RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--85
गतान्क से आगे.................
“थॅंक्स रोहित. आआहह यू आर टू गुड. ईच थ्रस्ट ऑफ युवर्ज़ ईज़ वेरी-वेरी पॉवेरफ़ुल्ल. आइ आम फाइलिंग युवर थ्रस्ट ऑल ओवर माइ बॉडी. प्लीज़ रुकना मत अब.”
वैसे रोहित अब रुकने के मूड में नही था. सभी सवालो के जवाब उसे मिल गये थे. उसके धक्को की तेज़ी बढ़ती जा रही थी.
अचानक सिमरन बहुत ज़ोर से चिल्लाई, “ओह्ह्ह नूऊ…. यस आआहह..प्लीज़ रुक जाओ…आहह.”
सिमरन ने आख़िरकार अपना ऑर्गॅज़म पा लिया था
मगर रोहित ने अपनी मूव्मेंट जारी रखी. उसका ऑर्गॅज़म अभी बाकी था. वो लगा हुआ था तेज तेज धक्के मारने में. वो बस पहुँचने ही वाला था अपने चरम पर की अचानक उसका मोबाइल बज उठा.
“उफ्फ कौन है इस वक्त.”
“तुम लगे रहो, बाद में देखना, अपना काम भी तो पूरा करो, आइ वॉंट युवर हॉट वॉटर इनसाइड मी.”
“पानी की नदी बहा दूँगा, पहले देख लूँ कि किसका मेसेज आया है.”
रोहित ने बिस्तर पर पड़ी अपनी पंत को हाथ बढ़ा कर अपनी तरफ खींच लिया. और पॅंट की जेब से अपने मोबाइल को निकाल कर मेसेज रेड करने लगा. मेसेज पढ़ते ही उसके होश उड़ गये.
मेसेज कुछ इस प्रकार था.
“मिस्टर रोहित पांडे. मेरे ठिकाने से ही बच कर निकल गये तुम. वेरी नाइस. तुम्हारी ए एस पी साहिबा भी पूरी पोलीस फोर्स ले कर पहुँच गयी थी जंगल में. वो ना आती तो तुम्हारा वो हाल करता कि दुबारा जनम नही लेते धरती पर. तुम्हारी ए एस पी साहिबा मेरे कब्ज़े में है. बहुत ही बुरी मौत दूँगा ए एस पी साहिबा को मैं. कुछ कर सकते हो तो कर लो. तडपा तडपा कर मारूँगा उसे मैं.”
रोहित तुरंत सिमरन के उपर से हट गया.
“क्या हुआ…डॉन’ट यू वॉंट युवर ऑर्गॅज़म.”
“ऑर्गॅज़म से भी ज़्यादा कीमती चीज़ दाँव पर लगी है सिमरन. मुझे तुरंत जाना होगा.”
रोहित ने फ़ौरन अपने कपड़े पहन लिए और बोला, “मुझे संजय का अड्रेस दो जल्दी.”
“आख़िर बात क्या है बताओ तो.”
“प्लीज़ गिव मी दा डॅम अड्रेस. बाते करने का वक्त नही है.”
सिमरन ने रोहित को संजय का अड्रेस दे दिया. रोहित तुरंत वो अड्रेस ले कर सिमरन के घर से निकल गया. उसके चेहरे पर बहुत ज़्यादा गुस्सा था.
सिमरन के घर से निकलते ही रोहित ने ए एस पी साहिबा को फोन मिलाया. वो कन्फर्म करना चाहता था कि साइको सच बोल रहा है या झूठ. मगर फोन साइको ने उठाया.
“हेलो मिस्टर पांडे, अब जब ए एस पी साहिबा मेरे कब्ज़े में हैं तो फोन भी तो मेरे पास ही होगा. कैसे बेवकूफ़ पोलीस वाले हो तुम. चलो कोई बात नही. मैं खुद तुम्हे फोन करने वाला था. सोच रहा हूँ क्यों ए एस पी साहिबा की खूबसूरती को बेकार किया जाए. वो भी पद्मिनी से कम सुंदर नही है. उफ्फ क्या गुस्सा है इसकी आँखो में. बेचारी छटपटा रही है. बहुत ही सुंदर लग रही है. अभी डर नही है इसकी आँखो में. डर भी आएगा. डर में ये और ज़्यादा सुंदर लगेगी. ए एस पी साहिबा को भी एक आर्टिस्टिक मौत मिलनी चाहिए. शी डिज़र्व्स आ ब्यूटिफुल डेत.”
“ब्यूटिफुल डेत तो तुम्हे मैं दूँगा, नपुंसक साइको.” रोहित चिल्लाया.
“हाहहाहा, देखते हैं आज की कौन नपुंसक है. चलो तुम्हे मोका देता हूँ ए एस पी साहिबा को बचाने का. हालाँकि वो मेरे हाथो हर हाल में मरेगी. अभी इसी वक्त मसूरी की तरफमोड़ लो अपनी गाड़ी. पाहाड़ों में चित्रकारी करने का मन है इस बार. तुम्हे मेरी ब्लॅक स्कॉर्पियो खड़ी मिलेगी सड़क किनारे. बस तुम चलते जाना. जहा ब्लॅक स्कॉर्पियो खड़ी मिले वही रुक जाना. आगे मैं संभाल लूँगा.कोई होशियारी मार करना वरना तुम जानते ही हो कि मैं क्या कर सकता हूँ. वेटिंग फॉर यू मिस्टर पांडे. किसी को भी फोन करने की कोशिस मत करना. जीप में कॅमरा है तुम्हारी. देख रहा हूँ तुम्हे मैं. अब चुपचाप मसूरी की हसीन वादियों की तरफ आ जाओ. वैसे तुम्हारे पास चाय्स है ना आने की, वो तुम्हारी लगती भी क्या है. नही आओगे तो अगले 15 मिनिट में ए एस पी साहिबा मेरी आर्ट का हिस्सा बन जाएगी. अगर आओगे तो ए एस पी साहिबा के साथ तुम भी सामिल हो जाओगे मेरी आर्ट में. चाय्स तुम्हारी है, बताओ मैं वेट करूँ तुम्हारा या फिर बना दूं शालिनी की आर्ट इसी वक्त.”
“मैं आ रहा हूँ साले, नामार्द साइको. तेरी बुजदिली जाहिर होती है इन हर्कतो से. सच बता तू अपने बाप की औलाद नही है ना. शायद किसी पड़ोसी की मेहरबानी का नतीज़ा हो तुम. “
“तुम्हे मारने में बहुत मज़ा आएगा मिस्टर रोहित पांडे. जल्दी आ जाओ अब देर मत करो. मेरा चाकू प्यासा है. और इस फोन की कोई ज़रूरत नही है तुम्हे अब. फेंक दो इसे एक तरफ. बंदूक का भी क्या करोगे तुम, उसे भी एक तरफ फेंक दो.” साइको ने फोन काट दिया ये बोल कर
“मेरी जीप में कॅमरा कब लगा गया ये कमीना …बहुत शातिर है ये.” रोहित ने फोन और बंदूक फेंक दिए एक तरफ और जीप में बैठ कर मसूरी की तरफ चल दिया.
रात के 12 बाज रहे थे. सदके सुनशान थी. हर तरफ खौफनाक सन्नाटा था. रोहित पूरी तेज़ी से मसूरी की तरफ बढ़े जा रहा था. कोई 40 मिनिट चलने के बाद उसे एक ब्लॅक स्कॉर्पियो देखाई दी सड़क पर खड़ी हुई. उसने अपनी जीप उसके पीछे रोक दी.
“बहुत बढ़िया कार पे नंबर प्लेट ही नही है. वाह भाई वाह. मान गये साइको जी आपको” रोहित ने मन ही मन कहा.
रोहित चुपचाप जीप से निकल कर बाहर आया.
“आओ मिस्टर रोहित पांडे, बड़ी जल्दी आ गये तुम. मान-ना पड़ेगा हिम्मत बहुत है तुम में.” साइको ने कहा. वो एक पेड़ के सहारे खड़ा था और उसके चेहरे पर काला नकाब था.
“तुम्हारी तरह नपुंसक नही हूँ.”
“हाहहाहा रस्सी जल गयी पर बल नही गये. अपनी बंदूक निकाल कर अपनी जीप में रख दो और चुपचाप मेरे साथ चलो.”
“एक बात पूछूँ, तुम ये सब क्यों करते हो.”
“आर्टिस्ट को अपना हुनर देखने के लिए किसी कारण की ज़रूरत नही होती. आओ आपको अंधेरे जंगल में ले चलते हैं.”
“यहा नया ठिकाना बना लिया क्या तुमने.”
“जल्दी चलो वरना ए एस पी साहिबा गहरी खाई में गिर जाएगी.”
“अब कौन सी गेम खेल रहे हो तुम.”
“चलो चुपचाप, सब पता चल जाएगा.”
रोहित चुपचाप साइको के आगे चल दिया.
“अपना चेहरा तो देखा देते एक बार. इतना डरते क्यों हो तुम.”
“मिस्टर पांडे मैं किसी से नही डरता हूँ, आर्टिस्ट हूँ मैं. खुद को गुमनाम रखना चाहता हूँ.”
“अपने डर को छुपाने की कोशिस कर रहे हो तुम. गुमनाम रहना तो एक बहाना है.”
“चुप कर बहुत हो गयी तेरी बड़बड़, अब एक शब्द भी बोला तो भेजा उड़ा दूँगा तेरा.”
“हाहहाहा, तू मुझे ऐसे नही मारेगा मुझे पता है. अपने प्लान के मुताबिक मारेगा. देखता हूँ मेरे लिए तेरे जैसे हिजड़े ने क्या प्लान बना रखा है.”
“दिमाग़ कराब मत कर. प्लान के बिना भी मार सकता हूँ तुझे मैं.”
“वो पता है मुझे. तभी तो तुझे साइको कहते हैं लोग.”
“साइको मत बोलो मुझे, मैं एक आर्टिस्ट हूँ, कितनी बार बताना पड़ेगा.”
“तुम ले जा कहाँ रहे हो मुझे.”
“चलते रहो चुपचाप बस कुछ ही देर में पहुँचने वाले हैं.”
कुछ देर बाद साइको बोला, “लो पहुँच गये”
“हर तरफ अंधेरा है. ए एस पी साहिबा कहा हैं.” रोहित ने पूछा.
साइको ने अपनी जेब से एक टॉर्च निकाली और रोशनी को एक पेड़ की ओर किया.
रोहित की आँखे फटी की फटी रह गयी पेड़ की तरफ देख कर.
शालिनी के दोनो हाथ रस्सी से बँधे हुए थे और वो पेड़ के एक लंबे तने के सहारे लटकी हुई थी. उसके मुँह में कुछ ठूंस रखा था साइको ने जिसके कारण वो कुछ भी नही बोल पा रही थी. शूकर था कि उसके शरीर पर कपड़े थे. वो जीन्स और टॉप पहने हुए थी.
“अब तुम जाओ और उसे बचा लो. हाथ खोल कर उसे ज़मीन पर गिरा देना. सिंपल सी गेम है. ज़्यादा पेचिदगी नही है. जाओ चढ़ जाओ पेड़ पर.” साइको ने कहा.
“गेम सिंपल नही हो सकती ये. कुछ बहुत बड़ी गड़बड़ है …” रोहित ने सोचा.
“क्या सोच रहे हो. जाओ और उसकी मदद करो. एक मिनिट की भी देरी की तो उसे भी गोलियो से भुन दूँगा और तुम्हे भी.” साइको चिल्लाया.
रोहित मन में दुविधा लिए पेड़ की तरफ बढ़ने लगा. रोहित ने पीछे मूड कर देखा तो पाया की साइको पैंटिंग करने की तैयारी में है. लाइट का इंतज़ाम कर रखा था साइको ने अपनी पैंटिंग के लिए. मगर शालिनी के सिर्फ़ चेहरे पर ही टॉर्च की रोशनी पड़ रही थी. बाकी आस-पास का कुछ भी नही देखाई दे रहा था.
रोहित मन में दुविधा लिए धीरे-धीरे पेड़ की तरफ बढ़ा.
“कोई ख़तरनाक गेम है जो की समझ नही आ रही मुझे.” रोहित के मन में ढेर सारे सवाल थे.
साइको चुपचाप कॅन्वस पर पैंटिंग करने में लग गया. उस पर पेड़ से टगी शालिनी तो ऑलरेडी पेंटेड थे, अब वो उस टहनी पर जिस पर की शालिनी लटकी थी एक आकृति बना रहा था. जो कि शायद रोहित की थी.
“दिस विल बी मास्टरपीस क्रियेशन. ए एस पी साहिबा और रोहित पांडे पेड़ के मायाजाल में उलझे हुए बड़े सुंदर लगेंगे हिहिहीही.” साइको धीरे से मुस्कुरआया.
रोहित बहुत ज़्यादा कन्फ्यूषन में था. उसे साइको की गेम समझ नही आ रही थी."आख़िर क्या चाहता है ये कमीना साइको. इसके जैसा शातिर और कमीना इतनी आसान गेम नही खेल सकता. कुछ तो है ख़तरनाक इस गेम में जो कि मुझे समझ नही आ रहा." रोहित पेड़ पर चढ़ते हुए सोच रहा था.
"आप बिल्कुल चिंता मत करो मेडम, मेरे होते हुए आपको कुछ नही होगा. हां मर गया तो कुछ कह नही सकता, पता नही कैसी गेम है ये इस कामीने की."
शालिनी रोहित की बात सुनते ही उसकी तरफ देखते हुए छटपटाने लगी. उसके मुँह में कुछ ठूंस रखा था साइको ने. मगर वो चटपटाते हुए मुँह से बिना शब्दो के घुटन भरी आवाज़ कर रही थी. मानो इशारो में कुछ कह रही हो. रोहित समझ तो कुछ नही पाया मगर उसे इतना अहसास ज़रूर हो गया कि ए एस पी साहिबा कुछ कह रही हैं.
"मिस्टर रोहित पांडे बहुत ढीले पोलीस वाले हो तुम. जल्दी करो, देखो कैसे छटपटा रही हैं ए एस पी साहिबा. बहुत देर से टगी हैं ये इस पेड़ से. जल्दी से रस्सी खोल दो और इन्हे ज़मीन पर गिरा दो. धूल चटा दो इन्हे ज़मीन की. और हां तुम्हारे पास इनको उपर खींचने की ऑप्षन नही है. इन्हे उपर खींचा तो तुरंत गोलियों से भुन दूँगा तुम दोनो को. गेम जैसे मैं कहता हूँ वैसे ही खेलो तुम दोनो का कुछ नही बिगड़ेगा." साइको ने तेज आवाज़ में कहा.
ये सुनते ही रोहित का माथा ठनका, "कही ये कमीना मेरे हाथो मेडम को मरवाना तो नही चाहता. कही ज़मीन पर कुछ ऐसा तो नही है जिस पर गिरते ही मेडम की मौत हो जाए और साइको की घिनोनी आर्ट पूरी हो जाए." रोहित ने बड़े गौर से नीचे देखा. अंधेरा इतना ज़्यादा था कि उसे कुछ दिखाई नही दिया.
"क्या सोच रहे हो मिस्टर पांडे, कितना वक्त लगा रहे हो तुम. एक मिनिट की भी देरी की अब तो भून दूँगा तुम दोनो को." साइको चिल्लाया.
"हे भगवान कैसे गिरा दू अंधेरे में मेडम को. नीचे कुछ नज़र नही आ रहा कि क्या है. ये कैसी परीक्षा में डाल दिया मुझे. मेरे कारण मेडम को कुछ हुआ तो खुद को कभी माफ़ नही कर पाउन्गा."
साइको बंदूक लेकर आगे बढ़ा, "5 तक गिनूंगा मैं, 5 तक इसे नीचे नही गिराया तो भेजा उड़ा दूँगा इसका. और इसे मारने के बाद तुम्हे भी टपका दूँगा."
साइको ने गिनती शुरू कर दी. रोहित ने रस्सी खोलनी शुरू कर दी. उसके हाथ काँप रहे थे रस्सी खोलते हुए. जैसे तैसे उसने रस्सी खोल दी मगर रस्सी को हाथ में थामे रहा.
"मुझे पता था तुम इसे नीचे नही गिराओगे. यही मेरी गेम थी हाहहाहा." साइको क्रूरता से हँसने लगा.
रोहित ये सुन कर हैरान रह गया. "साले तू चाहता क्या है. सॉफ-सॉफ बता ना." शालिनी के कारण रोहित कोई गंदी गाली नही दे पाया साइको को.
"हाहहहाहा अभी पता चल जाएगा थोड़ी देर रुक तो सही." साइको ने कहा.
साइको ने एक एलेक्ट्रिक लकड़ी काटने की मशीन उठाई और उस तने पर रख दी जिस पर रोहित चढ़ा था.
"धन्यवाद तुम दोनो का मेरी आर्ट का हिस्सा बन-ने के लिए. गो टू हेल नाउ हाहहहाहा."
रोहित के तो कुछ समझ नही आया कि हो क्या रहा है.
"बाइ दा वे, ये पेड़ खाई के बिल्कुल किनारे पर है. इन पहाड़ियों की सबसे गहरी खाई है ये. जाओ इस खाई का आनंद लो हाहहहाहा."
क्रमशः........................
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