Raj sharma stories बात एक रात की
01-01-2019, 12:34 PM,
#92
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--87

गतान्क से आगे.................

कुछ भी करने और कहने का मन नही था

"थाने से आकर रोज जिम जाती हूँ मैं. कल अकेली ही निकल गयी अपनी कार लेकर. जिम ख़तम करके अपनी कार की और जा रही थी. साइको ने पीछे से अचानक दबोच लिया और कुछ सूँघा दिया मुझे. सुनसान था पार्किंग एरिया शायद किसी ने ये सब नही देखा. आँख खुली तो खुद को पेड़ से टँगे पाया. साइको ने मुझे अपनी सारी गेम बता दी थी. मेरे सामने ही उसने तुमसे फोन पर बात की. मुझे लग रहा था कि तुम नही आओगे मौत के मुँह में. पर तुम आ गये."

"आता क्यों नही. आप मेरी बॉस हो."

"मैं फिर से बॉस बन गयी और आप भी बन गयी हरे आआहह."

"आप कम बोलो तो अच्छा है. मुझ पर विस्वास रखो मैं कोई ना कोई रास्ता ढूंड लूँगा."

"साइको अपने विक्टिम्स की मौत की पैंटिंग बनाता है रोहित. सब इंतज़ाम कर रखा था उसने वहाँ उपर. लाइट का भी इंतज़ाम कर रखा था. ये साइको बहुत शातिर है रोहित."

"रहने दो शातिर उसे. अब बचेगा नही वो ज़्यादा दिन. उसके पाप का घड़ा भर चुका है. अब मुझे सबसे ज़्यादा कर्नल देवेंदर सिंग पर शक हो रहा है. उसे पैंटिंग का शौक है और उसके घर मैने बहुत अज़ीब पैंटिंग देखी थी. वैसी पैंटिंग कोई साइको ही बना सकता है."

"छोड़ना मत इस साइको को रोहित. तडपा-तडपा कर मारना उसे."

"आप खुद देखेंगी उसे मरते हुए, फिर से निराशा भरी बाते मत करो वरना अब सच में थप्पड़ लगेगा."

"सॉरी रोहित." शालिनी ने मासूमियत भरे लहज़े में कहा.

"हाहहाहा मेरी बॉस ने मुझे सॉरी कहा हरे."

"देख लूँगी बाद में तुम्हे, एक बार हॉस्पिटल पहुँचने दो मुझे."

"देख लेना जी भरके हॉस्पिटल तो आप हर हाल में पहुँचेगी."

रोहित दिल में उम्मीद की किरण लिए शालिनी को गोद में लेकर आगे बढ़ता रहा. शालिनी ने अपनी आँखे बंद कर ली थी और खुद को किस्मत के सहारे छोड़ दिया था.

“क्या आप सो गयी” रोहित ने पूछा.

“सर चकरा रहा है, बस यू ही आँखे बंद कर रखी हैं. शरीर में इतना दर्द हो तो कोई कैसे सो सकता है.”

“हां ये भी है. मेरा भी अंग-अंग दुख रहा है. रात को नीचे गिरने के बाद तो हम शायद बेहोश हो गये थे. मेरी तो सुबह ही आँख खुली.”

“मेरी भी सुबह ही खुली. और आँख खुलते ही इतना दर्द महसूस हुआ कि यही लगा की काश आँख कभी ना खुलती.”

“बस अब चुप ही रहें आप. कोई ना कोई रास्ता ज़रूर मिलेगा.”

कोई एक घंटे तक रोहित शालिनी को उठाए आगे बढ़ता रहा. धीरे धीरे चल पा रहा था वो क्योंकि उसके पाँव खुद बुरी तरह से घायल थे. अचानक उसे दूर एक भेड़ चरती हुई देखाई दी.

“ये तो पालतू भेड़ लगती है. ज़रूर पूरा झुंड होगा आस-पास और साथ में चरवाहा भी होगा.” रोहित ने मन ही मन सोचा और तेज़ी से उस भेड़ की तरफ बढ़ा.

उसका अंदाज़ा सही था. जब वो कुछ आगे बढ़ा तो उसे पूरा झुंड देखाई दिया. मगर उसे कोई चरवाहा नही दिखा.

“हे किसकी भेड़ हैं ये.” रोहित चिल्लाया.

रोहित की आवाज़ सुन कर शालिनी चोंक गयी और आँखे खोल कर सर घुमा कर देखने लगी. “अगर यहाँ भेड़ हैं तो कोई रास्ता ज़रूर होगा.” शालिनी ने कहा.

“वही मैं भी सोच रहा हूँ. चरवाहा मिलेगा तभी बात बनेगी.” रोहित ने फिर से आवाज़ लगाई.

एक 14-15 साल का लड़का भाग कर आया रोहित के पास.

“हमें तुरंत हॉस्पिटल पहुँचना है. जल्दी से सड़क तक जाने का रास्ता बताओ.” रोहित ने पूछा.

“हे भगवान क्या हुआ इन्हे….” लड़के ने शालिनी को देख कर कहा.

“जल्दी से रास्ता बताओ, हमारे पास ज़्यादा वक्त नही है.

“पर मैं अपने भेड़ को छोड़ कर कही नही जा सकता. मालिक से डाँट पड़ेगी.”

“तुम्हारे मालिक को मैं देख लूँगा, फिलहाल रास्ता बताओ इनका वक्त पर हॉस्पिटल पहुँचना ज़रूरी है.” रोहित ने कहा

वो लड़का रोहित के आगे आगे चल दिया. कहीं कही थोड़ी चढ़ाई भी थी. बहुत मुस्किल हुई रोहित को चढ़ने में. मगर धीरे-धीरे वो चढ़ ही गया. मगर एक जगह उसका पाँव फिसल गया. शालिनी के पेट में गाड़ी लकड़ी रोहित की गर्दन से टकराई. शालिनी कराह उठी. “आअहह.”

“सॉरी मेडम, पाँव फिसल गया था थोड़ा सा.”

“कोई बात नही, इतना कुछ कर रहे हो तुम मेरे लिए, तुम्हारे कारण भी थोड़ा दर्द सह ही सकती हूँ.” शालिनी ने मुस्कुराते हुए कहा.

“मुझे पता है बाद में इस सब की सज़ा मिलने वाली है मुझे…” रोहित ने हंसते हुए कहा.

“हां वो तो मिलनी ही है…” शालिनी भी हंसते हुए बोली.

धीरे धीरे एक घंटे में वो लड़का रोहित को सड़क के किनारे ले आया. सड़क को दूर से देखते ही रोहित की आँखे चमक उठी.

“थॅंक यू, क्या नाम है तुम्हारा.” रोहित ने कहा.

“कृष्णा”

“तुम सच में हमारे लिए कृष्णा ही हो. बाद में मिलूँगा तुम्हे आकर. कहाँ मिलोगे तुम.”

“मैं यही भेड़ चराता हूँ रोज” उसने अपना अड्रेस भी बता दिया

“ठीक है जाओ तुम” रोहित ने उसे भेज दिया.

रोहित शालिनी को लेकर सड़क किनारे आ गया. उसने शालिनी को धीरे से ज़मीन पर लेटा दिया, “मैं किसी कार को रोकता हूँ.”

रोहित को कोई 5 मिनिट बाद एक कार आती दिखाई दी वो उसे रोकने के लिए बीच सड़क में आ गया और उसे रुकने पर मजबूर कर दिया.

“क्या प्राब्लम है तुम्हारी.” कार चालक चिल्लाया.

“देखो मुझे लिफ्ट चाहिए एमर्जेन्सी है. मुझे हॉस्पिटल पहुँचना है जल्द से जल्द.”

“दारू पीकर गिर गये थे क्या कही. क्या हालत बना रखी है. आओ बैठ जाओ.”

“रूको थोड़ी देर.” रोहित ने कहा और शालिनी की ओर चल दिया.

रोहित शालिनी को उठा लाया.

“क्या हुआ इनको?”

“लंबी कहानी है…तुम प्लीज़ जल्दी चलाओ.” रोहित शालिनी को लेकर पीछे बैठ गया.

“मेडम…मेडम” रोहित ने कहा.

पर शालिनी ने कोई रेस्पॉन्स नही दिया. “लगता है बेहोश हो गयी हैं. खून बहुत बह गया है. बेहोश होना लाज़मी है.”

40 मिनिट में देहरादून पहुँच गये वो और कार वाले ने एक प्राइवेट हॉस्पिटल के सामने कार रोक दी.

“ये अच्छा हॉस्पिटल है. ले जाओ इनको. भगवान सब भली करेंगे.” कार वाले ने कहा.

रोहित ने शालिनी को उठाया और तुरंत हॉस्पिटल में घुस गया. तुरंत शालिनी को ऑपरेशन थियेटर भेज दिया गया.

“शुकर है आपने ये लकड़ी नही निकाली बाहर, वरना इनका बचना मुस्किल हो जाता.” डॉक्टर ने कहा.

रोहित को भी अड्मिट कर लिया गया. हॉस्पिटल से रोहित ने थाने फोन किया, चौहान ने फोन उठाया. रोहित ने सारी बात बताई चौहान को.

“अच्छा हुआ जो कि तुम बच गये. तुम्हे तो मैं मारूँगा अपने हाथो से.”

“सर आप मेडम के लिए प्रोटेक्षन भेजिए…और हां आपके पास राज शर्मा का नंबर हो तो मुझे दे दीजिए.” रोहित ने कहा.

चौहान ने राज शर्मा का नंबर दे दिया रोहित को. रोहित ने तुरंत राज शर्मा को फोन मिलाया.

“राज शर्मा मैं रोहित बोल रहा.”

“सर आप…वो साइको तो बोल रहा था कि उसने आपको और मेडम को…”

“उसके बोलने से क्या होता है. साले को छोड़ेंगे नही हम. मैं ठीक हूँ. मेडम की हालत नाज़ुक है. उनका ऑपरेशन चल रहा है. वहाँ सब ठीक है ना.”

“हां सर सब ठीक है…आप यहा की चिंता मत करो. आप अपना ख्याल रखो.”

राज शर्मा ने रोहित से बात करने के बाद पद्‍मिनी को सारी बात बताई.

“तो तुम रात झूठ बोल रहे थे हा.क्या ज़रूरत थी ऐसा करने की.” पद्‍मिनी ने पूछा.

“आपको और ज़्यादा परेशान नही करना चाहता था. आप पहले ही सपने के कारण डरी हुई थी.”

“मैं रोहित से मिलने जाना चाहती हूँ.”

“वैसे तो ख़तरा बहुत है इसमें पर आपकी बात नही तालूँगा. चलिए चलते हैं. मुझे भी रोहित सर और मेडम की चिंता हो रही है.”

राज शर्मा, पद्‍मिनी को लेकर हॉस्पिटल चल दिया. साथ में दोनो गन्मन भी थे. राज शर्मा चुपचाप ड्राइव करता रहा. पद्‍मिनी भी चुपचाप रही.

हॉस्पिटल पहुँच कर वो सीधा रोहित के कमरे में पहुँच गये.

रोहित उस वक्त आँखे बंद करके लेटा हुआ था.

“रोहित कैसे हो तुम?”

“ओह पद्‍मिनी तुम, व्हाट आ प्लेज़ेंट सर्प्राइज़. मगर तुम्हे यहा नही आना चाहिए था… …”

“सॉरी मैने तुम्हारे साथ बहुत बुरा बर्ताव किया?” पद्‍मिनी ने कहा.

“आप बात कीजिए मैं बाहर वेट करता हूँ.” राज शर्मा ने कहा और वहाँ से बाहर आ गया.

“कोई बात नही. शायद किस्मत में हमारा साथ नही था.” रोहित ने कहा.

“हां शायद. मगर मुझे तुम्हारी दोस्ती हमेशा याद रहेगी. आज भी जब कभी ‘पवर ऑफ नाउ’ पढ़ती हूँ तो तुम्हारी बहुत याद आती है. दोस्ती का एक अच्छा रूप देखा था हमने पर ना जाने क्यों सब बिखर गया.”

“कोई बात नही पद्‍मिनी. तुम किसी बात की चिंता मत करो. मैं अभी भी तुम्हारा दोस्त हूँ.”

“तुम क्या कहना चाहते थे उस दिन कॅंटीन में जब गब्बर ने आकर हमें परेशान कर दिया था.”

“अब वो सब क्यों जान-ना चाहती हो. जो था वो बिखर गया. काश तुमने मुझे मोका दिया होता.”

“चाहने लगी थी तुम्हे. प्यार करने लगी थी तुमसे. बहुत बुरा लगा था मुझे कि तुम सब कुछ एक बेट के लिए कर रहे थे.”

“जिंदगी में इंसान किसी ना किसी बहाने एक दूसरे के करीब आते हैं. हम एक बेट के सहारे दोस्त बने. प्यार हो गया था हमें अब ये तुम भी मानती हो. पर कितनी आसानी से ख़तम कर दिया तुमने इस अनकहे प्यार को. एक मोका तक नही दिया तुमने मुझे अपनी बात कहने का. खैर छोड़ो अब फ़ायडा भी क्या है इन सब बातो का.”

“जानती हूँ की कोई फ़ायडा नही है. बस तुमसे सॉरी बोलने आई थी. मैने तुम्हारा पक्ष जान-ने की कोशिस ही नही की. गब्बर ने भी मुझे खूब भड़काया. मुझे माफ़ कर देना. मेरे दोस्त रहना हमेशा हो सके तो.”

“पता है एक लड़की मुझे बहुत प्यार करती है. उसने मुझे बोल दिया है पर मुझे समझ नही आ रहा कि क्या करूँ. मुझे वो बहुत अच्छी लगती है. पर अभी डिसाइड नही कर पा रहा हूँ. उपर से उसके भाई ने हमारा मिलना जुलना बंद कर दिया है.”

“अगर प्यार करते हो उसे तो बोल दो जाकर. उसके प्यार को इग्नोर मत करो.”

“हां सोचूँगा इस बारे में. इस साइको के केस में उलझा रहता हूँ दिन रात. वक्त ही नही मिलता कुछ सोचने का. अच्छा एक बात बताओ. क्या तुम सच में साइको के चेहरे को भूल गयी हो.”

क्रमशः........................
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