Raj sharma stories बात एक रात की
01-01-2019, 12:22 PM,
#60
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की-- 55

गतान्क से आगे...........

मोहित का लंड ये सुनते ही फूँकारे मारने लगा. वो नगमा के उपर आ गया और लंड को उसकी चूत पर रख दिया. "डाल दू एक झटके में."

"जैसे मर्ज़ी करो मुझे बस एक तूफान चाहिए हमारे बीच."

ये सुनते ही मोहित ने एक झटके में पूरा लंड नगमा की चूत में डाल दिया. नगमा कराह उठी, "आआहह"

"पहले से ज़्यादा अच्छी एंट्री दी है चूत ने तुम्हारी...क्या कारण है."

"प्यारी बाते करके कर रहे हैं ना हम शायद इसलिए. करो ज़ोर ज़ोर से मैं खो जाना चाहती हूँ आआअहह"

कमरे में वाकाई में तूफान आ गया था. नगमा ने मोहित की कमर में अपने नाख़ून गाढ दिए थे उत्तेजना में. मोहित इतने जोरो से लंड धकैल रहा था नगमा की चूत में की बेड भी चर-चर की आवाज़ करने लगा था.

तूफान जब थमा तो दोनो यू ही एक दूसरे में समाए हुए चुपचाप पड़े रहे. कब नींद आ गयी पता ही नही चला उन्हे.

..............................

....................................

राज शर्मा ने थाने पहुँच कर चौहान से पद्‍मिनी के लिए 2 और कॉन्स्टेबल की माँग की जो उसे ऑफीस से घर और घर से ऑफीस छोड़ेंगे.

"जिन्हे ऑफीस के बाहर लगाया है वो ही पद्‍मिनी के साथ चले जाया करेंगे. इसमे दिक्कत क्या है."

"बिल्कुल ठीक है सर. मैं ज़रा ए एस पी साहिबा से मिल आउ." राज शर्मा ने कहा.

"बिल्कुल मिल आओ. हम तो दूर ही रहते हैं ऐसी कयामत से."

राज शर्मा शालिनी के कमरे में आता है.

"मिल गयी रेवोल्वेर तुम्हे?" शालिनी ने पूछा.

"मिल गयी मेडम, थॅंक यू वेरी मच. मेडम आपसे कुछ बात करनी थी."

"थोड़ा बिज़ी हो...बहुत ज़रूरी हो तो बोलो." शालिनी ने कहा.

"मेडम...साइको के बारे में है ये."

"क्या है...बैठो और बताओ क्या बात है."

"मेडम मैने नोट किया है कि साइको ने अधिकतर वारदात जंगल के आस-पास ही की है."

"आज की वारदात का पता चला तुम्हे."

"नही मेडम क्या हुआ."

"पद्‍मिनी के ऑफीस के ठीक बाहर मर्डर हुआ है कल कहाँ रहते हो तुम. ऐसे ही करोगे क्या नौकरी."

"क्या! मुझे ये किसी ने नही बताया." राज शर्मा ने कहा.

"आस पास क्या हो रहा है उसकी खबर रखना तुम्हारी ड्यूटी है. ऐसे बेख़बर रहोगे तो सस्पेंड कर दूँगी तुम्हे."

राज शर्मा का तो चेहरा ही उतर गया.

"मुझे लगता है वो साइको पद्‍मिनी के लिए ही आया था वहाँ. लेकिन किसी कारण वश वो पद्‍मिनी को नुकसान नही पहुँचा सका."

"इसका मतलब पद्‍मिनी जी को और ज़्यादा प्रोटेक्षन की ज़रूरत है."

"बिल्कुल. आज से तुम उसके साथ 24 घंटे रहोगे. पद्‍मिनी की रक्षा करना तुम्हारी ज़िम्मेदारी है अब. मैने पद्‍मिनी को भी बता दी है ये बात. पता नही वो क्यों कह रही थी कि तुम्हारी जगह किसी और को रखा जाए उसके साथ. लेकिन कुछ कारनो से मुझे किसी और पर विस्वास नही है अभी."

"ऐसा क्यों मेडम?"

"जो गोली चलाई थी उस साइको ने मेरी तरफ सड़क पर वो पोलीस महकमे की है. वो गोली जीप में घुस्स गयी थी. जाँच कराई मैने उसकी."

"ये तो बहुत गंभीर बात है मेडम. आपने इतनी बड़ी बात मुझे बताई. क्या आपको विस्वास है मुझ पर."

"है लेकिन अगर तुम ऐसे बेख़बर रहोगे तो विस्वास खो दोगे मेरा. बहुत अलर्ट रहने की ज़रूरत है तुम्हे."

"समझ गया मेडम."

"जाओ अब से तुम्हारी ड्यूटी बस पद्‍मिनी की प्रोटेक्षन की है. उसका जींदा रहना ज़रूरी है अगर साइको को पकड़ना है तो."

"वो जींदा रहेंगी तभी मैं भी जींदा रहूँगा." राज शर्मा बहुत धीरे से बोला.

"कुछ कहा तुमने?"

"नही मेडम, आपकी इज़ाज़त हो तो मैं चलु."

"हां जाओ. और हन सारे कॉन्स्टेबल जो पद्‍मिनी की शूरक्षा के लिए लगे हैं वो सब तुम्हारे अंडर हैं अब. डू युवर जॉब प्रॉपर्ली वरना."

"सस्पेंड नही होना मुझे.... समझ गया मैं मेडम." राज शर्मा ने कहा.

"ओके दॅन डू युवर ड्यूटी." शालिनी ने कहा.

"थॅंक यू मेडम" राज शर्मा बाहर आ जाता है.

"पद्‍मिनी जी के साथ 24 घंटे. इस से अच्छा कुछ नही हो सकता मेरे लिए. पर पद्‍मिनी जी पता नही कैसे लेंगी इस बात को." राज शर्मा थाने से बाहर निकलते हुए सोच रहा है.

राज शर्मा जीप में बैठा पद्‍मिनी के ऑफीस की तरफ बढ़ रहा था. "इस वक्त तो ऑफीस में ही होंगी पद्‍मिनी जी. पता नही कैसे रिक्ट करेंगी मुझे देख कर. पर ये गोली वाला मसला तो बहुत गंभीर है. मडड़म साहिबा का मतलब क्या था. क्या साइको पोलीस वाला? या फिर वो ब्लॅक मार्केट से पोलीस की गोलिया खरीद कर पोलीस पर ही बरसा रहा है. गोली पोलीस महकमे की होने से ये साबित नही होता की वो पोलीस वाला है. लेकिन जो भी हो ये मुद्दा है बहुत गंभीर. मुझे अलर्ट रहना होगा. मेरे होते हुए पद्‍मिनी जी को कोई भी ज़रा सा भी नुकसान नही पहुँचा सकता."

पद्‍मिनी के ऑफीस पहुँच कर राज शर्मा एक कॉन्स्टेबल से पूछता है. "कहाँ हुआ खून कल रात."

"सर जहा आप खड़े हैं बिल्कुल यही मिली थी लाश."

"क्या! यहाँ." राज शर्मा तुरंत वहाँ से हट जाता है.

"तुम लोगो ने देखा कुछ?" राज शर्मा ने पूछा.

"सर उन मेडम के जाने के बाद हम भी चले गये थे. हमने कुछ नही देखा."

"ह्म्म...मेरी ड्यूटी भी अब मेडम को प्रोटेक्ट करने की है. मुझे बताए बिना इधर उधर मत जाना. मेरा मोबाइल नंबर ले लो. कोई भी बात हो तो तुरंत मुझे कॉल करना."

"जी सर बिल्कुल" दोनो कॉन्स्टेबल्स ने जवाब दिया.

राज शर्मा ने ऑफीस के बाहर अच्छी तरह मूवाईना किया. पहले तो पद्‍मिनी के कारण ऑफीस के अंदर जाने की उसकी हिम्मत नही हुई. लेकिन फिर वो हिम्मत करके घुस्स ही गया. "कोई और रास्ता है ऑफीस में घुसने का." राज शर्मा ने चौकीदार से पूछा.

"नही साहिब बस यही एक रास्ता है जहा से आप आए हैं."

"पिछली तरफ तो कोई गेट नही है ना." राज शर्मा ने पूछा.

"नही साहिब पीछे कोई गेट नही है"

पद्‍मिनी एक फाइल हाथ में लिए अपने बॉस के कॅबिन की तरफ बढ़ रही थी. सामने से राज शर्मा चौकीदार से बाते करता हुआ आ रहा था. दोनो का ध्यान एक दूसरे पर नही गया. टक्कर हो ही जाती वो तो आखरी मोमेंट पर पद्‍मिनी ने देख लिया राज शर्मा को. "तुम ऑफीस में क्या कर रहे हो?"

"पद्‍मिनी जी आपकी शूरक्षा के लिए मूवाईना कर रहा था ऑफीस का मैं. देख लिया मैने सब कुछ. यहाँ अंदर कोई ख़तरा नही है आपको. बाहर हम हैं ही."

"अच्छी बात है, इसका मतलब तुम बाहर ही रहोगे. शूकर है...." पद्‍मिनी ने कहा.

"हां मैं बाहर ही रहूँगा, कोई भी बात हो तो आप तुरंत फोन करना मुझे."

"हां ये ठीक है. बाहर ही रहो तुम. अंदर मत आना बार-बार ऑफीस के काम में डिस्टर्बेन्स होती है."

"आप चिंता ना करो पद्‍मिनी जी. मेरी वजह से कोई परेशानी नही होगी आपको."

राज शर्मा बाहर आ गया ऑफीस से और ऑफीस के सामने खड़ी अपनी जीप में बैठ गया.

"बहुत सुंदर लग रही थी आज भी पद्‍मिनी जी. चेहरे पर गुस्सा था मुझे देख कर. भगवान हसीन लोगों को इतना गुस्सैल क्यों बनाते हैं."

................................................................

अंधेरा था चारो तरफ. घनघोर अंधेरा. उसकी आँख खुली तो वो बहुत घबरा गयी. पहले तो उसे लगा कि ये एक सपना है मगर नही ये सपना नही था. वो अंधेरे में हाथ मारते हुए उठ गयी. "कहा हूँ मैं" उसने सोचा.

वो अंधेरे में हाथ मारते हुए इधर उधर भटक रही थी. अचानक वो किसी से टकरा गयी. "क...क...कौन है" और वो वहाँ से पीछे हट गयी.

"पहले तुम बताओ तुम कौन हो?" उसे आवाज़ आई.

"क्या मज़ाक है ये. मैं यहाँ कैसे आई."

"क्या तुम्हारी आँख भी यही खुली है. मुझे भी अभी होश आया और खुद को इस अंधेरी जगह पाया."

तभी एक बल्ब वहाँ जगमगा उठा और कमरे में रोशनी हो गयी. दोनो की नज़र एक दूसरे पर पड़ी. लड़की जवान थी. कोई 21-22 साल की होगी. आदमी 40-45 का लगता था. उन्होने एक दूसरे को देखा और काई सवाल उनके मन में उभर आए.

"वेलकम हियर. स्वागत है आप दोनो का यहाँ." कुर्सी पर बैठा नकाब पोश बोला.

दोनो ये सुन कर हैरान रह गये. उन्हे लगा था कि वो दोनो वहाँ अकेले हैं.

"कौन हो तुम भाई और हमे यहाँ क्यों लाया गया है." आदमी ने पूछा.

"साइको किल्लर से उसकी पहचान पूछते हो. ज़्यादा सवाल करोगे तो अभी काट डालूँगा."

दोनो ये सुनते ही थर थर काँपने लगते हैं.

"क्या चाहते हैं आप हमसे?" आदमी ने पूछा.

"इस लड़की का रेप करो. ये लड़की बचने को कोशिस करेगी. तुम रेप करने में कामयाब रहे तो तुम्हे छोड़ दूँगा और इस लड़की को काट डालूँगा. अगर ये तुम्हारे रेप अटम्ट से बच जाएगी तो इसे यहाँ से जाने दूँगा और तुम्हे काट डालूँगा. सिंपल सी गेम है चलो शुरू हो जाओ." साइको ने कहा.

दोनो ये सुन कर भोंचके रह गये. "ये क्या बकवास है, तुम ऐसा नही कर सकते हमारे साथ." लड़की ने कहा.

"एक घंटे का वक्त है तुम दोनो के पास ये गेम खेलने का. नही खेलोगे तो दोनो मरोगे. खेल में एक की जान बच सकती है." साइको ने कहा.

"देखो मैं ऐसा नही कर सकता...प्लीज़ हमें जाने दो."

साइको ने बंदूक निकाल ली और आदमी को निसाना बनाया.

"रूको....मैं कोशिस करूगा." आदमी ने कहा.

"व्हाट! तुम मेरा रेप करोगे इस साइको से डर कर. मैं ये हरगिज़ नही होने दूँगी."

"हा...हा...हा...हे...हे...यही तो सारी गेम है. ये लड़की तो बड़ी जल्दी समझ गयी." साइको क्रूरता से हंस कर बोला. "वक्त बर्बाद मत करो वरना दोनो मारे जाओगे."

आदमी लड़की के पास आया और उसे दबोच लिया, "मुझे यहाँ से जींदा निकलना है."

लड़की ने उसे ज़ोर से धक्का मारा और वो दूर जा कर गिरा. "पागल मत बनो. ये वैसे भी हमें छोड़ने वाला नही है."

लेकिन आदमी उठ कर इस बार बुरी तरह टूट पड़ा लड़की पर. उसने इतना मारा उसे कि वो गिर गयी ज़मीन पर ."मुझे माफ़ करना पर मैं मरना नही चाहता"

लड़की जीन्स पहने थी. आदमी ने जीन्स के बटन खोल कर जीन्स नीचे सरका दी.

"नही रुक जाओ. पागल मत बनो. आइ आम वर्जिन. ऐसा मत करो."

आदमी ने चार पाँच थप्पड़ जड़ दिए लड़की के मूह पर. "समझने की कोशिस करो मैं मरना नही चाहता.

"बहुत खूब. तुम यहाँ से बाहर ज़रूर निकलोगे." साइको ने कहा.

आदमी ने जीन्स निकाल दी लड़की की और उसकी पॅंटी भी खींच कर फुर्ती से उसके शरीर से अलग कर दी. उसने अपने लंड को बाहर निकाला और लड़की की टांगे फैला कर.................................

"आआअहह नहियीईईईईईईईईईई" लड़की दर्द से कराह उठी.

लेकिन अगले ही पल वो आदमी भी दर्द से चिल्लाया.

"ओह...नो." उसकी गर्दन में चाकू गोंप दिया था साइको ने.

लड़की ने ये सब अपनी आँखो से देखा. इतना शॉक लगा उसे कि वो बेहोश हो गयी.

"ये काम अच्छा है. शिकार को यहाँ लाओ उठा कर और आराम से जब मन करे काट डालो. ये लड़की तो बेहोश हो गयी शायद. बहुत काम आएगी ये....हे...हे...हे"

...................................................................

क्रमशः.........................
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