Raj sharma stories बात एक रात की
01-01-2019, 12:28 PM,
#72
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--67

गतान्क से आगे.................

"बेवकूफ़ फोन पे बात की मैने. मुझे विजय पर शक था. वो अक्सर ड्यूटी से गायब रहता है. मैने चौहान से फोन करके पूछा कि क्या विजय के पास ब्लॅक स्कॉर्पियो है, तो उसका जवाब हां था. नज़र रखो विजय पर. इसीलिए बुलाया तुम्हे यहाँ."

"मैं खुद यही सोच रहा था मेडम."

"अब सोचो कम और काम ज़्यादा करो. मुझे कुछ नतीजा चाहिए जल्दी समझे वरना...."

"समझ गया मेडम, इज़ाज़त दीजिए मुझे."

"हां जाओ और विजय के साथ साथ बाकी तीनो पर भी नज़र रखो. साइको इन चारो में से ही कोई है."

"बिल्कुल मेडम ऐसा ही करूँगा. वैसे विजय कल से गायब है फिर से. आज भी ड्यूटी पर नही आया वो." रोहित ने कहा.

"तभी तो मुझे शक है उस पर. नाउ डोंट वेस्ट युवर टाइम."

"जी मेडम" रोहित ने कहा और उठ कर बाहर आ गया.

"उफ्फ जान निकाल देती हैं मेडम." रोहित ने बाहर आ कर कहा.

..............................

.....................................................

शाम के 6 बज रहे हैं. हल्का-हल्का अंधेरा होने लगा है.

सरिता विजय की पत्नी, बाजार से कुछ समान ले कर लौट रही है. घर पहुँच कर वो पाती है की उनके घर के बाहर कोई खड़ा है बाइक ले कर. वो उसे पहचान जाती है. "ये तो मोहित है."

मोहित सरिता को देखते ही बोला, आपका ही इंतेज़ार कर रहा था मैं. कैसी हैं आप."

"मैं ठीक हूँ, अंदर आइए."

सरिता ने दरवाजे का ताला खोला और मोहित को अंदर इन्वाइट किया.

"मेरे पति घर पर नही हैं. आप अच्छे वक्त पर आयें हैं. मैं बिना किसी चिंता के अपना क़र्ज़ उतार सकती हूँ."

"कहाँ हैं आपके पति देव."

"देल्ही गये हैं कल से किसी काम से. अब कल ही लोटेंगे"

"ह्म्म..."

"वैसे मुझे डर लग रहा है, पर अपना क़र्ज़ मैं चुकाना चाहती हूँ. आपके सामने हूँ आप जैसा चाहें कर सकते हैं."

"आप हर क़र्ज़ से आज़ाद हैं सरिता जी. मुझे आपसे कुछ नही चाहिए. मैं तो वैसे ही मिलने आया था. बस एक बात बता दीजिए अगर हो सके तो."

"जी पूछिए." सरिता ने कहा.

"आपके पति के पेट पर निशान क्यों है, बहुत बड़ा लंबा सा."

"आप क्यों जान-ना चाहते हैं?"

"प्लीज़ हो सके तो बता दीजिए...मुझसे कारण मत पूछिए."

"उस रात आपके जाने के बाद मेरे पति घर आए थे. उन पर साइको ने हमला किया था. उनके पेट पर वार किया. किसी तरह से बच गये वो. बड़ी मुस्किल से घर पहुँचे थे."

"ह्म्म तो आप कौन से हॉस्पिटल में ले गयी थी उन्हे."

"उन्होने मना कर दिया हॉस्पिटल जाने से. कह रहे थे की सबको पता चलेगा तो पोलीस की बदनामी होगी. वैसे मैं खुद एक डॉक्टर हूँ. मैने घर पर ही जैसे तैसे ऑपरेट किया. थॅंक गॉड सब कुछ ठीक रहा."

"ह्म्म....."

"आप ये सब क्यों जान-ना चाहते थे."

"कोई ख़ास बात नही वैसे ही. अब मैं चलता हूँ. टेक केर."

सरिता को तो कुछ भी समझ नही आ रहा था

मोहित आ गया चुपचाप बाहर और बाइक पर बैठ कर घर की तरफ चल दिया.

मोहित घर पहुँचा तो उसे अपने घर के बाहर पूजा खड़ी मिली.

"तुम यहाँ क्या कर रही हो पूजा. लोग देखेंगे तो क्या सोचेंगे"

"क्यों कर रहे हो ये सब. कुछ बदल नही जाएगा खून ख़राबे से."

"मैं कुछ समझा नही." मोहित ने हैरानी भरे शब्दो में कहा.

"मैने अभी अभी देखा कल का न्यूज़ पेपर. विक्की और परवीन को किसी ने बेरहमी से मार दिया."

"अच्छा हुआ वो लोग इसी लायक थे. पर उन्हे किसी ने नही बल्कि साइको ने मारा है."

"मेरी आँखो में देख कर बोलो क्यों कर रहे हो ये सब."

"अंदर चल कर बात करते हैं, लोग देख रहे हैं." मोहित ने कहा और कमरे का ताला खोल दिया. "आओ बैठ कर आराम से बातें करते हैं."

"कोई बात नही करूँगी जब तक ये सब बंद नही करोगे." पूजा ने कहा.

"तुम्हे कुछ ग़लत-फ़हमी हो गयी है. मैने कुछ नही किया ऐसा."

"मतलब की तुम रुकोगे नही, खून की होली खेलते रहोगे. मेरी चिंता नही तुम्हे बिल्कुल भी क्या."

"क्या मतलब.... आओ आओ अंदर आओ अब काम की बात की तुमने. पहली बार तुम्हारी आँखो में मेरे लिए प्यार दिखाई दे रहा है."

"ये प्यार नही तुम्हारे लिए चिंता है. रोक दो ये सब वरना तुमसे कभी बात नही करूँगी."

"2 लोग बाकी हैं अभी पूजा. न्याय पूरा करूँगा मैं अधूरा नही."

"मतलब तुम नही रुकोगे."

"नही."

पूजा चल पड़ी मूड कर अपने घर की तरफ. मोहित ने उसे रोकने की कोशिस नही की.

"तुम समझ नही रही हो पूजा. अगर ये लोग जिंदा रहे तो परेशान करते रहेंगे तुम्हे. इनका मारना ज़रूरी है. तभी तुम शांति से जी पाओगि.

पूजा चल तो पड़ी थी मूह फेर कर अपने घर की ओर पर उसके कदम आगे ही नही बढ़ रहे थे. बहुत धीरे-धीरे बढ़ रही थी वो आगे. वो किसी उधेड़बुन में थी. अचानक वो रुक गयी और अपने कदम वापिस मोहित के घर की तरफ मोड़ दिए. "मैं नही करने दूँगी मोहित को ये सब, उसे मेरी बात मान-नी पड़ेगी." पूजा ने ध्रिद निस्चय से कहा और तेज कदमो से चल पड़ी.

2 मिनिट में ही पूजा वापिस मोहित के घर के बाहर थी. मोहित ने पूजा के जाने के बाद दरवाजा बंद कर लिया था. वो नहाने की तैयारी कर रहा था. सारे कपड़े निकाल कर बस अंडरवेर में था. कंधे पर तोलिया टाँग रखा था.दरवाजा खड़का तो हड़बड़ा गया वो. फुर्ती से टोलिया लपेट कर दरवाजा खोला उसने.

"पूजा तुम रूको...रूको मैं कपड़े पहन लूँ" मोहित ने तुरंत दरवाजा बंद कर दिया.

पूजा हंस पड़ी मोहित को ऐसी हालत में देख कर. मोहित ने तुरंत कपड़े पहन कर दरवाजा खोला, "आओ पूजा, मुझे लगा तुम चली गयी. मैं नहाने जा रहा था. सॉरी."

पूजा अंदर आ गयी और बोली, "मेरी खातिर रुक जाओ मोहित. मुझे ये सब ठीक नही लग रहा. तुम्ही बताओ क्या हाँसिल होगा मुझे उनके मरने से. कुछ भी तो नही. मेरे साथ जो होना था हो ही चुका है. कुछ भी तो बदल नही जाएगा. तुम बेकार में उनके गंदे खून से अपने हाथ रंग रहे हो."

"क्या तुम्हे नही लगता कि उन्हे उनके किए की सज़ा मिलनी चाहिए." मोहित ने कहा.

"सज़ा तो मुझे भी मिलनी चाहिए उस हिसाब से. मेरी खुद की कम ग़लतियाँ नही हैं. आँख मिच कर अपना सब कुछ सोन्प दिया था मैने विक्की को. क्या मैने ग़लत नही किया. चौहान और परवीन को मैने भी थोड़ा ही सही सहयोग तो दिया. क्या मैं पापी नही हूँ. मुझे मारो सबसे पहले. तुम मेरे लिए कर रहे हो ना ये सब. प्यार करते हो मुझसे तुम. लेकिन मोहित जिसे तुम प्यार करते हो उसके दामन पर दाग है. मैं तुम्हारे प्यार के लायक नही हूँ. मुझे भी तो मारो. मैं भी उतनी ही पापी हूँ जीतने की ये लोग जिन्हे तुम मारने पर उतारू हो." पूजा ने भावुक शब्दो में कहा.

"पूजा मुझे पता है किसकी कितनी ग़लती है. तुम्हारे साथ प्यार का नाटक हुआ, तुम्हारी वीडियो बनाई गयी. तुम्हे ब्लॅकमेल किया गया. चौहान ने तुम्हारी मजबूरी का फ़ायडा उठाया और अपने कुकर्म में परवीन को भी सामिल किया. मानता हूँ मैं कि थोड़ा सहयोग दिया होगा तुमने उन्हे. पर शायद वो सहयोग तुम्हारी मजबूरी थी. तुम्हारी कहानी सुन कर तो यही लगा था मुझे. तुम पापी हो ही नही सकती. पापी वो लोग हैं जिन्होने तुम्हारे मासूम चरित्र की धज्जियाँ उड़ाई. नही छोड़ूँगा मैं बाकी के 2 लोगो को भी."

"नही मोहित प्लीज़. कहने को प्यार करते हो मुझसे और मेरी एक बात भी मान-ने को तैयार नही. क्या यही प्यार है तुम्हारा. तुम ये भी नही सोच रहे हो कि अगर तुम्हे ही साइको समझ लिया गया तो फिर क्या होगा."

"क्या तुम प्यार करने लगी हो मुझसे पूजा जो कि इतनी चिंता कर रही हो मेरी."

"प्यार मेरे लिए एक कन्फ्यूषन बन गया है. प्यार नही कर पाउन्गि जिंदगी में दुबारा. इंसानियत के नाते तुम्हारी चिंता है मुझे."

"तुमने बाहर कहा था की क्या मेरी चिंता नही तुम्हे, क्यों कहा था ऐसा तुमने"

"तुम अगर मेरे लिए खून ख़राबा करोगे तो क्या ख़ुसी मिलेगी मुझे. परेशान ही तो रहूंगी. जब प्यार करते हो मुझसे तो क्या मुझे परेशानी में डालोगे. तुम ऐसा करोगे तो क्या मैं चिंता नही करूँगी तुम्हारी. ख़तरनाक खेल खेल रहे हो तुम जिसमे तुम्हारी जान भी जा सकती है."

"वाउ...तुम्हे मेरी फिकर हो रही है. यही तो प्यार है. देखा पटा ही लिया मैने तुम्हे." मोहित ने हंसते हुए कहा.

"दुबारा प्यार मेरे लिए असंभव है. प्यार नही है ये. तुम्हारी चिंता है मुझे और कुछ नही...मोहित. कर बैठती प्यार तुमसे इस दीवाने पन के लिए अगर प्यार में धोका ना खाया होता मैने. प्यार नही कर पाउन्गि तुम्हे, मजबूर हूँ अपने दिल के हातो. लेकिन तुम अगर मुझे सच में प्यार करते हो तो तुम्हे तुरंत ये खून ख़राबा बंद करना पड़ेगा."

मोहित ने गहरी साँस ली और बोला, "ठीक है पूजा, एनितिंग फॉर यू. लेकिन कम से कम इस विजय का खेल तो ख़तम करने दो. वही है वो साइको जिसने शहर में आतंक मचा रखा है."

"कौन विजय?"

"वही पोलीस वाला जो तुम्हे ज़बरदस्ती घर ले गया था. उसका नाम विजय है"

"अगर ऐसा भी है तो तुम क्यों क़ानून अपने हाथ में लेते हो. मेरे जीते जी तुम कुछ नही करोगे ऐसा समझ लो. मुझे मार दो फिर कर लेना जो करना है"

"अच्छा ठीक है बाबा. मैं ये बात इनस्पेक्टर रोहित को बता देता हूँ. देख लेंगे आगे वो खुद."

"थॅंक यू मोहित. बहुत शुकून मिला मेरे दिल को ये सुन कर. काश तुम मुझे पहले मिले होते." पूजा ने गहरी साँस ली.

"पूजा इंतेज़ार करूँगा तुम्हारा. मुझे यकीन है कि तुम मेरे प्यार से दूर नही रह पाओगि. मेरा प्यार सच्चा है तो तुम्हे भी प्यार हो ही जाएगा."

पूजा की आँखे भी भर आई और वो मुस्कुरा भी पड़ी मोहित की बात पर. एक साथ दो भावनाए जाग गयी थी पूजा के अंदर. "मैं चलती हूँ मोहित. दीदी मेरे लिए परेशान हो रही होगी."

"मिलती रहना मुझसे, एक आचे दोस्त तो हम रह ही सकते हैं."

"हां बिल्कुल" पूजा मोहित की आँखो में देख कर मुस्कुराइ और धीरे से दरवाजा खोल कर बाहर निकल गयी.

"कितना प्यार है तुम्हारी आँखो में मेरे लिए, पर तुम स्वीकार नही करना चाहती इस प्यार को. देखता हूँ मैं भी कब तक धोका दोगि खुद को." मोहित ने कहा.

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क्रमशः..............................
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