RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की-- 60
गतान्क से आगे...........
रोहित भोलू के साथ बाहर का चक्कर लगा रहा है.
"सर ये साइको बिना मतलब क्यों मारता फिरता है लोगो को." भोलू ने कहा.
"क्योंकि वो साइको है. पागल हो गया है साला...एक बार मिल जाए मुझे. सारा साइको पाना निकाल दूँगा साले का."
अचानक उनकी जीप के आगे से एक बाइक निकलती है.
"ये कौन घूम रहा है बाइक पर इतनी रात को." रोहित जीप की स्पीड बढ़ा कर बाइक के आगे आ जाता है और बाइक सवार को रुकने पर मजबूर कर देता है.
"ये तो मोहित है?" भोलू कहता है.
"कौन मोहित?"
"मेरे घर के पास ही रहता है सर."
"तुम इतनी रात को कहा घूम रहे हो. किसी का खून करके तो नही आ रहे" रोहित ने पूछा.
"मैं अपनी ड्यूटी से आ रहा हूँ. घर जा रहा हूँ." मोहित ने कहा.
"क्या काम करते हो?" रोहित ने पूछा.
"प्राइवेट डीटेक्टिव हूँ."
"थ्ट्स इंट्रेस्टिंग. साइको का डर नही तुम्हे."
"2 बार सामना हो चुका है उस से. अब दर नही लगता उस से. मुझे मिला दुबारा तो बचेगा नही इस बार वो." मोहित ने कहा.
"पढ़ी है मैने केस फाइल. तुमने उसे घायल किया था."
"हां पेट चीर दिया था मैने उसका." मोहित ने कहा.
"फिर तो उसके पेट पे निसान होना चाहिए. मेरा ध्यान नही गया था इस बात पर. ये बहुत इंपॉर्टेंट क्लू है."
"क्या मैं जा सकता हूँ अब." मोहित ने कहा.
"हां बिल्कुल. क्या तुमने रास्ते में कुछ अजीब देखा. जैसे कि कोई व्यक्ति घूमता हुआ."
"मैने एक ब्लॅक स्कॉर्पियो देखी खड़ी हुई मंदिर के बाहर. मंदिर से एक आदमी निकला और स्कॉर्पियो में बैठ कर चला गया. मैं शकल नही देख पाया उसकी. मुझे ये अजीब सा लगा कुछ." मोहित ने कहा.
"कौन से मंदिर की बात कर रहे हो तुम." रोहित ने पूछा.
"बहुत पुराना सा मंदिर है भोले नाथ का. मैं वहाँ कभी गया नही." मोहित ने कहा
"बस स्टॅंड के सामने जो है उसकी बात तो नही कर रहे कही." रोहित ने कहा.
"हां हां वही मंदिर."
"वो मंदिर नही खंदार है मेरे भाई...मतलब ज़रूर कुछ गड़बड़ है. भालू चलो जल्दी" रोहित ने कहा.
"क्या मैं भी चल सकता हूँ आपके साथ?" मोहित ने कहा.
"आ जाओ...कोई दिक्कत की बात नही है." रोहित ने कहा.
मोहित ने बाइक वही सड़क के किनारे खड़ी कर दी और जीप में बैठ गया.
रोहित ने पूरी स्पीड से जीप सड़क पर दौड़ा दी.
रोहित कुछ ही देर में मोहित और भोलू के साथ उस पुराने मंदिर में पहुँच गया. उसने जीप पार्क की मंदिर के सामने और अपनी पिस्टल निकाल ली. पिस्टल हाथ में ताने वो खंदर में घुस्स गया.
खंदर में काई अलग अलग टूटे हुए कमरे थे जिनकी दीवारे तो थी मगर छत नही थी. रोहित ने एक एक करके सभी तरफ देखा.
“भोलू टॉर्च देना मुझे.” रोहित को शायद कुछ दिखा एक टूटे कमरे में.
भोलू ने टॉर्च रोहित को पकड़ा दी. रोहित ने जब टॉर्च जला कर कमरे की तरफ की तो सभी के होश उड़ गये.
“हे भगवान .” तीनो के मूह से यही निकलता है.
रोहित तुरंत ए एस पी साहिबा को फोन मिलाता है. रात के सादे तीन हो रहे थे. शालिनी गहरी नींद में सोई थी.
“उफ्फ किसका फोन है इस वक्त.” शालिनी ने फोन की तरफ हाथ बढ़ाया.
“सॉरी मेडम आपको इस वक्त डिस्टर्ब कर रहा हूँ.”
“क्या बात है, रोहित?” शालिनी ने पूछा.
“आप तुरंत यहाँ आ जाइए. बहुत भयानक मंज़र क्रियेट किया है साइको ने.” रोहित उसे वो सब बताता है जो कि उसने देखा.
शालिनी तुरंत तैयार हो कर खंदार की तरफ निकल देती है. उसके साथ चार कॉन्स्टेबल्स भी होते हैं. कुछ ही देर में शालिनी वहाँ पहुँच जाती है.
जब शालिनी अपनी आँखो से सब देखती है तो उसके रोंगटे खड़े हो जाते हैं. साइको ने निसा का सर काट कर रामू के सर पर लगा रखा था और रामू का सर काट कर निसा के सर पर लगा रखा था. दोनो लाशो को उसने दीवार के साहारे खड़ा कर रखा था. दीवार पर लिखा था “दो पापी, निसा और रामू आपके सामने हैं. दे आर प्राउड विक्टिम ऑफ माइ आर्टिस्टिक मर्डर.”
“जीसस…दिस साइको ईज़ शिज़ोफ्रेनिक” शालिनी कहती है.
“मेडम, जब मैं इसे पाकडूँगा तो थाने नही लाउन्गा. इसका एनकाउंटर कारूगा मैं.” रोहित ने कहा.
“क्या बकवास कर रहे हो. मेरे सामने ऐसी बात मत करना कभी. हमें जो भी करना है क़ानून के दायरे में करना है.” शालिनी भड़क गयी रोहित की बात सुन कर.
“कौन सा क़ानून मेडम, इसी क़ानून का सहारा ले कर छ्छूट जाते हैं ऐसे लोग. वो पॉलिटीशियन का लड़का जिसे मैने रेप के केस में अंदर किया था आज आज़ाद घूम रहा है. जिसका रेप हुआ था उसने स्यूयिसाइड कर ली है. क्या इंसाफ़ दिया हमने उस बेचारी को. उसे मैं जैल में डालने की बजाए गोली मार देता तो कुछ तो इंसाफ़ मिलता उस बेचारी को.”
“शट अप आइ से, सब तुम्हारी तरह सोचेंगे तो लॉ आंड ऑर्डर की धज़ियाँ उड़ जाएँगी. मेरे सामने ऐसी बाते कभी मत करना.”
“नही कारूगा पर आप खुद सोच कर देखो. क्या ऐसा घिनोना काम कोई इंसान कर सकता है. वो इंसान नही है मेडम. उस पर क़ानून लागू नही होता. जानवर है वो, हैवान है. ऐसे जानवरो को गोली मारनी चाहिए सीधा सर में. मोका नही देना चाहिए कोई भी.”
“तुम जज्बाती हो रहे हो…बाद में बात करेंगे.” शालिनी ने बात को ख़तम करना सही समझा.
“पोस्ट मॉर्टेम के लिए भेज दो दोनो बॉडीस को” शालिनी ने कहा.
“क्या तुमने उस ब्लॅक स्कॉर्पियो का नंबर नोट किया मोहित.” रोहित ने मोहित से पूछा.
“नही, मैने इस बात पर गौर ही नही किया कि ऐसा हो सकता है.” मोहित ने कहा.
“बाहर में जिस-जिस के नाम भी ब्लॅक स्कॉर्पियो है उनका पता करो. ये बहुत इंपॉर्टेंट क्लू है हमारे लिए” शालिनी ने कहा.
“जी मेडम. मैं भी यही सोच रहा था.” रोहित ने कहा.
“टॉर्च दो मुझे.” शालिनी ने कहा.
रोहित ने टॉर्च शालिनी को पकड़ा दी.
शालिनी ने बहुत बारीकी से बॉडीस को एग्ज़ॅमिन किया. “खून उसने कही और किया और बॉडीस यहाँ ला कर सज़ा दी. वो तो पद्मिनी को माँग रहा था निसा के बदले में. अभी उसकी दी हुई मोहलत भी पूरी नही हुई थी. आख़िर ये साइको चाहता क्या है.” शालिनी ने कहा.
“पागल है वो मेडम. और पागलो को समझा नही जा सकता.” रोहित ने कहा.
“चलो फिलहाल इन बॉडीस को पोस्ट मॉर्टेम के लिए भेज दो. और हां ध्यान रखना ये न्यूज़ मीडीया में लीक ना हो जाए. सनसनी फैल जाएगी बाहर में. लोग वैसे ही बहुत डरे हुए हैं.”
“मैं ध्यान रखूँगा मेडम?” रोहित ने कहा.
“एक काम करो सभी पोलीस कॉंटरों रूम को अलर्ट कर दो इस ब्लॅक स्कॉर्पियो के बारे में.” शालिनी ने कहा.
“ऑलरेडी कर दिया है. अब खुद भी एक राउंड पर निकल रहा हूँ.”
“गुड. कीप इट अप” शालिनी ने कहा.
पोलीस डिपार्टमेंट ने तो न्यूज़ दबा कर रखी मगर सुबह सवेरे हर चॅनेल पर एक वीडियो दिखाई जा रही थी. ये वीडियो साइको ने बनाई थी. उसने कमेरे का फोकस बोडेयस पर कर रखा था और बोल रहा था, “पद्मिनी देखो कितना खुब्शुरत कटाल किया है मैने. मैं एक आर्टिस्ट हूँ. तुम मुझसे डरो मत और मुझे एक मोका दो. सच कहता हूँ तुम्हे फकर होगा की तुम मेरे हाथो मारी गयी. एक खूबशुरआत मौत दूँगा तुम्हे मैं. मेरे हाथो मरने के बाद सीधा स्वर्ग जाओगी. तुम बेवजह डर कर भाग गयी उस दिन. तुम बहुत सुंदर हो पद्मिनी. तुम्हारे जैसा इस बाहर में कोई नही. तुम्हारे जैसी खुब्शुरत लड़की को खुब्शुरत मौत ही मिलनी चाहिए. और ये काम मैं बखूबी कर सकता हूँ. इन दोनो का खून मैने तुम्हारे कारण किया है. जब तक तुम मेरे पास नही आओगी. ऐसे नज़ारे बाहर वासियों को मिलते रहेंगे. सभी की भलाई इसी में है की तुम मेरे पास आ जाओ और एक खुब्शुरत मौत को स्वीकार करो. ये मत सचना पद्मिनी कि अगर तुम नही आओगी मेरे पास तो बच जाओगी. मरना तो तुम्हे है ही. यू कॅन रन बट यू कॅन नेवेर हाइड. तुम्हे तो मैं एक खुब्शुरत मौत दे कर रहूँगा चाहे कुछ हो जाए. आज तक तुम्हारे जैसी सुंदर लड़की को नही मारा. ये इच्छा भी पूरी हो कर रहेगी…हे…हे…हे.”
टीवी पर बार बार ये वीडियो दिखाई जा रही थी.
“ये न्यूज़ वाले भी ना. अपना फ़ायडा देखते हैं बस. मुजरिमो का काम आसान कर देते हैं ये मीडीया वाले. बार बार दिखा रहे हैं ये विसडेव. सनसनी फैलाने में पूरा साथ दे रहे हैं साइको का.” रोहित ने कहा.
“निकल गयी हवा सारी बेटा. अब तुम्हे लग रहा होगा की तुम सस्पेंड ही अच्छे थे, है ना मिस्टर रोहित पांडे.” चौहान ने रोहित का मज़ाक उड़ाया.
“जितने दिन ये केस आपके पास रहा, उतने दिन मेरे पास होता तो ये नौबत ही नही आती. वैसे आप थे कहा रात. ए एस पी साहिबा तो पहुँच गयी वहाँ पर आप नही आए. थे कहाँ आप.”
“मैं कही भी रहूं, तुमसे मतलब. अपना काम करो हा.” चौहान मूह सिकोड कर चला जाता है.
“मुझे तो इस चौहान पर भी शक है. कोई एंक्वाइरी ठीक से नही की इसने. ए एस पी साहिबा कह भी रही थी कि पोलीस महकमे की गोली चली थी उन पर. इस चौहान पर नज़र रखनी पड़ेगी मुझे.” रोहित ने खुद से कहा.
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जब टीवी पर पद्मिनी ने न्यूज़ देखी तो उसके पाँव के नीचे से तो ज़मीन ही निकल गयी. रोंगटे खड़े हो गये उसके न्यूज़ सुन कर. साइको के एक एक बोल ने उसकी रूह को काँपने पर मजबूर कर दिया.
“बेटा कही मत जा तू थोड़े दिन. बस यही घर पर ही रहो.” पद्मिनी की मम्मी ने कहा.
“हां बेटा तुम्हारी मम्मी ठीक कह रही है. जब तक ये वाहसी दरिन्दा पकड़ा नही जाता तुम घर पर ही रहो. रोज ऑफीस आने जाने में तुम्हारी जान को ख़तरा रहेगा.” पद्मिनी के दादी ने कहा.
राज शर्मा सुबह जब दिन निकलने लगा था तो हवलदारो को चोकस करके जीप में ही शो गया था. 24 घंटे की ड्यूटी थी. थोड़ी नींद भी ज़रूरी थी.पर सादे 9 बजे वो बिल्कुल तैयार था पद्मिनी के साथ ऑफीस जाने के लिए. वो इंतजार करता रहा. 10 बज गये तो उसने घर की बेल बजाई. पद्मिनी के दादी ने दरवाजा खोला.
“क्या पद्मिनी जी आज ऑफीस नही जाएँगी” राज शर्मा ने कहा.
“नही बेटा अब वो ऑफीस नही जाएगी. मैं अपनी बेटी को खोना नही चाहता.” पद्मिनी के पिता की आँखे नम हो गयी.
“क्या बात है आप परेशान क्यों लग रहे हैं.” राज शर्मा ने पूछा.
“तुम्हे नही पता कुछ भी? ओह हां तुम तो बाहर बैठे रहते हो. आओ टीवी पर न्यूज़ देखो, सब समझ जाओगे.”
राज शर्मा अंदर आ गया. सोफे पर टीवी के सामने पद्मिनी अपनी मम्मी के कंधे पर सर रख कर बैठी थी. राज शर्मा ने जब टीवी पर न्यूज़ देखी तो उसके होश उड़ गये. खंदार का पूरा द्रिस्य दिखाया जा रहा था. लेकिन जब साइको ने पद्मिनी के बारे में बोलना शुरू किया तो राज शर्मा आग बाबूला हो गया.
“ये कमीना ऐसा सोच भी कैसे सकता है. मैं उसका खून पी जाउन्गा.” राज शर्मा चिल्लाया.
पद्मिनी, पद्मिनी के दादी और मम्मी तीनो हैरान रह गये राज शर्मा के रिक्षन पर.
“मेरे होते हुए आपको कुछ नही होगा पद्मिनी जी. आप तक पहुँचने से पहले उसे मुझसे टकराना होगा. जब तक मैं जींदा हूँ वो अपने इरादो में कामयाब नही हो सकता.” राज शर्मा ने पद्मिनी की ओर देखते हुए कहा.
अनायास ही पद्मिनी को रात का सपना याद आ गया जिसमे उसने राज शर्मा को मरते देखा था अपने लिए. कुछ कहना चाहती थी राज शर्मा को पर कुछ बोल नही पाई. शायद अपने मम्मी, पापा की उपस्थिति के कारण चुप रही. मगर उसने एक बार बहुत प्यार से देखा राज शर्मा की तरफ और गहरी साँस ले कर अपनी आँखे बंद कर ली.
राज शर्मा ने पद्मिनी की आँखे पढ़ने की कोशिस तो की मगर वो कुछ समझ नही पाया. “क्या था इन म्रिग्नय्नि सी आँखो में जो मैं समझ नही पाया. आँखो की भाषा क्यों नही सीखी मैने.” राज शर्मा सोच में पड़ गया.
“मुझे नींद आ रही है. मैं सोने जा रही हूँ. रात भर ठीक से शो नही पाई” पद्मिनी ने कहा और उठ कर वहाँ से चल दी.
“आपकी इज़ाज़त हो तो, क्या मैं पद्मिनी जी से अकेले में कुछ बात कर सकता हूँ.” राज शर्मा ने पद्मिनी के डेडी से पूछा.
“यही रोक लेते उसे, अब तो वो चली गयी.” पद्मिनी के दादी ने कहा.
“बहुत इंपॉर्टेंट बात है प्लीज़.” राज शर्मा ने फिर रिक्वेस्ट की.
“ओके चले जाओ, अभी तो वो अपने कमरे में पहुँची भी नही होगी.”
पद्मिनी का कमरा फर्स्ट फ्लोर पर था. और वो सीढ़िया चढ़ रही थी. राज शर्मा दौड़-ता हुआ आया और बोला, “आप बिल्कुल चिंता ना करो, मैं हूँ ना.”
“थॅंकआइयू, मैं खुद को संभाल सकती हूँ. तुम अपना ख्याल रखना राज शर्मा.” पद्मिनी सीढ़ियाँ चढ़ कर अपने कमरे में आ गयी और अपना दरवाजा बंद कर लिया.
राज शर्मा भी आ तो गया सीढ़ियाँ चढ़ कर उपर. पर दरवाजा खड़काने की हिम्मत नही जुटा पाया. आ गया वापिस अपना सा मूह लेकर. “अपना ख्याल रखने को क्यों कहा पद्मिनी जी ने मुझे. क्या उन्हे मेरी चिंता है. नही…नही शायद उन्होने ऐसे ही कह दिया होगा. वो मेरी फिकर क्यों करेंगी. मैं भी बिल्कुल पागल हूँ. छोड़ दे प्यार के सपने और अपनी पुरानी जिंदगी में वापिस लौट जा. प्यार व्यार अपनी किस्मत में नही है.”
राज शर्मा घर से बाहर आ गया. उसने सभी कॉन्स्टेबल्स को हिदायत दी की हर वक्त बिल्कुल सतर्क रहें.
“मैने किसी को भी लापरवाही करते देखा तो देख लेना, मुझसे बुरा कोई नही होगा.” राज शर्मा ने कहा.
राज शर्मा वापिस घर के बाहर खड़ी अपनी जीप में बैठ गया. “अब इस साइको ने हद कर दी है. पद्मिनी जी के बारे में ऐसी बाते बोली. जींदा नही छोड़ूँगा कामीने को, बस मिल जाए एक बार वो मुझे.”
मगर बार-बार राज शर्मा की आँखो के सामने वो द्रिस्य घूम रहा था जब पद्मिनी बड़े प्यार से उसे देख रही थी. “कुछ तो था उन मृज्नेयनी सी आँखो में. काश समझ पाता मैं.”
रोहित थाने से निकल ही रहा था कि सामने से ए एस पी साहिबा आ गयी.
क्रमशः.........................
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