुत इंतेज़ार कर लिया मैने."
राज शर्मा को बहुत गुस्सा आ रहा था मगर पद्मिनी के कारण चुप रहा.
"ओह थॅंक यू मेडम, ठीक है रोहित सर का फोन नही मिल रहा था इसलिए ट्राइ किया."
"अबे उल्लू के पत्थे रोहित भी टपका दिया शालिनी के साथ, और ये अजीब बातें क्यों कर रहा है मेरी बात समझ नही आ रही क्या तुझे हिहिहीही."
"ओके गुड नाइट मेडम." राज शर्मा ने भारी मन से कहा. उसकी आँखे नम हो गयी थी रोहित और शालिनी के बारे में सुन कर.
राज शर्मा ने फोन काट दिया.
"क्या हुआ तुम्हारी आँखे नम क्यों हैं." पद्मिनी ने पूछा.
राज शर्मा पद्मिनी को सब कुछ बता कर डराना नही चाहता था. "कुछ नही मेडम ने आज पहली बार प्यार से बात की."
"तुम्हारा उसके उपर भी दिल है क्या, निकल जाओ अभी मेरे घर से. पता नही कैसा प्यार है तुम्हारा."
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"खो...खो...आअहह" खाँसते हुए उठा वो. मुँह से मानो खून की नादिया बह रही थी उसके. आँखे खोली उसने. हल्की सी रोशनी देखाई दी उसे.
"लगता है सुबह हो गयी है" उसने मन ही मन सोचा और अचानक वो बेचैन हो गया और बड़बड़ाया,"मेडम कहाँ है."
रोहित ने उठने की कोशिस की पर वो उठ नही पाया.
"खो...खो...आअहह...रोहित"
"मेडम.... आप कहाँ हो"
"तुम्हारे सर के बिल्कुल उपर. उठो रोहित और मुझे मार दो प्लीज़ आहह."
"ये..ये आप क्या कह रही हैं...प्लीज़ ये सब मत बोलिए. मुझे माफ़ कर दीजिए कुछ नही कर पाया मैं आपके लिए."
"तो अब कर दो, मुझे मार दो प्लीज़." शालिनी गिड़गिडाई.
रोहित के मन में खाई में गिरने का पूरा नज़ारा घूम गया. उपर से गिरने के बाद वो दोनो तीन बार अलग अलग पेड़ में अटके. इस कारण वो सीधा नीचे गिरने से बच गये मगर अब उनको अपना बचना भी कष्टदायी लग रहा था.
रोहित ने पूरा ज़ोर लगा कर हल्की सी अपनी गर्दन उठाई. अपने शरीर को देख कर काँप गया वो. उसके घुटने बुरी तरह छिल गये थे और उनमे से खून बहे जा रहा था. कुछ ऐसा ही हाल था लगभग शरीर के हर अंग का. रोहित ने पूरी कोशिस की उठने की मगर उठ नही पाया. किसी तरह से उसने करवट ली और सर को उठा कर शालिनी की तरफ देखा. रो पड़ा वो शालिनी को देख कर. पेट में एक लकड़ी घुसी हुई थी शालिनी के और वो दर्द से छट पटा रही थी. अब रोहित को समझ में आया की वो क्यों उसे उसको मारने को बोल रही थी.
रोहित आँखो में आँसू लिए ज़मीन पर खुद को घसीट-ता हुआ शालिनी की ओर बढ़ा और उसके पास आ कर बोला, "माफ़ कर दीजिए मुझे मेडम, कुछ नही कर पाया मैं आपके लिए."
"र..रोहित मैं सह नही पा रही हूँ. प्लीज़ मुझे मार दो."
"नही कर पाउन्गा ये पाप, प्लीज़ ये सब करने को ना बोलिए."
"तुम समझ नही रहे हो मैं तड़प रही हूँ कब से पर ये जान पता नही क्यों नही जा रही...." रोने लगी शालिनी ये बोल कर.
"हे भगवान मेरी मदद कर." रोहित ने कहा और पूरा ज़ोर लगा कर उठने की कोशिस की.
उठते वक्त उसे ऐसा लगा जैसे की उसका घुटना बाहर आ जाएगा. मगर शालिनी की हालत देख कर उसमे कुछ करने का जोश आ गया था और वो किसी तरह से उठ गया.
"मेडम आपको हॉस्पिटल ले जाउन्गा मैं. आप मरने की बाते मत करो प्लीज़." रोहित बोल कर लड़खड़ा कर फिर से गिर गया.
"कैसे ले जाओगे रोहित. तुम खुद को नही संभाल पा रहे हो. मुझे मार कर निकल जाओ यहा से, प्लीज़."
"आपके साथ ही मारना पसंद करूँगा मैं यहा से अकेले जाने की बजाए."
"तुम पागल हो गये हो. अच्छा मत मारो मुझे मगर यहा से निकल जाओ तुम. मैं कुछ ही पल की मेहमान हूँ लगता है. मेरे उपर वक्त बर्बाद मत करो...जाओ."
"आपको छोड़ कर कही नही जा रहा मैं." रोहित फिर से हिम्मत करके खड़ा हो गया.
"इट्स आन ऑर्डर रोहित चले जाओ."
"जाउन्गा तो आपको साथ लेकर ही जाउन्गा. आपके किसी ऑर्डर को नही मानूँगा आज."
रोहित ने बड़ी मुस्किल से उठाया शालिमि को और उसे गोदी में लेकर वाहा से चल दिया लड़खड़ाते हुए कदमो से.
"ये लकड़ी तो खींच लो बाहर कम से कम." शालिनी गिड़गिडाई.
"नही इसे अभी निकाला तो आपकी जान को ख़तरा बढ़ जाएगा."
"रोहित खाई में हैं हम. कैसे निकलेंगे यहाँ से. मुझे उठा कर कैसे चढ़ोगे पहाड़ पर. मेरी बात मानो तुम निकल जाओ यहा से और जींदा मत छोड़ना साइको को. गोली मारना उसके सर में." शालिनी ने कहा.
"आप मारेंगी उसे गोली और आप चुप रहो बस.. जैसे भी हो मैं आपको ले चलूँगा हॉस्पिटल."
रोहित हिम्मत करके गोदी में उठा कर चल तो रहा था शालिनी को मगर जल्द ही उसे ये अहसास हो गया कि वो हारी हुई बाजी खेल रहा है. खाई के चारो तरफ पहाड़ियाँ बहुत स्टीप थी. उनपर शालिनी को गोदी में लेकर चढ़ना नामुमकिन था. उसकी गोदी में शालिनी दर्द से छटपटा रही थी और उसे शालिनी की मौत नज़दीक नज़र आ रही थी. इतना निराश हो गया रोहित कि रो पड़ा फिर से.
"मैं क्या करूँ भगवान कोई तो रास्ता दिखाओ, मैं कैसे और कहा से लेकर जाउ मेडम को हॉस्पिटल."
शालिनी ने आँखे खोल कर रोहित की ओर देखा. वो भी रो पड़ी, रोक नही पाई खुद को. उसने रोहित के गाल पर हाथ रखा और बोली, "रोहित एक ही रास्ता है जिसे तुम देख कर भी इग्नोर कर रहे हो. क्यों ढो रहे हो मुझे. मरने ही वाली हूँ मैं. तुम बेवजह अपना वक्त बर्बाद कर रहे हो. क्या अपनी मेडम की बात नही मानोगे, प्लीज़ छोड़ दो मुझे मेरे हाल पर और यहाँ से निकल जाओ. तुम्हे भी मेडिकल अटेन्षन की ज़रूरत है. जाओ तुम्हे उस साइको को गोली मारनी है अभी. मैं बॉस हूँ तुम्हारी मेरी बात मान-नी पड़ेगी तुम्हे."
"शट अप, बकवास बंद करो अपनी. आई मेरी बॉस. बॉस हो तो क्या कुछ भी बोलॉगी. तुम्हारे बिना जंगल से नही जाउन्गा मैं. तुम्हे कुछ हो गया तो खुद को कभी माफ़ नही कर पाउन्गा. चुप रहो बिल्कुल, एक शब्द भी निकाला मुँह से तो थप्पड़ पड़ेगा अब. आई बड़ी बॉस हुह."
"बॉस को डाँट रहे हो, आप से तुम पर आ गये, और थप्पड़ क्यों मारोगे तुम, अपनी हद में रहो आअहह." शालिनी दर्द से कराह उठी.
"दुबारा बेहूदा बात की मुझसे तो थप्पड़ ज़रूर पड़ेगा. क्या समझती हो खुद को तुम. हर वक्त तुम्हारी ही बात मानी जाएगी क्या."
"रोहित प्लीज़, मैं तुम्हारे लिए बोल रही हूँ. कोई रास्ता नही है यहा से निकलने का. मुझे उठा कर तो कभी नही निकल पाओगे. मेरी बात मान लो छोड़ दो मुझे यही."
"मैने कहा ना अकेले यहा से नही जाउन्गा मैं. यहा से हम साथ जाएँगे. नही जा पाए तो साथ मरेंगे यही."
"कौन हूँ मैं तुम्हारी जो ऐसी बाते कर रहे हो?"
"इंसानियत का रिस्ता है आपसे. इतना काफ़ी है आपसे ऐसी बाते करने के लिए."
"कोई भी रास्ता नही है रोहित, समझते क्यों नही तुम आआहह."
"कहते हैं कि जहाँ चाह, वहाँ राह. कोई ना कोई रास्ता ज़रूर मिलेगा हमें. वैसे साइको ने आपको कैसे किडनॅप कर लिया."
क्रमशः.........................
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RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--87
गतान्क से आगे.................
कुछ भी करने और कहने का मन नही था
"थाने से आकर रोज जिम जाती हूँ मैं. कल अकेली ही निकल गयी अपनी कार लेकर. जिम ख़तम करके अपनी कार की और जा रही थी. साइको ने पीछे से अचानक दबोच लिया और कुछ सूँघा दिया मुझे. सुनसान था पार्किंग एरिया शायद किसी ने ये सब नही देखा. आँख खुली तो खुद को पेड़ से टँगे पाया. साइको ने मुझे अपनी सारी गेम बता दी थी. मेरे सामने ही उसने तुमसे फोन पर बात की. मुझे लग रहा था कि तुम नही आओगे मौत के मुँह में. पर तुम आ गये."
"आता क्यों नही. आप मेरी बॉस हो."
"मैं फिर से बॉस बन गयी और आप भी बन गयी हरे आआहह."
"आप कम बोलो तो अच्छा है. मुझ पर विस्वास रखो मैं कोई ना कोई रास्ता ढूंड लूँगा."
"साइको अपने विक्टिम्स की मौत की पैंटिंग बनाता है रोहित. सब इंतज़ाम कर रखा था उसने वहाँ उपर. लाइट का भी इंतज़ाम कर रखा था. ये साइको बहुत शातिर है रोहित."
"रहने दो शातिर उसे. अब बचेगा नही वो ज़्यादा दिन. उसके पाप का घड़ा भर चुका है. अब मुझे सबसे ज़्यादा कर्नल देवेंदर सिंग पर शक हो रहा है. उसे पैंटिंग का शौक है और उसके घर मैने बहुत अज़ीब पैंटिंग देखी थी. वैसी पैंटिंग कोई साइको ही बना सकता है."
"छोड़ना मत इस साइको को रोहित. तडपा-तडपा कर मारना उसे."
"आप खुद देखेंगी उसे मरते हुए, फिर से निराशा भरी बाते मत करो वरना अब सच में थप्पड़ लगेगा."
"सॉरी रोहित." शालिनी ने मासूमियत भरे लहज़े में कहा.
"हाहहाहा मेरी बॉस ने मुझे सॉरी कहा हरे."
"देख लूँगी बाद में तुम्हे, एक बार हॉस्पिटल पहुँचने दो मुझे."
"देख लेना जी भरके हॉस्पिटल तो आप हर हाल में पहुँचेगी."
रोहित दिल में उम्मीद की किरण लिए शालिनी को गोद में लेकर आगे बढ़ता रहा. शालिनी ने अपनी आँखे बंद कर ली थी और खुद को किस्मत के सहारे छोड़ दिया था.
“क्या आप सो गयी” रोहित ने पूछा.
“सर चकरा रहा है, बस यू ही आँखे बंद कर रखी हैं. शरीर में इतना दर्द हो तो कोई कैसे सो सकता है.”
“हां ये भी है. मेरा भी अंग-अंग दुख रहा है. रात को नीचे गिरने के बाद तो हम शायद बेहोश हो गये थे. मेरी तो सुबह ही आँख खुली.”
“मेरी भी सुबह ही खुली. और आँख खुलते ही इतना दर्द महसूस हुआ कि यही लगा की काश आँख कभी ना खुलती.”
“बस अब चुप ही रहें आप. कोई ना कोई रास्ता ज़रूर मिलेगा.”
कोई एक घंटे तक रोहित शालिनी को उठाए आगे बढ़ता रहा. धीरे धीरे चल पा रहा था वो क्योंकि उसके पाँव खुद बुरी तरह से घायल थे. अचानक उसे दूर एक भेड़ चरती हुई देखाई दी.
“ये तो पालतू भेड़ लगती है. ज़रूर पूरा झुंड होगा आस-पास और साथ में चरवाहा भी होगा.” रोहित ने मन ही मन सोचा और तेज़ी से उस भेड़ की तरफ बढ़ा.
उसका अंदाज़ा सही था. जब वो कुछ आगे बढ़ा तो उसे पूरा झुंड देखाई दिया. मगर उसे कोई चरवाहा नही दिखा.
“हे किसकी भेड़ हैं ये.” रोहित चिल्लाया.
रोहित की आवाज़ सुन कर शालिनी चोंक गयी और आँखे खोल कर सर घुमा कर देखने लगी. “अगर यहाँ भेड़ हैं तो कोई रास्ता ज़रूर होगा.” शालिनी ने कहा.
“वही मैं भी सोच रहा हूँ. चरवाहा मिलेगा तभी बात बनेगी.” रोहित ने फिर से आवाज़ लगाई.
एक 14-15 साल का लड़का भाग कर आया रोहित के पास.
“हमें तुरंत हॉस्पिटल पहुँचना है. जल्दी से सड़क तक जाने का रास्ता बताओ.” रोहित ने पूछा.
“हे भगवान क्या हुआ इन्हे….” लड़के ने शालिनी को देख कर कहा.
“जल्दी से रास्ता बताओ, हमारे पास ज़्यादा वक्त नही है.
“पर मैं अपने भेड़ को छोड़ कर कही नही जा सकता. मालिक से डाँट पड़ेगी.”
“तुम्हारे मालिक को मैं देख लूँगा, फिलहाल रास्ता बताओ इनका वक्त पर हॉस्पिटल पहुँचना ज़रूरी है.” रोहित ने कहा
वो लड़का रोहित के आगे आगे चल दिया. कहीं कही थोड़ी चढ़ाई भी थी. बहुत मुस्किल हुई रोहित को चढ़ने में. मगर धीरे-धीरे वो चढ़ ही गया. मगर एक जगह उसका पाँव फिसल गया. शालिनी के पेट में गाड़ी लकड़ी रोहित की गर्दन से टकराई. शालिनी कराह उठी. “आअहह.”
“सॉरी मेडम, पाँव फिसल गया था थोड़ा सा.”
“कोई बात नही, इतना कुछ कर रहे हो तुम मेरे लिए, तुम्हारे कारण भी थोड़ा दर्द सह ही सकती हूँ.” शालिनी ने मुस्कुराते हुए कहा.
“मुझे पता है बाद में इस सब की सज़ा मिलने वाली है मुझे…” रोहित ने हंसते हुए कहा.
“हां वो तो मिलनी ही है…” शालिनी भी हंसते हुए बोली.
धीरे धीरे एक घंटे में वो लड़का रोहित को सड़क के किनारे ले आया. सड़क को दूर से देखते ही रोहित की आँखे चमक उठी.
“थॅंक यू, क्या नाम है तुम्हारा.” रोहित ने कहा.
“कृष्णा”
“तुम सच में हमारे लिए कृष्णा ही हो. बाद में मिलूँगा तुम्हे आकर. कहाँ मिलोगे तुम.”
“मैं यही भेड़ चराता हूँ रोज” उसने अपना अड्रेस भी बता दिया
“ठीक है जाओ तुम” रोहित ने उसे भेज दिया.
रोहित शालिनी को लेकर सड़क किनारे आ गया. उसने शालिनी को धीरे से ज़मीन पर लेटा दिया, “मैं किसी कार को रोकता हूँ.”
रोहित को कोई 5 मिनिट बाद एक कार आती दिखाई दी वो उसे रोकने के लिए बीच सड़क में आ गया और उसे रुकने पर मजबूर कर दिया.
“क्या प्राब्लम है तुम्हारी.” कार चालक चिल्लाया.
“देखो मुझे लिफ्ट चाहिए एमर्जेन्सी है. मुझे हॉस्पिटल पहुँचना है जल्द से जल्द.”
“दारू पीकर गिर गये थे क्या कही. क्या हालत बना रखी है. आओ बैठ जाओ.”
“रूको थोड़ी देर.” रोहित ने कहा और शालिनी की ओर चल दिया.
रोहित शालिनी को उठा लाया.
“क्या हुआ इनको?”
“लंबी कहानी है…तुम प्लीज़ जल्दी चलाओ.” रोहित शालिनी को लेकर पीछे बैठ गया.
“मेडम…मेडम” रोहित ने कहा.
पर शालिनी ने कोई रेस्पॉन्स नही दिया. “लगता है बेहोश हो गयी हैं. खून बहुत बह गया है. बेहोश होना लाज़मी है.”
40 मिनिट में देहरादून पहुँच गये वो और कार वाले ने एक प्राइवेट हॉस्पिटल के सामने कार रोक दी.
“ये अच्छा हॉस्पिटल है. ले जाओ इनको. भगवान सब भली करेंगे.” कार वाले ने कहा.
रोहित ने शालिनी को उठाया और तुरंत हॉस्पिटल में घुस गया. तुरंत शालिनी को ऑपरेशन थियेटर भेज दिया गया.
“शुकर है आपने ये लकड़ी नही निकाली बाहर, वरना इनका बचना मुस्किल हो जाता.” डॉक्टर ने कहा.
रोहित को भी अड्मिट कर लिया गया. हॉस्पिटल से रोहित ने थाने फोन किया, चौहान ने फोन उठाया. रोहित ने सारी बात बताई चौहान को.
“अच्छा हुआ जो कि तुम बच गये. तुम्हे तो मैं मारूँगा अपने हाथो से.”
“सर आप मेडम के लिए प्रोटेक्षन भेजिए…और हां आपके पास राज शर्मा का नंबर हो तो मुझे दे दीजिए.” रोहित ने कहा.
चौहान ने राज शर्मा का नंबर दे दिया रोहित को. रोहित ने तुरंत राज शर्मा को फोन मिलाया.
“राज शर्मा मैं रोहित बोल रहा.”
“सर आप…वो साइको तो बोल रहा था कि उसने आपको और मेडम को…”
“उसके बोलने से क्या होता है. साले को छोड़ेंगे नही हम. मैं ठीक हूँ. मेडम की हालत नाज़ुक है. उनका ऑपरेशन चल रहा है. वहाँ सब ठीक है ना.”
“हां सर सब ठीक है…आप यहा की चिंता मत करो. आप अपना ख्याल रखो.”
राज शर्मा ने रोहित से बात करने के बाद पद्मिनी को सारी बात बताई.
“तो तुम रात झूठ बोल रहे थे हा.क्या ज़रूरत थी ऐसा करने की.” पद्मिनी ने पूछा.
“आपको और ज़्यादा परेशान नही करना चाहता था. आप पहले ही सपने के कारण डरी हुई थी.”
“मैं रोहित से मिलने जाना चाहती हूँ.”
“वैसे तो ख़तरा बहुत है इसमें पर आपकी बात नही तालूँगा. चलिए चलते हैं. मुझे भी रोहित सर और मेडम की चिंता हो रही है.”
राज शर्मा, पद्मिनी को लेकर हॉस्पिटल चल दिया. साथ में दोनो गन्मन भी थे. राज शर्मा चुपचाप ड्राइव करता रहा. पद्मिनी भी चुपचाप रही.
हॉस्पिटल पहुँच कर वो सीधा रोहित के कमरे में पहुँच गये.
रोहित उस वक्त आँखे बंद करके लेटा हुआ था.
“रोहित कैसे हो तुम?”
“ओह पद्मिनी तुम, व्हाट आ प्लेज़ेंट सर्प्राइज़. मगर तुम्हे यहा नही आना चाहिए था… …”
“सॉरी मैने तुम्हारे साथ बहुत बुरा बर्ताव किया?” पद्मिनी ने कहा.
“आप बात कीजिए मैं बाहर वेट करता हूँ.” राज शर्मा ने कहा और वहाँ से बाहर आ गया.
“कोई बात नही. शायद किस्मत में हमारा साथ नही था.” रोहित ने कहा.
“हां शायद. मगर मुझे तुम्हारी दोस्ती हमेशा याद रहेगी. आज भी जब कभी ‘पवर ऑफ नाउ’ पढ़ती हूँ तो तुम्हारी बहुत याद आती है. दोस्ती का एक अच्छा रूप देखा था हमने पर ना जाने क्यों सब बिखर गया.”
“कोई बात नही पद्मिनी. तुम किसी बात की चिंता मत करो. मैं अभी भी तुम्हारा दोस्त हूँ.”
“तुम क्या कहना चाहते थे उस दिन कॅंटीन में जब गब्बर ने आकर हमें परेशान कर दिया था.”
“अब वो सब क्यों जान-ना चाहती हो. जो था वो बिखर गया. काश तुमने मुझे मोका दिया होता.”
“चाहने लगी थी तुम्हे. प्यार करने लगी थी तुमसे. बहुत बुरा लगा था मुझे कि तुम सब कुछ एक बेट के लिए कर रहे थे.”
“जिंदगी में इंसान किसी ना किसी बहाने एक दूसरे के करीब आते हैं. हम एक बेट के सहारे दोस्त बने. प्यार हो गया था हमें अब ये तुम भी मानती हो. पर कितनी आसानी से ख़तम कर दिया तुमने इस अनकहे प्यार को. एक मोका तक नही दिया तुमने मुझे अपनी बात कहने का. खैर छोड़ो अब फ़ायडा भी क्या है इन सब बातो का.”
“जानती हूँ की कोई फ़ायडा नही है. बस तुमसे सॉरी बोलने आई थी. मैने तुम्हारा पक्ष जान-ने की कोशिस ही नही की. गब्बर ने भी मुझे खूब भड़काया. मुझे माफ़ कर देना. मेरे दोस्त रहना हमेशा हो सके तो.”
“पता है एक लड़की मुझे बहुत प्यार करती है. उसने मुझे बोल दिया है पर मुझे समझ नही आ रहा कि क्या करूँ. मुझे वो बहुत अच्छी लगती है. पर अभी डिसाइड नही कर पा रहा हूँ. उपर से उसके भाई ने हमारा मिलना जुलना बंद कर दिया है.”
“अगर प्यार करते हो उसे तो बोल दो जाकर. उसके प्यार को इग्नोर मत करो.”
“हां सोचूँगा इस बारे में. इस साइको के केस में उलझा रहता हूँ दिन रात. वक्त ही नही मिलता कुछ सोचने का. अच्छा एक बात बताओ. क्या तुम सच में साइको के चेहरे को भूल गयी हो.”
क्रमशः........................
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RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--88
गतान्क से आगे.................
“हां रोहित मुझे सच में अब कुछ याद नही है. धीरे धीरे उसके चेहरे की छवि गायब हो गयी ज़हन से.”
“कोई बात नही ऐसा ही होता है हमारी मेमोरी के साथ. एक ही बार तो देखा था तुमने उसे.”
“ठीक है रोहित मैं चलती हूँ…अपना ख्याल रखना.”
“बहुत अच्छा लगा पद्मिनी जो कि तुम आई. अब सारे घाव भर जाएँगे.”
“टेक केर, बाइ.” पद्मिनी मुस्कुरा कर बोली और कमरे से बाहर आ गयी.
पद्मिनी के जाने के बाद राज शर्मा अंदर आया. “राज शर्मा अगर तुम्हे पद्मिनी के घर से हटा कर दूसरा काम दूं तो क्या कर पाओगे.”
“आप हुकुम कीजिए सर.”
“मेरे तकिये के पास से मेरा पर्स उठाओ. उसमे एक काग़ज़ का टुकड़ा है. उस पर किसी संजय नाम के व्यक्ति का अड्रेस है. संजय के सिमरन के साथ संबंध हैं जो की इसीसी बॅंक में काम करती है. सिमरन के पास ब्लॅक स्कॉर्पियो है. साइको भी ब्लॅक स्कॉर्पियो में घूमता है. सिमरन की ब्लॅक स्कॉर्पियो संजय के पास थी कल. तुम उसके घर जा कर उसकी इंक्वाइरी करो. कल रात वो कहाँ था ज़रूर पूछना उस से. पद्मिनी के घर मैं किसी और की ड्यूटी लगा देता हूँ. तुम अपना ये काम करके मुझे रिपोर्ट दे कर वापिस पद्मिनी के घर चले जाना.”
“राइट सर एइज यू विस. पर सर क्या मैं पहले पद्मिनी जी को घर छोड़ आउ सुरक्षित.”
“हां ऐसा कर्लो. मैं दूसरे को घर ही भेज दूँगा.” रोहित ने कहा.
“ओह ,मैं भूल गया, सर ये लीजिए आपका फोन. एक आदमी पद्मिनी जी के घर पकड़ा गया था मुझे.”
“अच्छा हुआ जो कि फोन ले आए. कोई भी बात हो तो तुरंत मुझे फोन करना. साथ में 4-5 कॉन्स्टेबल्स ले जाओ. अच्छे से पूछ ताछ करना.”
“ओके सर.” राज शर्मा ने पर्स से वो काग़ज़ निकाला और अड्रेस देख कर बोला, “अरे ये तो मोनिका जी का घर है. इसका मतलब मोनिका संजय की बीवी है.”
“कौन मोनिका?” रोहित ने पूछा.
“मोनिका का सुरिंदर के साथ संबंध था सर. वो उस रात सुरिंदर के ही साथ थी जिस रात उसने पोलीस स्टेशन आकर झूठी गवाही दी थी पद्मिनी जी को फसाने के लिए.”
“ह्म्म…मोनिका सुरिंदर को जानती थी. संजय मोनिका का पति है. संजय ब्लॅक स्कॉर्पियो लेकर घूम रहा है. क्या सुरिंदर ने झुटि गवाही मोनिका के कहने पे दी थी?. ये सब इत्तेफ़ाक है या फिर बेवजह की हमारा टाइम कराब करने की साजिश.” रोहित ने कहा.
“सर मोनिका से मिला हूँ मैं. वो कोई साजिस करने वाली वुमन नही है. शी ईज़ नाइस वुमन. फिर भी एक बार ओपन माइंड से फिर से एक बार फिर से उनसे भी पूछ ताछ कर लूँगा.”
“हां ज़रूर करो. किसी के बारे में अपनी जग्डमेंट मत बनाओ. लोग यहा पल पल में रंग बदलते हैं. वैसे तो मुझे इस वक्त सबसे ज़्यादा कर्नल देवेंदर सिंग पर शक है, मगर संजय की इंक्वाइरी ज़रूरी है. अभी कुछ भी क्लियर नही है हमें. फूँक-फूँक कर कदम रखने होंगे हमें.”
“बिल्कुल सर, अगर संजय ब्लॅक स्कॉर्पियो लेकर घूम रहा है शहर में तो उसकी इंक्वाइरी बहुत ज़रूरी है.”
“मुझे यकीन था तुम इंटेरेस्ट लोगे इस इंक्वाइरी में. इसलिए तुम्हे भेज रहा हूँ. ऑल दा बेस्ट.”
“ओके सर मैं चलता हूँ. पद्मिनी जी को घर छोड़ कर. मैं इस काम के लिए निकल जाउन्गा.”
बाहर आकर राज शर्मा ने पद्मिनी से कहा, “मेरी ड्यूटी चेंज हो गयी है. मुझे दूसरे काम पर लगा दिया है रोहित सर ने. आपको घर छोड़ कर मैं चला जाउन्गा.”
“दूसरा काम, कौन सा दूसरा काम?” पद्मिनी ने हैरानी में पूछा.
“एक ज़रूरी इंक्वाइरी है. मुझे ही करनी होगी.”
“क्या कोई और नही कर सकता ये…मैं रोहित को बोल देती हूँ.”
“रहने दीजिए….मुझे ही करनी होगी ये इंक्वाइरी. मैं खुद करना चाहता हूँ.”
“तो ये कहो ना तुम थक गये हो मेरे घर के बाहर खड़े रहकर. तुम्हारे 10-10 लड़कियों से संबंध भी तो सफ़र हो रहे हैं. जाओ जहा मर्ज़ी मुझे क्या लेना देना.”
“प्यार करते हैं आपसे कोई मज़ाक नही. और आज लग रहा है कि आप भी प्यार करती है मुझे. शाम तक लौट आउन्गा मैं वापिस. तब तक कोई और ड्यूटी करेगा मेरी जगह.”
“मुझे तुमसे कोई प्यार नही है. बस चिंता कर रही थी कि कहाँ भटकोगे बेवजह.”
“ठीक है फिर मैं शाम को भी नही आउन्गा. रोहित सर से बोल कर ड्यूटी पर्मनेंट्ली चेंज करवा लेता हूँ.”
“तो करवा लो चेंज…मेरे उपर क्या अहसान करोगे मेरे घर रह कर. तुम चाहते हो मुझे मैं नही.”
पद्मिनी गुस्से में जीप में चल दी जीप की तरफ. राज शर्मा ने तुरंत हाथ पकड़ लिया.
“हाथ छोड़ो लोग देख रहे हैं.”
“पहले आप ये बतायें कि आपको मुझसे प्यार है कि नही. अब मैं चुप नही बैठूँगा. बहुत हो लिया आपका नाटक.”
“छोड़ो पागल हो क्या. लोग देख रहे हैं. घर चल कर बात करेंगे.”
“मैं जा रहा हूँ काम से बताया ना. अभी बताना होगा आपको कि क्या है आपके दिल में मेरे लिए.”
“तुम शाम को तो आओगे ना. फिर बात करेंगे, मेरा हाथ छोड़ो प्लीज़.” पद्मिनी गिड़गिडाई.
“शायद शाम तक जिंदा ना रहू मैं, जींदगी का क्या भरोसा है. चलिए छोड़ रहा हूँ हाथ आपका. शाम को भी नही आउन्गा मैं. अपनी ड्यूटी अभी हटवा लूँगा मैं.”
पद्मिनी ने कुछ नही कहा और जीप में आकर बैठ गयी. वापसीं का सफ़र बिल्कुल शांत रहा. पद्मिनी ने तीर्चि नज़रो से कयि बार राज शर्मा की तरफ देखा. पर वो कुछ बोल नही पाई क्योंकि बहुत गुस्सा था राज शर्मा के चेहरे पर.
पद्मिनी को घर छोड़ कर जीप से उतरे बिना राज शर्मा जीप घुमा कर वापिस चला गया. पद्मिनी बस उसे देखती रह गयी.
“क्या मैं ये प्यार भी खो दूँगी…राज शर्मा प्लीज़ शाम को आ जाना वापिस.” पद्मिनी ने मन ही मन कहा और अपने घर में घुस गयी. उसकी आँखे नम थी.
पद्मिनी ने घर में घुस कर राज शर्मा का फोन मिलाया मगर रिंग जाने से पहले ही काट दिया, “उसने जाते वक्त मूड कर भी नही देखा मुझे. समझता क्या है वो खुद को.जीप घुमा कर निकल गया चुपचाप. अगर शाम को नही आया वो तो कभी बात नही करूँगी उस से.”
राज शर्मा को कयि दिनो बाद गुस्सा आया था ऐसा. बहुत तेज चला रहा था जीप. पहले वो थाने गया और रोहित के कहे अनुसार 4 कॉन्स्टेबल्स लिए साथ में और चल दिया मोनिका के घर की तरफ. 20 मिनिट में ही उसके घर पहुँच गया वो.
राज शर्मा ने दरवाजा खड़काया. दरवाजा मोनिका ने खोला, “आप…आज मैं आपको ही याद कर रही थी.”
“मुझे याद कर रही थी…क्यों भला.” राज शर्मा ने कहा. उसका मूड अभी भी ऑफ था.
“वैसे ही…अच्छे लोगो को अक्सर याद करके दिल खुश हो जाता है.”
“आपके पति का नाम संजय है?” राज शर्मा ने मोनिका की बात इग्नोर करके पूछा.
“जी हां, शायद आपको बताया था मैने पहले.”
“बताया होगा, मुझे याद नही है अभी. कहाँ हैं आपके पति” राज शर्मा ने कहा.
“बात क्या है, आप तो पूरी पोलीस फोर्स ले आए हैं घर पर मेरे. क्या जान सकती हूँ कि बात क्या है.”
“मोनिका जी…मेरा मूड बहुत खराब है अभी…प्लीज़ जल्दी से ये बतायें कि संजय कहा है?”
“वो तो देल्ही गये हुए हैं पीछले 2 दिन से. उनकी जॉब ऐसी है कि उनका घूमना फिरना लगा रहता है.” मोनिका ने कहा.
“ह्म्म…ब्लॅक स्कॉर्पियो में गये हैं क्या वो देल्ही?”राज शर्मा ने पूछा.
“ब्लॅक स्कॉर्पियो!...हमारे पास कोई ब्लॅक स्कॉर्पियो नही है.” मोनिका ने कहा.
राज शर्मा ने सभी कॉन्स्टेबल्स को बाहर जीप के पास रुकने को कहा और मोनिका से बोला, “आपके पास नही है. मगर सिमरन के पास ब्लॅक स्कॉर्पियो है और आपके पति के उसके साथ संबंध हैं.”
“सिमरन…कौन सिमरन?”
“वो सब छोड़िए और ये बतायें कि देल्ही में कहा गये हैं आपके पति.”
“इतना सब कुछ वो मुझे नही बताते हैं. और ना ही मैं पूछती हूँ.”
“अच्छा…इट्स वेरी स्ट्रेंज…आपको आपके पति के बारे में नही पता. पत्नियाँ तो अक्सर पूरी जानकारी रखती हैं पति के बारे में.”
“मुझे कभी उन पर नज़र रखने की ज़रूरत नही पड़ी”
“क्या काम करते हैं आपके पति.”
“इसीसी बॅंक में हैं वो”
“ह्म्म…ठीक है…मैं इसीसी बॅंक ही जा रहा हूँ यहाँ से सीधा. आप ये बतायें कि क्या अक्सर आपके पति घर से गायब रहते हैं”
“अक्सर तो नही हां कभी कभी वो घर नही आते. पर वो अपने काम के सिलसिले में ही बाहर जाते हैं.”
“ये तो इसीसी बॅंक जाकर ही पता लगेगा कि काम के शील्षिले में जाते हैं या यू ही.” राज शर्मा ने कहा और चल दिया वाहा से.
राज शर्मा सीधा इसीसी बॅंक पहुँचा और बॅंक में घुसते ही सिमरन के कॅबिन में घुस गया, “क्या आपकी ब्लॅक स्कॉर्पियो आपके पास है अब.”
“देखिए मैने रोहित को सब बता दिया था. प्लीज़ डॉन’ट वेस्ट माइ टाइम.
“रोहित सर ने ही भेजा है मुझे. संजय के पास थी ना आपकी ब्लॅक स्कॉर्पियो, कहाँ है संजय बुलाओ उसे.”
“वो आज ड्यूटी पर नही आया.”
“क्या बॅंक के किसी काम से बाहर भेजा गया है उसे?”
“नही बॅंक के किसी काम से बाहर नही भेजा गया उसे. वो शायद घर होगा.”
“घर पर उसकी बीवी ने बताया कि वो देल्ही गया है…काम के सिलसिले में.”
“नही हमने उसे देल्ही नही भेजा…उनकी पत्नी को कोई ग़लतफहमी हुई होगी.”
राज शर्मा ने सारी बात फोन पर रोहित को बताई, “सर मोनिका कह रही है कि संजय देल्ही गया है मगर इसीसी बॅंक में मैने ब्रांच मॅनेजर सिमरन से बात की. उसके अनुसार उसे देल्ही नही भेजा गया. कही ये संजय ही तो साइको नही. ”
“ह्म्म…खैर सब कुछ इत्तेफ़ाक भी हो सकता है. मगर इंपॉर्टेंट जानकारी हाँसिल की है तुमने. सिमरन को फोन दो.” रोहित ने राज शर्मा से कहा.
राज शर्मा ने फोन सिमरन को पकड़ा दिया.
“सिमरन जब भी संजय आए या तुम्हे उसके बारे में कुछ भी पता चले, तुरंत मुझे फोन करना.”
“ठीक है रोहित…जैसे ही वो आएगा मैं तुम्हे इनफॉर्म कर दूँगी.”
राज शर्मा को फोन वापिस दे दिया सिमरन ने.
“सर एक रिक्वेस्ट थी आपसे.” राज शर्मा ने कहा.
“हां बोलो राज शर्मा”
“मेरी ड्यूटी पद्मिनी जी के वहाँ से हटवा दीजिए.”
“राज शर्मा वैसे तो मैं तुरंत तुम्हारी बात मान लेता. मगर पद्मिनी के साथ तुम्हारी ड्यूटी मेडम ने लगाई थी.”
“कोई बात नही सर, वैसे कैसी हैं मेडम अब सर.”
“ऑपरेशन तो हो गया है..मगर अभी उनको आइक्यू में रखा गया है. अभी उन्हे होश नही आया है. डॉक्टर कह रहा था कि शायद सुबह तक होश आ जाएगा. तुम अब पद्मिनी के घर जाओ. बाद में देखेंगे कि क्या करना है. और हां बहुत ज़्यादा सतर्क रहना होगा तुम्हे इन दिनो.”
“ओके सर.”
राज शर्मा ने सभी कॉन्स्टेबल्स को पहले थाने छोड़ दिया और फिर पद्मिनी के घर की तरफ चल दिया.
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क्रमशः........................
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RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--89
गतान्क से आगे.................
शाम के वक्त मोहित पूजा के कॉलेज के बाहर खड़ा उसका वेट कर रहा था. कॉलेज में कोई फंक्षन चल रहा था इसलिए पूजा देर तक कॉलेज में थी. वो बाहर आई तो मोहित झूम उठा उसे देखते ही.
“बहुत प्यारी लग रही हो पूजा…क्यों इतने सितम ढा रही हो मुझ पर.”
“अच्छा…झुटे कही के. सुबह भी तुम यही सब कह रहे थे.”
“अब क्या करूँ तुम्हे देखते ही मुँह से तुम्हारे लिए प्रसंसा खुद-ब-खुद निकल जाती है.” मोहित ने कहा.
“मोहित मन कर रहा था कि कही बैठ कर बाते करते पर लेट हो गयी हूँ.” पूजा ने कहा.
“आओ बैठ जाओ, प्यार के कुछ मीठे पल तो हम निकाल ही लेंगे.” मोहित ने कहा.
पूजा हंसते हुए बैठ गयी मोहित की बाइक पर और वो उसके बैठते ही बाइक को उड़ा ले चला.
“पूजा एक किस हो जाए आज. देखो कितनी हसीन शाम है. ऐसा मोका रोज नही आता.”
“मैं बाते करना चाहती थी और तुम्हे किस की पड़ी है. ये बताओ हमारा क्या होगा. कब बात करोगे बापू से.”
“तुम कहती हो तो आज ही कर लेता हूँ. मैं सोच रहा था कि तुम पहले कॉलेज फीनिस कर लो फिर आराम से शादी करेंगे.”
“तो किस की इतनी जल्दी क्यों पड़ गयी आपको. शादी तक इंतेज़ार नही कर सकते क्या.”
मोहित ने तुरंत बिके सड़क किनारे रोक दी. सड़क एक दम सुनसान थी. बिके से उतार गया वो. पूजा भी उतार गयी.
“क्या हुआ मोहित…इस सुनसान सड़क पर बाइक क्यों रोक दी.” पूजा ने पूछा.
मोहित ने बिना कुछ कहे पूजा के चेहरे को जाकड़ लिया और अपने होन्ट टिका दिए उसके होंटो पर. पूरे 2 मिनिट बाद छोड़ा उसने पूजा के होंटो को.
“शादी तक इंतेज़ार नही कर सकता. किस तो एक प्रेमी का फंडमेंटल राइट है. ये तुम मुझसे नही छीन सकती.”
“फंडमेंटल राइट के साथ फंडमेंटल ड्यूटी भी याद रखना.मुझे कभी अकेला मत छोड़ देना..जी नही पाउन्गि. बहुत प्यार करती हूँ तुम्हे.”
“जानता हूँ…बेफिकर रहो तुम. तुम्हे तो मैं पॅल्को पर बैठा कर रखूँगा.”
“हहेहहे…तुम्हारी पॅल्को पर कैसे बैठूँगी…वहाँ इतनी जगह नही है.”
“ठीक है कही और बैठ जाना, वाहा जगह बहुत है…मगर बदले में कुछ काम भी करना होगा तुम्हे.”
“कैसा काम, और ये कौन सी जगह की बात हो रही है ..” पूजा ने कहा
“बस मेरे उपर बैठ कर उछालती रहना तुम, ऐसी जगह है ..” मोहित ने कहा.
“जनाब चलिएगा कि नही या फिर सुहाने खवाब ही देखते रहेंगे इस सुनसान सड़क पर.” पूजा ने कहा.
“ओह हां सॉरी…चलते हैं. मैं तो बस अपनी पूजा की पप्पी लेने के लिए रुका था.”
“खबरदार जो दुबारा पप्पी की यू सड़क पर रोक कर. मुझे डर लगता है.”
“ठीक है आगे से बाइक पर चलते चलते करूँगा… …”
“वो कैसे मुमकिन होगा …”
“सब कुछ मुमकिन है तुम बस पप्पी देने वाली बनो.”
“नही मिलेगी अब…दुबारा मत माँगना”
“अफ अब तो दुबारा फिर लेनी पड़ेगी. तुम्हारी पप्पी लेने में बहुत मज़ा आता है.”
तभी अचानक एक ब्लॅक स्कॉर्पियो निकली उनके बाजू से.
“पूजा जल्दी बैठो…इस ब्लॅक स्कॉर्पियो का पीछा करना है.”
“क्या बात है..कौन है इस ब्लॅक स्कॉर्पियो में.”
“ब्लॅक स्कॉर्पियो में ही घूमता है साइको…आओ देखते हैं ये ब्लॅक स्कॉर्पियो कहाँ जा रही है.”
“मोहित मुझे डर लग रहा है, रात होने वाली है. घर पर मेरा इंतेज़ार हो रहा होगा..”
“पूजा अगर मैं तुम्हे ऑटो में बैठा दू तो क्या तुम चली जाओगी…मुझे इस कार के पीछे जाना होगा, क्या पता वो साइको इसी में हो.”
“ठीक है तुम मुझे किसी ऑटो में बैठा दो. मैं चली जाउन्गि.”
मोहित ने कुछ दूरी पर एक ऑटो रोक कर पूजा को उसमे बैठा दिया और खुद पूरी स्पीड से बाइक दौड़ा कर उस ब्लॅक स्कॉर्पियो के पीछे लगा दी.
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राज शर्मा जब वापिस पद्मिनी के घर पहुँचा तो पद्मिनी अपने रूम की खिड़की
में ही खड़ी थी और बाहर झाँक रही थी. राज शर्मा को देखते ही उसने परदा गिरा दिया.
“ये लो हो गया इनका नाटक शुरू. समझ गया हूँ मैं आपको. दिमाग़ खराब था मेरा जो आपसे प्यार कर बैठा. मुझे देखते ही परदा गिरा दिया…क्या इतनी बुरी शकल है मेरी. बस अब बहुत हो गया आपसे कोई बात नही करूँगा मैं.” राज शर्मा चुपचाप आँखे बंद करके जीप में बैठ गया.
राज शर्मा ने ध्यान ही नही दिया की पद्मिनी घर का दरवाजा खोल कर खड़ी है.उसे देखते ही वो नीचे आ गयी थी. “कहा तो था कि शाम को बात करेंगे. चुपचाप आँखे बंद करके बैठ गया है. ये समझता क्या है खुद को. मुझे कोई बात नही करनी इस से.” दरवाजा पटक दिया ज़ोर से पद्मिनी ने और कुण्डी लगा ली.
दरवाजे की आवाज़ से राज शर्मा ने तुरंत आँख खोल कर देखा, “ये कैसी आवाज़ थी” राज शर्मा ने गन्मन से पूछा.
“दरवाजा बंद होने की आवाज़ थी सर. शायद घर के अंदर से आई थी.”
“ह्म्म…ठीक है तुम सतर्क रहो.” राज शर्मा ने कहा.
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मोहित ब्लॅक स्कॉर्पियो से कुछ दूरी बनाए हुआ था. मगर उसने गाड़ी का नंबर देख लिया, “कार तो ये गौरव मेहरा की है. चलो देखता हूँ आज कहाँ जा रहा है ये.”
कार एक घर के आगे आकर रुकी. कार में से गौरव मेहरा उतरा और घर में घुस गया. मोहित ने कुछ दूरी पर बाइक रोक दी और अपना कॅमरा लेकर दबे पाँव घर की तरफ बढ़ा. अंधेरा घिर आया था इसलिए मोहित का काम थोड़ा आसान हो गया था.
मोहित घर की खिड़की के पास आकर खड़ा हो गया. खिड़की में पर्दे टँगे थे. मोहित ने पर्दे को हल्का सा हाथ से हटाया और अंदर झाँक कर देखा. अंदर गौरव एक लड़की के सामने खड़ा था. लड़की देखने में सुंदर लग रही थी.
“स्वेता कितने फोन किए तुम्हे…तुम्हे मेरे साथ काम करना है या नही.”
“काम करना है सर…मेरी तबीयत खराब थी कुछ दिन से.”
“तो साली इनफॉर्म क्या तेरा बाप करेगा. इतनी सॅलरी देता हूँ तुझे. ये घर भी खरीद कर दिया तुझे..फिर भी मेरी कदर नही है तुम्हे.”
“सर आपने जो कुछ मेरे साथ किया अपनी बीवी के सामने वो ठीक नही था. मुझे रंडी और पता नही क्या-क्या कहा आपने.”
“मेरा मूड ठीक नही था उस दिन. वो साला दो कौड़ी का पोलीस वाला मुझे घर से घसीट कर ले गया था. दिमाग़ खराब हो गया था मेरा.”
“सर आपको मैने अपना सब कुछ दिया…और आप ऐसा बर्ताव करते हैं मेरे साथ.”
“चल ठीक है…आगे से ध्यान रखूँगा. आज बहुत मन कर रहा है तेरी लेने का…चल मस्ती करते हैं.”
“वो तो ठीक है पर आप प्लीज़ मुझे दुबारा रंडी मत कहना.”
“अरे ठीक है…बोला ना गुस्से में था उस दिन. चल लंड निकाल बाहर और चूसना शुरू कर. जिस तरह से तू चूस्ति है लंड मेरा आज तक किसी ने नही चूसा. तभी अपनी बीवी को दिखा रहा था हहहे.”
“पर क्या बीती होगी उन पर. आपको ऐसा नही करना चाहिए था.” स्वेता ने कहा.
“चल छोड़ ना ये सब जल्दी से लंड निकाल कर डाल ले इन खूबसूरत होंटो के बीच.”
स्वेता ने गौरव की ज़िप खोल कर उसके लिंग को बाहर निकाला और प्यार से चूसने लगी.
“गुड वेरी गुड..इसी काम की सॅलरी देता हूँ मैं तुम्हे…हाहहाहा.”
स्वेता चुपचाप सकिंग करती रही. मोहित ने चुपचाप चतुराई से उनकी फोटो ले ली. “ये फोटो दीपिका के काम आएगी.”
स्वेता का मुँह दुखने लगा सकिंग करते करते पर गौरव फिर भी चूस्वाता रहा.
“सर कुछ और नही करेंगे क्या…मुँह दुखने लगा है.”
“ऐसा करता हूँ आज तेरी गांद लेता हूँ. तेरी अब तक गांद नही ली ना मैने.”
“सर नही…वो रहने दीजिए.”
“क्यों रहने दूं..चल कपड़े उतार और झुक जा…इस बार बोनस दूँगा तुझे, तू गांद में लेकर तो देख. हाहाहा”
“सर प्लीज़..”
“देख अभी मेरा मूड ठीक है. मूड खराब हो गया तो ज़बरदस्ती लूँगा…आराम से कपड़े उतार कर झुक जा मेरे आगे.” गौरव ने कठोरता से कहा.
स्वेता ने अपने कपड़े उतारे और गौरव के आगे झुक गयी.
“गुड गर्ल तेरा बोनस पक्का. चल अब अपनी गांद फैला दोनो हाथो से और मेरे लंड के लिए रास्ता बना.” गौरव ने कहा.
स्वेता ने अपने नितंबो को फैला लिया और गौरव ने अपने लिंग पर थूक लगा कर स्वेता की आस होल पर रख दिया. स्वेता की साँसे थम गयी एंट्री की आंटिसिपेशन में.
मोहित सब कुछ रेकॉर्ड कर रहा था. पिक्चर भी ले रहा था और वीडियो भी बना रहा था.
“ऊऊहह सर नो….”
“बोनस मिलेगा स्वेता ले ले पूरा हाहाहा.” गौरव हँसने लगा.
“सर मैने कभी नही किया अनल बहुत दर्द हो रहा है.”
“मैने भी बहुत कम किया है…पर तेरी गांद लेने की इच्छा थी बहुत दिनो से आज पूरी हो रही है. बार बार भूल जाता था कि ये काम भी करना है.”
“आआहह…नूऊऊऊ सर धीरे….” स्वेता कराह उठी. गौरव ने एक दम से पूरा लंड डाल दिया था उसकी गांद में.
“हहहे अब तो गया पूरा…अब धीरे से क्या फ़ायडा स्वेता तुम ले चुकी हो पूरा अब मज़े करो.”
“थॅंक गॉड मुझे लगा था कि अभी पूरा जाना बाकी है.” स्वेता ने गहरी साँस ले कर कहा.
“वाह भाई वाह क्या बात है मिस्टर गौरव मेहरा. अपने एंप्लायीस की खूब जम कर लेते हो तुम…गुड.”
गौरव मेहरा और स्वेता दोनो ही चोंक गये. दोनो ने पीछे मूड कर देखा. उनके पीछे एक नकाब पोश खड़ा था, हाथ में बंदूक लिए. मोहित नकाब पोश को देखते ही खिड़की से हट गया. मगर बाद में चुपचाप झाँक कर देखने लगा.
“कौन हो तुम और यहा कैसे आए…” गौरव ने पूछा
“पहले तुम जैसे हो वैसे ही रहो हिलना मत. लंड मत निकालना इसकी गांद से. क्या सीन बनाया है तुम दोनो ने वाह. अच्छी पैंटिंग बनेगी.”
“साले तेरा भेजा उड़ा दूँगा मैं अभी…बता कौन है तू.”
“मेरे पूरे शहर में चर्चे हैं और तुम मुझे नही जानते. लोग मुझे साइको कह कर बदनाम कर रहे हैं जबकि मैं एक आर्टिस्ट हूँ जो कि रेर पैंटिंग बनाता है. अब देखो ने कितने रेर पोज़ में खड़े हो तुम दोनो. गांद में लंड डाल रखा है तुमने इस बेचारी के. अब अगर गांद मारते मारते इसकी पीठ में चाकू मारते जाओ तो बहुत ही अनमोल आर्ट बन जाएगी. मैने एरॉटिक पैंटिंग पहले भी बनाई है मगर ये तो बहुत ही अद्भुत पैटिंग कहलाएगी.”
“स..सर ये क्या कह रहा है.” स्वेता डर गयी.
“वही कह रहा हूँ जो कि तुम्हे सुन रहा है मेरी जान. गांद में लंड पीलवा रही हो अब ज़रा चाकू भी घुस्वाओ अपनी पीठ में और ज़्यादा मज़ा आएगा तुम्हे हाहहाहा.” साइको क्रूरता से हस्ने लगा.
क्रमशः..........................
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RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--90
गतान्क से आगे.................
“कितना पैसा चाहिए तुम्हे बोलो.” गौरव ने कहा.
“पैसे से कही ज़्यादा अनमोल पैंटिंग बनेगी तुम दोनो की. मेरी पैंटिंग के आगे तुम्हारा पैसा कुछ नही..ये लो चाकू पाकड़ो और हर एक धक्के के साथ एक चाकू मारो इसकी पीठ में. अगर तुमने इसे नही मारा तो तुम्हारा भेजा उड़ा दूँगा.” साइको ने चाकू थमा दिया गौरव को.
“सर…प्लीज़ मुझे मत मारना.” स्वेता गिड़गिडाई.
“और हां धक्के के बिना चाकू मारा तो भी तुम्हारा भेजा उड़ा दूँगा. इसे भी मारो और इसकी गांद भी मारो…दोनो एक साथ मारो हाहहहाहा.” साइको हँसने लगा.
“सर इसकी बात मत मान-ना प्लीज़.”
“चुप कर साली रंडी. मेरे लिए क्या तू अपनी जान नही दे सकती.” गौरव ने कहा.
मोहित ने खिड़की के पास से हट कर तुरंत रोहित को फोन मिलाया और पूरा वाक़या सुना दिया.
“मोहित मैं अभी हॉस्पिटल में हूँ…मगर पोलीस पार्टी अभी तुरंत भेज रहा हूँ वहाँ. तुम तब तक साइको पर नज़र रखो.” रोहित ने कहा.
मोहित वापिस खिड़की में आया तो उसने देखा कि गौरव ने चाकू हवा में उठा रखा है. इस से पहले की मोहित कुछ सोच पाता कुछ करने के बारे में गौरव ने खुद को आगे धकैल्ते हुए चाकू गाढ दिया स्वेता की पीठ में. कमरे में चीन्ख गूँज उठी स्वेता की.
“गुड वेरी गुड…एक धक्का और मारो और एक चाकू और मारो हाहहाहा.”
गौरव ने चाकू उपर उठाया ही था दुबारा मारने के लिए कि साइको ने फुर्ती से आगे बढ़ कर गला काट दिया गौरव का. वो तुरंत स्वेता को साथ लेकर ज़मीन पर गिर गया.
“साला कमीना कही का, बेचारी की गांद मारते-मारते जान ले ली. शरम आनी चाहिए तुम्हे. बट डॉन’ट वरी बोथ ऑफ यू आर नाउ प्राउड विक्टिम ऑफ माइ आर्ट. पूरा सीन रेकॉर्ड कर लिया है मैने घर जाकर इतमीनान से पैंटिंग बनाउन्गा तुम्हारी एरॉटिक मौत की हाहहाहा.”
“ये पोलीस कहाँ रह गयी…हमेशा लेट आती है. मेरे पास कोई हथियार भी नही है…क्या करूँ..कुछ नही किया तो ये फिर से भाग जाएगा आज.” मोहित ने मन ही मन कहा.
साइको वहाँ से अपना समान उठा कर चल दिया.
“ये ज़रूर घर के पीछे से घुसा होगा. कुछ करना होगा मुझे.” मोहित अपनी इन्वेस्टिगेशन का समान वही छोड़ कर घर के पीछे की तरफ भागा. साइको तब तक घर से निकल चुका था और घर के पीछे खड़ी अपनी कार की तरफ बढ़ रहा था. वो कार ब्लॅक स्कॉर्पियो नही थी.
“रुक जाओ वरना गोली मार दूँगा…हाथ उपर करो और ज़मीन पर बैठ जाओ.” मोहित ने पीछे से पोइलीसीए रोब में आवाज़ दी.
साइको ने तुरंत पीछे मूड कर देखा और हंसते हुए बोला, “मैं कुत्तो के भोंकने से नही रुकता हूँ. बंदूक तो ले आते कही से पहले ये सब भोंकने से पहले.” साइको ने कहा.
घर के पीछे अंधेरा था इसलिए साइको मोहित को पहचान नही पाया.
“पोलीस ने घेर लिया है तुम्हे चारो तरफ से तुम बच कर नही जा सकते यहाँ से. हथियार गिरा दो चुपचाप.”
“पोलीस की तो मैने गांद मार ली है बेटा…पोलीस की बात मत कर.” साइको ने बंदूक तान दी मोहित की तरफ.
मोहित साइको को बातों में उलझाने की कोशिस कर रहा था. मगर साइको इस जाल में फँसने वाला नही था. उसने मोहित के सर की तरफ फाइयर किया. मगर मोहित तुरंत भाग कर दीवार के किनारे छुप गया.
“अपना नाम बता देते तो दुबारा मिलना आसान होता. तुम्हारी भी पैंटिंग बना देता…हाहहाहा” साइको ने कहा.
साइको फ़ौरन अपनी कार की तरफ बढ़ा. मोहित ने एक मोटा सा पत्थर उठाया और उसके सर पर निसाना लगा कर ज़ोर से मारा. पत्थर सीधा खोपड़ी में लगा साइको की. खून बहने लगा उसके सर से.
“साले तेरी इतनी हिम्मत.” बिना सोचे समझे गोलियाँ बरसा दी साइको ने और अपनी कार में बैठ कर निकल दिया वहाँ से. शायद उसे डर था कि कही पोलीस ना आ जाए.
मोहित भाग कर वापिस आया घर के आगे. अपना सारा समान उठाया और बाइक लेकर निकल पड़ा, “चोदुन्गा नही तुझे आज मैं.” मगर साइको कि कार उसे कही नज़र नही आई.
“कहाँ गया हराम्खोर…कार का नंबर भी नही देख पाया अंधेरे में.” मोहित ने निराशा में कहा.
………………………………………………………………………………
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रात के 10 बज रहे थे. राज शर्मा ने कयि बार पद्मिनी की खिड़की की तरफ देखा मगर वाहा हर बार परदा ही टंगा मिला.
“उनको मुझसे प्यार होता तो खड़ी रहती खिड़की पर. मेरे लिए क्या इतना भी नही कर सकती वो” राज शर्मा ये सब सोच ही रहा था कि खिड़की का परदा हटा और पद्मिनी ने चुपके से राज शर्मा की तरफ झाँक कर देखा. राज शर्मा पद्मिनी को देखते ही तुरंत जीप से बाहर आ गया. मगर पद्मिनी ने तुरंत परदा गिरा दिया राज शर्मा को जीप से बाहर आते देख. उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा था.
“हद होती है यार किसी बात की…फिर से परदा गिरा दिया. आज आर-पार की बात हो जाए बस.” राज शर्मा घर के दरवाजे की तरफ बढ़ा और बेल बजाई. घर में कामवाली नही रुकी थी इसलिए दरवाजा पद्मिनी को ही खोलना था.
“क्या चाहता है अब ये, पहले तो चुपचाप आ कर आँखे बंद कर के बैठ गया था जीप में अब बेल क्यों बजा रहा है.” पद्मिनी तुरंत नही आई दरवाजा खोलने. कोई 5 मिनिट बाद आई वो. उसने दरवाजा खोला तो पाया कि राज शर्मा वापिस अपनी जीप की तरफ जा रहा था.
“क्या है…बेल क्यों बजा रहे थे.” पद्मिनी ने कहा.
राज शर्मा वापिस आया उसके पास और बोला, “क्या प्राब्लम है आपकी. मेरी शकल क्या इतनी बुरी है कि मुझे देखते ही परदा गिरा देती हैं आप.”
“तो क्या मैं तुम्हारे लिए खिड़की पर ही खड़ी रहूंगी…मुझे क्या कुछ और काम नही है.”
“प्यार करता हूँ आपसे कोई मज़ाक नही मगर आपने मेरे प्यार को मज़ाक समझ कर मुझे बर्बाद करने की ठान रखी है.”
“मैं ऐसा कुछ नही कर रही हूँ. तुम बैठ गये थे वापिस आ कर चुपचाप जीप में.”
“हां तो और क्या करता…मुझे देखते ही परदा गिरा दिया था आपने.”
“मैं तुम्हारे लिए भाग कर नीचे आई थी पर तुम्हे क्या…जाओ तुम यहा से..मुझे तुमसे बात नही करनी है.” पद्मिनी रोते हुए बोली और दरवाजा पटक दिया वापिस और कुण्डी लगा ली.
राज शर्मा हैरान रह गया ये सब सुन कर. “अरे हां दरवाजे की आवाज़ आई तो थी. उफ्फ मैं भी कितना बेवकूफ़ हूँ. पद्मिनी जी दरवाजा खोलिए प्लीज़…” राज शर्मा दरवाजा पीटने लगा.
पद्मिनी ने दरवाजा खोला और सुबक्ते हुए बोली, “क्या है अब, क्यों मुझे परेशान कर रहे हो.”
“बस एक सवाल का जवाब दे दीजिए फिर कभी परेशान नही करूँगा…क्या आप मुझे प्यार करती हैं.”
“तुम्हे क्या लगता है?”
“मुझे तो लगता है कि आप कोई खेल, खेल रही हैं मेरे साथ”
“प्यार करती हूँ मैं तुमसे कोई खेल नही और मुझे पता है कि खेल तुम खेलोगे मेरे साथ.” पद्मिनी ने कहा और दरवाजा वापिस बंद कर दिया.
“ये बहुत अच्छा किया आपने. प्यार का इज़हार किया और दरवाजा बंद कर दिया. ये खेल नही है तो और क्या है.”
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साइको 42 इंच टीवी पर गौरव मेहरा और स्वेता गुप्ता के एरॉटिक मर्डर की वीडियो देख रहा था.
“गौरव मेहरा नाम है मेरा…यही बोला था ना तू चिल्ला कर मुझे. एक तो पीछे से मेरी कार को ठोक दिया उपर से रोब झाड़ने लगा. तेरे जैसे एलीट वर्म की ऐसी ही मौत होनी चाहिए थी. साला गांद मार रहा था अपनी एंप्लायी की. गांद मारते-मारते खुद अपनी जान गँवा बैठा हाहहहाहा. बहुत सुंदर एरॉटिक मर्डर की पैंटिंग बनेगी. मिस्टर गौरव मेहरा चियर्स यू आर दा प्राउड विक्टिम ऑफ माइ आर्ट. तुम्हे मेरे उपर चिल्लाने की सज़ा भी मिल गयी और तुम मेरी आर्ट का हिस्सा भी बन गये…मगर…”
अचानक साइको गुस्से से तिलमिला उठा, “मगर ये कौन था जिसने मेरा सर फोड़ दिया. इसकी तो बहुत ही भयंकर पैंटिंग बनाउन्गा मैं. पता करना होगा इसके बारे में. अंधेरे में साले की शकल नही दीखी वरना पाताल से भी ढूंड निकालता हरामी को. कोई बात नही जल्दी पता लग जाएगा उसका और फिर हाहहहाहा.”
साइको कॅन्वस पर गौरव मेहरा और स्वेता की एरॉटिक मौत की पैंटिंग बनाने में व्यस्त हो गया.
“धीरे-धीरे बनाउन्गा ये पैंटिंग, ऐसी एरॉटिक मौत किसी को नही दी मैने हाहहाहा.”
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राज शर्मा दरवाजा पीट-ता रहा मगर पद्मिनी ने दरवाजा नही खोला. वो कुण्डी बंद करके दरवाजे के सहारे ही खड़ी थी. उसका दिल बहुत ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था. प्यार का इज़हार जो कर बैठी थी वो. माथे पर पसीने थे उसके. राज शर्मा से नज़रे मिलाना अब मुस्किल था उसके लिए.
“फँसा ही लिया इसने मुझे अपने जाल में. पर मैं वो घिनोना सपना कभी पूरा नही होने दूँगी. प्यार का ये मतलब नही है कि ये मेरे साथ हवस का नंगा नाच खेलेगा.” पद्मिनी ने खुद से कहा.
“पद्मिनी जी प्लीज़ दरवाजा खोलिए. ये सब ठीक नही है. क्यों सता रही हैं आप मुझे.” राज शर्मा ने कहा.
“देखो तुम्हारे साथ और लोग भी हैं. वो लोग सुन लेंगे तो क्या कहेंगे. क्यों मेरी बदनामी करवाने पर तुले हो.”
“कोई कुछ नही सुन रहा है. आप दरवाजा खोलिए प्लीज़. हमारा बात करना बहुत ज़रूरी है. क्या आप प्यार का इज़हार करके मुझे यू तड़प्ता छोड़ देंगी.”
पद्मिनी ने दरवाजा खोला और बोली, “ज़्यादा स्मार्ट बन-ने की कोशिस मत करना मेरे साथ. बाकी लड़कियों के साथ जो किया वो मेरे साथ नही चलेगा. क्या मतलब है तड़प्ता छोड़ देने का. इतनी जल्दी तुम ये सब सोचने लग गये.”
राज शर्मा को कुछ समझ नही आया. वो समझता भी कैसे. उसे पद्मिनी के सपने के बारे में कुछ नही पता था.
“आप क्यों नाराज़ हो रही हैं. क्या आपको नही लगता कि हमें शांति से बैठ कर कुछ प्यारी बाते करनी चाहिए. आज बहुत बड़ा दिन है हमारे लिए.”
“हां आख़िर कार तुम कामयाब हो गये. हो गया मुझे तुमसे प्यार. पर इस से ज़्यादा कुछ और मत सोचना.”
“मैं कुछ नही सोच रहा हूँ. मुझे कुछ समझ नही आ रहा कि आप क्या कहना चाहती हैं.”
“मुझे नही पता कि इस प्यार का मतलब क्या है. हां पर प्यार कर बैठी हूँ तुमसे…पता नही क्यों..जबकि मैं तुमसे दूर रहना चाहती थी.”
“क्या आप पछता रही हैं…अगर ऐसा है तो ये प्यार मत कीजिए. आपको किसी उलझन में नही देखना चाहता हूँ मैं.”
“तुम मुझे प्यार क्यों करते हो…क्या बता सकते हो मुझे. झूठ मत बोलना.” पद्मिनी ने पूछा.
“पद्मिनी जी आपकी तरह मुझे भी नही पता कि इस प्यार का मतलब क्या है. हां बस प्यार हो गया आपसे. क्यों हुआ ये प्यार इसका जवाब मेरे पास नही है. बस इतना जानता हूँ कि आपकी म्रिग्नय्नि सी आँखो में खो गया हूँ मैं.”
“मेरी आँखे क्या म्रिग्नय्नि हैं…” पद्मिनी ने पूछा.
“आपको नही पता क्या? …मुझे डुबो दिया म्रिग्नय्नि आँखो में और खुद अंजान बनी बैठी हैं आप.”
“ये फ्लर्ट है या प्यार…”
“आपको क्या लगता है…” राज शर्मा ने हंसते हुए कहा.
“मुझे लगता है कि तुम मेरे साथ कोई खेल, खेल रहे हो.” पद्मिनी ने कहा.
“प्यार करते हैं हम आपसे, कोई मज़ाक नही. और हमें कोई खेल, खेलना नही आता. दिल में प्यार रखते हैं आपके लिए…अपना दिल निकाल कर आपके कदमो में रख देंगे.”
ये सुन कर एक मध्यम सी मुस्कान उभर आई पद्मिनी के होंटो पर. राज शर्मा वो मुस्कान बस देखता ही रह गया.
“ऐसे क्या देख रहे हो.”
“अगर थप्पड़ नही मारेंगी तो एक बात कहूँ.”
“अब थप्पड़ क्यों मारूँगी तुम्हे…”
“बहुत प्यारी मुस्कान है आपकी. बहुत दिनो बाद आपके होंटो पर ये मुस्कान देखी मैने. हमेशा यू ही मुस्कुराती रहना आप.”
पद्मिनी की आँखे टपक गयी ये सुन कर. राज शर्मा ने भी उसके आंशु देख लिए.
“क्या हुआ…क्या मैने कुछ ग़लत कहा. देखिए मेरी बातों में ज़रा सा भी फ्लर्ट नही है. आपको प्यार करता हूँ. कभी झूठी तारीफ़ नही करूँगा…फ्लर्ट झूठा होता है और प्यार सच्चा.”
“मम्मी, पापा मेरी वजह से मारे गये. ये खाली घर खाने को दौड़ता है. हर तरफ उनकी यादें बिखरी पड़ी हैं. बहुत ही दुखी हूँ मैं. ऐसे में भी क्यों मुस्कुरा उठी तुम्हारी बात पर पता नही मुझे…”
“ये तो अच्छी बात है. सब कुछ भूल कर हमें आगे बढ़ना होगा.”
“हमें मतलब?” पद्मिनी ने अपने आँसू पोंछते हुए कहा
“क्या इस प्यार में अकेले चलेंगी आप…क्या मुझे हक़ नही कि आपके साथ चलूं कदम से कदम मिला कर.”
क्रमशः..........................
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01-01-2019, 12:37 PM,
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RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--91
गतान्क से आगे.................
“राज शर्मा अभी बस प्यार हुआ है. मुझे नही पता इस प्यार में क्या करना है मुझे. मुझे थोड़ा वक्त दो. मेरा दिल भारी हो रहा है.बहुत याद आ रही है मम्मी, पापा की. हम बाद में बात करें.”
“बिल्कुल पद्मिनी जी. आप आराम कीजिए. बाते करने के लिए सारी उमर पड़ी है.”
“तो तुमने ये प्यार सारी उमर के लिए सोच भी लिया.” पद्मिनी ने कहा.
“जी हां प्यार करते हैं हम आपसे कोई मज़ाक नही. सारी उमर ये प्यार नीभाएँगे हम.”
“बाते तो खूब कर लेते हो तुम. अच्छा मैं चलती हूँ. अभी और बात नही कर पाउन्गि.”
“आप किसी बात की चिंता ना करें. आराम कीजिए आप. गुड नाइट.”
पद्मिनी दरवाजा बंद करके सीढ़ियाँ चढ़ कर अपने बेड रूम में आ गयी. बेडरूम में आकर पद्मिनी ने खिड़की का परदा उठा कर देखा. राज शर्मा जीप से बाहर ही खड़ा था. उसे पता था कि पद्मिनी कमरे में जा कर खिड़की से ज़रूर देखेगी.
दोनो एक दूसरे की तरफ मुस्कुरा दिए और आँखो ही आँखो में फिर से प्यार का इज़हार हुआ. बस एक मिनिट ही रही पद्मिनी खिड़की में. परदा गिरा कर बिस्तर पर गिर गयी.
“कही मैं कुछ ग़लत तो नही कर रही हूँ. ये प्यार कैसे हो गया मुझे.” पद्मिनी ने खुद से पूछा. मगर उसके पास इसका कोई जवाब नही था.
……………………………………………………
हॉस्पिटल में रात के 12 बजे एसपी साहिब रोहित और शालिनी को देखने आए. शालिनी आइक्यू में थी इसलिए वो रोहित के कमरे में चले गये.
“हाउ आर नाउ रोहित. देखा, इसलिए कहता था कि कुछ करो इस साइको का. देखो पोलीस ऑफिसर्स को ही विक्टिम बना दिया कमिने ने.” एसपी ने कहा.
“सर जॉब ही हो सकता था कर रहे हैं हम. मगर ये साइको बहुत शातिर है.” रोहित ने कहा.
“हर मुजरिम कोई ना कोई शुराग छोड़ जाता है पीछे. उस शुराग को ढुंढ़ो. मुझे अच्छा लगा कि तुम दोनो बच गये.”
“मेडम को होश आना बाकी है सर. सुबह तक होश आने की उम्मीद है. और सर साइको ने गौरव मेहरा को मार दिया.”
“हां पता लगा मुझे. इस साइको ने तो हद कर दी है. मेरी नौकरी ख़तरे में है अब. कभी भी सस्पेंड हो सकता हूँ. या फिर हो सकता है कि ट्रान्स्फर हो जाए मेरा. तुम इस साइको को छोड़ना मत. हर हाल में उसे गिरफ्तार करना.”
“थॅंक यू सर. आपका सपोर्ट है तो हम कुछ भी कर जाएँगे.” रोहित ने कहा.
रोहित एसपी के जाने के बाद गहरे विचारों में खो गया.
“गौरव मेहरा पर शक था, पर अब वो भी मारा गया. अब सिर्फ़ दो ही सस्पेक्ट बचे हैं,कर्नल देवेंदर सिंग और संजय. दोनो का ही कही आता पता नही. हॉस्पिटल से निकलूं पहले फिर देखूँगा कि क्या करना है.डॉक्टर ने तो एक हफ्ते का रेस्ट लिख दिया है. मगर मैं एक-दो दिन से ज़्यादा अफोर्ड नही कर सकता.”
रोहित को कुछ सूझा और उसने राज शर्मा को फोन मिलाया, “हेलो राज शर्मा एक काम और करना होगा तुम्हे.”
“हां बोलिए सिर..क्या करना है.” राज शर्मा ने कहा.
“तुम सुबह हॉस्पिटल आ जाना हमें उस जगह जाना है जहा पर साइको ने हमारे साथ ये सब किया…हो सकता है कि कुछ शुराग मिल जाए वहाँ.फिर बाद में जहा पर गौरव मेहरा का मर्डर हुआ है वहाँ भी जाना है. अपने दोस्त मोहित को भी साथ ले आना क्योंकि वो चसम्दीद गवाह था गौरव की मौत का. मुझे उम्मीद है कि कुछ ना कुछ शुराग ज़रूर मिलेगा हमें.”
“ओके सर मैं पहुँच जाउन्गा सुबह…किस टाइम आउ सर.”
“7 बजे आ जाना.”
“राइट सर.”
जैसे ही रोहित ने फोन रखा, उसका फोन बज उठा.फोन रीमा का था.
“हेलो.” रोहित ने कहा
“रोहित…कैसे हो तुम?”
“पूछो मत साइको की आर्ट का हिस्सा बनते-बनते बचा हूँ आज मैं.अभी हॉस्पिटल में अड्मिट हूँ.”
“क्या… …तुम ठीक तो हो ना.”
“हां मैं ठीक हूँ. तुम सूनाओ.”
“रोहित कल मुझे देखने आ रहे हैं लड़के वाले. क्या करूँ मैं. बड़ी मुस्किल से मिला ये फोन. भैया ने छुपा कर रखा था.?”
“मैं तुम्हारे भैया से बात करूँगा…वो यही हैं हॉस्पिटल में.”
“क्या बात करोगे?”
“हमारी शादी की बात और क्या?”
“तुम मुझसे शादी करोगे…प्यार तो किया नही अभी तक …”
“कुछ तो है रीमा मेरे दिल में तुम्हारे लिए. वो प्यार है या कुछ और पता नही. तुम्हारे भैया मान गये तो क्या करोगी मुझसे शादी तुम.”
“करूँगी क्यों नही…ज़रूर करूँगी…तुम प्लीज़ भैया को मना लो.”
“यार उन्हे ही तो मनाना मुस्किल है…समझ में नही आता कि क्या करूँ…एक नंबर का कमीना है तुम्हारा….” रोहित पूरा सेंटेन्स नही बोल पाया क्योंकि कमरे के दरवाजे पर चौहान खड़ा था. रोहित ने तुरंत फोन काट दिया.
चौहान आँखो में आग लिए कमरे में घुसा और बोला, “मेरी बहन का पीछा छोड़ते हो कि नही. चुपचाप उसका पीछा छोड़ दो वरना तुम्हे गोली मार दूँगा मैं.”
“सर मैं शादी करना चाहता हूँ रीमा से. वो मुझे प्यार करती है…खुश रखूँगा उसे मैं.”
“रीमा की शादी और तुमसे. शीशे में चेहरा देख कर आओ. रीमा की शादी वही होगी जहाँ मैं चाहूँगा. लड़के वाले उसकी फोटो देख कर ही उसे पसंद कर चुके हैं. कल बस देखने आ रहे हैं. एक हफ्ते में ही सगाई और शादी दोनो निपटा दूँगा. तुम में ज़रा भी शरम बाकी हो तो दूर रहना मेरी बहन से. उसकी ख़ुसीयों में आग मत लगाना. और अगर तुमने दुबारा उस से बात भी की तो तुम्हे तो बाद में देखूँगा पहले उसे जान से मार दूँगा.”
रोहित कुछ नही बोल पाया. उसने चुप ही रहना ठीक समझा.
चौहान के जाने के बाद फिर से रोहित के फोन की घंटी बजी. फोन रीमा का ही था.
“क्या हुआ रोहित. फोन क्यों काट दिया था.”
“रीमा तुम्हे अगर मुझसे शादी करनी है तो अपने भैया के खीलाफ जा कर करनी होगी. वो हमारे रिस्ते के लिए तैयार नही है और ना ही होंगे.”
रीमा एक दम खामोश हो गयी.
“क्या हुआ…करोगी मुझसे शादी अपने भैया की मर्ज़ी के बिना. तुम बस हां बोलो बाकी मैं देख लूँगा.”
“नही रोहित. मैं ऐसा नही कर सकती. उनकी मर्ज़ी के खीलाफ नही जा सकती. उन्होने मम्मी पापा के गुजरने के बाद मुझे पाला है. उनकी मर्ज़ी से ही शादी करनी होगी.”
“फिर भूल जाओ ये शादी. तुम्हे वही शादी करनी होगी जहा तुम्हारे भैया चाहते हैं.”
“रोहित प्लीज़….”
“सोच लो रीमा. वो मान-ने वाले नही हैं. तुम मना सकती हो तो मना लो. वरना जो मैं कह रहा हूँ वो करो.”
“मैं भैया से बात नही कर सकती…”
“फिर तुम्हे मेरी बात मान-नी पड़ेगी. उनके खीलाफ जा कर ही शादी कर सकते हैं हम.”
“सॉरी रोहित नही कर पाउन्गि ये. तुम प्लीज़ भैया को मना लो ना.”
“अच्छा छोड़ो. बाद में बात करेंगे. मुझे सुबह जल्दी उठना है और एक इंपॉर्टेंट इन्वेस्टिगेशन के लिए जाना है.”
“ओके रोहित. सो जाओ. गुड नाइट.”
…………………………………………………..
शालिनी को सुबह होश आया. उसके पेरेंट्स सारी रात आइक्यू के बाहर बेचैनी से उसके होश में आने का वेट कर रहे थे.
डॉक्टर से मिलने की इज़ाज़त लेने के बाद शालिनी के पेरेंट्स उस से मिलने गये. चौहान भी उनके साथ ही अंदर आ गया.
“रोहित कहाँ है…वो ठीक तो है?” शालिनी ने सबसे पहले यही कहा.
“मेडम वो तो सुबह-सुबह ही निकल गया हॉस्पिटल से. वो तो ठीक ही था उसे क्या हुआ था. आपसे मिलने तक की फ़ुर्सत नही थी उसे, पता नही कहाँ जाना था उसे.” चौहान ने आग उगली.
ये सुनते ही शालिनी का चेहरा उतर गया. उसने अपनी आँखे बंद कर ली.
“बेटा हमें बहुत चिंता हो रही थी तुम्हारी. शूकर है तुम्हे होश आ गया. बेटा कैसे हुआ ये सब.” शालिनी के डेडी ने कहा.
शालिनी ने चौहान को बाहर जाने को कहा और अपने पेरेंट्स को पूरी बात बताई.
“बेटा तभी कहता था कि मत करो ये नौकरी. दुबारा एग्ज़ॅम देना चाहिए था तुम्हे. आइएएस या आइआरएस में जाना चाहिए था.”
“डेडी मुझे पसंद है ये नौकरी. हां ये नही पता था कि ये सब हो जाएगा. मैं तो हिम्मत हार चुकी थी. पता नही कैसे लाया मुझे रोहित यहा.”
“कौन है ये रोहित बेटा?”
“ही ईज़ माइ इनस्पेक्टर. साइको का केस उसे ही दे रखा है मैने.”
“अगर वो ढंग से काम करता तो ये नौबत ही ना आती. किसी और को लगाओ इस केस पर. उसके बस की बात नही लगती है ये.”
“ऐसी बात नही है डेडी, वो बहुत मेहनत कर रहा है…आअहह.”
“क्या हुआ?”
“डेडी पेट में बहुत दर्द हो रहा है…”
“मैं डॉक्टर को बुलाता हूँ…”
डॉक्टर ने आकर एक पेनकिलर का इंजेक्षन दिया तो कुछ आराम मिला शालिनी को.
“पेन रहेगा जब तक घाव नही भर जाते. लेकिन पेनकिलर से आराम रहेगा. घबराने की कोई बात नही है.” डॉक्टर ने कहा.
.......................
रोहित, राज शर्मा और मोहित के साथ उस जगह पहुँच गया जहाँ पर साइको ने शालिनी को पेड़ से लटका रखा था. साथ में 6 कॉन्स्टेबल्स भी थे.
“हर तरफ देखो….कुछ ना कुछ ज़रूर मिलेगा यहा.” रोहित ने कहा.
उस पेड़ के आस-पास बहुत बारीकी से देखा गया मगर ऐसा कुछ नही मिला जिस से की साइको का कुछ शुराग मिले.
“बहुत ही शातिर है ये साइको सर. यहा कुछ भी ऐसा नही छोड़ा उसने जिस से कि उस तक पहुँचा जा सके.”
“पैटिंग कर रहा था वो यहा खड़े हो कर. पैंटिंग का शौक रखता है वो.” रोहित ने कहा.
“हां सर मैने भी ये नोट किया. गौरव मेहरा को मारते वक्त वो किसी आर्ट की बात कर रहा था. बहुत ही ज़्यादा सनकी किल्लर है ये.”
“अगर सनकी ना होता तो ये सब काम क्यों करता. अजीब बात तो ये है कि यहाँ पर उसके जुतो के निसान तक नही हैं. सिर्फ़ मेरे जुतो के निसान नज़र आ रहे हैं यहा. हर निसान मिटा गया वो अपना यहाँ.” रोहित ने कहा.
“सर मगर फिर भी अपनी हर्कतो से एक सबूत तो वो छोड़ ही गया है.” राज शर्मा ने कहा.
“कौन सा सबूत जल्दी बताओ.” रोहित ने कहा.
“पैंटिंग का शौक रखता है वो. अगर हम साइको को पकड़ना चाहते हैं तो हमें तलाश करनी चाहिए एक ऐसे पेंटर की जो कि बहुत ही अजीबो ग़रीब मौत की पैंटिंग बनाता हो.” राज शर्मा ने कहा.
“एक आदमी पर शक है मुझे. वो है कर्नल देवेंदर सिंग.तीन बातें उसे शक के दायरे में लाती हैं.
फर्स्ट्ली, उसके पास ब्लॅक स्कॉर्पियो है.
सेकंड्ली, उसे पैंटिंग का शौक है.
थर्ड्ली, उसके घर में बहुत अजीब पैंटिंग है.
क्रमशः........................
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RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--92
गतान्क से आगे.................
जैसी पैंटिंग मैने उसके घर में देखी वैसी पैंटिंग कोई सनकी साइको ही बना सकता है. एक जंगल के बीच एक घोड़ा खड़ा था और उसकी पीठ पर आदमी का कटा हुआ सर रखा था.”
“अगर ऐसा है तो अभी जाकर एनकाउंटर कर देते हैं साले का सर. ऐसे लोगो को जीने का कोई हक़ नही है.” राज शर्मा ने कहा.
“मारना तो उसे है ही राज शर्मा. उसे हवालात में नही ले जाएँगे हम.उसे हवालात ले गये तो वो क़ानूनी दाँव पेच का सहारा लेकर बच सकता है. लेकिन पहले पूरा यकीन कर लें हम कि साइको कौन है…फिर इतमीनान से गोली मारेंगे साले को.”
“नही सर इतनी आसान मौत नही देनी चाहिए उसे. उसके साथ भी गेम खेली जानी चाहिए और उसकी मौत की भी पैंटिंग बन-नी चाहिए.” मोहित ने कहा.
“हां गुरु सही कह रहे हो.”
“देखेंगे वो भी पहले ये पक्का कर लें कि ये साइको है कौन.”
“सर इस कर्नल पर कड़ी नज़र रखनी होगी हमें.” राज शर्मा ने कहा.
“मैने लगा रखे हैं कुछ लोग इस काम पर.”
“सर अगर आप बुरा ना मानें तो मुझे भी इन्वॉल्व कर लीजिए. मैं भी नज़र रखना चाहता हूँ इस कर्नल पर. सारी शक की शुई उसकी तरफ ही इशारा करती हैं.”
“बिल्कुल करो जो करना है. खुली छूट है तुम्हे. मगर एक सस्पेक्ट और है, उसका नाम संजय है.”
“कोई बात नही मैं उस पर भी नज़र रख लूँगा. उस पर शक का क्या कारण है.” मोहित ने कहा.
“वो भी ब्लॅक स्कॉर्पियो लेकर घूम रहा है. और 2-3 दिन से गायब है.” रोहित ने कहा.
“ह्म्म…ठीक है दोनो का अड्रेस दे दो मुझे. मैं आज से ही इस काम पर लग जाउन्गा.”
“राज शर्मा तुम फिलहाल पद्मिनी के घर ही रहो. मेडम को होश आ गया होगा तो उनसे तुम्हारी ड्यूटी चेंज करने के बारे में कहूँगा.” रोहित ने कहा.
“नही सर अब चेंज नही चाहिए. मैं वही रहना चाहता हूँ.”
“आर यू शुवर.” रोहित ने पूछा.
“हां सर शुवर.”
रोहित अपनी जीप में बैठ गया और राज शर्मा और मोहित एक साथ एक जीप में बैठ गये और चल दिए वापिस देहरादून की तरफ.
“क्यों भाई राज शर्मा कैसा चल रहा है तेरा लव अफेर.” मोहित ने पूछा.
“अच्छा चल रहा है गुरु. कल रात पद्मिनी जी ने इज़हार भी कर दिया अपने प्यार का.”
“क्या… ऐसा कैसे हो गया. पद्मिनी ने इज़हार कर दिया…इंपॉसिबल.”
“गुरु दिल में प्यार सच्चा हो तो कुछ भी हो सकता है.”
“तुमने तो मूत दिया था उसके सामने, वो तुमसे प्यार कैसे कर सकती है.”
“गुरु मैं तुम्हे यही गिरा दूँगा. वो मेरी मेडिकल प्राब्लम है तुम जानते हो…फिर भी…”
“हां जानता हूँ राज …मज़ाक कर रहा था. पद्मिनी जी कि पप्पी ली कि नही”
“गुरु कैसी बात करते हो. मुस्कलिल से तो इज़हार किया है उन्होने. इतनी जल्दी पप्पी कहाँ से हो जाएगी. अभी तो ठीक से बात भी नही होती है.”
“भाई…प्यार में पप्पी नही ली तो क्या किया. मैने तो बड़ी जल्दी ले ली थी. प्यार बढ़ता है इन बातों से.”
“ऐसा है क्या …”
“और नही तो क्या. एक किस कयि गुना गहराई देती है प्यार को.”
“पर पद्मिनी जी लगता नही कि पप्पी देंगी अभी. तुम कही ग़लत सलाह तो नही दे रहे गुरु.”
“नही बिल्कुल सही सलाह दे रहा हूँ. मैं क्या तुम्हारा दुश्मन हूँ. आज ही पकड़ कर एक पप्पी ले लेना पद्मिनी जी कि फिर देखना तुम दोनो का प्यार और भी महक उठेगा.”
“ह्म्म सोचूँगा इस बारे में.” राज शर्मा ने कहा. उसके चेहरे पर मध्यम सी मुस्कान थी. शायद होने वाले चुंबन को सोच कर मुस्कुरा रहा था.
राज शर्मा, पद्मिनी को चुंबन करने के ख्याल से मुस्कुरा तो रहा था मगर उसका दिल बेचैन भी था इस ख्याल से कि क्या ये मुमकिन है अभी.
"गुरु तुम्हे नही लगता कि ये जल्दबाज़ी हो जाएगी...मतलब इतनी जल्दी किस...कुछ अजीब लग रहा है मुझे." राज शर्मा ने कहा.
"राज शर्मा तुम तो ऐसे बात कर रहे हो जैसे कि किसी लड़की के नज़दीक गये ही नही कभी.इतना एक्सपीरियेन्स होने के बावजूद कितना घबरा रहे हो एक किस करने से" मोहित ने कहा.
"गुरु जिनके साथ मेरे संबंध रहे उनसे किसी से प्यार नही था. बस एक कामुक खेल,खेल कर अलग हो जाता था मैं. किस तो नाम मात्र को ही की एक-दो बार. इसलिए किस के बारे में ज़्यादा नही पता मुझे."
"एग्ज़ॅक्ट्ली उनके साथ किस नही हुई क्योंकि प्यार नही था. मगर प्यार में अपने दिल की गहराई को देखने का किस ही सबसे अच्छा अवसर प्रदान करती है. प्यार को मजबूती देती है किस. मेरी बात मान जल्दी से एक गरमा गरम पप्पी करके इस प्यार को मजबूत करले."
"तुम मरवा मत देना मुझे कही, बड़ी मुस्किल से इज़हार किया है पद्मिनी जी ने."
"अरे कुछ नही होगा. तुम तो जानते ही हो कि पूजा भी पद्मिनी से कम नही है. बहुत झिजक्ति थी प्यार भरी बाते करने से. जब से एक चुंबन लिया है उसका तब से सब ठीक चल रहा है.”
“बहुत बढ़िया गुरु तुम तो छा गये.मगर पता नही क्यों मुझे डर लगता है पद्मिनी जी से”
“तुझे ये डर भगाना होगा राज शर्मा. नही तो बस एक मूतने वाले लड़के की छवि बनी रहेगी पद्मिनी की नज़रो में तुम्हारी. किस प्यार की ज़रूरत है. प्यार को नया आयाम देती है और मजबूती परदान करती है.”
“अच्छा.”
“हां. और हां जब किस कर लेगा तो मुझे फोन करके बताना कि कैसा रहा सब” मोहित ने कहा.
"तुम्हे क्यों बताउन्गा मैं अपनी प्राइवेट बात. पद्मिनी जी के बारे में कुछ डिसकस नही करूँगा मैं, सुन लो कान खोल कर. शी इस वेरी प्रेशियस फॉर मी." राज शर्मा ने कहा.
"अरे मत करना डिसकस बाबा. बस अपनी पहली किस के बाद का अनुभव बता देना हिहीही."
"तुम हंस रहे हो...इसका मतलब मुझे फसाना चाहते हो."
"तेरा भला चाहता हूँ मैं और कुछ नही. बाकी तेरी मर्ज़ी अब और कुछ नही कहूँगा." मोहित ने कहा.
"गुरु बुरा मत मानो, मैं बस पद्मिनी जी के लिए बहुत सेन्सिटिव हूँ." राज शर्मा ने कहा.
"नही राज शर्मा बुरा क्यों मानूँगा. मुझे पता है कि तुम उसके लिए सेन्सिटिव हो." मोहित ने कहा.
"शायद गुरु ठीक कह रहा है. पर पद्मिनी जी से डर लगता है.वो पप्पी तो दूर की बात है, अभी हाथ भी नही पकड़ने देंगी." राज शर्मा ने मन ही मन सोचा.
देहरादून आकर वो सब गौरव मेहरा के मर्डर की जगह पर भी गये. मगर वहाँ भी उन्हे कोई शुराग नही मिला.
वाहा से रोहित हॉस्पिटल के लिए निकल गया. और राज शर्मा मोहित को उसके घर ड्रॉप करके पद्मिनी के घर की तरफ चल दिया.
..............................
............
रोहित सीधा हॉस्पिटल पहुँचा. जब उसे पता चला कि शालिनी को होश आ गया है तो वो तुरंत उस से मिलने पहुँचा. चौहान आइक्यू के बाहर ही खड़ा था. शालिनी के पेरेंट्स अंदर थे.
"कैसी हैं मेडम?" रोहित ने पूछा.
"मेडम ठीक हैं. पूछ रही थी तुम्हे.खैर नही तुम्हारी अब.अभी वो मेडिसिन और इंजेक्षन ले कर सोई हैं. उन्हे डिस्टर्ब मत करना. वैसे कहाँ गये थे सुबह-सुबह." चौहान ने पूछा.
"एक ज़रूरी काम था."
"ह्म्म...तुम्हारी तो टांगे टूट जानी चाहिए थी खाई में गिरकर...बच कैसे गये तुम." चौहान ने कहा.
"सर एक बार फिर रिक्वेस्ट करना चाहता हूँ आपसे. मुझे पता है आप मुझे पसंद नही करते पर मैं यकीन दिलाता हूँ आपको कि मैं रीमा को खुश रखूँगा. जब मैं उस से मिला था मुझे नही पता था कि वो आपकी बहन है वरना बात आगे बढ़ाता ही नही. आपसे रिक्वेस्ट है हाथ जोड़ कर की प्लीज़ रीमा का हाथ मेरे हाथ में दे दीजिए."
"देखो रोहित...जो बात नही हो सकती उसके लिए रिकवेस्ट मत करो. खुद को और कितना गिराओगे तुम. मुझे पता है मेरी बहन कहाँ खुश रहेगी. तुम उसका पीछा छोड़ दो. उसकी जींदगी में जहर मत घोलो तुम. सब कुछ शांति से निपट जाने दो. और दुबारा फोन से कॉंटॅक्ट मत करना रीमा को. तुम्हारी ग़लती की सज़ा उसे दे कर आया हूँ मैं. बहुत मारा मैने उसे कल रात. "
"ठीक है आपको जो करना है कीजिए. पर उसे मारिए मत. प्यार करती है वो, कोई गुनाह नही कर दिया उसने." रोहित ने कहा.
"शट अप...मैं तुमसे कोई बात नही करना चाहता."
चौहान गुस्से में वहाँ से चला गया.रोहित ए एस पी साहिबा के रूम के बाहर बैठ गया.
"बहुत बुरा लगा होगा मेडम को. पर मैं काम से ही गया था. अब डाँट पड़ेगी शायद. मैने ना जाने क्या-क्या बोल दिया था मेडम को. पता नही मुझे क्या हो गया था. पर मैने जो भी किया उनके लिए किया. उम्मीद है कि मेडम मुझे ग़लत नही समझेंगी." रोहित ने खुद से कहा.
रोहित ये सब सोच ही रहा था कि उसका फोन बज उठा. फोन साइको का था.
“मिस्टर पांडे…मेरी आर्ट का कोई हिस्सा जिंदा बच जाए तो मुझसे बिल्कुल बर्दास्त नही होता. तुम दोनो को अब तडपा-तडपा कर मारूँगा. इस बार एक खौफनाक पैंटिंग बनाउन्गा तुम दोनो की. अभी मैं किसी और की पैंटिंग बनाने के मूड में हूँ. जल्द मिलेंगे.”
“कर्नल साहिब अब आप अपनी चिंता कीजिए. क्योंकि पैंटिंग अब मैं बनाउन्गा आपकी.” रोहित ने कहा.
फोन तुरंत कट गया.साइको ने आगे कुछ नही कहा.
“अंधेरे में तीर छोड़ा था. लगता है निसाने पर लगा है. देवेंदर सिंग अब तुम्हारी खैर नही.” रोहित ने कहा.
रोहित ने तुरंत थाने में फोन लगाया. फोन भोलू ने उठाया.
“भोलू जल्दी से 10-12 लोगो की पार्टी तैयार करो हमें तुरंत एक ऑपरेशन पर निकलना है. मैं वही आ रहा हूँ. ” रोहित ने कहा
रोहित ने एक बार फिर से चेक किया शालिनी के बारे में. वो अभी भी सोई हुई थी.
“मेडम से बाद में मिलूँगा. आज ये साइको नही बचेगा.”
रोहित तुरंत थाने के लिए निकल पड़ा. वाहा से पोलीस फोर्स ले कर वो सीधा कर्नल के घर पर पहुँच गया.
जब वो घर पहुँचा तो नौकर ने ही दरवाजा खोला.
“कहा है तुम्हारे साहिब.” रोहित ने पूछा.
“वो तो अभी-अभी बाहर गये हैं.”
“कहाँ गये हैं?”
“बता कर नही गये.”
“पूरे घर की तलासी लो…” रोहित ने ऑर्डर दिया.
“तलासी क्यों ले रहे हैं, साहिब का वेट कर लीजिए.”
“चुप रहो ज़्यादा बकवास मत करो.”
“सर ये रूम लॉक है…” एक कॉन्स्टेबल ने कहा.
“चाबी दो उसकी” रोहित ने नौकर से कहा.
“चाबी साहिब ही रखते हैं. मेरे पास नही है.”
“ह्म्म तौड दो ताला.”
ताला तौडा गया और रोहित अंदर दाखिल हुआ. अंदर आते ही रोहित की आँखे फटी की फटी रह गयी.
क्रमशः..........................
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RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--93
गतान्क से आगे.................
एक कॅन्वस पर उसी द्रिश्य की पैटिंग थी जब रोहित पेड़ के तने पर चढ़ कर शालिनी के हाथ खोल रहा था. दूसरे कॅन्वस पर दोनो को नीचे गिरते हुए देखाया गया था.
“तो मेरा शक सही निकला…कर्नल देवेंदर सिंग ही साइको है. एक लॅप टॉप रखा था वहाँ जिस पर कि एक लाइव वीडियो आ रही थी. रोहित ने ध्यान दिया तो पाया कि वो एसपी साहिब का घर था.
“जीसस…साइको एसपी साहिब के घर पर कॅमरा लगाए बैठा है. तभी वो कह रहा था कि दूसरी पैंटिंग में बिज़ी हूँ.”
रोहित ने तुरंत एस पी साहिब को फोन मिलाया. मगर उनका फोन व्यस्त आ रहा था.
“कहीं ये साइको इस वक्त एसपी साहिब के घर ही तो नही पहुँचा हुआ.”
रोहित ने चौहान को फोन करके सारी बात बताई.
“रोहित मैं एक टीम ले कर तुरंत एसपी साहिब के घर पहुँचता हूँ. तुम भी वही पहुँचो. आज एसपी साहिब छुट्टी पर हैं और घर पर ही हैं.”
“हां सर आप पहुँचिए वहाँ…मैं भी तुरंत आ रहा हूँ.”
रोहित ने कर्नल के घर को सील कर दिया और अपनी टीम को लेकर एसपी के घर पहुँच गया.
मगर जब वो वहाँ पहुँचा तो एसपी साहिब को अंबूलेंसे की ओर ले जाया जा रहा था. चौहान भी वही खड़ा था.
“क्या हुआ सर.” रोहित ने पूछा.
“हमने आने में देर कर दी. साइको अपने मकसद में कामयाब रहा. पेट छलनी-छलनी कर दिया है एसपी साहिब का. शायद ही बचें वो.”
“हे भगवान. इस साइको ने तो पूरे पोलीस महकमे को लपेट लिया”
“हां और फिर से बच के निकल गया.” चौहान ने कहा.
“अब कैसे निकलेगा हाथ से. अब तो जानते हैं हम कि वो कौन है. छोड़ेंगे नही साले को.” रोहित ने कहा.
एसपी साहिब को भी उसी हॉस्पिटल में ले जाया गया जहाँ शालिनी थी.
उनका तुरंत ऑपरेशन किया गया और ऑपरेशन के बाद उन्हे आइक्यू में शिफ्ट कर दिया गया.
रोहित पोलीस पार्टी लेकर साइको की तलाश में निकल पड़ा, “कर्नल साहिब अब आपकी खैर नही. मेरा शक सही था कि साइको एक ऐसा व्यक्ति है जिस पर किसी का शक़ नही जाएगा. वो तो शूकर है कि मोहित ने तुम्हे ब्लॅक स्कॉर्पियो में देख लिया और हमें एक क्लू मिला. वरना तुम्हे ढूंडना बहुत मुस्किल था. तुम्हारी पैंटिंग का शौक मैं जल्द पूरा करूँगा. तुम्हारी मौत की पैंटिंग मैं बनाउन्गा.”
रोहित पोलीस पार्टी ले कर पूरे सहर में कयि बार घुमा. स्प के घर के आस पास बहुत बारीकी से तलाश की गयी साइको की. मगर उसका कही नामो निशान नही मिला. पूरे सहर में नाका बंदी और ज़्यादा मजबूत कर दी गयी.
“वापिस कर्नल के घर चलता हूँ. वाहा बहुत सारे शुराग हैं. तस्सल्ली से सबकी जाँच करनी होगी.” रोहित ने सोचा और कर्नल के घर की तरफ चल दिया. रोहित ने राज शर्मा और मोहित को भी फोन करके वही बुला लिया.
“राज शर्मा का दीमग तेज चलता है, वो साथ रहेगा तो इन्वेस्टिगेशन में काफ़ी मदद मिलेगी. मोहित को इन्वॉल्व करने से कुछ नये इनपुट्स मिलेंगे.”
इधर पद्मिनी राज शर्मा से कोई भी बात नही कर रही थी. कारण ये था कि राज शर्मा सुबह-सुबह बिना बताए चला गया था. एक बार भी वो खिड़की में नही आई ना ही राज शर्मा के बेल बजाने पर दरवाजा खोला.
राज शर्मा ने फोन मिलाया तो कयि बार काटने के बाद आख़िरकार एक बार उठा ही लिया फोन पद्मिनी ने, “हेलो क्या बात है.”
“क्या आप नाराज़ हैं मुझसे?” राज शर्मा ने पूछा.
“मैं क्यों नाराज़ होने लगी.”
“फिर आप दरवाजा क्यों नही खोल रही मेरे लिए. मुझे रोहित सर ने बुलाया है. मैं जा रहा हूँ. आप किसी बात की चिंता मत करना.”
“सुबह कहाँ गये थे तुम?” पद्मिनी ने पूछा.
“सुबह भी रोहित सर के पास ही गया था. उनके साथ एक इन्वेस्टिगेशन पर जाना था.”
“ठीक है जाओ…मुझे नींद आ रही है.” पद्मिनी ने फोन काट दिया और स्विच ऑफ कर दिया. राज शर्मा ने काई बार ट्राइ किया पर फोन नही मिला.
“यहाँ तो बात भी बंद हो गयी…पप्पी तो अब दूर की बात है. उफ्फ ये हसीनायें ऐसा क्यों करती हैं… ..” राज शर्मा ने मन ही मन कहा और अपनी जीप ले कर चल दिया कर्नल के घर की तरफ.
………………………………..
रोहित, राज शर्मा और मोहित तीनो उस कमरे में बहुत बारीकी से सब कुछ देख रहे थे.
राज शर्मा ने लॅपटॉप को ऑन करके उसे चेक करना शुरू किया. लॅपटॉप में एक पेनड्राइव थी. राज शर्मा ने उसे ओपन किया तो उसमे एक वीडियो क्लिप थी. राज शर्मा ने उस क्लिप को प्ले किया.
“सर ये देखिए…ये क्लिप तो आपके साथ हुई घटना की है.” राज शर्मा ने कहा.
रोहित और मोहित तुरंत लॅपटॉप के पास आए.
“कमीना हर गेम की वीडियो बनाता है और फिर उन्हे देख कर चित्रकारी करता है.” रोहित ने कहा.
“तभी मैं कह रहा था कि इस साइको को इसी के स्टाइल में मारा जाए. वही इसकी सबसे बड़ी सज़ा होगी.” मोहित ने कहा.
“लेकिन सर एक बात समझ में नही आई. साइको जैसा शातिर इतने सारे सबूत अपने घर में रखेगा…ये कुछ बहुत ज़्यादा अजीब लग रहा है.” राज शर्मा ने कहा.
“हां अजीब तो मुझे भी लगा…मगर आँखो देखे सच को झुटलाया नही जा सकता.” रोहित ने कहा.
“मगर सर यहा सिर्फ़ पैंटिंग का सामान मौजूद है. मर्डर का कोई सामान यहाँ नही मिला अभी तक” राज शर्मा ने कहा.
“हां यार बिल्कुल ठीक कह रहे हो तुम.” मोहित ने राज शर्मा की पीठ ठप थपाई.
“अच्छे से चेक करते हैं. अगर पैंटिंग का समान यहा मौजूद है तो मर्डर का भी यही होना चाहिए.” रोहित ने कहा.
पूरा घर छान मारा गया मगर उन्हे घर में कोई चाकू और बंदूक नही मिली.
“ये भी तो हो सकता है कि वो साथ ले गया हो सब कुछ. आख़िर वो मर्डर के लिए निकला था.” मोहित ने कहा.
“हां ये हो सकता है.” राज शर्मा ने कहा.
“कर्नल के नौकर से पूछताछ करते हैं.” रोहित ने कहा और एक कॉन्स्टेबल को उसे बुलाने के लिए भेजा. नौकर घर के बाहर ही एक छोटे सी कोटड़ी में रहता था.
कॉन्स्टेबल ने वापिस आकर बताया, “सर उसकी कोतडी में ताला लगा है.”
“ताला लगा है…कहाँ चला गया वो.”
“पता नही सर.”
“ह्म्म ठीक है…फिलहाल चलते हैं यहा से. कुछ ज़्यादा शुराग नही मिले.”
“पर सर कर्नल एक तरह से फरार है. ये बात भी हम इग्नोर नही कर सकते. नौकर के मुताबिक वो सुबह निकला था घर से. अब शाम घिर आई है. वो अंजान तो नही होगा इस बात से की उसका घर सील कर दिया गया है. ये खबर तो उसे नौकर ने ही सुना दी होगी.” राज शर्मा ने कहा.
“हां बिल्कुल और अब नौकर भी फरार है.” मोहित ने कहा.
“आहह… अब घुटनो में दर्द हो रहा है. मैं हॉस्पिटल चलता हूँ. अभी मेरा ट्रीटमेंट बाकी है.” रोहित ने कहा.
“हां बिल्कुल सर आप चलिए. ये घर तो सील ही रहेगा ना. ज़रूरत हुई तो फिर आ जाएँगे.” राज शर्मा ने कहा.
“मैं कुछ लोगो को कर्नल की सर्च पर लगा देता हूँ. उसका कोई दोस्त या रिस्त्ेदार ज़रूर होगा जहा वो छुपा होगा.” रोहित ने कहा.
“मगर सर अभी हमें संजय पर भी नज़र रखनी चाहिए. मामला अभी क्लियर नही है.” राज शर्मा ने कहा.
“हां उस पर भी नज़र रखी जाएगी. मोहित अपनी तरफ से ये काम कर ही रहा है. क्यों मोहित.” रोहित ने कहा.
“हां सर बिल्कुल. मैं संजय पर भी नज़र रखूँगा. बस एक बार मिल जाए वो. वो भी तो गायब है.” मोहित ने कहा.
……………………………………………
रोहित वापिस हॉस्पिटल आया और एक पेनकिलर इंजेक्षन लगवाया. इंजेक्षन लगवाने के बाद वो शालिनी के कमरे की तरफ चल दिया.
कमरे के बाहर चौहान खड़ा था.
“क्या अब जाग रही हैं मेडम.” रोहित ने पूछा.
“हां जाग रही हैं. मगर उनके कुछ रिलेटिव्स आए हुए हैं उन्हे देखने. तुम थोड़ा वेट करो.” चौहान ने कहा.
रिलेटिव्स के जाने के बाद रोहित चुपचाप कमरे में घुस गया. शालिनी आँखे बंद किए पड़ी थी.
“मेडम कैसी हैं आप?” रोहित ने धीरे से कहा.
शालिनी ने आवाज़ से पहचान लिया कि ये रोहित ही है. मगर उसने आँखे नही खोली.
“लगता है सो गयी मेडम…बाद में आउन्गा” रोहित धीरे से बड़बड़ाया.
“रूको कहा जा रहे हो…आआहह..” शालिनी ने ज़ोर से कहा और कराह उठी.
“क्या हुआ मेडम?”
“डॉक्टर ने ज़्यादा बोलने से मना किया है.”
“तो आप मत बोलिए. चुप रहिए आप. सब ठीक हो जाएगा जल्दी.”
“तुम्हे अब फुरस्त मिली मुझे देखने की” शालिनी ने रोहित की आँखो में देखते हुए कहा.
“ऐसा नही है मेडम…मैं केयी बार आया पर आप सोई हुई थी. और मैने काफ़ी काम भी किया आज.” रोहित ने पूरी कहानी सुनाई शालिनी को.
“तुम्हारे घाव इतनी जल्दी भर गये क्या जो ये सब करते घूम रहे थे. आराम नही कर सकते थे क्या तुम. क्या समझते हो खुद को.”
“सॉरी मेडम, पर मुझे लगा इन्वेस्टिगेशन करनी बहुत ज़रूरी है इसलिए….”
तभी चौहान अंदर दाखिल हुआ और बोला, “मेडम आपसे कोई मिलने आया है.”
“ठीक है थोड़ी देर में भेजना.” शालिनी ने कहा.
चौहान हैरान परेशान चुपचाप बाहर चला गया.
“मेडम आप मिल लीजिए…मैं बाद में आ जाउन्गा.” रोहित ने कहा और चल दिया.
“रूको एक बात कहनी थी.”
“हां बोलिए.”
“थॅंक यू.”
“किस बात के लिए.”
“तुम जानते हो किस बात के लिए. तुमने जो किया मेरे लिए वो कभी भूल नही पाउन्गि.” शालिनी ने कहा.
“मेडम आपको काफ़ी कुछ बोल दिया था मैने. पता नही मुझे क्या हो गया था. भुला दीजिएगा वो सब और माफ़ कर दीजिएगा मुझे.”
“उसके लिए डिसिप्लिनरी आक्षन होगा तुम्हारे खिलाफ बाद में. फिलहाल तुम्हे माफ़ किया जाता है.” शालिनी ने हंसते हुए कहा.
रोहित भी मुस्कुरा दिया. दोनो की नज़रे टकराई और एक पल को वक्त थम सा गया. शायद बहुत सारी बाते हो जाती आँखो ही आँखो में मगर चौहान बीच में टपक पड़ा फिर से.
“मेडम क्या बुलाउ उन्हे.”
“हां भेज दो” शालिनी ने इरिटेटिंग टोने में कहा.
“रोहित अपना ख्याल रखो. जखम भर जाने दो. काम तो होता ही रहेगा. अगर तुमने आराम नही किया तो सस्पेंड कर दूँगी. ईज़ दट क्लियर.”
“हां मेडम सब क्लियर है.”
“जाओ फिर आराम करो जाकर.” शालिनी ने होंटो पर प्यारी सी मुस्कान के साथ कहा.
क्रमशः........................
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RE: Raj sharma stories बात एक रात की
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गतान्क से आगे.................
रोहित एक अजीब सा अहसास ले कर आया बाहर. ऐसा अहसास उसने कभी महसूस नही किया था.
“ये सब क्या था. मेडम कितने प्यार से देख रही थी मेरी तरफ. मैं तो खो ही गया था उनकी आँखो में. हम दोनो का एक साथ साइको के चंगुल में फँसना,फिर खाई में गिरना और फिर अब मेडम का यू प्यार से मेरी तरफ देखना…ये सब इत्तेफ़ाक है या फिर ये मेरी डेस्टिनी की तरफ इशारा करते हैं.” रोहित बहुत गहरी सोच में डूब गया और फिर अचानक धीरे से बोला, “हे भगवान कही मैं उस खाई में अपनी जींदगी को गोदी में उठा कर तो नही घूम रहा था. अगर मैं सही हूँ तो ये एक प्यार की शुरूवात है…बहुत प्यारे प्यार की शुरूवात. पर मैं रीमा को क्या कहूँगा…वो मुझे बहुत प्यार करती है. सब कुछ वक्त के हाथों छोड़ना पड़ेगा. अगर रीमा आई सब कुछ छोड़ कर मेरे पास तो मैं उसका साथ दूँगा. और अगर वो नही आई तो मैं मेडम को अपने दिल की बात बोल दूँगा. मुझे यकीन है कि वो भी मेरे बारे में प्यार भरा कुछ सोच रही होंगी. हे भगवान मुझे राह देखना कि मैं किस तरफ चलु
..............................
.........
मोहित अपने कमरे में बिस्तर पर पड़ा साइको के बारे में सोच रहा था.
"कर्नल के घर में मौत की पैंटिंग और मौत की वीडियो हैं. बाकी और कुछ नही है. क्या ये सबूत काफ़ी हैं उसे साइको मान-ने के लिए. मगर उसके यहाँ एसपी साहिब के घर की लिव वीडियो चल रही थी रोहित के मुताबिक. एसपी साहिब अब हॉस्पिटल में हैं. इस साइको ने तो सबको घुमा कर रखा हुआ है. जो भी हो कर्नल फरार है और इस वक्त पूरा फोकस उसी पर होना चाहिए आख़िर इतने इंपॉर्टेंट सबूत मिले हैं उसके घर से. मगर इस संजय पर भी ध्यान देना होगा. मज़ा आएगा इस केस पर काम करके. अगर सॉल्व कर पाया इसे तो नाम होगा मेरा और फ्यूचर में खुद की इन्वेस्टिगेशन एजेन्सी खोल लूँगा.
कल को पूजा से शादी होगी तो अपनी ज़िम्मेदारियाँ अच्छे से निभा पाउन्गा. एक खुश हाल जींदगी देना चाहता हूँ मैं अपनी पूजा को, इस एक कमरे के घर से बात नही बनेगी. "
साइको को सोचते सोचते बात पूजा तक पहुँच गयी. अजीब दीवानगी पैदा कर देता है प्यार, बात घूम फिर कर उसी पर आ जाती है जिसे आप बहुत प्यार करते हैं.
पूजा की बात से मोहित को ध्यान
आया कि आज वो बिज़ी होने के कारण पूजा से मिल ही नही पाया.
"यार आज पूजा से नही मिला तो कितना खाली खाली सा लग रहा है. उसने मेरा वेट किया होगा बस स्टॉप पर. बहुत देर तक वेट करने के बाद गयी होगी कॉलेज. फोन ट्राइ करता हूँ. वैसे फोन नगमा के पास रहता है मगर क्या पता पूजा उठा ले."
मोहित ने फोन मिलाया. फोन पूजा ने ही उठाया.
"शूकर है तुमने ही फोन उठाया. नगमा ने फोन आज तुम्हारे पास कैसे छोड़ दिया."
"दीदी घर पर नही हैं. डेडी के साथ गाँव गयी है. इसलिए फोन मेरे पास है."
"यार ये अजीब बात है. फिर कॉल क्यों नही किया मुझे?" मोहित ने कहा.
"टॉक टाइम नही था फोन में. दीदी को बोला था डलवाने को पर वो शायद भूल गयी."
"चलो कोई बात नही. सॉरी आज मैं बस स्टॉप पर मिलने नही आ पाया. किसी काम में बिज़ी था."
"थोड़ी देर के लिए भी नही आ सकते थे क्या ...बहुत वेट किया मैने तुम्हारा. कॉलेज से भी लेट हो गयी थी."
"ओह सो सॉरी पूजा. फोन होता तुम्हारे पास तो कॉल कर देता. क्या मैं तुम्हे फोन खरीद कर दे दूं."
"नही उसकी कोई ज़रूरत नही है. मैं तुमसे कोई गिफ्ट नही लूँगी."
"गिफ्ट नही लूँगी मतलब...यार ये अजीब बात है. फिर मुझे कैसे अपनी जान के लिए कुछ करने का अवसर मिलेगा."
"मोहित...जिस दिन मैं खुद अफोर्ड कर पाउन्गि फोन तभी लूँगी. मैं तुम्हे वैसे ही बहुत प्यार करती हूँ. गिफ्ट देने की ज़रूरत नही है."
"अरे यार गिफ्ट प्यार बढ़ाने या तुम्हे लुभाने के लिए नही बल्कि इसलिए दे रहा था कि हमारा कम्यूनिकेशन बना रहे. बेवजह आज तुम वेट करती रही, फोन होता तुम्हारे पास तो वक्त से कॉलेज जाती."
"मोहित जो भी हो...मुझे कोई गिफ्ट नही चाहिए. मेरा स्वाभिमान मुझे इसकी इजाज़त नही देता."
"ह्म्म...मेरे लिए तो ये अच्छी बात है. गर्ल फ्रेंड मेंटेनेन्स का खर्चा बचेगा हिहिहीही."
"ज़्यादा हँसो मत. शादी के बाद पूरे हक़ से एक स्मार्ट फोन लूँगी मैं . जिसमें लेटेस्ट फीचर्स हो. इंटरनेट हो,अच्छा कॅमरा हो, 3जी हो एट्सेटरा...एट्सेटरा."
"क्या ...मुझे लगा था कि ये स्वाभिमान शादी के बाद भी जारी रहेगा. ये ग़लत बात है."
"और नही तो क्या, पत्नी का हक़ होता है हज़्बेंड को लूटना. वो मैं पूरे शान से करूँगी."
"मुझे पता है की तुम मज़ाक कर रही हो..है ना..."
"आइ आम सीरीयस."
"चलो ले लेना जो जी चाहे. भगवान ज़रूर मुझे तरक्की देंगे तुम्हारी लूट खसोट के लिए."
"हां बहुत तर्रक्कि देंगे. और मैं तुम्हे शान से लुतूँगी." पूजा ने हंसते हुए कहा.
"अगर ऐसा है तो मैं भी शान से लुतूँगा तुम्हारी जवानी. रोज बहुत अच्छे से लूँगा तुम्हारी. एक बार मेरी दुल्हन बन कर आओ तो सही."
"कैसी बाते करते हो तुम ... मुझे नही करनी तुमसे बात. गुड नाइट."
"अरे क्या हुआ रूको तो..." मोहित ने तुरंत कहा मगर फोन कट चुका था.
मोहित ने केयी बार फोन ट्राइ किया मगर पूजा ने फोन स्विच्ड ऑफ कर दिया था.
“ये क्या मज़ाक है पूजा. इतना मज़ाक तो कर ही सकता हूँ यार. हद है तुम्हारी भी.” मोहित ने मन ही मन कहा और बिस्तर से उठ गया.
“आ रहा हूँ अब मैं तुम्हारे पास. कोई चारा नही छोड़ा तुमने.” मोहित ने कहा और अपने कमरे की कुण्डी लगा कर चल दिया पूजा के घर की तरफ.
रात का सन्नाटा चारो तरफ फैला हुआ था. सभी लोग अपने-अपने घरो में थे. साइको का ख़ौफ़ ज्यों का त्यों बरकरार था.
“ये सन्नाटा पता नही कब गायब होगा इन सड़को से. पहले कितनी चहल पहल हुआ करती थी इन सड़को पर. मगर अब ये मनहूस सन्नाटा शाम ढलते ही घेर लेता है इन गलियों को. काश ये ख़ौफ़ जल्द से जल्द ख़तम हो जाए.”
मगर सन्नाटा एक तरह से अच्छा भी था.
मोहित पूजा के घर पहुँचा और चुपचाप दरवाजा खड़काया.
पूजा दरवाजे पर दस्तक सुन कर सिहर उठी.
“हे भगवान कौन हो सकता है.” पूजा ने मन ही मन कहा.
मोहित ने बाहर से आवाज़ दी, “मैं हूँ मोहित. दरवाजा खोलो.”
पूजा दरवाजे के पास आई और बोली, “तुम यहा क्यों आए हो?”
“अरे दरवाजा तो खोलो यार?”
पूजा ने दरवाजा खोला. मोहित झट से अंदर आ गया और दरवाजे की कुण्डी लगा दी.
“मोहित क्यों आए तुम यहाँ.”
“अब यार फोन बंद करके तुमने मेरे दिल की धड़कन बंद कर दी. यहाँ नही आता तो क्या करता मैं. क्यों किया तुमने ऐसा.”
“तुम खुद अपने दिल से पूछो. क्या ऐसा बोलता है कोई किसी लड़की को.” पूजा ने कहा.
“जान तुम मेरी प्रेमिका हो जो की जल्द ही पत्नी बन-ने जा रही है. तुम भी तो मज़ाक कर रही थी. मैने भी मज़ाक कर दिया.”
“क्या वो सब मज़ाक था.”
“जान मानता हूँ कि कुछ ज़्यादा बोल गया. प्यार करता हूँ तुमसे. कुछ बातों को अनदेखा कर दिया करो. केयी बार कुछ अजीब बोल जाता हूँ मैं. प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो. मुझसे नाराज़ मत होना.”
“ठीक है…ठीक है…बैठो चाय बनाती हूँ तुम्हारे लिए.”
“नही पूजा. मैं चलता हूँ. मैं बस तुम्हे सॉरी बोलने आया था. तुमने फोन ऑफ कर दिया था. इसलिए मुझे आना पड़ा.”
“मोहित मैं डर गयी थी तुम्हारी इन बातों से. क्यों करते हो ऐसा तुम.”
“छोड़ो भी अब. ग़लती हो गयी मुझसे. माफ़ करदो मुझे नही कहूँगा आज के बाद ऐसा कुछ.”
“हाहहहाहा…देखा कैसी बॅंड बजाई तुम्हारी.” पूजा ने हंसते हुए कहा.
“क्या ये सब मज़ाक था…”
“और नही तो क्या. तुम शादी के बाद सेक्स की बात कर रहे थे. मैं भला बुरा क्यों मानूँगी. बस यू ही तुम्हे सताने का मन था. आज बहुत सताया तुमने मुझे. आँखे तरस गयी थी तुम्हारे इंतेज़ार में.”
“पूजा लेकिन मैं सच कह रहा हूँ. तुम्हारा रोज बॅंड बजेगा अब शादी के बाद. हर रात आआहह उउउहह आहह करोगी.” मोहित ने कहा.
“देखेंगे जनाब…फिलहाल आप जाओ यहा से. मुझे नींद आ रही है.”
“अब जब यहा आ गया हूँ तो खाली हाथ नही जाउन्गा मैं.”
“क्या मतलब?”
“एक पप्पी तो लेकर ही जाउन्गा.”
“बदमाश हो तुम. कुछ नही मिलेगा तुम्हे आज”
“मेरी आँखो में देख कर बोलो तो.” मोहित ने कहा और बाहों में भर लिया पूजा को.
“तुम्हारी आँखो में देख कर कैसे मना कर पाउन्गि तुम्हे.” पूजा ने मोहित की छाती पर सर रख लिया.
“उफ्फ…मैं चलता हूँ यार. भावनाए भड़क रही हैं. कही शादी से पहले ही हनिमून ना हो जाए.”
“हां चले जाओ. मुझे भी यही डर है. तुम बहक गये तो तुम्हे रोक नही पाउन्गि मैं. प्यार जो करती हूँ तुम्हे. मगर हम सेक्स में शादी के बाद ही उतरे तो ज़्यादा अच्छा होगा.”
मोहित ने पूजा के चेहरे को हाथ से उपर किया और अपने होन्ट टिका दिए उसके होंटो पर. पूजा ने भी झट से जाकड़ लिया मोहित के लबों को अपने होंटो में. और फिर प्यार हुआ दोनो के बीच. 5 मिनिट तक चूमते रहे दोनो बेतहासा एक दूसरे को.
5 मिनिट बाद पूजा ने मोहित को धक्का दे कर उसको खुद से अलग किया, “बस कही बहक ना जायें हम दोनो.”
“अरे यार किस से याद आया. मैने राज शर्मा को पद्मिनी की पप्पी लेने के लिए उकसा दिया है. बहुत जबरदस्त चुटकुला बन-ने वाला है राज शर्मा का.”
“क्या? ऐसा क्यों किया तुमने. क्यों मरवा रहे हो बेचारे को.”
“अरे लेकिन इस से ये तो पता चलेगा कि कैसा प्यार है पद्मिनी का. कही बेकार में हमारा राज शर्मा उलझा रहे उसके सोन्दर्य के जाल में.”
दोनो बाते कर रहे थे कि अचानक घर के बाहर कुछ अजीब सी हलचल हुई.
“ये कैसी आवाज़ थी मोहित. शूकर है कि तुम यहाँ हो…वरना मैं तो मर जाती अकेले में.” पूजा ने कहा.
“लगता है…बाहर कोई है?” मोहित ने कहा.
“कौन हो सकता है?”
“हटो मुझे देखने दो.”
“नही बाहर जाने की कोई ज़रूरत नही है. जो कोई भी होगा चला जाएगा.”
पूजा के घर के बाहर होती हलचल ने एक दह्सत का माहॉल क्रियेट कर दिया था. पूजा मोहित से लिपटी हुई थी.
“ऐसे लिपटी रहोगी तो कुछ हो जाएगा हमारे बीच. फिर मत कहना मुझे.” मोहित ने कहा.
“ऐसे में भी तुम्हे ये सब सूझ रहा है. मुझे डर लग रहा है. कही हमारे घर के बाहर साइको तो नही घूम रहा.” पूजा ने कहा.
“तभी कह रहा हूँ मुझे देखने दो. देखो ऐसा हो सकता है कि वो मेरे पीछे यहा आया हो. बहुत शातिर है वो…इस से पहले कि वो वार करे मुझे कुछ करने दो.”
“तुम्हारे पीछे क्यों आएगा वो.”
“दो बार मेरा उस से सामना हुआ है और एक बार कॉपीकॅट साइको विजय से सामना हुआ है. मुझे वो ज़रूर जानता होगा. कोई बड़ी बात नही है कि मेरे पीछे वो यहाँ तक आ गया हो.”
“ऐसा है तो अब क्या करेंगे हम?”
“चिंता मत करो. फोन है मेरे पास.पोलीस को बुला लेंगे. पहले पता तो चले कि बाहर कौन है?”
तभी बाहर सड़क पर पोलीस साइरन की आवाज़ सुनाई दी.
“पोलीस भी आ गयी…अब तो पक्का है कि ज़रूर कुछ गड़बड़ है.”
“जो कुछ भी होगा पोलीस देख लेगी…तुम बेकार में टेन्षन मत लो.”
क्रमशः..........................
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01-01-2019, 12:38 PM,
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RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--95
गतान्क से आगे.................
“टेन्षन लेनी पड़ेगी पूजा अगर कुछ बन-ना है जींदगी में तो. बिना टेन्षन लिए कुछ नही होता. सोचो अगर साइको का राज मैं खोल पाया तो कितना नाम होगा मेरा. मैं अपनी खुद की इन्वेस्टिगेशन एजेन्सी खोल सकता हूँ फिर. नाम होने के बाद काम ही काम होगा. फिर तुम जितना मर्ज़ी लूटना मुझे हिहीही.”
“मोहित कोई ज़रूरत नही है इस तरह से नाम करने की तुम्हे.”
तभी अचानक घर का दरवाजा खड़का. पूजा ने मोहित को काश के जाकड़ लिया अपनी बाहों में, “दरवाजा मत खोलना.”
“अरे पागल हो क्या…हटो…पोलीस भी तो है बाहर.”
“नही प्लीज़…मुझे डर लग रहा है.” पूजा ने कहा.
“मेरे होते हुए क्यों डर रही हो तुम. देखने तो दो कौन है.” मोहित ने कहा.
दरवाजा लगातार खाड़के जा रहा था. मोहित ने पूजा को खुद से अलग किया और दरवाजे की तरफ बढ़ा और दरवाजा खोला.
“इतनी देर क्यों लगाई दरवाजा खोलने में” चौहान ने कहा.
“तुम्हारे लिए दरवाजे पर नही बैठे थे हम”
“ओह…मिस पूजा…व्हाट आ प्लेज़ेंट सर्प्राइज़. तुम तो बाद में मिली ही नही. एस्कॉर्ट बिज्निस कैसा चल रहा है तुम्हारा.”
“मुझसे बात कर जो करनी है. जब घर में आदमी खड़ा हो तो औरत से बात नही करते.”
“तुम यहाँ कर क्या रहे हो पहले ये बताओ?”
“ये हमारा प्राइवेट मामला है, तुमसे मतलब.”
“मतलब है…मैं एक साए का पीछा कर रहा था. मुझे यकीन है कि वो साइको था. वो इसी तरफ आया था. यहाँ तुम मौजूद हो…और बहुत देर में दरवाजा खोला तुमने. तभी पूछ रहा था कि दरवाजा खोलने में देर क्यों की.”
“तो तुम्हे लगता है कि मैं साइको हूँ.”
“कुछ भी हो सकता है… पूरे घर की तलाशी लो.” चौहान ने कॉन्स्टेबल्स को ऑर्डर दिया.
जब घर में कुछ नही मिला तो चौहान बोला, “मिस पूजा कब आया था ये यहाँ.”
“ये बहुत देर से हैं यहा.”
“ह्म्म…मिस पूजा तुम्हे पता है. जिस आदमी के पास तुम होटेल में एस्कॉर्ट बन कर गयी थी, उस पर साइको होने का शक है. तुम्हारी गांद लेने के बाद तुम्हे मार सकता था वो. शूकर है मैं वक्त पर पहुँच गया. हमनें ली तुम्हारी पर तुम्हारी जान बच गयी हिहीही…चलता हूँ दरवाजा बंद कर लो हाहहाहा.” चौहान बेशर्मी से हंसता हुआ वहाँ से चला गया. मोहित दाँत भींच कर रह गया.
मोहित ने दरवाजा बंद किया और पूजा की तरफ मुड़ा. पूजा की आँखो से आँसू टपक रहे थे.
“अरे पूजा…” मोहित ने बाहों में भर लिया पूजा को.
“कितना बेकार लग रहा है मुझे. सब कुछ याद आ गया फिर से. ” पूजा सुबक्ते हुए बोली.
“तभी कह रहा था कि इन लोगो को मारना ज़रूरी है. अगर इसे मार देता तो ये सब नही सुन-ना पड़ता मुझे.”
“मैं सुन लूँगी सब कुछ पर तुम खून ख़राबा बिल्कुल नही करोगे. कसम है तुम्हे मेरी.” पूजा ने कहा.
“कहाँ कर रहा हूँ खून ख़राबा. तुम्हे किया वादा नही तौड़ूँगा.”
“मोहित तुम मुझे ग़लत तो नही समझोगे ना. कभी-कभी लगता है कि तुम्हारे प्यार के लायक नही हूँ मैं.”
“पागल हो क्या. ग़लत क्यों समझूंगा तुम्हे मैं. तुम्हारा शरीर ज़रूर मैला हुआ था इन बातों से मगर तुम्हारा मन हमेशा से पवित्र है. तुमसे ज़्यादा लायक प्यार के कोई हो ही नही सकता मेरे लिए. और मैं कोई दूध का धुला नही हूँ. तुम्हारी दीदी तक को नही छोड़ा मैने.”
“अब तो मेरे सिवा कोई और नही है ना तुम्हारी जींदगी में.”
“नही…जब से तुम आई हो जींदगी में, किसी और को देखने का मन तक नही करता…जींदगी में आने का तो सवाल ही नही है.” मोहित ने गोदी में उठा लिया पूजा को.
“क्या कर रहे हो?”
“अब रुकना मुस्किल हो रहा है…प्लीज़ मुझे रोकना मत.” मोहित पूजा को बिस्तर पर ले आया और उसे लेटा कर उसके उभारो को अपने दोनो हाथो में जाकड़ लिया.
“ये क्या कर रहे हो…हटो.”
“आग भड़का रहा हूँ तुम्हारे अंदर…हिहीही.” मोहित हाथों से उभारों को दबा रहा था.
“रोक नही पाउन्गि तुम्हे मैं….प्लीज़…. अगर शादी के बाद सब कुछ हो तो अच्छा लगेगा मुझे. सुहाग रात नाम की भी कोई चीज़ होती है.” पूजा ने कहा.
मोहित पूजा के उपर से हट गया और उसके बाजू में लेट गया, “हे भगवान…इस कदर कभी नही बहका मैं किसी के साथ. सब कुछ कंट्रोल में रखता था हमेशा. यू आर टू हॉट टू हॅंडल.”
“बस…बस चुप हो जाओ…मुझे कुछ-कुछ होता है.”
“यार हो जाने दो ना कुछ-कुछ…बुराई क्या है इसमें.”
“बुराई नही है मोहित. बस हनिमून पर कुछ ख़ास रहना चाहिए.”
“आग कुछ इस कदर भड़क रही है की हनिमून एक दिन का नही बल्कि पूरा महीने का होगा…फिर भी शायद प्यार बाकी रहेगी. तुम्हारे सोन्दर्य का रश्पान जितना भी किया जाए कम ही होगा. हम तो हमेशा प्यासे ही रहेंगे.”
“बस…बस ज़्यादा माखन मत लगाओ…मैं कुछ नही करने दूँगी.”
“वैसे माखन लगाने से बहुत प्यार से फिसल जाएगा.”
“क्या फिसल जाएगा… …” पूजा सोच में पड़ गयी.
“क्या फिसल सकता है…सोचो..सोचो…. ….” मोहित ने कहा.
पूजा उठी और अपने तकिये को दे मारा मोहित के सर पर, “बदमाश कही के. कितनी अश्लील बाते करते हो मेरे साथ. शरम नही आती तुम्हे.”
“शरम क्यों आएगी इसमें ये हँसी मज़ाक तो स्त्री पुरूस के रिस्ते को सुंदर बनाता है.”
“हां शायद तुम ठीक कह रहे हो. पर ज़्यादा मत बाते किया करो ऐसी, मुझे कुछ-कुछ होता है.”
“हाहहाहा….छोड़ो सब कुछ…चलो सोते हैं. अब मैं अर्ली मॉर्निंग ही जाउन्गा यहाँ से.” मोहित ने कहा.
“तुम जाना चाहोगे अभी तो भी नही जाने दूँगी. लेकिन कोई बदमासी नही चलेगी. सो जाओ चुपचाप.”
“बिल्कुल सो जाउन्गा, एक गुड नाइट पप्पी तो दे दो मुझे. नींद नही आएगी उसके बिना.” मोहित ने कहा.
“हहहे…तुम पागल हो…ये लो.” पूजा ने उठ कर मोहित के होंटो पर होन्ट टीका दिया. एक मिनिट के लिए दोनो ने डीप्ली किस किया एक दूसरे को.
“थॅंक यू.” मोहित ने कहा.
“माइ प्लेषर. अब सो जाओ. गुड नाइट.”
………………………………………………………………………………
……
रोहित शालिनी के कहे अनुसार आराम करने के लिए उसी कमरे में आ गया जिसमे वो अड्मिट था. रह-रह कर उसे शालिनी की आँखे देखाई दे रही थी.
“डुबो दिया मेडम ने तो मुझे अपनी आँखो की गहराई में. क्या वो भी मेरे बारे में ऐसा ही सोच रही होंगी, जैसा कि मैं सोच रहा हूँ उनके बारे में. हो भी सकता है और नही भी हो सकता. उनका नेचर बाकी नर्माल लड़कियों से बहुत डिफरेंट है. समझना मुस्किल है उन्हे.”
अचानक्ब रोहित को कुछ हलचल सुनाई दी अपने कमरे के बाहर. रोहित अपनी पिस्टल ले कर दबे पाँव बाहर निकला. उसने कमरे से बाहर झाँक कर देखा. बाहर कुछ नज़र नही आया. रोहित ए एस पी साहिबा के रूम की तरफ बढ़ा, “जा कर देख लूँ कि सब ठीक तो है वहाँ.”
रोहित वाहा पहुँचा तो देखा कि 4 कॉन्स्टेबल्स खड़े हैं वहाँ मगर चौहान गायब है.
“इनस्पेक्टर साहिब कहाँ गये?” रोहित ने पूछा.
“वो शहर के राउंड पर गये हैं.” एक कॉन्स्टेबल ने कहा.
“उनकी ड्यूटी तो यहा थी ना मेडम की प्रोटेक्षन की.” रोहित ने कहा.
“हमें नही पता सर. वो हमें यहा छोड़ कर गये हैं.”
अचानक रोहित की नज़र दूर से दीवार के कोने से झाँकते एक आदमी पर पड़ी. चेहरा नही देख पाया रोहित ठीक से…क्योंकि डिस्टेन्स ज़्यादा था.
“हे रूको…कौन हो तुम.” रोहित चिल्लाया.
“मगर अगले ही पल वो आदमी वाहा से हट गया. रोहित पिस्टल ले कर लड़खड़ाते कदमो से भागा उस तरफ.
मगर वहाँ कुछ नज़र नही आया. रोहित भागते-भागते हॉस्पिटल के पीछे बने गार्डेन में आ गया. दबे पाँव चल रहा था वो हाथ में पिस्टल लिए. अंधेरा था वाहा इसलिए कुछ ठीक से दीख नही रहा था.
अचानक एक पंच पड़ा रोहित के मुँह पर और अगले ही पल एक लात भी पड़ी पेट पर. रोहित फाइयर करने वाला था उस साए पर जिसने ये सब किया उसके साथ मगर फिर उस साए की आवाज़ सुन कर रुक गया.
“मिस्टर साइको आज तुम्हारी खैर नही. कॅमरा ऑन करो इसका इंटरव्यू लेंगे.”
“अरे झाँसी की रानी ये मैं हूँ इनस्पेक्टर रोहित. क्या कर रही हो तुम यहाँ मिनी.”
“इनस्पेक्टर साहिब आप…सॉरी..सॉरी…हम तो एक साए का पीछा कर रहे थे. मुझे लगा था कि वो साइको है.”
“बच गयी तुम आज. इतने में तो गोली चला देता हूँ मैं. शरीर की पहले ही बॅंड बजी हुई है. तुमने और ज़्यादा ऐसी तैसी कर दी. क्या कराटे सीख रखें हैं तुमने.”
“हां मेरे पास ब्लॅक बेल्ट है.”
“जीसस एक तो रिपोर्टर उपर से ब्लॅक बेल्ट होल्डर. भगवान भली करे.”
“क्या कहा आपने.”
“कुछ नही.”
“अब आप मिल ही गये हैं तो एक बात बतायें. आपकी निकम्मी पोलीस अब हॉस्पिटल में पड़ी है. शहर वासियों का क्या होगा. लगता है धीरे धीरे सभी की आर्ट बन जाएगी इस सहर में और पोलीस बस तमाशा देखती रहेगी.” मिनी ने माइक को रोहित के मुँह के आगे रख कर कहा.
“नो कॉमेंट्स…” रोहित कह कर चल दिया वहाँ से.
“कुछ कहने को होगा, तब ना कहेंगे. ये हाल है हमारी पोलीस का. बात सॉफ है. हमें अपनी रक्षा खुद करनी होगी. पोलीस के सहारे रहे तो हम सब मारे जाएँगे. ओवर टू यू…..”
“ये मिनी तो पीछे पड़ गयी है मेरे. कितनी ज़ोर की लात मारी मेरे पेट में अफ…
रोहित ने हर तरफ देखा हॉस्पिटल में मगर उसे कुछ नही मिला. “क्या पता कोई वैसे ही झाँक रहा हो. पोलीस को देख कर लोग तान्क झाँक करते ही हैं. साइको तो वैसे भी नकाब लगा कर घूमता है. साला इस केस ने इतना उलझा दिया है दिलो दीमग को कि हर कोई साइको ही नज़र आता है. मेडम से मिलता हूँ अब जाकर. क्या पता वो जाग रही हों.” रोहित ए एस पी साहिबा के कमरे की तरफ चल दिया.
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रात के 12 बज रहे थे. हर तरफ रात का सन्नाटा फैला था. हर तरफ एक अजीब सी खामोसी थी. राज शर्मा जीप में बैठा हुआ अपनी किस्मत को रो रहा था. “यार ये किस पत्थर से प्यार हो गया है. फोन ही नही उठा रही है. और ना ही दरवाजा खोल रही है. ऐसे ही चलता रहा ये प्यार तो बड़ी जल्दी स्वर्ग सिधार जाउन्गा.”
राज शर्मा काई बार बेल बजा चुका था घर की मगर पद्मिनी ने एक बार भी दरवाजा नही खोला था.
“एक बार फिर ट्राइ करता हूँ. अगर अब भी नही खोला तो दुबारा कोशिस नही करूँगा.” राज शर्मा ने घर की बेल बजाई. कोई एक मिनिट बाद अंदर कदमो की आहट सुनाई दी.
पद्मिनी ने दरवाजा खोला और बोली, “इतनी रात को क्यों परेशान कर रहे हो. मैं सो रही थी.”
“ओह सॉरी…चलिए सो जाईए आप. मैं तो बस गुड नाइट बोलने आया था.” राज शर्मा मूड कर चल दिया.
“रूको… कुछ कहना चाहते थे क्या?”
“हां कहना तो बहुत कुछ था. मगर अब रात ज़्यादा हो गयी है और आपको नींद भी आ रही है…कल बात कर लेंगे. गुड नाइट.”
“नही रूको…अभी बात कर लेते हैं.”
“सच…मेरी आँखे नम हो गयी ये सुन कर.” राज शर्मा ने मज़ाक में कहा.
“क्या मैं तुमसे बात नही करती हूँ…जो कि ऐसा बोल रहे हो.”
“एक बार भी फोन नही उठाया आपने. ना ही दरवाजा खोला. ऐसा कौन सा गुनाह हो गया था मुझसे. आपके पास दिल नाम की चीज़ ही नही है.”
“राज शर्मा यही बात तुम पर भी लागू होती है. सुबह मैं उठी तो तुम्हे हर तरफ देखा. पर तुम यहाँ होते तो मिलते. कॉन्स्टेबल्स से पूछा तो पता चला कि तुम तो सुबह होते ही यहा से चले गये थे. क्या तुम मुझे नही बता सकते थे ये बात. एक मेसेज तो कर ही सकते थे तुम.”
क्रमशः..........................
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