Raj sharma stories बात एक रात की
01-01-2019, 12:38 PM,
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--97

गतान्क से आगे.................

बिस्तर पर पड़ते ही पद्‍मिनी गहरी नींद में समा गयी थी. सुबह उसकी आँख डोर बेल से खुली. पद्‍मिनी ने टाइम देखा, सुबह के 8 बज रहे थे.

“कौन है इस वक्त?” पद्‍मिनी ने सोचा और खिड़की के पास आ कर बाहर झाँक कर देखा. राज शर्मा जीप में नही था.

“राज शर्मा ही है शायद.”

पद्‍मिनी दर्पण के सामने आई और हाथ से अपने बॉल संवार कर, आँखे पोंछ कर कमरे से निकल गयी.

पद्‍मिनी ने दरवाजा खोला.

“लीजिए सिलिंडर.” राज शर्मा कह कर चल दिया.

“नाराज़ हो मुझसे?”

“आप खुद सोचिए. अपनी प्रेमिका का चुंबन लिया था मैने…कोई गुनाह नही कर दिया था जो कि थप्पड़ पे थप्पड़ जड़ दिए आपने. बहुत बुरा लगा मुझे. आप प्यार नही मज़ाक करती हैं मुझसे.”

“ऐसा नही है…बहुत प्यार करती हूँ तुमसे मैं. मुझे अपनी ग़लती का अहसास है.” पद्‍मिनी ने मासूमियत से कहा.

राज शर्मा तो देखता ही रह गया पद्‍मिनी को. पद्‍मिनी की आँखो में उभर आए प्यार में खो गया था वो.

“कुछ इस तरह से कहा है आपने ये सब की थप्पड़ का नामो निसान भूल गया हूँ. अब तक कहाँ छुपा रखा था ये प्यार आपने. शीतम ढा रही हैं आप मुझ पर अब.”

पद्‍मिनी शरमाये बिना ना रह सकी. वो हल्की सी नज़रे झुका कर बोली, “तो तुमने मुझे माफ़ कर दिया.”

“आपसे नाराज़ हो कर कहा जाउन्गा मैं. आप यकीन करें या ना करें मगर आप मेरी जींदगी बन गयी हैं.”

“राज शर्मा सच-सच बताना तुम्हारा मकसद क्या है इस प्यार में.?”

“मकसद एक ही है…आपसे शादी करना चाहता हूँ. जींदगी भर आपके साथ रहना चाहता हूँ.”

“क्या तुम्हे पता है कि मैं तुमसे उमर में बड़ी हूँ. कोई 3 या 4 साल बड़ी हूँ तुमसे मैं.”

“उस से कुछ फरक नही पड़ता पद्‍मिनी जी.”

“ये जी क्यों लगाते हो मेरे नाम के पीछे हर बार तुम. क्या मुझे सिर्फ़ पद्‍मिनी नही कह सकते.”

“ठीक है पद्‍मिनी जी…ओह सॉरी पद्‍मिनी…आज से ही जी को दूर फेंक दिया जाएगा. चलिए मैं ये सिलिंडर अंदर रख देता हूँ.” राज शर्मा ने कहा.

पद्‍मिनी सोच में पड़ गयी.

“इतनी सुबह-सुबह कहाँ से लाए सिलिंडर तुम.”

“अपने घर से लाया हूँ. वहाँ बेकार ही पड़ा था.”

“रहने दो मैं ले जाउन्गि.”

“कैसी बात करती हैं आप. आप क्यों ले जाएँगी इसे उठा कर मेरे होते हुए. हटिए एक तरफ.”

राज शर्मा सिलिंडर ले कर अंदर आ गया और उसे किचन में ले जाकर चूल्‍हे से कनेक्ट कर दिया.

पद्‍मिनी किचन के दरवाजे पर खड़ी सब देखती रही. जब राज शर्मा सब काम करके मुड़ा तो पद्‍मिनी ने पूछा, “क्या खाओगे तुम.”

“अगर थप्पड़ नही पड़ेंगे तो एक चीज़ खाना चाहूँगा.”

“नहियीईईई….क्या तुम्हारा मन नही भरा.” पद्‍मिनी दो कदम पीछे हट गयी.

“कैसी बात करती हैं आप. राज शर्मा से प्यार किया है आपने. मेरा मन आप जैसी हसीना के लिए कभी नही भरेगा.”

“मैने अभी कोल्गेट भी नही किया है?” पद्‍मिनी ने टालने की कोशिस की.

“कोई बात नही…मैने एक बार कही पढ़ा था कि किस मुँह में मौजूद बॅक्टीरिया का ख़ात्मा करती है.”

“झूठ बोल रहे हो?”

“नही सच बोल रहा हूँ मैं.”

पद्‍मिनी राज शर्मा से बचने के लिए अपने कमरे की तरफ भागी.

“अरे रुकिये कहाँ भाग रही हैं आप. मुझसे आपको कोई नही बचा सकता.”

राज शर्मा भी पद्‍मिनी के पीछे भागा. आधी सीढ़ियाँ चढ़ चुकी थी पद्‍मिनी. मगर राज शर्मा ने हाथ पकड़ लिया भाग कर. पद्‍मिनी ने मूड कर राज शर्मा से हाथ छुड़ाने के लिए झटका दिया. राज शर्मा का पाँव फिसल गया और वो लूड़क गया सीढ़ियों से.

“राज शर्मा!” पद्‍मिनी भाग कर आई राज शर्मा के पास. माथे से हल्का सा खून बह रहा था राज शर्मा के.

“सो सॉरी राज शर्मा…ज़्यादा तो नही लगी.”

राज शर्मा ने जवाब देने की बजाए पद्‍मिनी को पकड़ लिया

“राज शर्मा प्लीज़.... छोड़ो मेरा हाथ…तुम तो पागल हो गये हो.” पद्‍मिनी गिड़गिडाई

राज शर्मा पद्‍मिनी का हाथ पकड़े हुए खड़ा हुआ और उसे दीवार से सटा दिया.

“अब भागो कहा भागोगी. बहुत सताया है आपने मुझे. बहुत नाटक झेलें हैं आपके. अब आपसे गिन-गिन कर बदले लूँगा.”

“तो तुम मुझसे बदला ले रहे हो.”

“हां ऐसा बदला जिसमे प्यार ही प्यार है.”

“उफ्फ तुम पागल हो गये हो. कहाँ फँस गयी मैं इस पागल के साथ.”

राज शर्मा ने पद्‍मिनी को बाहों में जाकड़ लिया और अपने होन्ट पद्‍मिनी के दहक्ते अंगारों पर टिका दिए. पद्‍मिनी चाहती तो अपने होन्ट हटा सकती थी. मगर वो बुत बनी खड़ी रही. शुरू के कुछ पलों में तो बस राज शर्मा चूम रहा था प्दमीनी को. मगर कुछ ही देर बाद पद्‍मिनी भी राज शर्मा के होंटो को तरह तरह से अपने होंटो में जाकड़ रही थी. 5 मिनिट तक पागलों की तरह चूमते रहे वो एक दूसरे को. वो दोनो चुंबन के शुरूर में खो कर प्यार रूपी समुंदर में गोते लगा रहे थे.

अचानक पद्‍मिनी को अजीब सी चुभन महसूस हुई अपनी योनि के करीब. पद्‍मिनी ने राज शर्मा को खुद से दूर धकैल दिया.

“क्या हुआ?”

पद्‍मिनी ने अपने दिल पर हाथ रखा और बोली, “जैसे तुम्हे कुछ नही पता.”

राज शर्मा ने नज़रे झुका कर अपनी पॅंट पर बने उभार को देखा और बोला, “ओह सॉरी…ये मेरे बस में नही है. ये तंबू इसने खुद खड़ा किया है.”

“तुम जाओ अब. मुझे फ्रेश होना है.” पद्‍मिनी गुस्से में कहा

“ओह हां ऑफ कोर्स. शूकर है थप्पड़ नही पड़ा आज... हिहिहीही.” राज शर्मा हंसते हुए चल दिया वहाँ से.

“हे भगवान किस पागल के प्यार में फँस गयी मैं.” पद्‍मिनी ने सोचा.

राज शर्मा के जाने के बाद पद्‍मिनी ने तुरंत दरवाजा बंद कर लिया और खुद से बोली, “अब इसे दुबारा अंदर नही आने दूँगी. ये तो पागल है पूरा. क्या ऐसा करता है कोई…जैसा ये करता है.”

पद्‍मिनी ने अपने दिल पर हाथ रखा. वो अभी भी ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था. “पर मुझे क्या हो जाता है…क्यों उसका साथ देती हूँ मैं. क्या उसके हाथो का खिलोना बन गयी हूँ मैं. नही…ऐसा नही होने दूँगी मैं……”

पद्‍मिनी जितना राज शर्मा से प्यार करती थी. उतना ही अपने चरित्र के लिए प्रोटेक्टिव भी थी. अजीब सी सिचुयेशन थी पद्‍मिनी के सामने.

राज शर्मा बाहर आकर जीप में बैठ गया था और चुंबन के शुरूर में खो गया था. “सच में प्यार बहुत सुंदर होता है. ऐसी किस किसी से नही मिली. पद्‍मिनी के होन्ट मेरे होंटो पर हरकत तो कर रहे थे परंतु एक झीजक सी बरकरार थी. मगर उसके होंटो की हर हरकत चिल्ला-चिल्ला कर यही कह रही थी कि ‘मैं तुम्हे बहुत प्यार करती हूँ राज शर्मा’. वैसे वो मानेगी नही ये बात पर मैं जान गया हूँ. शी ईज़ रियली अमेज़िंग. धन्य हो गया हूँ आपसे प्यार करके पद्‍मिनी जी…” राज शर्मा सोचते हुए मुस्कुरा रहा था.

…………………………………………………………………….

मोहित सुबह होते ही पूजा के घर से निकल गया था. जाते-जाते वो पूजा को बोल गया था कि आज सारा दिन बिज़ी रहेगा क्योंकि काफ़ी काम है. दरअसल उसे इन्वेस्टिगेशन पर दिलो-जान से जुटना था. पहले मोहित घर गया और नहा धो कर अपना जासूसी का समान ले कर निकल पड़ा अपने काम पर.

“सबसे पहले इस कर्नल की ही इंक्वाइरी करता हूँ. यही सबसे बड़ा सस्पेक्ट है.” मोहित ने कहा.

मोहित, कर्नल के घर के बिल्कुल सामने बने घर पर पहुँचा. वाहा एक बुजुर्ग से बात की उसने जो की अपनी बीवी के साथ अकेला रहता था.उसे यही पता चला कि कर्नल बहुत अच्छा इंसान है. बहुत अच्छा नेचर है उसका. बहुत अच्छे से शालीनता से बात करता है. लेकिन एक अजीब बात पता चली मोहित को बातो बातो में. वो ये थी कि कर्नल अब उस घर में नही रहता है. बुजुर्ग के अनुसार वो घर शायद कर्नल ने किसी को किराए पर दे दिया था.

“किसको किराए पर दिया था क्या बता सकते हैं?”

“पता नही कौन है वो. कभी शकल नही देखी उसकी. आँखे भी कमजोर हो चली हैं. ठीक से दीखता भी कहाँ है. हां पर इतना पक्का है कि इस घर में अब कोई और रह रहा था. कभी उस से मुलाक़ात नही हुई.”

“एक नौकर भी रहता था यहा…उसके बारे में कुछ जानते हैं.”

“नौकर भी तो अभी देखा मैने. कर्नल ने किसी नौकर को नही रख रखा था घर पर. वो ज़्यादा तर काम खुद ही करते थे अपना. वैसे बेटा तुमने बताया नही कि तुम ये सब क्यों पूछ रहे हो.”

“ आपको पता ही होगा कि ये घर पोलीस ने सील कर दिया है. मैं एक प्राइवेट डीटेक्टिव हूँ बस ये जान-ना चाहता हूँ कि यहण क्या हो रहा था ऐसा कि ये घर सील हो गया. क्या कुछ बता सकते हैं.”

“एक बात नोट की मैने. जो कोई भी यहण रहता था उन्हे कर्नल की ही तरह पैंटिंग का भी शौक था. कुछ दिन पहले ग़लती से पैंटिंग के समान की डेलिवरी देने यहा हमारे घर आ गया था कोई. मैने उसे कर्नल के घर भेजा था.”

“ह्म्म…कुछ और बता सकते हैं आप.”

“जितना पता था बता दिया बेटा. और मुझे कुछ नही पता.”

“ह्म्म मेरा नंबर रख लीजिए. कुछ याद आए तो बता दीजिएगा फोन करके.” मोहित कह कर चल दिया.

मोहित ने आस-पाडोश में कुछ और लोगो से भी बात की. लेकिन किसी को कुछ ज़्यादा जानकारी नही थी. सबको यही पता था कि कर्नल ही रहते हैं वाहा. किसी और के रहने की किसी को खबर नही थी.

“बड़ी बड़ी कोठी हैं यहाँ. सब लोग अपने कामो में मगन रहते हैं शायद. सुनसान सी सड़के हैं यहा. उस बुजुर्ग के पास खाली वक्त है और घर भी कॉलोनेक के घर के सामने है इसलिए गौर कर लिया होगा. वैसे भी जो कोई भी उस घर में आया था…कुछ दिन पहले ही आया था. ये सब बाते अभी तुरंत रोहित को बताता हूँ.”

मोहित ने रोहित को फोन मिलाया.

“हेलो मोहित…हाउ आर यू?”

“सर कुछ बहुत इंपॉर्टेंट पता चला है”

“हां बोलो?’’

“अभी-अभी मैने कर्नल के घर के सामने रहने वाले एक बुजुर्ग से बात की.” मोहित ने रोहित को पूरी बात बता दी.

“जीसस…ये तो मामला और ज़्यादा उलझ गया. अब ये कैसे पता चलेगा कि कौन रह रहा था उस घर में. कर्नल का तो कुछ आता पता नही है.”

“सर एक डाउट हो रहा है. हो सकता है कर्नल को मार कर उसके घर और गाड़ी पर कब्जा कर लिया हो साइको ने. सोचा होगा कि अच्छा ठिकाना रहेगा. कर्नल का घर एक सेफ प्लेस माना जा सकता है. और मुझे ये भी लग रहा है कि हो सकता है कि जो कोई भी यहाँ रह रहा था वो कर्नल को अच्छे से जानता था और यारी दोस्ती में उन्होने ये घर उसे दे दिया हो.”

“इन बातों का जवाब तो कर्नल ही दे सकता है. मगर उसका कुछ आता-पता नही है. देल्ही और मुंबई में कर्नल के रिलेटिव्स थे. मैने वहाँ की लोकल पोलीस से कॉंटॅक्ट करके एंक्वाइरी के लिए कहा है. शायद कुछ पता चल जाए कर्नल के बारे में. ”

“ओके जैसे ही कुछ पता चले मुझे भी बता देना सर. मैं फिलहाल संजय की खबर लेने जा रहा हूँ.”

“ओके ऑल दा बेस्ट. बहुत अच्छा काम कर रहे हो. बल्कि जो हमें करना चाहिए था वो तुम कर रहे हो. दरअसल सोचने समझने का टाइम ही नही दिया इस साइको ने पीछले कुछ दिन. तुम लगे रहो. और कुछ पता चले तो तुरंत बताना.”

रोहित उस वक्त एसपी साहिब के कमरे के बाहर खड़ा था उनसे मिलने के लिए. फोन रख कर वो कमरे में घुस गया.

“कैसे हैं सर आप.”

“मैं ठीक हूँ. ए एस पी साहिबा कैसी हैं.”

“वो भी ठीक हैं सर. 2 दिन बाद छुट्टी कर देंगे. सर क्या बता सकते हैं कि कैसे हुआ ये सब.”

हां मैं बाथरूम से नहा कर निकल रहा था कि अचानक मुझे पीछे से जाकड़ कर मेरे मुँह पर कुछ रख दिया उसने. मैने साँस रोक ली और उसे दूर धकैल दिया. उसके पास चाकू था…मैं खाली हाथ क्योंकि नहा कर निकल रहा था. कयि वार किए हराम्खोर ने पेट पर. छोड़ूँगा नही हरामी को बस मिल जाए एक बार.”

“शूकर है सर कि ज़्यादा नुकसान नही हुआ. शायद वो आपको बेहोश करके कहीं ले जाने वाला था. वो ऐसा ही करता है. अपने ठीकने पर ले जाकर आर्टिस्टिक मर्डर करता है.”

“बस-बस मुझे हॉरर स्टोरी मत सुनाओ. बिल्कुल पसंद नही मुझे डरावनी बातें.”

“सॉरी सर.”

“मुझे भी शायद 2-3 दिन में छुट्टी मिल जाएगी.” एसपी ने कहा.

रोहित एसपी से मिलने के बाद शालिनी से मिलने पहुँचा. वो शालिनी के कमरे में घुसा तो देखा कि वहाँ चौहान खड़ा था.

“आओ रोहित” शालिनी ने कहा.

“कैसी हैं मेडम आप?” रोहित ने पूछा.

“ठीक है मिस्टर चौहान आप जायें और इतमीनान से अपनी बहन की सगाई की तैयारी करें.” शालिनी ने कहा.

“थॅंक यू मेडम” चौहान रोहित को घूरता हुआ कमरे से निकल गया.

“पता नही कैसी हूँ. जब पेट से ये पट्टी हटेगी तभी पता चलेगा की कैसी हूँ. आज हटा कर देखेंगे इसे.”

“सब ठीक रहेगा मेडम…आप चिंता मत करो.”

“चौहान अपनी सिस्टर की सगाई और शादी करने जा रहा है इसी हफ्ते. ये अचानक क्या हो गया इसे?” शालिनी ने पूछा.

रोहित चुप ही रहा. झूठ बोलना नही चाहता था और सच बोलने की हिम्मत नही थी.

क्रमशः........................
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