Raj sharma stories बात एक रात की
01-01-2019, 12:26 PM,
#64
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की-- 59

गतान्क से आगे...........

रोहित जीप में बैठ कर चल पड़ा. "कल्लू जुर्म की दुनिया की सारी जानकारी रखता है. उसी से मिलता हूँ जाकर."

कुछ ही देर बाद रोहित कल्लू के घर के बाहर खड़ा था. उसने घर का दरवाजा खड़काया.

"कौन है? बाद में आना अभी टाइम नही है." अंदर से आवाज़ आई.

रोहित भड़क गया उसने दरवाजे पर ज़ोर से लात मारी और दरवाजा खुल गया. रोहित अंदर आया तो दंग रह गया.

कल्लू एक महिला के उपर चढ़ा हुआ था. वो चूत में ज़ोर ज़ोर से धक्के लगा रहा था.

"अबे रुक...मुझे ज़रूरी बात करनी है तुझसे."

"अभी नही रुक सकता. अभी तो शुरूर आया है चुदाई का. ठोक लेने दो सर"

"कितना वक्त लगाएगा तू..मेरे पास टाइम नही है." रोहित ने कहा.

"मेरी चम्मक छल्लो तू बता कितनी देर चुद्वायेगि तू."

"जब तक तुम्हारा मन करे आआहह."

"देखा सर थोड़ी देर रुकना पड़ेगा आपको. रोज रोज इस तरह नही देती ये चूत. आज दे रही है तो मुझे टोटल मस्ती कर लेने दो."

रोहित ने पिस्टल निकाली और कल्लू के सर पर रख दी. "तेरी मस्ती पूरी होने तक का वक्त नही है मेरे पास. रुक जा वरना गोली मार दूँगा."

कल्लू ने उस महिला की चूत से लंड निकाल लिया. वो महिला अपने कपड़े पहन कर वहाँ से चली गयी. "सर आप भी ना हमेशा घोड़े पर सवार हो कर आते हो. लीजिए रुक गया. क्या बात है बोलिए."

"साइको किल्लर जिसने बाहर में आतंक मचा रखा है...क्या कुछ जानते हो उसके बारे में." रोहित ने पूछा.

"मुझे कुछ नही पता सर उसके बारे में. बल्कि किसी को कुछ नही पता. मैं तो खुद डरा रहता हूँ उस से.मैं कभी रात को बाहर नही घूमता अब. 9 बजने से पहले ही घर आ जाता हूँ. सॉरी मैं इस बारे में आपकी कोई मदद नही कर सकता. मुजरिमो की दुनिया में उसका कोई निसान नही है""

"ह्म्म....चल ठीक है कोई बात नही." रोहित ने कहा और 500 का नोट थमा दिया कल्लू को. "ये दरवाजा ठीक करवा लेना."

रोहित जीप में बैठ कर चल दिया.

"लगता है ये साइको एक ऐसा व्यक्ति है जिसकी कि समाज में इज़्ज़त है. वो पद्‍मिनी को इसलिए माँग रहा है क्योंकि उसे डर है कि कही वो बेनकाब ना हो जाए. शायद वो सारे आम हमारे सामने घूमता हो रोज पर हम उसे पहचान नही पाते क्योंकि हमे ज़रा भी अंदाज़ा नही रहता कि वो कातिल हो सकता है. मिस्टर साइको तुम्हे छोड़ूँगा नही मैं. देखता हूँ कब तक बचोगे.""

..............................

...............................................

शाम हो चुकी है और पद्‍मिनी ऑफीस से निकल रही है. राज शर्मा आस यूषुयल ख़ुसी से झूम उठता है. फ़ौरन आ जाता है वो पद्‍मिनी के पास.

"हो गयी छूटी आपकी." राज शर्मा ने पूछा.

"राज शर्मा तुम अपनी ड्यूटी पर ध्यान रखो. मुझसे फालतू की बाते मत किया करो"

"आप मुझसे खफा-खफा क्यूँ रहती है. प्यार करते हैं आपसे, कोई मज़ाक नही" आख़िर ज़ज्बात में बह कर राज शर्मा के मूह से निकल ही गयी दिल की बात. वो खुद पछताया बोल कर क्योंकि पद्‍मिनी की आँखे ये सुनते ही गुस्से से लाल हो गयी. थप्पड़ जड़ दिया उसने राज शर्मा के गाल पर.

"तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ये बोलने की...दफ़ा हो जाओ यहाँ से. नही चाहिए मुझे कोई प्रोटेक्षन."

"सॉरी पद्‍मिनी जी ग़लती हो गयी. मूह से निकल गया यू ही. कहना नही चाहता था आपसे कुछ भी. पर पता नही क्यों ये सब बोल दिया मैने." राज शर्मा गिड़गिडया.

"तुम्हारा मूत अपने आप निकल जाता है. मूह से भी कुछ भी निकल जाता है. तुम आख़िर हो क्या."

बेचारा राज शर्मा करे भी तो क्या करे. कुछ भी नही बोल पाया पद्‍मिनी को. बस सर झुकाए खड़ा रहा. पद्‍मिनी को ज़रा भी अहसास नही हुआ कि वो सच में उसे प्यार करता है. वो तो अपने सपने के कारण राज शर्मा से चिड़ी हुई थी और कुछ भी करके उस बद्शुरत सपने को टालना चाहती थी. इसी बोखलाहट में थप्पड़ जड़ दिया था उसने राज शर्मा के मूह पर.

"चुप क्यों खड़े हो बोलते क्यों नही कुछ" पद्‍मिनी ने कहा.

"क्या कहु आपसे. गुनहगार हू आपका. चलिए आप लेट हो रही हैं...सॉरी मैं आगे से ऐसा नही बोलूँगा."

"तुम्हारे बस में कुछ है भी. तुम्हारा तो सब कुछ अपने आप निकल जाता है." पद्‍मिनी ने कहा और अपनी कार में बैठ गयी.

राज शर्मा भी अपनी जीप में बैठ कर उसके पीछे चल दिया. घर पहुँच कर पद्‍मिनी सीधा घर में घुस गयी. वो राज शर्मा से कोई बात नही करना चाहती थी.

...........................................................

घने जंगल का द्रिस्य है. चारो तरफ खौफनाक सन्नाटा है. पद्‍मिनी और राज शर्मा घबराए खड़े हैं.घबराए भी क्यों ना उनके सामने साइको खड़ा है उनकी तरफ बंदूक ताने.

"तुम दोनो डिसाइड कर्लो पहले कौन मरना चाहता है." साइको ने कहा.

"हमने डिसाइड कर लिया. पहले तुम मरोगे." राज शर्मा ने पाँव से मिट्टी उछाल दी साइको की तरफ और उस पर टूट पड़ा. साइको के हाथ से पिस्टल छूट कर दूर गिर गयी. उसका चाकू भी ज़मीन पर गिर गया. मगर साइको पिस्टल के बिना भी बलशाली था. वो राज शर्मा पर भारी पड़ रहा था. किसी तरह राज शर्मा के हाथ चाकू आ गया और उसने चाकू साइको के पेट में गाढ दिया. साइको ढेर हो गया ज़मीन पर. राज शर्मा को लगा साइको का काम ख़तम. वो पद्‍मिनी की तरफ बढ़ा. लेकिन तभी साइको बोला, "पहले पद्‍मिनी ही मरेगी...बचा सको तो बचा लो."

राज शर्मा ने तुरंत पीछे मूड कर देखा. साइको के हाथ में पिस्टल थी और उसने पद्‍मिनी को निशाना बना रखा था. वक्त रहते राज शर्मा पद्‍मिनी और गोली के बीच आ गया और राज शर्मा ज़मीन पर ढेर हो गया. गोली बिल्कुल दिल के पास लगी थी.

पद्‍मिनी भाग कर आई राज शर्मा के पास और फूट फूट कर रोने लगी. "ऐसा क्यों किया तुमने. मुझे मर जाने देते."

"प्यार करते हैं आपसे, कोई मज़ाक नही" राज शर्मा ने कहा और उसने दम तौड दिया.

"राज शर्मा!" और पद्‍मिनी चिल्ला कर फ़ौरन उठ गयी गहरी नींद से. सपना था ही कुछ ऐसा. उसने अपने दिल पर हाथ रखा और बोली, "प्यार करते हैं आपसे, कोई मज़ाक नही...राज शर्मा ने यही कहा था शाम को. उफ्फ क्या हो रहा है मेरे साथ. इतने अजीब सपने क्यों आते हैं मुझे. ओह..राज शर्मा मुझे क्यों परेशान कर रहे हो."

पद्‍मिनी सपने के बाद बहुत बेचैन हो गयी थी. उसने घड़ी की तरफ देखा तो पाया कि रात के 2 बज रहे हैं. वो उठी और पानी पिया.

पानी पीने के बाद पद्‍मिनी खिड़की में आई और परदा हटा कर बाहर देखा. उसे अपने घर के बाहर सिर्फ़ राज शर्मा दिखाई दिया. वो जीप का बाहरा लेकर खड़ा था. राज शर्मा ने पद्‍मिनी को खिड़की से झाँकते हुए देख लिया. वो तुरंत जीप का सहारा छोड़ कर सीधा खड़ा हो गया...जैसे कि कुछ कहना चाहता हो.

पद्‍मिनी ने फ़ौरन परदा छोड़ दिया और वापिस आ कर बिस्तर पर गिर गयी. बहुत कोशिस की उसने दिमाग़ को डाइवर्ट करने की मगर बार बार उसके दिमाग़ में राज शर्मा के यही बोल गूँज रहे थे, "प्यार करते हैं आपसे, कोई मज़ाक नही."

निसा अचानक उठती है और खुद को कमरे में अकेला पाती है. वो पाती है कि उसके शरीर पर अब एक भी कपड़ा नही है. उसे याद आता है कि साइको ने उसे कुछ खाने को दिया था. खाते ही वो गहरी नींद सो गयी थी. उसका सर घूम रहा था.वो दीवार घड़ी की और देखती है. घड़ी 2 बजा रही थी.

"ये दिन के 2 बजे हैं या रात के 2" निसा सोचती है. मगर उसके पास जान-ने का कोई चारा नही है. उस कमरे में कोई खिड़की नही है. एक दरवाजा है जो कि बंद है. वो चारो तरफ ध्यान से देखती है. उसे एक टाय्लेट दिखाई देता है. वो उठती है और काँपते हुए टाय्लेट

की तरफ बढ़ती है. टाय्लेट में कोई दरवाजा नही है. वो अंदर झाँक कर देखती है तो पाती है कि टाय्लेट में भी कोई खिड़की नही है.

"ये कैसा कमरा है. कोई खिड़की नही है इसमे. और वो साइको कहाँ है?"

निसा टाय्लेट से दरवाजे की तरफ बढ़ती है. वो दरवाजे पर कान लगा कर देखती है. उसे बस सन्नाटा सुनाई देता है.

"कोई भी आवाज़ नही आ रही कही से...आख़िर मैं कहा हूँ. क्या ये कमरा देहरादून में ही है या कही और. डेडी प्लीज़ कुझ कीजिए मैं मरना नही चाहती." निसा फूट फूट कर रोने लगती है.

तभी निसा को दरवाजे पर कुछ हलचल सुनाई देती है और वो फ़ौरन भाग कर बिस्तर पर आकर लेट जाती है और अपनी आँखे बंद कर लेती है. उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगता है.

दरवाजा खुलता है और धदाम की आवाज़ होती है. निसा उत्शुकता में आँखे खोल कर देखती है. "रामू काका!"

रामू निसा के घर का नौकर था. कोई 45-46 साल की उमर का था. निसा ने रामू को देखते ही अपने उभारो पर हाथ रख लिए. मगर उसकी योनि को छुपाने के लिए कुछ नही बचा था.

"मेम्साब! आअहह" रामू कराहते हुए बोला. उसके सर से खून निकल रहा था.

साइको ने रामू को कमरे में पटका था. जिस से धदाम की आवाज़ हुई थी

"अब तुम क्या करना चाहते हो?" निसा रोते हुए बोली.

"जब तक पद्‍मिनी को मुझे नही सौंपा जाता क्यों ना एक-आध गेम हो जाए." साइको ने कहा

"अब कौन सी गेम खेलना चाहते हो...प्लीज़ मुझे जाने दो" निसा रोने लगी

"वाउ क्या ख़ौफ़ है तुम्हारी आँखो में. सच में मज़ा आ गया. अब और मज़ा आएगा."

"मुझे यहाँ क्यों लाए हो भाई." रामू ने पूछा.

"डरो मत तुम. बल्कि गर्व करो कि तुम मेरी आर्ट का हिस्सा बन-ने जा रहे हो."

रामू को कुछ समझ नही आया.

"खेल बहुत सिंपल है. ये चाकू देखो" साइको ने हाथ में पकड़े चाकू को हिलाया.

रामू बड़ी हैरानी से सब सुन रहा था. उसके रोंगटे खड़े हो रखे थे.

"तुम्हारे पास तीन ऑप्षन्स है. पहली ऑप्षन ये है कि ये चाकू लो और अपना पेट चीर लो. तुम्हारी मेम्साब को जाने दूँगा मैं अगर ऐसा करोगे तो."

रामू ने निसा की ओर देखा. उसकी रूह काँप उठी थी ये सब सुन कर.

"दूसरी ऑप्षन है कि तुम ये चाकू लो और निसा का पेट चीर डालो. उसका पेट चीरने के बाद तुम यहाँ से जा सकते हो. तुम्हे कुछ नही कारूगा."

रामू की तो आँखे फटी की फटी रह गयी.

"तीसरा ऑप्षन भी है. तुम अपनी मेम्साब की चूत में लंड डाल दो. मगर लंड उसकी मर्ज़ी से डालना. रेप की इज़ाज़त नही है तुम्हे. आधा घंटा है तुम्हारे पास इन तीनो में से एक काम करने का. कुछ भी नही किया तो तुम्हे काट डालूँगा. लो पाकड़ो ये चाकू." साइको ने चाकू रामू को दे दिया और खुद कुर्सी पर हाथ में पिस्टल ले कर बैठ गया.

रामू असमांजस में था कि क्या करे. खुद का पेट वो चीर नही सकता था. तीसरा काम भी वो नही कर सकता था. बस एक ही ऑप्षन बचा था कि वो काट डाले निसा को.

"दूसरी ऑप्षन ही ठीक है रामू. चीर दे पेट मेम्साब का. उनके मरने से तुम जिंदा रह सकते हो तो क्या दिक्कत है." वो काँपते हुए हाथ में चाकू लिए निसा की तरफ बढ़ता है.

"माफ़ करना मेम्साब और कोई चारा नही है. आप आँखे बंद कर लो"

"नमक हराम, अपना पेट क्यों नही चीर लेते. दिखा दी अपनी औकात तुमने." निसा चिल्लाई.

"मुझे भी जीने का हक़ है. आपके मरने से मैं जींदा रह सकता हूँ तो क्या दिक्कत है." रामू चाकू हवा में लहराता है. निसा काँप उठती है.

"रूको...तीसरी ऑप्षन भी तो है." निसा रोते हुए कहती है.

रामू का हाथ हवा में ही रुक जाता है. "तो क्या आप डलवा लेंगी?"

"हां आ जाओ" निसा फूट फूट कर रोने लगती है.

साइको तालिया पीटने लगता है. "वाह भाई वाह, क्या बात है. ये तो पूरी बेशर्मी पर उतर आई है. कितनी प्यास है इसकी चूत में लंड के लिए. अपने नौकर का लेने के लिए भी तैयार हो गयी है. ऐसी बदचलन रंडी मैने आज तक नही देखी. निसा जी हॅट्स ऑफ टू यू. कीप इट अप. जल्दी करो 5 मिनिट बर्बाद कर चुके हो तुम रामू. आधा घंटा है सिर्फ़ तुम्हारे पास."

रामू की तो आँखे ही चमक उठी थी ये सुनके. उसके लिंग में तुरंत हरकत होने लगी थी. उसने चाकू एक तरफ रखा और चढ़ गया बिस्तर पर.

"कहीं और मत छूना मुझे." निसा ने कहा

"ये करने को मिल रहा है, यही बहुत बड़ी बात है" रामू ने कहा और अपनी पॅंट उतार दी. फुर्ती से उसने अंडरवेर भी उतार दिया. बहुत बेचैन हो रहा था.

निसा ने अपनी आँखे बंद कर ली. टाइम बीत-ता जा रहा था. रामू ने तुरत अपने लिंग पर थूक लगाया और टिका दिया निसा की योनि पर.

एक ही धक्के में रामू ने पूरा लिंग निसा की योनि में उतार दिया. "आआआहह....नूऊओ" निसा कराह उठी.

निसा सोच रही थी कि अब साइको रामू का गला काट देगा और ये गंदा काम जल्दी ख़तम हो जाएगा. इसीलिए तो वो इसके लिए तैयार भी हुई थी.

पर वो चोंक गयी. रामू ने मज़े से धक्के लगाने शुरू कर दिए और ऐसा कुछ नही हुआ जैसा वो सोच रही थी. उसने साइको की तरफ देखा. वो कुर्सी पर बैठा था. उसके चेहरे पर नकाब था. इसलिए वो उसके चेहरे के भाव नही देख पाई. पर वो समझ गयी कि वो पूरे द्रिस्य का आनंद ले रहा था.

पहली बार निसा की योनि में लिंग अंदर बाहर घूम रहा था. मगर वो कुछ भी फील नही कर पा रही थी. उसकी आँखे टपक रही थी. रामू तो लगा हुआ था अपने काम में. उसे तो जैसे जन्नत मिल गयी थी.तूफान मचा दिया था उसने बिस्तर पर. भरपूर मज़ा ले रहा था वो निसा का. रुका नही एक भी बार. निसा की आँखो के आँसू भी नही दीखे उसे. लगा रहा बस. अपने चरम पर पहुँच कर गिर गया वो निसा के उपर और बोला, "माफ़ करना मुझे मेम्साब. कोई और चारा नही था."

मगर तभी छींख गूँज उठी रामू की कमरे में. साइको ने उसकी गर्दन के पीछे सर के बिल्कुल नीचे चाकू घुसा दिया. बड़ी बेरहमी से उसने वो चाकू नीचे की ओर खींचा और रामू की पीठ चीर डाली. चारो तरफ खून ही खून फैल गया. बिस्तर लाल हो गया. साइको ने रामू को टाँग पकड़ कर निसा के उपर से खींचा और ज़मीन पर पटक दिया.

"क्या सीन बना है. क्यों री रंडी. मिल गया तेरी चूत को पानी. अब तो खुस है तू. मैं चाहता था कि वो तुझे काट डाले. मगर नही. तुझे तो लंड चाहिए था उसका. भुज गयी प्यास तेरी अब. अपनी चूत में लंड ले ले कर लोगो को मरवा रही है. तेरे जैसी रंडी नही डेक्खी दुनिया में. बस बहुत हो गया तेरा ये गंदा खेल. नही चलने दूँगा मैं ये सब. साइको ने निसा के बाल पकड़े और उसे घसीट कर रामू की लास पर पटक दिया. इसके साथ तू भी मरेगी अब. मुझे रंडी बिल्कुल पसंद नही." साइको की बातो में बहुत कठोरता थी

और फिर कमरे में दरिंदगी का वो खेल हुआ जिसे देख कर किसी की भी रूह काँप जाए. बड़ी बेरहमी से काट डाला था साइको ने निसा को. दम तौड दिया था उसने बहुत जल्दी. मगर साइको का चाकू नही थमा. वार पर वार करता रहा वो.

"मेरी ग़मे खराब करती है साली. मैं क्या यहाँ पॉर्न देखने बैठा था जो कि लंड ले लिया तूने मज़े से. साली रंडी..........." पता नही और क्या क्या बकवास करता रहा वो.

कमरे में बहुत ही दर्दनाक और खौफनाक द्रिस्य हुआ था. जिसका पूरा वर्णन बहुत ही मुस्किल है.

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RE: Raj sharma stories बात एक रात की - by sexstories - 01-01-2019, 12:26 PM

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