Raj sharma stories बात एक रात की
01-01-2019, 12:54 PM,
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--103

गतान्क से आगे.................

नितंबो पर लिंग की चुअन से पहले ही पद्‍मिनी के शरीर में अजीब सी तरंगे दौड़ रही थी. गर्दन पर बरस रही किस्सस से उसकी हालत और पतली होती जा रही थी.

“बोलिए ना क्या हटा लूँ. आप नही बताएँगी तो कैसे मदद करूँगा आपकी.”

पद्‍मिनी छटपटाने लगी राज शर्मा की बाहों में मगर राज शर्मा की पकड़ से निकलना आसान नही था.

“क्या मेरा लंड आपकी गांद को परेशान कर रहा है?”

“शट अप! हट जाओ वरना जींदगी भर बात नही करूँगी तुमसे.” पद्‍मिनी चिल्लाई.

राज शर्मा तुरंत हट गया और बिस्तर पर आकर लेट गया आँखे बंद करके.

“हां अब नाराज़ हो जाना ताकि मैं तुम्हे मनाने आउ और तुम्हे फिर से मेरे शरीर से खेलने का मोका मिले.आइ हेट यू. मेरे करीब मत आना अब. तुम बहुत गंदे हो. इतनी गंदी बात नही सुनी कभी मैने.” पद्‍मिनी ने कहा.

“अब आपको कभी कुछ नही कहूँगा…ना ही आपके शरीर से खेलूँगा. सॉरी फॉर एवेरितिंग.” राज शर्मा ने कहा.

राज शर्मा बिस्तर से उठा और ज़मीन पर एक चटाई बिछा कर उस पर तकिया रख कर लेट गया. पद्‍मिनी समझ गयी कि राज शर्मा ने बिस्तर उसके लिए छोड़ दिया है. पद्‍मिनी बिस्तर पर बैठ गयी और घुटनो में सर छुपा कर शूबकने लगी.

“मेरी भावनाओ की ज़रा भी कदर नही करते तुम…प्यार क्या निभाओगे तुम. जब से प्यार हुआ है क्या तुमने कुछ भी जान-ने की कोशिस की मेरे बारे में. क्या पूछा तुमने कभी कि कैसा फील करती हूँ मैं अपने मम्मी पापा के बिना. क्या पूछा तुमने कभी कि क्यों मेरी पहली शादी बिखर गयी. नही तुम्हे मेरे दुख दर्द से कोई लेना देना नही है. बस मेरा शरीर चाहिए तुम्हे और वो भी तुरंत. थोड़ा सा भी वेट नही कर सकते. हवस के पुजारी हो तुम…जिसे औरत के शरीर के सिवा कुछ नही दीखता. क्यों मेरे दिल में झाँकने की कोशिस नही करते तुम.क्यों मेरे शरीर पर ही रुक जाते हो तुम. क्या इसी को प्यार कहते हो तुम. क्या तुम्हे पता भी है किस हाल में हूँ मैं एर कैसे एक-एक दिन जी रही हूँ.मम्मी पापा की मौत के बाद पूरी तरह बिखर चुकी हूँ. तुम्हारे प्यार ने जीवन में एक उम्मीद की किरण सी देखाई थी मगर अब सब ख़तम सा होता दीख रहा है. ये प्यार बस शरीर तक ही रह गया है...इस से आगे नही बढ़ पा रहा है.,” पद्‍मिनी सुबक्ते हुए सोच रही थी.

राज शर्मा पद्‍मिनी के दिल की मनोस्थिति से बेख़बर चुपचाप पड़ा था आँखे बंद किए. “मैं प्यार करता हूँ आपको और आप इसे शरीर से खेलना समझती हैं. पता नही कौन सी दुनिया से हैं आप. ज़रा सी नज़दीकी और छेड़ छाड़ बर्दास्त नही आपको. शादी के बाद भी यही सब चलेगा शायद. ये प्यार मुझे बर्बादी की तरफ ले जा रहा है. आपका योवन मुझे भड़का देता है और मैं आपकी तरफ खींचा चला आता हूँ. बदले में मुझे गालियाँ और तिरस्कार मिलता है आपका. प्यार ये रंग देखायगा सोचा नही था कभी.”

अचानक पद्‍मिनी ने अपने आँसू पोंछे. उसने मन ही मन कुछ फ़ैसला किया था. वो बिस्तर से उठी और कमरे की लाइट बंद कर दी. कुछ देर बाद वो झीजकते हुए राज शर्मा की चटाई के पास आ गयी और उसके पास लेट गयी. राज शर्मा को पता तो चल गया था कि पद्‍मिनी उसके पास लेट गयी है आकर पर फिर भी चुपचाप आँखे बंद किए पड़ा रहा.

“राज शर्मा नाराज़ रहोगे मुझसे?”

“आपका रोज का यही नाटक है. पहले मुझे कुत्ते की तरह खुद से दूर भगा देती हो फिर खुद मेरे पास आ जाती हो.” राज शर्मा ने कहा.

“क्या करूँ तुम्हे बहुत प्यार करती हूँ. तुमसे दूर नही रह सकती. ना ही तुम्हारी नाराज़गी बर्दास्त कर सकती हूँ.”

“कल भी यही कहा था आपने ये सब मज़ाक है और कुछ नही.” राज शर्मा ने कहा.

“मज़ाक नही है ये सच है. तुमसे बहुत नाराज़ हूँ फिर भी यहा तुम्हारे पास आई हूँ क्योंकि तुमसे बहुत प्यार करती हूँ.” पद्‍मिनी सुबक्ते हुए बोली.

राज शर्मा मन ही मन मुस्कुरा रहा था ये सब सुन कर. बाहों में भर लेना चाहता था पद्‍मिनी को इस मासूम प्यार के लिए पर पता नही क्यों पद्‍मिनी को थोड़ा और सताने का मूड था उसका. “तो क्या कोई अहसान कर रही हो मुझ पर.” राज शर्मा ने कहा.

“नही अहसान तो खुद पर कर रही हूँ..तुमसे दूर रह कर जी नही सकती ना इसलिए अहसान खुद पर कर रही हूँ. तुम पर अहसान क्यों करूँगी…तुम तो जींदगी हो मेरी.” पद्‍मिनी ने फिर से सुबक्ते हुए कहा.

अब राज शर्मा से रहा नही गया और उसने बाहों में भर लिया पद्‍मिनी को. मगर जैसे ही उसने उसे बाहों में लिया वो हैरान रह गया. वो फ़ौरन पद्‍मिनी से अलग हो गया.

“पद्‍मिनी ये सब क्या है तुम कपड़े उतार कर क्यों आई हो मेरे पास.”

“पता नही क्यों आई हूँ बस आ गयी हूँ किसी तरह. आगे तुम संभाल लो.”

“क्या पागलपन है ये. कहाँ है कपड़े तुम्हारे?”

“ बिस्तर पर पड़े हैं.”

राज शर्मा अंधेरे में बिस्तर की तरफ बढ़ा और वहाँ से कपड़े उठा कर पद्‍मिनी के उपर फेंक दिए, “पहनो जल्दी वरना मुझसे बुरा कोई नही होगा. तुमने ऐसा करके अपमान किया है मेरे प्यार का. मैं तुम्हे कभी माफ़ नही करूँगा. तुमने तमाचा मारा है मेरे मुँह पर ये सब करके. यही साबित करना चाहती हो ना कि मैं हवस का पुजारी हूँ और तुम सती सावित्री हो जिसे मैं मजबूर करता हूँ सेक्स के लिए. मान गये आपको. आप तो साइको से भी ज़्यादा ख़तरनाक गेम खेल गयी मेरे साथ. आइ हेट यू. आप ना प्यार के लायक हैं और ना शादी के लायक हैं. अब समझ में आया क्यों आपकी पहली शादी नही चल पाई. आप रिस्ते निभा ही नही सकती.” राज शर्मा ने कहा.

पद्‍मिनी ने ये सब सुनते ही फूट-फूट कर रोने लगी. इतनी ज़ोर से रो रही थी वो कि राज शर्मा के कान फॅट रहे थे उसका रोना सुन कर.

“ये क्या तमासा है बंद करो ये नाटक!” राज शर्मा ज़ोर से चिल्लाया.

पद्‍मिनी सुबक्ते हुए उठी और अपने कपड़े पहन कर वापिस वही लेट गयी चटाई पर. राज शर्मा पाँव लटका कर बिस्तर पर बैठ गया.

कमरे में एक दम खामोसी छा गयी. पद्‍मिनी पड़ी-पड़ी सूबक रही थी और राज शर्मा अपना सर पकड़ कर बैठा था.

………………………………………………………………………..

रोहित हॉस्पिटल पहुँच तो गया मगर शालिनी के कमरे की तरफ जाने से डर रहा था. “पता नही बात करेंगी या नही. एक बार मिल कर अपना पक्ष तो रख दूं फिर जो उनकी इच्छा होगी देख लेंगी.”

रोहित दबे पाँव कमरे में दाखिल हुआ. शालिनी आँखे बंद किए पड़ी थी. रोहित ने उन्हे जगाना सही नही समझा और वापिस मूड कर जाने लगा.

“रोहित!” शालिनी ने आवाज़ दी.

रोहित तुरंत मुड़ा और बोला, “क्या आप जाग रही हैं.”

“तुम मुझे सोने दोगे तब ना सो पाउन्गि. कहा थे सुबह से. फोन भी नही मिल रहा था तुम्हारा.” शालिनी ने कहा.

“मेडम आपने मुझे सुबह यहाँ से जाने को कहा था. दिल में दर्द और आँखो में आँसू लेकर गया था यहाँ से.”

“जो बात तुम्हे मुझे बतानी चाहिए थी वो चौहान ने बताई. बहुत बुरा लगा था मुझे.”

“मेडम रीमा से प्यार नही किया कभी मैने. हां अच्छे दोस्त ज़रूर बन गये थे हम. वो मुझसे शादी करना चाहती है.”

“क्या?” ये बात चौहान ने नही बताई मुझे.

“जी हां मेडम. वो मुझे प्यार करती है. मेरे दिल में प्यार नही जाग पाया उसके लिए मगर फिर भी मैं शादी के लिए तैयार था. मगर चौहान को ये सब मंजूर नही. इसलिए वो ज़बरदस्ती रीमा की शादी कही और कर रहा है वो भी इतनी जल्दी.”

“अगर चौहान राज़ी हो गया तुम्हारी और रीमा की शादी के लिए तो क्या करोगे शादी उस से?”

“मेडम झूठ नही बोलूँगा. अब नही कर सकता शादी रीमा से.”

“क्यों नही कर सकते?”

“आप जानती हैं सब कुछ पूछ क्यों रही हैं.”

“शायद मुझे पता है और शायद नही भी. खैर छोड़ो. दुख हुआ तुम्हारे सस्पेन्षन का सुन कर. मैं ड्यूटी जाय्न करते ही कोशिस करूँगी उसे कॅन्सल करवाने की.”

“सस्पेन्षन की आदत हो चुकी है अब.”

“ह्म्म बी ऑप्टिमिस्टिक रोहित. सब ठीक हो जाएगा.”

“मेडम मैं कुछ मित्रो के साथ मिल कर साइको की तलाश जारी रख रहा हूँ. अभी हमारे पास सबसे बड़ा क्लू कर्नल का घर है. वही से सारे राज खुलने की उम्मीद है. हम उसी पर कॉन्सेंट्रेट करेंगे. संजय तो सस्पेक्ट है ही. मगर उसका अभी कुछ आता पता नही है.”

“वेरी गुड. मेरी कहीं भी ज़रूरत पड़े तो झीजकना मत.मैं हर वक्त तुम्हारे साथ हूँ.”

“थॅंक यू मेडम…मैं चलता हूँ अब. शुकून मिला दिल को आपसे बात करके. सुबह तो भारी मन लेकर गया था यहा से. ऐसा लग रहा था जैसे कि दुनिया ही उजड़ गयी मेरी. गुड नाइट.” रोहित कह कर चल दिया.

“रूको!”

“जी कहिए.”

“कुछ कहना चाहती थी पर चलो छोड़ो. फिर कभी…”

“ऐसा ही होता है अक्सर. हम दिल में छुपाए फिरते हैं वो बात मगर कह नही पाते. और एक दिन ऐसा आता है जब किस्मत कहने का मोका ही नही देती जबकि हम कहने के लिए तैयार रहते हैं. बोल दीजिए मुझे जो बोलना है. हमेशा दिल में छुपा कर रखूँगा आपकी ये बात जो आप कहना चाहती हैं.”

“मैं क्या कहना चाहती हूँ तुम्हे पता भी है?”

“जी हां पता है”

“फिर बोलने की क्या ज़रूरत है. यू कॅन गो नाउ…हहेहहे.” शालिनी ने हंसते हुए कहा.

“एक बार बोल देती तो अच्छा होता. मेरे कान तरस रहे हैं वो सब सुन ने के लिए. प्लीज़.”

“तुम जाते हो कि नही…मेरे पास कुछ नही है कहने को. ईज़ दट क्लियर.”

“जी हां सब कुछ क्लियर है स्प्राइट की तरह.”

“हाहहहाहा…..आआहह” शालिनी खिलखिला कर हंस पड़ी जिस से पेट के झखम में दर्द होने लगा.

“क्या हुआ मेडम?”

“कुछ नही हँसने से पेट का झखम दर्द करने लगा.”

“मेरे उपर हँसने के चक्कर में दर्द मोल ले लिया आपने. शांति रखिए. वैसे बहुत अच्छा लगा आपको हंसते देख कर. भगवान मेरी सारी ख़ुसीया आपको दे दे ताकि आप हमेशा यू ही मुस्कुराती रहें.”

“तुम कुछ भी कर्लो मैं वो बोलने वाली नही हूँ.”

“यही तो मेरी बदक़िस्मती है. खैर जाने दीजिए. गुड नाइट. सो जाओ आप चुपचाप अब. मुझे अभी से इंक्वाइरी शुरू करनी हैं. अब बिल्कुल फ्रेश माइंड से स्टार्ट करूँगा.”

“ऑल दा बेस्ट.” शालिनी ने कहा

रोहित कमरे से बाहर निकला तो शालिनी का डॉक्टर मिल गया उसे.

“डॉक्टर कब तक छुट्टी मिलेगी मेडम को.”

“हम कल दोपहर तक छुट्टी कर देंगे. बाद में बस ड्रेसिंग के लिए आना पड़ेगा. 20 दिन बाद स्टिचस काट देंगे.”

“एसपी साहिब का भी आपने इलाज किया क्या. उनकी तो बड़ी जल्दी छुट्टी हो गयी”

“नही उनका केस तो ड्र अनिल के पास था. बहुत बढ़िया डॉक्टर हैं वो. एसपी साहिब के ख़ास दोस्त भी हैं. मेडम का केस डिफरेंट था. उस लकड़ी ने बहुत गहरा घाव बना दिया था मेडम के पेट में.”

“मगर जो भी हो आपके हॉस्पिटल में अच्छी केर होती है. सभी अच्छे डॉक्टर हैं.”

“जी हां. वी आर प्राउड ऑफ इट.”

अचानक रोहित का फोन बज उठा. फोन अननोन नंबर से था.

“यार कही ये साइको का तो नही?”

रोहित ने फोन उठाया.

“हेलो.”

“हेलो ईज़ दिस इनस्पेक्टर रोहित.”

“जी हां मैं रोहित ही हूँ बोलिए.”

“दोपहर से आपका फोन ट्राइ कर रहा हूँ. मैं देल्ही से बोल रहा हूँ इनस्पेक्टर गणेश.”

“हां बोलिए.”

“देखिए कॉलोनेक की बहन रहती हैं यहाँ. हमने उनसे पूछताछ की है. कर्नल कहाँ है उन्हे भी कुछ नही पता. उनके अनुसार कर्नल का स्वाभाव ऐसा ही है…बिना बताए गायब हो जाता है. देहरादून में जो घर है उसका वो उसने किसी सीसी नाम के आदमी को दिया है शायद.”

“सीसी…पूरा नाम बोलिए ना इस सीसी ने तो परेशान कर रखा है हमें.”

“देखिए कर्नल की बहन को इतना ही पता था. एक महीना पहले कर्नल ने बातो बातो में बोल दिया था उसे कि वो अपना देहरादून वाला घर अपने एक फ्रेंड सीसी को दे रहा है. ज़्यादा बात नही हुई इस बारे में उनकी. यही पता चला यहा, सोचा आपको बता दूं. मीडीया में छाया हुआ है ये साइको का केस. शायद आपको इस से कुछ मदद मिले. ऑल दा बेस्ट” गणेश ने फोन काट दिया.

क्रमशः........................
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