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RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--116
गतान्क से आगे.................
लॅडीस डॅन्स हो रहा था. नगमा खूब झूम-झूम कर नाच रही थी. चारो तरफ लॅडीस ने गोल घेरा बना रखा था. पद्मिनी भी नगमा को डॅन्स करते हुए देख रही थी. पिंक कलर का लहंगा-चोली पहन रखा था उसने. अचानक एक गाना चला और नगमा ने पद्मिनी को भी खींच लिया.
कूदिया दे विच फिरे हस्दी खेददी
गुट दी प्रंडी तेरी नाग वांगु महलदी
कॉलेज नू जावे नि तू नाग वांगु महलदी
आशिकन नू दर्श दिखाया करो जी
कड़ी साडी गली भूल के वी आया करो जी
कुछ देर तो पद्मिनी शरमाई मगर जब उसके पाँव थिरकने लगे तो वो पूरे जोश में आ गयी. तनु वेड्स मनु का ये गाना उसका फेवोवरिट था इसलिए झूम-झूम कर नाच रही थी. पद्मिनी इतना अच्छा थिरक रही थी कि नगमा पीछे हट गयी. बाकी लड़कियाँ भी वहाँ से हट गयी. सिर्फ़ पद्मिनी रह गयी वहाँ. उसकी पतली कमर के झटके किसी की भी जान ले सकते थे. एक सुंदर नारी जब नृत्य करती है तो बड़े से बड़े साधु भी घायल हो जाते हैं. बहुत ही कामुक नृत्य था पद्मिनी का. अंग-अंग म्यूज़िक के साथ लहराता मालूम हो रहा था.
नगमा भाग कर गयी राज शर्मा के पास और उसे बोली, “चल जल्दी तेरी पद्मिनी नाच रही है.”
“मज़ाक मत कर. उसे डॅन्स नही आता.” राज शर्मा ने कहा.
“झूठ बोला होगा उसने तुझे…चल देख अपनी आँखो से दिल ज़ख़्मी ना हो गया तेरा तो कहना.”
राज शर्मा वहाँ पहुँचा तो उसे अपनी आँखो पर यकीन ही नही हुआ.
“ऑम्ग पद्मिनी इतना अच्छा डॅन्स करती है. मेरा भी मन कर रहा है उसके साथ डॅन्स करने का” राज शर्मा ने नगमा से कहा.
“ये लॅडीस महफ़िल है. जाओ अब… बस एक झलक दिखानी थी तुम्हे.” नगमा ने कहा.
“नही मैं पद्मिनी का पूरा डॅन्स देख कर जाऊगा. कम से कम इस गाने को तो ख़तम हो जाने दो.”
“ओके मगर चुपचाप खड़े रहना.” नगमा ने कहा.
जब गाना थमा तो पद्मिनी भी थम गयी. अचानक उसकी नज़र राज शर्मा पर पड़ी तो शरम से पानी-पानी हो गयी. उसका पूरा जिसम पसीने से लटपथ था. कुछ लड़कियों ने उसे घेर लिया बधाई देने के लिए. वो सभी की बधाई लेकर भीड़ से बाहर आ गयी.
“ग़ज़ब पद्मिनी…ग़ज़ब…यार मार डाला तुमने मुझे आज. मैं पहले से ही घायल था तुम्हारे प्यार में. क्या नाचती हो तुम.”
“मेरे कपड़े गीले हो गये हैं. चेंज करके आती हूँ.” पद्मिनी ने बात टालने की कोशिस की.
“घर जाओगी क्या वापिस?”
“हां जाना ही पड़ेगा. दूसरे कपड़े तो कार में पड़े हैं पर यहाँ चेंज करने की जगह नही है.”
“मेरे घर चलते हैं…नज़दीक पड़ेगा.”
“नही वहाँ नही जाऊगी.”
“क्यों…”
“तुम मुझे जिस तरह देख रहे हो…मुझे लगता है तुम्हारे साथ जाना ठीक नही.”
“ऐसा मत कहो पद्मिनी…. प्यार करता हूँ तुमसे. खा नही जाऊगा तुम्हे. चलो…” राज शर्मा पद्मिनी का हाथ पकड़ कर कार की तरफ चल पड़ा.
पद्मिनी का दिल धक-धक करने लगा. 15 मिनिट में वो राज शर्मा के घर पहुँच गये.
“वैसे इस ड्रेस में शीतम ढा रही हो तुम. उपर से ऐसा डॅन्स दिखा दिया मुझे.” राज शर्मा ने पद्मिनी को बाहों में भर लिया.
“मैने तुम्हे नही बुलाया था. तुम क्यों आए वहाँ.”
“नगमा ले गयी थी मुझे ज़बरदस्ती. मैं वहाँ ना जाता तो मुझे पता ही ना चलता कि मेरी पद्मिनी इतना अच्छा नाचती है.”
“मैं बस यू ही थिरक रही थी गाने के साथ…मुझे नाचना नही आता.”
“तुम्हारा अंग-अंग म्यूज़िक के साथ सागर की लहरों की तरह झूम रहा था. ये हर कोई नही कर सकता. तुम्हारे नितंब क्या झटके मार रहे थे. और पतली कमर का तो क्या कहना.”
“क्या कहा तुमने…नितंब हिहिहीही…सभ्य भासा पर्योग कर रहें हैं आज आप.” पद्मिनी ने हंसते हुए कहा.
“हां गान्ड कहूँगा तो कही तुम भड़क ना जाओ. फिर मुझे कुछ नही मिलेगा. मुझे आज उस दिन का आधुंरा काम पूरा करना है. आज प्लीज़ कोई बुक मत गिराना.”
“राज शर्मा बस एक महीने की बात और है. डाइवोर्स होते ही हम शादी कर लेंगे. देखो 2 महीने रुके रहे तुम. एक महीना और रुक जाओ. मैं तो तुम्हारी हूँ…तुम्हारी रहूंगी.”
“वही तो मैं कह रहा हूँ. जब तुम मेरी हो तो ये शादी की फॉरमॅलिटी क्यों. तुम्हे पत्नी मानता हूँ मैं और क्या रह गया. शादी के इंतेज़ार में मेरी जान ना चली जाए.” राज शर्मा ने कहा.
पद्मिनी ने तुरंत राज शर्मा के मूह पर हाथ रख दिया, “ऐसा मत कहो.”
“तुमने उस दिन फार्म हाउस पर कहा था कि मैं अपने अंग-अंग पर तुम्हारे होंटो की चुअन महसूस करना चाहती हूँ. आज मेरे होंटो को ये मौका दे दो ना.”
“मेरा पूरा शरीर पसीने में डूबा हुआ है. मूह कड़वा हो जाएगा तुम्हारा.”
“अच्छा देखूं तो…” राज शर्मा ने पद्मिनी की गर्दन पर चूमना शुरू कर दिया.
पद्मिनी उसे चाह कर भी रोक नही पाई.
“तुम तो बहुत टेस्टी लग रही हो. कोई भी कड़वपन नही है. मज़ा आएगा.”
“उफ्फ…यू आर टू मच…अच्छा मुझे नहा लेने दो पहले. फिर देखते हैं आगे क्या करना है.”
“नही मैने अपने होंटो के प्रेम रस से नहलाउंगा तुम्हे आज.”
“तुम पागल हो सच में.”
“वैसे तुमने आज तक नही बताया की उस दिन कैसा लगा था तुम्हे.”
“दर्द हुआ था बहुत ज़्यादा. मैने उसी दिन बता दिया था तुम्हे. क्यों पूछते हो बार-बार.”
“हुआ यू कि हमारे लंड महोदया बस अंदर गये ही थे आपके की आपने वो पुस्तक गिरा दी. हमारे लंड महोदया को आपकी चूत के अंदर प्रेम घर्सन करने का अवसर ही नही मिला. अन्यथा आप इस वक्त दर्द को याद ना करती.”
“अंदाज़ बड़ा निराला है आपका. ये सब कहाँ से सीखा.”
“आपके प्रेम ने सभ्य भासा सीखा दी. क्या करें प्यार करते हैं आपसे कोई मज़ाक नही.”
“हम भी प्यार करते हैं आपसे कोई मज़ाक नही.” पद्मिनी ने कहा.
राज शर्मा ने पद्मिनी के होंटो को प्यार से किस किया और बोला, “चलो पद्मिनी इस प्यार में आज डूब जायें हम दोनो. जब इतना प्यार करते हैं हम एक दूसरे से तो हक़ बनता है ये हमारा.”
पद्मिनी कुछ नही बोली. बस राज शर्मा की छाती पर सर टीका कर चिपक गयी उसके साथ. बहुत कश कर जाकड़ लिया था उसने राज शर्मा को.
“मेरी महबूबा का स्वीकृति देने का अंदाज़ बड़ा निराला है.” राज शर्मा ने पद्मिनी के नितंबो को जाकड़ लिया दोनो हाथो में.
राज शर्मा ने पद्मिनी को खुद से अलग किया और उसे गोदी में उठा लिया. पद्मिनी ने अपनी आँखे बंद कर ली. राज शर्मा ने बड़े प्यार से उसे बिस्तर पर लेटा दिया. पद्मिनी आँखे बंद किए पड़ी रही चुपचाप. जब कुछ देर उसे राज शर्मा की कोई चुअन महसूस नही हुई तो उसने आँखे खोल कर देखा. राज शर्मा पूरे कपड़े उतार चुका था. लंड पूरे तनाव में था. पद्मिनी की नज़र जैसे ही राज शर्मा के लंड पर पड़ी उसने अपने दोनो हाथो में अपना चेहरा ढक लिया, “ऑम्ग…अब पता चला उस दिन इतना दर्द क्यों हुआ था.”
“उस दिन के दर्द का कारण बता चुके हैं हम आपको. उसका हमारे लंड महोदया की लंबाई-चौड़ाई से कोई लेना देना नही है.”
राज शर्मा पद्मिनी के उपर चढ़ गया और उसके कपड़े उतारने लगा.
“कपड़े रहने दो प्लीज़. मुझे शरम आएगी.”
“कपड़े नही उतारोगी तो मैं तुम्हारे अंग-अंग पर अपने होंटो को कैसे रखूँगा. चलो ये चोली उतारते हैं पहले.” राज शर्मा ने चोली उतार दी. पद्मिनी बिना कुछ कहे सहयोग कर रही थी.
“वाउ…ब्यूटिफुल. इन उभारों को ब्रा के चंगुल से बाद में आज़ाद करेंगे पहले ये लहंगा उतार लेते हैं.” राज शर्मा ने कहा.
राज शर्मा ने पद्मिनी के नितंबो के नीचे हाथ सरकाए और लहँगे को पकड़ कर नीचे खींच लिया.
“जितना सुंदर चेहरा…उतना ही सुंदर शरीर. मन भी सुंदर पाया है तुमने. व्हाट आ रेर कॉंबिनेशन. “ राज शर्मा ने लहँगे को पद्मिनी के शरीर से अलग करते हुए कहा.
“तुम नाच रही थी तो तुम्हारे उभार जब उपर नीचे हिल रहे थे तो मेरा दिल भी उपर नीचे उछल रहा था. मन कर रहा था की पकड़ लूँ तुम्हे जा कर और टूट पदू इन उछलते उभारों पर.” राज शर्मा ने ब्रा खोलते हुए कहा.
“कैसी बाते करते हो तुम…मुझे शरम आ रही है…प्लीज़ मूह बंद रखो अपना.”
“क्या करूँ दीवाना हूँ तुम्हारा. तुम्हारी तारीफ़ किए बिना रह ही नही सकता.”
राज शर्मा ने पद्मिनी के बायें उभार के निपल को होंटो में दबा लिया और उसे चूसना शुरू कर दिया. पद्मिनी की सिसकियाँ गूंजने लगी कमरे में.
“कैसा लग रहा है तुम्हे.” राज शर्मा ने पूछा.
पद्मिनी ने कोई जवाब नही दिया. उसने राज शर्मा के सर को थाम लिया और उसके सर पर हल्का सा दबाव बनाया ताकि उसके होन्ट वापिस निपल्स पर टिक जायें.
“लगता है तुम्हे मज़ा आ रहा है…हहेहेहहे…वैसे मैं दूसरे निपल पर जा रहा था. तुम कहती हो तो इसे ही चूस्ता रहता हूँ.”
पद्मिनी शरम से पानी-पानी हो गयी. “नही मेरा वो मतलब नही था. तुम करो जो करना है.”
“आपकी इन्हीं अदाओं पे तो प्यार आता है…थोड़ा नही बेसुमार आता है. बस एक बार हमें ये बता दो. इन अदाओं का तूफान कहाँ से आता है.”
“तुम ऐसी बातें करोगे तो कोई भी शर्मा जाएगा.”
“चलो इसी निपल को सक करता हूँ. लगता है ये ज़्यादा मज़ा दे रहा है तुम्हे…हिहिहीही..”
राज शर्मा फिर से डूब गया पद्मिनी के उभारों में. पद्मिनी फिर से आहें भरने लगी. बारी-बारी से दोनो उभारों को प्यार कर रहा था राज शर्मा. पद्मिनी की सिसकियाँ तेज होती जा रही थी.
अचानक राज शर्मा पद्मिनी के निपल्स छोड़ कर हट गया और पद्मिनी की पॅंटी को धीरे से नीचे सरका कर पद्मिनी के शरीर से अलग कर दिया. पद्मिनी की टांगे काँपने लगी और उसकी साँसे बहुत तेज चलने लगी.
राज शर्मा के लिए एक पल भी रुकना मुस्किल हो रहा था. उसने पद्मिनी की टाँगो को अपने कंधे पर रख लिया और पद्मिनी के चेहरे पर हाथ रख कर बोला, “मुझे कभी किसी का प्यार नही मिला पद्मिनी. जिंदगी भर प्यार के लिए तरसता रहा. ऐसा नही था की मैने कोशिस नही की. जो भी लड़कियाँ जिंदगी में आईं उन्होने मेरे दिल में झाँक कर देखा ही नही. मैं प्यार ढूंड रहा था हमेशा…लेकिन जिंदगी पता नही कब बस सेक्स में उलझ गयी. प्यार की तलाश इसलिए भी थी शायद क्योंकि बचपन से अनाथ था. तुम्हे प्यार तो करने लगा था पर डरता था कि दिल टूट ना जाए. लेकिन मैं आज बहुत खुश हूँ क्योंकि मेरा दिल बहुत प्यार से संभाल कर रखा है तुमने. इतना प्यार कभी नही मिला पद्मिनी. आइ लव यू सो मच.”
“आइ लव यू टू…राज शर्मा. झुत नही बोलूँगी. तुमसे प्यार करना नही चाहती थी. तुमसे दूर ही रहना चाहती थी. पर ना जाने क्या जादू किया तुमने कि मैं तुम्हारे प्यार में फँस गयी.”
“वैसे दूर क्यों भागती थी मुझसे तुम.”
“मैने सपना देखा था. जिसमे तुम मेरे साथ…ये सब कर रहे थे.”
“ये सब मतलब…सेक्स.”
“हां…. हम खुले में थे. किसी खेत का द्रिस्य था शायद. अचानक मुझे नगमा दिखी चारपाई पर लेटी हुई. मैने तुम्हे रोकने की कोशिस कि ये कह कर की नगमा देख लेगी. पर तुम नही रुके. अचानक साइको आ गया वहाँ और मेरी आँख खुल गयी. इस सपने ने बहुत डरा दिया था मुझे. इसलिए तुमसे दूर भागती थी.”
“हाहहहहाहा….अब पता चला सारा चक्कर. तो तुम अपनी चूत बचाने के चक्कर में थी.”
“शट अप…” पद्मिनी गुस्से में बोली.”
“वैसे सपना सच हुआ है तुम्हारा. उस दिन टेबल पर झुका रखा था तुम्हे तो नगमा की फोटो भी गिरी थी नीचे. उसके उपर एसपी की फोटो थी. क्या सपने में भी पीछे से ठोक रहा था तुम्हे.”
“मुझे कुछ याद नही है अब….” पद्मिनी हंसते हुए बोली.
“सो स्वीट पद्मिनी. हमेशा यू ही हँसती रहना.”
“तुम मुझे यू ही प्यार करोगे तो मैं यू ही हँसती रहूंगी.”
“पद्मिनी क्या मैं समा जाऊ तुम में.”
“मना करूँगी तो क्या रुक जाओगे.”
“बोल कर तो देखो.”
“रुक जाओ फिर…” पद्मिनी ने बोलते ही आँखे बंद कर ली. क्योंकि उसे यकीन था कि राज शर्मा तुरंत समा जाएगा उसके अंदर. पर ऐसा कुछ नही हुआ. पद्मिनी ने एक मिनिट बाद आँख खोली और बोली, “क्या हुआ तुम तो सच में रुक गये. तुम तो ऐसे नही थे.”
क्रमशः..........................
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RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--117
गतान्क से आगे.................
“पद्मिनी मैं चाहता हूँ कि तुम अपनी आँखे खुली रखो. ताकि हम एक दूसरे की आँखो में देख सकें और जान सके कि दूसरा क्या महसूस कर रहा है. हमारा मिलन हमारे प्यार के जितना ही पवित्र है. हमें आँखो से आँखे मिला कर उतरना चाहिए इस संभोग में. सिर्फ़ मेरा लंड ही नही जाएगा तुम्हारे अंदर. मेरा प्यार और मेरी आत्मा भी समा जाएगी तुम्हारे अंदर. बस कुछ देर के लिए आँखे खुली रखो फिर तो आँखे वैसे भी खुद-ब-खुद बंद हो जाएँगी क्योंकि हम प्यार में डूब जाएँगे.”
पद्मिनी ने राज शर्मा के चेहरे पर हाथ रखा और बोली, “मुझे यकीन नही था कि कभी इतनी गहरी बातें भी करोगे. पवर ऑफ नाउ की याद दिला दी तुमने मुझे. ठीक है मेरे दीवाने मैं आँखे खुली रखूँगी.”
राज शर्मा ने एक हाथ से लंड को पकड़ा और पद्मिनी के चूत छेद पर टिका दिया. पद्मिनी के शरीर में बिजली की लहर दौड़ गयी. उसके होन्ट काँपने लगे.
“मेरी कोशिस रहेगी कि आज दर्द ना हो…थोड़ा बहुत हो तो संभाल लेना.” राज शर्मा ने खुद को पुश किया.
पद्मिनी ने अपने दाँत भींच लिए लेकिन आँखे बंद नही की. दोनो की आँखे लगातार एक दूसरे से जुड़ी हुई थी. बहुत कुछ कह रही थी दोनो की आँखे एक दूसरे से. प्यार का अनमोल इज़हार हो रहा था आँखो के ज़रिए.
ना राज शर्मा ने मूह से कुछ कहा और ना पद्मिनी ने मूह से कुछ कहा. सभी बातें आँखो के ज़रिए हो रही थी. धीरे-धीरे राज शर्मा पूरा समा गया पद्मिनी के अंदर और राज शर्मा ने पलके झपका कर पद्मिनी को इशारा किया कि तुम अब आँखे बंद कर सकती हो. दोनो ने आँखे बंद कर ली और उनके होन्ट खुद-ब-खुद एक दूसरे से जुड़ गये. पद्मिनी राज शर्मा के प्यार में दर्द पूरी तरह भूल गयी थी.
राज शर्मा ने पद्मिनी की चूत में लंड का घर्षण शुरू कर दिया. मगर दोनो के होन्ट लगातार एक दूसरे से जुड़े रहे. धीरे-धीरे राज शर्मा ने स्पीड बढ़ाई तो पद्मिनी की चीन्ख गूंजने लगी कमरे में. ये चीन्खे दर्द की नही बल्कि बल्कि उस आनंद की थी जो पद्मिनी को राज शर्मा के साथ हो रहे मिलन से मिल रहा था. पद्मिनी अपना सर दायें-बायें बहुत तेज़ी से घुमा रही थी. राज शर्मा भी पूरी तरह खो गया था पद्मिनी में. आँखे बंद थी उसकी भी और वो बार-बार पद्मिनी के अंदर और अंदर जाने की कोशिस कर रहा था. प्यार अंतिम सीमा तक पहुचने की कोशिस करता है. इसलिए राज शर्मा हर बार पद्मिनी के और अंदर उतर जाना चाहता था.
अचानक पद्मिनी बहुत ज़ोर से चिल्लाई, “राज शर्मा….बस…और नही….रुक जाओ….” पद्मिनी का ऑर्गॅज़म हो चुका था. मगर राज शर्मा नही रुका तो उसे अश्चर्य हुआ की वो एक और ऑर्गॅज़म की तरफ बढ़ रही है. ऐसा पहली बार हो रहा था उसके साथ. वो दुबारा चिल्लाई, “राज शर्मा बस…अब रुक जाओ…प्लेअएसस्स्स्स्स्सस्स.”
राज शर्मा बिना कुछ कहे पद्मिनी के और ज़्यादा अंदर जाने की कोशिस में लगा रहा. अचानक उसकी स्पीड बहुत तेज हो गयी. इतनी तेज की पूरा बिस्तर हिलने लगा. पद्मिनी की तो साँसे अटकने लगी. साँस लेना बहुत मुस्किल हो गया था उसके लिए. तूफान ही कुछ ऐसा मचा दिया था राज शर्मा ने.
“पद्मिनी!” बहुत ज़ोर से चिल्लाया राज शर्मा और ढेर हो गया पद्मिनी के उपर. दोनो की गरम-गरम साँसे आपस में टकरा रही थी.
कुछ देर तक यू ही पड़े रहे दोनो. दोनो को नींद की झपकी लग गयी थी. अचानक राज शर्मा की आँख खुली, “ऑम्ग मोहित मेरी जान ले लेगा.”
पद्मिनी ने राज शर्मा को कश कर थाम लिया. राज शर्मा ने पद्मिनी की आँखो में देखा तो पाया कि उसकी आँखे नम हैं.
“क्या हुआ मेरी महबूबा को.” राज शर्मा ने पूछा.
“मुझे हमेशा यू ही प्यार करना राज .”
“मेरा प्यार नही बदलेगा पगली…चाहे ये दुनिया बदल जाए.”
“हमने कोई प्रोटेक्षन यूज़ नही किया…कुछ ऐसा वैसा हो गया तो.” पद्मिनी ने कहा.
“ओह हां… आगे से ध्यान रखेंगे. अभी बच्चो का नही सोचेंगे. पहले खुल कर इस प्यार को एंजाय कर लें फिर सोचेंगे.”
“चलें अब…” पद्मिनी ने हंसते हुए कहा.
“मेरा तो फिर से मन कर रहा है.”
“चलो..चलो लेट हो जाएँगे.” पद्मिनी ने प्यार से कहा.
………………………………………………………………
शालिनी शादी की भीड़- भाड़ में अकेली परेशान सी घूम रही थी. उसकी नज़र राज शर्मा और पद्मिनी पर पड़ी तो तुरंत उनके पास आई दौड़ कर.
“तुम लोगो ने रोहित को देखा कहीं. उसका फोन भी नही मिल रहा.” शालिनी ने पूछा.
“मेडम हम अभी आए हैं. पद्मिनी को ड्रेस चेंज करनी थी. घर गये थे.” राज शर्मा ने कहा.
“रोहित पुणे वापिस जा रहा है ना कल. शायद पॅकिंग में बिज़ी होगा.” पद्मिनी ने कहा.
“वैसे रोहित सर ने रिज़ाइन करके ठीक नही किया. उनका सस्पेन्षन तो वापिस हो ही गया था.” राज शर्मा ने कहा.
“ह्म्म…अच्छा तुम लोगो को रोहित कहीं दिखे तो उसे बोल देना कि मुझसे मिल ले.” शालिनी ने कहा.
“तुम्हारी एंगेज्मेंट है ना परसो. मैं तो भूल ही गयी थी.” पद्मिनी ने कहा
“हां…प्लीज़ मेरा मेसेज ज़रूर दे देना उसे.”
“हां दे देंगे आप चिंता मत कीजिए.”
कल जबसे रोहित शालिनी के रूम से निकला था गुस्से में तबसे शालिनी की उस से बात नही हुई थी. कल से ही फोन ऑफ था उसका. शालिनी जब घर गयी रोहित के तो वहाँ ताला मिला उसे. यही कारण था कि शालिनी बहुत बेचैन थी रोहित से मिलने के लिए और शादी के समारोह में बस उसे ही ढूंड रही थी. वो शादी में आए हर व्यक्ति को गौर से देख रही थी. दिल बस यही दुआ कर रहा था कि काश रोहित दिख जाए.
कल का पूरा दिन शालिनी के लिए बहुत अजीब गुजरा था. जब सुबह उसकी आँख खुली थी तो आँखो में आंशू भर आए थे उसकी. सपना ही कुछ ऐसा देखा था उसने.
सपने में वो रोहित के साथ थी. दोनो डिन्नर कर रहे थे. डिन्नर की जगह बड़ी अजीब थी. थाने की बिल्डिंग की छत पर थे दोनो. वहाँ एक टेबल लगी थी जिसके दोनो तरफ कुर्सियों पर रोहित और शालिनी बैठे थे.
खाते हुए दोनो प्यारी-प्यारी बातें कर रहे थे. अचानक शालिनी ने प्यारी सी मुस्कान के साथ कहा, “रोहित तुम जान-ना चाहते थे ना मेरे दिल की बात. क्या बोल दूं आज.”
“हां बोलो ना मैं तो कब से इंतेज़ार कर रहा हूँ. बताओ क्या है तुम्हारे दिल में.”
“मैं तुम्हे बहुत प्यार करती हूँ रोहित. मगर इस प्यार में दो कदम भी साथ नही चल सकती तुम्हारे.”
“प्यार करती हो और दो कदम भी साथ नही चल सकती. ए एस पी साहिबा इतनी कमजोर निकलेगी सोचा भी नही था मैने. मैं तुमसे कोई बात नही करना चाहता.”
“रोहित प्लीज़ सुनो तो.”
“क्या सुनू मैं…प्यार का मज़ाक बना रखा है तुमने. प्यार का ऐसा बेहूदा इज़हार आज तक ना देखा ना सुना मैने. आइ हेट यू.”
तभी शालिनी की आँख खुल गयी थी और उसकी आँखो में आँसू भर आए थे. रोहित की बात किसी काँटे की तरह चुभ रही थी शालिनी के दिल में.
“इसीलिए मैने प्यार का इज़हार नही लिया अब तक. प्यार का इज़हार करके इस प्यार को ठुकराना नही चाहती मैं. इसीलिए दिल में दबा कर रखती हूँ इस प्यार को. पर रोहित तुम जानते तो हो ना कि मैं प्यार करती हूँ तुम्हे. मैं कहूँ या ना कहूँ पर तुमसे कुछ छुपा तो नही है ना. काश तुम्हे कह पाती एक बार कि कितना प्यार करती हूँ तुम्हे पर किस्मत मुझे मौका ही नही दे रही. काश घर में तुम्हारे बारे में बात करने से पहले ही तुम्हे ‘आइ लव यू’ बोल देती तो दिल पर बोझ ना रहता. पता नही पापा क्यों इतना नापसंद करते हैं तुम्हे.” शालिनी चुपचाप बिस्तर पर पड़ी सब सोच रही थी.
कुछ देर शालिनी यू ही चुपचाप पड़ी रही. अचानक उसे ख्याल आया, “आज फिर से पापा से बात करके देखती हूँ तुम्हारे बारे में. पूरी कोशिस करूँगी उन्हे मनाने की. अगर वो मान गये तो तुम्हे अपने दिल में छुपा प्यार दिखा दूँगी आज.” शालिनी दिल में एक उम्मीद ले कर बिस्तर से उठ गयी.
सुबह के 7 बज रहे थे. शालिनी के डेडी ड्रॉयिंग रूम में बैठे अख़बार पढ़ रहे थे. शालिनी चुपचाप उनके पास आकर बैठ गयी.
“गुड मॉर्निंग पापा.”
“गुड मॉर्निंग बेटा. बड़ी जल्दी उठ गयी आज तुम.”
“एक बात करनी थी आपसे.”
“हां बोलो क्या बात है.”
“पापा क्या मेरी पसंद नापसंद कोई मायने नही रखती?”
“क्या मतलब… मैं कुछ समझा नही.”
“मैं रोहित को पसंद करती हूँ और आप ज़बरदस्ती मेरी शादी कही और करना चाहते हैं. क्या आपको नही लगता कि ये ग़लत है.”
“कैसे ग़लत है. कहाँ मदन और कहा रोहित. एक आइएएस ऑफीसर है और एक इनस्पेक्टर. कोई कंपॅरिज़न ही नही है.”
“लेकिन मैं उस इनस्पेक्टर को पसंद करती हूँ. क्या इस बात से कोई फरक नही पड़ता आपको.”
“तुम पागल हो गयी हो क्या. इतना अच्छा रिश्ता ढूँढा है तुम्हारे लिए और तुम उस निक्कम्मे इनस्पेक्टर की बातें कर रही हो फिर से. मैने पहले ही क्लियर कर दिया था तुम्हे कि मुझे ये मंजूर नही फिर क्यों दुबारा वही बात कर रही हो.”
“क्योंकि मैं घुट घुट कर नही जीना चाहती शादी के बाद. आख़िर बुराई क्या है रोहित में.”
“मदन में क्या बुराई है. तुम दोनो का कॅड्रर भी एक है. एक ऑफीसर, ऑफीसर से ही शादी करे तो अच्छा है वरना बात नही बनेगी.”
“बात बुराई की नही है पापा. मैं रोहित को पसंद करती हूँ मदन को नही.”
“शादी हो जाएगी तो पसंद करने लगोगी.”
“नही करूँगी मैं ये शादी.” शालिनी ने कहा.
शालिनी की मम्मी भी आ गयी दोनो की बहस सुन कर.
“मत करो. इसी दिन के लिए पाल पोश कर बड़ा किया था हमनें तुम्हे. पहली बार ज़ुबान लड़ा रही हो तुम मुझसे. मैने अपना फ़ैसला बता दिया था फिर भी तुमने आज ये मुद्दा उठाया.”
क्रमशः..........................
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RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--118
गतान्क से आगे.................
“पापा मैं ज़बान नही लड़ा रही. बस अपने दिल की बात कह रही हूँ.”
“दिल की बात करने से जिंदगी नही संवर जाएगी तुम्हारी. दिमाग़ से काम लो. तुम्हारा भला चाहता हूँ मैं. मदन के परिवार वालो को अच्छे से जानता हूँ मैं. उसके पापा मेरे कॉलेज के दोस्त हैं. अपने दिल की बात पर अपने दिमाग़ से गौर करो. जिंदगी भर खुस रहोगी तुम उस घर में.”
“कॉन जानता है कि खुस रहूंगी या दुखी रहूंगी.”
“हां हम तो तुम्हारे दुश्मन है जो तुम्हे दुख झेलने के लिए मजबूर कर रहे हैं. अगर ऐसा है तो जाओ कर लो जो करना है. तुम बालिग हो. अपने फ़ैसले खुद करने का क़ानूनी अधिकार है तुम्हे. पोलीस ऑफीसर भी हो. हमारी औकात ही क्या है तुम्हे कुछ कहने की अब. जाओ बेटा कर लो जो करना है.”
“नही पापा प्लीज़. ऐसा मत बोलिए. आपकी इच्छा के बिना एक कदम भी नही उठा सकती मैं आप ये अच्छे से जानते हैं.” शालिनी भावुक हो गयी.
“मेरी इच्छा की इतना परवाह है तुम्हे तो क्यों दुबारा रोहित की बात की तुमने. मुझे वो लड़का बिल्कुल पसंद नही है. दुबारा तुमने इस बारे में बात की तो मेरा मरा मूह देखोगी तुम.”
शालिनी अपने पापा के कदमो में बैठ गयी और बोली, “पापा प्लीज़ ऐसा मत बोलिए. मैं वही करूँगी जो आप कहेंगे.”
“मेरी मर्ज़ी तुम जानती हो. दुबारा इस मुद्दे पर बात मत करना मुझसे. बहुत दुख होता है मुझे. तुमने भूल कर भी रोहित का नाम लिया मेरे सामने तो तेरा मेरा रिश्ता हमेशा के लिए खाँ हो जाएगा. भूल जाऊगा मैं कि तुम मेरी बेटी हो.” ये बोल कर शालिनी के पापा वहाँ से चले गये.
बहुत उम्मीद ले कर आई थी शालिनी अपने पापा से बात करने.मगर उसकी उम्मीद गहरी निराशा में बदल गयी. बड़ी मुस्किल से थाने जाने के लिए तैयार हुई थी वो. मान इतना उदास था कि बिना नाश्ता किए घर से निकल गयी थी.
शालिनी को थाने पहुँचते ही अपने रूम में फॅक्स मिला कि रोहित का सस्पेन्षन वापिस हो गया है. शालिनी के दुखी मन को कुछ राहत मिली. बहुत कोशिस की थी उसने रोहित के लिए. वो खुस थी कि उसकी कोशिस कामयाब रही. उसने तुरंत रोहित को फोन मिलाया.
“हेलो रोहित. क्या इसी वक्त थाने आ सकते हो.” शालिनी फोन पर कुछ नही बताना चाहती थी.
“मैं थाने ही आ रहा हूँ. रास्ते में हूँ. बस 10 मिनिट में पहुँच रहा हूँ मैं.”
रोहित जब शालिनी के रूम पहुँचा तो वो चौहान को कुछ डाइरेक्षन्स दे रही थी. रोहित दरवाजे पर ही रुक गया.
“मिस्टर चौहान यू मे गो नाउ. जैसा कहा है वैसे ही करना.” शालिनी ने चौहान को कहा.
चौहान रोहित को घूरता हुआ बाहर चला गया.
“रोहित आओ ना वही खड़े रहोगे क्या. आओ तुम्हे एक खूसखबरी देनी थी.” शालिनी ने कहा.
रोहित चुपचाप बिना कुछ कहे शालिनी के सामने कुर्सी पर आकर बैठ गया.
“क्या बात है कुछ खोए-खोए से हो.”
“नही बस यू ही…”
“रोहित तुम्हारा सस्पेन्षन कॅन्सल हो गया है. तुम अभी आज से ही जाय्न कर सकते हो.”
रोहित हल्का सा मुस्कुराया ये सुन कर और बिना कुछ कहे शालिनी की टेबल पर एक लीफाफा रख दिया.
शालिनी रोहित के इस रिक्षन पर हैरान रह गयी.
“क्या बात है रोहित. तुम्हे कोई ख़ुसी नही हुई इस बात की.”
“ख़ुसी तो बहुत है. आपने बहुत कोशिस की इसके लिए. आपका बहुत बहुत शुक्रिया”
“ख़ुसी नज़र नही आ रही तुम्हारे चेहरे पर. इस लीफाफ़े में क्या है?”
“खोल के देख लीजिए.”
शालिनी ने लीफाफ़े में से लेटर निकाला. वो उसे पढ़ कर चोंक गयी.
“रोहित ये क्या मज़ाक है. रिज़ाइन क्यों कर रहे हो तुम. बड़ी मुस्किल से मैने सस्पेन्षन कॅन्सल करवाया है और तुम रिज़ाइन कर रहे हो. क्या पूछ सकती हूँ मैं कि ऐसा क्यों कर रहे हो तुम.”
“परसो पुणे वापिस जा रहा हूँ मैं. पोलीस की नौकरी कभी भी पसंद नही थी मुझे. मेरे डेडी के कारण जाय्न किया था मैने यहाँ.”
शालिनी को एक और झटका लगा. “पुणे जा रहे हो?...पर क्यों.”
“यहाँ नही रह सकता मैं. मेरी कुछ मजबूरी है.”
“मेरे अंडर काम नही करना चाहते तुम अब है ना. यही मजबूरी है ना तुम्हारी. तुम्हारी मेल ईगो अब तुम्हे मेरे अंडर काम करने की इजाज़त नही देती.”
“ऐसा कुछ नही है.”
“फिर बोलो क्या बात है. क्यों जा रहे हो मुझसे इतनी दूर तुम.”
“आपको मेरे चले जाने से फरक पड़ेगा क्या कोई.”
“फरक नही पड़ता तो क्या मैं परेशान होती इस वक्त. तुम यही रहो रोहित मेरे पास. मुझे अकेला छोड़ कर मत जाओ यहाँ.”
“आपने आज तक अपने मूह से प्यार का इज़हार तक नही किया. आज मैं जाने की बात कर रहा हूँ तो आपको तकलीफ़ हो रही है.”
“रोहित एक बात बताओ. क्या तुम्हारा और मेरा रिश्ता बस प्यार का ही हो सकता है? …. क्या हम दोस्त बन कर नही रह सकते.”
“क्या हम दोस्त थे कभी जो अब दोस्त बन कर रहें. हम प्यार करते हैं एक दूसरे से. इस प्यार को दोस्ती में नही बदल सकता मैं.”
“क्यों नही बदल सकते. दोस्ती भी तो प्यार का ही एक रूप है.”
“पहले प्यार तो कबूल कर लेती आप फिर मैं कुछ सोचता भी इस बारे में. बेकार में बहस कर रही हैं आप मेरे साथ इस बारे में.”
“तुम मुझसे क्या चाहते हो रोहित?”
“आपसे कोई चाहत तो तब रखता जब आप ये हक़ देती मुझे. क्योंकि मेरा प्यार एक तरफ़ा है शायद… इसलिए कुछ नही चाहता आपसे मैं. यहाँ से जा रहा हूँ क्योंकि अपने प्यार को किसी और के साथ शादी करते हुए नही देख सकता. यहाँ रहूँगा तो हर पल घुट-घुट कर जीऊँगा मैं. इसलिए यहाँ से जा रहा हूँ.”
“तो ये नौकरी और शहर तुम मेरे कारण छोड़ रहे हो.” शालिनी की आवाज़ में अजीब सा दर्द था.
“ये नौकरी तो मुझे छोड़नी ही थी. मैने कहा ना मुझे पोलीस की नौकरी कभी पसंद नही थी.”
“हां पर फिलहाल तो तुम मेरे कारण कर रहे हो ना ये सब. क्या इस से बड़ी सज़ा दे सकते हो तुम मुझे.”
“सज़ा आपको नही दे रहा हूँ बल्कि खुद को दे रहा हूँ. बहुत प्यार करता हूँ आपसे मैं….आपको सज़ा कैसे दे सकता हूँ.”
“रोहित प्लीज़ ऐसा मत करो मेरे साथ. प्लीज़ ये रेसिग्नेशन वापिस ले लो और यही रहो इसी शहर में.”
“हां यही रहू और आपको शादी करते देखूं…फिर बच्चे पैदा करते देखूं. मुझसे ये नही होगा.”
“शट अप रोहित.”
“क्यों चुप रहूं. मेरे प्यार का मज़ाक बना दिया आपने.”
“मैने तुम्हे नही कहा था प्यार करने के लिए.” शालिनी ने कड़ी आवाज़ में कहा.
“आप कभी कह भी नही सकती थी. मेरा ही दिमाग़ खराब था जो दिल लगा बैठा आपसे. मुझे क्या पता था कि मेरे प्यार का यू मज़ाक उड़ाया जाएगा.”
“देखो रोहित मैं इस बारे में कोई बात नही करना चाहती तुमसे. मेरी बस यही रिक्वेस्ट है की जब प्यार मुमकिन नही हमारे बीच तो हम दोस्त बन कर रहें तो ज़्यादा अच्छा है.”
“ठीक है मंजूर है दोस्ती आपकी मुझे. लेकिन ये दोस्ती निभाने के लिए यहाँ रहना ज़रूरी नही है. फोन पर दोस्ती जारी रख सकते हैं हम.”
ये सुनते ही शालिनी भड़क गयी. “जाओ फिर दफ़ा हो जाओ यहाँ से,” शालिनी चिल्लाई.
“चिल्लाओ मत मेरे उपर. गुस्सा मुझे भी आता है. एक तो प्यार का अपमान करती हो उपर से चिल्लाति हो. ए एस पी साहिबा हो कर अपनी जिंदगी के फ़ैसले दूसरे लोगो पर छोड़ रखें हैं आपने.”
“दूसरे लोग नही हैं वो…मेरे मा-बाप हैं. उनके बारे में एक शब्द भी मत बोलना.”
“क्यों ना बोलूं उनके बारे में. मेरे प्यार को मुझसे छीन रहे हैं वो और आप उनका साथ दे रही हैं. अपने फ़ैसले आपको खुद लेने चाहिए. मा-बाप अपनी जगह है. उनके लिए अपनी खुशियो का गला मत घोटो.”
“शट अप रोहित.”
“हां मेरी ज़ुबान पर ताले लगा दो. कुछ ग़लत नही कहा मैने. आपके पेरेंट्स आपकी खुशियो का गला घोंट रहें हैं और आप उनका साथ दे रही हो ख़ुसी ख़ुसी. और मुझे कहती हैं आप कि मैं रुक जाऊ यहाँ. ताकि आपकी शादी शुदा जिंदगी को पहलते फूलते देख सकूँ.”
“गेट आउट फ्रॉम हियर. दुबारा मत आना यहाँ तुम. जाओ जहा जाना है. आइ डॉन’ट केर.” शालिनी गुस्से में बोली.
तभी चौहान आ गया कमरे में और बोला, “मेडम ये फाइल देख लीजिए. इसमें सारी डीटेल है.”
रोहित चौहान के अंदर आते ही तुरंत उठ कर बाहर आ गया.
कुछ देर बाद जब शालिनी का गुस्सा शांत हुआ तो उसने रोहित को फोन मिलाया. मगर फोन स्विच्ड ऑफ था. कुछ देर बाद शालिनी घर गयी रोहित के मगर वहाँ ताला टंगा मिला उसे. शालिनी का पूरा दिन और पूरी रात बेचैनी भरी गुज़री. बार बार फोन ट्राइ किया शालिनी ने रोहित का मगर फोन हर बार स्विच्ड ऑफ ही मिला.
शालिनी को उम्मीद थी कि रोहित, मोहित की शादी में ज़रूर आएगा इसलिए शादी के महोत्सव में बस उसे ही ढूंड रही थी.
वर माला हो गयी थी मोहित और पूजा की और वो दोनो फूलो से सजे स्टेज पर बैठे थे. राज शर्मा और पद्मिनी दूल्हा दुल्हन को बधाई देने पहुँचे तो मोहित ने पूछा, “थे कहाँ तुम दोनो. फोन भी नही उठा रहे थे. ये कोई तरीका है क्या. मेरी शादी हो रही है और सभी दोस्त गायब हैं.”
“सॉरी गुरु…हम घर गये थे…पद्मिनी को कपड़े चेंज करने थे.”
“तो ये चली जाती तुम साथ क्यों गये थे. यहाँ कोई भी नही है कुछ संभालने वाला. तुम्हारी शादी होगी ना तो मैं भी गायब हो जाऊगा.” मोहित ने गुस्से में कहा.
“हां पद्मिनी बहुत बुरा लग रहा है मुझे. हमारी शादी हो रही है और कोई हमारे साथ नही है. शालिनी भी नही दिख रही कही. एक बार दिखी थी फिर ना जाने कहाँ गायब हो गयी.” पूजा ने कहा.
“रोहित का भी कुछ अता पता नही. उसका फोन भी नही मिल रहा. पता नही इतना बिज़ी कैसे हो गया कि शादी में आने का वक्त भी नही है उसके पास.” मोहित ने कहा.
“शालिनी को तो पता होगा उसके बारे में?” पूजा ने पूछा.
“नही उसे भी नही पता कुछ…वो तो खुद हमसे पूछ रही थी रोहित के बारे में.” पद्मिनी ने कहा.
शालिनी ने राज शर्मा और पद्मिनी को स्टेज पर देखा तो उसने सोचा कि वो भी उन्ही के साथ जा कर सगन दे दे. वो भी स्टेज पर चढ़ गयी.
“मिल गयी फ़ुर्सत आपको हमसे मिलने की?” पूजा ने कहा.
शालिनी कुछ नही बोल पाई.
“शालिनी रोहित कहाँ है. क्या उसके पास मेरी शादी में आने का भी वक्त नही है?” मोहित ने कहा.
शालिनी ने सेगन का लीफाफा पूजा को थमा दिया और बोली, “मुझे नही पता वो कहाँ है.”
“ये लो शैतान का नाम लिया और शैतान हाज़िर.” मोहित ने कहा.
शालिनी ने तुरंत पीछे मूड कर देखा. रोहित स्टेज की तरफ ही आ रहा था.
रोहित ने शालिनी को छोड़ कर सभी को विश किया. शालिनी प्यासी निगाहों से उसकी तरफ देखती रही पर रोहित ने एक बार भी उसकी तरफ नही देखा.
“मिल गया वक्त तुम्हे मेरी शादी में आने का. मुझे तो लग रहा था कि तुम आओगे ही नही.” मोहित ने कहा.
“सॉरी यार मैं किसी काम में बिज़ी था.”
शालिनी बस रोहित को ही देख रही थी. उसका दिल बहुत भारी हो रहा था ये देख कर कि वो उसे इग्नोर कर रहा है. वो सभी से हंस कर बाते कर रहा था मगर शालिनी की तरफ देख भी नही रहा था. बर्दास्त नही कर पाई शालिनी ये तिरस्कार. दिल बहुत भावुक हो गया उसका. जिसके लिए वो कल से परेशान थी वो उसे एक नज़र देख भी नही रहा था. बहुत थामा शालिनी ने खुद को मगर भावनाओ को संभाल नही पाई और जब आँसू बरसने शुरू हुए तो फिर थामे नही. वो अपने आँसू किसी को दिखाना नही चाहती थी इसलिए तुरंत बिना कुछ कहे स्टेज से उतर गयी. बस पूजा ने देखे उसके आँसू बाकी सभी बातों में खोए थे.
क्रमशः..........................
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01-01-2019, 12:58 PM,
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RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--120
गतान्क से आगे.................
“क्यों आए तुम मेरे पीछे.” शालिनी ने कहा.
“मन तो नही था आने का पर दिल से मजबूर हो कर आना पड़ा.” रोहित ने जवाब दिया.
“समझते क्या हो तुम खुद को…जब दिल किया मुझसे दूर चले जाओगे और जब दिल किया पास आ जाओगे. तुम…..”
“श्ह्ह्ह…कोई इसी तरफ आ रहा है.” रोहित ने शालिनी के मूह पर हाथ रख दिया.
“यही कही होने चाहिए वो लोग.”
“2 कार खड़ी हैं सड़क पर. मुझे डर लग रहा है. जग्गू चल उन दोनो का काम तमाम करके जल्दी निकलते हैं यहाँ से.”
“बब्बल तू संजू के पास वापिस जा. मैं देखता हूँ कि ये कॉन हमारे काम में टाँग अड़ाने आ गये. और हां लड़की से दूर रहना अभी. पहले मैं लूँगा उसकी. मस्त आइटम है साली.”
बब्बल के जाने के बाद जग्गू बंदूक ताने वही आस पास घूमता रहा. जब वो उस पेड़ के पास से गुजरा जिसके पीछे रोहित और शालिनी छुपे थे तो रोहित ने तुरंत पीछे से आकर उसके सर पर बंदूक रख दी.
“तू सुधरा नही जग्गू हा….ये बंदूक नीचे फेंक दे.” रोहित ने कहा.
“सर आप…”
“हां मैं…बंदूक नीचे फेंक जल्दी और हाथ उपर कर वरना भेजा उड़ा दूँगा तेरा.”
“गोली मत चलाना सर…ये लीजिए फेंक दी बंदूक मैने.”
“गुड.... अब बताओ क्या चल रहा है यहाँ.” रोहित ने दृढ़ता से पूछा.
“कुछ नही चल रहा सर.”
“झूठ मत बोल तेरी खोपड़ी खोल दूँगा मैं.”
“सुपारी ले रखी है मैने. अपना काम कर रहा था बस.”
“चल मुझे अपने साथियों के पास ले चल. ज़रा भी चालाकी की तो तेरा भेजा उड़ा दूँगा.”
“गोली मत चलना सर…मैं उनको छोड़ दूँगा.”
जग्गू चल दिया जंगल के अंदर की ओर. रोहित उसके पीछे पीछे उसके सर पर बंदूक रखे चल रहा था. शालिनी रोहित के पीछे थी. उसने भी बंदूक तान रखी थी हाथ में.
ज़्यादा दूर नही जाना पड़ा उन्हे. जब वो वहाँ पहुँचे तो रोहित ने देखा कि संजू और बब्बल लड़की के कपड़े उतारने की कोशिस कर रहे थे.
“रुक जाओ वरना दोनो को शूट कर दूँगी मैं.” शालिनी चिल्लाई.
संजू और बब्बल तुरंत रुक गये शालिनी की आवाज़ सुन कर.
“सर आपके साथ कोन हैं?”
“ए एस पी साहिबा हैं. अपने साथियों से कहो कि तुरंत दोनो को छोड़ दें.”
अचानक संजू ने रोहित के सर की तरफ फाइयर किया. गोली सर के बिल्कुल पास से गुजर गयी. रोहित ने तुरंत उसकी तरफ फाइयर किया. मोके का फ़ायडा उठा कर जग्गू ने रोहित को धक्का दिया और वहाँ से भाग गया. बब्बल और संजू भी वहाँ से भाग खड़े हुए. अंधेरे में वो तुरंत आँखो से ओझल हो गये. रोहित ने 2-3 फाइयर किए पर कोई फ़ायडा नही हुआ. शालिनी उस लड़की के पास आई.
“कोन हो तुम. डरने की ज़रूरत नही है हम पोलीस वाले हैं?” शालिनी ने कहा.
“मेरा नाम गीता है. ये मेरे पति हैं शेखर. हम मसूरी जा रहे थे.”
“तुम दोनो को मारने की सुपारी दी गयी थी.” रोहित ने कहा.
“क्या हमें मारने की सुपारी?” शेखर ने हैरानी में कहा. वो बड़ी मुस्किल से उठा. बहुत बुरी तरह पीटा गया था उसे.
“हां सुपारी…क्या बता सकते हो कि कॉन है ऐसा जो तुम्हे मारना चाहेगा.”
“हमारी तो किसी से दुश्मनी नही है. पता नही किसने दी ये सुपारी.” शेखर ने कहा.
अचानक झाड़ियों में कुछ हलचल हुई और शालिनी गन लेकर उस तरफ चल दी.
“अरे रूको कहाँ जा रही हो तुम?”
रोहित ने अपनी कार की चाबी शेखर के हाथ में रख कर कहा, “जाओ किसी होटेल में रुक जाओ जाकर. तुम मसूरी नही जा सकते अभी जब तक तहकीकात पूरी नही हो जाती. तुम लोगो की कार भी यही रहेगी क्योंकि उसमे लाश पड़ी है.”
“आप अपनी कार दे रहे हैं हमें. आपको पता कैसे चलेगा कि हम कहाँ हैं और कॉन से होटेल में हैं. मोबाइल नंबर दे दीजिए अपना.”
“मेरी कार मेरे मोबाइल से कनेक्टेड है. तुम चिंता मत करो मैं ट्रेस कर लूँगा. जाओ तुम दोनो.”
उन दोनो के जाने के बाद रोहित शालिनी के पीछे गया.
शालिनी दबे पाँव आगे बढ़ रही थी. रोहित ने उसके कंधे पर हाथ रखा और बोला, “क्या करना चाहती हो तुम. कहाँ जा रही हो.”
“श्ह्ह्ह…झाड़ियों में कुछ हलचल हुई थी.”
“जंगल है... होगा कोई जानवर. चलो चलतें हैं.”
“मुझे लगता है उन तीनो में से कोई है”
“अरे वो यहाँ क्यों छुपे रहेंगे. इतना बड़ा जंगल है…वो बहुत दूर निकल गये होंगे.” रोहित ने कहा.
“तुम्हे क्या लेना देना मैं कुछ भी करूँ…कॉन होते हो तुम मुझे टोकने वाले.” शालिनी चिल्लाई.
“जान बुझ कर ये सब नाटक कर रही हो ताकि मैं यही तुम्हारे साथ उलझा रहूं और कल सुबह की मेरी ट्रेन मिस हो जाए.”
“तुम्हे ये नाटक लग रहा है. मैं अपनी ड्यूटी कर रही हूँ और तुम बाधा डाल रहे हो. जाओ यहाँ से…… मुझे अकेला छोड़ दो.”
“शालिनी…तुम मुझसे गुस्सा हो जानता हूँ. गुस्से में ये सब करने की ज़रूरत नही है तुम्हे. चलो घर जाओ चुपचाप.”
“मैं चली जाऊगी…तुम जाओ यहाँ से.”
रोहित ने शालिनी को दोनो कंधो से कस कर पकड़ लिया और उसे एक पेड़ से सटा दिया.
“ये क्या पागल पन है. मुझे तुमसे ऐसी उम्मीद नही थी. बिना सोचे समझे कुछ भी किए जा रही हो” रोहित गुस्से में बोला.
“मुझे भी तुमसे ऐसी उम्मीद नही थी जैसा तुमने मेरे साथ किया” शालिनी ने कहा
“डू यू लव मी शालिनी.”
शालिनी ने रोहित को ज़ोर से धक्का दिया. धक्का इतनी ज़ोर का था कि रोहित धदाम से नीचे गिरा. उसका सर एक पठार से टकराया. खून तो नही निकला पर दर्द बहुत हुआ. एक मिनिट के लिए सर घूम गया रोहित का.
शालिनी दौड़ कर उसके पास आई, “चोट तो नही लगी तुम्हे.”
“मेरी यही औकात है तुम्हारी जिंदगी में. काफ़ी दफ़ा हो जाने को बोल दो, कभी गेट आउट बोल दो और आज तो हद ही हो गयी. ऐसे धक्का दिया तुमने मुझे जैसे कि मैं रेप अटेंप्ट कर रहा था तुम पर.” रोहित ने उठते हुए कहा.
शालिनी ने रोहित के कंधे पर हाथ रखा और बोली, “सॉरी रोहित मैने कुछ जान बुझ कर नही किया.”
“वाह पहले कतल कर दो और फिर सॉरी बोल दो. अरे मरने वाला तो मर गया ना. तुम्हारे सॉरी बोलने से क्या होगा अब.” रोहित ने कहा.
“तुम्हे जो समझना है समझो…मैं जा रही हूँ.” शालिनी वहाँ से चल पड़ी सड़क की तरफ. सड़क पर आकर शालिनी ने देखा की रोहित की कार वहाँ नही है.
“रोहित की कार कोन ले गया.” शालिनी ने अंदाज़ा लगाया की रोहित ने ज़रूर अपनी कार गीता और शेखर को दे दी होगी.
“मुझे क्या लेना देना मैं चलती हूँ यहाँ से.” शालिनी कार में बैठ गयी. एंजिन स्टार्ट कर लिया उसने पर कार को आगे नही बढ़ा पाई. वो बार बार जंगल की तरफ देख रही थी. 10 मिनिट बीत गये पर रोहित नही आया. शालिनी बैठी रही चुपचाप कार में. बार बार एंजिन स्टार्ट करके बंद कर देती थी. दिमाग़ वहाँ से जाने को कह रहा था क्योंकि जंगल का एरिया था पर दिल वहाँ से जाने को तैयार नही था. जब आधा घंटा बीत गया तो शालिनी खुद को रोक नही पाई. वो कार से बाहर आकर उसी जगह वापिस आ गयी जहा वो रोहित को छोड़ कर गयी थी.
रोहित वही बैठा था जहा शालिनी उसे छोड़ कर गयी थी.
“क्या रात भर यही बैठने का इरादा है तुम्हारा. सादे 12 बज रहे हैं.” शालिनी ने कहा.
“मेरी कार मैने उन दोनो को दे दी. तुम जाओ…”
“चलो मैं तुम्हे घर छोड़ दूँगी…”
“तुम्हारे साथ नही जाऊगा मैं…तुम जाओ… आइ कॅन टेक केर माइसेल्फ.”
“रोहित प्लीज़ उठो. मैं तुम्हे यहाँ छोड़ कर कैसे जा सकती हूँ”
“शालिनी तुम जाओ…मैं तुम्हारे साथ नही चल सकता.”
“ज़िद्द मत करो रोहित. उठो.”
“तुम जाओ ना…क्यों अपना वक्त बर्बाद कर रही हो.”
“आइ केर फॉर यू रोहित.”
रोहित ये सुनते ही उठा और शालिनी को फिर से कंधो से पकड़ कर पेड़ से सटा दिया.
“सच बताओ ये केर है या कुछ और?” रोहित ने पूछा.
“क्या मतलब... मैं कुछ समझी नही.”
“समझोगी भी नही क्योंकि तुम समझना ही नही चाहती.”
“रोहित प्लीज़ फिर से वही बहस शुरू मत करो.” शालिनी गिड़गिडाई.
रोहित कुछ देर खामोश रहा फिर गहरी साँस ले कर बोला, “प्लीज़ एक बार बता दो मुझे. क्या तुम मुझे प्यार करती हो. सिर्फ़ हां या ना में जवाब दे दो. आखरी बार पूछ रहा हूँ तुमसे. फिर कभी नही पूछूँगा मैं”
शालिनी कुछ नही बोली. वो अजीब दुविधा में पड़ गयी थी. हां वो बोलना नही चाहती थी और ना कहने की उसमें हिम्मत नही थी.
“कुछ तो बोलो प्लीज़…मेरी खातिर.” रोहित गिड़गिडया.
शालिनी खामोश खड़ी रही.
रोहित आगे बढ़ा और अपने चेहरे को शालिनी के चेहरे के बहुत नज़दीक ले आया. दोनो की गरम गरम साँसे आपस में टकरा रही थी. रोहित ने अपने होन्ट शालिनी के होंटो पर रखने की कोशिस की तो शालिनी ने चेहरा घुमा लिया.
रोहित इतना भावुक हो गया कि तुरंत उसकी आँखो में आँसू भर आए. कब उसका माथा शालिनी की छाती पर टिक गया उसे पता भी नही चला. वो बस भावनाओ में बह कर रोए जा रहा था. शालिनी ने सर पर हाथ रख लिया रोहित के और वो भी रो पड़ी. बहुत ही एमोशनल पल था वो दोनो के बीच. दोनो उस पेड़ के नीचे खड़े रोए जा रहे थे उस प्यार के लिए जो उनके बीच था.
“शालिनी एक बात पूछूँ?” रोहित ने दर्द भरी आवाज़ में कहा.
“हां पूछो ना.”
“छोड़ो जाने दो. तुम जवाब तो देती नही हो.”
“पूछो प्लीज़…” शालिनी सुबक्ते हुए बोली.
“तुम क्यों रो रही हो. मैं तो इसलिए रो रहा हूँ क्योंकि तुम्हे खो दिया मैने.”
“मैने कल सुबह फिर से पापा से बात की थी तुम्हारे बारे में. वो मान-ने को तैयार ही नही हैं. मुझे चेतावनी भी दे दी है उन्होने की दुबारा बात की तुम्हारे बारे में तो उनका मरा मूह देखूँगी. तुम्हे सिर्फ़ अपना प्यार दिखता है…मेरा प्यार तुम्हे दिखाई नही देता.”
“शूकर है तुमने कबूल तो किया कि तुम मुझे प्यार करती हो.” रोहित ने शालिनी की छाती से सर उठा कर कहा.
“हां करती हूँ प्यार. बहुत ज़्यादा प्यार करती हूँ तुम्हे. प्यार का इज़हार करके अपने कदम वापिस नही खींचना चाहती थी इसलिए खामोश रहती थी.”
“आज क्यों बोल रही हो फिर.”
“क्योंकि मैने तैय कर लिया है कि मैं वहाँ शादी नही करूँगी जहा पापा चाहते हैं. अगर उन्हे मेरी पसंद मंजूर नही तो मुझे भी उनकी मंजूर नही. मैने शादी ना करने का फ़ैसला किया है. शादी करूँगी तो तुमसे नही तो नही करूँगी.”
“कब किया ये फ़ैसला.”
“अभी जब तुम मेरे सीने से लग कर रो रहे थे. मैं किसी और के साथ नही रह सकती रोहित.”
“तुम्हे नही पता कि कितनी बड़ी खुशी दी है तुमने मुझे आज ये बात बोल कर. तुम्हारे प्यार के इस इज़हार को हमेशा दिल में छुपा कर रखूँगा मैं.”
“रोहित”
“हां बोलो.”
“आइ लव यू.”
“बस अब जान ले लोगि क्या तुम. कहा तो बोल ही नही रही थी… कहाँ अब प्यार की वर्षा कर रही हो मेरे उपर.”
“बहुत दिन से दबा रखा था ना दिल में ये प्यार… आज निकल रहा है…तुम्हारे लिए.”
क्रमशः..........................
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RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--122
गतान्क से आगे.................
शालिनी घर आते ही अपने बेडरूम में आकर बिस्तर पर गिर गयी और रोने लगी. “रोहित क्यों किया ऐसा तुमने मेरे साथ. क्या ये सब करना ज़रूरी था...मैं रोक रही थी और तुम रुक ही नही रहे थे. क्या यही प्यार है.”
बहुत देर तक यू ही पड़ी रही शालिनी और उसकी आँखो से रह-रह कर आँसू टपकते रहे. कब आँख लग गयी उसकी, उसे पता ही नही चला.
सुबह अचानक 5 बजे आँख खुल गयी उसकी. उसने घड़ी में टाइम देखा. टाइम देखते ही उसे ख्याल आया, “6 बजे की ट्रेन थी रोहित की. कही वो चला तो नही जाएगा.” अब उसका गुस्सा थोड़ा शांत हो गया था.
शालिनी ने तुरंत रोहित को फोन मिलाया. रिंग जाती रही पर फोन नही उठाया रोहित ने.
“पिक अप दा फोन रोहित…प्लीज़…”
शालिनी ने काई बार ट्राइ किया फोन पर कोई रेस्पॉन्स नही मिला.
"कही वो जा तो नही रहा मुझे छोड़ कर?" ये ख्याल आते ही शालिनी फ़ौरन बिस्तर से उठ गयी. अपनी कार की चाबी उठाई उसने और चुपचाप घर से बाहर आ गयी. कार में बैठ कर वो रोहित के घर की तरफ चल दी. जब वो रोहित के घर पहुँची तो उसे ताला टंगा मिला.
“मुझसे बात किए बिना चले गये तुम रोहित. क्या इतने नाराज़ हो गये मुझसे?. क्या सारी ग़लती मेरी ही है...क्या तुम्हारी कोई ग़लती नही थी.” शालिनी ने मन ही मन सोचा.
शालिनी ने कार तुरंत रेलवे स्टेशन की तरफ मोड़ ली. रेलवे स्टेशन पहुँच कर उसने एंक्वाइरी से पता किया कि पुणे जाने वाली ट्रेन कों से प्लॅटफॉर्म पर मिलेगी. वो तुरंत प्लॅटफॉर्म नो 3 की तरफ दौड़ी.
रोहित उसे प्लॅटफॉर्म पर ही मिल गया. वो एक बेंच पर गुम्सुम बैठा था. सर लटका हुआ था उसका और एक टक ज़मीन की तरफ देख रहा था वो. शालिनी चुपचाप उसके पास आकर बैठ गयी.
“जा रहे हो मुझे छोड़ कर तुम.” शालिनी बड़े प्यार से बोली.
रोहित ने कोई जवाब नही दिया.
“क्या बात भी नही करोगे मुझसे.” शालिनी ने रोहित के कंधे पर हाथ रख कर कहा.
रोहित चुपचाप बैठा रहा.
“आइ आम सॉरी रोहित…प्लीज़ मुझे यू छोड़ कर मत जाओ.” शालिनी गिड़गिडाई
“कल कॉन गया था छोड़ कर. तुम ही थी ना. क्या हक़ है तुम्हे मुझे रोकने का.” रोहित ने गुस्से में कहा.
“रोहित मुझे कोई भी सज़ा दे दो पर मुझे छोड़ कर मत जाओ.”
“तुम्हारा प्यार ज़हर बन गया है मेरे लिए. दिल करता है मर जाऊ कही जाकर.” रोहित गुस्से में बोला.
शालिनी फूट-फूट कर रोने लगी रोहित की बात सुन कर. "प्लीज़ ऐसा मत कहो...जो भी सज़ा देनी है दे दो मुझे पर ऐसे मत जाओ."
“नाटक मत करो मेरे सामने. दफ़ा हो जाओ यहाँ से....मैं तुमसे कोई बात नही करना चाहता” रोहित गुस्से में बोला.
“कर लेना जो करना है तुम्हे मेरे साथ. नही रोकूंगी तुम्हे...छोटी सी ग़लती की इतनी बड़ी सज़ा मत दो मुझे.”
“हां जैसे कि मैं तो तुम्हारे शरीर का भूका हूँ. कल भी कुछ ऐसा ही बोल रही थी. तुमने ही गिराया था ना मुझे बेड से नीचे. अभी तक कमर दुख रही है मेरी.”
“मुझे भी दर्द है अभी तक वहाँ. मुझसे सहा नही जा रहा था. और तुम हट नही रहे थे...मुझे गुस्सा आ गया था. तुम मेरी जगह होते तो क्या करते?”
“चलो ठीक है धक्का दिया कोई बात नही. गिरने से मेरी कमर टूट गयी उसकी भी कोई बात नही. तुम तो भाग गयी बिना बताए. मैं घर में ढूढ़ता रहा तुम्हे पागलो की तरह. पर तुम वहाँ होती तो मिलती. तुमसे प्यार करना मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी भूल साबित हो रही है.”
शालिनी रोहित के कदमो में बैठ गयी. “मर जाऊगी मैं अगर तुम गये मुझे छोड़ कर तो...प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो.”
“उठो लोग देख रहे हैं. किसी ने तुम्हे पहचान लिया तो किरकिरी होगी तुम्हारी.” रोहित ने कहा.
“होने दो….मुझे उसकी चिंता नही है...तुम चले गये तो मैं बिखर जाऊगी.”
“अजीब हो तुम भी. कल तो मुझे छोड़ कर भाग गयी थी. अब मैं जा रहा हूँ तो मुझे रोक रही हो.”
“दिल के हाथो मजबूर हूँ ना… क्या करूँ…तुम्हारे बिना नही जी सकती मैं." शालिनी सुबक्ते हुए बोली
“सोचो मुझ पर क्या बीती होगी जब तुम घर से बिना बताए चली गयी थी.” रोहित ने कहा.
“मुझे अपनी भूल का अहसास है रोहित. तुम जो सज़ा दोगे मुझे मंजूर होगी.”
“तुम्हारे साथ सेक्स नही कर पाउन्गा अब मैं. तुम्हे छूने का मन नही करेगा अब.”
“अगर तुम्हे लगता है कि यही मेरी सज़ा है तो मंजूर है मुझे. वैसे इस से बड़ी सज़ा हो भी नही सकती मेरे लिए कि मेरा प्यार मुझे प्यार ना करे.” शालिनी रोते हुए बोली.
“मैं मजबूर हूँ. कल की घटना के बाद तुम्हारे पास आने का मन नही करेगा.”
“ठीक है मेरे करीब मत आना. मेरे साथ तो रहोगे ना.” शालिनी ने कहा.
तभी शालिनी का फोन बज उठा. फोन उसके पापा का था.
“कहाँ हो तुम बेटा...सुबह सुबह कहा चली गयी.?”
“पापा मैं रोहित के साथ हूँ.मैं घर नही आउन्गि अब. मैं रोहित से शादी कर रही हूँ आज. मुझे माफ़ कर दीजिएगा. अगर आपको मंजूर नही तो मुझे मंदिर में आकर गोली मार दीजिएगा. आज मैने रोहित से शादी नही की तो मैं मर जाऊगी. सॉरी पापा…पर मैं अपने दिल के हाथो मजबूर हूँ.” शालिनी ने फोन काट दिया.
भावनाओ में बह कर शालिनी वो बोल गयी जो होश में कभी भी नही बोल सकती थी.
“ये क्या बोल रही हो. ये अचानक शादी का प्लान कैसे बन गया.” रोहित ने पूछा.
“क्या तुम खुश नही हो. क्या मुझसे शादी नही करना चाहते.”
“करना चाहता हूँ…पर.” रोहित सोच में पड़ गया.
“पर…वर कुछ नही. अपने पापा को बोल चुकी हूँ मैं. हम आज ही शादी करेंगे.” शालिनी सुबक्ते हुए बोली.
रोहित गहरी सोच में डूब गया.
“तुम शादी नही करना चाहते मुझसे है ना. मैने तुम्हारी जिंदगी ज़हर बना दी है इसलिए तुम शादी नही करना चाहते मुझसे. मेरी छ्होटी सी भूल की बहुत बड़ी सज़ा दे रहे हो तुम मुझे." शालिनी की आँखे भर आई.
रोहित ने शालिनी को बाहों में भर लिया, “बस..बस चुप हो जाओ. इतना प्यार मत दो मुझे की मैं संभाल भी ना पाउ. मुझे नही पता था कि इतना प्यार करती हो तुम मुझे. मुझे यही लग रहा था कि मेरा ही दिमाग़ खराब है. पर जब तुमने अपने पापा से शादी के बारे में बोल दिया तो मैं हैरान रह गया. मुझे यकीन नही हो रहा था कि तुम ही हो मेरे सामने. मुझे ये सब सपना सा लग रहा है.”
“ये सपना नही हक़ीक़त है रोहित. बहुत प्यार करती हूँ तुम्हे मैं. शालिनी ने कहा.
"क्यों चली गयी थी तुम कल मुझे अकेला छोड़ कर."
"कह तो रही हूँ मुझसे भूल हो गयी. आगे से ऐसा नही होगा.”
“आओ घर चलते हैं. आराम से बैठ कर डिसाइड करते हैं कि शादी कैसे और कहा करनी है. पद्मिनी, राज शर्मा, मोहित, पूजा और मिनी को भी बुला लेंगे. थोड़ी हेल्प हो जाएगी.”
2 घंटे बाद रोहित के घर पूरी टास्क फोर्स इकट्ठा थी. रोहित और शालिनी की शादी की प्लॅनिंग हो रही थी.
“यार 2-3 दिन का वक्त तो दो तैयारी के लिए. एक दम से सब कुछ कैसे होगा.” मोहित ने कहा.
“देखो भाई शालिनी अपने पापा को बोल चुकी है कि आज ही शादी कर रही है वो मुझसे. इसलिए हम शादी आज ही करेंगे.”
“फिर तो मंदिर में कर्लो जाकर. भगवान का घर है….उनका भी आशीर्वाद मिल जाएगा.” मोहित ने कहा.
“हां वैसे शालिनी ने मंदिर ही बोला है अपने पापा को.” रोहित ने कहा.
“ठीक है फिर…मंदिर सबसे अच्छी ऑप्षन है इस वक्त.” मोहित ने कहा.
“मिनी प्लीज़ न्यूज़ में मत डालना. पता चले, कल टीवी पर न्यूज़ आ रही है ‘ए एस पी साहिबा ने मंदिर में शादी की’.." रोहित ने कहा
“रोहित पागल हो क्या. मैं भला ऐसा क्यों करूँगी.” मिनी ने कहा.
“जस्ट किडिंग मिनी…” रोहित ने हंसते हुए कहा
राज शर्मा और मोहित ने मंदिर में शादी का पूरा इंतज़ाम कर दिया. मंदिर में जाते वक्त शालिनी ने अपने पापा को फोन मिलाया.
“पापा अगर आप आएँगे तो ख़ुसी होगी मुझे.”
“बेटा मैं तो नही आ पाउन्गा. खुश रहो जहाँ भी रहो.” इतना कह कर शालिनी के पापा ने फोन काट दिया.
“क्या हुआ…”रोहित ने पूछा.
“वो नही आएँगे.”
“शालिनी सोच लो. हम शादी फिर कभी कर सकते हैं.” रोहित ने कहा.
“नही आज ही करेंगे. डेले करेंगे तो पापा फिर से समझाएँगे आकर. फिर वही बाते होंगी. जब तैय कर लिया है हमने तो कर ही लेते हैं.” शालिनी ने कहा.
“ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी.” रोहित ने कहा.
रोहित और शालिनी को फेरे लेते देख राज शर्मा, पद्मिनी के कान में बोला, “अब बस हम रह गये.”
“अगले महीने हम भी कर लेंगे.” पद्मिनी ने कहा. दोनो एक दूसरे की तरफ हंस दिए.
शादी की सभी रस्मे पूरी होने के बाद सभी ने होटेल में जाकर लंच किया.
रोहित और शालिनी को अपने घर वापिस आते-आते शाम हो गयी.
“सब कुछ कितना जल्दी-जल्दी हो गया. अजीब सी बात हुई. ना मेरे घर से कोई आ पाया ना तुम्हारे घर से. मेरे मम्मी डेडी मुंबई में थे वरना वो तो शामिल हो ही जाते. पिंकी कॉलेज के टूर पर गयी है. ” रोहित ने कहा.
“तुम्हारे मम्मी पापा को कोई ऐतराज़ तो नही होगा ना?” शालिनी ने पूछा.
“शादी से ऐतराज़ नही होगा. मगर जब वो देखेंगे कि तुम्हे घर का कोई काम नही आता तब दिक्कत आएगी.”
“डराओ मत मुझे. मैं आज से ही सीखना शुरू कर देती हूँ. चलो किचन में मुझे गॅस चलाना सीख़ाओ.” शालिनी ने कहा.
"ए एस पी साहिबा जी...पहले प्यार करना सीख लें. वो ज़्यादा ज़रूरी है.” रोहित ने शालिनी को बाहों में भर लिया.
“क्या… ….मुझे लगा था तुम मेरे करीब नही आओगे.”
“बहुत प्यार करता हूँ तुम्हे मैं. चाह कर भी तुमसे दूर नही रह सकता…आओ प्यार करते हैं सब कुछ भूल कर.” रोहित शालिनी का हाथ पकड़ कर उसे बेडरूम में ले आया. शालिनी की टांगे काँपने लगी. उसे रह..रह कर कल का वो दर्द याद आ रहा था
"मेडम जी काँप क्यों रही हैं आप."
"क..कहाँ काँप रही हूँ. तुम्हे यू ही लग रहा है."
"डरने की ज़रूरत नही है. प्यार कभी नुकसान नही पहुँचता." रोहित ने शालिनी के माथे को चूम लिया. शालिनी का डर कुछ कम हुआ.
दोनो एक दूसरे से चिपक कर लेट गये बिस्तर पर. शुरूवात प्यार में भीगे चुंबन से हुई. दोनो बहकने लगे तो एक-एक करके धीरे धीरे दोनो के कपड़े उतरने लगे. भावनाए भड़क रही थी दोनो की. दोनो तरफ आग बराबर थी. जब दोनो पूरे कपड़े उतार कर एक दूसरे के गले मिले तो उन्हे लगा की कपड़ो की बहुत मोटी दीवार थी उन दोनो के बीच. होंटो से होन्ट टकराए….छाती से छाती टकराई. कुछ ऐसे चिपके हुए थे दोनो एक दूसरे से की हवा भी नही थी उन दोनो के दरमियाँ.
क्रमशः..........................
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