RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की-- 61
गतान्क से आगे...........
"क्या चल रहा है रोहित, कोई नयी डेवेलपमेंट?" शालिनी ने कहा.
"साइको ने अपनी करतूत की वीडियो सर्क्युलेट कर दी है मीडीया में और मीडीया वाले पागलो की तरह उसे दिखा रहे हैं." रोहित ने कहा.
"हां पता चला मुझे सब कुछ. अब कहा जा रहे थे तुम?"
"मेडम, पद्मिनी को फोटोस दिखाने जा रहा हूँ."
"गुड, उसकी सुरक्षा अरेंजमेंट भी चेक कर लेना. और सुरक्षा की ज़रूरत हो तो दी जा सकती है."
"बिल्कुल मेडम, मैं देख लूँगा."
"ओके...गुड लक" शालिनी कह कर अपने कॅबिन की तरफ चल दी.
रोहित अपनी जीप में बैठ कर पद्मिनी के घर की तरफ चल दिया.
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राज शर्मा बैठा था जीप में चुपचाप. पर उसके दिमाग़ में एक तूफान चल रहा था.
"ये अब मेरी पर्सनल बॅटल है. साइको की हिम्मत कैसे हुई पद्मिनी जी के बारे में ऐसा बोलने की. गोली मार दूँगा साले को मिल जाए एक बार मुझे वो. देखा जाएगा बाद में जो होगा. नही छोड़ूँगा उसे मैं जींदा. उसे नही पता की पद्मिनी जी के बारे में इतनी घिनोनी बाते करके उसने अपनी जान आफ़त में डाल ली है."
तभी पद्मिनी की खिड़की का परदा खुलता है. राज शर्मा तो देख ही रहा था बार-बार खिड़की की तरफ. जैसे ही उसे पद्मिनी दिखी आ गया फ़ौरन जीप से बाहर. पद्मिनी ने फिर बहुत प्यार से देखा राज शर्मा को. राज शर्मा तो बस देखता ही रह गया पद्मिनी को. वक्त जैसे थम सा गया था.
तभी एक जीप आकर रुकी पद्मिनी के घर के बाहर और रोहित उसमे से उतर गया.
"रोहित!" पद्मिनी ने कहा और परदा गिरा दिया.
राज शर्मा के दिल पे तो जैसे साँप लेट गया. बहुत प्यार से देख रही थी पद्मिनी राज शर्मा को. ये जीप बीच में ना आती तो शायद वो समझ जाता इस बार की क्या है पद्मिनी की म्रिग्नय्नि आँखो में.
"तो तुम हो राज शर्मा ?" रोहित ने पूछा.
"जी हां बिल्कुल."
"आइ आम इनस्पेक्टर रोहित पांडे."
"ओह...गुड मॉर्निंग सर. सॉरी आपको पहचान नही पाया. भोलू ने बातया था कि अब साइको वाला केस आप हॅंडल कर रहे हैं."
"इट्स ओके. यहाँ सब कैसा चल रहा है."
"ठीक चल रहा है सर"
"देखो वो साइको हाथ धो कर पड़ा है पद्मिनी के पीछे. तुम्हे बहुत ज़्यादा सतर्क रहना होगा. मैं 2 गन्मन लगा रहा हूँ यहाँ तुम्हारे साथ. कीप एवेरितिंग अंडर कंट्रोल."
"राइट सीर."
रोहित पद्मिनी के घर की बेल बजाता है. उसके डेडी दरवाजा खोलते हैं.
"जी कहिए."
"आइ आम इनस्पेक्टर रोहित पांडे. मुझे पद्मिनी से मिलना है"
"वो अपने कमरे में सो रही है."
"देखिए मेरा उनसे मिलना बहुत ज़रूरी है. प्लीज़ बुला दीजिए उन्हे."
"ठीक है, बैठो आप मैं बुला कर लाता हूँ पद्मिनी को"
जब पद्मिनी के डेडी ने पद्मिनी को बताया कि उस से कोई रोहित पांडे मिलने आया है तो उसने माना कर दिया मिलने से. "मेरे सर में दर्द है पापा. मैं किसी से नही मिलना चाहती."
पद्मिनी के दादी ने ये बात आकर रोहित को बता दी.
"लगता है अब तक नाराज़ है मुझसे." रोहित ने मन ही मन सोचा.
"आप बाद में आ जाना."
"बहुत अर्जेंट था. क्रिमिनल्स की फोटोस लाया था उन्हे दिखाने के लिए. क्या पता इन्ही में से हो वो साइको."
ये बात सुनते ही पद्मिनी के डेडी दुबारा गये पद्मिनी के पास और उसे किसी तरह ले आए अपने साथ.
पद्मिनी को देखते ही रोहित खड़ा हो गया. दोनो की आँखे टकराई पर कुछ कहा नही एक दूसरे को.
"ये फोटोस हैं क्रिमिनल्स की. इन्हे ध्यान से देखिए...हो सकता है साइको इन्ही में से कोई हो."
पद्मिनी ने फाइल पकड़ी और बैठ गयी सोफे पे. एक एक फोटो को वो गौर से देखने लगी. जब पद्मिनी के डेडी वहाँ से हटे तो रोहित ने कहा, "कैसी हो पद्मिनी"
"इनमे से कोई नही है." पद्मिनी ने कहा और फाइल टेबल पर रख दी. उसने रोहित की बात का कोई जवाब नही दिया.
"इतने दिनो बाद मिली हो, क्या बात भी नही करोगी." रोहित ने कहा.
पद्मिनी कुछ नही बोली और चुपचाप वहाँ से उठ कर चली गयी.
रोहित ने फाइल उठाई और घर से बाहर आ गया. "बिल्कुल नही बदली पद्मिनी. आज भी वैसी ही है. वही गुस्सा, वही अदा. सब कुछ वही है. आँखो की गहराई भी वही है. शूकर है उसने मेरी तरफ देखा तो. लगता है कभी माफ़ नही करेगी मुझे. ऐसी हसीना की नाराज़गी से तो मौत अच्छी"
रोहित राज शर्मा के पास आया और बोला, "अपने पास जो भी फोटोस थे क्रिमिनल्स के उनमे से कोई नही है साइको."
"सर अभी मैं एक बात सोच रहा था, बुरा ना माने तो बोलूं"
"बेझीजक कुछ भी बोलो यार. चौहान की तरह पागल नही हूँ मैं."
"ए एस पी साहिबा पर पोलीस महकमे की गोली चली थी. अगर अस्यूम करके चलें कि साइको एक पोलीस वाला है तो पीछले दिनो की कुछ बाते गौर की मैने"
"हां हां बोलते जाओ." रोहित ने कहा.
"एक पोलीस वाले पर शक है मुझे. वो है सब इनस्पेक्टर विजय."
"ऐसा कैसे कह सकते हो तुम. मैं जानता हूँ उसे. अच्छा बंदा है वो तो"
"देखिए सर जब मेरे दोस्त मोहित ने साइको का पेट चीर दिया था तभी से विजय छुट्टी पर चला गया. फोन किया उसने बस की मैं मुंबई शादी में जा रहा हूँ. पूरे 2 हफ्ते बाद लौटा वो ड्यूटी पर. फिर जब ए एस पी साहिबा पर गोली चली थी, तब भी वो गायब था. ये कुछ बाते हैं जो दर्साति हैं कि कुछ गड़बड़ है."
"मान-ना पड़ेगा दिमाग़ तेज चलता है तुम्हारा. यू विल बी वेरी सक्सेस्फुल इन पोलीस डेप्ट. मैं गौर कारूगा इस बात पर. आज ही खबर लेता हूँ विजय की."
"थॅंक यू सर. ये मेरा गेस है. मैं ग़लत भी हो सकता हूँ."
"इन्वेस्टिगेशन में गेस के सहारे ही आगे बढ़ना पड़ता है. जो गेस नही कर सकता वो इन्वेस्टिगेशन भी नही कर सकता. ख़ुसी हुई मुझे तुमसे मिल कर. मैं चलता हूँ अब. बी अलर्ट हियर ऑल दा टाइम."
रोहित अपनी जीप में बैठ कर वापिस चला गया.
"सर जो भी हो. ग़लत वक्त पर आए आप. पता नही कब हटेगा परदा ये अब. रोज रोज कहा पद्मिनी जी हमारी तरफ ऐसे देखती हैं. पता नही क्या बात है. "
मोहित भी टीवी पर साइको द्वारा बनाई गयी वीडियो देख कर परेशान हो गया.
"एक तो ये कमीना इतने वहान्सि तरीके से खून कर रहा है. उपर से ऐसी वीडियो बना कर मीडीया में भेज रहा है. बहुत भयानक खेल, खेल रहा है ये प्यचओ. काश मैं इसे उसी दिन मार डालता."
मोहित तैयार हो कर अपनी ड्यूटी के लिए निकल दिया. सुबह के 11 बज रहे थे. वो थोड़ा लेट हो गया था.
"लेट हो गया यार इस साइको के चक्कर में. जल्दी निकलता हूँ."
मोहित बाइक ले कर अपने ऑफीस की तरफ निकल देता है. रास्ते में कुछ ही दूरी पर एक बस स्टॉप पर उसे पूजा खड़ी दिखाई देती है. उसकी तो आँखे चमक जाती हैं पूजा को देख कर. रोक देता है बाइक पूजा के सामने. "कॉलेज जा रही हो? मैं भी उसी तरफ जा रहा हूँ. आओ बैठ जाओ छ्चोड़ दूँगा तुम्हे कॉलेज तक."
"अपना रास्ता देखो मिस्टर मोहित. पागल नही हूँ मैं जो कि तुम्हारे साथ जाउन्गि" पूजा ने कहा.
"तुम हसिनाओ की यही दिक्कत है. कभी प्यार की कदर नही करती. इतना कठोर दिल कहा से आया तुम्हारे पास. इतनी सुंदर हो कर इतनी कठोर बाते सोभा नही देती तुम्हे. हुसान को प्यार की ज़रूरत हमेशा रहती है. प्यार मिले तो उसे ठुकराना नही चाहिए. आ जाओ बैठ जाओ. कुछ बिगड़ नही जाएगा तुम्हारा मेरे साथ चलने से."
"गेट लॉस्ट, मुझे एक कदम भी नही चलना तुम्हारे साथ" पूजा ने गुस्से में कहा.
"आना पड़ेगा तुम्हे मेरी ही बाहों में एक दिन, देख लेना एक दिन तुम भी मेरे प्यार में तड़पोगी"
"ऐसा दिन आने से पहले मैं मर जाउन्गि. चले जाओ यहाँ से. मुझे परेशान मत करो."
"अच्छा एक ज़रूरी बात है, ध्यान से सुनो. साइको किल्लर और भी ज़्यादा दरिंदगी पर उतर आया है. बे केर्फुल ऑल दा टाइम. मुझे तुम्हारी चिंता रहती है."
"हे...हे...हे...मेरी चिंता. मैं सब समझ रही हूँ. तुम्हे मेरी नही अपनी चिंता है. अगर मैं मर गयी तो तुम किसके साथ हवस की प्यास बुझाओगे. मेरी चिंता मत करो मिस्टर मोहित. अपनी चिंता किया करो. तुम्हारा तो 2 बार सामना हो चुका है साइको से.तुम्हे मेरा शरीर चाहिए और कुछ नही."
"तुम तो देखने भी नही आई एक भी बार मुझे. हॉस्पियाल में जब भी कुछ आहट होती थी तो मैं इस उम्मीद में आँखे खोल कर देखता था कि कही तुम तो नही. पर तुम तो बड़ी निर्दयी निकली. एक बार भी नही आई तुम."
"क्यों आउ मैं तुम्हे देखने. क्या लगते हो तुम मेरे?"
"आशिक़ हूँ तुम्हारा. तुम मानो या ना मानो कुछ तो रिश्ता बनता ही है"
"तुम जाते हो कि नही या पोलीस को बुलाउ." पूजा ने गुस्से में कहा.
"जा रहा हूँ यार, मैं तो वैसे ही लेट हो रहा हूँ." मोहित ने कहा.
मोहित ने अपनी बाइक स्टार्ट कर दी और अपना सा मूह लेकर निकल गया आगे.
"अफ यार ये नही पटेगी. " मोहित ने कहा.
मोहित के जाने के बाद पूजा ने राहत की साँस ली. "ये बस कब आएगी. आधा घंटा हो गया खड़े हुए यहाँ." पूजा अकेली ही खड़ी थी बस स्टॉप पर और कोई नही था.
पूजा अंजान थी इस बात से कि एक नयी मुसीबत उसकी ओर बढ़ रही थी जिसका उसे अंदाज़ा भी नही था.
सब इनस्पेक्टर विजय पोलीस की जीप में उधर से गुजर रहा था. उसने पूजा को पहचान लिया, "अरे ये तो वही एस्कॉर्ट है जो उस दिन उस बंदे के साथ होटेल में थी. 50,000 वाली एस्कॉर्ट. टॉप क्लास रंडी."
विजय ने जीप पूजा के आगे रोक दी. "नाम भूल गया मैं तुम्हारा पर काम नही भुला. कौन से होटेल जा रही हो. रेट अभी भी 50,000 है या बढ़ा दिया. तेरे लिए 50,000 बहुत कम है वैसे. मुझे क्या मुझे तो फ्री में लेनी है तेरी. चल बैठ जा जीप में. बहुत दिन से ड्यू है तुम्हारी ठुकाई मेरे हाथो."
पूजा के चेहरे का तो रंग उड़ गया ये सब सुन कर. उसके पाँव काँपने लगे. उसे समझ नही आ रहा था कि क्या करे. वो भाग जाना चाहती थी वहाँ से पर उसके कदम ही नही हीले.
"सोच क्या रही है बैठ जल्दी. चल अपने घर ले चलता हूँ तुझे. खूब अच्छे से लूँगा तेरी."
"सर वो मेरा पहली और आखरी बार था. मुझे ब्लॅकमेल करके एस्कॉर्ट बन-ने पर मजबूर किया गया था."
"हर रंडी पकड़े जाने पे ऐसी ही कहानी सुनाती है. चुपचाप बैठ जा वरना प्रॉस्टिट्यूशन के केस में जैल में डाल दूँगा"
"सर प्लीज़." पूजा गिड़गिडाई
"अगर एक मिनिट के अंदर नही बैठी तो बाल पकड़ कर घसीट कर ले जाउन्गा" विजय कठोरता से बोला
पूजा बहुत डर गयी. डर स्वाभाविक भी था. वो काँपते कदमो से जीप में बैठ गयी. उसके पास इसके अलावा कोई चारा भी नही था.
विजय पूजा को लेकर चल पड़ा अपने घर की तरफ. "बीवी मायके गयी है मेरी. शाम तक लौटेगी. तब तक तू मेरे साथ मेरे घर पर रहेगी. छुट्टी ले लूँगा मैं ड्यूटी से. खूब चोदुन्गा तुझे सारा दिन."
पूजा कुछ नही बोल पाई बस दो आँसू टपक गये उसकी आँखो से.
विजय पूजा को अपने घर ले आया.
"सारे कपड़े उतार दे जल्दी से. मैं भी तो देखूं जो माल 50,000 में बिकता है वो कैसा दीखता है."
"आप समझते क्यों नही मैं एस्कॉर्ट नही हूँ. उस दिन ज़बरदस्ती भेजा गया था मुझे होटेल में."
विजय पर तो मानो कुछ असर ही नही हुआ. उसने पूजा को बाहों में भर लिया और उसके नितंबो को मसल्ने लगा. "क्या फरक पड़ता है. धंधा तो तूने किया ना. एक बार या सौ बार. धंधा तो धंधा है."
पूजा कुछ नही बोल पाई. खड़ी रही चुपचाप और पीसती रही विजय की बाहों में. बड़ी बेरहमी से मसल रहा था विजय पूजा के नितंबो को.
"मान-ना पड़ेगा. एक दम मखमली गान्ड है तेरी. 50,000 तो केवल इसी के दे देते होंगे लोग तुझे. क्यों सच कह रहा हूँ ना मैं."
पूजा ने कुछ भी कहना सही नही समझा. वो कुछ कह भी नही सकती थी. बस आँखे बंद किए चुपचाप अपने शरीर से खिलवाड़ होते देखती रही.
विजय ने उसके सारे कपड़े निकाल दिए और पटक दिया उसे बिस्तर पर. वो खुद भी नंगा हो कर पूजा के उपर आ गया. पूजा तो एक जींदा लाश की तरह हो गयी. विजय ने उसकी टांगे अपने कंधे पर रखी और समा गया उसके अंदर.
जब विजय पूजा के अंदर समाया तो उसकी आँखे छलक गयी और उसने मन ही मन सोचा,"प्यार किया था मैने. सच्चा प्यार. क्या ग़लती थी मेरी मेरे भगवान जो प्यार में मुझे इतना बड़ा धोका मिला. प्यार ने मुझे वेश्या बना दिया. नही जी पाउन्गि अब मैं. पहले चौहान और परवीन ने एक साथ मेरी इज़्ज़त की धज़िया उड़ाई. अब ये उड़ा रहा है. प्यार ऐसे दिन दिखाएगा सोचा नही था मैने. बस ये आखरी बार है. ये सब सहने के लिए मैं जींदा नही रहूंगी अब."
विजय तो पागलो की तरह अपने काम में लीन था. तूफान मच्चा रखा था उसने पूजा की योनि के अंदर. मगर पूजा कुछ भी महसूस नही कर रही थी. बहुत व्यथीत थी आज. चौहान और परवीन के साथ तो वो फिर भी संभोग के आनंद में खो गयी थी. जिसका उसे बाद में अफ़सोस भी रहा. मगर आज वो कुछ भी महसूस नही कर रही थी. शायद ये बात उसे अंदर ही अंदर खाए जा रही थी कि उसकी जिंदगी कहा से कहा पहुँच गयी. चौहान और परवीन के साथ तो वो अंजाने में ही खो गयी थी, बहक गयी थी...मगर आज ऐसा कुछ नही हो रहा था. आँसू पे आँसू टपक रहे थे उसकी आँखो से.
क्रमशः.........................
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