RE: Raj sharma stories बात एक रात की
raj sharma stories
बात एक रात की--16
गतान्क से आगे.................
"मुझे पता है तुम ही कातिल हो, ज़्यादा दिन बच नही पाओगे तुम"
ये सुनते ही परवीन की आँखो में खून उतर आया. इस से पहले की वो कुछ बोल पता, चौहान ने उसके कंधे पर हाथ रखा और बोला, "चलें अब"
"हां-हां बिल्कुल" परवीन ने पूजा को घूरते हुए कहा.
"चलो पूजा जी मैं आपको घर छोड़ देता हूँ" चौहान ने पूजा की गान्ड पर हाथ मार कर कहा.
कुछ देर बाद पूजा और चौहान जीप में थे और फार्महाउस से निकल कर सहर की तरफ बढ़ रहे थे.
"आपका दोस्त ही है वो किल्लर" पूजा ने कहा.
"हा....हे...हा" क्या खूब कही "उसे बस चूत और गान्ड मारनी आती है किसी इंसान को वो नही मार सकता"
"ऐसा कैसे कह सकते है आप"
"बहुत पुराना यार है परवीन मेरा बहुत अच्छे से जानता हूँ मैं उसे और वैसे भी कातिल तो पद्मिनी है जो कि फरार है"
"वो सब मुझे नही पता पर आपका दोस्त कहीं ना कही इस जुर्म मे ज़रूर शामिल है. मुझे उसके नौकर रामू पर भी शक है"
"पूजा जी आप घर जा कर आराम करो बहुत थक गयी होंगी आज की चुदाई से, पोलीस का काम पोलीस पर छोड़ दो"
चौहान की जीप के पास से एक कार गुज़री जिसमे कि मोहित, राज और पद्मिनी बैठे थे.
"गुरु वो तो पूजा थी, ये पोलीस की जीप में क्या कर रही है"
"पूजा, कौन पूजा?"
"ओह तुम उसे नही जानते गुरु, नगमा की छोटी बहन है वो."
"ह्म्म पर वो पोलीस की जीप में क्या कर रही है?"
"यही सोच कर तो मैं भी परेशान हूँ"
"देखो ये वक्त उस लड़की के बारे में सोचने का नही है. ये सोचो कि मेरा क्या होगा. बहुत बड़ी मुसीबत में फँस गयी हूँ मैं" पद्मिनी ने कहा.
"घर चल कर आराम से सोचेंगे मेडम, तुम बिल्कुल चिंता मत करो" मोहित ने कहा.
"मैं घर जाना चाहती हूँ गाड़ी को मेरे घर की तरफ ले चलो मैं रास्ता बताती हूँ"
"पर पद्मिनी जी आपके घर के आस पास भी पोलीस का पहरा है, मैने न्यूज़ में देखा था." राज ने कहा
"ह्म्म...पर मेरा अपने घर वालो से मिलना ज़रूरी है."
"अभी नही मेडम, अभी ख़तरा है, थोड़ा संयम रखो" मोहित ने कहा.
"गुरु अपनी कार को थोड़ा स्लो कर लो, पोलीस की गाड़ी है कही कुछ गड़बड़ हो जाए" राज ने कहा.
"तू चिंता मत कर राज, वो खुद ही स्पीड से जा रहे हैं, हमे स्लो करने की कोई ज़रूरत नही है"
"पर गुरु ये पूजा कही किसी चक्कर में तो नही फँस गयी" राज ने कहा.
"तुझे बड़ी चिंता हो रही है उसकी...हा...क्या बात है?" मोहित ने कहा.
"गुरु नगमा की बहन है वो, और फिर इंसानियत भी तो कोई चीज़ होती है" राज ने कहा.
"सच-सच बताओ ये इंसानियत ही है या कुछ और मेरे पीछे तो तुम कुछ और ही बाते करते थे" पद्मिनी ने कहा.
"नही पद्मिनी जी, ऐसा कुछ नही है, मुझे सच में पूजा की चिंता हो रही है" राज ने कहा.
"कसम खा के बताना कि तुम्हारा पूजा के बारे में कोई ग़लत इरादा नही है" पद्मिनी ने कहा.
"क...क...कसम की क्या ज़रूरत है, मुझ से तो पूजा वैसे भी चिढ़ती है, सीधे मूह बात भी नही करती" राज ने कहा.
"उसे तुम्हारी नियत पर शक होगा तभी ऐसा करती होगी, वैसे क्या उसे तुम्हारे और नगमा के बारे में पता है क्या?" पद्मिनी ने कहा.
"हां एक बार मैं जब नगमा की चूत मार......." राज अपने बोल पूरे नही कर सका क्योंकि जैसे ही उसके मूह से 'चूत मार' निकला पद्मिनी ने उसे गुस्से में घूर कर देखा और राज चुप हो गया.
"स...स...सॉरी ज़ुबान फिसल गयी....गुरु के साथ रह कर गंदी बाते करने की आदत पड़ गयी है" राज ने कहा.
"क्यों बे सब गंदे काम क्या मैने ही तुझे सिखाए हैं" मोहित गुस्से में बोला.
"सॉरी गुरु...मैं तो बस" राज ने मायूस हो कर कहा.
राज की हालत देख कर पद्मिनी ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगी. मोहित भी ठहाके लगाने लगा.
"तुम दोनो बस मेरी क्लास लिया करो और कोई काम नही है तुम दौनो को हा" राज ने कहा.
"वो फार्स गीला करने वाली बात मैं नगमा को बताना चाहती थी पर बता नही पाई. बताती भी कैसे नगमा ही चपार-चपार किए जा रही थी" पद्मिनी ने कहा.
"नही पद्मिनी जी ऐसा मत कीजिएगा, मेरी इज़्ज़त नीलाम हो जाएगी. आपको मेरी कसम है"
"मुझे तुम्हारी कसम से क्या लेना देना" पद्मिनी ने कहा.
"मैं आपकी मदद कर रहा हूँ और आपको मुझ से कुछ लेना देना नही है" राज ने कहा.
ये बात जैसे पद्मिनी के दिल पर तीर की तरह लगी और वो किन्ही ख़यालो में खो गयी. उसने राज को बड़े गौर से देखा. राज के चेरे की मासूमियत उसका दिल छू गयी.
"यू आर रियली आ नॉटी बॉय, अच्छा नही बताउन्गि किसी को भी ये बात...अब खुस"
"ख़ुसी तो मुझे तब मिलेगी जब आप इस मुसीबत से निकल जाएँगी" राज ने कहा.
"मैं तुम दोनो को हमेशा याद रखूँगी" पद्मिनी ने भावुक हो कर कहा.
"हमारी बाते भी याद रखना" मोहित ने कहा.
"कौन सी बाते?" पद्मिनी ने कहा.
"वही जो तुमने छुप-छुप कर सुनी थी" मोहित ने हंसते हुए कहा.
"बिल्कुल जनाब वो तो तुम दोनो का रियल कॅरक्टर दर्साति हैं, वो कैसे भूल सकती हूँ"
गुरु गाड़ी स्लो करो जल्दी, वो पोलीस की जीप स्लो हो रही है" राज ने हड़बड़ाहट में कहा.
चौहान एक किनारे पर जीप रोक देता है. "मैं तुम्हे घर छोड़ दूँगा यहा से कैसे जाओगी तुम"
"नही....किसी ने देख लिया तो बदनामी होगी, लोग तरह-तरह के सवाल पूछेंगे कि पोलीस की जीप में मैं क्या कर रही थी. कोई ना कोई ऑटो मिल जाएगा आप जाओ"
"वैसे तुझे यू छोड़ने का मन नही करता पर चलो जैसी तुम्हारी मर्ज़ी"
"थॅंक यू सर?"
"किस बात के लिए, तुम्हारी चुदाई करना तो मेरा फ़र्ज़ था हे..हे..हे"
"जी हां... आपने पोलीस वाले का फ़र्ज़ बहुत अच्छे से निभाया, उसी के लिए थॅंक यू बोल रही हूँ" पूजा ने कहा.
"लगता है एक बार और मारनी चाहिए थी तेरी गान्ड....चल दफ़ा हो जा वरना जैल में डाल दूँगा और रोज वही चोदुन्गा तुझे"
पूजा ने आगे कुछ नही कहा. चौहान जीप लेकर आगे बढ़ गया.
जीप को रुकती देख मोहित ने भी कुछ दूरी पे अपनी कार रोक ली थी.
"गुरु ये पूजा को यहा क्यों उतार दिया पोलीस वाले ने" राज ने कहा.
"इस बात का जवाब तो पूजा ही दे सकती है" मोहित ने कहा.
"चलो गुरु उसे अपनी कार में बैठा लेते हैं" राज ने कहा.
"पागल हो गये हो तुम उसने मुझे पहचान लिया तो" पद्मिनी ने कहा.
"पद्मिनी ठीक कह रही है राज, जितने कम लोगो को इसके बारे में पता हो उतना अच्छा है, वक्त बहुत नाज़ुक है" मोहित ने कहा.
"ठीक है फिर, मैं कार से उतर कर उसके पास जा रहा हूँ. तुम दौनो घर जाओ"
"अरे रूको तो" पद्मिनी ने कहा.
पर राज तब तक कार से बाहर निकल चुका था और पूजा की तरफ बढ़ रहा था.
"ये लड़का भी ना......" मोहित ने झुंज़लाहट में कहा.
पूजा ऑटो का वेट कर रही थी. उसका ध्यान उसकी और बढ़ते राज पर नही गया क्योंकि उसकी नज़रे दूसरी दिशा में थी.
"क्या जिंदगी बन गयी मेरी...ये सब उस कामीने की वजह से हुआ है...मैं उसे ज़िंदा नही छोड़ूँगी" पूजा मन ही मन सोच रही है. उसकी आँखे सोचते-सोचते कब नम हो गयी उसे पता ही नही चला.
तभी राज उसके नज़दीक पहुँच जाता.
"पूजा क्या बात है...यहा क्या कर रही हो" राज ने पूछा.
पूजा ने फ़ौरन अपने बहते हुए आँसू पोंछे और बोली, "तुम से मतलब...तुम अपना काम करो"
"पूजा बताओ तो सही बात क्या है, तुम रो क्यों रही हो और ये पोलीस की जीप में तुम क्या कर रही थी" राज ने पूछा.
"तुम दफ़ा हो जाओ यहा से, तुम कौन होते हो ये सब पूछने वाले" पूजा ने कहा. उसे एक ऑटो आता दीखाई दिया उसने आवाज़ लगाई, "ऑटो"
ऑटो रुक गया. "मार्केट ले चलो" पूजा ने कहा.
"पूजा मेरी बात तो सुनो"
पर ऑटो पूजा को लेकर आगे बढ़ गया.
राज दौड़ कर कार में आया और बोला, "गुरु जल्दी स्टार्ट करो हमे उस ऑटो के पीछे चलना है"
"बात क्या है, कुछ बता तो" मोहित ने पूछा.
"गुरु वो वाहा खड़ी रो रही थी...मुझ से सीधे मूह बात ही नही की उसने"
"ह्म्म....क्या पता क्या बात है...चलो देखते हैं" मोहित ने कहा.
"मैं भी हूँ कार में याद रखना कहीं मुझे फंस्वा दो"
"चिंता मत करो पद्मिनी जी आप को कोई नही पहचानेगा" राज ने कहा.
मोहित ने कार पूजा के ऑटो के पीछे लगा दी. कोई 15 मिनट बाद ऑटो मार्केट में रुका और पूजा ऑटो से उतर कर एक दुकान में घुस गयी.
"वो अपनी सोपिंग कर रही है और हम अपना टाइम वेस्ट कर रहे हैं" पद्मिनी ने कहा.
"काई बार वेस्ट से सोना निकल आता है पद्मिनी जी" राज ने कहा.
"बहुत सुन्दर लड़की है सच-सच बताओ राज कहीं तुम किसी और चक्कर में तो नही हो" पद्मिनी ने कहा.
"नही-नही पद्मिनी जी....मैने सच में उसकी आँखो में आँसू देखे थे. हां वो सुंदर तो बहुत है बिल्कुल आपकी तरह"
"ठीक है-ठीक है....जाओ जाकर देखो तो सही कि वो क्या कर रही है इस दुकान पर"
"वैसे ठीक ही कहा है राज ने आप बहुत सुंदर हो मेडम और पूजा आपको टक्कर दे रही है"
"क्या मतलब है तुम्हारा?" पद्मिनी ने पूछा.
"कुछ नही यही कि आप दौनो बहुत सुन्दर हो क्यों राज" मोहित ने कहा.
"हां हां बिल्क....." राज अपने बोल पूरे नही कर सका क्योंकि पद्मिनी के चेहरे के भाव बहुत गंभीर थे.
"गुरु देखो तो ये क्या खरीद रही है?" राज ने कहा.
"इस चाकू का ये क्या करेगी, ये घरेलू चाकू से बड़ा है" मोहित ने कहा.
"मैं ना कहता था कि कुछ गड़बड़ है"
"तू सही है राज कुछ तो गड़बड़ है." मोहित ने कहा.
क्रमशः..............................
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