RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--68
गतान्क से आगे.................
रोहित ने भोलू को बुलाया और कहा, "सब-इनस्पेक्टर विजय की फोटो चाहिए मुझे."
"उनकी फोटो का क्या करेंगे सर."
"है कुछ काम, तुम फोटो लाओ."
"जी सर."
रोहित ने भोलू के जाने के बाद राज शर्मा को फोन मिलाया, "हेलो राज शर्मा, एक बात बताओ क्या पद्मिनी ने सब-इनस्पेक्टर विजय को देखा है क्या"
"नही सिर विजय उसके सामने नही आया कभी." राज शर्मा ने जवाब दिया.
"ह्म्म कल सुबह मैं विजय की फोटो लेकर आउन्गा पद्मिनी को दिखाने के लिए. मुझे लग रहा है कि विजय ही साइको है."
रोहित ने अचानक फोन काट दिया. उसके दरवाजे पर विजय खड़ा था.
"गुड ईव्निंग सर कैसे हैं आप." विजय ने कहा.
"विजय तुम आओ...आओ." रोहित ने कहा.
"अभी अभी देल्ही से आया हूँ सर. जल्द मिलूँगा आपसे." विजय कह कर चला गया वहाँ से.
"वेरी स्ट्रेंज. मैं उसका सीनियर हूँ, अंदर बुला रहा हूँ और वो टाल कर चला गया. शायद उसने फोन पर मेरी बाते सुन ली." रोहित सोच में पड़ गया.
तभी रोहित का फोन बाज उठा. फोन उसकी छोटी बहन पिंकी का था.
"भैया मेरे बर्तडे पर तो वक्त से आ जाओ. मम्मी, पापा भी नही हैं आज यहाँ. ऐसा बर्तडे कभी नही मना मेरा कभी ." पिंकी ने कहा.
"आ रहा हूँ बस थोड़ी देर में. बता क्या गिफ्ट लाउ तेरे लिए."
"मुझे कॅश दे देना मैं खुद खरीद लूँगी. तुम्हारा लाया गिफ्ट कभी अच्छा नही लगता ."
"जैसी तेरी मर्ज़ी.... आ रहा हूँ थोड़ी देर में."
कुछ देर रोहित यू ही बैठा रहा और विजय के बारे में सोचता रहा. "इसे रंगे हाथ पकड़ना होगा तभी बात बनेगी....फिलहाल घर चलता हूँ वरना पिंकी जान ले लेगी."
रोहित चल दिया अपनी जीप में घर की तरफ. रास्ते से उसने एक शोरुम से जीन्स खरीद ली पिंकी के लिए. घर पहुँच कर रोहित ने चुपचाप दरवाजा खोला. "ये अंधेरा क्यों कर रखा है पिंकी ने." रोहित ने तुरंत लाइट जलाई.
मगर लाइट जला कर जैसे ही वो मुड़ा उसके पाँव के नीचे से ज़मीन निकल गयी. ड्रॉयिंग रूम के बीचो बीच एक कुर्सी पर पिंकी बैठी थी बिना कपड़ो के. उसके हाथ बँधे हुए थे. उसके बिल्कुल पीछे एक नकाब पोश खड़ा था जिसने की पिंकी के सर पर बंदूक तान रखी थी.
"मैने सोचा बर्तडे पर मैं भी शामिल हो जाउ...हहहे. अपनी पिस्टल मुझे दे दो और हाथ उपर करके खड़े हो जाओ." नकाब पोश ने कहा.
"विजय यू बस्टर्ड...तुम्हारी इतनी हिम्मत"
"मेरे पीछे पड़े हो हा. आज पता चलेगा तुम्हे...हाहाहा. जल्दी से अपनी पिस्टल मुझे दो वरना तुम्हारी बहन का भेजा उड़ा दूँगा."
रोहित के पास कोई चारा नही था. उसने बंदूक निकाल कर ज़मीन पर रख दी और पाँव से ठोकर मार कर नकाब पोश की तरफ धकैल दी.
"गुड.... अब अपने हाथ उपर करो. कोई भी हरकत की तो अंजाम बहुत बुरा होगा सर हाहाहा."
“मिस्टर रोहित पांडे सामने सोफे पर देखो एक इंजेक्षन पड़ा है. वो लगा लो अपने हाथ में. और कोई भी होशियारी की तो भेजा उड़ा दूँगा तुम्हारी बहन का.”
“तुम चाहते क्या हो?”
“चुपचाप वो इंजेक्षन लगाओ…वरना देर नही करूँगा इसका भेजा उड़ाने में.”
रोहित ने इंजेक्षन उठाया और बोला, “मुझे ये इंजेक्षन लगाना नही आता. मैं कोई डॉक्टर नही हूँ जो इंजेक्षन ठोक लूँ अपने हाथ में.”
“ज़्यादा बकवास मत करो…कुछ ज़्यादा नही करना तुम्हे…बस इंजेक्षन घुसा लो कही भी हहहे.”
“तुम पागल हो.”
“हाहाहा…जल्दी करो वरना…”
रोहित सोच में पड़ गया. “
“क्या सोच रहे हो जल्दी करो….वरना.”
“तुम ये सब क्यों कर रहे हो.”
“ज़्यादा बाते मत करो जो कहा है वो करो…वरना” नकाब पोश ने पिंकी के मूह पर चाँटा मारा. उसका मूह पहले से सूजा हुआ था. वो रोने लगी चाँटा पड़ते ही.
“चुप कर साली, अपने भैया को बोल जो कहा है वो करे वरना तेरा वो हाल करूँगा कि तेरी रूह काँप उठेगी.
“कामीने दूर रह मेरी बहन से वरना जिंदा नही छोड़ूँगा तुझे.” रोहित चिल्लाया.
“अच्छा ये ले एक और मारा साली को.”
“भैया……मुझे बचा लो….”
“तुम चाहते क्या हो सॉफ-सॉफ बोलो. ये इंजेक्षन मैं क्यों लगाउ.”
“क्योंकि मैं कह रहा हूँ इसलिए. अब मैं दुबारा नही कहूँगा. ज़रा भी देर की तो इसका भेजा उड़ा दूँगा.”
रोहित असमंजस में पड़ गया की क्या करे क्या ना करे. “देखो एक बात ध्यान से सुनो. तुम मुझे गोली मार दो बेसक पर मेरी बहन को कुछ मत करो. उसे इस सब से दूर रखो. वो ये सब नही सह सकती. प्लीज़.”
“आया तो मैं तुम्हे मारने ही था. ये मिल गयी तो मज़ा और भी ज़्यादा आएगा. बर्तडे के लिए घर सज़ा रखा है पर किसी को बुलाया ही नही. ऐसा क्यों. अच्छा किया जो मैं आ गया. हहहे.”
“तुम आख़िर चाहते क्या हो.”
“मैं चाहता हूँ कि तुम्हारी बहन मेरा लंड चूसे और तुम चुपचाप बैठ कर देखो. बोलो करोगे ऐसा.”
“विजय तुम्हे शरम आनी चाहिए…ये सब बोलते हुए. क्या तुम्हारी कोई बहन नही.”
“अब तुम पहचान ही गये हो मुझे तो ये नकाब उतार देता हूँ हहहे.” विजय ने नकाब उतार दिया.
“विजय मार दो मुझे अभी…क्योंकि अगर मैं बच गया तो बहुत बुरी मौत दूँगा तुम्हे.”
“हाहाहा, अगर तुम मेरे पीछे ना पड़ते तो ये नौबत नही आती. रहीं बात तुम्हारे मरने की तो वो तो तुम्हे मारना ही है. तुम्हारे साथ तुम्हारी बहन भी मरेगी हाहाहा.”
“तो फिर मारो गोली ये इंजेक्षन का नाटक किसलिए कर रहे हो. चलाओ गोली किस बात का इंतेज़ार कर रहे हो.” रोहित चिल्लाया.
“तुम्हारी बहन बहुत सेक्सी है सिर, सोच रहा था कि आप बेहोश हो जाते तो कुछ मौज मस्ती कर लेता और फिर तुम दोनो का काम ख़तम कर देता. पर नही मुझे लगता है तुम अपनी बहन को चुद-ते हुए देखना चाहते हो.”
रोहित सुन नही पाया ये सब और उसने इंजेक्षन फेंक कर मारा विजय की तरफ. विजय ने फाइयर किया रोहित की तरफ मगर निशाना चूक गया. तब तक रोहित ने आगे बढ़ कर विजय को दबोच लिया. दोनो ज़मीन पर गिर गये. विजय के हाथ में इंजेक्षन आ गया और उसने वो रोहित के गले में गाढ दिया. रोहित के हाथ गन तो आ गयी थी मगर वो चला नही पाया. बेहोश हो कर वो वही गिर गया.
“अब तुम्हारा बर्तडे अच्छे से मनाएँगे हम हाहहाहा.”
“प्लीज़….क्यों कर रहे हो तुम ऐसा.”
“चुप कर साली. मुझे तेरे जैसी कॉलेज गर्ल्स बहुत पसंद है. अभी कुछ दिन पहले एक कॉलेज गर्ल की अच्छे से ली थी. वाह क्या मज़ा दिया था उसने. तू भी मज़े कर आज अपने जनमदिन पर. मरने से पहले थोड़ा मज़ा कर लेगी तो तेरी आत्मा को शांति मिलेगी हाहाहा.”
विजय ने रोहित को एक कुर्सी ले कर उस पर रस्सी से बाँध दिया काश कर और उसके गले पर एक इंजेक्षन लगा दिया. “जल्दी ही होश आ जाएगा इसे और ये खुद तुझे चुद-ते हुए देखेगा. एक बार बहुत डांटा था इसने मुझे एक बात पर पिछले साल. वो भी दो लोगो के सामने. आज तक मैं चुपचाप रहा. पर ये तो मेरे पीछे ही पड़ गया. आज मेरा बदला पूरा होगा.हाहाहा”
“प्लीज़ ऐसा अनर्थ मत करो.” पिंकी सुबक्ते हुए बोली.
“कुछ भी बोलो, मैं तुम्हारी ले कर रहूँगा वो भी तेरे इस भाई के सामने हहहे.”
“तुम सच में साइको हो.”
“हाहहाहा…बहुत खूब….देख देख तेरे भाई को होश आ गया. वेलकम बॅक सर. कैसे हैं आप.”
“विजय तुम्हे तुम्हारे गुनाहो की सज़ा ज़रूर मिलेगी. मैं नही दे पाया तो कोई और देगा मगर तू मरेगा ज़रूर. मैं तो हैरान हू कि तुम्ही हो वो साइको जिसने शहर में आतंक मचा रखा था.”
“ज़्यादा बकवास मत करो और देखो तुम्हारी बहन कैसे मज़े देती है मुझे.”
विजय ने अपनी ज़िप खोल कर अपने लिंग को बाहर निकाल लिया और उसे पिंकी के मूह के आगे झुलाने लगा, “ले अपने बर्तडे के दिन ब्लो जॉब का मज़ा ले हाहाहा.”
“कमिने दूर हटो उस से वरना खून पी जाउन्गा तुम्हारा मैं.”
विजय ने अपनी बंदूक एक तरफ रख दी और पिंकी के उभारो को पकड़ लिया दोनो हाथो से.
कमरे में चींख गूँज उठी पिंकी की. बहुत दर्दनाक चींख. बहुत ज़ोर से दबाया था विजय ने उसके उभारो को.
“कमिने हट जा वरना तेरा वो हाल करूँगा की तेरी रूह काँप उठेगी.”
“अगर तुमने अपना मूह खोल कर ये लंड चूसना शुरू नही किया तो मैं ये बूब्स और ज़ोर से दबाउन्गा.”
पिंकी ने मूह खोलने की बजाए मूह और कस कर बंद कर लिया और अपनी आँखे बंद कर ली.
“अच्छा ये बात है. मैं भी देखता हूँ कि तुम मूह कैसे नही खोलती.” विजय ने अपनी बंदूक उठा ली और रोहित की तरफ तान दी.
“अगर तुरंत मूह खोल कर ये लंड तुमने मूह में नही लिया तो मैं तेरे भाई का भेजा उड़ा दूँगा.”
“पिंकी…कुछ मत करना ऐसा. मर जाने दो मुझे बेसक. मगर इसकी कोई बात मत मान-ना.” रोहित ने भावुक हो कर कहा.
“वाह भाई वाह…क्या बात है. देखता हूँ मैं भी कि ये किसकी बात मानती है. मेरी या तुम्हारी.”
विजय ने अपने लिंग को पिंकी के बंद मूह पर रगड़ना शुरू कर दिया, “जल्दी खोल ये मूह वरना तेरा भाई मारा जाएगा. बिल्कुल चिंता नही है क्या तुझे अपने भाई की. अपने भाई के लिए इतना भी नही कर सकती . कैसी बहन है तू. ठीक है फिर देख अपने भाई को मरते हुए.”
“नही रूको…”
“नही पिंकी…नही…ओह नो…” रोहित ने आँखे बंद कर ली.
पिंकी ने मूह खोल दिया था और विजय ने झट से अपने लिंग को उसके मूह में डाल दिया था. पिंकी की आँखो से आँसुओ की बरसात होने लगी. रोहित छटपटा रहा था कुर्सी पर. आँख खोल कर नही देख पाया कि उसकी छोटी बहन के साथ क्या हो रहा है. आँखे भर आई उसकी ऐसी हालत में. खुद को बहुत ही असहाय महसूस कर रहा था वो. बहुत कोशिस की उसने रस्सी से आज़ाद होने की मगर विजय ने उसे बहुत मजबूती से बाँध रखा था.
विजय ने पिंकी के बॉल खींचे ज़ोर से और बोला, “अच्छे से चूस साली ये क्या मज़ाक लगा रखा है. बिल्कुल मज़ा नही आ रहा.”
इतनी ज़ोर से बॉल खींचे थे विजय ने कि पिंकी ज़ोर से कराह उठी थी. विजय ने उसके मूह से लिंग निकाल लिया और बोला, “कोई फ़ायडा नही तेरे मूह में लंड रखने का. तेरी चूत में डालता हूँ.”
विजय ने बहुत ज़ोर से दबाया फिर से पिंकी के उभारो को. इस बार वो और भी ज़्यादा ज़ोर से चीखी. विजय ने पिंकी के हाथ पाँव खोल दिए कुर्सी से और उसे फर्श पर पटक दिया. कराह उठी पिंकी.
“विजय!” रोहित बहुत ज़ोर से चिल्लाया.
“क्या बात है सर, खोल ही ली आपने आँखे. अब देखिए मैं कैसे लेता हूँ आपकी बहन की हहहे.”
तभी अचानक धदाम की आवाज़ हुई.
“ये कैसी आवाज़ थी.” विजय ने हैरानी में कहा.
रोहित समझ गया कि आवाज़ घर के पीछे से आई है. मगर वो कुछ नही बोला.
“क्या कोई और भी है तुम दोनो के अलावा घर में.” विजय ने पिंकी के बॉल खींचते हुए कहा
“कोई और नही है, बस हम दोनो ही हैं. साथ वाले घर में बच्चे धूम मचाते रहते हैं. वही से आवाज़े आती रहती हैं ऐसी.”
“ह्म्म ठीक है सर, अब आप अपनी बहन को चुद-ते हुए देखिए. आपके घर में भी खूब आवाज़े होंगी अब.”
विजय बंदूक एक तरफ रख कर पिंकी के उपर चढ़ गया. पिंकी ने अपनी आँखे बंद कर ली. “क्या बात है, सो क्यूट. मज़ा आएगा तेरी लेने में.”
“विजय!” रोहित चिल्लाया और बहुत छटपटाया कुर्सी पर.
“हां सर बोलिए क्या बात है…आप बता दीजिए कि कौन सी पोज़िशन में लूँ मैं आपकी बहना की. ये ठीक रहेगी या दोगि स्टाइल लगा लूँ. हाहाहा.”
“कमिने तुझे भगवान कभी माफ़ नही करेंगे” रोहित चिल्लाया.
“हाहहाहा….क्या बात है सर….बस आप माफ़ कर देना, भगवान को मैं संभाल लूँगा.”
पिंकी बहुत छटपटा रही थी विजय के नीचे मगर विजय ने उसे पूरी तरह काबू में कर रखा था. “एक बार घुस्वा लो मेरी जान क्यों छटपटा रही हो. मरने से पहले एक चुदाई तुम्हे अच्छी लगेगी..सच कह रहा हूँ हहहे….क…क…कौन है.” विजय हंसते हंसते अचानक हैरानी में बोला.
“तेरा बाप हूँ बेटा.” मोहित ने विजय को पिंकी के उपर से खींच लिया और उसे ज़ोर से ज़मीन पर पटक दिया और टूट पड़ा उस पर.
विजय जल्दी ही संभाल गया और दोनो के बीच जबरदस्त हाथापाई शुरू हो गयी. कभी मोहित हावी होता था तो कभी विजय.
मोहित के हाथ बंदूक आ गयी किसी तरह. और उसने रख दी विजय के सर पर, “बस खेल ख़तम होता है तुम्हारा. किसी को वादा किया है खून ना बहाने का वरना अभी उड़ा देता भेजा तुम्हारा.”
मगर अचानक विजय ने मोहित की गर्दन पर इंजेक्षन गाढ दिया. मोहित दर्द से कराह उठा. उसकी आँखो के आगे अंधेरा छाने लगा और वो गिर गया विजय के उपर बेहोश हो कर. मगर इस दौरान पिंकी ने एक अच्छा काम किया. उसने रोहित के हाथ, पाँव खोल दिए. “पिंकी तुम अपने कमरे में जाओ…और कुण्डी लगा लो.”
पिंकी तुरंत भाग गयी वहाँ से और अपने कमरे में आ गयी.
विजय ने मोहित को एक तरफ धकेला और उसके हाथ से बंदूक ले कर रोहित की तरफ तान दी. मगर रोहित आगे ही बढ़ता गया रुका नही.
क्रमशः........................
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