RajSharma Sex Stories कुमकुम
10-05-2020, 12:32 PM,
#43
RE: RajSharma Sex Stories कुमकुम
परन्तु ऐसा मालूम होता था कि उस बनस्थली के कोने-कोने में भयानक पिशाच परिभ्रमण कर रहे हों और उन्हीं का यह कार्य है।
सम्राट एवं गुप्तचर नीरव खड़े थे, उस वृक्ष की ओट में। एकाएक ठीक उनके पीछे से कठोर गर्जन सुनाई पड़ा—'सावधान ! जहाँ हो वहीं खड़े रहो।'

सम्राट एवं गुप्तचर आश्चर्यातिरेक से घूम पड़े। उन्होंने देखा, ठीक उनके पीछे खड़ा था एक धनुर्धारी किरात युवक, जिसके कार्मुक पर चढ़े हुए दो तीर इन दोनों के वक्ष की सीध में तने हैं।

सम्राट ने दांत पीसे और तुरंत ही उनके हाथ कृपाण की मूठ पर जा पड़े।

'सावधान...।' किरात युवक बोला-'हाथ जहां हैं वहीं स्थिर रहें। इस समय सारा वन्यप्रदेश किरातों से भरा पड़ा है। आपके नेत्रों से ये नेत्र अधिक दूरदर्शी है। अच्छा हो, आप लोग सीधे हमारे नायक के पास चलें।'

सम्राट तिग्मांशु आश्चर्यचकित रह गए, उस वीर किरात युवक की बातें सुनकर। जहां एक साधारण युवक इतना शौर्यवान है तो उनका नायक कैसा होगा? वे सोचने लगे। किरात युवक ने अपना कार्मुक कंधे से लटका लिया और आगे-आगे चल पड़ा।

सम्राट और गुप्तचर ने उसका अनुसरण किया। उस स्थान पर, जहां वृक्ष की सघन छाया के नीचे किरात सेना पड़ी थी, वहां आकर वह किरात युवक एक ऊंचे शिलाखंड पर बैठ गया।

उस युवक के साथ दो अपरिचितों को भी आया देख, समग्र किरात युवक उस स्थल पर एकत्रित हो गये।

'आप लोग कौन हैं...?' पूछा उस युवक ने।

'अपने नायक को बुलाओ, मुझे उससे कुछ आवश्यक बातें करनी हैं।' सम्राट ने कहा।

'नायक तो यही है।' किरात समुदाय में से किसी एक ने कहा।

'यही है।' चौंककर आर्य-सम्राट ने उस युवक को देखो, जो इस समय शिलाखंड पर बैठा हुआ मंद-मंद मुस्करा रहा था।

उसके कंठ प्रदेश में एक मूल्यवान रत्नहार था, जिसकी मणियों से मंद-मंद प्रकाश निकल रहा था। सम्राट को महान् आश्चर्य हुआ यह सोचकर कि ऐसा मूल्यवान रत्नहार कदातिच् उनके राजकोष में भी नहीं है।

'आपका परिचय?' नायक ने पूछा।

'मैं हूं आर्य सम्राट, तिग्मांशु।'

'आर्य सम्राट तिग्मांशु।' पर्णिक ने स्थिर वाणी में दुहराया, तत्पश्चात् उन्हें उचित स्थान पर बैठने का संकेत करते हुए बोला-आपके यहां आने का तात्पर्य?'

'इसके प्रथम कि मैं कुछ कहूं...मैं यह पूछना चाहता हूं वीर युवक कि तुम्हारे यहां आने का कारण क्या है?'

'आपके मार्ग में बाधा उपस्थित कर आपको अग्रसर होने से रोकना —यही है हमारे यहां आने का कारण...।' पणिक ने निभीक भाव से उत्तर दिया।

'तुम मुझे अग्रसर होने से क्यों रोकने चाहते हो।'

'क्योंकि स्वदेश रक्षा का उत्तरदायित्व प्रत्येक व्यक्ति पर समान रूप से होता है।'
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RE: RajSharma Sex Stories कुमकुम - by desiaks - 10-05-2020, 12:32 PM

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