RE: rajsharmastories धोबन और उसका बेटा
"ही मा, वो वो " मैं हकलाते हुए बोला "वो इसलिए कोयोंकि उस समय
ये उतना खरा नही रहा होगा, अभी ये पूरा खरा हो गया है"
"ओह ओह तो अभी क्यों खरा कर लिया इतना बरा, कैसे खरा हो गया
अभी तेरा"
अब मैं क्या बोलता की कैसे खरा हो गया. ये तो बोल नही सकता था
की मा तेरे कारण खरा हो गया है मेरा. मैने सकपकते हुए
कहा "अर्रे वो ऐसे ही खरा हो गया है तुम छ्होरो अभी ठीक हो
जाएगा"
"ऐसे कैसे खरा हो जाता है तेरा" मा ने पुचछा और मेरी आँखो
में देख कर अपने रसीले होंठो का एक कोना दबा के मुस्कने लगी .
"आरे तुमने पकर रखा है ना इसलिए खरा हो गया है मेरा क्या
करू मैं, ही छ्होर दो नो" मैने किसी भी तरह से मा का हाथ अपने
लंड पर से हटा देना चाहता था. मुझे ऐसा लग रहा था की मा के
कोमल हाथो का स्पर्श पा के कही मेरा पानी निकाल ना जाए. फिर मा
ने केवल पाकारा तो हुआ नही था. वो धीरे धीरे मेरे लंड को सहला
भी और बार बार अपने अंगूठे से मेरे चिकने सुपरे के च्छू भी
रही थी.
" अच्छा अब सारा दोष मेरा हो गया, और खुद जो इतनी देर से मेरी
छातिया पकर के मसल रहा था और दबा रहा था उसका कुच्छ नही"
"ही, ग़लती हो गई"
चल मान लिया ग़लती हो गई, पर सज़ा तो इसकी तुझे देनी परेगी,
मेरा तूने मसला है, मैं भी तेरा मसल देती हू," कह कर मा अपने
हाथो को थोरा तेज चलाने लगी और मेरे लंड का मूठ मरते हुए मेरे
लंड के मंडी को अंगूठे से थोरी तेज़ी के साथ घिसने लगी. मेरी
हालत एकद्ूम खराब हो रही थी. गुदगुदाहट और सनसनी के मारे मेरे
मुँह से कोई आवाज़ नही निकाल पा रहा था ऐसा लग रहा था जैसे की
की मेरा पानी अब निकला की तब निकला. पर मा को मैं रोक भी नही पा
रहा था. मैने सीस्यते हुए कहा "ओह मा, ही निकाल जाएगा, मेरा
निकाल जाएगा" इस पर मा ने और ज़ोर से हाथ चलते हुए अपनी नज़र
उपर करके मेरी तरफ देखते हुए बोली "क्या निकाल जाएगा".
"ओह ओह, छ्होरो ना तुम जानती हो क्या निकाल जाएगा क्यों परेशान कर
रही हो"
"मैं कहा परेशान कर रही हू, तू खुद परेशान हो रहा है"
"क्यों, मैं क्यों भला खुद को परेशान करूँगा, तुम तो खुद ही
ज़बरदस्ती, पाता नही क्यों मेरा मसले जा रही हो"
"अच्छा, ज़रा ये तो बता शुरुआत किसने की थी मसल्ने की" कह कर मा
मुस्कुराने लगी.
मुझे तो जैसे साँप सूंघ गया था मैं भला क्या जवाब देता कुच्छ
समझ में ही नही आ रहा था की क्या करू क्या ना करू, उपर से
मज़ा इतना आ रहा था की जान निकली जा रही थी. तभी मा ने
अचानक मेरा लंड छ्होर दिया और बोली "अभी आती हू" और एक कातिल
मुस्कुराहट छ्होर्ते हुए उठ कर खरी हो गई और झारिॉयन की तरफ
चल दी. मैं उसकी झारियों की ओर जाते हुए देखता हुआ वही पेर के
नीचे बैठा रहा. झारिया जहा हम बैठे हुए थे वाहा से बस डूस
कदम की दूरी पर थी. दो टीन कदम चलने के बाद मा पिच्चे की
ओर मूरी और बोली "बरी ज़ोर से पेशाब आ रही थी, तुझे आ रही हो
तो तू भी चल, तेरा औज़ार भी थोरा ढीला हो जाएगा, ऐसे बेशार्मो
की तरह से खरा किए हुए है" और फिर अपने निचले होंठो को हल्के
से काटते हुए आगे चल दी. मेरी कुच्छ समझ में ही नही आ रहा
था की मैं क्या करू. मैं कुच्छ देर तक वैसे ही मॅ बैठा रहा,
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